शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012

उत्तराखंड की नौकरशाही में हुए भारी फेरबदलों की पूरी सूची




::संशोधन::आशीष जोशी बने रहेंगे चंपावत के डीएम
प्रदेश शासन ने शुक्रवार को किए गए आईएएस अफसरों के तबादलों में कुछ फेरबदल किया है। शनिवार को अपर सचिव कार्मिक अरविन्द सिंह ह्यांकी ने बताया कि विगत दिन हुए प्रशासनिक अधिकारियों के स्थानांतरण में आंशिक संशोधन किया गया है। इसके तहत जिलाधिकारी चम्पावत आशीष जोशी यथावत रहेंगे। जिलाधिकारी उत्तरकाशी अक्षत गुप्ता को जिलाधिकारी अल्मोड़ा तथा मुख्य विकास अधिकारी वी. शणमुगम चमोली को जिला अधिकारी बागेश्वर स्थानांतरित किया गया है।

पूरा होगा "ईको फ्रेंडली" घर में रहने का सपना


बिना ईट, सीमेंट व लकड़ी के ही बन जाएंगी इमारतें
सीबीआरआई रुड़की बेकार चीजों से तैयार कर रहा ‘ईको फ्रेंडली’ वैकल्पिक उत्पाद
धान की भूसी और चीड़ की पत्तियों से बनेगी लकड़ी
भट्ठों की राख से बनेगा रासायनिक सीमेंट और पुराने मलबे से बनेंगी ईटें 

नवीन जोशी नैनीताल। क्या आप अपने वर्तमान घर की जगह पूरी तरह पर्यावरण मित्र (ईको फ्रेंडली) तकनीक से बने घर में रहना चाहेंगे। जी हां, अब यह संभव है। भवन निर्माण में बहुत दिनों तक प्राकृतिक संसाधनों पत्थर, ईट व लकड़ी तथा पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले सीमेंट का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा। देश के वैज्ञानिक इस दिशा में काफी आगे बढ़ गये हैं कि कैसे भवन निर्माण के लिए वैकल्पिक और ईको फ्रेंडली उत्पाद तैयार किये जाएं। भवन निर्माण के क्षेत्र में कार्य करने वाले वैज्ञानिक संस्थान सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिकों ने बेकार फेंकी जाने वाली धान की भूसी और चीड़ की पत्तियों से लकड़ी का विकल्प तैयार कर लिया है। इसी तरह पुराने भवनों के मलबे से नई पक्की ईटें बनाई जाएंगी, जबकि बड़ी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन कर पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा साबित होने वाले सीमेंट की जगह भट्ठियों की राख (फ्लाई ऐश) से रासायनिक सीमेंट तैयार कर लिया गया है। यदि आप चिंतित हैं कि भवन निर्माण के लिए ही कितने हरे-भरे पेड़ों की बलि ले ली जाती है, तो सीबीआरआई रुड़की आपकी इस चिंता को काफी पहले से दूर करने में लगा हुआ है। सीबीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एसके सिंह बुधवार ने एक विशेष भेंट में सीबीआरआई में भवन निर्माण के लिए तैयार किये जा रहे ईको-फ्रेंडली उत्पादों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सीबीआरआई ‘वुड विदाउट ट्री’ यानी पेड़ों के बिना लकड़ी प्राप्त करने की तकनीक पर कार्य कर रहा है। धान की भूसी से मजबूत लकड़ी तैयार कर ली गई है और इसकी तकनीकी ग्वालियर की ‘ऊं नम: शिवाय एजेंसी’ को हस्तांतरित भी कर दी गई है, जो कि धान की भूसी से बनी लकड़ी बाजार में उतारने जा रही है। कई अन्य कंपनियां भी सीबीआरआई से इस तकनीक को लेने को उद्यत हैं। इसी तरह चीड़ की पत्तियों (पिरूल) से लकड़ी बनाने की तकनीक भी तैयार हो चुकी है। इसे भी किसी कंपनी को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया चल रही है। अपनी मात्रा के बराबर ही कार्बन डाई आक्साइड उत्सर्जित करने वाले परंपरागत सीमेंट की जगह भट्ठियों की फ्लाई ऐश में सोडियम सिलीकेट सरीखे रासायनिक पदार्थ मिलाकर ईको फ्रेंडली सीमेंट का निर्माण भी सीबीआरआई के वैज्ञानिकों ने कर लिया है। पुराने भवनों के ध्वस्तीकरण से प्राप्त होने वाले और फेंकने में परेशानी बनने वाले मलबे को प्रोसेस कर कंक्रीट, टाइल, ईट, ब्लाक तथा पेविंग ब्लाक बनाने में सफलता अर्जित कर ली गई है। डा. सिंह ने कहा कि जल्द यह उत्पाद भी खुले बाजार में उपलब्ध होंगे और पर्यावरण प्रेमियों का पर्यावरण मित्र घरों में रहने का सपना पूरा हो सकेगा।
मूलतः यहाँ देखें-प्रथम पृष्ठ पर 

शनिवार, 7 अप्रैल 2012

एक्टर नहीं बनना चाहते थे कबीर बेदी



नैनीताल में जीते ‘कैंडल कप’ ने दिखाया तीन महाद्वीपों का रास्ता  यहाँ ‘जूलियस सीजर’ नाटक में अभिनय के साथ रखा था कबीर बेदी ने अभिनय की दुनिया में कदम

नवीन जोशी नैनीताल। इंसान दुनिया में जितना भी बड़ा मुकाम पा ले, उसके लिए जीवन की पहली सफलता सबसे ज्यादा मायने रखती है। यह उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। भारतीय उपमहाद्वीप के साथ यूरोप और अमेरिका में अभिनय के जौहर दिखा चुके सिने कलाकार कबीर बेदी भी अपनी पहली सफलता को भूले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि नैनीताल से उत्पन्न हुए थियेटर के शौक में उन्होंने तीन दशक में तीन महाद्वीपों तक अभिनय की यात्रा की। वह सरोवरनगरी के शेरवुड कालेज में अभिनय के लिए मिले पहले पुरस्कार ‘कैंडल कप’ को नहीं भूलते। यह उन्हें जीवन का पहला नाटक ‘जूलियस सीजर’ करने से मिला था। हालांकि वे यह भी कहते हैं कि वह एक्टर नहीं बनना चाहते थे। 
शेरवुड कालेज में बच्चों के साथ खुद भी बच्चे बने कबीर बेदी, अजिताभ बच्चन अपने 1962  बीच के सहपाठियों के साथ 
कबीर बेदी शेरवुड कालेज के छात्र रहे हैं। यहां के बाद वह दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कालेज में पढ़े। 1962 में वह शेरवुड से पढ़ाई कर लौटे थे। इस बीच नैनीताल व शेरवुड की यादें उन्हें यहां वापस लाती रहीं। बृहस्पतिवार को भी वह शेरवुड में थे। उनके बैच के डेढ़ दर्जन छात्र 50 साल बाद ‘रियूनियन’ में मिल रहे थे। इन सबके बीच अकेले कबीर हर ओर जिंदादिली के साथ छाये रहे। वह बच्चों के साथ फोटो खिंचवा रहे थे। उनकी पेंटिंग को निहारते हुए उन्हें सुझाव भी दे रहे थे। वह अपने दौर के बूढ़े सेवानिवृत्त चतुर्थ श्रेणी कर्मी दुर्गा दत्त से भी हाथ मिला रहे थे। उन्होंने उसे 500 रुपये भेंट भी दिये। उनका कहना था जहां से जीवन की शुरूआत होती है, वह जगह हमेशा प्यारी होती है। यहां उन्होंने जीवन के प्रारंभिक वे दिन बिताए जब बच्चे भविष्य के सांचे में ढाले जाते हैं। यहां से सीखे मूल्यों, सिद्धांतों ने उनको जीवन में आगे बढ़ने और मुश्किलों का सामना करने में मदद की। इसलिए इस स्थान और कालेज के प्रति शुक्रगुजार का भाव रहता है। शेरवुड से ही उन्होंने अभिनय की शुरूआत की। जूलियस सीजर किया तो कैंडल कप मिला। इससे आगे प्रेरणा मिली। उन्होंने कहा कि वह कलाकार बनना भी नहीं चाहते थे। नैनीताल से थियेटर का शौक लगा और थियेटर करते-करते वह तीन दशक में तीन-तीन महाद्वीपों तक अभिनय की यात्रा कर गये। जेम्स बांड सीरीज की ऑक्टोपस व बोल्ड एंड ब्यूटीफुल सरीखी हॉलीवुड फिल्में भी उनके खाते में हैं। इन दिनों वह प्रकाश झा की माओवादी समस्या की चीर-फाड़ करती फिल्म ‘चक्रव्यूह’ की शूटिंग में व्यस्त हैं। वह पहाड़ों की खूबसूरती के मुरीद हैं। उन्होंने कहा कि यहां की लोकेशन कमाल की है। ये दुनिया की बेहतरीन लोकेशन से किसी मायने में कम नहीं हैं। यहां फिल्म निर्माण की स्वीकृति आसानी से मिले तो प्रदेश के साथ देश के घरेलू पर्यटन को खासा लाभ मिल सकता है। वह फिल्मी दुनिया से भी अपील करते हैं कि दूसरे देश जाने से बेहतर अपने देश में उत्तराखंड के पहाड़ों- हिमालय की खूबसूरत लोकेशनॉ में फिल्में बना कर देश के घरेलू पर्यटन को बढाने में भी अपना योगदान दें ।
मूलतः इस लिंक पर देखें: http://rashtriyasahara.samaylive.com/epapermain.aspx?queryed=14&eddate=04%2f06%2f2012

गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

शिक्षा विभाग के कर्मियों की बनेगी ई-कुंडली



एक क्लिक पर पता चल जाएगा विभाग में आने से लेकर स्थानांतरणों-पदोन्नतियों का ब्योरा 
एनआईसी मध्य प्रदेश की मदद से तेजी से चल रहा कार्य
नवीन जोशी, नैनीताल। सर्वाधिक कर्मचारियों वाले शिक्षा विभाग में अस्त- व्यस्तता के दिन लदने की उम्मीद की जा सकती है। अब विभाग के प्रत्येक अधिकारी-कर्मचारी की कुंडली इलेक्ट्रानिक फार्म में न केवल उच्चाधिकारियों वरन आम जनता द्वारा भी खोली जा सकेगी। ऐसे में न तो कोई कर्मी ताउम्र सुगम स्थानों में मौज कर सकेगा और न ही कोई दुर्गम स्थानों की परेशानियां झेलने को मजबूर रहेगा। 
एनआईसी मध्य प्रदेश की सहायता से प्रदेश के शिक्षा विभाग के कर्मियों की ई- कुंडली बनाने का कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता से चल रहा है। अगले माह तक ई-कुंडली के सार्वजनिक होने की उम्मीद की जा सकती है। प्रदेश का सबसे बड़ा विभाग होने के कारण शिक्षा विभाग और विवादों का चोली दामन का साथ रहा है। मनमाने तबादलों को लेकर लाखों रुपये की रिश्वत और भ्रष्टाचार के आरोप यहां आम हैं। राज्य में बनी सभी तबादला नीतियां इस विभाग में आकर दम तोड़ती गई। शायद यही कारण रहा कि उत्तराखंड बनने के बाद से चाहे जिस भी दल की सरकार रही, विभागीय मंत्रियों पर चुनाव हारने का दुर्योग  जुड़ता चला गया। इधर, पिछली भाजपा सरकार ने जाते-जाते मध्य प्रदेश की तर्ज पर एनआईसी मध्य प्रदेश की सहायता से विभागीय कर्मियों की ई-कुंडली बनाने का कार्य शुरू किया, ताकि विभाग की भारी-भरकम फौज पर नजर रखी जा सके। इस पर इन दिनों तीव्र गति से कार्य चल रहा है। कुमाऊं मंडल में कुल 26,234 कर्मियों के आंकड़े ई-कुंडली में दर्ज होने हैं, जिनमें से ताजा जानकारी के अनुसार बुधवार तक 24,895 के आंकड़े दर्ज हो चुके हैं। केवल पिथौरागढ़, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिलों में मिलाकर 339 कर्मचारियों के आंकड़े दर्ज होने शेष हैं। पूछे जाने पर अपर निदेशक डा. कुसुम पंत ने उम्मीद जताई कि अप्रैल माह तक ई- कुंडली इंटरनेट के माध्यम से सर्वसुलभ हो जाएगी। कोई भी व्यक्ति किसी भी विभागीय अधिकारी से लेकर शिक्षक-शिक्षिकाओं, तृतीय वर्गीय तथा चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की कुंडली इंटरनेट पर उपलब्ध होगी। 

गुरुवार, 22 मार्च 2012

भूस्खलन से पहले मिल जाएगी जानकारी

राज्य में भूस्खलन चेतावनी प्रणाली विकसित करने की तैयारी कुमाऊं विवि के भूविज्ञान विभाग व एटीआई की आपदा प्रबंधन विंग करेगी मिलकर कार्य 
नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश में भूस्खलनों से होने वाले नुकसानों को रोकने के लिए ‘भूस्खलन पूर्वानुमान प्रविधि’ (अर्ली वार्निग सिस्टम फार लैंड स्लाइड) विकसित करने का कार्य शुरू हो रहा है। उत्तराखंड प्रशासन अकादमी के आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ एवं कुमाऊं विवि के भू-विज्ञान विभाग इस दिशा में मिल कर कार्य करेंगे। अकादमी में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान नई दिल्ली के सहयोग से शुरू हुई कार्यशाला में इस बात पर सहमति बनी है। 
बृहस्पतिवार को उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में भूस्खलनों पर शुरू हुई तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ मौके पर बतौर मुख्य अतिथि कुमाऊं विवि के कुलपति ने इस बारे में कुविवि की भूमिका की घोषणा की। उन्होंने उम्मीद जताई कि उत्तराखंड जैसे अत्यधिक भूस्खलनों की संभावना वाले राज्य में ऐसी संगोष्ठियां लाभदायक होंगी। संगोष्ठी में जीएसआई कोलकाता के निदेशक जी. मुरलीधरन, उत्तराखंड मौसम विज्ञान के निदेशक आनंद शर्मा, राज्य आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के पूर्व निदेशक कुविवि के भूविज्ञान विभाग के प्रो. आरके पांडे, अपर जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल व कुविवि के विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. सीसी पंत आदि ने भी उपयोगी विचार रखे तथा प्रदेश की भूस्खलन संवेदनशीलता के मद्देनजर प्रभावी उपाय किये जाने पर बल दिया। संचालन जेसी ढौंढियाल ने किया। बताया गया कि संगोष्ठी में अगले दो दिन देश के 15 राज्यों से आये विशेषज्ञ करीब 35 शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे तथा आखिरी दिन नगर के आधार बलियानाला व अन्य क्षेत्रों की फील्ड स्टडी भी करेंगे। 

बुधवार, 21 मार्च 2012

अब उत्तराखंड हाईकोर्ट से हिंदी में भी ले सकेंगे फैसले की प्रति

नैनीताल/देहरादून (एसएनबी)। उत्तराखंड बार काउंसिल की उत्तराखंड उच्च न्यायालय में अंग्रेजी के साथ ही हिंदी भाषा के उपयोग के लिए शुरू की गई मुहिम आखिर रंग लायी है। यहां होने वाले निर्णय अब हिन्दी में भी प्राप्त किए जा सकेंगे। हालांकि केस दायर करने और बहस की प्रक्रिया अब भी अंग्रेजी में ही होगी। बार कौंसिल ऑफ उत्तराखंड की मांग के बाद उत्तराखंड शासन द्वारा इस संबंध में निबंधक उच्च न्यायालय नैनीताल को आवश्यक व्यवस्थाएं करने के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। 
बार कौंसिल ऑफ उत्तराखंड के चेयरमैन अधिवक्ता पृथ्वीराज चौहान ने कहा कि बार कौंसिल द्वारा 17 अप्रैल 2011 को (शेष पेज 15) कोर्ट द्वारा किये जाने वाले निर्णयों, डिक्री व आदेशों में अंग्रेजी के साथ हिंदी के समान रूप से प्रयोग को शासनादेश जारी प्रस्ताव शासन को सौंपा था। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय में हिन्दी के प्रयोग होने से वादकारी व अधिवक्ता लाभान्वित होंगे। उत्तराखंड शासन के राजभाषा अनुभाग ने गत दो मार्च को न्यायालय द्वारा किये जान वाले निर्णयों, डिक्री व आदेशों के लिए अंग्रेजी के साथ हिंदी भाषा का समान रूप से प्रयोग किये जाने के बाबत शासनादेश जारी किया। बार काउंसिल के सदस्यों ने इसे पूर्व सरकार के कार्यकाल में हुआ महत्वपूर्ण फैसला बताया है। बुधवार को बार काउंसिल सभागार नैनीताल में आयोजित पत्रकार वार्ता में बार काउंसिल के सचिव विजय सिंह ने पूर्व अध्यक्ष डा. महेंद्र पाल को आज ही प्राप्त हुए शासनादेश की प्रति की जानकारी दी। डा. पाल ने कहा कि उनका अंग्रेजी से कोई विरोध नहीं है लेकिन खुशी है कि उनकी ओर से शुरू की गई मुहिम सफल रही है। इस शासनादेश के बाद हिंदी में याचिका दायर की जा सकेंगी और अधिवक्ता हिंदी में जिरह कर सकते हैं। उन्होंने शासनादेश के अधिकाधिक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता जताई ताकि लोग इसका लाभ उठा सकें। पत्रकार वार्ता में काउंसिल के सदस्य डीके शर्मा, नंदन कन्याल, मंगल सिंह चौहान, वरिष्ठ अधिवक्ता केएस वर्मा, हाईकोर्ट बार एसोसिऐशन के सचिव विनोद तिवारी, स्टेंडिंग काउंसिल पीसी बिष्ट व मानव शर्मा भी मौजूद रहे।

सोमवार, 19 मार्च 2012

अब सहनी होगी ‘अल नीनो’ की गरमी


नवीन जोशी, नैनीताल। अगले कुछ वर्षो के दौरान गरमी की अधिक मार पड़ सक ती है। मौसम वैज्ञानिक का मानना है कि अधिक गरमी की मार अगले तीन से 10 वर्षो तक हो सकती है। इस दौरान मौसम अपेक्षाकृत अधिक गरम रहेगा। बारिश सामान्य से कम होगी तथा सर्दी सामान्य से कम होगी। ऐसा बीते कुछ दशकों से प्रशांत महासागर से उठकर दुनिया भर में मौसमी बवंडर फैलाने वाली ‘अल नीनो’ नाम की गरम लहरों के कारण होने जा रहा है। 
दीर्घकालीन मौसम वैज्ञानिक कुमाऊं विवि में तैनात यूजीसी के प्रो. बीएस कोटलिया ने यह दावा किया है। कोटलिया के अनुसार दुनिया में धरती से अधिक क्षेत्रफल जल राशि यानी समुद्र का है। धरती का तापमान सबसे पहले समुद्र की सतह पर गड़बड़ाता है, समुद्री लहरें गरम व सर्द जल धाराओं को दुनिया भर में फैलाकर भू सतह के तापमान को प्रभावित करती हैं। अब दुनिया भर के वैज्ञानिक मान चुके हैं कि प्रशांत महासागर से उठने वाली गरम जल धाराएं ‘अल नीनो’ व ठंडी जल धाराएं ‘ला नीना’ दुनिया भर के मौसम को प्रभावित करने वाली सर्वाधिक प्रभावी घटक के रूप बन गई हैं। 1960-70 के दशक से इनकी सबसे पहले पहचान हुई थी। ला नीना व अल नीना का तीन से सात वर्ष तक का चक्र होता है। बीते दो तीन वर्ष ला नीना सक्रिय रहा, इस कारण इस दौरान अधिक बारिश व ठंड रही, तथा गरमी अपेक्षाकृत कम रही। प्रो. कोटलिया का दावा है कि ला नीनो का प्रभावी चक्र अब बीत चुका है, और अल नीनो की बारी आने वाली है। इसके प्रभाव में अगले कम से कम तीन वर्ष अपेक्षाकृत गरम हो सकते हैं। अपने इस दावे के पीछे उनका तर्क है कि अल नीनो के मूल स्थान प्रशांत महासागर में लहरें गर्म होने लगी हैं। कोटलिया बताते हैं कि इतिहास में 1870 से 2000 के बीच कई बार सूखे यानी अधिक गरमी कम बारिश के चक्र 10 वर्ष तक लंबे रह चुके हैं, इसलिये इस बार भी गरमी के चक्र के 10 वर्ष तक खिंचने से भी इंकार नहीं किया जा सकता। बहरहाल, माना जा सकता है कि अगले कुछ वर्ष गर्म हो सकते हैं, और इस दौरान कम मानसून के लिये भी तैयार रहना होगा। 
पश्चिमी विक्षोभ से ला नीना प्रभावित 
यह भी पढ़ें 
इस वर्ष के अध्ययन के बाद प्रो. कोटलिया ने पहली बार दावा किया है कि ला नीना लहरें भारत में मानसून के कारण पश्चिमी विशोभ और ‘इंटर ट्रोपिकल कंवरजेंस जोन’ यानी आईटीसीजेड को प्रभावित कर रही हैं। कोटलिया कहते हैं कि सामान्यतया भारत में मानसून गोवा से उठकर पश्चिम बंगाल से देश की भूसतह में प्रवेश करता है, और बिहार में बाढ़ का कारण बनता है, और आगे यूपी, उत्तराखंड व दिल्ली होता हुआ लद्दाख जाकर समाप्त हो जाता है। इसके उलट विगत वर्ष इसने ला नीना के कारण रास्ता बदला और गोवा से सीधे मुंबई और अंबाला में कहर ढाकर आखिर लद्दाख में पहली बार बाढ़ (बादल फटने) के हालात उत्पन्न किये। उन्होंने बताया कि इस वर्ष ला नीना पुन: सामान्य हो गया था, आईटीसीजेड भी अधिक सक्रिय नहीं हो पाया था। इसी कारण बारिश सामान्य हुई पर आईटीसीजेड जहां-जहां से गुजरा मौसम ठंडा कर गया। 
‘सोलर मैक्सिमम’ से भी हो सकती है गरमी 
खगोल विज्ञान और खासकर सूर्य पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों ने कहा है कि सूर्य की सक्रियता के वर्तमान में चल रहे 24वें चक्र का चरमकाल वर्ष 2012-13 में हो सकता है। स्थानीय एरीज के वरिष्ठ सौर वैज्ञानिक डा. वहाबउद्दीन भी ऐसा मानते हैं। 


रविवार, 18 मार्च 2012

बंद हो गई कुमाऊं के लिए किंगफिशर की उड़ान


औपचारिक रूप से एटीआर-48 को बंद करने की घोषणा, कुमाऊं में पर्यटन प्रभावित होने की आशंका
नवीन जोशी नैनीताल। पंतनगर तक आने वाली हवाई सेवा से किंगफिशर एयरलाइंस ने औपचारिक तौर पर तौबा कर ली है। इसके अलावा यहां के लिए हवाई सुविधा देने का प्रस्ताव भी नहीं है। कुमाऊं मंडल को हवाई सेवा से जोड़ने के लिए पंतनगर हवाई अड्डे में ही सुविधा उपलब्ध है। 1969 में स्थापित इस एयरपोर्ट में 2005-06 में और फिर गत वर्ष हवाई सेवा चली। नैनीताल समेत मंडल में पर्यटन और ऊधमसिंह नगर जनपद में विकसित हुए औद्योगिक क्षेत्र को इस सेवा से लाभ मिला लेकिन बीते दिनों आर्थिक हालत बिगड़ने के बाद किंगफिशर को गत 30 नवम्बर से यहां के लिए संचालित 48 सीटों वाले एटीआर विमान की सेवा बंद करनी पड़ी। पंतनगर एयरपोर्ट अथारिटी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि किंगफिशर की इस सेवा को अच्छी संख्या में यात्री मिल रहे थे। यात्री महीनों पहले भी बुकिंग करा रहे थे। आर्थिक बदहाली के बाद किंगफिशर प्रबंधन ने पंतनगर के लिए एटीआर-48 सेवा को बंद करने की घोषणा कर दी है। एयरपोर्ट निदेशक एमपी अग्रवाल ने इसकी पुष्टि की। साथ ही बताया कि फिलहाल यहां के लिए किसी अन्य विमान सेवा का प्रस्ताव नहीं है। कुमाऊं में पर्यटन सीजन शुरू होने जा रहा है, कुमाऊं मंडल को आने वाले उच्चवर्गीय सैलानी हवाई सेवा का लाभ नहीं ले सकेंगे। इसका नुकसान यहां के पर्यटन को झेलना पड़ेगा। 


राजनीतिक नेतृत्व की रहती है भूमिका
नैनीताल। दिल्ली से पंतनगर तक हवाई सेवा चलाने में दोनों बार राज्य के राजनीतिक नेतृत्व की बड़ी भूमिका रही। पहली बार तत्कालीन सीएम एनडी तिवारी के प्रयासों से अक्टूबर 2005 में जैक्सन एयरलाइंस ने डोरनियर विमान सेवा शुरू की थी यह करीब एक वर्ष चलकर बंद हो गया। गत वर्ष सीएम डा. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के प्रयासों से किंगफिशर एयरलाइंस ने 48 सीटों वाले एटीआर विमान चलाए लेकिन हालात बिगड़ने के बाद किंगफिशर ने 30 नवम्बर से अपनी सेवा बंद कर दी है। सेवा से जुड़े लोगों का मानना है कि राजनीतिक प्रयास हुए तो कुमाऊं के लिए हवाई सेवा को किसी अन्य कंपनी के सहयोग से बहाल कराया जा सकता है।

बुधवार, 14 मार्च 2012

‘विरासत पथों’ पर लीजिये घुमक्कड़ी का लुत्फ

 जनपद में चार विरासत पैदल पथ विकसित करने की योजना 

यह होंगे चार विरासत पथ : 1. पीटर बैरन पथ 2. टैगोर पथ 3. राजभवन पथ 4. वन विहार पथ
नवीन जोशी, नैनीताल। ‘सैर कर दुनिया की गाफिल, जिंदगानी फिर कहां, जिंदगी गर कुछ रही तो नौजवानी फिर कहां।’ ‘घुमक्कड़ी’ के लिए प्रसिद्ध साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन की यह पंक्तियां यदि आपको भी उद्वेलित करती हैं तो प्रकृति का स्वर्ग कही जाने वाली सरोवरनगरी चले आइये। यदि आप यहां पहले भी आ चुके हैं तो भी आपका यहां अगला आगमन आपको प्रकृति के और करीब ले जा सकता है। दरअसल उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के तत्वावधान में जनपद मुख्यालय के साथ ही नजदीकी स्थलों की नैसर्गिक सुंदरता को पूरी तरह महसूस करने के लिए चार ‘विरासत पथों’ की पहचान कर ली गई है और अब इन्हें जल्द विकसित करने की तैयारी है। अमूमन लोग सरोवरनगरी के नगर क्षेत्र को घूमकर ही मान बैठते हैं कि उन्होंने यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को देख लिया, लेकिन ऐसा नहीं है। इस नगर की प्रकृति के स्वर्ग के रूप में वैिक छवि है तो इसलिए कि नगर के निकटवर्ती क्षेत्रों में भी पर्यटन के लिहाज से ‘विरासत’ छिपी हुई है। पूर्व डीएम डा. राकेश कुमार ने इन विरासतों को संरक्षित करने के साथ ही इन्हें सैलानियों को दिखाने का एक रूट मैप तैयार किया था। इधर, उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने भी कुछ इसी तर्ज पर चार ‘विरासत पथों’ को चिह्नित कर लिया है जिन्हें अब विकसित किया जाना है। इनमें पहला विरासत पथ नगर के अंग्रेज खोजकर्ता पीटर बैरन ट्रैक के नाम से जाना जाएगा। यह ट्रैक वही होगा, जिस रास्ते से बैरन के 18 नवम्बर 1839 में पहली बार नैनीताल आने की बात कही जाती है। यह पैदल रूट अल्मोड़ा राजमार्ग पर स्थित रातीघाट नाम के स्थान से नगर के बिड़ला चुंगी नाम के स्थान तक आता है। दूसरा विरासत पथ गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर को समर्पित होगा। इस पथ के जरिये सैलानियों को फलों की घाटी कहे जाने वाले रामगढ़ से टैगोर टॉप से महेश खान होते हुए भवाली के श्यामखेत तक लाया जाएगा। तीसरा पथ राजभवन ट्रैक कहलाएगा, यह पथ मुख्यालय में लैंड्स एंड के करीब सेमीधार से शुरू होकर गौथिक शैली में बने इंग्लैंड के बर्मिघम पैलेस की प्रतिकृति कहे जाने वाले नैनीताल राजभवन तक पहुंचेगा। जबकि चौथे पथ को वन विहार पथ का नाम दिया गया है। यह पथ नगर के निकट नैना पीक स्थित सत्यनारायण मंदिर से नैना पीक होते हुए किलबरी तक जाएगा। जिला साहसिक खेल अधिकारी लता बिष्ट ने बताया कि प्रकृति को अधिक करीब से जानने के लिए परिषद की पहल पर इन विरासत पथों को विकसित करने के प्रस्ताव तैयार कर भेज दिए गए हैं।

मुख्यालय में बनेगी एक और कृत्रिम दीवार
नैनीताल। मुख्यालय में बारापत्थर क्षेत्र की तरह एक और कृत्रिम दीवार तैयार करने की योजना है। जिला साहसिक खेल अधिकारी लता बिष्ट ने बताया कि झीविप्रा के धन से बारापत्थर में बनी दीवार निजी संस्था को सौंप दी जिसका लाभ आमजन को नहीं मिल पा रहा है। इसके उपयोग के लिए सरकारी विभागों को भी 500 रुपये रोजाना प्रति व्यक्ति देने पड़ते हैं। इसलिए पर्यटन विकास परिषद की पहल पर यहां एक और दीवार बनाने के लिए स्थान की तलाश की जा रही है। नगर पालिका से इसके लिए फ्लैट मैदान में स्थान मांगा गया है। कृत्रिम दीवारों पर चढ़ाई करना ओलंपिक स्तर की साहसिक खेल स्पर्धा है, लेकिन नगर में पहले से मौजूद दीवार से यह उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है। देहरादून व मसूरी में भी ऐसी कृत्रिम दीवार बनाने की योजना है।

बजून ट्रैक पर सर्च करने अभियान दल रवाना
नैनीताल (एसएनबी)। जनपद में पंगूट, तुषारपानी, बजून अल्प ज्ञात ट्रैकिंग रूट को लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से 10 सदस्यीय दल सर्च ट्रैक अभियान पर रवाना हो गया। इस पांच दिवसीय अभियान को पूर्व संयुक्त निदेशक पर्यटन गणोश प्रसाद ढौंडियाल ने मल्लीताल पंत पार्क के पास से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। बुधवार को दल के सदस्यों को रवाना करते हुए श्री ढौंडियाल ने मार्ग में खानपान में एहतियात बरतने, टीम भावना से चलने जैसे उपयोगी सुझाव दिये। जिला साहसिक खेल अधिकारी लता बिष्ट ने बताया कि अल्प ज्ञात पर्यटक स्थलों को विकसित करने के उद्देश्य से रवाना हुआ दल पंगूट, तुषारपानी, दौलियाखान, टीट देवी मंदिर, अधोड़ा गांव, बजून व नारायणनगर होते हुए आगामी 18 मार्च को 65 किमी की पैदल यात्रा कर मुख्यालय वापस पहुंचेगा। प्रशिक्षक नरेंद्र कुमार के नेतृत्व में गये अभियान दल में डीएसबी परिसर के पवन कुमार, पंकज, सुशील कुमार, मुकेश कुमार व राहुल भट्ट, चोरगलिया के पूरन पालीवाल, हल्द्वानी के संतोषनाथ व कमल सिंह, ताकुला के मोहित जोशी व जगदीश जोशी शामिल हैं।

रविवार, 11 मार्च 2012

सूर्य पर सौर सुनामी की आशंका बढ़ी


आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वै ज्ञानिक रखे हुए हैं नजर 
नवीन जोशी, नैनीताल। देश-दुनिया के खगोल वैज्ञानिकों की वर्ष 2012 में ‘सोलर मैक्सिमम’ यानी सूर्य पर अपने 11 वर्षीय चक्र की अधिकतम सक्रियता की आशंका सिर उठाती नजर आ रही है। गर्मियां शुरू होने से पूर्व ही सूर्य पर बड़ी (लाखों वर्ग किमी. आकार की) सौर भभूकाएं उठनी शुरू हो गई हैं। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने वर्ष 2003 जैसी ‘सौर सुनामी’, की आशंका जताई है। मालूम हो कि हमारे सौरमंडल की सबसे महत्वपूर्ण धुरी सूर्य है। जिस पर उत्तरी व दक्षिणी ध्रुवों के बीच चुंबकीय तूफान चलते हैं। यही चुंबकीय तूफान वास्तव में सूर्य के इतनी अधिक ऊष्मा के साथ धधकने के मुख्य कारक हैं जिससे पृथ्वी सहित सौरमंडल के अन्य ग्रह भी ऊष्मा, प्रकाश एवं जीवन प्राप्त करते हैं, लेकिन कहते हैं कि एक सीमा से अधिक हर चीज खतरनाक साबित होती है। ऐसा ही सूर्य पर चुंबकीय तूफानों के एक सीमा से अधिक बढ़ने पर भी होता है। चुंबकीय तूफान सूर्य पर पहले सन स्पॉट यानी सौर कलंक उत्पन्न करते हैं, इन्हें बड़ी सौर दूरबीनों के माध्यम से काले बिंदुओं के आकार में देखा जाता है। कई बार यह सौर कलंक धीरेधी रे विलीन हो जाते हैं, परंतु कई बार सौर कलंक आपस में मिलकर बड़े सौर तूफानों का कारण भी बनते हैं। सौर कलंक सूर्य पर असीम अग्नि की लपटें उत्पन्न करते हैं, इन्हें सोलर फ्लेयर या सौर भभूका कहते हैं। सूर्य पर यह सौर भभूका 11 वर्ष के चक्र में घटती-बढ़ती या शांत रहती हैं, जिसे सोलर साइकिल या सौर चक्र कहा जाता है। खगोल वैज्ञानिकों की गणना के अनुसार वर्तमान में 24वां सौर चक्र चल रहा है और वैज्ञानिकों की पूर्व में की गई घोषणाओं के अनुसार अपने चरम यानी ‘सोलर मैक्सिमम’ पर आ पहुंचा है। इसकी पुष्टि वैज्ञानिकों ने अब कर दी है। स्थानीय आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार इस वर्ष जनवरी के दूसरे पखवाड़े से ही सूर्य पर सौर सक्रियता बढ़ने लगी थी। 17 व 19 जनवरी को मध्यम व बड़ी सौर भभूकाओं के बाद 24 जनवरी को सूर्य पर उठी एम-8 श्रेणी की बेहद शक्तिशाली सौर भभूका ने तो वैज्ञानिकों को बेहद डरा दिया था। इसके बाद 14 फरवरी को भी सूर्य से एक बड़ा चुंबकीय तूफान मानो पृथ्वी को अपने आगोश में लेने के लिए बढ़ा था। इधर, पुन: सूर्य पर बड़े सौर कलंक नजर आने लगे हैं जिनका व्यास छह लाख वर्ग किमी तक बड़ा बताया जा रहा है। 
चर्चाएं यहां तक हैं....
नैनीताल। वर्ष 2012 के ‘सोलर मैक्सिमम’ को मीडिया का एक वर्ग माया कलेंडर से भी जोड़कर देखने लगा है। गौरतलब है कि माया कलेंडर में वर्ष 2012 से आगे की तिथियां अंकित न होने से पृथ्वी के समाप्त होने की आशंकाओं को भी काफी बल दिया गया। हालांकि वैज्ञानिक इन आशंकाओं को पूरी तरह कपोल कल्पना बताकर खारिज कर चुके हैं, पर वर्ष 2003 में पिछले सौर चक्र के ‘सोलर मैक्सिमम’ के दौरान सौर तूफान पृथ्वी पर भू-उपग्रह आधारित संचार व्यवस्था, विद्युत ब्रिड व इलेक्ट्रानिक उपकरणों आदि को भारी नुकसान पहुंचा चुके हैं। इस कारण इन सौर तूफानों के लिए ‘सौर सुनामी’ जैसे शब्दों का प्रयोग भी किया जाने लगा है।
आसमान में दिखेगा ‘चांद सा रोशन चेहरा’
बुधवार को बृहस्पति व शुक्र होंगे पास, आयेगा चांद भी करीब गुरु, शुक्र एवं चांद की करीबी।
नैनीताल। खगोल विज्ञान एवं कुदरत की आसमानी खूबसूरती पर नजर रखने वाले लोगों के लिए आगामी सप्ताह कुछ खास रहने वाला है। इस सप्ताह से ही बेहद करीब नजर आ रहे बृहस्पति यानी गुरु एवं शुक्र ग्रह फाल्गुन पूर्णिमा के बाद से पूरे आकार में खिले-खिले नजर आ रहे हैं और चांद के साथ एक विशेष युति बनाएंगे। इस बुधवार को तो एक खास संयोग बनने जा रहा है, जब बृहस्पति व शुक्र ग्रह सूर्यास्त के बाद पूर्व दिशा में आभासीय तौर पर बेहद करीब, केवल तीन डिग्री की दूरी पर होंगे। शाम ढलने के कुछ देर बाद चांद भी उनके करीब आ जाएगा। एरीज के वैज्ञानिकों के अनुसार आगामी 15 मार्च को भी ऐसी स्थिति आएगी, पर तब इनके बीच की दूरी कुछ अधिक होगी।

मंगलवार, 6 मार्च 2012

उत्तराखंड विधान सभा चुनाव परिणाम






उत्तराखंड में हुए विधान सभा चुनावों के चुनाव परिणाम कई बातें साफ़ करने वाले हैं. पहली नजर में इन चुनावों में प्रदेश में न तो भ्रष्टाचार का मुद्दा चला है, और न ही अन्ना फैक्टर. असल में यह चुनाव कुछ अपवादों को छोड़कर नेताओं को अपनी असल हैसियत बताने वाले साबित हुए हैं. 


चुनावों में जनरल काफी हद तक अपनी पारी को जंग जिता गए पर खंडूड़ी खुद की बाजी हार गए.  'खंडूड़ी है जरूरी' का नारा जितना प्रदेश और खासकर मैदानी जिलों में चला, उतना उनकी सीट कोटद्वार में नहीं चल पाया, ऐसे में यहाँ तक कहा जाने लगा कि शायद खंडूड़ी के पहले कार्यकाल में बजी 'सारंगी' को पूरा प्रदेश न सुन पाया हो पर कोटद्वार ने सुन लिया हो. उनकी हार से यहाँ तक कहा जाने लगा है-'खंडूड़ी नहीं रहे जरूरी', वहीँ निशंक पर लगे कुम्भ घोटाले के 'दागों' पर डोईवाला की जनता ने मनो 'दाग अच्छे हैं' कह दिया है.


यहाँ कुमाऊँ में केवल सात विधानसभा क्षेत्रों, सोमेश्वर से अजय टम्टा, डीडीहाट से भाजपा के बिशन सिंह चुफाल, काशीपुर से भाजपा के हरभजन सिंह चीमा, जसपुर से कांग्रेस के शैलेंद्र मोहन सिंघल, अल्मोड़ा से मनोज तिवारी, बागेश्वर से चंदनराम दास एवं जागेश्वर से कांग्रेस के गोविंद सिंह कुंजवाल फिर जीत का शेहरा बंधा पाए। यहाँ 15 सीटों पर भाजपा कब्जा करने में सफल रही, जबकि कांग्रेस ने दस सीटों का आंकड़ा तेरह पर पहुंचाया है, लेकिन दिलचस्प बात यह रही कि वह भी अपनी पांच सीटों को बचा नहीं सकी। पहाड़ पर कांग्रेस औरमैदान में भाजपा मजबूत हुई. 


राज्य के दूसरे चुनावों में भाजपा व कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर रही हैं और त्रिशंकु विधानसभा उभर कर आई है। सत्तारूढ़ दल भाजपा को 31 और कांग्रेस को 32 सीटें मिली हैं। वर्तमान विधानसभा में तीसरी ताकत के रूप में मौजूद बहुजन समाज पार्टी व क्षेत्रीय दल उत्तराखंड क्रांति दल को मतदाताओं ने नकार दिया है। बसपा को पांच सीटें गंवानी पड़ीं, जबकि यूकेडी के हाथ से दो सीटें छिटक गई। विधानसभा चुनाव 2007 में बसपा को आठ व उक्रांद को तीन सीटें मिली थीं, जबकि इस बार उक्रार्द का एक धड़ा-डी अस्तित्व विहीन हो गया है, जबकि दूसरे-पी ने केवल एक सीट जीतकर पार्टी का नामोनिशान मिटने से बचाया है. 700  से अधिक निर्दलीयों में से केवल यह जीते हैं. बेशक यह कांग्रेस के बागी हैं, लेकिन उन्हें चुनाव में टिकट न देने वाली पार्टी के लिए उन्हें सत्ता हथियाने के लिए अपनाना 'थूक कर चाटने' जैसा होगा. 


भाजपा सरकार के मुख्यमंती सहित पांच मंत्री मातबर सिंह कंडारी, त्रिवेंद्र सिंह रावत, प्रकाश पंत, दिवाकर भट्ट, बलवंत सिंह भौंर्याल  चुनावी रन में खेत रहे हैं हो  कांग्रेस  के तिलकराज बेहड़,  पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण, किशोर उपाध्याय, जोत सिंह गुनसोला, काजी निजामुद्दीन जैसे पांच दिग्गजों ने शिकस्त खाई है. वहीँ बसपा के मोहम्मद शहजाद व नारायण पाल, उक्रांद-पी के काशी सिंह ऐड़ी व पुष्पेश त्रिपाठी, रक्षा मोर्चा के टीपीएस रावत, केदार सिंह फोनिया, उत्तराखंड जनवादी पार्टी के मुन्ना सिंह चौहान और निर्दलीय यशपाल बेनाम को हार का सामना करना पड़ा है। उक्रांद के दूसरे धड़े 'डी' यानी डेमोक्रेटिक की 'पतंग' उड़ने से पहले ही कट गयी है. वहीँ 'पी' के कद्दावर नेता ऐड़ी मुख्य मुकाबले से बाहर तीसरे स्थान पर रह गए...


कांग्रेस के युवराज राहुल गाँधी अपने खास प्रकाश जोशी को कालाढूंगी से नहीं जिता पाए तो विकास  पुरुष कहे जाने वाले 'एनडी' अपनी 'निरंतर विकास समिति' को कांग्रेस के हाथो बेचकर खरीदी गयी तीन में से दो सीटें नहीं जीत पाए. उनके भतीजे मनीषी तिवारी गदरपुर में चौथे स्थान पर रहे तो दून से हैदराबाद तक उनके हाथों मनपसंद 'विकास' करने वाले पूर्व ओएसडी आर्येन्द्र शर्मा को भी मुंह की खानी पडी.  अपने निजी हितों के आगे एनडी कितने 'बौने' हो सकते थे, यह इस चुनाव ने प्रदर्शित किया. चर्चा तो यह भी थी कि कांग्रेस कि सत्ता आने पर 'दो-ढाई वर्ष सीएम' बनाने की घोषणा कर चुके एनडी मनीषी से इस्तीफ़ा दिलाकर खुद चुनाव लड़ने की भी सोच रहे थे. 


कांग्रेस के बडबोले (छोटे से प्रदेश में डिप्टी सीएम का राग अलापने वाले) व हैट्रिक का सपना देख रहे बेहड़ की हार की पटकथा तो खैर अहिंसा दिवस के दिन रुद्रपुर में फ़ैली हिंसा के दौरान ही लिख दी गयी थी. बसपा के बड़ा ख्वाब देख रहे नारायण पाल का अपने भाई मोहन पाल के साथ विधान सभा पहुँचाने का ख्वाब भी जनता ने तोड़ दिया. 


स्त्रीलिंगी गृह 'शुक्र' के राज वाले नए विक्रमी संवत ( शुक्र ही नए वर्ष के राजा और मंत्री हैं, लिहाजा महिलाओं को राजनीतिक सत्ता दिला सकते हैं) में अकेले नैनीताल जनपद से कांग्रेस की 'तीन देवियाँ' इंदिरा हृदयेश, अमृता रावत व सरिता आर्य विजय रही हैं, उनके साथ ही शैला रानी रावत कांग्रेस से तथा भाजपा से पूर्व मंत्री विजय लक्ष्मी बडथ्वाल भी जीती हैं, और पहली बार राज्य में महिला विधायको की संख्या पांच पहुंची है. इंदिरा ने तो 42,627 वोट प्राप्त कर रिकार्ड 23,583 मतों के अंतर से जीत दर्ज की है. आगे इनमें से कोई महिला सत्ता शीर्ष पर पहुँच जाए तो आश्चर्य न कीजियेगा.... 

moolatah yahan bhee dekh sakate hain: http://newideass.blogspot.in/

मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012

सच लिखे, कहानियां न बनाये पुलिस : डीजीपी


कहा, पुलिस सिर्फ व्यवस्था का हिस्सा, सजा दिलाना उसका काम नहीं 
कालाढूंगी प्रकरण में सरकार द्वारा मुकदमे वापस लेने पर कोई अफसोस नहीं : पांडे 
नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ज्योति स्वरूप पांडे ने कहा कि पुलिस केवल न्यायिक व्यवस्था का हिस्सा है। उसका काम मामले को अंजाम तक पहुंचाकर किसी को सजा दिलाना नहीं है, वरन न्यायिक व्यवस्था में उसकी भूमिका गेटकीपर की है जिसका कार्य केवल यह देखना है कि कोई मामला न्यायालय तक जाना है या नहीं। उन्होंने पुलिसकर्मियों को ताकीद की है कि वह मामले को मजबूत बनाने के फेर में कहानियां न बनाए, वरन जो सच्चाई हो उसे लिखें। डीजीपी मंगलवार को मुख्यालय स्थित पुलिस लाइन में पत्रकारों से वार्ता के दौरान कालाढूंगी कांड में सरकार द्वारा मुकदमे वापस लिये जाने के सवाल पर प्रतिक्रिया कर रहे थे। उन्होंने कहा कि न्यायिक व्यवस्था का हिस्सा होने के नाते वह मानते हैं कि कई बार दोषी को सजा देना मानवीय एवं कई दृष्टिकोणों से जरूरी नहीं होता। उन्होंने कहा कि पुलिस को किसी घटना की जैसी प्राथमिक सूचना मिले, ठीक वैसी ही जीडी व सीडी में दर्ज करनी चाहिए, न कि कहानी बनानी चाहिए। पुलिस को उन्होंने सभी मामलों को दर्ज करने को कहा, साथ ही जोड़ा कि किस मामले को एफआईआर माना जाए या नहीं, यह कोर्ट का विवेकाधिकार है। उन्होंने ताकीद की झूठी प्राथमिकी दर्ज होने की दशा में निदरेषों का उत्पीड़न न होने पाये। उन्होंने कहा कि हालिया दौर में उन्होंने अधीनस्थ अधिकारियों से अपराध अधिक क्यों हो रहे हैं, व तत्काल अपराधों का खुलासा करने के आदेश देने बंद कर दिये हैं। बस यह पूछा जा रहा है कि आपराधिक मामलों में क्या कदम उठाये जा रहे हैं। माना कि आंकड़ेबाजी के फेर में अपराध दर्ज करने से बचना नहीं चाहिए।
सीसीटीएनएस व डीएनए डाटा बैंक बनाएगी पुलिस 
नैनीताल। डीजीपी जेएस पांडे ने बताया कि आधुनिकीकरण की राह पर तेजी से आगे बढ़ रही उत्तराखंड पुलिस कम्प्यूटर नेटवर्किग के सीसीटीएनएस सिस्टम को जल्द लागू करने और प्रदेश में अपराधियों के डीएनए का डाटा बैंक बनाने की दिशा में चल पड़ी है। सीसीटीएनएस सिस्टम का साफ्टवेयर केंद्र सरकार के स्तर पर तैयार हो रहा है, वहीं अपराधियों के डीएनए का डाटा बेस तैयार करना अभी प्रारंभिक चरण में है। ऐसा होने से अपराधों के खुलासे में खासी आसानी होगी। डीजीपी ने पुलिस को सबसे बड़ा मानव संसाधन आधारित विभाग बताया। उन्होंने कहा कि उनकी सबसे बड़ी कोशिश पुलिस कर्मियों को बेहतर आवास, आवागमन व संचार सुविधा दिलाना है। विभाग में उपनिरीक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया चल रही है, वहीं इंटरमीडिएट पास कांस्टेबलों को ग्रेड-पे देने और उपनिरीक्षकों के पदों पर अधिकाधिक पदोन्नति के अवसर देने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्वक चुनाव निपटाने के बाद राज्य पुलिस मतगणना एवं इसके ठीक बाद आ रहे होली के त्योहार को शांतिपूर्वक निपटाने की तैयारियों में जुटी है। विभाग के पेट्रोल एवं टीए-डीए से संबंधित बिल काफी समय से लंबित हैं। नई सरकार से उम्मीद होगी कि जल्द इन बिलों का भुगतान हो सकेगा।
पुलिसकर्मी लेंगे विधिक जानकारियां
राज्य विधिक प्राधिकरण एवं पुलिस महकमे में बनी सहमति
नैनीताल (एसएनबी)। उत्तराखंड पुलिस के जवानों को अब विधिक जानकारियां भी दी जाएंगी, ताकि कानून-व्यवस्था बनाये रखने के दौरान वह आवश्यक जानकारियों से अपडेट रहें। इस मामले में राज्य पुलिस एवं उत्तराखंड राज्य विधिक प्राधिकरण के बीच सहमति बनी है। राज्य के करीब 26 हजार पुलिसकर्मियों को प्राधिकरण द्वारा आम जनता को विधिक ज्ञान देने के लिए तैयार की गई 34 लघु पुस्तिकाएं (पंफलेट) दी जाएंगी। राज्य के पुलिस महानिदेशक ज्योति स्वरूप पांडे ने बताया कि उत्तराखंड राज्य विधिक प्राधिकरण द्वारा तैयार की गई इन पुस्तिकाओं से वह बेहद प्रभावित हुए। मंगलवार को उन्होंने इस बारे में उत्तराखंड उच्च न्यायालय में प्राधिकरण के अध्यक्ष उत्तराखंड उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल तथा प्राधिकरण के सचिव प्रशांत जोशी से भेंट की जिसके साथ इन पुस्तिकाओं को औपचारिक रूप से राज्य पुलिस को सौंपा गया। डीजीपी ने कहा कि प्रदेश पुलिस के जवान डिक्शनरी की भांति इन पुस्तिकाओं को अपने पास रखेंगे और जरूरत पड़ने पर इनका प्रयोग कर सकेंगे।

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

नैनीताल जू की 'राजकुमारी‘ बनी एरीज की 'महारानी'

नैनीताल (एसएनबी)। नैनीताल जू प्रशासन पिछले कई दिनों से बंगाल टाइगर जोड़े के गोद लेने की प्रकिया के लिए कोशिशों में जुटा था। राष्ट्रीय सहारा में मंगलवार को रॉयल बंगाल टाइगर के इस जोड़े द्वारा इतिहास रचे जाने की दहलीज पर होने संबंधी खबर प्रकाशित होने के बाद चिड़ियाघर प्रशासन की यह मुराद पूरी हो गयी है। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान यानी एरीज इस दिशा में आगे आया है। साथ ही चिड़ियाघर प्रशासन ने मां बनने जा रही मादा टाइगर को ‘राजकुमारी’, का नाम दे दिया है। 
मंगलवार को नैनीताल जू में एरीज के निदेशक प्रो. रामसागर ने प्रभागीय वनाधिकारी पराग मधुकर धकाते की उपस्थिति में रॉयल बंगाल टाइगर के जोड़े में से मादा बंगाल टाइगर को एक वर्ष के लिए गोद लिया। जू प्रशासन ने बताया कि इस मादा बंगाल टाइगर को वर्ष 2008 में रामनगर से घायलावस्था में लाया गया था। यहां इसके उपचार के बाद इसका रखरखाव अच्छी तरह से किया जा रहा है। एरीज के निदेशक प्रो. रामसागर ने इसका अंगीकरण करने का फैसला लिया है। इसका कुल खर्चा दो लाख रुपया सालाना है, जिसे संस्थान की ओर से दिया जाएगा। उनका कहना था कि वह जानवरों से अगाध प्रेम करते हैं व उनके संरक्षण के लिए हमेशा आगे रहते हैं। 
जल्द आयेगी एक्स-रे मशीन 
नैनीताल। पिछले दिनों भुजियाघाट क्षेत्र में घायलावस्था में एक वाहन टक्कर से घायल होने के बाद नैनीताल जू में एक्स-रे की जरूरत महसूस की गयी थी। इसी के चलते जू प्रशासन ने एक मोबाइल वाहन लाने की पहल की है। साथ ही जल्द ही एक्स-रे मशीन को जल्द ही लाने की कोशिश की जा रही है।

नैनीताल जू में रूस से आएंगे लाल पांडा, साइबेरियाई बाघ

हिम तेंदुआ, मोनाल व कस्तूरी मृग जैसे दुर्लभ जीव भी लाए जाएंगे नैनीताल जू में 
साइबेरियाई बाघ के लिए नई दिल्ली स्थित रूसी दूतावास से किया जा रहा संपर्क
देहरादून(एसएनबी)। पंडित गोविंद बल्लभ पंत हाई एल्टीटय़ूड जूलॉजिकल पार्क में पर्यटक जल्द ही ठंडे पर्वतीय क्षेत्रों के कई दिलचस्प और दुर्लभ जानवरों के दर्शन कर सकेंगे। जू में जल्द ही तीन लाल पांडा लाए जाएंगे। यही नहीं चिड़ियाघर आने वाले पर्यटक अब जल्द ही वहां साइबेरियाई बाघ, हिम तेंदुओं, मोनाल और कस्तूरी मृगों को विचरण करते भी देख सकेंगे। तराई केंद्रीय वन प्रभाग हल्द्वानी के डीएफओ व नैनीताल जू के निदेशक डॉ. पराग मधुकर धकाते का कहना है कि इन लाल पांडा को सिक्किम के जूलॉजिकल पार्क से लाया जा रहा है। उनका कहना है कि चिड़ियाघर में जल्द ही मोनाल और कस्तूरी मृग लाने की भी योजना है। मोनाल उत्तराखंड का राज्य पक्षी और नेपाल का राष्ट्रीय पक्षी है। लाल पांडा भालू प्रजाति का संकटग्रस्त जंतु है और यह पूर्वी हिमालय और दक्षिण पश्चिम चीन के जंगलों में पाया जाता है। बिल्ली से कुछ बड़ा यह जानवर ला-भूरे फर वाला और लंबी झबरी पूंछवाला होता है। इसके आगे के पैर छोटे होते हैं और यह ज्यादातर बांस खाता है। दुनिया में अभी केवल 10 हजार लाल पांडा ही बचे हैं जिनमें से अधिकांश चीन के जंगलों में पाए जाते हैं। समुद्रतल से 2100 मीटर ऊंचाई पर स्थित इस चिड़ियाघर का प्रशासन चिड़ियाघर में एक साइबेरियाई बाघ और हिम तेंदुए लाने की कोशिश भी कर रहा है। ये दोनो एक समय चिड़ियाघर का प्रमुख आकषर्ण होते थे लेकिन पिछले साल ज्यादा उम्र के वजह से दोनों की मृत्यु हो गई। करीब दो साल पहले मरी मादा तेंदुआ रानी की मौत के बाद वन विभाग पिछले वर्ष बॉम्बे वेटनरी कॉलेज के जाने माने टैक्सिटर्मिस्ड डॉ. संतोष गायकवाड़ से उसकी ट्रॉफी बनवा चुका है। डॉ. धकाते का कहना है कि साइबेरियाई बाघ लाने के लिए प्रशासन ने भारत सरकार व सेंट्रल जू अथारिटी के मार्फत नई दिल्ली स्थित रूसी दूतावास से संपर्क किया है। इसी के साथ चिड़ियाघर प्रशासन देश के अन्य चिड़ियाघरों से हिम तेंदुओं का जोड़ा लाने के लिए संपर्क कर रहा है।

रविवार, 5 फ़रवरी 2012

केवल पांच-छह फीसद की दर से ही बढ़ रहा नैनीताल का पर्यटन

नवीन जोशी नैनीताल। जी हां, नैनीताल में भले सीजन में पर्यटकों की जितनी बड़ी संख्या, भीड़-भाड़ दिखाई देती हो, पर पर्यटन विभाग के आंकड़े गवाह हैं कि प्रकृति के स्वर्ग कहे जाने वाले व विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी में अपार संभावनाओं के बावजूद केवल पांच से छह फीसद की दर से ही पर्यटन बढ़ रहा है जबकि विभाग आठ से 10 फीसद की दर से पर्यटन बढ़ने की उम्मीद जताता रहा है। 
उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश के रूप में राज्य सरकार द्वारा खूब प्रचारित किया जाता है। नैनीताल, मसूरी व काब्रेट पार्क रामनगर जैसे अपार पर्यटन संभावनाओं वाले अनेक पर्यटन स्थलों वाले प्रदेश में ऐसी संभावनाएं भी मौजूद हैं लेकिन सरकारी उदासीनता के चलते राज्य बनने के बाद पर्यटन विभाग का ठीक से ढांचा ही न बन पाने जैसे कारण राज्य के पर्यटन को गर्त में धकेलते नजर आ रहे हैं। विभाग का न राज्य के पर्यटन व्यवसाइयों पर कोई नियंत्रण है और न वह पर्यटकों की मदद या उन्हें सुविधाएं दिलाने में कोई मदद करता है। केवल योजनाओं के नाम पर सड़क किनारे वीरान पड़े पर्यटक सुविधा केंद्र जरूर खड़े कर दिये जाते हैं। बानगी देखिये, सरोवरनगरी में सैकड़ों की संख्या में होटल व गेस्ट हाउस हैं। इनमें से 144 तो सराय एक्ट में भी पंजीकृत हैं लेकिन इनमें से केवल 72 होटल व 55 पेइंग गेस्ट हाउस ही पर्यटन विभाग को अपने यहां ठहरने वाले सैलानियों के आंकड़े उपलब्ध कराते हैं। इस आधार पर पर्यटन विभाग के सैलानियों संबंधी आंकड़ों को सही मानें तो वर्ष 2010 में 2009 के मुकाबले 37,149 सैलानी अधिक आये जो कि 4.9 फीसद अधिक थे। इसी तरह बीते वर्ष 2011 में 10 के मुकाबले छह फीसद के साथ 47,700 सैलानियों की वृद्धि हुई। यह स्थिति तब है जबकि नगर में पर्यटन सुविधाओं के नाम पर कोई वृद्धि नहीं हुई। इस अवधि में न तो नगर में एक भी अतिरिक्त वाहन पार्किग बनी और न नगर से बाहरी शहरों से ‘कनेक्टिविटी’ के लिहाज से ट्रेनों में कोई वृद्धि हुई। पूछे जाने पर नगर स्थित पर्यटन सूचना केंद्र के अधिकारी बीसी त्रिवेदी मानते हैं कि नगर में आने वाले सैलानियों की वास्तविक संख्या पांच गुना तक भी हो सकती है। उत्तराखंड होटल ऐसोसिएशन के महासचिव प्रवीण शर्मा का भी मानना है कि नगर में बेहतर सुविधाएं, मुंबई, पंजाब व पश्चिम बंगाल से बेहतर आवागमन के साधन हों तो नगर के पर्यटन को पंख लग सकते हैं। पर्यटन व्यवसायी नगर में होटलों की किराया दरें तय न होने, मनोरंजन के लिए फिल्म थियेटर तक न होने जैसे कारणों को भी नगर की पर्यटन विस्तार की रफ्तार के कम रहने का प्रमुख कारण मानते हैं। 
विदेशी सैलानियों की पसंद हैं बसंत और शरदकाल
नैनीताल। बीते वर्षो में सरोवरनगरी में आने वाले विदेशी सैलानियों की संख्या की वृद्धि दर देसी सैलानियों के मुकाबले अधिक रिकार्ड की गई है। वर्ष 2009 व 10 के बीच वृद्धि दर 24.48 फीसद व 2010 व 11 के बीच वृद्धि दर 32 फीसद रही है। विदेशी पर्यटकों के लिए बसंत व शरद ऋ तुएं नगर में पहुंचने के लिए सर्वाधिक पसंदीदा समय रहते हैं। बीते वर्ष की बात करें तो यहां जनवरी में 762, फरवरी में 944, मार्च में 1128, अप्रैल में 1450, मई में 491, जून में 475, जुलाई में 480, अगस्त में 403, सितम्बर में 489, अक्टूबर में 1024, नवम्बर में 1039 तथा दिसम्बर में 725 विदेशी सैलानी पहुंचे।

नैनीताल में वर्षवार आये सैलानियों की संख्या 
वर्ष      देशी सैलानी      विदेशी सैलानी    कुल 
2009   749556          5722               755278 
2010   786705          7123               793828 
2011   834405          9410               843815

मंगलवार, 31 जनवरी 2012

राष्ट्रपिता को शहीदी दिवस पर 'सूखे' श्रद्धा सुमन

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनके शहीदी दिवस (30 जनवरी) पर जिला व कुमाऊं मंडल मुख्यालय नैनीताल में कैसे याद किया गया, यह चित्र इसकी बानगी हैं। यहाँ तल्लीताल डांठ पर स्थापित गांधीजी की आदमकद मूर्ति पर आज नए फूल चढ़ाने तो दूर गत 26 जनवरी से चढ़ाये गए सूखे फूलों को भी नहीं हटाया गया। मुख्यालय में आज शायद रविवार होने कि वजह से परंपरागत तौर पर ऐसे मौके पर सुबह 11 बजे बजने वाला साइरन बजाना भी प्रशासन भूल गया। गांधीजी के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले राजनीतिक दलों के बात-बात पर आसमान सर पर उठाने वाले कार्यकर्ताओं ने भी कहीं कोई सार्वजनिक आयोजन नहीं किया। हाँ, गत 26 जनवरी से ही उनकी मूर्ति के नीचे अपनी मांगों पर सत्याग्रह कर रहे कुमाऊं विश्व विद्यालय के एक सेवानिवृत्त कर्मी ने जरूर आज इस मौके पर अपना आन्दोलन स्थगित रखकर अपनी ओर से 'श्रद्धा सुमन' अर्पित किये। सनद रहे, इसलिए नीचे इस आशय का पोस्टर भी चिपका दिया। 
उल्लेखनीय है कि अपने कुमाऊँ प्रवास के दौरान गांधी जी 14 जून 1929 को इसी स्थान पर आये थे। तब नगर वासियों ने गांधीजी को उनके हरिजन उद्धार कार्यक्रम के लिए इस कदर दिल खोलकर दान दिया था कि गांधीजी अभिभूत हो उठे थे, और इसे जीवन भर याद रखने कि बात कही थी। इधर आज भी यदि गांधीजी की आत्मा यदि कहीं आसपास होगी तो निश्चित ही उन्होंने अपनी मूर्ति की आँखें झुका ली होंगी। 

उल्लेखनीय है की महात्मा गाँधी को तब तत्कालीन गवर्नर मेल्कम हेली ने राज्य अतिथि घोषित किया था, और उनके आतिथ्य व ठहरने का प्रबंध राजभवन में किया गया था, बावजूद वह राजभवन के बजाये निकटवर्ती ताकुला गाँव में गोविन्द लाल साह के घर रुके थे. तभी से इस गाँव को आधिकारिक रूप से 'गांधी ग्राम ताकुला' कहा जाने लगा, लेकिन यह विडम्बना ही कही जायेगी कि वहां भी कभी गांधी जयंती या उनके शहीद दिवस को कोई कार्यक्रम नहीं होते.


यह लेख मूलतः 30 जनवरी २०११ में लिखा गया था, लेकिन इस वर्ष भी हालातों में कोई सुधर या परिवर्तन देखने को नहीं मिला...

मंगलवार, 24 जनवरी 2012

प्रत्याशी ही नहीं समर्थकों की छवि पर भी मतदाताओं की नजर


शैक्षिक स्तर व जागरूकता बढ़ने का भी है असर, आंख-मूंदकर नहीं कर रहे किसी का समर्थन या विरोध
नवीन जोशी, नैनीताल। उत्तराखंड के मतदाताओं में अब वोट को लेकर जागरूकता आ गई है। मतदाता न सिर्फ उम्मीदवार की छवि को आधार बना रहे हैं, बल्कि उनके प्रमुख समर्थकों पर भी नजरें गड़ाएं हैं। छवि बनाने में भी एक पक्षीय निर्णय नहीं लिया जा रहा, वरन तर्क की कसौटी पर भी छवियों को कसने की कोशिश की जा रही है। प्रदेश के मतदाताओं में बढ़े साक्षरता के स्तर को इसका प्रमुख कारण माना जा रहा है।
 इस चुनाव में राज्य की जनता प्रचार के लिए पहुंच रहे उम्मीदवारों से कई सवाल कर रही है। लोग नेताओं से स्थानीय समस्याओं का समाधान पूछ रहे हैं और नेताओं द्वारा किए जा रहे वादों की हकीकत पूछ रहे हैं। यह पहली बार हुआ है कि लोग महज नेताजी का भाषण ही नहीं सुन रहे, उनसे सवाल कर विकास कार्यों का हिसाब भी मांग रहे हैं। जनता अपने विधायक से चाहती है कि वह अपने क्षेत्र से भली-भांति वाकिफ हो, वह विपक्ष में होने जैसे विषम राजनीतिक हालातों में भी स्वयं को स्थापित कर मजबूती से जनता की समस्याओं को विधायिका में रखने में समर्थ हो। विस क्षेत्र और प्रदेश की जनता कमोबेश ऐसी ही कसौटी पर अपने विधायक प्रत्याशियों को कस रही है। ऐसे में यदि किसी प्रत्याशी के समर्थक उनसे अपने पक्ष में मतदान करने को कहते हैं तो कई बार वह प्रत्याशी को लेकर ऐसे सवालात भी कर रहे हैं। यह मतदाताओं के जागरूक होने का संकेत माना जा सकता है। जातीय-क्षेत्रीय आधार पर बात करने वाले समर्थकों को कई बार मतदाता सीधे ‘ना’ कहने से भी गुरेज नहीं कर रहे। प्रत्याशियों के साथ ही उनके समर्थकों की छवि भी देखी जा रही है। ‘अभी से प्रत्याशी ऐसे समर्थकों से घिरा है तो आगे जीतने पर क्या करेगा’ ऐसी चिरौरियां भी पीठ पीछे की जा रही हैं और कई बार इसके उलट अच्छी छवि के समर्थकों पर विश्वास भी जताया जा रहा है कि ऐसे लोग साथ हैं तो आगे भी प्रत्याशी ठीक कार्य ही करेगा। 

महिलाएं निभा रहीं प्रचार में प्रमुख भूमिका
नैनीताल। हालिया दौर में महिलाओं के घर की चौखट से कार्य के लिए बाहर निकलने का असर चुनाव प्रचार पर भी दिख रहा है। पुरुष मतदाता अपने समर्थक प्रत्याशी के खुले समर्थन में आकर अन्य से नाराजगी मोल नहीं लेना चाहते और चुनाव प्रचार से दूर ही रहते हैं। वहीं निम्न- मध्यम के साथ ही उच्च-मध्यम वर्ग की महिलाएं आजादी का लुत्फ चुनाव प्रचार में अपनी बढ़-चढ़कर भागेदारी निभाकर ले रही हैं। घर-घर चल रहे प्रचार- कैंपेनिंग में महिलाओं का उपयोग प्रत्याशियों को भी सहज एवं प्रभावी लग रहा है। मतदाता भी उनकी बात अधिक सहजता से सुन रहे हैं।

सोमवार, 23 जनवरी 2012

भाजपा का अगला कार्यकाल पहाड़ को होगा समर्पित : बचदा


पीपीपी मोड में 50 हजार करोड़ रुपये के निवेश से पहाड़ में उद्योग व किसानों को सस्ते लोन देने का वादा
जल, जंगल, जमीन के मुद्दे पर पार्टी को बेहद सचेत बताया
नैनीताल (एसएनबी)। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं चुनाव घोषणा पत्र समिति के संयोजक बची सिंह रावत ‘बचदा’ ने कहा कि वर्तमान कार्यकाल में भाजपा ने मैदानी क्षेत्रों में विकास की गंगा बहाई है जबकि अगला कार्यकाल पर्वतीय क्षेत्रों के विकास के नाम रहेगा। पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र का हवाला देते हुए उन्होंने पीपीपी मोड में पहाड़ पर 50 हजार करोड़ रुपये का निवेश करवाने, औद्योगिक विकास करने, लघु एवं सीमांत किसानों को महज दो फीसद ब्याज पर कृषि ऋ ण देने तथा चार लाख हेक्टेयर बेनाप रक्षित वन भूमि का प्रबंधन कर विकास कायरे को गति देने एवं भूमिहीनों को भूमि देने तथा फलों के बीमा की योजना लाने जैसे कई वायदे किये हैं। सोमवार को नगर के पत्रकारों से वार्ता में बचदा ने कहा कि भाजपा उत्तराखंड की अवधारणा से जुड़े मुद्दों के प्रति खासी सचेत है। खेती, किसान और भूमि भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र में प्रमुख मुद्दे हैं। वर्ग चार जैसी भूमि पर दशकों से काबिज लोगों को स्वामित्व परिवर्तन के अधिकार दिये जाएंगे। सरकार ने 1893 के अंग्रेजों के जमाने के कानून को समाप्त कर करीब चार लाख हेक्टेयर बेनाप रक्षित भूमि को मुक्त कराया है, अब अगले कार्यकाल में इसका प्रबंधन करेंगे। इस मौके पर पार्टी जिलाध्यक्ष भुवन हरबोला, विस संयोजक बालम मेहरा, जिला मंत्री विवेक साह, मनोज साह, मनोज जोशी, हिमांशु जोशी आदि भी मौजूद थे। 

निशंक का बचाव किया 
नैनीताल। भाजपा के वरिष्ठ नेता बची सिंह रावत ने टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल द्वारा पूर्व सीएम डा. निशंक पर की गई टिप्पणी पर पार्टी के पूरी मजबूती से उनके साथ होने की बात कही। उन्होंने कहा कि निशंक उतने ही पाक-साफ हैं, जितना कोई और। उन्होंने कहा कि कायरे में अनियमितता हो सकती है पर भ्रष्टाचार का सवाल ही नहीं है। उन पर आरोप लगाने वालों को पहले शिकायत दर्ज करनी चाहिए।
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नैनीताल में कांग्रेस पर 21 वर्ष का बनवास तोड़ने की चुनौती

मंडल मुख्यालय की महत्वपूर्ण सीट पर भाजपा-कांग्रेस में सीधी टक्कर के आसार  
नवीन जोशी, नैनीताल। कुमाऊं की नैनीताल सुरक्षित सीट पर भाजपा के हेम आर्य और कांग्रेस की सरिता आर्य के बीच सीधी टक्कर के आसार हैं जबकि बसपा त्रिकोण बनाने की कोशिश में है। वि प्रसिद्ध पर्यटन नगरी की इस सीट पर कांग्रेस को 21 वर्ष के वनवास को तोड़ने की तथा भाजपा के समक्ष अपनी मौजूदा सीट को प्रत्याशी बदलने के बाद भी बरकरार रखने की चुनौती है। मंडल मुख्यालय होने के नाते नैनीताल सीट पर देश-प्रदेश की नजर रहती है, इस लिहाज से यह सीट प्रदेश की महत्वपूर्ण सीटों में शुमार है। देश-दुनिया के सैलानी यहां तनाव-समस्याओं का बोझ उतारने के लिए आते हैं, तो खासकर सीजन में नगरवासियों को सैलानियों की अधिक संख्या का दंश झेलना पड़ता है। सैलानियों के वाहनों के बीच नगरवासियों के पैदल निकलने तक को जगह नहीं मिलती और उनके हिस्से की पेयजल आपूर्ति भी सैलानियों के लिए होटलों को कर दी जाती है। पर्यटन से अधिक लाभ कमाने वाले होटलों पर किसी का नियंत्रण नहीं है, उनकी दरें तक तय नहीं जबकि नाव, रिक्शे, घोड़े व टैक्सी वालों की दरें तय कर शिंकजा कसा हुआ है। निकटवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में ‘दीपक तले अंधेरा’ जैसी स्थिति है, उनकी बिजली, गैस जैसी सुविधाएं शहर हड़प जाता है तो बिना शुद्ध पानी के लिए सूखे प्राकृतिक जल स्रेतों पर ही निर्भरता रहती है। इधर हालिया परिसीमन में नैनीताल सीट अनुसूचित कोटे में चली गई है, साथ ही परिसीमन से यहां का भूगोल बदल गया है। एक हिस्सा कटकर कालाढूंगी में चला गया है जबकि खत्म हुई मुक्तेर का बेतालघाट-कोश्यां कुटौली का हिस्सा इस सीट में जुड़ गया है। कालाढूंगी से भाजपा ने पिछले विस चुनावों में भाजपा के खड़क सिंह बोहरा की तथा बेतालघाट ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य को विस पहुंचाने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। इधर नगर क्षेत्र में उक्रांद के पूर्व विधायक डा. नारायण सिंह जंतवाल बीते दो चुनावों में बढ़त हासिल करते रहे। अब जबकि जंतवाल मैदान में नहीं हैं, ऐसे में उक्रांद के वोटरों के समक्ष भाजपा व कांग्रेस में से एक को चुनने का असमंजस है। नैनीताल सीट में 50,297 पुरुष व 44,063 महिला मतदाता हैं जिनमें क्षेत्रीय आधार पर नैनीताल नगर क्षेत्र में करीब 29,052, भवाली में करीब साढ़े 15 हजार, बेतालघाट क्षेत्र में 14 हजार, गरमपानी क्षेत्र में 21 हजार, खुर्पाताल में तीन हजार तथा कोटाबाग के पर्वतीय क्षेत्रों में करीब आठ हजार मतदाता निवास करते हैं, इनमें सर्वाधिक 37 हजार के करीब क्षत्रिय, 28 हजार ब्राह्मण, 18 हजार अनुसूचित जाति, 11 हजार मुस्लिम तथा करीब एक हजार सिख व अन्य अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाता हैं। 1986 में चुनाव जीते किशन सिंह तड़ागी इस सीट से आखिरी कांग्रेसी विधायक रहे। 91 की रामलहर से लगातार तीन चुनाव भाजपा के बंशीधर भगत यहां से चुनाव जीते। 2002 में उक्रांद प्रत्याशी डा. नारायण सिंह जंतवाल ने भाजपा से यह सीट झटक ली। गत 2007 के विस चुनावों में भाजपा के खड़क सिंह बोहरा ने पुन: यह सीट हासिल कर भाजपा का एक बार पुन: नैनीताल से परचम फहराया। एंटी इनकम्बेंसी की बात करें तो नैनीताल विस के पुराने हिस्से में क्षेत्रीय भाजपा विधायक बोहरा को लेकर तथा मुक्तेर के हिस्से में वहां के सिटिंग विधायक कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल आर्य के खिलाफ मतदाताओं में एक हद तक नाराजगी दिखती है। पर्यटन नगरी होने के कारण नगर क्षेत्र में जहां आम लोग खासकर सीजन के दिनों में पर्यटकों के भारी संख्या में आने के कारण परेशानी महसूस करते हैं, व नगर की सड़कों- चौराहों के चौड़ीकरण, पार्किग स्थलों के विकास, नगर में साफ-सफाई, जिला अस्पताल में बेहतर सुविधाएं व डॉक्टरों की तैनाती जैसी प्रमुख आवश्यकता मानते हैं, और पर्यटन व्यवसायी नगर को बेहतर ‘कनेक्टिविटी’, मनोरंजन के लिए सिनेमा हॉल न होने जैसी समस्याएं गिनाते हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्र के लोग चाहते हैं कि उन्हें भी ग्रामीण पर्यटन के जरिये पर्यटन नगरी के करीब होने का लाभ मिले। मुख्यालय आने- जाने को यातायात की सस्ती सुविधाएं सुलभ कराई जाएं। गांव व शहर के बीच की चौड़ी खाई को पाटने की भी ग्रामीण आवश्यकता जताते हैं। बहरहाल, नगर में चुनाव प्रत्याशी की छवि को लेकर तथा ग्रामीण क्षेत्रों में किये गये कायरे और भविष्य में उससे कार्य कराये जा सकने की संभावनाओं पर निर्भर हो चला है। बसपा के संजय कुमार भी मुकाबले को तीसरा कोण देने की कोशिश में हैं, जबकि उक्रांद-पी से विनोद कुमार, सपा से देवानंद व निर्दलीय पद्मा देवी भी मैदान में हैं।
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शनिवार, 21 जनवरी 2012

प्रत्याशी आजमा रहे ‘माउथ पब्लिसिटी’ का फंडा

मोहल्लों-पड़ावों  के दुकानदारों को मिल रहीं प्रत्याशी की बढ़त बताने को गड्डियां                     


नवीन जोशी,  नैनीताल। राम सिंह जी की कालाढूंगी रोड पर एक दुकान है। एक प्रत्याशी उन्हें गड्डी पकड़ा गया है। बोल कर गया है कि वह चाहे उसे वोट दे या न दे, लेकिन उसे दुकान पर आने वाले ग्राहकों के पूछने या चर्चा करने पर कहना है कि वह (गड्डी देने वाला प्रत्याशी) जीत रहा है। राम सिंह जितना पूरे दिन में नहीं कमा पाते, केवल बातें करने के कमा रहे हैं। क्षेत्र में ‘माउथ पब्लिसिटी’ का यह नया फंडा खूब चल रहा है। चुनाव में प्रत्याशी अपनी जीत के लिए हर तरह का हथकंडा अपनाते हैं। प्रबंध गुरु कहते हैं कि किसी भी वस्तु या सेवा की मांग बढ़ाने में ‘माउथ पब्लिसिटी’ सबसे कारगर हथियार साबित होती है। आप नई गाड़ी खरीदने जा रहे हैं, लेकिन आपको गाड़ी के बारे में कोई जानकारी नहीं है, तो किसी न किसी से जरूर पूछेंगे कि कौन सी गाड़ी बेहतर होगी। पहले दो-तीन लोगों ने आपको जो गाड़ी बेहतर बता दी, वह आपके मन मस्तिष्क में बैठ जाएगी और उसे आप खरीद लाएंगे। ऐसे ही यह भी हो सकता है कि किसी गाड़ी के बारे में बुरी ‘फीड बैक’ आये और आप चाहते हुए भी उसे न लें। हमारा देश भावना प्रधान लोगों का देश है, और खासकर राजनीति में भावनाओं के आधार पर ही प्रत्याशियों व पार्टियों की अच्छी-बुरी छवि बना करती है। दो दशक पूर्व गणोश जी के दूध पीने और अभी हाल में लखनऊ में सोते ही बुत में तब्दील होने जैसी अफवाहें माउथ पब्लिसिटी के कारण ही इतनी अधिक चर्चा में रहीं। इसी फंडे पर क्षेत्र की एक पार्टी भी अमल कर रही है। उसके प्रत्याशी पूर्व में भी इस फंडे को आजमा चुके हैं। अब उनकी पार्टी इस चुनाव में भी इस फंडे को आजमा रही है, और बताया जा रहा है कि इस फंडे पर बीते कुछ दिनों में उनकी पार्टी ने ठीक-ठाक बढ़त भी बना ली है। आगे देखने वाली बात यह होगी कि माउथ पब्लिसिटी का यह फंडा यहां के चुनाव परिणामों को किस तरह प्रभावित करता है।
जिसकी पी दारू उसकी बताई हवा
नैनीताल। बाहर से देखने में इस बार के विस चुनाव भले चुनाव आचार संहिता के भय से जितने साफ- सुथरे चल रहे हों, परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसा नहीं है। वहां कच्ची-पक्की दारू खूब बंट रही है, साथ ही बाहर से मुग्रे ले जाने में आयोग की नजर पड़ने के भय से ग्रामीण क्षेत्रों में ही पलने वाले बकरों का मतदाताओं को भोग लगाया जा रहा है। "क्या है रुझान" पूछने पर मतदाता पहले सामने वाले को भांपता है, और फिर उसी के पक्ष में ‘हवा’ होने की बात कहने लगता है।


मजदूर संभाल रहे चुनाव प्रचार की बागडोर
नाम वापसी से अब तक कुमाऊं में 50 करोड़ का कारोबार प्रभावित
गौरव पाण्डेय, हल्द्वानी। चुनावी सरगर्मी के बीच बाजार से मजदूर गायब हो गये हैं। इसके चलते कई कारोबारी गतिविधियां ठप हो गई हैं। नाम वापसी से अब तक कुमाऊं में इससे 50 करोड़ से अधिक का कारोबार प्रभावित होने का अनुमान है। यह स्थिति मतदान के कुछ दिन बाद तक बनी रह सकती है। दरअसल मजदूर प्रत्याशियों के चुनावी अभियान की बागडोर संभाले हुए हैं। एक अनुमान के मुताबिक कुमाऊं में करीब चार लाख मजदूर हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, दिल्ली आदि के साथ ही नेपाली मजदूर भी शामिल हैं, जबकि कई स्थानीय मजदूर हैं। ये मजदूर निर्माण, परिवहन, कैटरिंग, खनन, साज-सज्जा, उद्योग समेत तमाम कारोबारों से जुड़े हैं, लेकिन इन दिनों इनका टोटा है। यह सिलसिला जनवरी से शुरू हुआ था। बाजार से मजदूर लगभग पूरी तरह गायब हो गए हैं। इससे कारोबारियों के साथ ही आम लोगों के लिए भी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। मजदूर उपलब्ध न होने से तमाम व्यवसाय ठप से हो गए हैं। इससे कारोबार में लगातार गिरावट आ रही है। जानकारों का मानना है कि कुमाऊं में अब तक इससे 50 करोड़ से अधिक का कारोबार प्रभावित हुआ है। सर्वाधिक असर निर्माण क्षेत्र पर पड़ा है। छोटे कारोबारी ज्यादा हलकान हैं। दूसरी ओर मजदूर इन दिनों लोकतंत्र के पर्व में मौज काट रहे हैं। ये विभिन्न राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और निर्दलीय प्रत्याशियों के चुनाव में मशगूल हैं और प्रत्याशियों की गैदरिंग का एक बड़ा आधार बने हुए हैं। इन्हें प्रत्याशियों के जनसंपर्क, चुनावी सभा, दावतों में देखा जा सकता है। कई प्रत्याशियों ने मजदूरों को ठेकेदारों के मार्फत मतदान तक बुक कर लिया है। इससे माह भर कारोबारी गतिविधियों के ठप रहने के आसार बने हुए हैं।

शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

'भीम की नगरी‘ में चुनावी ’महाभारत‘


भाजपा ने लिया अपने कैबिनेट मंत्री का टिकट कटाने का जोखिम तो कांग्रेस ने भी ली है मजबूत क्षत्रपों की नाराजगी 
मूलभूत समस्याओं से ग्रस्त है क्षेत्र, नुमाइंदे बाहर रहकर करते हैं  क्षेत्र की नेतागिरी, प्रत्यासियों मैं भी अधिकाँश के बाहर ही हैं ठौर-ठिकाने 
नवीन जोशी, नैनीताल। द्वापर युग के महाबली भीम की नगरी भीमताल में विस चुनाव की महाभारत शुरू हो गयी है। अपार पर्यटन संभावनाओं के इस क्षेत्र में जनता आदिम युग सरीखी समस्याएं झेलने को विवश है। विस चुनाव में 12 प्रत्याशी मैदान में हैं, पर उनमें से क्षेत्र में स्थाई तौर पर रहने वाला प्रत्याशी ढूंढना आसान नहीं है। यह संयोग ही है कि इस बार विस चुनाव में महाभारत की भांति ही नामांकन पत्रों की जांच के दिन यानी 13 जनवरी के बाद से चुनाव तक महाभारत की भांति 18 दिन का ही समय मिला है। बावजूद अभी चुनाव परिणामों पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। भाजपा ने कुमाऊं की इस सीट पर मौजूदा विधायक काबीना मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट का टिकट काट कर नये चेहरे रामगढ़ के ब्लाक प्रमुख दान सिंह भंडारी को टिकट देने का जोखिम उठाया, जबकि कांग्रेस ने भी कुछ ऐसी ही राह पर चलते हुए पार्टी के दमदार प्रत्याशियों शेर सिंह नौलिया व पुष्कर मेहरा को ठुकराकर ओखलकांडा की ब्लाक प्रमुख के पति राम सिंह कैड़ा पर दांव आजमाया। भीमताल सीट पर 47,007 पुरुष एवं 39,894 महिलाओं सहित कुल 86,901 मतदाता चुनाव के दौरान भावी विधायक चुनने के लिए भाग्य विधाता की भूमिका में हैं। जातिगत आधार पर बात करें तो क्षेत्र में सर्वाधिक 45 हजार क्षत्रिय व 30 हजार ब्राrाण हैं जिनका वोट इस सीट पर निर्णायक हो सकता है। 12 हजार अनुसूचित तथा अन्य वगरे के मतदाता भी प्रभावी भूमिका में हैं। मुद्दों-समस्याओं की बात करें तो ओखलकांडा जनपद का दूरस्थ और समस्याओं से घिरा क्षेत्र है। गर्मियों के दौरान प्रशासन यहां घोड़े-खच्चरों से पेयजल उपलब्ध कराने का प्रयास करता है। मोबाइल के सिग्नल मिलना भी यहां कठिन होता है। ग्रामीण जीपों में किसी तरह लद कर आवागमन करने को मजबूर हैं। पूरे ब्लाक में स्कूलों में शिक्षक व अस्पतालों में चिकित्सक नहीं मिलते। ऐसे में हरीशताल-लोहाखाम ताल जैसे अनछुए पर्यटन स्थलों की अपार संभावनाओं वाले इस क्षेत्र के लोग किसी बड़े सपने को देखने की स्थिति में भी नहीं हैं। 

मंगलवार, 17 जनवरी 2012

कालाढूंगी के चक्रव्यूह में फंस गये भाजपा के "बंशीधर"



चुनाव समीक्षा : कालाढूंगी विस क्षेत्र
भगत के लिए आसान नहीं जीत की राह, घिरे हैं चतुष्कोणीय मुकाबले में

प्रदेश की सर्वाधिक मुश्किल सीटों में है कालाढूंगी, 11 में से छह प्रत्याशी हैं मुकाबले में, 
नवीन जोशीनैनीताल। कालाढूंगी विस सीट को यदि प्रदेश की सर्वाधिक फंसी हुई सीट कहें तो अतिशयोक्ति न होगी। यहां विस चुनाव का बिगुल बजने से कहीं पूर्व दावेदारों का ‘संघषर्’ शुरू हो गया था। खासकर भाजपा- कांग्रेस के दावेदार इस सीट को ‘हॉट केक’ मानकर गटक जाने के ऐसे अतिविास में देखे गये कि मानो उन्हें टिकट मिला और उनका विधायक बनना निश्चित हो। टिकट पाने को सर्वाधिक सिर-फुटव्वल इस सीट पर देखी गई। अब जबकि पार्टियों के प्रत्याशी नामांकन करा चुके हैं, तब यह संघर्ष दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है। 11 में से छह प्रत्याशी मुकाबले में हैं लेकिन आखिर में भाजपा, कांग्रेस, बसपा और निर्दलीय महेश शर्मा के बीच चतुष्कोणीय मुकाबला सिमट सकता है। ऐसे में इस सीट के प्रमुख भाजपा प्रत्याशी काबीना मंत्री बंशीधर भगत के बारे में कहा जा सकता है शेर अपनी मांद में घिर गया है। कालाढूंगी विस सीट के लिए पहली बार चुनाव हो रहा है। हल्द्वानी तथा पर्यटन नगरी नैनीताल-रामनगर के बीच होने के बावजूद विकास यहां कोसों दूर रहा है। उत्तराखंड बनने के बाद भी हालात में सुधार नहीं हुआ। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने कालाढूंगी को प्रदेश का पहला हाईटेक पालिटेक्निक बनाने तथा वर्तमान सरकार ने रोडवेज बस अड्डा, मिनी स्टेडियम व गैस गोदाम बनाने जैसे ख्वाब दिखाए थे लेकिन पूरे नहीं किए। राज्य बनने और उससे पूर्व से यह सीट नैनीताल सीट का हिस्सा रही है। बीते 21 वर्षो से नैनीताल में शामिल इस सीट पर कांग्रेस नहीं जीत पाई है। 1986 में चुनाव जीते किशन सिंह तड़ागी इस सीट से आखिरी कांग्रेसी विधायक रहे। 91 की रामलहर से लगातार तीन चुनाव भाजपा के वर्तमान काबीना मंत्री बंशीधर भगत यहां से जीते। 2002 में डा. नारायण सिंह जंतवाल उक्रांद के टिकट पर भाजपा से यह सीट झटकने में सफल रहे लेकिन गत 2007 के विस चुनाव में भाजपा के खड़क सिंह बोहरा ने पुन: यह सीट हासिल कर भाजपा का एक बार पुन: नैनीताल से परचम फहराया। अब भगत क्षेत्र से चौथी और जंतवाल दूसरी जीत की कोशिश में फिर मैदान में हैं। इस क्षेत्र की खासियत रही है कि यहां की जनता जीतने वाले प्रत्याशी को वोट देती आई है। यानी जो भी विधायक जीतता है, इस क्षेत्र में उसे बढ़त मिली होती हैं। इसी कारण नैनीताल के वर्तमान विधायक खड़क सिंह बोहरा और पूर्व विधायक डा. नारायण सिंह जंतवाल ने यहां से दावेदारी की थी। नई सीट होने, नैनीताल सीट के सुरक्षित घोषित हो जाने तथा हल्द्वानी सीट के शहर क्षेत्र में ही सीमित हो जाने के कारण भाजपा- कांग्रेस सहित उक्रांद में यहां एक से अधिक दावेदार टिकट हासिल करने को ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहे थे। भाजपा से काबीना मंत्री बंशीधर भगत और कांग्रेस से राहुल गांधी के करीबी बताये जा रहे प्रकाश जोशी के मैदान में आने से यह सीट प्रदेश की वीआईपी सीटों में शुमार हो गई है। भगत क्षेत्र में अपने संपकरे, पार्टी के कैडर मतदाताओं तथा पिछले विस चुनाव के अलावा लोस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत के बावजूद भाजपा प्रत्याशी को मिली बढ़त तथा स्वयं की लगातार तीन जीतों के आधार पर यहां जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन पार्टी के अन्य दावेदारों क्षेत्रीय विधायक बोहरा व भाजयुमो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गजराज बिष्ट की नाराजगी उनकी राह में बाधा बनी हुई है। दोनों दावेदारों ने क्षेत्र से चुनाव प्रचार करने से तौबा कर रखी है, ऐसे में वह भगत को नुकसान कितना पहुंचाएंगे, यह भगत की जीत-हार पर निर्भर करेगा। कांग्रेस से ‘पैराशूट प्रत्याशी’ बताये जा रहे प्रकाश जोशी की ऊर्जा स्वयं को स्थानीय साबित करने में लगी हुई है जबकि समर्थक उन्हें राहुल गांधी का नजदीकी होने का दावा कर क्षेत्र में विकास की गंगा बहा देने का ख्वाब दिखाकर जनता को अपने पक्ष में करने के प्रति आस्त हैं। कांग्रेस के बागी निर्दलीय उम्मीदवार जिला पंचायत अध्यक्ष कमलेश शर्मा के पति महेश शर्मा भगत के ही गृह क्षेत्र सर्वाधिक 65000 की जनसंख्या वाले ‘भाखड़ा वार’ में अच्छा दखल रखते हैं। उन्होंने क्षेत्र में बीते एक-दो वर्षो से अच्छी मेहनत की है, ऐसे में वह कांग्रेस प्रत्याशी के साथ ही भगत को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसी भाखड़ा वार क्षेत्र निवासी जिपं सदस्य भूपेंद्र सिंह उर्फ भाई जी भी निर्दलीय उम्मीदवार हैं। उनकी भी खासकर युवा वर्ग में काफी पैठ बताई जा रही है। इस क्षेत्र में रक्षा मोर्चा के सुरेंद्र निगल्टिया, निर्दलीय कांग्रेस से जुड़े वीर सिंह भी मैदान में हैं। दूसरी ओर 45000 की आबादी वाले ‘भाखड़ा पार’ क्षेत्र जिसमें कालाढूंगी नगर भी शामिल है, बाहरी-भीतरी का मुद्दा अधिक दिखाई दे रहा है। यहां बसपा प्रत्याशी दीवान सिंह बिष्ट सबसे पहले पार्टी प्रत्याशी घोषित होने, अनुसूचित वर्ग के करीब 20 हजार तथा क्षत्रिय समुदाय के सर्वाधिक 51 हजार से अधिक वोट होने व स्वयं अकेले दमदार क्षत्रिय प्रत्याशी होने के आधार के साथ मजबूत दिखते हैं। क्षेत्र में साढ़े तीन हजार मुस्लिम, छह हजार पंजाबी, साढ़े चार हजार वैश्य के अलावा 15 हजार ब्राह्मण भी प्रभावी भूमिका में हैं। कांग्रेस, भाजपा, उक्रांद प्रत्याशी और निर्दलीय महेश शर्मा आदि के भी ब्राrाण होने के कारण वह किसी एक के पक्ष में मतदान करेंगे कहा नहीं जा सकता। निर्दलीय जनार्दन पंत, तृणमूल कांग्रेस के फिदाउर्हमान, सपा के उमेश शर्मा भी मैदान में हैं।
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मंगलवार, 10 जनवरी 2012

30 को शर्तिया होगी बर्फबारी: कोटलिया

ऊंची चोटियों सहित बागेश्वर की घाटियों तक होगी बर्फबारी
नवीन जोशी नैनीताल। मौसम वैज्ञानिक कुमाऊं विवि के भू-विज्ञान विभाग में यूजीसी के प्रोफेसर बीएस कोटलिया का दावा है कि उत्तराखंड में विस चुनाव की तिथि (30 जनवरी) को भारी बर्फबारी होगी। इस दिन न केवल ऊंची चोटियों वरन बागेश्वर जैसी घाटी के स्थान तक बर्फ गिर सकती है। कोटलिया 30 को चुनाव हो पाने के प्रति भी आशंकित हैं। इसके साथ ही उनका दावा है कि जनवरी के मुकाबले फरवरी में अधिक सर्दी व बर्फबारी होने वाली है। उनका दावा है कि इस वर्ष उत्तराखंड में ठंड का 50 वर्षो का रिकार्ड टूट चुका है और ठंड से अभी निजात नहीं मिलेगी। 
प्रदेश के साथ ही देश-विदेश में गुफाओं में पायी जाने वाली शिवलिंग के आकार की चट्टानों के जरिये हजारों वर्ष पूर्व के इतिहास पर अध्ययन करने वाले प्रो. कोटलिया ने ‘राष्ट्रीय सहारा’ से बातचीत में यह दावे किये। इससे पूर्व वह वर्ष 2007 के सर्वाधिक गर्म वर्ष होने, 2011 में 50 वर्ष की सर्दी के रिकार्ड टूटने जैसी मौसम संबंधी भविष्यवाणियां भी कर चुके हैं। प्रदेश में कई हजारों वर्ष पुरानी गुफाओं को खोजने का श्रेय भी उन्हें जाता है। इधर उन्होंने ताजा दावा उत्तराखंड में होने जा रहे विस चुनाव को लेकर किया है। उन्होंने आशंका जताई है कि तय तिथि पर चुनाव नहीं हो पाएंगे। उन्होंने दावा किया कि 30 जनवरी को प्रदेश के नैनीताल, मुक्तेश्वर, कपकोट, गोपेश्वर, जोशीमठ जैसे ऊंचाई वाले सभी क्षेत्रों में बर्फबारी होगी जबकि बागेश्वर जैसी घाटी तक भी बर्फबारी हो सकती है। उन्होंने बताया कि उनके पास मुक्तेश्वर के 130 वर्षो के मौसम संबंधी रिकार्ड उपलब्ध हैं जो इस वर्ष टूट चुके हैं। 
11 वर्ष में सौर चक्र से भी प्रभावित होता है मौसम  
प्रो. कोटलिया के अनुसार धरती पर प्रकाश के साथ ऊष्मा यानी गर्मी के सबसे बड़े श्रोत सूर्य की सक्रियता का चक्र 11 वर्ष का होता है और यह सक्रियता पृथ्वी पर सर्दी-गर्मी को बढ़ाने वाली भी साबित होती है। इस आधार पर भी वर्ष 2003-04 में पड़ी सर्दी की 11 वर्ष बाद 2011-12 की सर्दियों में पुनरावृत्ति होने की वैज्ञानिकों को आशंका है। कोटलिया के अनुसार उनके द्वारा किये गये हजारों वर्ष के मौसम के अध्ययन में 11 वर्षीय मौसमी चक्र की पुष्टि हुई है। 
ला-निना का भी है प्रभाव 
इस वर्ष हो रही भारी बर्फबारी व कड़ाके की ठंड प्रशांत महासागर से उठने वाली ला-निना नाम की सर्द हवाएं भी बताई जा रही हैं। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार प्रशांत से उठने वाली गर्म हवाएं-अल निनो व सर्द हवाएं-ला निना दुनिया भर के मौसम को प्रभावित करती हैं। दो से सात वर्षो में इसका प्रभाव बढ़ता है।
मूलतः यह समाचार इस लिंक को क्लिक कर राष्ट्रीय सहारा के 11 जनवरी 2012 के अंक के प्रथम पृष्ठ पर देखा जा सकता है 

शुक्रवार, 6 जनवरी 2012

नैनीताल में रोचक रहेगा कांग्रेस का ‘तीन देवियों’ पर दांव


नवीन जोशी, नैनीताल। कांग्रेस ने विधानसभा के लिए जनपद की छह में से तीन सीटों पर महिलाओं को टिकट दिया है। नैनीताल सीट पर पूर्व पालिकाध्यक्ष सरिता आर्या, हल्द्वानी सीट पर पूर्व काबीना मंत्री डा. इंदिरा हृदयेश तथा रामनगर से पूर्व विधायक व सांसद सतपाल महाराज की पत्नी अमृता रावत को मैदान में उतारा है। अब देखना यह है कि ये ‘तीन देवियां’ कांग्रेस की नैया किस तरह पार लगाती हैं।  
हालांकि कांग्रेस ने नैनीताल जनपद की छः में से आधी यानी तीन सीटों पर जिस तरह "आधी दुनियां" का प्रतिनिधित्व करने वाली महिलाओं  को टिकट दिया है, उससे उसका महिलाओं पर भरोसा जताना कम ही दिखाई देता हैजिले में केवल हल्द्वानी से डा. हृदयेश को टिकट मिलना तय था, वह पार्टी तथा कार्यकर्ताओं की स्वावाविक पसंद थीं। लेकिन मुख्यालय की नैनीताल सीट पर कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल आर्य की अनिच्छा तथा अपने पुत्र संजीव आर्य को टिकट न दिला पाने के कारण सरिता पूर्व पालिकाध्यक्ष होने के नाते टिकट पाने में सफल रहीं। टिकट वितरण में अहम भूमिका निभाने वाले केंद्रीय मंत्री हरीश रावत की पसंदगी और महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष सरोजनी केंतुरा द्वारा नाम प्रस्तावित किये जाने की वजह से उनको यह ईनाम मिला। अमृता रावत को रामनगर में भारी विरोध तथा पैराशूट प्रत्याशी का तमगा होने के बावजूद गढ़वाल सांसद सतपाल महाराज की पत्नी होने के नाते टिकट मिल गया है। ऐसे में यह दिलचस्प होगा कि जनपद में तीन देवियां कांग्रेस की नैया को कैसे पार लगाती हैं।
पालिका व जिला पंचायत के स्तर के हो गए विधान सभा चुनाव 
नैनीताल। नैनीताल में विधानसभा चुनाव नगर पालिका व जिला पंचायत चुनाव की याद दिला सकता है। यहां भाजपा एवं कांग्रेस प्रत्याशी के बीच जिला पंचायत चुनाव की पुरानी प्रतिद्वंद्विता देखने को मिलेगी। कांग्रेस, बसपा एवं सपा प्रत्याशी भी पालिका चुनावों के दिनों की याद दिलाएंगे। भाजपा प्रत्याशी हेम आर्या की पत्नी नीमा आर्या एवं कांग्रेस प्रत्याशी सरिता आर्या वर्ष 2008 के जिपं चुनावों में मेहरागांव सीट से आमने-सामने थे। इसमें नीमा विजयी रहीं। वहीं सरिता आर्या वर्ष 2003 में हुऐ नगर निकाय चुनाव जीतकर नैनीताल पालिका अध्यक्ष बनी, जबकि उनसे पूर्व बसपा प्रत्याशी संजय कुमार ‘संजू’ वर्ष 1998 से नैनीताल पालिका अध्यक्ष रहे। इसी दौरान सपा प्रत्याशी देवानंद सभासद रहे थे।


रविवार, 1 जनवरी 2012

क्या 'दशरथ' से मिला बनवास 21 वर्ष बाद तोड़ पायेगी कांग्रेस

1986 के बाद से एक अदद जीत को तरसता रहा है 'हांथ'
संभवतया यही कारण यशपाल को रोकता हो नैनीताल से चुनाव लड़ने से  पार्टी के बुजुर्ग कार्यकर्ता मानते हैं यशपाल ही तोड़ सकते हैं यह क्रम 
नवीन जोशी, नैनीताल। राजा दशरथ ने राम को  १२ वर्ष के बनवास पर भेजा था, लेकिन यहाँ नैनीताल में एक दशरथ ने कांग्रेस पार्टी को बनवास पर भेजा था, जिस से वह 21  वर्ष बाद भी वापस नहीं लौट पा रही है 1991 की राम लहर में रामलीला में 'दशरथ' का चरित्र निभाने वाले भाजपा के बंशीधर भगत ने कांग्रेस को जिस बनवास पर भेजा था, कांग्रेस के लिए उस से अभी भी वापस लौटना आसान नहीं लगता। शायद यही कारण हो कि अपनी परंपरागत सीट मुक्तेश्वर का काफी हिस्सा होने के बावजूद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य यहाँ से चुनाव लड़ने के अधिक इच्छुक नहीं दिख रहे, जबकि पार्टी के बुजुर्ग कार्यकर्ताओं का मानना है कि कांग्रेस की बनवास से वापसी इस बार कोई करा सकता है तो वह केवल यशपाल ही हो सकते हैं।
नैनीताल कुमाऊं मंडल की उन गिनी-चुनी सीटों में होगी, जिन्हें कांग्रेस पार्टी की परंपरागत सीट कहने से हर किसी को गुरेज होगा। अतीत से बात शुरू करें तो यूपी के दौर में लंबी-चौड़ी इस सीट पर वर्ष 1977 में राम दत्त जोशी जनता दल के टिकट पर विधायक रहे। अगले 82 के चुनावों में शिव नारायण नेगी ने यह सीट कांग्रेस की झोली में डालकर नफा-नुकसान बराबर करने की कोशिश की। 86 में साफ-स्वच्छ छवि के किशन सिंह तड़ागी ने कांग्रेस के लिये सीट बरकरार रखी, परंतु 91 की रामलर में भाजपा के ‘दशरथ’ बंशीधर गत ने कांग्रेस के शेर सिं नौलिया को पटखनी दी, और आगे अगले तीन चुनावों में वह यहाँ से जीत की हैट्रिक बनाते रहे। राज्य बनने के बाद वह इस सीट को छोड़कर हल्द्वानी चले गये, परिणामस्वरूप अपनी साफ-स्वच्छ छवि के बल पर डा. नारायण सिंह जंतवाल उक्रांद के टिकट पर भाजपा से यह सीट झटकने में सफल रहे, और कोंग्रेस का बनवास जारी रहा। गत 2007 के विस चुनावों में खड़क सिंह बोहरा ने पुनः यह सीट हांसिल कर भाजपा का एक बार पुनः नैनीताल से परचम फरा दिया। इसके साथ ही नैनीताल के लिये हांलिया वर्षों में यह माना जाने लगा है कि बुद्धिजीवियों के शहर के जाने वाले नैनीताल से चुनाव लड़ने के लिये पार्टी तथा प्रत्याशी दोनों की साफ-स्वच्छ छवि अधिक मायने रखती है। इस बात को भाजपा-कांग्रेस, उक्रांद सहित सभी पार्टियों के नेता भी स्वीकार करते हैं।  लेकिन जहाँ तक कांग्रेस के लिये 21 वर्ष के बनवास को तोड़ने का सवाल है, नगर के वरिष्ठतम कांग्रेसी किसन लाल साह ‘कोनी’, मोहन कांडपाल सहित अधिकांश कांग्रेसियों का भी मानना है कि यह मिथक तोड़ने में कांग्रेस केवल एक ही शर्त पर सफल हो सकती है, यदि यशपाल यहाँ से चुनाव लड़ें। अब पार्टी प्रदेश अध्यक्ष यशपाल पर है कि वह स्वयं फ्रंट पर आकर बल्लेबाजी कर अपनी टीम को लीड करते हैं या नहीं।