गुरुवार, 29 नवंबर 2012

उत्तराखंड के पूर्व सैनिकों पर पड़ सकती है पोंटी चड्ढा हत्याकांड की मार


घटना के बाद सुरक्षा गार्ड की नौकरी के लिए लाइसेंस लेने की प्रक्रिया आयी जांच के दायरे में

नवीन जोशी, नैनीताल। दिल्ली में लिकर किंग पोंटी चड्ढा और उसके भाई हरदीप चड्ढा की गोलीकांड में हुई मौत की मार उत्तराखंड के सेवानिवृत्त सैनिकों और उन युवाओं पर पद सकती है जो सुरक्षा गार्ड की नौकरी प्राप्त करने के लिए शस्त्र लाइसेंस लेते हैं. पोंटी बंधुओं के हत्याकांड में समस्त गोलियां लाइसेंसी हथियारों से ही चलने और शस्त्र लाइसेंसधारी गार्डों के द्वारा ही चलाने के बाद सरकार गार्डों को लाइसेंस देने में कड़ाई बरत सकती है। इस बाबत सर्वोच्च न्यायलय के संज्ञान लेने और केंद्र सर्कार से आये निर्देशों के बाद उत्तराखंड सरकार ने सभी जिलों को शस्त्रों की जांच के निर्देश जारी कर दिए हैं. जिसके बाद रोजगार के लिए शस्त्र लाइसेंस लेने वाले जांच के दायरे में आने तय हैं, साथ ही आगे सरकार ऐसे लाइसेंस देने की राह में परेशानियां खादी कर सकती है.
यह आम बात है कि नए प्राविधान हमेशा कमजोर तबके के लिए ही परेशानी खड़ी करते हैं. सरकार घरेलू  गैस का व्यवसाइक उपयोग न रोक पाई तो सब्सिडी वाले सिलेंडरों की संख्या कम कर दी. उसी तरह  पोंटी चड्ढा हत्याकांड के बाद शास्त्र लाइसेंस जारी करने और उनके एनी राज्यों में पंजीकरण करने की प्रक्रिया में खामियां उजागर हुई हैं तो इसकी मार भी गरीब बेरोजगारों पर पड़नी तय मानी जा रही है.
इस मामले में उत्तराखंड का बर्खास्त अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष सुखदेव नामधारी आरोपित हुआ है, इसलिए उत्तराखंड पर मामले का अधिक असर पढ़ना तय है. उत्तराखंड आजादी के आन्दोलन से ही सैनिक बहुत राज्य है. सेना से सेवानिवृत्ति के बाद यहाँ के लोग सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर अपनी आजीविका चलते है.
गौरतलब है कि शस्त्र लाइसेंस दो कारणों-भय आकलन के साथ ही रोजगार के दृष्टिकोण से भी देने का प्रावधान है। सामान्यत: जिला प्रशासन बेरोजगारों को रोजगार देने की भावना से ऐसे लाइसेंस दिखाने में अपेक्षाकृत उदारता बरतते हैं.
लेकिन इधर, मामले में मुख्य आरोपित बताया जा रहा सुखदेव सिंह नामधारी स्वयं एक सुरक्षा गार्ड एजेंसी चलाता था। उसने ही अपनी एजेंसी के माध्यम से पोंटी को सुरक्षा गार्ड मुहैया कराई थी। लिहाजा, प्रदेश एवं केंद्र सरकार के निर्देशों पर शुरू हुई शस्त्र लाइसेंसों की जांच की सर्वाधिक मार ऐसे लोगों पर पड़ने जा रही है, जिन्होंने दूसरे कारण यानी सुरक्षा गार्ड की नौकरी प्राप्त करने के लिए शस्त्र लाइसेंस लिये हैं।

प्रदेश भर में शस्त्र लाइसेंसों पर लटकी है तलवार
नैनीताल (एसएनबी)। नैनीताल समेत प्रदेश के समस्त जिलों में पंजीकृत शस्त्र लाइसेंसों पर निरस्त होने की तलवार लटक गई है। प्रदेश शासन ने सर्वोच्च न्यायालय की पहल और केंद्र सरकार द्वारा मांगे जाने के बाद प्रदेश के सभी जिलों से सभी शस्त्र लाइसेंसों के ब्योरे तलब कर लिए हैं। ऐसे शस्त्र लाइसेंसों पर भी खास नजर रहने वाली है, जो एक ही परिवार के अनेक लोगों व एक व्यक्ति को एक से अधिक लाइसेंस जारी हुए हैं, अथवा दूसरे राज्यों से जारी होने के बाद यहां पंजीकृत हुए हैं। भय आंकलन के साथ ही रोजगार के लिए सुरक्षा गाडरे को देने वाले लाइसेंस भी जांच के घेरे में हैं। गौरतलब है कि विगत दिनों हुए लिकर किंग पोंटी चड्ढा और उसके भाई की हत्या के मामले में सरकार की शस्त्र लाइसेंस देने की प्रक्रिया सर्वाधिक विवादों में आ गई है। दायां हाथ न होने के कारण पोंटी चड्ढा जहां लाइसेंसी शस्त्र धारक था, वहीं हत्याकांड में प्रयुक्त सभी गोलियां लाइसेंस शुदा लोगों द्वारा ही चलाई गई हैं। साफ है कि देश में शस्त्र लाइसेंस देने की प्रक्रिया की खामियां इस हत्याकांड के बाद उजागर हुई हैं। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस प्रक्रिया पर संज्ञान लिया है, जिसके बाद केंद्र और फिर राज्य सरकारें चेती हैं। यहां उत्तराखंड सरकार ने भी केंद्र सरकार के निर्देशों पर प्रदेश भर में शस्त्र लाइसेंसों की व्यापक स्तर पर जांच शुरू कर दी है। बताया गया है कि शासन ने जिलों से शस्त्र लाइसेंसों के बाबत ब्योरे मांगे हैं कि उनके यहां से कितने शस्त्र लाइसेंस जारी हुए हैं, कितने निरस्त हुए हैं और कितने शस्त्र लाइसेंस ऐसे हैं, जो जारी तो दूसरे राज्यों से हुए हैं, और उन्हें प्रदेश के जिलों में पंजीकृत किया गया है। साथ ही सीमा विस्तार की प्रक्रिया भी पूछी गई है। किसी व्यक्ति को किसी राज्य से जारी शस्त्र लाइसेंसों को उस राज्य की सीमा से लगे दो राज्यों में उन राज्यों के गृह मंत्रालय के अनुमोदन पर तथा और अधिक राज्यों में केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुमोदन से सीमा विस्तार कर अनुमति दे दी जाती है। इसके साथ ही शस्त्र लाइसेंस जारी करने के बाबत केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन करने को कहा गया है। डीएम नैनीताल निधिमणि त्रिपाठी ने बताया कि जनपद में 10 हजार शस्त्र लाइसेंस हैं, इन सबकी जांच की जा रही है। शस्त्र लाइसेंस धारकों का सत्यापन कराने की योजना नहीं है। चड्ढा बंधु हत्याकांड के बाद प्रदेश में शुरू हुई समस्त शस्त्र लाइसेंसों की जांच

शनिवार, 17 नवंबर 2012

नैनी सरोवर में लगे 'सुरखाब के पर'



नैनीताल मैं सैलानियों के लिए सीजन 'ऑफ' तो प्रवासी पक्षियों के लिए हुआ 'ऑन'
नैनी झील में आए सुर्खाब पक्षी, साथ ही बार हेडेड गीज का भी हुआ आगमन
नवीन जोशी नैनीताल। जी हां, नैनी सरोवर में सुर्खाब के पर लग गए हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि नैनीझील में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला सुर्खाब पक्षी पहुंचा है, और नैनीझील के आसपास उड़ते और तैरते हुए खूब आनंदित हो रहा है। उसके आने से निश्चित ही नैनीझील और कमोबेस प्रवासी पक्षियों को निहारने वाले पक्षी प्रेमी खूब इतरा रहे हैं। नैनीताल में इन दिनों जहां मनुष्य सैलानियों का पर्यटन की भाषा में 'ऑफ सीजन' शुरू होने जा रहा है, वहीं मानो सैलानी पक्षियों का सीजन 'ऑन' होने जा रहा है। इन दिनों यहां नैनी सरोवर में चीन, तिब्बत आदि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला सुर्खाब पक्षी तथा बार हेडेड गीज आदि अनेक प्रवासी पक्षी की प्रजातियां पहुंची हैं। पक्षी विशेषज्ञ एवं अंतरराष्ट्रीय छायाकार अनूप साह के अनुसार इन दिनों उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी होने के कारण वहां की झीलें बर्फ से जम जाती हैं। ऐसे में उन सरोवरों में रहने वाले पक्षी नैनीताल जैसे अपेक्षाकृत गरम स्थानों की ओर आ जाते हैं। यह पक्षी यहां पूरे सर्दियों के मौसम में पहाड़ों और यहां भी सर्दी बढ़ने पर रामनगर के काब्रेट पार्क व नानक सागर, बौर जलाशय आदि में रहते हैं, और मार्च-अप्रैल तक यहां से वापस अपने देश लौट आते हैं। उन्होंने बताया कि नैनीझील में कई प्रकार की बतखें भी पहुंची हैं, जबकि नगर के हल्द्वानी रोड स्थित कूड़ा खड्ड में अफगानिस्तान की ओर से स्टेपी ईगल पक्षी भी बड़ी संख्या में पहुंचे हैं।


सुर्खाब के बारे में कुछ ख़ास बातें....
सुर्खाब मुर्गाबी प्रजाति से है। ये मूलत: लद्दाख, नेपाल एवं तिब्बत से आते है. ये सर्दी में भारत के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार में भी प्रवास करते हैं। इनकी ब्रीडिंग अवधि अप्रैल से जून माह तक होती है। इनका रंग सुनहरा होता है और अंदर की ओर से इसके पंख हरे व चमकदार होते हैं। ये प्राय: जोड़ा बनाकर रहते है। इन्हें ब्राह्नी डक, रेड शैलडक और चकवा-चकवी भी कहा जाता है, यह प्रायः जोड़े के साथ रहते हैं। ऐसी मान्यता है कि सुर्खाव जीवन में केवल एक बार ही जोड़ा बनाते है। अगर दोनों में से किसी एक की मृत्यु हो जाए तो दूसरा अकेला ही जीवन व्यतीत करेगा। ब्रीडिंग के समय नर सुर्खाब की गर्दन में एक काला बैंड नजर आता है। ये चट्टानों में और ऊंची मिट्टी के टीलों में अपने घौंसले बनाते है तथा पानी से काफी ऊंचाई पर बनाते है। पानी में पाए जाने वाले भोजन के अलावा खेतों में चने, गेंहू, जो की फसलों से भोजन चुनते हैं। ये अधिकांश समय पानी में तैरते हैं इन दौरान ये कीड़े-मकौडे खाकर अपना पेट भरते है ये छोटी मछलियों का भी शिकर करते हैं।  भारत में इनका प्रवास अक्टूबर माह से मार्च तक माना जाता है। 
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शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

नैनीताल जिले से बने चार मंत्री व विधान सभा अध्यक्ष, बावजूद 12 वर्षो में उम्मीदें ढेरों-उपलब्धियां कम


नवीन जोशी नैनीताल। उत्तराखंड की राज्य की स्थापना हुए 12 वर्ष हो गए। इन 12 वर्षो में राज्य के साथ ही नैनीताल जनपद उम्र के लिहाज से किशोर वय में पहुंच गया। जनपद की गौला व दाबका नदियों के साथ ही मुख्यालय की सामान्यतया स्थिर रहने वाले नैनी सरोवर से भी न जाने कितना पानी निकल गया है, और इन नदियों से खनन और ताल से न जाने कितने अरब रुपयों का आय उत्पादन हो गया है। इधर जिले में रहने वाले चार महानुभाव मंत्री व एक विधान सभा अध्यक्ष बन गए हैं, बावजूद इस बड़ी अवधि में भी जनपद के पास उम्मीदें तो ढेरों हैं, जबकि उपलब्धियां महज उंगलियों में गिनने लायक। ऐसे में राज्य आंदोलन से जुड़े लोग जहां स्वयं को ठगा बता बता रहे हैं वहीं आम जन भी संतुष्ट नहीं हैं। 
अंग्रेजों के दौर से और आजादी के बाद भी कई मायनों में राजधानी देहरादून से भी आगे माने जाने वाली सरोवरनगरी को राज्य बनने से कुछ मिला तो वह राज्य का उच्च न्यायालय है। दूसरे केंद्र सरकार की योजना से ही सही नैनी झील की सेहत में एरियेशन के जरिये कुछ हद तक सुधार हुआ है। इसके बाद यदि नैनीताल नगर ही नहीं जनपद की उपलब्धियां ढूंढी जाऐं तो उन्हें दिमाग पर जोर डालकर ही याद करना पड़ेगा। वहीं अनुपलब्धियों-उम्मीदों की बात करें तो जनपद वासियों द्वारा एक दशक से भी अधिक समय से देखे जा रहे हल्द्वानी में अंतराष्ट्रीय स्टेडियम, आईएसबीटी बनने, नैनीताल व भवाली में बाईपास जैसे कार्य आज भी ख्वाब ही हैं। राज्य बनने के बाद से मुख्यालय में विकास की एक ईट के नाम पर तल्लीताल में बहुउद्देश्यीय भवन का अधर में पड़ा निर्माण मुंह चुराता है, वहीं शहर में अनाधिकृत निर्माणों से कंक्रीट के जंगल खड़े हो गये। मुख्यालय से विकास भवन सहित दर्जनों सरकारी कार्यालय बाहर चले गये। नगर के दोनों फिल्म थियेटर बंद हो गये। 
यह हुआ 
  • उत्तराखंड उच्च न्यायालय बना 
  • काठगोदाम में सेक्रेटरियेट व रामनगर में भव्य लोनिवि गेस्ट हाउस 
  • दाबका, कालाढूंगी व काठगोदाम में पुल 
  • भवाली में उत्तराखंड न्यायिक एवं विधिक अकादमी-उजाला 
  • लालकुआ, रामनगर, कोश्यां-कुटौली व धारी तहसीलों का उच्चीकरण 
  • हल्द्वानी में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय 
  • हल्द्वानी नगर निगम का उच्चीकरण 

अनचाहे जो हो गया 
  • मुख्यालय से विकास, वन व जल निगम सहित दर्जनों विभागीय कार्यालय बाहर चले गए 
  • पुलिस के लिहाज से नैनीताल का परिक्षेत्रीय दर्जा घट गया 
  • मुख्यालय के दोनों सिनेमा थियेटर बंद हो गये 

उम्मीदें जो अभी भी हैं ख्वाब 
  • हल्द्वानी में अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम 
  • हल्द्वानी में आईएसबीटी 
  • नैनीताल व भवाली में बाईपास 
  • मुख्यालय में गरीबों के लिए भवन 
  • एनएच 87 का टू-लेन में विस्तारीकरण 
  • कुमाऊं विवि का भीमताल में परिसर 
  • भवाली में चेस्ट इंस्टिटय़ूट व आयुष ग्राम 
  • विधि विश्व विद्यालय का निर्माण 
  • बीडी पांडे जिला चिकित्सालय का जीर्णोद्धार

मंगलवार, 6 नवंबर 2012

'औरंगजेब' ने मचाई सरोवरनगरी में आफत, ताक पर रखे कायदे-कानून



ऋषि कपूर ने की सरोवरनगरी में शूटिंग
प्रशंसकों के साथ फोटो खिंचवाए, मीडिया से रहे दूर 
यशराज बैनर की फिल्म औरंगजेब की शूटिंग के लिए तीन दिनों से थे शहर में
नैनीताल (एसएनबी)। गुजरे जमाने के फिल्मस्टार ऋषि कपूर बीते तीन दिनों से सरोवरनगरी में हैं। मंगलवार को उन्होंने नैनी सरोवर के पूरे दो चक्कर लगाये, प्रशंसकों के साथ फोटो खिंचवाये, लेकिन मीडियाकर्मियों से दूरी बनाकर रहे। वह सरोवरनगरी की प्राकृतिक सुंदरता से खासे प्रभावित दिखे। मंगलवार को सुबह करीब साढ़े 10 बजे वह होटल से निकले, माल रोड होते हुए तल्लीताल पहुंचे और वहां से सीधे निकलने के बजाय गाड़ी कलेक्ट्रेट-राजभवन रोड की ओर मोड़कर वापस डीएसबी से मस्जिद तिराहे पर उतर गये और फिर नैनी सरोवर का दूसरा चक्कर भी लगाया। गौरतलब है कि ऋषि कपूर इन दिनों फिल्म औरंगजेब की शूटिंग में व्यस्त हैं। यह फिल्म अमिताभ स्टारर त्रिशूल फिल्म की रिमेक बताई जा रही है। इस फिल्म में वह खलनायक की भूमिका में हैं और प्रेम चोपड़ा वाला रोल कर रहे हैं। फिल्म में निर्माता निर्देशक बोनी कपूर के बेटे अर्जुन कपूर और मलयालम अभिनेता पृथ्वीराज नायक तथा पाकिस्तानी अभिनेत्री सलमा आगा की पुत्री साशा आगा उर्फ जारा नायिका की भूमिका में हैं। जैकी श्राफ व अमृता सिंह भी फिल्म में हैं। इधर तीन दिन से फिल्म की शूटिंग सरोवरनगरी के अयारपाटा क्षेत्र में स्थित एक कोठी में चल रही है।


'औरंगजेब' ने मचाई आफत, ताक पर रखे कायदे-कानून
नैनीताल (एसएनबी)। औरंगजेब फिल्म की शूटिंग के लिए तड़के से लोअर माल रोड पर वाहनों का आवागमन बंद कर दिया गया था। फोटो खींचने पर भी पाबंदी थी। यदि किसी ने फोटो खींच ली तो कैमरा छीनकर उसकी फोटो भी डिलीट करवा दी गई। अनेक लोगों से फिल्म यूनिट के सदस्यों की तकरार भी हुई। यही नहीं फिल्म यूनिट के लोगों ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेशों से नगर की वाहनों के लिए प्रतिबंधित ठंडी सड़क पर भी कायदे-कानूनों को ताक पर रखकर गाड़ियां दौड़ाई। मंगलवार को औरंगजेब फिल्म की शूटिंग लोअर माल रोड के तल्लीताल सिरे पर चुंगी और डांठ के पास हुई। यहां यूनिट के सदस्यों ने वाहनों पर कैमरा लगाकर लाल व नीली बत्ती लगी गाड़ियों को इस ओर से उस ओर दौड़ाते हुए सीन शूट किये।

सोमवार, 5 नवंबर 2012

गैरसैंण के लिए टू-लेन हाई-वे बनाने की तैयारी भी शुरू


गैरसैंण और पहाड़ के दिन बहुरने शुरू 
एनएच-87 ज्योलीकोट से घिंघारीखाल तक 109 किमी हिस्से की फाइल दौड़ी 
नवीन जोशी नैनीताल। प्रदेश की स्थायी राजधानी के रूप में प्रदेशवासियों की पसंद बताये जाने वाले गैरसैंण के दिन बहुरने शुरू हो गये हैं। दो दिन पूर्व ही गैरसैंण में पहली बार राज्य कैबिनेट की ऐतिहासिक बैठक हुई थी और अब एक और खुशखबरी है कि गैरसैंण के लिए टू-लेन हाईवे की फाइल दौड़ने लगी है। पहले चरण में राष्ट्रीय राजमार्ग-87 की ज्योलीकोट से अल्मोड़ा होते हुए रानीखेत के पास घिंघारीखाल तक 109 किमी लंबी सड़क की चौड़ाई दोगुनी यानी टू-लेन होने जा रही है। बाद में इसके गैरसैंण तक जुड़ने का प्रस्ताव है। 
केंद्र सरकार के भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी ताजा अधिसूचना के अनुसार एनएच-87 के ज्योलीकोट से घिंघारीखाल तक के हिस्से को देश के अन्य राष्ट्रीय राजमागरे के साथ विस्तारित करने की योजना के तहत टू-लेन किया जाना है। इसके लिए करीब तीन दर्जन गांवों की सीमा की भूमि पर सड़क विस्तार के कार्य किए जाएंगे। इन कायरे के लिए नैनीताल एवं अल्मोड़ा जनपद के जिलाधिकारियों से सक्षम प्राधिकारियों का नाम मांग लिया गया है। गौरतलब है कि देश की राजधानी से कुमाऊं जल्द ही फोर लेन से जुड़ने जा रहा है। रामपुर से काठगोदाम के शेष बचे एनएच के हिस्से को फोर लेन करने का नोटिफिकेशन होने के बाद अब सड़क के लिए आवश्यक भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है और काठगोदाम से ज्योलीकोट का एनएच-87ई यानी नैनीताल आने वाली सड़क का हिस्सा पहले ही टू- लेन है, इसलिए ज्योलीकोट से घिंघारीखाल तक के 109 किमी हिस्से को टू-लेन के रूप में परिवर्तित करने की कवायद शुरू हो गई है। नैनीताल जनपद में अधिग्रहण के लिए जरूरी भूमि के चिह्नांकन का होमवर्क शुरू हो गया है। डीएम निधिमणि त्रिपाठी ने पूछे जाने पर कहा कि एनएच-87 के चौड़ीकरण के लिए जरूरी भूमि के अधिग्रहण की तैयारी की जा रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि मार्ग के टू-लेन हो जाने से पूरे कुमाऊं वासियों को लाभ होगा। साथ ही पर्यटन एवं विकास को भी पंख लग जाएंगे। गौरतलब है कि पहाड़ के राष्ट्रीय राजमागरे को टू- लेन करने का प्रस्ताव तत्कालीन केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने तैयार कर दिया था, लेकिन देर से ही सही यह प्रस्ताव अब फाइलों में दौड़ने लगा है

इन गांवों की सीमा में होगा चौड़ीकरण
नैनीताल। केंद्रीय भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी ताजा अधिसूचना के अनुसार नैनीताल के बलुवाखान चक देवलागढ़, चक गेठिया, कुरिया गांव, भवाली के सेनिटोरियम, कहलक्वीरा, मल्ला निगलाट, तल्ला निगलाट, हरतपा, बारगल, छड़ा, लोहाली, जौरासी, जोगी नौली, जोगी माड़े, मनर्सा, गंगोरी, गगरकोट, औलिया गांव, सुयालबाड़ी, सिर्सा, चोपड़ा व क्वारब, अल्मोड़ा के चौसली, बड़सिमी, देवली, खत्याड़ी, अल्मोड़ा नगर पालिका के बाहर बाईपास क्षेत्र, पांडेखोला, सुनौला मल्ला, सिमकुड़ी, अघेली सुनार, अघेली तेवाड़ी, सुनौला तल्ला, रैलाकोट, मटेला, लायम स्टेट फार्म हवालबाग, कटारमल, शौले, ज्यौली, स्यूना, क्वेराली, कयेला, गढ़वाली, कुरचौड़ा, तुस्यारी व सिमल्टा और रानीखेत के बबूरखोला, डीडा, तल्ली रियूनी, मल्ली रियूनी, नैणी व डडगल्या गांवों की सीमा में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-87 के विस्तार के लिए अपेक्षित कार्य होने हैं।