शैक्षिक स्तर व जागरूकता बढ़ने का भी है असर, आंख-मूंदकर नहीं कर रहे किसी का समर्थन या विरोध
नवीन जोशी, नैनीताल। उत्तराखंड के मतदाताओं में अब वोट को लेकर जागरूकता आ गई है। मतदाता न सिर्फ उम्मीदवार की छवि को आधार बना रहे हैं, बल्कि उनके प्रमुख समर्थकों पर भी नजरें गड़ाएं हैं। छवि बनाने में भी एक पक्षीय निर्णय नहीं लिया जा रहा, वरन तर्क की कसौटी पर भी छवियों को कसने की कोशिश की जा रही है। प्रदेश के मतदाताओं में बढ़े साक्षरता के स्तर को इसका प्रमुख कारण माना जा रहा है।
इस चुनाव में राज्य की जनता प्रचार के लिए पहुंच रहे उम्मीदवारों से कई सवाल कर रही है। लोग नेताओं से स्थानीय समस्याओं का समाधान पूछ रहे हैं और नेताओं द्वारा किए जा रहे वादों की हकीकत पूछ रहे हैं। यह पहली बार हुआ है कि लोग महज नेताजी का भाषण ही नहीं सुन रहे, उनसे सवाल कर विकास कार्यों का हिसाब भी मांग रहे हैं। जनता अपने विधायक से चाहती है कि वह अपने क्षेत्र से भली-भांति वाकिफ हो, वह विपक्ष में होने जैसे विषम राजनीतिक हालातों में भी स्वयं को स्थापित कर मजबूती से जनता की समस्याओं को विधायिका में रखने में समर्थ हो। विस क्षेत्र और प्रदेश की जनता कमोबेश ऐसी ही कसौटी पर अपने विधायक प्रत्याशियों को कस रही है। ऐसे में यदि किसी प्रत्याशी के समर्थक उनसे अपने पक्ष में मतदान करने को कहते हैं तो कई बार वह प्रत्याशी को लेकर ऐसे सवालात भी कर रहे हैं। यह मतदाताओं के जागरूक होने का संकेत माना जा सकता है। जातीय-क्षेत्रीय आधार पर बात करने वाले समर्थकों को कई बार मतदाता सीधे ‘ना’ कहने से भी गुरेज नहीं कर रहे। प्रत्याशियों के साथ ही उनके समर्थकों की छवि भी देखी जा रही है। ‘अभी से प्रत्याशी ऐसे समर्थकों से घिरा है तो आगे जीतने पर क्या करेगा’ ऐसी चिरौरियां भी पीठ पीछे की जा रही हैं और कई बार इसके उलट अच्छी छवि के समर्थकों पर विश्वास भी जताया जा रहा है कि ऐसे लोग साथ हैं तो आगे भी प्रत्याशी ठीक कार्य ही करेगा।
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