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रविवार, 29 दिसंबर 2013

800 पुलिसकर्मियों की भर्ती का मामला लटका

मिलेंगे 500 नये दारोगा, 250 पदोन्नति से व 250 नई भर्ती से आएंगे : डीजीपी 
नैनीताल (एसएनबी)। उत्तराखंड पुलिस में फिलहाल 800 नये आरक्षियों की भर्ती का मामला लटक गया है। डीजीपी बीएस सिद्धू का कहना है कि अब इन पुलिसकर्मियों की भर्ती नहीं होगी। हालांकि उन्होंने कहा कि पुलिस में 500 नये दारोगा बनाए जा रहे हैं। इनमें से 250 नये दारोगा प्रमोशन के बाद लिए जाएंगे तो 250 दारोगा नई भर्ती से तैनात किये जाएंगे। डीजीपी ने कहा है कि पुलिस महकमा अपने पुलिसकर्मियों को अन्य विभागों से कम वेतन मिलने का परीक्षण भी कराया जाएगा। विभाग मोबाइल हाईवे ट्रैफिक पेट्रोलिंग यूनिट की नई शुरुआत भी करने जा रहा है। डीजीपी संधू ने यह खुलासे रविवार को मुख्यालय में डीआईजी कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में किये। वह यहां उत्तराखंड न्यायिक अकादमी-उजाला भवाली में एसपी व एसएसपी स्तर के अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला तय करने के इरादे से आये थे। उन्होंने कहा कि पुलिस की कमी से अदालतों में वादों के शिथिल पड़ जाने की परेशानी से कुछ हद तक निजात मिलेगी। उन्होंने पड़ोसी देश नेपाल में माओवाद की समस्या के मद्देनजर प्रदेश की सीमाओं पर विशेष चौकसी बरतने की बात भी कही, तथा खास तौर पर अपराधों के नियंतण्रके लिए प्रदेश के चार जिलों, दून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर व नैनीताल में पूर्व में गठित होमीसाइड स्क्वाड को फिर से सक्रिय करने का इरादा भी जताया। इस मौके पर डीआईजी जीएन गोस्वामी तथा एसएसपी डा. सदानंद दाते भी मौजूद थे। 

जल्द खुलेंगे 50 नये थाने व चौकियां

हल्द्वानी (एसएनबी)। डीजीपी बीएस सिद्धू ने कहा कि प्रदेश में जल्द ही 50 नये थाने व चौकियां खोली जाएंगी। इसके साथ ही पुलिस महकमे की सभी गाड़ियों का बीमा किया जाएगा। पुलिस को और अधिक सक्षम बनाने के लिए उजाला एकेडमी प्रशिक्षण देगी। यह एकेडमी अब तक 325 एसआई व 15 उप पुलिस अधीक्षकों को प्रशिक्षण दे चुकी है। उन्होंने कहा कि साइबर क्राइम को रोकने के लिए पुलिस को विशेष प्रशिक्षण देने पर विचार किया जा रहा है। डीजीपी सिद्धू रविवार को पुलिस बहुउद्देश्यीय भवन में पत्रकारों से रूबरू हुए। उन्होंने कहा कि उजाला एकेडमी में 19 जनवरी से कुमाऊं के डीएम व एसएसपी की वर्कशाप तथा दो फरवरी से गढ़वाल के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। एकेडमी में पुलिस को चार्जशीट, केस की पूरी स्टडी करने का प्रशिक्षण दिया जायेगा, ताकि अपराधी किसी भी कीमत पर सजा से बच न सकें। उन्होंने कहा कि र्मडर की जांच के लिए होमी साइट्स जांच कमेटी बनायी गई है। इसमें प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों के साथ ही जांच की पूरी किट को रखा गया है। डीजीपी ने कहा कि हल्द्वानी में निर्माणाधीन फायर स्टेशन भवन के लिए सरकार से 50 लाख रुपये स्वीकृत हो चुके हैं। इसके अलावा राज्य में जल्दी ही 50 नये थाने व चौकियों खोली जाएंगी।उन्होंने पुलिसकर्मियों के ग्रेड पे के मामले में मुख्यमंत्री के पास प्रस्ताव भेजे जाने की बात कही। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के भत्तों में बढोतरी की गई है। पुलिस की गाड़ियों का बीमा न किये जाने के सवाल के उत्तर में उन्होंने कहा कि अगर पुलिस महकमे की गाड़ियों का बीमा नहीं है तो वे जल्द पता कर महकमें की सभी गाड़ियों का बीमा करवाएंगे। उन्होंने कहा कि एमवी एक्ट के तहत प्रत्येक वाहन का र्थड पार्टी बीमा होना जरूरी है। इससे पूर्व डीजीपी को पुलिस ने गार्ड आफ आनर दिया गया। इस मौके पर उप महानिरीक्षक जीएन गोस्वामी व अन्य अफसर थे। 

शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

पुलिसकर्मी भी नहीं जाना चाहते पहाड़

डीजीपी ने अपने कार्यकाल को संतोषजनक बताया पर कार्यकाल छोटा रहने का अफसोस भी 
नैनीताल(एसएनबी)। दो दिन बाद सेवानिवृत्त हो रहे पुलिस महानिदेशक सत्यव्रत बंसल ने अपने कार्यकाल को संतोषजनक बताया है। अलबत्ता अपना यह दर्द जुबां पर लाने से स्वयं को रोक नहीं पाए कि उनका कार्यकाल बहुत छोटा एक वर्ष का ही रहा, जबकि अधिनियम में भी दो वर्ष के न्यूनतम कार्यकाल का जिक्र है। एक वर्ष किसी जिम्मेदारी को समझने में ही लग जाता है। डीजीपी ने कहा कि 839 पुलिसकर्मियों की भर्ती शीघ्र की जाएगी। उन्होंने यह कहने में गुरेज नहीं किया कि पुलिसकर्मी पहाड़ी जनपदों में जाने से बचते हैं। 
शुक्रवार को डीआईजी कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में अपने कार्यकाल में आई चुनौतियों के सफलतापूर्वक निर्वहन और कानून-व्यवस्था, पुलिस के आधुनिकीकरण और सीसीटीएनएस को आगे बढ़ाने की सफलताएं गिनाते हुए उन्होंने माना कि 1200 से अधिक पुलिसकर्मियों की कमी और अन्य व्यवस्थाओं की वजह से कम्युनिटी पुलिसिंग को यथोचित जारी नहीं रख पाए। उन्होंने बताया कि सरकार ने 839 पुलिस कर्मियों की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी है। इन कर्मियों की नियुक्ति जल्द होगी। इसके बाद व्यवस्थाएं बेहतर होने की उम्मीद है। डीजीपी सत्यव्रत बंसल ने दावा किया कि उनके एक वर्ष के कार्यकाल के दौरान अपराधों को दर्ज करने के साथ ही विवेचना और पैरवी के स्तर पर सुधार हुए और अपराध नियंतण्रमें रहे। वह स्वयं बड़े अपराधों की मॉनीटरिंग करते थे। इस दौरान राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति की प्रदेश यात्रा, केदारनाथ में तबाही और इस दौरान 628 शवों को खोज निकालने, उनके डीएनए नमूने लेने और उनका अंतिम संस्कार करने जैसे कायरे में पुलिस ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई। इस दौरान उन्होंने कुमाऊं मंडल के पुलिस अधिकारियों की बैठक भी ली। इस मौके पर डीआईजी जीएन गोस्वामी, एसएसपी डा. सदानंद दाते सहित मंडल भर के पुलिस कर्मी मौजूद थे। पूर्व में पुलिसकर्मियों द्वारा ट्रांसफर में राजनीतिक हस्तक्षेप संबंधी बयान देने वाले डीजीपी सत्यव्रत बंसल ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि अधिकांश पुलिसकर्मी प्रदेश के चार मैदानी जिलों को छोड़कर शेष नौ पहाड़ी जिलों में नहीं जाना चाहते। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने प्रदेश की दो डीआईजी रेंजों को समाप्त करने को प्रदेश सरकार का निर्णय बताया। इसके साथ ही माना कि छोटी इकाइयों में बेहतर पर्यवेक्षण हो पाता था। अवैध खनन के मामले में उन्होंने कहा कि खनन रोकना अकेले पुलिस विभाग की जिम्मेदारी नहीं है, वरन वह संबंधित विभागों की कार्रवाई में सहयोग के लिए तैयार है। कश्मीर में आतंकी घटनाओं के संदर्भ में उन्होंने थाने- कोतवालियों को भी आंख-कान खुले रखने की नसीहत दी। देहरादून के चर्चित गोलीकांड में उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष कुंजवाल के बयान के बाद विधायक प्रणव सिंह चैंपियन के नाम पर कोई संदेह नहीं बचा है और केस डायरी में उनका नाम आ गया है, जो मुकदमे में भी शामिल कर लिया जाएगा।

शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

पहाड़ के लिए होगी अलग पुलिसिंग

डीजीपी ने कहा, भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप होगी पुलिस व्यवस्था
पहाड़ के लिए अलग मानक बनेंगे, सामुदायिक सहभागिता, रात्रि गश्त और पिकेटिंग को बढ़ाया जायेगा
नैनीताल (एसएनबी)। उत्तराखंड पुलिस पहाड़ की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप अलग पुलिस व्यवस्था लागू करेगी। पुलिस महानिदेशक विजय राघव पंत ने बताया कि पहाड़ के लिए मैदानी क्षेत्रों से अलग पुलिस व्यवस्था के मानक भी तय किये जाएंगे। पहाड़ पर पुलिस सामुदायिक सहभागिता पर बल देगी। पहाड़ी शहरों में रात को पैदल गश्त की जायेगी। शहरों के प्रवेश द्वारों पर पिकेट लगाकर वाहनों की जांच होगी। डीजीपी ने इस व्यवस्था को लागू करने से पूर्व पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित करने की बात भी कही, ताकि पिकेट या रात्रि गश्त आमजन की परेशानी या वाहनों से वसूली का अड्डा न बन जाएं। उन्होंने पहाड़ पर घुड़सवार पुलिस की तैनाती तथा मोटरसाइकिलों की बजाय पैदल या साइकिलों से गश्त कराने की बात कही। शुक्रवार को मुख्यालय में डीजीपी पंत ने पत्रकारों से कहा कि पहाड़ में मैदानी क्षेत्रों के मानकों पर पुलिस व्यवस्था चल रही है। यहां भौगोलिक परिस्थितियों के साथ अपराधों की संख्या और प्रकार में अंतर है। पहाड़ में हत्या और डकैती जैसे बड़े अपराधों की बजाय छोटी-छोटी चोरियां जैसे अपराध अधिक होते हैं। इनसे समाज में भय का माहौल बनता है। ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए पहाड़ के लिए अलग पुलिसिंग के मानक बनाये जा रहे हैं। उन्होंने पुलिसकर्मियों को वाहनों की बजाय पैदल चलने पर जोर देते हुए कहा कि वे जनता से मिलें-जुलें, ताकि जनता उन्हें सहजता से शिकायतें बता सकें। उन्होंने कहा कि पुलिस के पास अपराध संबंधी अधिक कार्य नहीं होते इसलिए वह निराश्रित रोगियों को अस्पताल पहुंचाने जैसे सामुदायिक सहभागिता के कार्य कर सकती है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के दो दर्जन से अधिक घुड़सवार पुलिस के जवान प्रशिक्षित किये जा चुके हैं। इनकी एक टुकड़ी हल्द्वानी में स्थापित होगी। इनका जरूरत पड़ने पर पहाड़ में उपयोग किया जा सकेगा। उन्होंने प्रदेश के चार जिलों में महिला पुलिस कप्तानों की तैनाती को प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने तथा महिला सशक्तीकरण की दिशा में कदम बताया। उन्होंने सीमावर्ती पुलिस थानों और चौकियों के सुदृढ़ीकरण तथा यहां कार्यरत पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित करने की बात भी कही।

इतिहास बन जायेंगे कुमाऊँ-गढ़वाल


पुलिस के कुमाऊं-गढ़वाल परिक्षेत्र समाप्त हो ने के बाद अब कमिश्नरी समाप्त किये जाने के लगाए जा रहे कयास

नवीन जोशी नैनीताल। प्रदेश सरकार ने राजनीतिक लाभ-हानि के लिहाज से गढ़वाल और कुमाऊं परिक्षेत्र को समाप्त करने की अधिसूचना जारी नहीं की है मगर दोनों रेंजों को दो-दो हिस्सों में बांट दिया है। दोनों रेंजों से आईजी स्तर के अधिकारियों को वापस बुला लिया है। राज्य की नई पुलिस व्यवस्था के लिहाज से गढ़वाल के बाद कुमाऊं परिक्षेत्र भी समाप्त हो गया है। अब प्रशासनिक विकेंद्रीकरण के नाम पर इन मंडलों की कमिश्नरी के टूटने के कयास लगाये जा रहे हैं। प्रदेश के कुमाऊं व गढ़वाल अंचलों की अंग्रेजों से भी पूर्व भी ऐतिहासिक पहचान रही है। कुमाऊं में 1816 से नैनीताल से ‘कुमाऊं किस्मत’ कही जाने वाली कुमाऊं कमिश्नरी की प्रशासनिक व्यवस्था देखी जाती थी। ‘कुमाऊं किस्मत’ के पास वर्तमान कुमाऊं अंचल के साथ ही अल्मोड़ा जिले के अधीन रहे गढ़वाल की अलकनंदा नदी के इस ओर के हिस्से की जिम्मेदारी भी थी। ब्रिटिश शासनकाल में डिप्टी कमिश्नर नैनीताल इस पूरे क्षेत्र की प्रशासनिक व्यवस्था देखते थे। आजादी के बाद 1957 तक यहां प्रभारी उपायुक्त व्यवस्था संभालते रहे। 1964 से नैनीताल में ही पर्वतीय परिक्षेत्र का मुख्यालय था। इसके अधीन पूरा वर्तमान उत्तराखंड यानी प्रदेश के दोनों कुमाऊं व गढ़वाल मंडल आते थे। एक जुलाई 1976 से पर्वतीय परिक्षेत्र से टूटकर कुमाऊं परिक्षेत्र अस्तित्व में आया। यह व्यवस्था अब समाप्त कर दी गई है। इसके साथ ही नैनीताल शहर से पूरे कुमाऊं मंडल का मुख्यालय होने का ताज छिनने की आशंका है। इससे लोगों में खासी बेचैनी है। नगर पालिका अध्यक्ष मुकेश जोशी का कहना है कि इससे निसंदेह मुख्यालय का महत्व घट जायगा। अब मंडल वासियों को मंडल स्तर के कार्य करने के लिए देहरादून जाना पड़ेगा, क्योंकि वरिष्ठ अधिकारी वहीं बैठेंगे। वरिष्ठ पत्रकार व राज्य आंदोलनकारी राजीव लोचन साह का कहना है कि वह छोटे से प्रदेश में मंडल या पुलिस जोन की व्यवस्था के ही खिलाफ हैं। नये मंडल केवल नौकरशाहों को खपाने के लिए बनाये जा रहे हैं। 

मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012

सच लिखे, कहानियां न बनाये पुलिस : डीजीपी


कहा, पुलिस सिर्फ व्यवस्था का हिस्सा, सजा दिलाना उसका काम नहीं 
कालाढूंगी प्रकरण में सरकार द्वारा मुकदमे वापस लेने पर कोई अफसोस नहीं : पांडे 
नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ज्योति स्वरूप पांडे ने कहा कि पुलिस केवल न्यायिक व्यवस्था का हिस्सा है। उसका काम मामले को अंजाम तक पहुंचाकर किसी को सजा दिलाना नहीं है, वरन न्यायिक व्यवस्था में उसकी भूमिका गेटकीपर की है जिसका कार्य केवल यह देखना है कि कोई मामला न्यायालय तक जाना है या नहीं। उन्होंने पुलिसकर्मियों को ताकीद की है कि वह मामले को मजबूत बनाने के फेर में कहानियां न बनाए, वरन जो सच्चाई हो उसे लिखें। डीजीपी मंगलवार को मुख्यालय स्थित पुलिस लाइन में पत्रकारों से वार्ता के दौरान कालाढूंगी कांड में सरकार द्वारा मुकदमे वापस लिये जाने के सवाल पर प्रतिक्रिया कर रहे थे। उन्होंने कहा कि न्यायिक व्यवस्था का हिस्सा होने के नाते वह मानते हैं कि कई बार दोषी को सजा देना मानवीय एवं कई दृष्टिकोणों से जरूरी नहीं होता। उन्होंने कहा कि पुलिस को किसी घटना की जैसी प्राथमिक सूचना मिले, ठीक वैसी ही जीडी व सीडी में दर्ज करनी चाहिए, न कि कहानी बनानी चाहिए। पुलिस को उन्होंने सभी मामलों को दर्ज करने को कहा, साथ ही जोड़ा कि किस मामले को एफआईआर माना जाए या नहीं, यह कोर्ट का विवेकाधिकार है। उन्होंने ताकीद की झूठी प्राथमिकी दर्ज होने की दशा में निदरेषों का उत्पीड़न न होने पाये। उन्होंने कहा कि हालिया दौर में उन्होंने अधीनस्थ अधिकारियों से अपराध अधिक क्यों हो रहे हैं, व तत्काल अपराधों का खुलासा करने के आदेश देने बंद कर दिये हैं। बस यह पूछा जा रहा है कि आपराधिक मामलों में क्या कदम उठाये जा रहे हैं। माना कि आंकड़ेबाजी के फेर में अपराध दर्ज करने से बचना नहीं चाहिए।
सीसीटीएनएस व डीएनए डाटा बैंक बनाएगी पुलिस 
नैनीताल। डीजीपी जेएस पांडे ने बताया कि आधुनिकीकरण की राह पर तेजी से आगे बढ़ रही उत्तराखंड पुलिस कम्प्यूटर नेटवर्किग के सीसीटीएनएस सिस्टम को जल्द लागू करने और प्रदेश में अपराधियों के डीएनए का डाटा बैंक बनाने की दिशा में चल पड़ी है। सीसीटीएनएस सिस्टम का साफ्टवेयर केंद्र सरकार के स्तर पर तैयार हो रहा है, वहीं अपराधियों के डीएनए का डाटा बेस तैयार करना अभी प्रारंभिक चरण में है। ऐसा होने से अपराधों के खुलासे में खासी आसानी होगी। डीजीपी ने पुलिस को सबसे बड़ा मानव संसाधन आधारित विभाग बताया। उन्होंने कहा कि उनकी सबसे बड़ी कोशिश पुलिस कर्मियों को बेहतर आवास, आवागमन व संचार सुविधा दिलाना है। विभाग में उपनिरीक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया चल रही है, वहीं इंटरमीडिएट पास कांस्टेबलों को ग्रेड-पे देने और उपनिरीक्षकों के पदों पर अधिकाधिक पदोन्नति के अवसर देने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्वक चुनाव निपटाने के बाद राज्य पुलिस मतगणना एवं इसके ठीक बाद आ रहे होली के त्योहार को शांतिपूर्वक निपटाने की तैयारियों में जुटी है। विभाग के पेट्रोल एवं टीए-डीए से संबंधित बिल काफी समय से लंबित हैं। नई सरकार से उम्मीद होगी कि जल्द इन बिलों का भुगतान हो सकेगा।
पुलिसकर्मी लेंगे विधिक जानकारियां
राज्य विधिक प्राधिकरण एवं पुलिस महकमे में बनी सहमति
नैनीताल (एसएनबी)। उत्तराखंड पुलिस के जवानों को अब विधिक जानकारियां भी दी जाएंगी, ताकि कानून-व्यवस्था बनाये रखने के दौरान वह आवश्यक जानकारियों से अपडेट रहें। इस मामले में राज्य पुलिस एवं उत्तराखंड राज्य विधिक प्राधिकरण के बीच सहमति बनी है। राज्य के करीब 26 हजार पुलिसकर्मियों को प्राधिकरण द्वारा आम जनता को विधिक ज्ञान देने के लिए तैयार की गई 34 लघु पुस्तिकाएं (पंफलेट) दी जाएंगी। राज्य के पुलिस महानिदेशक ज्योति स्वरूप पांडे ने बताया कि उत्तराखंड राज्य विधिक प्राधिकरण द्वारा तैयार की गई इन पुस्तिकाओं से वह बेहद प्रभावित हुए। मंगलवार को उन्होंने इस बारे में उत्तराखंड उच्च न्यायालय में प्राधिकरण के अध्यक्ष उत्तराखंड उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल तथा प्राधिकरण के सचिव प्रशांत जोशी से भेंट की जिसके साथ इन पुस्तिकाओं को औपचारिक रूप से राज्य पुलिस को सौंपा गया। डीजीपी ने कहा कि प्रदेश पुलिस के जवान डिक्शनरी की भांति इन पुस्तिकाओं को अपने पास रखेंगे और जरूरत पड़ने पर इनका प्रयोग कर सकेंगे।