गुरुवार, 24 मार्च 2011

बेपरदा हो जाएंगे चांद-सितारों के राज


एरीज भी करेगा दुनिया की सबसे बड़ी 30 मीटर की दूरबीन 'टीएमटी' योजना को पूरा करने में सहयोग
नवीन जोशी नैनीताल। वैज्ञानिकों का मानना है कि तारे भी पैदा होते एवं मरते हैं। उनसे मानव एवं अन्य जीवधारियों का जन्म होता है। वह यह भी मानते हैं कि किसी न किसी ग्रह पर एलियन होते हैं। संभावना है कि 2020 तक बैज्ञानिक इस गुत्थी को सुलझा लेंगे। इसके लिए 1.3 बिलियन डालर लागत वाली 'थर्टी मीटर टेलीस्कोप' प्रशांत महासागर के हवाई द्वीप में एक पर्वत पर 2018 में स्थापित किए जाने की योजना है। यह सौरमंडल और अन्य आकाशगंगाओं का अध्ययन करेगी। अनंत ब्रह्माण्ड के रहस्यों को समझने में मानव अभी प्रारंभिक स्तर पर है। 2001 और 2003 में खगोल विज्ञानियों ने 30 मीटर व्यास की आप्टिकल अल्ट्रावायलेट (0.3 से 0.4 मीटर तरंग दैध्र्य की पराबैगनी किरणों) से लेकर मिड इंफ्रारेड (2.5 मीटर से 10 माइक्रोन तरंग दैध्र्य तक की अवरक्त) किरणों (टीवी के रिमोट में प्रयुक्त की जाने वाली अदृश्य) युक्त दूरबीन का ख्वाब देखा गया था। 'थर्टी मीटर टेलीस्कोप यानि 'टीएमटी' कही जा रही 1.3 बिलियन डालर लागत वाली यह दूरबीन प्रशांत महासागर में हवाई द्वीप में होनोलूलू के करीब ज्वालामुखी से निर्मित 13,803 फिट (4,207 मीटर) ऊंचे पर्वत पर वर्ष 2018 में स्थापित किए जाने की योजना है। यह सौरमंडल और अन्य आकाशगंगाओं का अध्ययन करेगी। इस दूरबीन का निर्माण किसी एक देश के बस की बात नहीं है। इसके निर्माण में भारत, अमेरिका, जापान, कनाडा, आस्ट्रेलिया, चीन एवं यूरोप सहित आठ देश सहयोग करेंगे। भारत की ओर से विगत दिनों तत्कालीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री पृथ्वीराज चह्वाण इस महायोजना में भारत के शामिल होने की औपचारिकता पूरी कर चुके हैं। देश के इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रो फिजिक्स (आईसीयूएए) पुणो व इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रो फिजिक्स (आईआईए) बंगलुरु के साथ ही नैनीताल स्थित एरीज की इस महायोजना में प्रमुख भागीदारी होगी। आगे की रणनीति के लिए अगले माह कनाडा में होने जा रही सहयोगी देशों के वैज्ञानिकों की अति महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेने के लिए एरीज के निदेशक प्रो. रामसागर एवं वैज्ञानिक डा. अमितेष ओमर सहित भारतीय वैज्ञानिकों का दल कनाडा रवाना हो गया है। एरीज में वैज्ञानिकों में टीएमटी के प्रति खासा रोमांच है। तारों के अध्ययन में जुटे वैज्ञानिक डा. महेर गोपीनाथन ने उम्मीद जताई कि 2020 तक टीएमटी अनंत ब्रह्माण्ड की अनेक गुत्थियों पर लगातार नजर रखकर इन्हें सुलझाने में मदद करेगी।
अवरक्त किरणों को देखना चुनौती
नैनीताल। बड़ी से बड़ी व्यास की दूरबीन बनाने की कोशिशों का मूल कारण अवरक्त यानि इंफ्रारेड किरणों को न देख पाने की समस्या है। दुनिया में मौजूद दूरबीनें 350 से 750 तरंग दैध्र्य की किरणों तथा ऐसी किरणों उत्सर्जित करने वाले तारों व आकाशगंगाओं को ही देख पाती हैं जबकि इससे अधिक तरंग दैध्र्य की अवरक्त यानी इंफ्रारेड किरणों को देखने के लिए इनके अनुरूप उपकरणों की जरूरत होगी। ऐसी बड़ी दूरबीनें ऐसी प्रकाश व्यवस्था से भी जुड़ी होंगी जो बड़ी तरंग दैध्र्य की अवरक्त किरणों के माध्यम से बिना वायुमंडल और ब्रrांड में विचलित हुए सुदूर अंतरिक्ष के निर्दिष्ट स्थान पर पहुंचकर वहां का हाल बता पाएंगी। एरीज ने जहां नैनीताल के देवस्थल में अभी 1.3 मीटर की दूरबीन लगाई है, वहीं एशिया की सबसे बड़ी बताई जा रही 3.6 मीटर व्यास की स्टेलर दूरबीन भी लगाने जा रहा है। यही नहीं देश में 10 मीटर व्यास की दूरबीन लगाने की कोशिश की चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं।


एक सी है मानव और तारों के जीवन-मरण की कहानी
नैनीताल। वैदिक मान्यता अनुसार मानव शरीर को पंच महाभूतों धरती, आकाश, अग्नि, हवा व पानी से बना माना जाता है, वहीं वैज्ञानिक इससे भी आगे मानते हैं कि मानव शरीर तारों (उपग्रहों में मौजूद तत्वों) से बना है। एरीज के वैज्ञानिक डा. महेर गोपीनाथन के अनुसार तारों से ही मानव एवं जीवधारियों का निर्माण होता है। हमारे रक्त में मौजूद हीमोग्लोबिन हो या हड्डियों में मौजूद कैल्शियम, सभी तत्व मूलत: तारों में ही बने हैं। यदि प्रकृति ने कोई आंख मिचौली न दिखाई तो टीएमटी से तारों के साथ ही जीवधारियों के जीवन-मरण की गुत्थी को भी और बेहतरी से समझा जा सकेगा।

रविवार, 20 मार्च 2011

जापानी परमाणु विकीरण के खतरे से अछूता नहीं भारत

बारिश हुई तो भारत पर पद सकती है विकीरण की मार 
पश्चिमी विक्षोभ की अति सक्रियता बढ़ा रही हा खतरा 

गुरुवार, 17 मार्च 2011

गांधी दर्शन को पुनर्स्थापित करेगा कुमाऊं विवि

गांधी भवन स्थापित होगा, गांधी अध्ययन केंद्र करेगा अनुसूचित वर्ग के कल्याणार्थ कार्य
नवीन जोशी, नैनीताल। "राष्ट्रपिता गांधी पर बातें तो बहुत होती रही हैं, परंतु उनके विचार कार्य रूप में परिणित नहीं होते" व "हिमालय से ही फिर नयी गंगा निकलनी चाहिए" यह वह दो सवाल थे, जो मुख्यालय में चल रही दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में बार-बार उठे और इनका जवाब कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. वीपीएस अरोड़ा ने "कुमाऊं विवि गांधी जी के दर्शन को पुनर्स्थापित करेगा" की घोषणा से दिया। 
उन्होंने घोषणा की कि कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर में 2011-12 के शैक्षिक सत्र से गांधी दर्शन पर स्नातकोत्तर पाठय़क्रम प्रारंभ होगा। खुलासा किया कि यह पाठय़क्रम किसी भी अन्य पाठय़क्रम से भिन्न होगा। यह किसी विभाग के अधीन नहीं होगा, साथ ही इसमें विद्यार्थियों के लिए कोई बाहरी परीक्षा नहीं होगी। विद्यार्थियों का आकलन पूरी तरह पाठय़क्रम पढ़ाने वाले शिक्षक ही करेंगे। इस पाठय़क्रम के संयोजन की जिम्मेदारी कुलपति ने कुलसचिव कमल किशोर पांडे को सौंपी गई है। उनसे एक माह के भीतर इस के लिए पाठय़क्रम का प्रारूप तैयार करने को कहा गया है। साथ ही पाठय़क्रम के लिए स्वैच्छिक आधार पर शिक्षकों से आगे आने को कहा गया, जिसमें कई शिक्षकों ने स्वयं को इस के लिए प्रस्तुत भी कर दिया। कुलपति ने साफ किया कि इस पाठय़क्रम से जुड़ने वाले शिक्षकों को स्वयं के आचरण में भी गांधी दर्शन को आत्मसात करना होगा। उसे मांस-मदिरा जैसे व्यसन भी छोड़ने होंगे। इसके साथ ही उन्होंने विवि में गांधी भवन की स्थापना करने की घोषणा भी की तथा कार्यशाला में आए गांधीवादी विचारकों श्री बसंत, राधा बहन, एनपी मोदी व डा. एडी मिश्रा आदि से सहयोग की अपेक्षा की। इसके अलावा कुलपति ने विवि के गांधी अध्ययन केंद्र को गांधी जी के प्रिय पिछड़ा वर्ग के उद्धार की भावना के अनुरूप हर माह यानी वर्ष में 12 अनुसूचित बाहुल्य गांवों में परिवारों के कल्याणार्थ धरातल पर कार्य करने व इसकी सफलता की कहानी प्रकाशित करने को कहा। ऐसे लाभान्वित परिवारों के प्रतिनिधियों को हर वर्ष आयोजित होने वाली कार्यशाला में प्रतिभाग कराया जाएगा। साथ ही केंद्र इस वर्ग के लोगों की दक्षता वृद्धि का कार्य भी करेगा। कुलसचिव श्री पांडे ने केंद्र के माध्यम से महात्मा गांधी को अब तक प्राप्त न हो पाए नोबल पुरस्कार के लिए भी प्रयास करने की बात कही है। इससे पूर्व कार्यशाला में आए गांधीवादियों ने कुमाऊं विवि से गांधी दर्शन व विचार पर पाठय़क्रम शुरू किये जाने की मांग उठाई।
गांधी मॉडल न अपनाने का झेल रहे परिणाम : राधा बहन
नैनीताल। गांधी शांति प्रतिष्ठान की अध्यक्ष तथा गांधी जी की शिष्या रही सरला बहन के कौसानी स्थित लक्ष्मी आश्रम की संचालिका व जमना लाल बजाज पुरस्कार विजेता राधा भट्ट (राधा बहन) का मानना है कि गांधी जी यदि जिंदा होते तो आज देश में वर्तमान जैसे भ्रष्टाचार युक्त हालात न होते, साथ ही देश आज से भी अधिक तरक्की कर बुलंदी पर होता। बृहस्पतिवार को मुख्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय सहारा से बातचीत करते हुए उनका कहना था कि देश की आजादी के बाद की शुरूआती सरकारों ने गांधीजी के एवं देश के हजारों वर्ष से जिये मॉडल की बजाय पहले पूंजीवाद और फिर रूस के समाजवाद के मॉडल को लागू किया लेकिन रूस के विघटन के बाद समाजवाद का मॉडल छोड़क र वापस अमेरिका के पूंजीवाद के मॉडल पर चले गए। इसका परिणाम यह हुआ कि गांधी जी के सपनों का स्वराज तो मिला पर सुराज नहीं। उनका कहना था कि गांधी जी पहले ‘सत्य की खोज’ करते हुए विचारों को स्वयं जीकर आगे बढ़ने की गुंजाइश भी छोड़ते थे।

मंगलवार, 15 मार्च 2011

दुश्मन साबित हो रहा पड़ोसी मित्र राष्ट्र नेपाल !

नेपाल से मिल रहे वाहन चोरी के आर्डर!
50 से 80 हजार में ठिकाने लग रहे भारत से चुराए गए नए वाहन 
नेपाली सेना, माओवादी कमांडर और नेपाली पुलिस खुलेआम करती है इन वाहनों का इस्तेमाल

नवीन जोशी नैनीताल। खुली अंतरराष्ट्रीय सीमा वाला पड़ोसी मित्र राष्ट्र नेपाल, देश व खासकर सीमावर्ती उत्तराखंड राज्य का दुश्मन साबित हो रहा है। यहां के वन तस्करों व अपराधियों की शरणस्थली बनने के आरोप पुराने हैं। वहीं अब यह पूरी तरह साफ हो गया है कि नेपाल देश के नए वाहनों की कब्रगाह साबित हो रहा है। उत्तराखंड पुलिस के हाथ एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय वाहन चोर गिरोह हाथ लगा है, जिसने खुलासा किया है कि उसे भारत से 150 महिंद्रा कमांडर जीप नेपाल पहुंचाने का आर्डर मिला हुआ है। भारत के नए वाहन गिरोहों द्वारा सीमा पर सुरक्षा बलों की आंखों में धूल झोंककर नेपाल में मात्र 50 से 80 हजार रुपये में धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं, जिन्हें वहां माओवादी कमांडरों के साथ ही नेपाल सेना व नेपाल पुलिस के लोग खुलेआम प्रयोग कर रहे हैं। नैनीताल में पकड़े गए अंतरराष्ट्रीय वाहन चोर गिरोह के सदस्यों ने खुलासा किया है कि उन्हें नेपाल के बिचौलियों से नई गाड़ियों के ब्रांड व नाम सहित आर्डर मिलते हैं, जिसके बाद रात्रि में ऐसे वाहनों की तलाश की जाती है। वाहन का लॉक ड्रिल मशीन से तोड़ा जाता है व बैटरी के तारों को अलग से जोड़कर प्रशिक्षित चालकों के माध्यम से सामान्यतया उसी दिन बताए गए नेपाली स्थान पर उत्तराखंड के बनबसा अथवा यूपी के बहराइच या बलिया बार्डर से नेपाल में प्रवेश करा दिया जाता है। भारत में पुलिस की आंख में धूल झोंकने के लिए वाहन की नंबर प्लेट पलट कर कोई और नंबर लिख दिया जाता है, तथा दिल्ली में वाहन के सही इंजन व चेसिस नंबर तथा फर्जी पंजीकरण नंबर युक्त रजिस्ट्री तैयार कर साथ रखी जाती है। नेपाल सीमा में प्रवेश के उपरांत, चूंकि नेपाली माओवादी सरदार तथा नेपाल सेना व पुलिस के जवान व अधिकारी ही इनके खरीदार होते हैं, इसलिए वहां कोई समस्या नहीं आती है। आर्डर बिना यदि कोई वाहन पकड़ में आ जाए तो उसे सीमा के निकट के शहरों में ही फर्जी नंबरों के साथ रखा जाता है। पकड़े गए अंतरराष्ट्रीय वाहन चोर गिरोह के सदस्य टनकपुर निवासी त्रिलोक सिंह के अनुसार अभी उनके गिरोह को 150 कमांडर जीपों का आर्डर मिला हुआ है। यह गिरोह उत्तराखंड के साथ ही दिल्ली, नोएडा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सक्रिय है व हर रोज ही वाहनों को नेपाल ले जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय वाहन तस्कर हत्थे चढ़े
नैनीताल (एसएनबी)। अंतरराष्ट्रीय वाहन चोरी की घटनाओं में शामिल वाहन तस्कर गिरोह के दो सदस्य नैनीताल पुलिस के हत्थे चढ़े। इनके कब्जे से नोएडा से गत दिनों चुराया गया एक वाहन भी बरामद किया गया है। जिले के पुलिस कप्तान एवं कुमाऊं रेंज के आईजी की ओर से यह सफलता हासिल करने वाली नैनीताल एसओजी व तल्लीताल थाने की टीम को ढाई व पांच हजार रुपये के पुरस्कारों से नवाजा गया है। पुलिस के अनुसार सोमवार को मुखबिर से मिली सूचना पर पुलिस ने हल्द्वानी रोड पर हनुमानगढ़ी के पास वाहन संख्या एचआर62ए-1626 को रोक कर पड़ताल की तो वाहन का नंबर व उसमें सवार दोनों लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस में दर्शाए नाम पते गलत निकले। वाहन का असली नंबर डीएल1सी-0167 था व यह गत माह 14 जनवरी के आसपास नोएडा के सेक्टर 58 से चुराया गया था। पकड़े गए लोगों में पूर्णागिरि रोड टनकपुर निवासी त्रिलोक सिंह बोरा पुत्र रमेश बोरा अंतरराष्ट्रीय वाहन तस्कर गिरोह का वरिष्ठ सदस्य निकला, जो इस वाहन को नेपाल ठिकाने लगाने जा रहा था। हालांकि पुलिस यह खुलासा नहीं कर पाई कि एक माह बाद नेपाल ले जाए जा रहे वाहन को नैनीताल क्यों लाया जा रहा था। उसने खुलासा किया कि उसीने गत 10 दिसंबर की रात्रि कालाढूंगी रोड स्थित बजून से मैक्स वाहन संख्या यूके04 टीए-1695 व 14 दिसंबर की रात्रि नगर के कैंट क्षेत्र से सूमो विस्टा कार संख्या यूके04 टीए-0510 चुराकर नेपाल भेजे थे। सूमो को चुराने में साथ में दबोचे गए भिकियासैंण अल्मोड़ा निवासी जगत सिंह असवाल पुत्र स्व.जीवन सिंह असवाल का भी हाथ था। उसने खटीमा से एक पिकप सहित उत्तराखंड से बीते करीब आठ माह में 15 वाहन नेपाल पहुंचाने की बात भी स्वीकारी। उसने इस धंधे में नेपाल के दो लोगों रमेश पांडे व भोजराज शर्मा तथा नोएडा के कुछ लोगों के नाम के खुलासे भी पुलिस के समक्ष किए हैं। एसपी डा. सदानंद दाते ने बताया कि नोएडा व दिल्ली पुलिस को जानकारी दे दी गई है।
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वाहन चोरों के खिलाफ अलग सेल गठित होगा

आईजी ने ली मंडलीय समीक्षा बैठक
28 मार्च, 2011 : नैनीताल (एसएनबी)। कुमाऊं मंडल में हाल के दिनों में बढ़ी वाहन चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए नैनीताल एवं ऊधम सिंह नगर जिलों में 'एंटी ऑटो थेप्ट सेल' बनाया जाएगा। इस सेल में तेज 
तर्रार पुलिस कर्मियों को रखा जाएगा, ताकि वह वाहन चोरी में लिप्त गिरोहों का पता लगाकर उनके विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई अमल में ला सकें। रविवार को कुमाऊं परिक्षेत्र के आईजी राम सिंह मीणा ने बीते वित्तीय वर्ष के अपराधों की तुलनात्मक समीक्षा करते हुए इस बाबत आवश्यक निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने बैठक में मौजूद पुलिस कप्तानों को थानावार विशिष्ट समस्याओं को चिह्नित कर उनके निराकरण के लिए कार्ययोजना बनाने व क्रियान्वित करने को कहा। बीते वर्ष में नैनीताल जनपद में लूट एवं दहेज हत्या की घटनाओं पर भी आईजी ने संज्ञान लिया तथा ऐसी घटनाओं के शत-प्रतिशत खुलासे के निर्देश दिए। पीपी व भूपी के पकड़ में आने के बाद मंडल के टॉप-10 अपराधियों की धरपकड़ में तेजी लाने तथा इस मामले में ऐसे अपराधियों का पुन: सत्यापन कर लेने को कहा गया कि सूची में शामिल लोगों का आचरण वर्तमान में कैसा है। साथ ही वांछित अभियुक्तों की गिरफ्तारी व लंबित विवेचनाओं के निस्तारण की बाबत भी उन्होंने तेजी बरतने को कहा। आगामी पर्यटन सीजन के मद्देनजर भी उन्होंने खासकर नैनीताल के एसएसपी को प्रभावी यातायात व्यवस्था के लिए कार्ययोजना तैयार कर उसका क्रियान्वयन सुनिश्चित करने को कहा। बैठक में नैनीताल के एसएसपी मोहन सिंह बनंग्याल तथा एसपी चंपावत पीएस सैलाल, अल्मोड़ा पूरन सिंह रावत, बागेर मुख्तार मोहसिन, पिथौरागढ़ निलेश आनंद भरनै व प्रभारी एसएसपी ऊधम सिंह नगर सैंथिल अबुदई आदि मौजूद थे।

मंगलवार, 8 मार्च 2011

सर्वश्रेष्ठ छात्रा व शिक्षिका को कुमाऊं विवि करेगा सम्मानित


कुमाऊं विवि ने महिला दिवस पर दिया महिलाओं को तोहफा 
कमजोरी की सोच बदलें महिलाएं : कुलपति, 
साक्षरता दर शत-प्रतिशत पहुंचाने की जरूरत : शांति 
नैनीताल (एसएनबी)। कुमाऊं विवि हर वर्ष प्रत्येक संकाय की सर्वश्रेष्ठ छात्रा एवं शिक्षिका और विवि के सभी परिसरों में एक-एक सर्वश्रेष्ठ शिक्षिकाओं को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करेगा। विवि के कुलपति प्रो. वीपीएस अरोड़ा ने महिला दिवस के मौके पर यह घोषणा की। महिला दिवस के मौके पर कुविवि के हरमिटेज परिसर में महिलाओं द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कुलपति प्रो. अरोड़ा ने कहा कि हर किसी के उन्नयन में महिलाओं का अहम योगदान होता है, इसी प्रकार कई बार महिलाएं परिवार के पतन का कारण भी बनती हैं, उन्हें इससे भी बचना चाहिए उन्होंने महिलाओं से कमजोरी की सोच बदलने का आह्वान किया। इससे पूर्व विशिष्ट अतिथि प्रदेश की पशु कल्याण बोर्ड उपाध्यक्ष शांति मेहरा ने कहा कि पहाड़ में 70 फीसद महिलाओं के शिक्षित होने के बावजूद उनका जीवन चिंताओं में बीतता हैं। उन्होंने शिक्षित प्रतिशत को सौ फीसद करने की जरूरत बताई। पूर्व पालिकाध्यक्ष व वीमन कांफ्रेंस की अध्यक्ष सरिता आर्य ने ग्रामीण महिलाओं के उन्नयन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता जताई व घटते लिंगानुपात पर चिंता जताई। कार्यक्रम संयोजिका डा. नीता बोरा शर्मा ने समाज के संतुलित विकास के लिए स्त्रियों के उन्नयन के लिए उपयोगी सुझाव दिए। जैव तकनीकी विभागाध्यक्ष डा. बीना पांडे ने रेखांकित किया कि महिलाए आज हवाई जहाज के साथ देश भी चला रही हैं। वह पंच महाभूतों, धरती की तरह धैर्यवान, जल की तरह सरल,अग्नि सी संघर्ष में तपकर, हवा की तरह उड़ती हुई आकाश छूने चली हैं। इस मौके पर सीओ अरुणा भारती, श्रीमती तारा, हिंदी विभागाध्यक्ष डा.नीरजा टंडन, सावित्री कैड़ा, राजेरी पंत, निर्मला ढैला, चंद्रकला रावत, प्रो. निर्मला बोरा, ज्योति जोशी व इंदु पाठक सहित कई महिला मौजूद थीं।

कुलगीत पर बजीं तालियां
नैनीताल। कार्यक्रम के दौरान कुमाऊं विवि के कुलगीत का प्रथम बार संगीतबद्ध गायन प्रस्तुत हुआ। अल्मोड़ा परिसर की कवयित्री डा. दिवा भट्ट द्वारा लिखित व डीएसबी परिसर के संगीत विभाग द्वारा तैयार इस प्रस्तुति ने खूब तालियां बटोरी। अलबत्ता, कुलपति प्रो. अरोरा ने कुलगीत के संगीत को सभी परिसरों मैं एक जैसा करने व गायन की अवधि कम करने का कहा ।



सोमवार, 7 मार्च 2011

निजाम तो बदले मगर बेरोजगारों की किस्मत नहीं


दावे और वादों तक ही सीमित रह गए राजनीतिक दल विशेषज्ञ दे रहे स्वरोजगार अपनाने की सलाह
नवीन जोशी, नैनीताल। वर्ष 2000 में जब वर्षो संघर्ष के बाद राज्य बन रहा था, तो हर आंख में चमक थी कि अपने राज्य में हर हाथ को काम मिलेगा। पहाड़ के कम उम्र बच्चों को मैदानी शहरों के ढाबों, घरों में बर्तन धोने जैसे कामों के लिए पढ़ाई-लिखाई छोड़कर भागना नहीं पड़ेगा। कई लोग मैदानों से लगा-लगाया काम छोड़कर घर लौट आए, कि अपनी मेहनत से दूसरों की बजाय अपना घर ही सजाएंगे। राज्य बना, भाजपा की अंतरिम सरकार आई, कांग्रेस ने सत्ता हथियाई, उत्तरांचल से उत्तराखंड नाम बदला, पुन: भाजपा सरकार में लौटी, 10 वर्ष के राज्य में पांच मुख्यमंत्री बदल गए लेकिन सच्चाई है कि व्यवस्थाएं नहीं बदलीं, बेरोजगार-बेरोजगार ही रहे। ख्वाबों की ताबीर जो होनी थी, नहीं हुई। अब सरकार के चार वर्ष पूरे होने के साथ नए चुनाव का अघोषित शंखनाद भी हो गया है। वक्त है जब सत्तारूढ़ दल रोजगार दिलाने के दावे और विपक्ष वादे करेगा। एइसे मैं न क्यों न आंकनों से सच्चाई की पड़ताल कर ली जाए.... 
बातें छोड़ सीधे कुमाऊं के मंडल मुख्यालय जनपद के आंकड़ों पर आते हैं। नवंबर 2000 में राज्य बना, इससे पूर्व के वित्तीय वर्ष यानी एक अप्रैल 1999 से 31 मार्च 2000 के बीच एक वर्ष में 4,862 बेरोजगारों ने जिले के तीन सेवायोजन कार्यालयों में नौकरी के लिए पंजीयन कराया था। इस वर्ष 30 को नौकरी मिली थी जबकि राज्य बनने के दौरान मार्च 2001 में कुल 24,239 लोग बेरोजगारी की लाइन में सक्रिय पंजीकृत बेरोजगार थे। अगले यूपी और तत्कालीन उत्तरांचल के संधि काल के दो वर्षो यानी यूपी की भाजपा और उत्तरांचल की अंतरिम भाजपा सरकार के कार्यकाल में 50 लोगों को नौकरी मिली। राज्य के पहले आम चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता हथियाकर पांच वर्ष राज्य किया और उसके कार्यकाल के अंतिम दौर यानी 31 मार्च 2007 तक पांच वर्षो में 251, 250, 23, 86 व 96 मिलाकर कुल 729 को तथा औसतन प्रति वर्ष 146 लोगों को नौकरी मिल पाई। इसे राज्य बनने के लाभ के रूप में देखा जा सकता है। बेरोजगारों की जो संख्या राज्य बनने के दौरान 25,239 थी, दोगुना होते हुए 50,074 हो गई। जनता ने भाजपा को गद्दी दिलाई और भाजपा ने चार वर्ष में दो बार मुखिया की गद्दी बदल दी लेकिन इन चार वर्षो (31 दिसंबर 2010 तक) में क्रमश: 213, 185, 45 व 81 मिलाकर जिले के केवल 535 यानी औसतन 131 लोगों को ही रोजगार मिल सका है। अब वित्तीय वर्ष के शेष बचे तीन माह में यह औसत को पिछले के बराबर ला पाते हैं तो बड़ी बात होगी। कुल मिलाकर देखें तो राज्य बनने के बाद जिले के महज 1255 यानी औसतन प्रति वर्ष 126 बेरोजगारों को ही काम मिला है, और सक्रिय पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 55,232 तक जा चढ़ी है। यानी राज्य बनने के बाद बेरोजगार दोगुने से भी अधिक हो गये हैं। साथ ही साफ कर दें कि यह आंकड़े सरकारी नौकरियों के ही नहीं हैं, वरन इनमें सिडकुल की फैक्टरियों में लगे लोगों की संख्या भी है, और सभी आंकड़े शिक्षित बेरोजगारों के हैं, क्योंकि सेवायोजन कार्यालय अशिक्षितों का पंजीकरण नहीं करता है।
सेवायोजन आफिस की उपयोगिता पर सवाल
नैनीताल। कोई विभाग यदि अपना ही काम न करे तथा अन्य विभाग उसका कार्य करें तो ऐसे कार्यालय की उपादेयता पर सवाल उठने लाजमी हैं। जिला सेवायोजन कार्यालय का एक कर्मचारी नाम न छापने की शर्त पर कहता है कि विभाग को अन्य विभागों की नियुक्तियां विज्ञापित करने तो दूर उनसे नियुक्तियों संबंधी जानकारियां लेने का 'अधिकार' ही नहीं है। विभाग में स्वयं दर्जनों पद रिक्त हैं, वह अपने यहां ही नियुक्तियां नहीं कर सकता। विभाग बेरोजगारों को रोजगार सृजन के प्रति जानकारियां नहीं दे पा रहा है, ऐसे में विभाग को चलाने की आवश्यकता ही क्या है।