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मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

कुमाऊं विवि की पहल: 'रूसा' के तहत कई केंद्र खोलने की योजना


कुमाऊं विवि में शोधों को बढ़ावा देने की होगी कोशिश : धामी
नैनीताल (एसएनबी)। कुमाऊं विवि शोध एवं अभिनव प्रयोगों को बढ़ाने की ओर कदम बढ़ा रहा है। इसी कड़ी में विवि की राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के तहत कई केंद्र खोलने की योजना है। इनमें अमेरिका के रोजवैल पार्क न्यूयार्क के कैंसर इंस्टीटय़ूट बफैलो पार्क व सनी इंस्टीटय़ूट शामिल हैं। इनके सहयोग से स्थापित होने वाले केंद्रों के जरिये यहां आधुनिकतम फोटो डायनेमिक थेरेपी व सोनो डायनेमिक थेरेपी से कैंसर रोग के इलाज व उपचार पर शोध होंगे। इसके साथ ही बायो इंफारमेटिक सेंटर, नैनो साइंस एंड नैनो टेक्नोलॉजी सेंटर, समाज के निर्बल वगरे के लोगों को समाज की मुख्यधारा में लाने के केंद्र और पहाड़ की औषधियों की पहचान व उनकी बार-कोडिंग करने के केंद्र भी खोले जाएंगे। यह बात कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. होशियार सिंह धामी ने रूसा के तहत दो दिनों तक चली विभिन्न संकायों व विभागों के अध्यक्षों की बैठकों के बाद कही। उन्होंने बताया कि सभी विभागों व संकायों के अध्यक्षों से रूसा के प्रावधानों के तहत इन केंद्रों के लिए प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया है। बताया कि 19 दिसम्बर तक उन्हें प्रस्ताव देने को कहा गया है। इसके बाद कुमाऊं विवि 20 दिसम्बर को देहरादून में उच्च शिक्षा विभाग को यह प्रस्ताव सौंपेंगे। उन्होंने बताया कि इन केंद्रों के जरिए विवि में शोध व अध्ययन के स्तर को बढ़ाने एवं पहाड़ में उद्यमिता एवं कौशल को बढ़ाने का उद्देश्य भी रहेगा। बैठक में सहायक कुलसचिव डा. दिनेश चंद्रा, प्रो. मोहन दुर्गापाल, प्रो. संजय पंत, प्रो. बीआर कौशल, प्रो. एसपीएस मेहता, प्रो. एनडी कांडपाल, डा. आरपी पंत, प्रो. सत्यपाल बिष्ट, प्रो. नीरजा पांडे, प्रो. नीरज तिवारी, प्रो. मनोज पांडे, प्रो. बीना पांडे, प्रो. पारुल सक्सेना व प्रो. पीसी कविदयाल समेत सभी संकायों व विभागों के अध्यक्ष मौजूद रहे। 

गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

कुमाऊं विवि की परीक्षाएं होंगी ऑनलाइन

इंडिया रिजल्ट्स डॉट कॉम और आम्रपाली इंस्टीटय़ूट विवि के लिए मुफ्त में कर रही हैं परीक्षा की व्यवस्थाएं
नैनीताल (एसएनबी)। कुमाऊं विवि की सेमेस्टर पद्धति से होने वाली एवं प्रोफेशनल कोसरे की परीक्षाएं ऑनलाइन होने जा रही हैं। इस व्यवस्था के तहत विवि के छात्र फिलहाल ऑनलाइन और ऑफ लाइन दोनों तरह से परीक्षा फार्म भर पाएंगे और घर बैठे इंटरनेट के जरिये प्रवेश पत्र, जांच पत्र एवं अंक पत्र आदि डाउनलोड कर सकेंगे। इसके अलावा विवि के लिए परीक्षाओं को ऑनलाइन करने की व्यवस्थाएं मुफ्त में होने जा रही हैं। बृहस्पतिवार को कुमाऊं विवि के कुलपति कार्यालय में कुलपति प्रो. एचएस धामी की अध्यक्षता में परीक्षा पण्राली को ऑनलाइन करने के लिए हुई बैठक में सभी व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया गया। बताया गया कि फिलहाल छात्र चाहें तो सीधे ऑनलाइन और अन्यथा ऑफलाइन भी परीक्षा फॉर्म भर पाएंगे। ऐसे ऑफलाइन फॉर्मो को एक्सेल के फॉम्रेट में विवि द्वारा इंडिया रिजल्ट्स को भेजा जाएगा, जो इसे ऑनलाइन कर देगा। परीक्षाओं के ऑनलाइन फॉर्म भरने एवं अंक पत्र, जांच पत्र व अंक पत्र आदि डाउनलोड करने की व्यवस्था इंडिया रिजल्ट्स डॉट कॉम नाम की वेबसाइट और परीक्षाओं के बाद की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए जरूरी सॉफ्टवेयर हल्द्वानी के आम्रपाली इंस्टिटय़ूट द्वारा तैयार की जा रही है। बैठक में विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. रजनीश पांडे, सहायक कुलसचिव दिनेश चंद्रा, वित्त अधिकारी डीएस बोनाल, प्रो. बीडी कविदयाल, इंडिया रिजल्ट्स के सहायक प्रबंधक-तकनीकी एमके पांडे, विवि की ऑनलाइन व्यवस्थाएं देखने वाली कंपनी वंडर प्वाइंट के सीईओ निखिल मिश्रा आदि मौजूद थे।

अब केयूनैनीताल होगी कुमाऊं विवि की आधिकारिक वेबसाइट 
नैनीताल। कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. एचएस धामी ने बताया कि अब विवि की आधिकारिक वेबसाइट केयू नैनीताल डॉट एसी डॉट इन होगी। इस वेबसाइट में विवि की अकादमिक एवं प्रशासनिक जानकारियां होंगी। विवि की अब तक चल रही वेबसाइट केयूएनटीएल डॉट कॉम पर क्लिक करके भी इन वेबसाइटों पर सीधे प्रवेश हो जाएगा। विवि की परीक्षाओं के परिणाम केयूइक्जाम डॉट एसी डॉट इन वेबसाइट पर देखे जा सकेंगे लेकिन इसके लिए इंडिया रिजल्ट्स डॉट कॉम की वेबसाइट के लिंक को भी क्लिक करना पड़ेगा। जो विवि के लिए नि:शुल्क व्यवस्था कर रहा है। 
अभाविप ने किया ऑनलाइन प्रक्रिया का स्वागत 
नैनीताल। छात्रों के संगठन अभाविप ने कुमाऊं विवि द्वारा परीक्षा पण्राली को ऑनलाइन करने और इसके लिए परीक्षा फॉर्म भरने के लिए ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों विकल्प देने पर विवि प्रशासन व कुलपति की पहल का स्वागत किया है। परिषद कार्यकर्ताओं ने कहा कि वह कई बार इस बाबत विवि प्रशासन को ज्ञापन दे चुके थे। कुमाऊं विवि छात्र परिषद (महासंघ) ने भी विवि की पहल का स्वागत किया है। 
विवि के लिए अमेरिकी कैंसर संस्थान तैयार करेगा प्रोजेक्ट 
नैनीताल। अमेरिका के बफैलो शहर स्थित रोजवैल पार्क कैंसर इंस्टीटय़ूट कुमाऊं विवि के लिए कैंसर के निदान के लिए प्रयोग की जाने वाली फोटो डायनेमिक थेरेपी के प्रोजेक्ट तैयार करेगा। विवि के कुलपति प्रो. एचएस धामी ने बताया कि इस संस्थान के फोटो डायनेमिक थेरेपी सेंटर के निदेशक प्रो. रवींद्र कुमार पांडे कुमाऊं विवि के पूर्व छात्र हैं। उन्हीं की पहल पर यह हुआ है। विवि ने अपने रसायन, भौतिकी व माइक्रो बायलॉजी के तीन प्राध्यापकों-डा.पैनी जोशी उपाध्याय, डा. संतोष उपाध्याय व प्रो. संजय पंत को इस प्रोजेक्ट हेतु नियुक्त कर दिया है।

शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

गुरुओं का हो रहा 'पलायन', चेले भगवान भरोसे

नवीन जोशी, नैनीताल। चेलों यानी छात्रों के ज्ञान अर्जित कर बेहतर अवसरों के लिए 'प्रतिभा पलायन' की खबरें तो आपने खूब सुनी होंगी, लेकिन गुरुजनों का भी 'प्रतिभा पलायन' होता है। विश्वविद्यालय अधिनियम में उपलब्ध 'असाधारण छुट्टी' की व्यवस्थाओं का लाभ उठाकर कुमाऊं विवि के आधा दर्जन से अधिक प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर तीन से पांच वर्ष की लंबी छुट्टी पर चले गए हैं, और बेहतर सुविधाओं की मौज उड़ा रहे हैं। वहीं कुविवि में अपने मूल पदों पर भी उनका कब्जा बरकरार है। विवि की मजबूरी है कि इन पदों को रिक्त मानकर नई नियुक्तियां भी नहीं की जा सकतीं, लिहाजा मात्र 10 से 25 हजार के मानदेय पर उन्हें छह-छह माह के सीमित समय के लिए रखा जा रहा है। इससे यह संविदा भी अपना भविष्य अनिश्चित होने के मानसिक दबावों में हैं, और छात्रों को स्तरीय शिक्षा मिल पा रही है। देश के अन्य विवि सहित कुविवि में भी व्यवस्था है कि उच्च शिक्षा लेने जैसी 'असाधारण' परिस्थितियों में पहले तीन और दूसरी बार और दो यानी कुल पांच वर्ष के लिए विवि कार्य परिषद का अनुमोदन प्राप्त कर बिना वेतन के लंबे अवकाश पर जा सकते हैं। इस व्यवस्था का लाभ उठाकर विवि के अनेक प्रोफेसर लंबे अवकाश पर चले गए हैं और आईआईएम काशीपुर, उत्तराखंड मुक्त विवि व बनारस हिंदू विवि सरीखे अन्य संस्थानों में अधिक वेतन-सुविधाओं की मौज उड़ा रहे हैं। ऐसे में स्थिति यह है कि कुमाऊं विवि का तीन वर्ष पूर्व तक विवि के लिए बेहद लाभदायक रहा स्ववित्त पोषित आधार पर चलने वाला आईपीएसडीआर संस्थान यहां के तत्कालीन निदेशक डा. आरसी मिश्रा के जाने के बाद से अस्तित्वहीन हो गया है, और विवि की आय का एक बड़ा हिस्सा भी प्रभावित हुआ है। प्रोफेसरों के विवि छोड़कर जाने के पीछे विवि की अंदरूनी राजनीति भी एक बड़ा कारण बतायी जा रही है, जिसके तहत विरोधी विचारधारा के शिक्षकों को विवि छोड़ने को मजबूर कर दिया जाता है, और बाद में चहेतों को संविदा पर रखा जाता है। कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. होशियार सिंह धामी का कहना है कि विवि अधिनियम में ऐसी व्यवस्था है, लिहाजा वह इससे अधिक कुछ नहीं कह सकते। एबीबीपी के जिला संयोजक निखिल का कहना है कि शिक्षकों का बेहतर सुविधाओं के लिए अपने मूल छात्रों को उनके बेहतर शिक्षा के अधिकार से वंचित कर जाना भले विवि अधिनियम में गलत न हो, पर यह नैतिक रूप से गलत है। बेहतर हो कि ऐसे शिक्षक त्यागपत्र देकर ही अन्यत्र जाएं।

कुमाऊं विवि में 23 पदों को संविदा शिक्षकों से भरने की नौबत

नैनीताल। कुमाऊं विवि में प्रोफेसरों के लंबे अवकाश पर जाने के कारण रिक्त सहित कुल 23 पदों पर संविदा पर शिक्षकों की नियुक्तियां की जा रही हैं। विवि के कुलसचिव की ओर से जारी विज्ञप्ति में साफ किया गया है कि यह नियुक्तियां नितांत अस्थायी तौर पर केवल 31 दिसम्बर 2013 तक के लिए ही की जा रही हैं। इनमें डीएसबी परिसर नैनीताल के लिए संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, जंतु विज्ञान व सांख्यिकी विभागों में एक-एक, फार्मेसी व भूविज्ञान विभाग में दो-दो व भौतिकी विभाग में तीन सहित कुल 15 पद तथा एसएसजे परिसर अल्मोड़ा के लिए समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, वनस्पतिविज्ञान, गणित, सांख्यिकी व सूचना प्रोद्योगिकी में एक-एक तथा शिक्षा विभाग में दो सहित कुल आठ पद शामिल हैं।

लंबे अवकाश पर जाने वाले शिक्षक


  1. डा. केएन बधानी-एसोसिएट प्रोफेसर-वाणिज्य विभाग, डीएसबी परिसर, नैनीताल।
  2. डा. आरसी मिश्रा-प्रोफेसर- वाणिज्य विभाग, डीएसबी परिसर, नैनीताल। 
  3. डा. गिरिजा प्रसाद पांडे-एसोसिएट प्रोफेसर-इतिहास विभाग, डीएसबी परिसर, नैनीताल।
  4. डा. एचएस अस्थाना-एसोसिएट प्रोफेसर-मनोविज्ञान विभाग, एसएसजे अल्मोड़ा परिसर। 
  5. डा. दुर्गेश पंत- प्रोफेसर-कम्प्यूटर विभाग, एसएसजे परिसर, अल्मोड़ा। 
  6. डा.एचएस झा, प्रोफेसर-समाजशास्त्र, डीएसबी परिसर, नैनीताल। 
  7. डा. विजय जुयाल- प्रोफेसर-फाम्रेशी, भीमताल परिसर। 
  8. प्रो.एचपी शुक्ला- अंग्रेजी विभाग, डीएसबी परिसर नैनीताल।

सोमवार, 11 मार्च 2013

हिमालय पर ब्लैक कार्बन का खतरा !


पहाड़ों पर अधिक होता है मौसम परिवर्तन का असर : प्रो. सिंह
नवीन जोशी नैनीताल। दुनिया के "वाटर टावर" कहे जाने वाले और दुनिया की जलवायु को प्रभावित करने वाले हिमालय पर कार्बन डाई आक्साइड, मीथेन, ग्रीन हाउस गैसों तथा प्रदूषण के कारण ग्लोबल वार्मिग व जलवायु परिवर्तनों के खतरे तो हैं ही, वैज्ञानिक ब्लैक कार्बन को भी हिमालय के लिए एक खतरा बता रहे हैं। खास बात यह भी है कि इसका असर गरमियों के मुकाबले सर्दियों में, दिन के मुकाबले रात्रि में और मैदान के बजाय पहाड़ पर अधिक होता है। बीरबल साहनी पुरस्कार प्राप्त प्रसिद्ध पादप वैज्ञानिक, गढ़वाल विवि के पूर्व कुलपति, उत्तराखंड योजना आयोग के सदस्य एवं भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आईएनएसए) के लिए हिमालय पर जलवायु परिवर्तन का अध्ययन कर रहे प्रो. एसपी सिंह ने यह खुलासा किया है। सिंह का कहना है कि दुनिया में डेढ़ बिलियन लोग ईधन में ब्लैक कार्बन’का प्रयोग करते हैं। हिमालय पर इसका सर्वाधिक असर वनस्पतियों की प्रजातियों के अपनी से अधिक ऊंचाई की ओर माइग्रेट होने के साथ ही ग्लेशियरों के पिघलने और मानव की जीवन शैली से लेकर आजीविका तक पर गंभीर प्रभाव के रूप में दिख रहा है। धरती के गर्भ से खुदाई कर निकलने वाले डीजल जैसे पेट्रोलियम पदार्थो, कोयला व लकड़ी आदि को जलाने से ब्लैक कार्बन उत्पन्न होता है। प्रो. सिंह के अनुसार यह ब्लैक कार्बन’जलने के बाद ऊपर की ओर उठता है, और ग्रीन हाउस गैसों की भांति ही धरती की गर्मी बढ़ा देता है। बढ़ी हुई गर्मी अपने प्राकृतिक गुण के कारण मैदानों की बजाय ऊंचाई वाले स्थानों यानी पहाड़ों पर अधिक प्रभाव दिखाते हैं। प्रो. सिंह खुलासा करते हैं कि इस प्रकार मौसम परिवर्तन का असर दिल्ली या देहरादून से अधिक नैनीताल में सर्दियों में रात्रि का तापमान कई बार समान होने के रूप में दिखाई दे रहा है। इसके असर से ही ग्लेशियर पिघल रहे हैं और पौधों की प्रजातियां ऊपर की ओर माइग्रेट हो रही हैं। ऐसे में सामान्य सी बात है कि पहाड़ की चोटी की प्रजातियां और ऊपर न जाने के कारण विलुप्त हो रही हैं। मानव जीवन पर भी इसका असर फसलों के उत्पादन के साथ आजीविका और जीवनशैली पर पड़ रहा है। उन्होंने खुलासा किया कि हिमाचल प्रदेश में 1995 से 2005 के बीच सेब उत्पादन में कम ऊंचाई वाले कुल्लू व शिमला क्षेत्रों का हिस्सा कम हुआ है, जबकि ऊंचाई वाले लाहौल- स्फीति का क्षेत्र बढ़ा है।

शनिवार, 2 मार्च 2013

मापी जाएगी टेक्टोनिक प्लेटों की गतिशीलता

साफ होगी भारतीय प्लेट के तिब्बती प्लेट में धंसने की गति : प्रो. पंत
नवीन जोशी, नैनीताल। अब तक भूवैज्ञानिक सामान्यतया यह कहते आए हैं कि भारतीय उप महाद्वीप करीब 50 से 55 मिमी प्रति वर्ष की दर से उत्तर की ओर गतिमान है। इस दर से भारतीय टेक्टोनिक प्लेट तिब्बती प्लेट में समा रही है, लेकिन अब पहली बार भारतीय प्लेट की गति को ही उत्तराखंड के हिमालयों में विभिन्न टेक्टोनिक हिस्सों के बीच आपसी गतिशीलता के रूप में मापा जाएगा। इस हेतु केंद्रीय भूविज्ञान मंत्रालय की एक महत्वाकांक्षी परियोजना स्वीकृत हो गई है, जिसके तहत राष्ट्रीय भूभौतिक शोध संस्थान (एनजीआरआई) हैदराबाद और आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक कुमाऊं विवि के भूवैज्ञानिकों और उनके द्वारा पूर्व में स्थापित भूकंपमापी उपकरणों और नई जीआईएस पण्राली से जुड़े उपकरणों की मदद से भारतीय प्लेट की वास्तविक गति का पता लगाएंगे। उल्लेखनीय है कि देश में भूकंपों और भूगर्भीय हलचलों का मुख्य कारण भारतीय प्लेट के उत्तर दिशा की ओर बढ़ते हुए तिब्बती प्लेट में धंसते जाने के कारण ही है। बताया जाता है कि करीब दो करोड़ वर्ष पूर्व भारतीय प्लेट तिब्बती प्लेट से टकराई थी, और इसी कारण उस दौर के टेथिस महासागर में इन दोनों प्लेटों की भीषण टक्कर से आज के हिमालय का जन्म हुआ था। आज भी दोनों प्लेटों के बीच यह गतिशीलता बनी हुई है, और इसकी गति करीब 50 से 55 मिमी प्रति वर्ष बताई जाती है। इधर भूविज्ञान मंत्रालय की परियोजना के तहत हिमालय के हिस्सों- लघु हिमालय से लेकर उच्च हिमालय के बीच के विभिन्न भ्रंशों के बीच इस गतिशीलता को गहनता से मापा जाएगा। कुमाऊं विवि के भूविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. चारु चंद्र पंत ने बताया कि एनजीआरआई हैदराबाद के डा. विनीत गहलौत और आईआईटी कानपुर के प्रो. जावेद मलिक गंगा-यमुना के मैदानों को शिवालिक पर्वत श्रृंखला से अलग करने वाले हिमालय फ्रंटल थ्रस्ट, शिवालिक व लघु हिमालय को अलग करने वाले मेन बाउंड्री थ्रस्ट (एमबीटी), इसी तरह आगे रामगढ़ थ्रस्ट, साउथ अल्मोड़ा थ्रस्ट, नार्थ अल्मोड़ा थ्रस्ट, बेरीनाग थ्रस्ट व मध्य हिमालय से उच्च हिमालय को विभक्त करने वाले मेन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी) जैसे विभिन्न टेक्टोनिक सेगमेंट्स के बीच आपस में उत्तर दिशा की ओर गतिशीलता का गहन अध्ययन करेंगे। इस हेतु प्रदेश के पीरूमदारा, काशीपुर, कोटाबाग व नानकमत्ता व नैनीताल में जीपीएस आधारित उपकरण लगाए जाएंगे जो लंबी अवधि में इन स्थानों पर लगे उपकरणों की उनकी वर्तमान मूल स्थिति के सापेक्ष विचलन को नोट करते रहेंगे। इनके अलावा कुमाऊं विवि द्वारा कुमाऊं में भूकंप मापने के लिए मुन्स्यारी, तोली (धारचूला), नारायणनगर (डीडीहाट), धौलछीना और भराड़ीसेंण में लगाए गए उपकरणों की भी मदद ली जाएगी। 

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

सिडकुल में राज्य के बेरोजगारों को मिले सीधी नौकरी : बाबा


कहा, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद पर बदलाव की संभावना नहीं
नैनीताल (एसएनबी)। नैनीताल के सांसद केसी सिंह बाबा ने सिडकुल में राज्य के बेरोजगारों को सीधी नियुक्ति न देने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि ठेके या कांट्रेक्ट पर नौकरी में कोई भविष्य नहीं होता। वह सरकार से मांग करते हैं कि राज्य के बेरोजगारों को शासनादेश के अनुरूप 70 फीसद रोजगार सीधी भर्ती के जरिए मिले। उन्होंने सिडकुल की फैक्टरियों में ठीक से उत्पादन न होने व केवल डमी उत्पादन दर्शाए जाने को गंभीरता से लेते हुए स्वयं जायजा लेने की बात कही। प्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बदलाव की संभावनाओं से इनकार करते हुए उन्होंने उम्मीद जताई कि अध्यक्ष यथावत रहेंगे। 
शुक्रवार को कांग्रेस नगर अध्यक्ष के आवास पर आयोजित पत्रकार वार्ता में बाबा ने कहा कि गौला, कोसी आदि नदियों में एकमुश्त 10 वर्ष चुगान की अनुमति प्राप्त करना बड़ी जीत है। आगे काठगोदाम से मुंबई व चंडीगढ़ को तथा रामनगर से देहरादून के लिए सीधी ट्रेन चलाने, सितारगंज-किच्छा के बीच रेल लाइन का नया सर्वे कराने व काशीपुर से धामपुर तक रेल लाइन के लिए प्रयत्नशील हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राज मार्गों की मरम्मत का कार्य भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा करने के फैसले से दिक्कत आ रही है, समस्या के समाधान की कोशिश की जा रही है। सांसद निधि के वर्ष 2011-12 के प्रस्ताव पहले ही भेजे जा चुके हैं। देरी विभागीय स्तर पर हो रही है। प्रदेश का 67 फीसद घटाया गया मिट्टी तेल का कोटा बढ़ाने के लिए वे केंद्र से वार्ता करेंगे। महंगाई को बड़ी समस्या बताते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में गंभीर हैं। अगला लोस चुनाव लड़ने के बाबत उन्होंने कहा कि हर निर्णय स्वीकार्य होगा, वह हर हाल में 'बाबा' ही रहेंगे। पत्रकार वार्ता में सांसद प्रतिनिधिडा. हरीश बिष्ट, किशन लाल साह, सुरेश गुरुरानी, नगर अध्यक्ष मारुति साह व भगवती सुयाल आदि मौजूद रहे। 

कुमाऊं विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा देने के पक्ष में नहीं सांसद 
सांसद केसी सिंह बाबा ने कहा कि मौजूदा कुमाऊं विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा नहीं देना चाहिए। इस मामले में अपनी राय व्यक्त करते हुए बाबा ने कहा कि मौजूदा कुमाऊं विवि को यह दर्जा देने के बजाय नए विवि को यह दर्जा देना चाहिए। कुमाऊं विवि कर्मचारी संघ-कूटा के साथ ही कांग्रेस बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ कुमाऊं विवि को केंद्रीय दर्जा देने की मांग करते रहे हैं। कूटा महासचिव डा. ललित तिवारी ने कहा कि राज्य कैबिनेट के कुमाऊं विवि को ही केंद्रीय दर्जा देने का प्रस्ताव पारित करने के बाद अब इस मामले में विवाद नहीं होना चाहिए। गढ़वाल के बाद कुमाऊं विवि को यह दर्जा दिया जाना प्राकृतिक न्याय है। 

गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

कुमाऊं विवि के भौतिकी विभाग को "सेंटर फॉर एक्सीलेंस"



यूजीसी से मिलेंगे 1.37 करोड़ रुपये सेंटर फार एडवांस्ड स्टडीज बनेगा
नवीन जोशी, नैनीताल। कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर का भौतिकी विभाग पुन: अपने गौरव की ओर लौटता नजर आ रहा है। विभाग को विवि अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने ˜सेंटर फॉर एक्सीलेंस" बनाने की घोषणा कर दी है। इसके तहत विभाग को अगले पांच वर्षो में 1.31 करोड़ रुपये मिलेंगे, जिससे विभाग को सीएएस यानी सेंटर फॉर एडवांस स्टडीज यानी डीएसए के रूप में विकसित किया जाएगा। इस धनराशि से विभाग में स्नातकोत्तर व शोध के स्तर को बढ़ावा देने के लिए अत्याधुनिक उपकरण खरीदे जाएंगे, साथ ही विभाग से संबंधित बड़ी संगोष्ठियां व लेक्चर भी आयोजित किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि कुमाऊं विवि के भौतिकी विज्ञान विभाग के प्रो. डीडी पंत को कुमाऊं विवि के प्रथम कुलपति होने का सौभाग्य मिला था। प्रो. पंत की गिनती देश के बड़े वैज्ञानिकों में होती थी। इस लिहाज से विवि के भौतिकी विभाग का गौरवमयी इतिहास रहा है। इधर, बीते माह 21-22 जनवरी को यूजीसी की बैठक में भौतिकी विभागाध्यक्ष डा. संजय पंत द्वारा किए गए विभाग के प्रस्तुतीकरण के फलस्वरूप यह उपलब्धि हासिल हुई है। प्रो. पंत ने उम्मीद जताई कि इस उपलब्धि के बाद विभाग में पढ़ाई व शोध का स्तर बढ़ेगा। बताया कि विभाग को डीआरएस व डीएसए के बाद मिली यह तीसरी अवस्था है। वहीं कुलपति प्रो. राकेश भट्नागर ने विभाग की इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि इससे विभाग में काफी सारे अत्याधुनिक उपकरण प्राप्त होंगे। फलस्वरूप विद्यार्थी बेहतर सुविधाओं के साथ शोध कार्य कर पाएंगे, साथ ही उनके कार्य को देश-दुनिया में महत्व मिलेगा। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व विवि के भूगर्भ विज्ञान विभाग को ही यूजीसी से "सेंटर फार एक्सीलेंस" का पुरस्कार मिल पाया है।

प्रो. पंत ने अपने उपकरणों से की थी स्थापना
नैनीताल। कम ही लोग जानते होंगे कि डीएसबी परिसर की भौतिकी प्रयोगशाला देश की ऐसी पहली प्रयोगशाला है, जो प्रो. डीडी पंत ने अपने बनाए उपकरणों से 1954 से 1956 के बीच स्थापित की थी। आज भी यह प्रयोगशाला देश की श्रेष्ठ प्रयोगशालाओं में गिनी जाती है, और खासकर प्रकाश-भौतिकी (स्पेक्ट्रोस्कोपी) की प्रयोगशालाओं के मामले में उत्तर भारत की सर्वश्रेष्ठ प्रयोगशाला बताई जाती है।

गुरुवार, 17 जनवरी 2013

जानलेवा बीमारी का टीका बना दिव्या ने हासिल किया अंतराष्ट्रीय युवा वैज्ञानिक पुरस्कार


गायों से मानव में होने वाली व जैविक हथियार के रूप में प्रयोग किए जाने वाले विषाणु की प्रतिरोधक वैक्सीन बनाने में हासिल की सफलता
नवीन जोशी, नैनीताल। कुमाऊं विवि की छात्रा रही दिव्या गोयल को शंघाई में अंतराष्ट्रीय युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से नवाजा गया है। यह पुरस्कार चेचक के टीके के जनक एडर्वड जेनर के नाम पर दिया जाता है। दिव्या की खोज इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि उनके बनाए टीके को जैविक हथियारों के विरुद्ध भारतीय सैनिकों में प्रतिरोधक वैक्सीन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। दिव्या ने गायों से मनुष्य में आ सकने वाली जानलेवा ब्रूसलोसिस बीमारी की रोकथाम का टीका विकसित कर और उसका चूहों में सफल परीक्षण कर यह पुरस्कार दुनियाभर के 175 प्रतिभागियों के बीच आयोजित प्रतियोगिता के जरिए "एडर्वड जेनर इंटरनेशनल यंग साइंटिस्ट अवार्ड-२०१२" हासिल किया है। 
मूलत: दिल्ली निवासी दिव्या ने दिल्ली विवि से बीएससी करने के बाद कुमाऊं विवि के जैव प्रौद्योगिकी विभाग से विभागाध्यक्ष डा. बीना पांडे के निर्देशन में वर्ष 2005 से 2007 के बीच एमएससी की डिग्री हासिल की है। यहां से वह वापस दिल्ली गई और संयोग से कुमाऊं विवि के वर्तमान कुलपति डा. राकेश भटनागर के अधीन ही जवाहर लाल नेहरू विवि से शोध कर उन्हें बीती 31 दिसम्बर को पीएचडी अवार्ड हुई है। उसका यह शोध दुनिया की जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में श्रेष्ठतम "मॉलीक्यूलर इम्यूनोलॉजी" व "वैक्सीन" जैसे शोध जर्नल्स में भी प्रकाशित हो चुका है। डा. भटनागर के निर्देशन में उनकी प्रयोगशाला में शोध करते हुए दिव्या ने कमोबेश एडर्वड जेनर द्वारा चेचक का टीका विकसित करने की विधि से ही जेनेटिक इंजीनियरिंग की प्रविधियों का इस्तेमाल करते हुए ब्रूसलोसिस की बीमारी का टीका विकसित किया है। इस टीके का चूहों में सफल परीक्षण भी कर लिया गया है। विदित हो कि एडर्वड जेनर ने गायों की चेचक की बीमारी काउपॉक्स से ही मनुष्य की स्माल पॉक्स यानी छोटी माता का टीका विकसित किया था। डा. भटनागर के अनुसार ब्रूसलोसिस बीमारी के कारण गायों का गर्भपात हो जाता है, जबकि इस रोग से ग्रसित गायों का कच्चा (बिना उबला) दूध पीने से इस बीमारी के विषाणु मनुष्य में भी आ जाते हैं और जानलेवा साबित होते हैं। पंजाब जैसे राज्यों में जहां शरीर को मजबूत बनाने के लिए युवा गाय का कच्चा दूध ही पीने का शौक रखते हैं, यह बीमारी बेहद खतरनाक साबित होती है। वहीं सैनिकों एवं दूसरे देश के लोगों के विरुद्ध इस बीमारी के विषाणुओं को ˜बायोलॉजिकल वारफेयर एजेंट" यानी जैविक हथियार के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है। लिहाजा, चूहों के बाद बंदरों से होते हुए यदि मनुष्य में भी दिव्या द्वारा बनाए टीके के प्रयोग सफल रहते हैं तो देश की सीमाओं पर कार्यरत सैनिकों को इसके टीके लगाकर उन्हें इस जानलेवा रोग से प्रतिरोधी बनाया जा सकता है। बृहस्पतिवार को दिव्या मुख्यालय में आई थीं। उन्होंने यहां कुमाऊं विवि के कुलपति व अपने शोध गुरु डा. राकेश भटनागर तथा भीमताल में जैव प्रोद्योगिकी विभागाध्यक्ष डा. बीना पांडे से मुलाकात कीं एवं आशीर्वाद लिया। उन्होंने बताया कि वह इसी दिशा में अपने शोध को आगे बढ़ाने के लिए विदेश जाना और वापस लौटकर देश की सेवा करना चाहती है। उम्मीद जताई कि उसके द्वारा विकसित टीका देश के काम आ सकेगा।

गुरुवार, 13 सितंबर 2012

कुमाऊं विवि को नहीं पता कुमाऊं व नैनीताल की स्पेलिंग




नैनीताल (एसएनबी)। लगता है कि कुमाऊं विवि की अंग्रेजी और खराब होती जा रही है। विवि हमेशा से अपने नाम की स्पेलिंग में ही गलती करता रहा है और अब उसने अपने मुख्यालय के नाम की स्पेलिंग में भारी गलती करके अपने अंग्रेजी ज्ञान की खुद ही पोल खोल कर रख दी है। विवि के मुख्यालय स्थित सर्वप्रमुख डीएसबी परिसर प्रशासन ने छात्र- छात्राओं को दिये जाने वाले परिचय पत्र में नैनीताल की स्पेलिंग ‘NAINITAL’ की जगह ‘NAINAITAL’ प्रदर्शित की है। इस पर विवि में पढ़ने आये छात्र विवि के अंग्रेजी ज्ञान को लेकर हतप्रभ हैं। वहीं परिसर प्रशासन इसे मानवीय भूल मानकर पल्ला झाड़ रहा है। गौरतलब है कि कुमाऊं विवि अपने नाम में हिंदी में कुमाऊं शब्द का ही प्रयोग करता है, लेकिन जब इसे अंग्रेजी में लिखता है तो स्पेलिंग ‘KUMAON’ की जगह ‘KUMAUN’ प्रयोग की जाती है। गौरतलब है कि इस गलती को विवि के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. केडी रुबाली सहित कई लोग विवि के संज्ञान में ला चुके हैं, लेकिन इसे सुधारा नहीं गया है। बहरहाल, नैनीताल शहर की स्पेलिंग में हुई गलती को डीएसबी परिसर निदेशक प्रो. बीआर कौशल ने स्वीकारते हुए इसे आगे सही करा लेने की बात कही।

गुरुवार, 22 मार्च 2012

भूस्खलन से पहले मिल जाएगी जानकारी

राज्य में भूस्खलन चेतावनी प्रणाली विकसित करने की तैयारी कुमाऊं विवि के भूविज्ञान विभाग व एटीआई की आपदा प्रबंधन विंग करेगी मिलकर कार्य 
नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश में भूस्खलनों से होने वाले नुकसानों को रोकने के लिए ‘भूस्खलन पूर्वानुमान प्रविधि’ (अर्ली वार्निग सिस्टम फार लैंड स्लाइड) विकसित करने का कार्य शुरू हो रहा है। उत्तराखंड प्रशासन अकादमी के आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ एवं कुमाऊं विवि के भू-विज्ञान विभाग इस दिशा में मिल कर कार्य करेंगे। अकादमी में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान नई दिल्ली के सहयोग से शुरू हुई कार्यशाला में इस बात पर सहमति बनी है। 
बृहस्पतिवार को उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में भूस्खलनों पर शुरू हुई तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ मौके पर बतौर मुख्य अतिथि कुमाऊं विवि के कुलपति ने इस बारे में कुविवि की भूमिका की घोषणा की। उन्होंने उम्मीद जताई कि उत्तराखंड जैसे अत्यधिक भूस्खलनों की संभावना वाले राज्य में ऐसी संगोष्ठियां लाभदायक होंगी। संगोष्ठी में जीएसआई कोलकाता के निदेशक जी. मुरलीधरन, उत्तराखंड मौसम विज्ञान के निदेशक आनंद शर्मा, राज्य आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के पूर्व निदेशक कुविवि के भूविज्ञान विभाग के प्रो. आरके पांडे, अपर जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल व कुविवि के विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. सीसी पंत आदि ने भी उपयोगी विचार रखे तथा प्रदेश की भूस्खलन संवेदनशीलता के मद्देनजर प्रभावी उपाय किये जाने पर बल दिया। संचालन जेसी ढौंढियाल ने किया। बताया गया कि संगोष्ठी में अगले दो दिन देश के 15 राज्यों से आये विशेषज्ञ करीब 35 शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे तथा आखिरी दिन नगर के आधार बलियानाला व अन्य क्षेत्रों की फील्ड स्टडी भी करेंगे। 

शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

अल्मोड़ा में आयोजित होगी राज्य की छठी विज्ञान कांग्रेस

तीन वैज्ञानिकों का सम्मान तथा 436 प्रतिभागी पेश करेंगे शोध पत्र व पोस्टर
नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश की छठी उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं तकनीकी कांग्रेस 2011 का आयोजन 14 से 16 नवंबर तक एसएसजे कैंपस अल्मोड़ा में किया जा रहा है। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य राज्य के वैज्ञानिकों को एक मंच प्रदान करना है। इसमें शोधार्थियों को अपने शोध को वैज्ञानिक समुदाय व विशेषज्ञों के समक्ष रखने का अवसर मिलेगा। वर्ष 2007 के बाद यह दूसरा मौका होगा जब कुमाऊं विवि इस आयोजन का दायित्व निभाएगा। इस दौरान नौ तकनीकी सत्रों में 16 विषयों पर 50 विषय विशेषज्ञ तथा 436 प्रतिभागी मौखिक एवं पोस्टरों के माध्यम से शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। इन्हीं में से चार श्रेणियों में प्रतिभागियों को वैज्ञानिक पुरस्कार दिए जाएंगे। साथ ही प्रदेश तथा खासकर अल्मोड़ा से संबंधित तीन वैज्ञानिकों डा. आरसी बुधानी, डा.एमसी जोशी व डा. जीएस रौतेला को सम्मानित किया जाएगा। 
शुक्रवार को कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. वीपीएस अरोड़ा, कुलसचिव डा. कमल के. पांडे तथा आयोजक सचिव प्रो. एचएस धामी ने पत्रकार वार्ता में ‘मीटिगेशन आफ नेशनल क्लाइमिटीज विद स्पेशल रिफ्रें स टू उत्तराखंड’ विषयक विज्ञान कांग्रेस के तहत आयोजित कार्यक्रमों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यूकोस्ट के तत्वावधान तथा डीएसटी, गोविंद बल्लभ पंत पर्यावरण एवं विकास संस्थान कोसी कटारमल, उत्तराखंड सेवा निधि पर्यावरण शिक्षण संस्थान, विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान केंद्र अल्मोड़ा व राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान-नासी के सहयोग से भारतीय विज्ञान कांग्रेस की तर्ज पर आयोजित हो रहे इस आयोजन का शुभारंभ 14 को मुख्यमंत्री करेंगे। इस मौके पर बनारस हिंदू विवि के कुलपति प्रो.लाल जी सिंह नासी व्याख्यान देंगे। 15 को अल्मोड़ा के एसएसजे परिसर सहित 13 स्थानों पर तकनीकी सत्र होंगे। 16 नवम्बर को समापन पर विधानसभा अध्यक्ष हरबंस कपूर उपस्थित रहेंगे। मौखिक श्रेणी में 285 व पोस्टर श्रेणी में 151 पेपर प्रस्तुत किए जाएंगे। इस मौके पर वानिकी, गणित, विज्ञान एवं समाज तथा उत्तराखंड में गणित का विकास जैसे विषयों पर बुद्धिशीलता सत्र आयोजित किए जाएंगे। आयोजन में डा. एलएमएस पालनी, पद्मश्री डा. ललित पांडे, डा.जेसी भट्ट, डा. राम सागर, डा. अनंत पंत, न्यूयार्क विवि के प्रो. आरएस कुलकर्णी व प्रो. सीएस अरविंदा आदि वैज्ञानिक प्रतिभाग करेंगे। 
उधर देहरादून में यूकास्ट के महानिदेशक डा. राजेन्द्र डोभाल ने भी आयोजन की जाकारी दी। 

बुधवार, 10 अगस्त 2011

एपीजे बोले, ज्ञान लो, महान बनो

नैनीताल (एसएनबी)। भारत रत्न से सम्मानित पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा है कि छात्र महान वैज्ञानिकों ग्राहम बेल, सीवी रमन, रामानुजम, राइट ब्रदर्स, थामस अल्वा एडिसन, हार्डी और प्रो. चंद्रशेखर की तरह असंभव कल्पनाएं करें। इसके बाद वे इन कल्पनाओं को पूरा करने की हिम्मत दिखाकर अद्वितीय बनें। इससे वे मानवीय क्षमता की सीमाओं को तोड़ सकते हैं।
कुमाऊं विवि के 11वें दीक्षांत समारोह में ‘मिसाइलमैन’ के नाम से मशहूर पूर्व राष्ट्रपति डा. कलाम ने विद्यार्थियों से अद्वितीय बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि उन्हें जीवन में ऊंचे लक्ष्य रखने होंगे। लगातार ज्ञानार्जन करना होगा। कठिन परिश्रम के साथ महान उपलब्धि का पाने के लिए दृढ़ रहना होगा। ऐसा करने पर वे स्वत: अद्वितीय बन जाएंगे। दीक्षोपदेश देते हुए कुलाधिपति मार्ग्ेट आल्वा ने 1973 में स्थापित कुमाऊं विवि के गौरवमयी इतिहास का विवरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह देश और दुनिया के विद्यार्थियों के लिए गुणवत्तायुक्त शिक्षा का केंद्र बनता जा रहा है। उन्होंने कुमाऊं विवि को राज्य ही नहीं पड़ोसी देश नेपाल व भूटान के विद्यार्थियों का प्रमुख शिक्षा पड़ाव बताया। मुख्यमत्री डा. निशंक ने युवाओं देश और प्रदेश के गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लेकर इसे आगे बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार राज्य को 2020 तक आदर्श राज्य बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। इससे पूर्व डा. कलाम ने राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के साथ विवि के 36,711 विद्यार्थियों को उपाधियां तथा स्नातकोत्तर के 26 छात्र-छात्रों के अलावा स्नातकोत्तर स्तर पर सर्वोच्च अंक प्रदान करने वाले विद्यार्थियों को कुलपति स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक के अलावा चार छात्राओं को गौरा देवी स्वर्ण पदक व दो अन्य पदक प्रदान किए। आयोजन की शुरूआत कुलसचिव डा. कमल के पांडे के नेतृत्व में विद्या परिषद एवं कार्य परिषद सदस्यों की शोभायात्रा के साथ हुई। डा. कलाम को एनसीसी कैडेटों ने सलामी दी। डा. कलाम ने उपाधिधारकों व पदक विजेताओं से बातचीत भी की। समारोह का शुभारंभ व समापन राष्ट्रगान तथा विवि के कुलगीत से हुआ। संचालन प्रो. नीरजा टंडन तथा डा. दिव्या उपाध्याय जोशी ने किया। कुलपति प्रो.वीपीएस अरोड़ा ने स्वागत एवं कुलसचिव डा. कमल के पांडे ने आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर पूर्व कुलपति प्रो. आरसी पंत, पंतनगर विवि के कुलपति डा. बीके बिष्ट, उत्तराखंड मुक्त विवि के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक, लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष ले.जनरल एमसी भंडारी, महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर आदि उपस्थित थे।

"आधी दुनियां" ने हासिल किये तीन चौथाई पदक 
नवीन जोशी नैनीताल। छात्राओं ने 11वें दीक्षांत समारोह में दिखाया कि जमाना उन्हें हाशिये पर धकेलने की कोशिश न करे। कुमाऊं विवि देश को शिक्षित, ज्ञानवान नारियां देने का फर्ज निभा रहा है। विवि द्वारा पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डा. एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों जिन 44 विद्यार्थियों को कुलपति, गौरादेवी एवं अन्य पदक प्रदान किए। उनमें तीन चौथाई यानी 33 पदक छात्राओं को मिले। इनमें कई छात्राऐं ऐसी हैं जिनको कई पदक मिले। दीक्षांत समारोह में स्नातकोत्तर स्तर पर सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर कर्म दुचेन भूटिया, राजेंद्र मेहता, भावना कोठारी, पीतांबर पंत, मोनिका बिष्ट, गुरजीत कौर, हुमा अंबारी, वंदना शर्मा, नवीन चंद्र, नाजिया, तृप्ता जोशी, कविता, वष्रा रानी, स्वाति साह, दीपक चंद्र, वंदना अधिकारी, नीरा सिंह, डीवी व्हुडरी, सीमा नेगी, प्रतिभा रावल, हषर्ल गुणवंत, दीपक बहादुर चंद्र, रवींद्र सिंह, रचना बाजपेयी, परिधि अग्रवाल व मुकेश राय तथा स्नातक स्तर पर उदिता रानी, क्राइस्टबेल सोरेसम, शिखा शर्मा व आफिया मतीन को स्वर्ण पदक प्राप्त से अलंकृत किया गया। संकायों में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाली छात्राओं उदिता, क्राइस्टबेल, शिखा व आफिया को गौरा देवी स्वर्ण पदक हासिल हुआ। इसके अतिरिक्त एमए संस्कृत में सर्वश्रेष्ठ अंक प्राप्त करने वाली भावना कोठारी व एमएससी रसायन में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाली वंदना अधिकारी को डा. डीसी भाकुनी स्मारक स्वर्ण पदक प्रदान किए गए।

बायो डीजल पर शोध करें वैज्ञानिक : कलाम

बायो डीजल से लगेगा प्रदूषण पर अंकुश पूर्व राष्टपति ने कहा भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए हरेक भारतवासी को आना होगा आगे
हल्द्वानी (एसएनबी)। पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने डीजल और पेट्रोल से उत्पन्न प्रदूषण को कम करने के लिए बैज्ञानिकों से बायोडीजल पर शोध और उत्पादन का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि पंतनगर से नैनीताल आते समय उन्हें दूसरे शहरों की तरह यहां फैल रहे प्रदूषण की जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि बायोडीजल से कार्बन डाई आक्साइड के उत्सर्जन को कम किया जा सकता है। 
अपने संबोधन में डा. कलाम ने भ्रष्टाचार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए हरेक भारतवासी को आगे आना होगा। डा. कलाम बुधवार को पंतनगर एयरपोर्ट जाते समय गौरा पड़ाव स्थित रक्षा जैव ऊर्जा अनुसंधान संस्थान (डिबेट) में वैज्ञानिकों और छात्रों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में वाहनों की बढ़ती संख्या से वातावरण में कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा अधिक हो रही है। इसको रोकने के लिए बायो-डीजल के उत्पादन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने वैज्ञानिकों से बायो रिसर्च पर ध्यान केन्द्रित करने को कहा। डा. कलाम ने डिबेट के वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए कहा कि भविष्य में यह संस्थान पूरी दुनिया को नई दिशा दे सकता है। उन्होंने बायो-डीजल उत्पादन में वृद्धि पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कार्बन डाई आक्साइड के अत्यधिक उत्सर्जन से मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और जैव विविधता की संरचना बिगड़ सकती है। उन्होंने संबोधन में उन्होंने भ्रष्टाचार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए हरेक भारतवासी को आगे आना होगा। इस मौके पर डा. कलाम ने बच्चों के सवालों का जवाब देने के साथ ही ज्ञानवृद्धि, कठिन परिश्रम, समस्या और परेशानियों का डटकर मुकाबला करने का मंत्र दिया। उन्होंने भरोसा दिया कि जो छात्र इन चार बातों पर ध्यान केंद्रित करेगा वे सफल होंगे। करीब बीस मिनट के कार्यक्रम में डा. कलाम ने आधे दर्जन से अधिक बच्चों के सवालों के जवाब दिए। सभी बच्चे बिड़ला स्कूल के थे। इस दौरान डा. कलाम ने संस्थान की तमाम प्रयोगशालाओं और विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी ली।संस्थान ने डा. कलाम को स्मृति चिह्न भी भेंट किया। डा. कलाम ने छात्रों ने आटोग्राफ भी दिये।

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