नैनीताल/देहरादून (एसएनबी)। उत्तराखंड बार काउंसिल की उत्तराखंड उच्च न्यायालय में अंग्रेजी के साथ ही हिंदी भाषा के उपयोग के लिए शुरू की गई मुहिम आखिर रंग लायी है। यहां होने वाले निर्णय अब हिन्दी में भी प्राप्त किए जा सकेंगे। हालांकि केस दायर करने और बहस की प्रक्रिया अब भी अंग्रेजी में ही होगी। बार कौंसिल ऑफ उत्तराखंड की मांग के बाद उत्तराखंड शासन द्वारा इस संबंध में निबंधक उच्च न्यायालय नैनीताल को आवश्यक व्यवस्थाएं करने के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।
बार कौंसिल ऑफ उत्तराखंड के चेयरमैन अधिवक्ता पृथ्वीराज चौहान ने कहा कि बार कौंसिल द्वारा 17 अप्रैल 2011 को (शेष पेज 15) कोर्ट द्वारा किये जाने वाले निर्णयों, डिक्री व आदेशों में अंग्रेजी के साथ हिंदी के समान रूप से प्रयोग को शासनादेश जारी प्रस्ताव शासन को सौंपा था। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय में हिन्दी के प्रयोग होने से वादकारी व अधिवक्ता लाभान्वित होंगे। उत्तराखंड शासन के राजभाषा अनुभाग ने गत दो मार्च को न्यायालय द्वारा किये जान वाले निर्णयों, डिक्री व आदेशों के लिए अंग्रेजी के साथ हिंदी भाषा का समान रूप से प्रयोग किये जाने के बाबत शासनादेश जारी किया। बार काउंसिल के सदस्यों ने इसे पूर्व सरकार के कार्यकाल में हुआ महत्वपूर्ण फैसला बताया है। बुधवार को बार काउंसिल सभागार नैनीताल में आयोजित पत्रकार वार्ता में बार काउंसिल के सचिव विजय सिंह ने पूर्व अध्यक्ष डा. महेंद्र पाल को आज ही प्राप्त हुए शासनादेश की प्रति की जानकारी दी। डा. पाल ने कहा कि उनका अंग्रेजी से कोई विरोध नहीं है लेकिन खुशी है कि उनकी ओर से शुरू की गई मुहिम सफल रही है। इस शासनादेश के बाद हिंदी में याचिका दायर की जा सकेंगी और अधिवक्ता हिंदी में जिरह कर सकते हैं। उन्होंने शासनादेश के अधिकाधिक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता जताई ताकि लोग इसका लाभ उठा सकें। पत्रकार वार्ता में काउंसिल के सदस्य डीके शर्मा, नंदन कन्याल, मंगल सिंह चौहान, वरिष्ठ अधिवक्ता केएस वर्मा, हाईकोर्ट बार एसोसिऐशन के सचिव विनोद तिवारी, स्टेंडिंग काउंसिल पीसी बिष्ट व मानव शर्मा भी मौजूद रहे।