आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वै ज्ञानिक रखे हुए हैं नजर
नवीन जोशी, नैनीताल। देश-दुनिया के खगोल वैज्ञानिकों की वर्ष 2012 में ‘सोलर मैक्सिमम’ यानी सूर्य पर अपने 11 वर्षीय चक्र की अधिकतम सक्रियता की आशंका सिर उठाती नजर आ रही है। गर्मियां शुरू होने से पूर्व ही सूर्य पर बड़ी (लाखों वर्ग किमी. आकार की) सौर भभूकाएं उठनी शुरू हो गई हैं। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने वर्ष 2003 जैसी ‘सौर सुनामी’, की आशंका जताई है। मालूम हो कि हमारे सौरमंडल की सबसे महत्वपूर्ण धुरी सूर्य है। जिस पर उत्तरी व दक्षिणी ध्रुवों के बीच चुंबकीय तूफान चलते हैं। यही चुंबकीय तूफान वास्तव में सूर्य के इतनी अधिक ऊष्मा के साथ धधकने के मुख्य कारक हैं जिससे पृथ्वी सहित सौरमंडल के अन्य ग्रह भी ऊष्मा, प्रकाश एवं जीवन प्राप्त करते हैं, लेकिन कहते हैं कि एक सीमा से अधिक हर चीज खतरनाक साबित होती है। ऐसा ही सूर्य पर चुंबकीय तूफानों के एक सीमा से अधिक बढ़ने पर भी होता है। चुंबकीय तूफान सूर्य पर पहले सन स्पॉट यानी सौर कलंक उत्पन्न करते हैं, इन्हें बड़ी सौर दूरबीनों के माध्यम से काले बिंदुओं के आकार में देखा जाता है। कई बार यह सौर कलंक धीरेधी रे विलीन हो जाते हैं, परंतु कई बार सौर कलंक आपस में मिलकर बड़े सौर तूफानों का कारण भी बनते हैं। सौर कलंक सूर्य पर असीम अग्नि की लपटें उत्पन्न करते हैं, इन्हें सोलर फ्लेयर या सौर भभूका कहते हैं। सूर्य पर यह सौर भभूका 11 वर्ष के चक्र में घटती-बढ़ती या शांत रहती हैं, जिसे सोलर साइकिल या सौर चक्र कहा जाता है। खगोल वैज्ञानिकों की गणना के अनुसार वर्तमान में 24वां सौर चक्र चल रहा है और वैज्ञानिकों की पूर्व में की गई घोषणाओं के अनुसार अपने चरम यानी ‘सोलर मैक्सिमम’ पर आ पहुंचा है। इसकी पुष्टि वैज्ञानिकों ने अब कर दी है। स्थानीय आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार इस वर्ष जनवरी के दूसरे पखवाड़े से ही सूर्य पर सौर सक्रियता बढ़ने लगी थी। 17 व 19 जनवरी को मध्यम व बड़ी सौर भभूकाओं के बाद 24 जनवरी को सूर्य पर उठी एम-8 श्रेणी की बेहद शक्तिशाली सौर भभूका ने तो वैज्ञानिकों को बेहद डरा दिया था। इसके बाद 14 फरवरी को भी सूर्य से एक बड़ा चुंबकीय तूफान मानो पृथ्वी को अपने आगोश में लेने के लिए बढ़ा था। इधर, पुन: सूर्य पर बड़े सौर कलंक नजर आने लगे हैं जिनका व्यास छह लाख वर्ग किमी तक बड़ा बताया जा रहा है।
चर्चाएं यहां तक हैं....
नैनीताल। वर्ष 2012 के ‘सोलर मैक्सिमम’ को मीडिया का एक वर्ग माया कलेंडर से भी जोड़कर देखने लगा है। गौरतलब है कि माया कलेंडर में वर्ष 2012 से आगे की तिथियां अंकित न होने से पृथ्वी के समाप्त होने की आशंकाओं को भी काफी बल दिया गया। हालांकि वैज्ञानिक इन आशंकाओं को पूरी तरह कपोल कल्पना बताकर खारिज कर चुके हैं, पर वर्ष 2003 में पिछले सौर चक्र के ‘सोलर मैक्सिमम’ के दौरान सौर तूफान पृथ्वी पर भू-उपग्रह आधारित संचार व्यवस्था, विद्युत ब्रिड व इलेक्ट्रानिक उपकरणों आदि को भारी नुकसान पहुंचा चुके हैं। इस कारण इन सौर तूफानों के लिए ‘सौर सुनामी’ जैसे शब्दों का प्रयोग भी किया जाने लगा है।
आसमान में दिखेगा ‘चांद सा रोशन चेहरा’
बुधवार को बृहस्पति व शुक्र होंगे पास, आयेगा चांद भी करीब गुरु, शुक्र एवं चांद की करीबी।
नैनीताल। खगोल विज्ञान एवं कुदरत की आसमानी खूबसूरती पर नजर रखने वाले लोगों के लिए आगामी सप्ताह कुछ खास रहने वाला है। इस सप्ताह से ही बेहद करीब नजर आ रहे बृहस्पति यानी गुरु एवं शुक्र ग्रह फाल्गुन पूर्णिमा के बाद से पूरे आकार में खिले-खिले नजर आ रहे हैं और चांद के साथ एक विशेष युति बनाएंगे। इस बुधवार को तो एक खास संयोग बनने जा रहा है, जब बृहस्पति व शुक्र ग्रह सूर्यास्त के बाद पूर्व दिशा में आभासीय तौर पर बेहद करीब, केवल तीन डिग्री की दूरी पर होंगे। शाम ढलने के कुछ देर बाद चांद भी उनके करीब आ जाएगा। एरीज के वैज्ञानिकों के अनुसार आगामी 15 मार्च को भी ऐसी स्थिति आएगी, पर तब इनके बीच की दूरी कुछ अधिक होगी।