बुधवार, 28 दिसंबर 2011
बुधवार, 21 दिसंबर 2011
ठण्ड में ग्लोबल वार्मिग: हिमालय पर पड़ा बर्फ का टोटा
20 दिसंबर 2011 को नैनीताल से लिया गया हिमालय का चित्र |
बढ़ती ठंड के बीच नगाधिराज बता रहा मौसम की हकीकत
मीथेन की मात्रा अधिक होने से बर्फबारी प्रभावित
नवीन जोशी, नैनीताल। साल के अंतिम दिन हैं। समस्त उत्तर भारत कड़ाके की शीत लहर की चपेट में है, लेकिन देश की लाइफलाइन हिमालय में बर्फ का टोटा है। इन सर्दियों में हिमालय की चोटियों पर अभी तक भारी बर्फबारी नहीं हुई है। इन दिनों धवल बर्फ से लकदक रहने वाला हिमालय इस बार स्याह नजर आ रहा है। हिमालय की ऊंची चोटियों पर ही बर्फ नजर आ रही है, जबकि निचले हिस्से की रौनक बेहद फीकी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह ग्लोबल वार्मिग का नतीजा है। हवा में मीथेन गैस की मात्रा अधिक होने से पहाड़ों में बर्फबारी नहीं हो रही है। देश-प्रदेश सहित समूचे दक्षिणी गोलार्ध से आ रही कंपकंपाती ठंड की खबरों के बीच यह खबर हैरान करने वाली है। भारत ही नहीं एशिया के मौसम की असली तस्वीर बयां करने वाला नगाधिराज हिमालय मानो छटपटा रहा है। नैनीताल के निकट हिमालय दर्शन से हिमालय का नजारा ले रहे सैलानियों के साथ ही पुराने गाइड भी हिमालय को देखकर आहत हैं। इसी वर्ष 24 फरवरी को नैनीताल से ही लिया गया हिमालय का चित्र |
आंकड़े न होने से परेशानी
नैनीताल। यूं तो हिमालय स्थित ग्लेशियरों के पिघलने के दावे भी पूर्व से ही किये जा रहे हैं परंतु सच्चाई है कि यह बातें आंकड़ों के बिना हो रही हैं। प्रदेश के मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक डा. आनंद शर्मा भी यह स्वीकारते हैं। उनके अनुसार वैज्ञानिक इस दिशा में गहन शोध और कम से कम आंकड़े एकत्र कर डाटा बेस तैयार करने की मौसम वैज्ञानिक आवश्यकता जताते रहे हैं। इधर कुमाऊं विवि द्वारा देश-प्रदेश का पहला सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज वचरुअल मोड में इसी वर्ष स्थापना कर चुका है जिससे आगे डाटा बेस तैयार करने की उम्मीद की जा रही है।
इस समाचार को मूलतः राष्ट्रीय सहारा के 21 दिसंबर 2011 के अंक में प्रथम पेज पर अथवा इस लिंक को क्लिक मूलतःदेख सकते हैं।
सोमवार, 19 दिसंबर 2011
गुरुवार, 15 दिसंबर 2011
दुनिया की नजरें फिर महा प्रयोग पर
"Big Bang Theory" के इस महा प्रयोग में शामिल वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्हें हैग्ग्स पार्टिकल्स दिखे हैं, पर इस खबर की अभी भी पुष्टि होनी बाकी है...हैग्ग्स पार्टिकल्स को श्रृष्टि में जीवन के जनक या ईश्वर के कण तक कहा जा रहा है...वैसे इनका नाम हैग्ग्स-बोसोन कण है, जिसमें बोसोन भारतीय वैज्ञानिक एससी बोस के नाम पर है....यदि यह कण न दिखे तो विज्ञान की कई अवधारणाओं की सत्यता खतरे में पड़ जायेगी.....
रविवार, 11 दिसंबर 2011
नैनीताल जनपद के विधानसभा क्षेत्रों की भौगौलिक स्थिति
आगामी विधान सभा चुनाव अब बेहद निकट आ चुके हैं, लेकिन अभी भी खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों के मतदाताओं में असमंजस बरकरार है कि वह किस विधान सभा क्षेत्र के लिये अपने मताधिकार का प्रयोग कर लोकतंत्र की मजबूती में योगदान देंगे। चुनाव आयोग की वेबसाइट में भी वर्ष 2006 में हुऐ परिसीमन के बाद के विस क्षेत्रों की भौगोलिक जानकारी उपलब्धनहीं है।
जिला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार केवल 61-रामनगर विधान सभा क्षेत्र है, जो ग़ढवाल लोक सभा क्षेत्र का हिस्सा है, और इसमें केवल और पूरी रामनगर तहसील शामिल है। जबकि 56-लालकुआं विधान सभा में लालकुआं तहसील के साथ हल्द्वानी तहसील के काठगोदाम कानूनगो सर्किल व लालकुआं के अर्जुनपुर पटवारी सर्किल शामिल हैं। 57-भीमताल विधान सभा में धारी तहसील तथा नैनीताल तहसील का रामगढ़ कानूनगो सर्किल, भीमताल के चांफी, पांडेगांव, पूर्व छःखाता, रौंसिल व पिनरौ पटवारी सर्किल व भीमताल नगर पालिका, 58- नैनीताल विधान सभा में बेतालघाट व कोश्यां कुटौली तहसील, नैनीताल व भवाली नगर पालिका तथा नैनीताल कैंट क्षेत्र के साथ भीमताल तहसील के भवाली, पश्चिम छः खाता, खुर्पाताल, मंगोली, बगढ़, स्यात, तल्लाकोट, सौढ व अमगढ़ी पटवारी सर्किल तथा वन क्षेत्र शामिल हैं। इसी तरह 59-हल्द्वानी विधान सभा सीट में हल्द्वानी तहसील का तत्कालीन हल्द्वानी-काठगोदाम पालिका एवं बाहरी विकसित क्षेत्र (वर्तमान हल्द्वानी नगर निगम) के वार्ड एक से 25, दमुवाढूँगा बंदोबस्ती, वार्ड 27, कोर्ता-चांदमारी मोहल्ला वार्ड 28, मल्ली बमोरी वार्ड 29, बमोरी तल्ली, शक्ति विहार, भट्ट कालोनी वार्ड 3 और बमोरी तल्ली खान का वार्ड 3 शामिल हैं। जबकि ६०-कालाढूँगी में कालाढूँगी तहसील के साथ नैनीताल तहसील की चोपड़ा पटवारी सर्किल, हल्द्वानी की हल्द्वानी खास, लामाचौड़, फतेहपुर, भगवानपुर, कमलुवागांजा, लोहरियासाल, देवलचौड़ व कुसुमखेड़ा पटवारी सर्किलें, लालकुआ की चांदनी चौक व आनंदपुर पटवारी सर्किलें तथा हल्द्वानी नगर निगम के मुखानी (रूपनगर, बसंत विहार कालोनी व जज फार्म) वार्ड 3, मानपुर उत्तर वार्ड 3, हरीपुर सखा, सुशीला तिवारी अस्पताल, वार्ड 34, तल्ली हल्द्वानी वार्ड 35, गौजाजाली उत्तर वार्ड 36, कुसुम खेड़ा वार्ड 37 व बिठौरिया नंबर 1 वार्ड 38 शामिल हैं।
गुरुवार, 8 दिसंबर 2011
रिपोर्ट कार्ड नैनीताल विधानसभा क्षेत्र खड़क सिंह बोहरा: वायदों पर अमल क्यों नहीं हुआ बोहरा साहब!
नवीन जोशी, नैनीताल। खड़क सिंह बोहरा 55- नैनीताल विधानसभा सीट से भाजपा विधायक है। नये परिसीमन के बाद इस सीट का नाम 58- नैनीताल हो गया है। साथ ही सीट का भौगोलिक स्वरूप बदल गया है। नई 58- नैनीताल विधानसभा सीट में 145 बूथ शामिल है। इनमें बेतालघाट तहसील के 24 बूथ, कोश्यां कुटौली के 34 तथा नैनीताल के 87 बूथ शामिल है। पिछली 55-नैनीताल विस सीट में नैनीताल तहसील के 94 तथा कालाढूंगी के 17 कुल 111 बूथ थे। नैनीताल सीट सामान्य की जगह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस कारण श्री बोहरा के लिए इस सीट से चुनाव लड़ने के दरवाजे बंद हो गए है। नये परिसीमन की स्थिति साफ होने पर उन्होंने नैनीताल विधानसभा सीट का हिस्सा रहे कालाढूंगी से संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी है। इस कारण वह नैनीताल क्षेत्र की उपेक्षा करते रहे। ऐसा न केवल उन पर विपक्ष का आरोप है वरन वह स्वयं भी इसे स्वीकार करने से गुरेज नहीं करते।
गत दिनों एक पोस्टर में वह स्वयं को चुनाव पूर्व ही नैनीताल के बजाय पहली बार अस्तित्व में आ रही कालाढूंगी सीट से विधायक दर्शा चुके है। बोहरा मूलत: कांग्रेसी है। वर्ष 2007 के चुनाव में उन्हें पहली बार भाजपा से टिकट मिला और वह विधानसभा पहुंचने में सफल रहे। तब उन्होंने जनता से खासकर माल रोड पर ग्रांड होटल के पास सेनैनी झील में सीवर की गंदगी न जाने देने, बलिया नाले को नगर का आधार बताकर उसका ट्रीटमेंट करने के वायदे किये थे लेकिन वह पांच साल में इन कामों की शुरुआत भी नहीं करा पाए। वायदों पर क्यों अमल नहीं हुआ? इस सवाल पर बोहरा बेबाक टिप्पणी करते है-उनका कहना है कि नैनीताल के सुरक्षित सीट घोषित हो जाने से उनको दुख हुआ। अपनी ओर से कोशिश की। नैनी झील में सीवर को जाने से रोकने के लिए कुछ कर नहीं सके पर कालाढूंगी व भवाली के साथ नगर के कृष्णापुर-हरिनगर क्षेत्र को सीवर लाइन से जोड़ने की पहल की। बलियानाले में आईआईटी रुड़की की टीम से सव्रेक्षण शुरू करा रहे है। बोहरा दावा करते है-उन्होंने हर गांव तक सड़क व भवाली में विधि विवि स्वीकृत कराया है। वह मानते है कि वन भूमि हस्तांतरण में अड़चन से कई सड़कों का निर्माण शुरू नहीं हो सका है। भीमताल में कुमाऊं विवि के तीसरे परिसर की सीएम से घोषणा कराई है। भाबर (कालाढूंगी) क्षेत्र में पेयजल व सिंचाई की समस्या का समाधान कराया है। उनका दावा है कि विधायक निधि की 100 फीसद धनराशि उन्होंने खर्च कर डाली है। विधायक बनने से पूर्व श्री बोहरा परिचितों से कड़क आवाज के साथ गर्मजोशी से मिला करते थे लेकिन विधायक बनने के बाद वह काफी समय अस्वस्थ रहे और जनता तो दूर परिचितों और पार्टी कार्यकर्ताओं से भी दूर रहे। स्वास्थ्य लाभ के उपरांत भी वह इस दूरी को पाट नहीं पाये। प्रदेश के सभी 70 विधायकों में बोहरा उन विधायकों में है जिन्होंने अपने कार्यकाल के पांचों वष्रो में अपनी विधायक निधि का शत- प्रतिशत हिस्सा खर्च किया है। यह भी सच है कि नैनीताल क्षेत्र में शिलापट उनकी निधि से विकास कार्य होने की गवाही नहीं देते। विरोधियों का आरोप है कि उनका ध्यान अपनी नई सीट कालाढूंगी की ओर अधिक रहा। विधायक बोहरा गत दिनों कालाढूंगी कांड के दोषियों की बात सीएम खंडूड़ी द्वारा न सुने जाने को लेकर तीखे तेवर भी दिखा चुके है। पार्टी के भीतर उनके विरोधियों के अनुसार बोहरा मूलत: कांग्रेसी है और उनके कांग्रेसी तेवर गाहे-बगाहे सामने आ जाते है। उन पर अपने नजदीकियों को विकास कार्यो के ठेके देने का आरोप भी लगते रहे है। प्रदेश की राजनीतिक उठापटक के बावजूद वह किसी गुट विशेष से नहीं जुड़े। एक पूर्व सीएम से उनकी नजदीकी बताई जाती है। इसके बाद भी उनको तटस्थ नेता कहा जाता है वह सभी से दोस्ताना ताल्लुकात रखते है। बोहरा की प्रस्तावित विधानसभा सीट कालाढूंगी में परिसीमन के बाद उनका अधिक समय इसी क्षेत्र में रहा है। पिछले चुनावों में उन्हें इस क्षेत्र से अच्छा जन समर्थन मिला था। वह स्वयं को इस क्षेत्र का निवासी होने का दावा भी करते है। बावजूद कालाढूंगी सीट का बड़ा हिस्सा हल्द्वानी के ग्रामीण क्षेत्रों से होने के कारण बोहरा के लिए यह सीट आसान नहीं कही जा सकती है।
गत दिनों एक पोस्टर में वह स्वयं को चुनाव पूर्व ही नैनीताल के बजाय पहली बार अस्तित्व में आ रही कालाढूंगी सीट से विधायक दर्शा चुके है। बोहरा मूलत: कांग्रेसी है। वर्ष 2007 के चुनाव में उन्हें पहली बार भाजपा से टिकट मिला और वह विधानसभा पहुंचने में सफल रहे। तब उन्होंने जनता से खासकर माल रोड पर ग्रांड होटल के पास सेनैनी झील में सीवर की गंदगी न जाने देने, बलिया नाले को नगर का आधार बताकर उसका ट्रीटमेंट करने के वायदे किये थे लेकिन वह पांच साल में इन कामों की शुरुआत भी नहीं करा पाए। वायदों पर क्यों अमल नहीं हुआ? इस सवाल पर बोहरा बेबाक टिप्पणी करते है-उनका कहना है कि नैनीताल के सुरक्षित सीट घोषित हो जाने से उनको दुख हुआ। अपनी ओर से कोशिश की। नैनी झील में सीवर को जाने से रोकने के लिए कुछ कर नहीं सके पर कालाढूंगी व भवाली के साथ नगर के कृष्णापुर-हरिनगर क्षेत्र को सीवर लाइन से जोड़ने की पहल की। बलियानाले में आईआईटी रुड़की की टीम से सव्रेक्षण शुरू करा रहे है। बोहरा दावा करते है-उन्होंने हर गांव तक सड़क व भवाली में विधि विवि स्वीकृत कराया है। वह मानते है कि वन भूमि हस्तांतरण में अड़चन से कई सड़कों का निर्माण शुरू नहीं हो सका है। भीमताल में कुमाऊं विवि के तीसरे परिसर की सीएम से घोषणा कराई है। भाबर (कालाढूंगी) क्षेत्र में पेयजल व सिंचाई की समस्या का समाधान कराया है। उनका दावा है कि विधायक निधि की 100 फीसद धनराशि उन्होंने खर्च कर डाली है। विधायक बनने से पूर्व श्री बोहरा परिचितों से कड़क आवाज के साथ गर्मजोशी से मिला करते थे लेकिन विधायक बनने के बाद वह काफी समय अस्वस्थ रहे और जनता तो दूर परिचितों और पार्टी कार्यकर्ताओं से भी दूर रहे। स्वास्थ्य लाभ के उपरांत भी वह इस दूरी को पाट नहीं पाये। प्रदेश के सभी 70 विधायकों में बोहरा उन विधायकों में है जिन्होंने अपने कार्यकाल के पांचों वष्रो में अपनी विधायक निधि का शत- प्रतिशत हिस्सा खर्च किया है। यह भी सच है कि नैनीताल क्षेत्र में शिलापट उनकी निधि से विकास कार्य होने की गवाही नहीं देते। विरोधियों का आरोप है कि उनका ध्यान अपनी नई सीट कालाढूंगी की ओर अधिक रहा। विधायक बोहरा गत दिनों कालाढूंगी कांड के दोषियों की बात सीएम खंडूड़ी द्वारा न सुने जाने को लेकर तीखे तेवर भी दिखा चुके है। पार्टी के भीतर उनके विरोधियों के अनुसार बोहरा मूलत: कांग्रेसी है और उनके कांग्रेसी तेवर गाहे-बगाहे सामने आ जाते है। उन पर अपने नजदीकियों को विकास कार्यो के ठेके देने का आरोप भी लगते रहे है। प्रदेश की राजनीतिक उठापटक के बावजूद वह किसी गुट विशेष से नहीं जुड़े। एक पूर्व सीएम से उनकी नजदीकी बताई जाती है। इसके बाद भी उनको तटस्थ नेता कहा जाता है वह सभी से दोस्ताना ताल्लुकात रखते है। बोहरा की प्रस्तावित विधानसभा सीट कालाढूंगी में परिसीमन के बाद उनका अधिक समय इसी क्षेत्र में रहा है। पिछले चुनावों में उन्हें इस क्षेत्र से अच्छा जन समर्थन मिला था। वह स्वयं को इस क्षेत्र का निवासी होने का दावा भी करते है। बावजूद कालाढूंगी सीट का बड़ा हिस्सा हल्द्वानी के ग्रामीण क्षेत्रों से होने के कारण बोहरा के लिए यह सीट आसान नहीं कही जा सकती है।
चार दर्जन सवाल उठ पाये पांच साल में | ||||
नैनीताल के विधायक खड़क सिंह बोहरा पिछले पांच साल के दौरान विधानसभा में मौजूद तो रहे लेकिन उनके द्वारा क्षेत्र के विभिन्न मुद्दों से संबंधित कुल चार दर्जन सवाल ही उठाये जा सके। इस तरह विधानसभा में उनका प्रदर्शन औसत रहा। हालांकि सदन में उनसे अपेक्षा की जाती थी कि धारदार तरीके से क्षेत्र के मुद्दों को उठायेंगे लेकिन सत्तारूढ़ दल से जुड़े होने के कारण वे अपने मुद्दों को धार नहीं दे पाये।
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