मंडल मुख्यालय की महत्वपूर्ण सीट पर भाजपा-कांग्रेस में सीधी टक्कर के आसार
नवीन जोशी, नैनीताल। कुमाऊं की नैनीताल सुरक्षित सीट पर भाजपा के हेम आर्य और कांग्रेस की सरिता आर्य के बीच सीधी टक्कर के आसार हैं जबकि बसपा त्रिकोण बनाने की कोशिश में है। वि प्रसिद्ध पर्यटन नगरी की इस सीट पर कांग्रेस को 21 वर्ष के वनवास को तोड़ने की तथा भाजपा के समक्ष अपनी मौजूदा सीट को प्रत्याशी बदलने के बाद भी बरकरार रखने की चुनौती है। मंडल मुख्यालय होने के नाते नैनीताल सीट पर देश-प्रदेश की नजर रहती है, इस लिहाज से यह सीट प्रदेश की महत्वपूर्ण सीटों में शुमार है। देश-दुनिया के सैलानी यहां तनाव-समस्याओं का बोझ उतारने के लिए आते हैं, तो खासकर सीजन में नगरवासियों को सैलानियों की अधिक संख्या का दंश झेलना पड़ता है। सैलानियों के वाहनों के बीच नगरवासियों के पैदल निकलने तक को जगह नहीं मिलती और उनके हिस्से की पेयजल आपूर्ति भी सैलानियों के लिए होटलों को कर दी जाती है। पर्यटन से अधिक लाभ कमाने वाले होटलों पर किसी का नियंत्रण नहीं है, उनकी दरें तक तय नहीं जबकि नाव, रिक्शे, घोड़े व टैक्सी वालों की दरें तय कर शिंकजा कसा हुआ है। निकटवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में ‘दीपक तले अंधेरा’ जैसी स्थिति है, उनकी बिजली, गैस जैसी सुविधाएं शहर हड़प जाता है तो बिना शुद्ध पानी के लिए सूखे प्राकृतिक जल स्रेतों पर ही निर्भरता रहती है। इधर हालिया परिसीमन में नैनीताल सीट अनुसूचित कोटे में चली गई है, साथ ही परिसीमन से यहां का भूगोल बदल गया है। एक हिस्सा कटकर कालाढूंगी में चला गया है जबकि खत्म हुई मुक्तेर का बेतालघाट-कोश्यां कुटौली का हिस्सा इस सीट में जुड़ गया है। कालाढूंगी से भाजपा ने पिछले विस चुनावों में भाजपा के खड़क सिंह बोहरा की तथा बेतालघाट ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य को विस पहुंचाने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। इधर नगर क्षेत्र में उक्रांद के पूर्व विधायक डा. नारायण सिंह जंतवाल बीते दो चुनावों में बढ़त हासिल करते रहे। अब जबकि जंतवाल मैदान में नहीं हैं, ऐसे में उक्रांद के वोटरों के समक्ष भाजपा व कांग्रेस में से एक को चुनने का असमंजस है। नैनीताल सीट में 50,297 पुरुष व 44,063 महिला मतदाता हैं जिनमें क्षेत्रीय आधार पर नैनीताल नगर क्षेत्र में करीब 29,052, भवाली में करीब साढ़े 15 हजार, बेतालघाट क्षेत्र में 14 हजार, गरमपानी क्षेत्र में 21 हजार, खुर्पाताल में तीन हजार तथा कोटाबाग के पर्वतीय क्षेत्रों में करीब आठ हजार मतदाता निवास करते हैं, इनमें सर्वाधिक 37 हजार के करीब क्षत्रिय, 28 हजार ब्राह्मण, 18 हजार अनुसूचित जाति, 11 हजार मुस्लिम तथा करीब एक हजार सिख व अन्य अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाता हैं। 1986 में चुनाव जीते किशन सिंह तड़ागी इस सीट से आखिरी कांग्रेसी विधायक रहे। 91 की रामलहर से लगातार तीन चुनाव भाजपा के बंशीधर भगत यहां से चुनाव जीते। 2002 में उक्रांद प्रत्याशी डा. नारायण सिंह जंतवाल ने भाजपा से यह सीट झटक ली। गत 2007 के विस चुनावों में भाजपा के खड़क सिंह बोहरा ने पुन: यह सीट हासिल कर भाजपा का एक बार पुन: नैनीताल से परचम फहराया। एंटी इनकम्बेंसी की बात करें तो नैनीताल विस के पुराने हिस्से में क्षेत्रीय भाजपा विधायक बोहरा को लेकर तथा मुक्तेर के हिस्से में वहां के सिटिंग विधायक कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल आर्य के खिलाफ मतदाताओं में एक हद तक नाराजगी दिखती है। पर्यटन नगरी होने के कारण नगर क्षेत्र में जहां आम लोग खासकर सीजन के दिनों में पर्यटकों के भारी संख्या में आने के कारण परेशानी महसूस करते हैं, व नगर की सड़कों- चौराहों के चौड़ीकरण, पार्किग स्थलों के विकास, नगर में साफ-सफाई, जिला अस्पताल में बेहतर सुविधाएं व डॉक्टरों की तैनाती जैसी प्रमुख आवश्यकता मानते हैं, और पर्यटन व्यवसायी नगर को बेहतर ‘कनेक्टिविटी’, मनोरंजन के लिए सिनेमा हॉल न होने जैसी समस्याएं गिनाते हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्र के लोग चाहते हैं कि उन्हें भी ग्रामीण पर्यटन के जरिये पर्यटन नगरी के करीब होने का लाभ मिले। मुख्यालय आने- जाने को यातायात की सस्ती सुविधाएं सुलभ कराई जाएं। गांव व शहर के बीच की चौड़ी खाई को पाटने की भी ग्रामीण आवश्यकता जताते हैं। बहरहाल, नगर में चुनाव प्रत्याशी की छवि को लेकर तथा ग्रामीण क्षेत्रों में किये गये कायरे और भविष्य में उससे कार्य कराये जा सकने की संभावनाओं पर निर्भर हो चला है। बसपा के संजय कुमार भी मुकाबले को तीसरा कोण देने की कोशिश में हैं, जबकि उक्रांद-पी से विनोद कुमार, सपा से देवानंद व निर्दलीय पद्मा देवी भी मैदान में हैं। इस आलेख को इस लिंक पर क्लिक करके मूलतः देखा जा सकता है । |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें