रविवार, 26 अगस्त 2012

तीसरी नैनीताल माउन्टेन मानसून मैराथन में कुमाऊँ रेजिमेंट का बर्चस्व


बालकों में भीमताल के दिनेश, बालिकाओं में मुजफ्फरनगर की रूबी और बुजुगरे में पंजाब के अजायब सिंह रहे अव्वल एन ट्रिफल एम
नैनीताल (एसएनबी)। देश-दुनिया की ‘हाई एल्टीटय़ूड ट्रेक’ पर आयोजित अपनी तरह की अनूठी 21 किमी लंबी व करीब दो लाख रुपये पुरस्कार की नैनीताल माउंटेन मानसून मैराथन (एन ट्रिपल एम) दौड़ के तीसरे संस्करण में उत्तराखंड पुलिस के मुकेश रावत की जीत का तिलिस्म टूट गया। कुमाऊं रेजीमेंट यानी केआरसी रानीखेत के बहादुर सिंह धोनी ने मुकेश को जीत की ‘तिकड़ी’ से दूर रखते हुए 50 हजार रुपये के पुरस्कार के साथ एन ट्रिपल एम प्रतियोगिता जीत ली। प्रतियोगिता में केआरसी का इस कदर वर्चस्व रहा कि प्रतियोगिता के शीर्ष पांच में तीन खिलाड़ी केआरसी के रहे। वहीं बालकों की पांच किमी दौड़ भीमताल के दिनेश कुमार ने, बालिकाओं की पांच किमी दौड़ में मुजफ्फरनगर की रूबी कश्यप ने तथा बुजुगरे की दौड़ में फतेहगढ़ साहिब पंजाब के अजायब सिंह ने जीती। रविवार को ‘रन टू लिव’ संस्था के तत्वावधान में आयोजित नैनीताल नगर की गत दो वर्षो से पहचान बन चुकी विश्व प्रसिद्ध नैनीझील एवं नगर की सात पहाड़ियों से होती हुई विश्व की कठिनतम मैराथन प्रतियोगिता-एन ट्रिपल एम का क्षेत्रीय सांसद व स्वयं एशियाई चैंपियन रहे केसी सिंह बाबा ने झंडी दिखाकर शुभारंभ किया। प्रतियोगिता की सबसे प्रतिष्ठित 21 किमी लंबी मैराथन दौड़ बहादुर धोनी ने एक घंटा 11 मिनट में पूरी कर पहला स्थान प्राप्त किया। दूसरे नंबर पर गत विजेता उत्तराखंड पुलिस के मुकेश रावत (1 घंटा 12 मिनट), तीसरे स्थान पर केआरसी के संतन सिंह (1 घंटा 13 मिनट), चौथे स्थान पर केआरसी के ही दीपक सिंह (1 घंटा 15 मिनट पांच सेकेंड) तथा पांचवें स्थान पर बीएसएफ के आरबी सुब्बा (1 घंटा 16 मिनट) रहे। स्कूली बालकों की पांच कि मी की दौड़ में सूर्यागांव भीमताल निवासी व एलपी इंका भीमताल के छात्र दिनेश कुमार प्रथम, रोहतक के मोहन लाल द्वितीय, सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के चेतन भौर्या तृतीय, यहीं के छत्रपति चतुर्थ एवं पवन कठायत पांचवें स्थान पर रहे। बालिकाओं में मुजफ्फरनगर यूपी की रूबी कश्यप, स्थानीय ऑल सेंट्स की शहनाज गमाल, मुजफ्फरनगर की शालू सैनी, लक्ष्मी कुमारी व मीनाक्षी कश्यप प्रथम चार स्थानों पर रहीं। सर्वाधिक रोचक मुकाबला 50 से अधिक उम्र के बुजुगरे की दौड़ में देखने को मिला, जिसे पंजाब के 58 वर्षीय अजायब सिंह ने प्रथम स्थान जीता, जबकि पिथौरागढ़ के कैलाश पुनेठा दूसरे व नगर के मल्लीताल कोतवाल विजय चौधरी तीसरे स्थान पर रहे। 68 वर्षीय सरदार त्रिपद सिंह ने चौथा, जीआइसी पटवाडांगर के प्रधानाचार्य एनसी कफल्टिया ने पांचवां तथा स्थानीय शेरवुड कालेज की शिक्षिकाओं प्रतिमा व सारा हॉफलेंड ने छठा व सातवां स्थान प्राप्त किया। ओपन मैन प्रतियोगिता में 85, बालकों में 396, बालिकाओं में 142 व बुजुगरे में सात प्रतिभागियों ने भाग लिया। वहीं नेत्रहीनों के कल्याणार्थ दौड़ी गई ‘रन फार फन’ प्रतियोगिता में 900 के करीब बच्चे व हर उम्र के लोग दौड़े। इस प्रतियोगिता में ड्रा के आधार पर 20 प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। आयोजन में सर्वाधिक प्रतिभागी देने के लिए एसओएस हरमन माइनर भीमताल, सहयोग हेतु वृंदावन पब्लिक स्कूल व रामा मांटेसरी स्कूल, बंगलुरु में चैरिटी के लिये 100 किमी की दौड़ दौड़ने वाले नगर के धावकों सुमित साह, संदीप साह व दिनेश सिंह, शेरवुड की अंतरराष्ट्रीय मुथाई खिलाड़ी सुरभि एवं मल्लीताल कोतवाल विजय चौधरी को सम्मानित किया गया। इस आयोजन में शेरवुड के प्रधानाचार्य अमनदीप संधू, एलआईसी के वरिष्ठ मंडलीय प्रबंधक शिवेंद्र कुमार, एसबीआई के शाखा प्रबंधक केएस राणा, कूर्माचल बैंक के चेयरमैन आलोक साह, अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी सुरेश पांडे, कोच रमेश खर्कवाल, आयोजक संस्था के अध्यक्ष पूर्व ओलंपियन राजेंद्र रावत, सचिव अंतरराष्ट्रीय धावक रहे हरीश तिवारी, भूपाल नयाल, पंकज तिवारी, विजय साह, प्रेम बिष्ट, वीरेंद्र साह, आलोक साह व वासु साह आदि मौजूद थे। 

शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

खुद ही जांच के आदेश दिए, खुद ही जांच की, और उच्चाधिकारी के आदेश पलट दिए



जून में जीआईसी धानाचूली में प्रधानाचार्य से हुई मारपीट की घटना का मामला 
प्रभारी एडी ने दिये थे मामले की जांच के निर्देश
नवीन जोशी नैनीताल। उच्चाधिकारी द्वारा कराई गई जांच में दोषी पाये जाने वाले शिक्षकों के तबादले प्रभारी अधिकारी के रूप में कार्यरत कनिष्ठ अधिकारी ने न केवल निरस्त कर दिये, वरन उनके तबादले पहले से भी अधिक सुविधाजनक स्थानों पर कर दिये। मजेदार बात यह है कि इस अधिकारी ने स्वयं जांच का आदेश दिया, स्वयं जांच की और स्वयं ही फैसला सुनाते हुए उच्चाधिकारी के आदेशों को पलट दिया। इस वर्ष चार जून को जिले के जीआईसी धानाचूली में शिक्षकों ने स्कूल के प्रभारी प्रधानाचार्य से मारपीट कर दी थी। घटना इसलिए हुई थी कि कई शिक्षकों के अक्सर समय पर स्कूल न आने पर प्रभारी प्रधानाचार्य ने समय पर स्कूल आने के आदेश जारी किये थे, इस पर शिक्षक आक्रोशित हो गये थे। निकटवर्ती पदमपुरी के शिक्षक भी मारपीट में शामिल हुए। मामले में अपर निदेशक-शिक्षा के आदेशों पर जिला शिक्षा अधिकारी-बेसिक एवं खंड शिक्षा अधिकारी ने जांच की, जांच रिपोर्ट में लिखा कि राजन कुमार गुप्ता व राजेंद्र नैनवाल नाम के शिक्षकों ने सुनियोजित तरीके से प्रधानाचार्य से मारपीट की थी। दोनों के खिलाफ प्रभारी प्रधानाचार्य की ओर से पुलिस में एफआईआर भी दर्ज कराई गई। जांच रिपोर्ट में दोनों का प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरण करने की प्रबल संस्तुति की गई थी। इसके अलावा प्रभारी प्रधानाचार्य के समय पर उपस्थित होने के आदेश को नियमानुसार ही ठहराया गया था। दूसरे शिक्षक सुदामा प्रसाद पर अक्सर छात्रों के बीच असंसदीय भाषा का प्रयोग करने और भुवन जोशी एवं संजीव अहलावत पर समय पर स्कूल न पहुंचने की बात पुष्ट हुई थी। इनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इस प्रकार भुवन जोशी, संजीव अहलावत व किरन बनौली नाम के शिक्षकों के भी तत्काल प्रभाव से प्रशासनिक आधार पर अन्यत्र तबादले करने की संस्तुति की गई थी। स्थानीय ग्रामीणों ने भी शिक्षकों को हटाने की जोरदार तरीके से मांग उठाई थी। जांच रिपोर्ट आने पर अपर निदेशक डा. कुसुम पंत ने राजेंद्र नैनवाल का तबादला जीआईसी पदमपुरी से पिथौरागढ़ के राउमावि जारा, भुवन जोशी का धानाचूली से गलाती व किरन बनौली का धानाचूली से चंपावत से ससिरा करने की संस्तुति कर रिपोर्ट शिक्षा निदेशक को भेज दी थी। इसी दौरान शिक्षक संगठन ने जांच में उनका पक्ष शामिल न होने की बात कही, जिस पर इस दौरान एडी का प्रभार देख रहीं संयुक्त निदेशक डा. सुषमा सिंह ने दुबारा जांच के आदेश दिये और स्वयं ही संयुक्त निदेशक के रूप में जांच कर ली। जांच में आश्र्चयजनक तौर पर पहली रिपोर्ट में मारपीट करने वाले राजेंद्र नैनवाल को दोषमुक्त करार दे दिया। जबकि अन्य दो शिक्षकों भुवन जोशी व किरन बनौली को दिये गये दंड में शिथिलता बरतने की संस्तुति कर दी। इस संस्तुति के साथ ही अधिकारी ने राजेंद्र नैनवाल का तबादला तो निरस्त ही कर दिया, जबकि भुवन जोशी को धानाचूली के पास ही स्थित पुटगांव तथा किरन बनौली तो मैदानी क्षेत्र के निकट बजूनिया हल्दू स्थानांतरित कर दिया गया। विभाग में यह मामला खासा र्चचा का विषय बना हुआ है।

रविवार, 5 अगस्त 2012

.....तो झील के ऊपर भी हो सकेंगे निर्माण !



  • नैनीताल महायोजना के संशोधित परिक्षेत्रीय विनियमन का हुआ अनुमोदन
  • विशेष परिस्थितियों में सूखाताल झील की तीन मीटर परिधि तथा हरित व वनाच्छादित क्षेत्रों में भी मिल सकेगी निर्माणों की स्वीकृति
  • विद्यमान भवनों की कंपाउंडिंग का रास्ता खुला, विद्यमान की परिभाषा साफ नहीं


नवीन जोशी,  नैनीताल। एक ओर जहां नैनीताल झील परिक्षेत्र में सरकार निर्माण कायरे को हतोत्साहित करने का ढोल बजाती रही है, वहीं झील के ऊपर तथा नगर के हरित एवं वनाच्छादित क्षेत्रों में भी निर्माणों को अनुमति देने का प्रबंध कर लिया गया है। नैनीताल झील परिक्षेत्र विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण की महायोजना के अध्याय-12 में उल्लेखित परिक्षेत्रीय विनियमन में संशोधन कर ‘विशेष परिस्थितियों’ का उल्लेख करते हुए इसके लिए खास तौर पर रास्ता निकाल लिया गया है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों पर नगर में निर्माणों पर कई तरह के प्रतिबंध हैं। झील विकास प्राधिकरण पर नगर में निर्माणों को प्रतिबंधित करने की जिम्मेदारी है, जिससे अभी हाल ही में नक्शे पास करने की जिम्मेदारी पालिका को देकर निर्माणों पर और अधिक सख्ती बरतने के सीएम स्तर से संकेत दिए गए हैं। वहीं इसके उलट प्रमुख सचिव एस. राजू के हस्ताक्षरों से नैनीताल महायोजना के अध्याय-12 में संशोधन के उपरांत अनुमोदित संशोधित भू उपयोग परिक्षेत्रीय विनियमन जारी कर दिया गया है, जिसमें नैनीताल झील परिक्षेत्र के कमोबेश हर क्षेत्र में विशेष परिस्थितियों का जिक्र करते हुए निर्माण की अनुमति देने में नियमों को बड़े स्तर पर शिथिल किया गया है। वहीं विनियमन के आखिरी हिस्से में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र यूज जोन का हिस्सा चौंकाने वाला है। झील किनारे के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में सामान्य परिस्थितियों में तो रिटेनिंग वाल, ब्रेस्ट वाल, पार्क, उद्यान व पार्किग को छोड़कर किसी तरह के निर्माण व विकास कार्य अनुमन्य नहीं हैं, लेकिन विशेष परिस्थितियों में नगर की सूखाताल झील के अधिकतम जल सतह सीमा से न्यूनतम तीन मीटर ऊपर की परिधि के क्षेत्र में एकल आवासीय निर्माण तथा विद्यमान भवनों के पुनर्निर्माण सिंचाई विभाग की अनापत्ति पर अनुमन्य होंगे। इसी तरह विशेष वनाच्छादित क्षेत्र में भी सामान्यतया तो किसी भी प्रकार का विकास अनुमन्य नहीं होगा, लेकिन विशेष परिस्थितियों में वन विभाग की अनापत्ति एवं क्षेत्र व स्थल विशेष के सुरक्षित होने के बाबत भूवैज्ञानिक की पुष्टि होने पर विद्यमान भवन परिसर में विद्यमान भवनों का पुनर्निर्माण या उसी नींव पर अनुमन्य कुल भू-आच्छादन के स्तर तक नव निर्माण भी हो सकेंगे। इसी तरह विशेष परिस्थितियों में क्रीड़ा एवं खुले स्थल, गोल्फ कोर्स, वन्य जीव पार्क एवं उद्यान तथा वन व हरित क्षेत्र में भी विशेष परिस्थितियों में निर्माणों की अनुमति देने में खासी छूट दी गई है।

नैनी झील सूखने का खतरा


नैनीताल। इस बारे में पूछे जाने पर पर्यावरण एवं नैनी झील में निर्माणों के बाबत सर्वोच्च न्यायालय में कई पीआईएल दाखिल कर चुके डा. अजय रावत ने कहा कि नैनीताल 1930 व 1950 के शासकीय नोटिफिकेशन में असुरक्षित क्षेत्र घोषित है, वहीं नगर का हरित पट्टी क्षेत्र मास्टर प्लान में शामिल है, इसलिए ऐसे क्षेत्रों के बाबत संशोधित किया ही नहीं जा सकता। इससे नगर के जंगलों के खत्म होने का खतरा है। सूखाताल झील, नैनी झील में 40 फीसद से अधिक प्राकृतिक जल स्रेतों का जलागम है, लिहाजा ऐसा होने से नैनी झील के जल्द ही पूरी तरह सूख जाने का खतरा उत्पन्न हो जाएगा। वह इस बाबत संशोधन जारी करने वाले प्रमुख सचिव एस. राजू को अपनी लिखित आपत्ति देने जा रहे हैं।

लोगों की मांग पर हुए संशोधन

नैनीताल। इस बारे में झील विकास प्राधिकरण के सचिव हरीश चंद्र सेमवाल ने कहा कि संभवतया शासन ने स्थानीय लोगों की मांग पर ही नया जोनल रेगुलेशन किया गया है। ऐसे क्षेत्रों में निर्माण के प्रस्ताव आने पर प्राधिकरण की बैठक में र्चचा के उपरांत अनुमोदन मिलने पर ही निर्माणों की अनुमति दी जाएगी।