मंगलवार, 28 मई 2013

शून्य से नीचे गया नैनी झील का जलस्तर

Rashtriya Sahara, 28th May 2013
हर रोज 0.15 इंच यानी करीब 40 मिमी की दर से घट रहा है जलस्तर
नवीन जोशी, नैनीताल। सरोवरनगरी में इस वर्ष शीतकाल में और आगे भी लगातार हुई वर्षा के बाद उम्मीद की जा रही थी कि इस वर्ष नैनीझील पिछले वर्ष जैसा भयावह चेहरा नहीं दिखाएगी लेकिन नगरवासियों, पर्यावरण प्रेमियों की उम्मीदों पर सीजन की मार बेहद गहरी पड़ी है। उम्मीदों के विपरीत सीजन के औपचारिक रूप से शुरू होने के 12 दिन के अंदर ही नैनी झील का जल स्तर मापे जाने की व्यवस्था के तहत शून्य के नीचे चला गया है। इससे भी भयावह तथ्य यह है झील का जलस्तर हर रोज घटने की दर 0.15 इंच यानी करीब 40 मिमी तक पहुंच गई है, और यह दर लगातार बढ़ रही है। नैनीझील के जल स्तर और बारिश के गत तीन वर्ष के आंकड़ों की बात करें तो इस वर्ष 26 मई को झील का जल स्तर शून्य के नीचे गया है, जबकि 2011 में तीन मई को और 12 में 30 अप्रैल को ही शून्य के नीचे चला गया था। इस लिहाज से इस वर्ष देरी से झील का जल स्तर गिरा है लेकिन यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि इस वर्ष अब तक 674.64 मिमी बारिश दर्ज हुई है, जबकि 11 में इसकी करीब आधी यानी 362.96 मिमी और 12 में करीब चौथाई यानी 191.77 मिमी ही बारिश हुई थी। यानी इस वर्ष गत वर्ष के मुकाबले चार गुना अधिक बारिश होने के बावजूद 26 दिन बाद ही झील का जल स्तर शून्य के नीचे आ गिरा है। एक और तथ्य उल्लेखनीय है कि इस वर्ष नौ मई तक झील का जल स्तर गिरने की दर 0.05 इंच यानी करीब 13 मिमी प्रतिदिन थी जो इसके बाद सीधे दोगुनी होकर 0.1 इंच और इधर सीजन के औपचारिक रूप से शुरू होने के दिन यानी 16 मई से 0.13 इंच प्रति दिन हो गई है। आगे इसी तरह सीजन की भीड़भाड़ के बरकरार रहने से जल की खपत और गरमी बढ़ने से वाष्पीकरण की दर बढ़ने से झील के सूखने की दर में भी तेजी आनी लाजमी है।

झील को दो वर्षो से 'रिफ्रेश' होने का इंतजार

नैनीताल। नैनीझील का जल स्तर वर्ष 2011 में तीन मई से एक जुलाई के बीच शून्य से नीचे रहा था और बारिश होने पर 29 जुलाई को ही जल स्तर 8.7 फीट पहुंच गया था, जिस कारण झील के गेट खोलने पड़े थे, जबकि बीते वर्ष 2012 में गरमियों में 30 अप्रैल से 17 जुलाई तक जल स्तर शून्य से नीचे (अधिकतम माइनस 2.6 फीट तक) रहा था और आगे खूब बारिश होने के बावजूद झील के गेट नहीं खुल पाए थे। इस कारण झील का गंदा पानी व गंदगी दो वर्षो से बाहर नहीं निकल पाई है और झील ‘रिफ्रेश’ नहीं हो पाई है।

गुरुवार, 23 मई 2013

पार्टियां नहीं, जनता खड़ा करे प्रत्याशी : अन्ना



कहा, संविधान में पार्टियों के चुनाव लड़ने पर थी पाबंदी, इसीलिए गांधी ने कांग्रेस को भंग करने की जताई थी जरूरत
नवीन जोशी, नैनीताल। प्रसिद्ध समाजसेवी अन्ना हजारे ने दावा किया है कि देश के संविधान में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि पार्टियों को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए, वरन जनता को स्वयं अपने प्रत्याशी खड़े करने चाहिए। यही असल गणराज्य की शर्त थी, जिस पर देश की सभी पार्टियों ने देश की जनता से धोखा किया है। उन्होंने कहा कि इसीलिए गांधी जी ने देश की आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी को भंग करने की बात कही थी। अन्ना ने कहा कि कहा कि देश में ज्यादातर समस्याएं पार्टियों की राजनीति की वजह से पैदा हुई हैं। बृहस्पतिवार को जनतंत्र यात्रा के तहत नैनीताल पहुंचे अन्ना ने राज्य अतिथि गृह में मीडिया से वार्ता करते हुए कहा कि पार्टियों की राजनीति के कारण ही देश में जाति-पांति व घरानेशाही की प्रवृत्ति हावी है। यह घरानाशाही लोकशाही के लिए बड़ा खतरा है। इसी वजह से देश में सत्ता से पैसा और पैसे से सत्ता प्राप्त करने की प्रतिस्पर्धा चल रही है। पार्टियां अपनी मर्जी के टिकट देती हैं, और करोड़ों रुपये खर्च करके चुनाव प्रचार करती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान में पार्टियों को दो हजार रुपये देने की छूट दी गई और इस आड़ में उद्योगपति फर्जी नामों से पार्टियों को करोड़ों रुपये देते हैं। उन्होंने अरविन्द केजरीवाल के पार्टी बनाने के निर्णय की भी आलोचना की।

इस बार लाइन और बड़ी कर देंगे..
नैनीताल। अन्ना हजारे ने कहा कि 10 माह बाद 2011 से भी बड़ा आंदोलन करते हुए वापस रामलीला मैदान में अनशन पर बैठेंगे, क्योंकि इस बार उनकी देश भर में चल रही जनतंत्र यात्रा के माध्यम से जुड़े करोड़ों लोग भी साथ होंगे। अपने बड़े आंदोलन की असफलता से देश में अन्य आंदोलनों की राह कठिन करने के प्रश्न पर उन्होंने टिप्पणी की कि इस बार ऐसी बड़ी रेखा खींचेंगे कि सरकार को उनकी बात माननी ही होगी, वरना जाना होगा। उन्होंने केंद्र सरकार पर लोकपाल के नाम पर देश की जनता के साथ धोखा करने का आरोप लगाया। अन्ना ने कहा कि उत्तराखंड में उन्हें उम्मीद से कहीं अधिक समर्थन मिला है। पंजाब के जलियावाला बाग से हिमाचल, पश्चिमी यूपी, राजस्थान होते हुए दूसरी बार उत्तराखंड पहुंचे हैं, अभी 10 माह और पूरा देश घूमेंगे और 'सत्ता नहीं व्यवस्था परिवर्तन' कराकर ही दम लेंगे। स्वामी विवेकानंद, अपने माता-पिता और महात्मा गांधी को उन्होंने अपना आदर्श बताया। केजरीवाल के संगठन छोड़ने पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने यह शेर कहा, मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर, लोग जुड़ते गए, कारवां बनता गया।

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