मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012

सच लिखे, कहानियां न बनाये पुलिस : डीजीपी


कहा, पुलिस सिर्फ व्यवस्था का हिस्सा, सजा दिलाना उसका काम नहीं 
कालाढूंगी प्रकरण में सरकार द्वारा मुकदमे वापस लेने पर कोई अफसोस नहीं : पांडे 
नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ज्योति स्वरूप पांडे ने कहा कि पुलिस केवल न्यायिक व्यवस्था का हिस्सा है। उसका काम मामले को अंजाम तक पहुंचाकर किसी को सजा दिलाना नहीं है, वरन न्यायिक व्यवस्था में उसकी भूमिका गेटकीपर की है जिसका कार्य केवल यह देखना है कि कोई मामला न्यायालय तक जाना है या नहीं। उन्होंने पुलिसकर्मियों को ताकीद की है कि वह मामले को मजबूत बनाने के फेर में कहानियां न बनाए, वरन जो सच्चाई हो उसे लिखें। डीजीपी मंगलवार को मुख्यालय स्थित पुलिस लाइन में पत्रकारों से वार्ता के दौरान कालाढूंगी कांड में सरकार द्वारा मुकदमे वापस लिये जाने के सवाल पर प्रतिक्रिया कर रहे थे। उन्होंने कहा कि न्यायिक व्यवस्था का हिस्सा होने के नाते वह मानते हैं कि कई बार दोषी को सजा देना मानवीय एवं कई दृष्टिकोणों से जरूरी नहीं होता। उन्होंने कहा कि पुलिस को किसी घटना की जैसी प्राथमिक सूचना मिले, ठीक वैसी ही जीडी व सीडी में दर्ज करनी चाहिए, न कि कहानी बनानी चाहिए। पुलिस को उन्होंने सभी मामलों को दर्ज करने को कहा, साथ ही जोड़ा कि किस मामले को एफआईआर माना जाए या नहीं, यह कोर्ट का विवेकाधिकार है। उन्होंने ताकीद की झूठी प्राथमिकी दर्ज होने की दशा में निदरेषों का उत्पीड़न न होने पाये। उन्होंने कहा कि हालिया दौर में उन्होंने अधीनस्थ अधिकारियों से अपराध अधिक क्यों हो रहे हैं, व तत्काल अपराधों का खुलासा करने के आदेश देने बंद कर दिये हैं। बस यह पूछा जा रहा है कि आपराधिक मामलों में क्या कदम उठाये जा रहे हैं। माना कि आंकड़ेबाजी के फेर में अपराध दर्ज करने से बचना नहीं चाहिए।
सीसीटीएनएस व डीएनए डाटा बैंक बनाएगी पुलिस 
नैनीताल। डीजीपी जेएस पांडे ने बताया कि आधुनिकीकरण की राह पर तेजी से आगे बढ़ रही उत्तराखंड पुलिस कम्प्यूटर नेटवर्किग के सीसीटीएनएस सिस्टम को जल्द लागू करने और प्रदेश में अपराधियों के डीएनए का डाटा बैंक बनाने की दिशा में चल पड़ी है। सीसीटीएनएस सिस्टम का साफ्टवेयर केंद्र सरकार के स्तर पर तैयार हो रहा है, वहीं अपराधियों के डीएनए का डाटा बेस तैयार करना अभी प्रारंभिक चरण में है। ऐसा होने से अपराधों के खुलासे में खासी आसानी होगी। डीजीपी ने पुलिस को सबसे बड़ा मानव संसाधन आधारित विभाग बताया। उन्होंने कहा कि उनकी सबसे बड़ी कोशिश पुलिस कर्मियों को बेहतर आवास, आवागमन व संचार सुविधा दिलाना है। विभाग में उपनिरीक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया चल रही है, वहीं इंटरमीडिएट पास कांस्टेबलों को ग्रेड-पे देने और उपनिरीक्षकों के पदों पर अधिकाधिक पदोन्नति के अवसर देने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्वक चुनाव निपटाने के बाद राज्य पुलिस मतगणना एवं इसके ठीक बाद आ रहे होली के त्योहार को शांतिपूर्वक निपटाने की तैयारियों में जुटी है। विभाग के पेट्रोल एवं टीए-डीए से संबंधित बिल काफी समय से लंबित हैं। नई सरकार से उम्मीद होगी कि जल्द इन बिलों का भुगतान हो सकेगा।
पुलिसकर्मी लेंगे विधिक जानकारियां
राज्य विधिक प्राधिकरण एवं पुलिस महकमे में बनी सहमति
नैनीताल (एसएनबी)। उत्तराखंड पुलिस के जवानों को अब विधिक जानकारियां भी दी जाएंगी, ताकि कानून-व्यवस्था बनाये रखने के दौरान वह आवश्यक जानकारियों से अपडेट रहें। इस मामले में राज्य पुलिस एवं उत्तराखंड राज्य विधिक प्राधिकरण के बीच सहमति बनी है। राज्य के करीब 26 हजार पुलिसकर्मियों को प्राधिकरण द्वारा आम जनता को विधिक ज्ञान देने के लिए तैयार की गई 34 लघु पुस्तिकाएं (पंफलेट) दी जाएंगी। राज्य के पुलिस महानिदेशक ज्योति स्वरूप पांडे ने बताया कि उत्तराखंड राज्य विधिक प्राधिकरण द्वारा तैयार की गई इन पुस्तिकाओं से वह बेहद प्रभावित हुए। मंगलवार को उन्होंने इस बारे में उत्तराखंड उच्च न्यायालय में प्राधिकरण के अध्यक्ष उत्तराखंड उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल तथा प्राधिकरण के सचिव प्रशांत जोशी से भेंट की जिसके साथ इन पुस्तिकाओं को औपचारिक रूप से राज्य पुलिस को सौंपा गया। डीजीपी ने कहा कि प्रदेश पुलिस के जवान डिक्शनरी की भांति इन पुस्तिकाओं को अपने पास रखेंगे और जरूरत पड़ने पर इनका प्रयोग कर सकेंगे।

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