रविवार, 31 मार्च 2013

डीएम, मंत्री भी नहीं करा पा रहे जांच !


  • अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग के 864 लाख रुपयों से हुए सुधार कार्यों के ध्वस्त हो जाने का मामला 
  • डीएम के अपने स्तर से जांच में गुणवत्ता पर उठाये थे सवाल 
  • जिले के प्रभारी मंत्री प्रीतम सिंह भी शासन से कर चुके हैं उच्चस्तरीय जांच की मांग


नैनीताल। जनपद से अल्मोड़ा समेत पहाड़ को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग-87 (विस्तार) में विगत दिनों करीब 864 लाख रुपये से हुए सुधार-मरम्मत कार्य कुछ ही दिनों में ध्वस्त हो गए, लेकिन इसे निर्माण से संबंधित लोगों की ऊंची पहुंच का असर कहें या कि छोटे से प्रदेश में शासन-प्रशासन व सरकार के बीच तालमेल की कमी, निर्माण कार्यों में डीएम स्तर से की गई जांच में बड़ी अनियमितता उजागर हो जाने के बावजूद और डीएम द्वारा दो बार और जिले के प्रभारी मंत्री द्वारा पत्र लिखे जाने के बावजूद शासन मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश नहीं दे रहा। 
सड़क को आज के दौर की ‘लाइफ लाइन’ क्यों कहां जाता है, इस बात का अहसास कोसी नदी के बराबर से गुजर रहे अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग-विस्तार के अक्टूबर 2010 में आई अतिवृष्टि के दौरान नैनीताल जनपद स्थित बड़े हिस्से के बह जाने और महीनों इस मार्ग से पहाड़ का संपर्क भंग होने और मार्ग पर दर्जनों वाहनों के महीनों फंसे रहने के रूप में देखा जा सकता था। आगे, जनता की कमाई के ही 841.15 लाख रुपये से मार्ग के ज्योलीकोट से क्वारब तक सड़क का व्यापक स्तर पर पुनर्निर्माण, सुधार-मरम्मत आदि के कार्य हुए। यह कार्य मार्च 2012 में पूर्ण हो पाए। इसी दौरान मार्ग के किमी-41 में जौरासी के समीप "क्रॉनिक जोन" विकसित हो जाने से व्यापक भूस्खलन हुआ, जिसे दुरुस्त करने में और चार महीनों के अंदर निर्माण कार्य दरकने लगे और दिखने लगा कि जनता की गाढ़ी कमाई निर्माण कार्यों में नहीं निर्माणकर्ताओं की जेब में समा गई है। शिकायतें आने के बाद डीएम नैनीताल निधिमणि त्रिपाठी ने एसडीएम कोश्यां-कुटौली से मामले की जांच करवाई। एसडीएम की सात जुलाई 12 को आई रिपोर्ट में कहा गया कि एनएच पर नावली के पास निर्मित दीवार व सड़क धंस रही है, और सड़क कभी भी गिर सकती है। लिहाजा डीएम ने पहले जुलाई 12 में और फिर दिसम्बर 12 में प्रमुख सचिव लोनिवि को मामले की उच्च स्तरीय जांच के लिए संस्तुति करते हुए पत्र लिखे। इस बीच 26 दिसम्बर 12 को जिले के प्रभारी मंत्री प्रीतम सिंह की अध्यक्षता में आयोजित हुई जिला योजना की बैठक में यह मामला जनप्रतिनिधियों ने बेहद जोर-शोर से उठा, और मंत्री बावजूद शासन से मामले की जांच होना दूर, किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। सांसद प्रतिनिधि डा. हरीश बिष्ट, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सतीश नैनवाल समेत अनेक जनप्रतिनिधि भी इस मामले को गंभीर बताते हुए मामले की शासन से उच्च स्तरीय जांच व दोषियों को दंडित करने तथा सड़क को दुरुस्त करने की मांग उठा रहे हैं। वहीं प्रभारी मंत्री प्रीतम सिंह का कहना है कि वह स्वयं इस मामले को लेकर सीएम और प्रमुख सचिव लोनिवि से बात करेंगे। 

शनिवार, 23 मार्च 2013

नक्षत्रों से ढूंढिए अपना पंचतत्व, बदलिए तकदीर


नैनीताल में मिली सैकड़ों वर्ष पुरानी पांडुलिपि, जिसमें बताया गया है पंचतत्वों से नक्षत्रों का संबंध
नवीन जोशी नैनीताल। भारतीय धार्मिक और नक्षत्र विज्ञान के ग्रंथों में मनुष्य की जन्मतिथि व समय से निर्धारित होने वाली राशियों का मानव शरीर के मुख्य घटक पंचतत्वों-पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु एवं आकाश से संबंध बताया गया है। यहां एक ऐसी सैकड़ों वर्ष पुरानी पांडुलिपि प्रकाश में आई है, जिसमें पहली बार नक्षत्रों और पंचतत्वों के बीच के संबंध बताने के साथ ही इसके माध्यम से मनुष्य के जीवन और उसकी प्रकृति में सुधार करने के तरीके बताए गए हैं। रत्नमाला नाम के इस ग्रंथ पर यदि विस्तृत शोध हो तो भारतीय नक्षत्र विज्ञान को नए आयाम दे सकता है। कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर के संस्कृत विभाग में वर्षो से पड़ी "रत्नमाला" नाम की पांडुलिपि मिली है। इसका अध्ययन एवं राष्ट्रीय पांडुलिपि संरक्षण मिशन के तहत संरक्षण कर रहे डा. सोमबाबू शर्मा बताते हैं कि इस पांडुलिपि में पहली बार नक्षत्रों और पंचतत्वों का संबंध वैज्ञानिक आधार के साथ बताया गया है। संस्कृत में श्लोक एवं संस्कृतिहंदी मिश्रित व्याख्या रूप में लिखी गई इस पांडुलिपि में सभी 28 नक्षत्रों के पंचतत्वों से संबंध और उनके आधार पर मानव जीवन को बेहतर बनाने के उपाय बताए गए हैं। उदाहरणार्थ, सर्वाधिक बुरे बताए जाने वाले मूल नक्षत्र को मघा व अश्लेषा के साथ अग्नि तत्व से तथा पुनर्वसु, हस्त, अश्लेषा, मृगशिरा, रेवती, अनुराधा व ज्येष्ठा के साथ वायु तत्व से संबंधित बताया गया है। अग्नि तत्व से संबंधित जातक जल तत्व से निकटता दिखाकर स्वयं का जीवन सुधार सकते हैं, जबकि इसके उलट सामान्य मान्यता के अनुसार मूल नक्षत्र के लोग भगवान शनि की पूजा करते हुए अग्नि को अधिक भड़काते हुए तेल के दीपक जलाते हैं। वहीं जल तत्व से संबंधित जातक पानी से दूर रहकर तथा दीपक जलाकर व हवन, यज्ञ आदि कर अपना जीवन बेहतर कर सकते हैं। डा. शर्मा बताते हैं कि पांडुलिपि में नक्षत्रों को रत्नों की तरह महत्वपूर्ण बताते हुए इनकी विस्तृत व्याख्या की गई है, किसी अन्य पुस्तक में अब तक उल्लेखित न किए गए अविजित नाम के नक्षत्र का भी उल्लेख है, जिसका प्रयोग समस्या का और कोई समाधान न होने की दशा में किया जाता है, साथ ही इसमें 28 योगिनियों का भी उल्लेख है। वह कहते हैं कि विस्तृत शोध किया जाए तो यह खोज नक्षत्र विज्ञान को नई दिशा दे सकती है। उल्लेखनीय है कि मानव शरीर के बारे में कहा जाता है कि इसकी रचना सृष्टि के रचयिता ब्रrा ने पंचतत्वों की मदद से की थी। मनुष्य इन्हीं पंचतत्वों से मिलकर बनता है और आखिर इन्हीं में मिल जाता है। मनुष्य अपने जीवन में भी इन पंचतत्वों से साम्य बनाता हुआ चलता है। मनुष्य के इन पंचतत्वों से संबंधों को धार्मिक ग्रंथों के साथ नक्षत्र विज्ञान में राशियों से जोड़ा गया है। उदाहरण के लिए कर्क व मीन राशि के जातकों को जल तत्व से, वृष, सिंह आदि राशियों को पृथ्वी तत्व से जोड़ा गया है। इस प्रकार कर्क व मीन राशि के जातक जल की तरह चंचल व अस्थिर प्रकृति के होते हैं तो वृष व सिंह राशि के जातक अडिग व ठोस निर्णय लेने वाले माने जाते हैं। नक्षत्र विज्ञान में 28 नक्षत्र माने जाते हैं। जन्म पत्रिकाओं में मनुष्य की राशियों के साथ ही नक्षत्रों का भी जिक्र प्रमुखता से होता है। चूंकि इनकी संख्या अधिक है, इसलिए इनके अध्ययन से मनुष्य की प्रकृति, भविष्य आदि के बारे में अधिक सटीक भविष्यवाणियां की जा सकती हैं।

गुरुवार, 21 मार्च 2013

तराई बीज निगम में एक और घोटाला !



लाखों के गेहूं के बीज को ऐसे क्षेत्रों में उगाने का दावा जहां वह पैदा ही नहीं होता
डीआईजी ने दिए मामले की विस्तृत जांच के निर्देश
इस मामले में जल्द किया जा सकता है कुछ लोगों को गिरफ्तार
नवीन जोशी, नैनीताल। विवादों में चल रहे प्रदेश के तराई बीज विकास निगम (टीडीसी) में एक और बड़े घोटाले की परतें खुलने लगी हैं। इस मामले में निगम के जिम्मेदार अधिकारियों की संलिप्तता और बड़े घोटाले की आशंका जताई जा रही है। इस करीब चार वर्ष पुराने मामले में आरोपितों ने लाखों रुपये के गेहूं के बीजों को ऐसे क्षेत्रों में उगाने का दावा किया था, जहां वह पैदा ही नहीं होता। बाद में जांच तेज हुई तो निगम में मामले की फाइल ही गायब करवा दी गई। खास बात यह है कि जांच के दौरान इस गायब फाइल की फोटो कापी पुलिस अपने पास सहेज चुकी थी। यानी मामला साजिश के तहत सरकारी दस्तावेज को गायब करने और घोटाले का है। उल्लेखनीय है कि टीडीसी गेहूं के बीजों को तैयार कर विभिन्न क्षेत्रों में उगवाता है और बाद में उनसे प्राप्त उपज को बीज के रूप में खरीद लेता है। इसी प्रक्रिया में वर्ष 2008 से कुछ और ही खेल खेला गया। भूपेंद्र सिंह, हरविंदर सिंह, इंद्रजीत सिंह, हरदयाल सिंह सहित नौ आरोपितों पर आरोप है कि उन्होंने टीडीसी को पंतनगर व कानपुर सहित कुछ ऐसे इलाकों में बोए गए बीज बेचे जहां ऐसी उच्चीकृत प्रजातियों के बीज उपलब्ध नहीं होते। वहीं अधिकारियों की संलिप्तता का आलम यह रहा कि जांच में इन स्थानों पर गेहूं बोए जाने की पुष्टि कर दी। इस बीच आरोपितों के साथियों में ही आपस में फूट पड़ने से मामला खुल गया और गत 29 दिसम्बर 2012 को पंतनगर थाने में नौ आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत हुआ। इस बीच पुलिस की जांच शुरू हुई तो निगम में मामले से संबंधित फाइल गायब होने की बात कही गई, लेकिन इससे पूर्व ही पुलिस गायब बताई गई फाइल की फोटो कापी कराकर अपने पास सुरक्षित रख चुकी थी। पुलिस की प्रारंभिक जांच में गेहूं के जनक बीज के पंजीकरण संबंधी दस्तावेज और बीज को खेतों में बोए जाने के अभिलेख फर्जी पाए गए हैं। साथ ही मौके पर जाकर बीज बोए जाने को प्रमाणित करने वाले अधिकारियों की संलिप्तता की भी प्रथमदृष्टया पुष्टि हो चुकी है। पूछे जाने पर नैनीताल परिक्षेत्र के डीआईजी संजय गुंज्याल ने बताया कि उन्होंने मामले की विवेचना करने और फाइल के गायब होने जैसे विषयों को भी शामिल करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अभियोग पंजीकृत होने के दो माह बाद एवं दो विवेचक बदले जाने के बावजूद मामले की सीडी पर्यवेक्षण अधिकारी को न सौंपे जाने को लेकर ऊधमसिंहनगर पुलिस की कार्यदक्षता पर भी सवाल उठाए हैं तथा एसएसपी ऊधमसिंह नगर को मामले की गहनता से विवेचना करने को लिखा है।

सोमवार, 11 मार्च 2013

हिमालय पर ब्लैक कार्बन का खतरा !


पहाड़ों पर अधिक होता है मौसम परिवर्तन का असर : प्रो. सिंह
नवीन जोशी नैनीताल। दुनिया के "वाटर टावर" कहे जाने वाले और दुनिया की जलवायु को प्रभावित करने वाले हिमालय पर कार्बन डाई आक्साइड, मीथेन, ग्रीन हाउस गैसों तथा प्रदूषण के कारण ग्लोबल वार्मिग व जलवायु परिवर्तनों के खतरे तो हैं ही, वैज्ञानिक ब्लैक कार्बन को भी हिमालय के लिए एक खतरा बता रहे हैं। खास बात यह भी है कि इसका असर गरमियों के मुकाबले सर्दियों में, दिन के मुकाबले रात्रि में और मैदान के बजाय पहाड़ पर अधिक होता है। बीरबल साहनी पुरस्कार प्राप्त प्रसिद्ध पादप वैज्ञानिक, गढ़वाल विवि के पूर्व कुलपति, उत्तराखंड योजना आयोग के सदस्य एवं भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आईएनएसए) के लिए हिमालय पर जलवायु परिवर्तन का अध्ययन कर रहे प्रो. एसपी सिंह ने यह खुलासा किया है। सिंह का कहना है कि दुनिया में डेढ़ बिलियन लोग ईधन में ब्लैक कार्बन’का प्रयोग करते हैं। हिमालय पर इसका सर्वाधिक असर वनस्पतियों की प्रजातियों के अपनी से अधिक ऊंचाई की ओर माइग्रेट होने के साथ ही ग्लेशियरों के पिघलने और मानव की जीवन शैली से लेकर आजीविका तक पर गंभीर प्रभाव के रूप में दिख रहा है। धरती के गर्भ से खुदाई कर निकलने वाले डीजल जैसे पेट्रोलियम पदार्थो, कोयला व लकड़ी आदि को जलाने से ब्लैक कार्बन उत्पन्न होता है। प्रो. सिंह के अनुसार यह ब्लैक कार्बन’जलने के बाद ऊपर की ओर उठता है, और ग्रीन हाउस गैसों की भांति ही धरती की गर्मी बढ़ा देता है। बढ़ी हुई गर्मी अपने प्राकृतिक गुण के कारण मैदानों की बजाय ऊंचाई वाले स्थानों यानी पहाड़ों पर अधिक प्रभाव दिखाते हैं। प्रो. सिंह खुलासा करते हैं कि इस प्रकार मौसम परिवर्तन का असर दिल्ली या देहरादून से अधिक नैनीताल में सर्दियों में रात्रि का तापमान कई बार समान होने के रूप में दिखाई दे रहा है। इसके असर से ही ग्लेशियर पिघल रहे हैं और पौधों की प्रजातियां ऊपर की ओर माइग्रेट हो रही हैं। ऐसे में सामान्य सी बात है कि पहाड़ की चोटी की प्रजातियां और ऊपर न जाने के कारण विलुप्त हो रही हैं। मानव जीवन पर भी इसका असर फसलों के उत्पादन के साथ आजीविका और जीवनशैली पर पड़ रहा है। उन्होंने खुलासा किया कि हिमाचल प्रदेश में 1995 से 2005 के बीच सेब उत्पादन में कम ऊंचाई वाले कुल्लू व शिमला क्षेत्रों का हिस्सा कम हुआ है, जबकि ऊंचाई वाले लाहौल- स्फीति का क्षेत्र बढ़ा है।

रविवार, 3 मार्च 2013

नैनीताल का यूं मर्ज बढ़ता ही गया ज्यों-ज्यों दवा की....



  • प्रतिबंध लगाने के बावजूद नैनीताल में आई अवैध निर्माणों की बाढ़ 
  • डीएम की जांच रिपोर्ट पर आयुक्त ने दिए थे अवैध निर्माण ध्वस्त करने के निर्देश 
नैनीताल (एसएनबी)। सरोवरनगरी में निर्माणों पर प्रतिबंध अवैध निर्माणों को और बढ़ावा देने वाला साबित हुआ है। डीएम निधिमणि त्रिपाठी के निर्देशों पर एडीएम विनोद गिरि गोस्वामी द्वारा तैयार जांच रिपोर्ट में शनिवार को यह बात साफ तौर पर उजागर हुई है। जांच रिपोर्ट में अवैध निर्माणकर्ताओं द्वारा प्रयोग किए जा रहे अनेक अनूठे तरीके प्रकाश में आए। डीएम ने यह जांच रिपोर्ट कुमाऊं आयुक्त डा. हेमलता ढौंढियाल को भेज दी थी। आयुक्त ने झील विकास प्राधिकरण के सचिव को जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करने को कहा है। वहीं झीविप्रा के सचिव का कहना है कि प्राधिकरण की कार्य सीमा में कार्रवाई की जाएगी। कई संस्तुतियां शासन स्तर की हैं, उन पर शासन से परामर्श लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि विगत माह एडीएम श्री गोस्वामी ने नगर के अयारपाटा, लोंग व्यू, कैलाश व्यू, तल्लीताल, स्नो व्यू, ब्रेवरी कंपाउंड, तारा कंपाउंड, सात नंबर, सुख निवास, गो कार्टेज, जू रोड व माल रोड क्षेत्र का व्यापक निरीक्षण किया था। इस आधार पर उन्होंने विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में की गई संस्तुतियां डीएम, कुमाऊं आयुक्त से होते हुए झीविप्रा सचिव तक पहुंच गई हैं। आगे कार्रवाई का इंतजार है।

जांच में हुआ खुलासा


  • एक-दो कमरों के या मरम्मत के मानचित्र पास कराकर और निर्माणस्थल पर उनके बोर्डों की आड़ में हो रहे बड़े निर्माण 
  • वृक्षों से तीन मीटर की दूरी पर ही निर्माण के नियम के विरुद्ध पेड़ों को चिनकर या पेड़ों को भवनों के भीतर घेरकर भी हो रहे निर्माण 
  • नालों पर अतिक्रमण कर और नालों के ऊपर भी हो रहे निर्माण 
  • सड़कों पर बेरोकटोक रखी जा रही निर्माण सामग्री 
  • सील तोड़कर भी हो रहे निर्माण, लोग सील तोड़कर रह भी रहे मकानों में 
  • ग्रीन बेल्ट क्षेत्रों में 'प्लाट बिकाऊ हैं' के बोर्ड लगाकर हो रही जमीन की खरीद-फरोख्त 
  • कंपाउंड करने की नीति दे रही अवैध निर्माण को बढ़ावा, लोग अवैध निर्माणों को कंपाउंड कराकर करा रहे वैध


जांच रिपोर्ट में की गई संस्तुतियां


  • संवेदनशील, असुरक्षित व ग्रीन बेल्ट क्षेत्रों में निर्माणों पर पूर्ण प्रतिबंध लगे 
  • यहां हुए निर्माणों के बिजली, पानी व टेलीफोन कनेक्शन कटें 
  • निर्माण सामग्री लाने के लिए हो परमिट व्यवस्था, प्रयोग करने व रखने की जगह बताने पर ही मिलें परमिट 
  • व्यावसायिक निर्माणों पर लगे पूर्ण प्रतिबंध 
  • राजमिस्त्रियों का हो पंजीकरण, उन्हें मानकों के अनुसार कार्य करने का दिया जाए प्रशिक्षण 
  • ग्रीन बेल्ट की जमीन भूस्वामियों से सर्किल रेट पर खरीदकर वन विभाग को दे दी जाए 
  • अनुमति से अधिक के निर्माणों पर पास नक्शे हों निरस्त 
  • अवैध निर्माणों को सील करने की व्यवस्था अव्यावहारिक 
  • नगर के प्रतिबंधित क्षेत्रों की जानकारी का हो व्यापक प्रचार-प्रसार

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शनिवार, 2 मार्च 2013

मापी जाएगी टेक्टोनिक प्लेटों की गतिशीलता

साफ होगी भारतीय प्लेट के तिब्बती प्लेट में धंसने की गति : प्रो. पंत
नवीन जोशी, नैनीताल। अब तक भूवैज्ञानिक सामान्यतया यह कहते आए हैं कि भारतीय उप महाद्वीप करीब 50 से 55 मिमी प्रति वर्ष की दर से उत्तर की ओर गतिमान है। इस दर से भारतीय टेक्टोनिक प्लेट तिब्बती प्लेट में समा रही है, लेकिन अब पहली बार भारतीय प्लेट की गति को ही उत्तराखंड के हिमालयों में विभिन्न टेक्टोनिक हिस्सों के बीच आपसी गतिशीलता के रूप में मापा जाएगा। इस हेतु केंद्रीय भूविज्ञान मंत्रालय की एक महत्वाकांक्षी परियोजना स्वीकृत हो गई है, जिसके तहत राष्ट्रीय भूभौतिक शोध संस्थान (एनजीआरआई) हैदराबाद और आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक कुमाऊं विवि के भूवैज्ञानिकों और उनके द्वारा पूर्व में स्थापित भूकंपमापी उपकरणों और नई जीआईएस पण्राली से जुड़े उपकरणों की मदद से भारतीय प्लेट की वास्तविक गति का पता लगाएंगे। उल्लेखनीय है कि देश में भूकंपों और भूगर्भीय हलचलों का मुख्य कारण भारतीय प्लेट के उत्तर दिशा की ओर बढ़ते हुए तिब्बती प्लेट में धंसते जाने के कारण ही है। बताया जाता है कि करीब दो करोड़ वर्ष पूर्व भारतीय प्लेट तिब्बती प्लेट से टकराई थी, और इसी कारण उस दौर के टेथिस महासागर में इन दोनों प्लेटों की भीषण टक्कर से आज के हिमालय का जन्म हुआ था। आज भी दोनों प्लेटों के बीच यह गतिशीलता बनी हुई है, और इसकी गति करीब 50 से 55 मिमी प्रति वर्ष बताई जाती है। इधर भूविज्ञान मंत्रालय की परियोजना के तहत हिमालय के हिस्सों- लघु हिमालय से लेकर उच्च हिमालय के बीच के विभिन्न भ्रंशों के बीच इस गतिशीलता को गहनता से मापा जाएगा। कुमाऊं विवि के भूविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. चारु चंद्र पंत ने बताया कि एनजीआरआई हैदराबाद के डा. विनीत गहलौत और आईआईटी कानपुर के प्रो. जावेद मलिक गंगा-यमुना के मैदानों को शिवालिक पर्वत श्रृंखला से अलग करने वाले हिमालय फ्रंटल थ्रस्ट, शिवालिक व लघु हिमालय को अलग करने वाले मेन बाउंड्री थ्रस्ट (एमबीटी), इसी तरह आगे रामगढ़ थ्रस्ट, साउथ अल्मोड़ा थ्रस्ट, नार्थ अल्मोड़ा थ्रस्ट, बेरीनाग थ्रस्ट व मध्य हिमालय से उच्च हिमालय को विभक्त करने वाले मेन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी) जैसे विभिन्न टेक्टोनिक सेगमेंट्स के बीच आपस में उत्तर दिशा की ओर गतिशीलता का गहन अध्ययन करेंगे। इस हेतु प्रदेश के पीरूमदारा, काशीपुर, कोटाबाग व नानकमत्ता व नैनीताल में जीपीएस आधारित उपकरण लगाए जाएंगे जो लंबी अवधि में इन स्थानों पर लगे उपकरणों की उनकी वर्तमान मूल स्थिति के सापेक्ष विचलन को नोट करते रहेंगे। इनके अलावा कुमाऊं विवि द्वारा कुमाऊं में भूकंप मापने के लिए मुन्स्यारी, तोली (धारचूला), नारायणनगर (डीडीहाट), धौलछीना और भराड़ीसेंण में लगाए गए उपकरणों की भी मदद ली जाएगी। 

शुक्रवार, 1 मार्च 2013

नैनीताल में बनेगा दुनिया की स्वप्न-'टीएमटी' का आधार

अमेरिका के हवाई द्वीप में स्थापित होनी है दुनिया की सबसे बड़ी 30 मीटर व्यास की दूरबीन
इसका आधार-'मिरर सेगमेंट सपोर्टिंग एसेंबली' बनेगी एरीज में
भारत एक हजार करोड़ रुपए की अतिमत्वाकांक्षी परियोजना में एक फीसद का है भागीदार
एरीज में 'टीएमटी' की बनने वाली 'मिरर सेगमेंट सपोर्टिंग एसेंबली'

नवीन जोशी, नैनीताल। वर्ष 2001 व 2003 में पहली बार दुनिया भर के खगोल विज्ञानियों द्वारा देखा गया 30 मीटर व्यास की आप्टिकल दूरबीन ‘थर्टी मीटर टेलीस्कोप यानी टीएमटी’ का ख्वाब अब ताबीर होने की राह पर चल पड़ा है। नैनीताल स्थित एरीज का सौभाग्य ही कहेंगे कि दुनिया की इस स्वप्न सरीखी दूरबीन का आधार यानी सेगमेंट सर्पोटिंग एसेंबली नाम के करीब 60 हिस्से यहाँ बनाए जाएंगे। आधार के इन हिस्सों पर ही इस विशालकाय 56 मीटर ऊंची व करीब 10 टन भार की दूरबीन का वजन इसे पूरे आकाश में देखने योग्य घुमाने के साथ उसे सहने का गुरुत्तर दायित्व होगा। इन महत्वपूर्ण हिस्सों के निर्माण की तैयारी के क्रम में निर्माता कंपनियों के चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 
गौरतलब है कि ‘टीएमटी’ की महांयोजना करीब 1.3 बिलियन डॉलर यानी करीब 7,500 करोड़ रुपयों की है। भारत सहित छह देश-कैलटेक (California Institute of Technology), अमेरिका, कनाडा, चीन व जापान इस महांयेाजना में मिलकर कार्य कर रहे हैं। अल्ट्रावायलेट (0.3 से 0.4 मीटर तरंगदैर्ध्य पराबैगनी किरणों) से लेकर मिड इंफ्रारेड (2.5 मीटर से एक माइक्रोन तरंगदैर्ध्य तक की अवरक्त) किरणों (टीवी के रिमोट में प्रयुक्त की जाने वाली अदृय) युक्त इस दूरबीन को प्रशांत महासागर में हवाई द्वीप के मोनाकिया द्वीप समूह में ज्वालामुखी से निर्मित 13,8 फिट (4,2 मीटर) ऊंचे पर्वत पर वर्ष 2021 में स्थापित किऐ जाने की योजना है। उम्मीद है कि इसे वहाँ स्थापित किए जाने का कार्य 2014 से शुरू हो जाएगा। यह दूरबीन हमारे सौरमंडल व नजदीकी आकाशगंगाओं के साथ ही पड़ोसी आकाशगंगाओं में तारों व ग्रहों के विस्तृत अध्ययन में अगले 50 -100  वर्षों तक सक्षम होगी। भारत को इस परियोजना में अपने ज्ञान-विज्ञान, तकनीकी व उपकरणों के निर्माण में एक फीसद भागेदारी के साथ सहयोग देना है। देश के इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फार एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रो फिजिक्स (आईसीयूएए) पुणे को इसके सॉफ्टवेयर संबंधी, इंडियन इंस्टिूट ऑफ एस्ट्रो फिजिक्स (आईआईए) बंगलुरु को मिरर कंट्रोल सिस्टम और एरीज को मत्वपूर्ण ६०० मिरर सेगमेंट सर्पोंटिंग सिस्टम बनाने की जिम्मेदारी मिली है। यह महत्वपूर्ण हिस्से यांत्रिक के साथ ही इलेक्ट्रानिक सपोर्ट सिस्टम से भी युक्त होंगे। पीआरएल अमदाबाद व भाभा परमाणु संस्थान-बार्क मुम्बई को भी कुछ छोटी जिम्मेदारियां मिली हैं। एरीज को मिली जिम्मेदारी को सर्वाधिक मत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि उसे देश की सबसे बड़ी 3.6 मीटर व्यास की दूरबीन को निकटवर्ती देवस्थल में स्थापित करने हेतु तैयार करने का अनुभव है। एरीज के निदेशक प्रो. रामसागर इस जिम्मेदारी से खासे उत्साहित हैं। उन्होंने बताया कि मिरर सेगमेंट सपोर्टिंग सिस्टम को किसी निर्माता कंपनी से बनाया जाएगा, जिसके चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। एरीज इसके निर्माण में 3.6 मीटर दूरबीन की तरह ही डिजाइन, सुपरविजन और इंजीनियरिंग में सयोग करेगा।

अवरक्त किरणों को देखना है चुनौती
देश-दुनिया में बड़ी से बड़ी व्यास की दूरबीन बनाने की कोशिशों का मूल कारण अवरक्त यानी इन्फ्रारेड किरणों को न देख पाने की समस्या है। दुनिया में अब तक मौजूद दूरबीनें 35 से 70 तरंग दैर्ध्य की किरणों तथा ऐसी किरणें उत्सर्जित करने वाले तारों व आकाशगंगाओं को ही देख पाती हैं। जबकि इससे अधिक तरंग दैर्ध्य की अवरक्त यानी इंफ्रारेड किरणों को देखने के लिए इनके अनुरूप पकरणों की जरूरत होती है। ऐसी बड़ी दूरबीनें ऐसी प्रकाश व्यवस्था से भी जुडी होंगी जो बड़ी तरंग दैर्ध्य की अवरक्त किरणों के माध्यम से बिना वायुमंडल और ब्रह्मांड में विचलित हुए सुदूर अंतरिक्ष के निर्दिस्थ स्थान पर पहुँचकर वहाँ का हांल बता पाऐंगी। प्रोजक्ट वैज्ञानिक आईयूसीएए के डा.एएन रामप्रकाश ने बताया कि 30 मीटर की दूरबीन 3.6 मीटर की दूरबीन के मुकाबले 81 गुने मद्धिम रोशनी वाले तारों को भी देख पाएगी।

शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

प्रदेश के अनेक खाद्यान्न गोदामों में अवैध रूप से इस्तेमाल की जा रही है बिजली !


नवीन जोशी, नैनीताल। प्रदेशभर के खाद्यान्न गोदामों में बिजली के कनेक्शन नहीं हैं। ऐसा न होने का कारण भी ऐसा है कि हर कोई आश्र्चयचकित रह जाए। बताया गया कि बिजली के कनेक्शन होने से कहीं गोदामों में "शॉर्ट सर्किट" से आग न लग जाए। आज के दौर में बिजली के बिना कर्मचारियों का रहना भी संभव नहीं है। ऐसे में अनेक गोदामों में कर्मचारी अवैध तरीके से बिजली का उपयोग कर रहे हैं। इस कारण खाद्य आपूर्ति विभाग को अन्य विभागों के साथ "डिजिटलाइज" करने की प्रक्रिया में भी बाधा आ रही है, क्योंकि विभाग को डिजिटलाइज करने में इन गोदामों को भी डिजिटलाइज करना जरूरी है और ऐसा गोदामों को बिजली के कनेक्शन दिए बिना संभव नहीं है। यह अविश्वसनीय सी स्थिति खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्रदेश भर के 319 खाद्यान्न गोदामों की है। इन गोदामों से सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों को खाद्यान्न की आपूर्ति की जाती है, और अक्सर गल्ला दुकानदार शाम ढले यहां अनाज, चीनी, मिट्टी तेल आदि लेने पहुंचते हैं और उन्हें ढिबरियां जलाकर या टार्च आदि के माध्यम से खाद्यान्न दिया भी जाता है। ऐसा भी नहीं है कि कार्यालय समय के बाद या शाम ढले अनाज नहीं दिया जाता है, लेकिन किसी भी गोदाम में बिजली का कनेक्शन नहीं है। बिजली न होने का कारण भी ऐसा है कि आसानी से हजम नहीं होता कि बिजली के कनेक्शन से शार्ट सर्किट होने पर गोदाम में आग लगने का खतरा रहता है। दूसरी ओर गोदाम में काम करने वाले मजदूर धूम्रपान भी करते हैं और रात्रि में अनाज की बोरियां निकालने के लिए केरोसीन से ढिबरियां या लैंप भी जलाते हैं। इस बारे में अधिकारी भी दावे के साथ कहने को तैयार नहीं हैं। एक अधिकारी ने इतना जरूर कहा कि आग लगने से आफत में पड़ें, इससे बेहतर है कनेक्शन ही न हो। साथ ही उन्होंने खुलासा किया कि अधिकतर गोदामों में अवैध तरीके से बिजली का उपयोग किया जा रहा है। सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता संघ के महासचिव हेमंत रुबाली का कहना है कि इस कारण रात्रि में अक्सर खाद्यान्न के बोरे फट जाते हैं और इससे खाद्यान्न के नुकसान की संभावना भी रहती है। दूसरी ओर विभागीय अधिकारी शासकीय व्यवस्था का हवाला देते हुए इस मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर रहे हैं। डीएसओ राहुल शर्मा ने कहा कि शासन से कम्प्यूटरीकरण, डिजिटलाइजेशन के कारण कनेक्शन लगवाने और आगे विद्युत बिलों के भुगतान के लिए धनराशि की व्यवस्था करने को कहा जा रहा है। इसके साथ ही प्रदेश में बागेश्वर व पिथौरागढ़ जनपद सहित कई जिलों में ऐसे अनेक गोदाम भी बताए जा रहे हैं, जिनके आसपास के क्षेत्रों में भी बिजली नहीं है, लिहाजा यहां भी विभागीय गोदामों के डिजिटलाइजेशन की राह आसान नहीं है।

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

तीरथ का कुमाऊं दौरा: "फील गुड˜ के साथ ही मिला "फीड बैक"



भाजपा संगठन के विस्तार की आहट से चौकन्ने दिखे कार्यकर्ता, पलक-पांवड़े बिछाने में नहीं रखी कोई कसर 
नवीन जोशी, नैनीताल। भाजपा के नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत को उनका कुमाऊं दौरा "फील गुड" और साथ ही आसन्न संगठन विस्तार से लेकर निकाय, पंचायत व लोक सभा चुनावों में पार्टी प्रत्याशियों की बाबत ˜फीड बैक" भी दे गया है। इस "फील गुड" के कारक भी इसी "˜फीड बैक" में छुपे हुए हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं ने नए अध्यक्ष के समक्ष अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए अपनी गुटीय निष्ठाओं को दरकिनार कर जिस तरह पलक पांवड़े बिछाए, उससे ˜फील गुड इफेक्ट" के साथ ही संगठन विस्तार व आगामी चुनावों के लिए ˜फीड बैक" भी लेकर तीरथ कुमाऊं से लौटे हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में तीरथ ने अपनी नई राजनीतिक पारी की शुरूआत उस कुमाऊं मंडल से की, जिसे उनकी ताजपोशी के विरोधी रहे गुट का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है। उनकी ताजपोशी से पहले चरम पर पहुंचा राज्य के ˜थ्री जी" गुटों का आपसी विवाद और उनके दौरे से ठीक एक दिन पहले हल्द्वानी में भी दो पूर्व दर्जाप्राप्त मंत्रियों के विवाद के साथ पुलिस थाने तक भी जा पहुंचा था। इसके बावजूद तीरथ का कुमाऊं में आगमन हुआ तो जसपुर में मंडल की सीमा में प्रवेश से लेकर काशीपुर, बाजपुर, दिनेशपुर, रुद्रपुर, हल्द्वानी, भीमताल, भवाली, कालाढूंगी और रामनगर तक विरोधी बताए जाने वाले गुटीय नेताओं के साथ छपे उनके विशालकाय होर्डिग, पोस्टर देखकर तीरथ ने भी कहा कि वह ˜निर्गुट" नेता हैं। दरअसल उनके ˜दिल खोल" स्वागत के पीछे आसन्न परिस्थितियां हैं। पार्टी की जिला इकाइयों के विस्तार के साथ ही भाजयुमो जैसी आनुषांगिक इकाइयों व प्रकोष्ठों का जल्द गठन होना है। निकाय और पंचायत चुनाव मुंह बाये खड़े हैं तो लोस चुनाव भी दूर नहीं हैं। ऐसे में नैनीताल-ऊधमसिंहनगर जिले की संसदीय सीट के दो दावेदारों बची सिंह रावत व बलराज पासी से लेकर कई पूर्व दर्जाप्राप्त मंत्री तथा पार्टी के पूर्व व निवर्तमान पदाधिकारी उनके स्वागत में पोस्टरों के तोरणद्वार सजाते हुए वास्तव में ˜मुंह दिखाई" की प्रतिस्पर्धा करने को मजबूर रहे। इस कोशिश में अनेक ˜राजनीतिज्ञों" ने तो अपनी मजबूत बताई जाने वाली गुटीय निष्ठा भी ताक पर रखने से गुरेज नहीं किया। तीरथ बृहस्पतिवार को नैनीताल क्लब में ˜राष्ट्रीय सहारा" से एक खास भेंट में इस ˜फील गुड" से खासे उत्साहित दिखे। उन्होंने कहा, उनकी कोशिश इस जोश को बरकरार रखने की रहेगी। उनकी पार्टी कार्यकर्ताओं की पार्टी है।

कोश्यारी के गढ़ में सेंध लगाने में रहे सफल 
नैनीताल। भाजपा के दिग्गज नेता भगत सिंह कोश्यारी के गढ़ में तीन दिवसीय दौरे के माध्यम से सेंध लगाकर कोश्यारी को अलग-थलग करने की योजना आखिर परवान चढ़ ही गई। संगठन में प्रदेश अध्यक्ष के मुद्दे पर इन दिनों पार्टी से खफा भगत सिंह कोश्यारी के गढ़ में नये अध्यक्ष का दौरा सफल कराकर पार्टी कोश्यारी को जो संकेत देना चाहती थी, उसमें पार्टी के रणनीतिकार सफल रहे। पूरे दौर के दौरान जिस प्रकार से पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री बची सिंह रावत, पूर्व अध्यक्ष पूरन शर्मा, पूर्व मंत्री बंशीधर भगत जैसे दिग्गजों को दौरे की कमान देकर प्रदेश अध्यक्ष का दौरा सफल कराया है, उससे कोश्यारी खेमे को संकेत मिल गया है कि फिलहाल संगठन पर खंडूड़ी व निशंक खेमा ही हावी रहेगा।


संगठन विस्तार प्रांतीय परिषद की बैठक तक
नैनीताल। तीरथ ने कहा कि आगामी 16-17 मार्च को आयोजित होने जा रही प्रांतीय परिषद की बैठक तक संगठन का विस्तार कर लेंगे। उन्होंने कहा कि संगठन में युवाओं को स्थान देना उनकी प्राथमिकता में होगा। महिलाओं को भी खास तरजीह दी जाएगी। साथ ही अनुसूचित जाति सहित सभी जातियों, वर्गों, समाज के लोगों को संगठन में स्थान देकर पार्टी सर्वग्राही, सर्वस्पर्शी व सर्वव्यापी स्वरूप प्रदर्शित करेगी। हालांकि एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने स्वीकारा कि उनकी ˜राष्ट्रीय सोच" वाली कही जाने वाली पार्टी में राष्ट्रीय सोच दिखाई नहीं देती है। क्षेत्र व जाति के समीकरणों के आधार पर पद मिलते हैं। साथ ही उन्होंने आश्वस्त किया कि वह पार्टी के प्रति आस्थावान एवं कार्य क्षमतायुक्त लोगों को ही जिम्मेदारियां देंगे। उन्होंने राज्य सरकार पर गैरसैंण पर राजनीतिक ढकोसला करने का आरोप लगाते हुए गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने की मांग की। उन्होंने प्रदेश सरकार पर अपने मंत्रियों को विदेश यात्रा कराकर व अन्य तरीकों से खुश कर केवल स्वयं को बचाने और जनता की ओर पीठ फेर लेने का आरोप भी लगाया।


हां, लोक सभा का दावेदार हूं : बचदा

नैनीताल। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे बची सिंह रावत ˜बचदा" के साथ ही पूर्व सांसद बलराज पासी लगातार साथ रहे। बचदा पिछली बार नैनीताल सीट से लोक सभा का चुनाव लड़कर हार चुके हैं, जबकि बलराज के नाम एनडी तिवारी को हराने का रिकार्ड दर्ज है। हालांकि इस सीट से अब तक पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी के चुनाव लड़ने की संभावनाएं सर्वाधिक बताई जा रही थीं, लेकिन बदले हालात में बचदा और बलराज मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। बचदा ने बृहस्पतिवार को इशारों में कहा भी कि उनका स्वाभाविक दावा है। साथ ही वह यह कहने से भी नहीं भूले कि तीरथ में संगठन को लेकर अपार संभावनाएं हैं। उनकी कार्यक्षमता को वह अपने प्रदेशाध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान प्रदेश महामंत्री के रूप में देख चुके हैं।

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

सिडकुल में राज्य के बेरोजगारों को मिले सीधी नौकरी : बाबा


कहा, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद पर बदलाव की संभावना नहीं
नैनीताल (एसएनबी)। नैनीताल के सांसद केसी सिंह बाबा ने सिडकुल में राज्य के बेरोजगारों को सीधी नियुक्ति न देने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि ठेके या कांट्रेक्ट पर नौकरी में कोई भविष्य नहीं होता। वह सरकार से मांग करते हैं कि राज्य के बेरोजगारों को शासनादेश के अनुरूप 70 फीसद रोजगार सीधी भर्ती के जरिए मिले। उन्होंने सिडकुल की फैक्टरियों में ठीक से उत्पादन न होने व केवल डमी उत्पादन दर्शाए जाने को गंभीरता से लेते हुए स्वयं जायजा लेने की बात कही। प्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बदलाव की संभावनाओं से इनकार करते हुए उन्होंने उम्मीद जताई कि अध्यक्ष यथावत रहेंगे। 
शुक्रवार को कांग्रेस नगर अध्यक्ष के आवास पर आयोजित पत्रकार वार्ता में बाबा ने कहा कि गौला, कोसी आदि नदियों में एकमुश्त 10 वर्ष चुगान की अनुमति प्राप्त करना बड़ी जीत है। आगे काठगोदाम से मुंबई व चंडीगढ़ को तथा रामनगर से देहरादून के लिए सीधी ट्रेन चलाने, सितारगंज-किच्छा के बीच रेल लाइन का नया सर्वे कराने व काशीपुर से धामपुर तक रेल लाइन के लिए प्रयत्नशील हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राज मार्गों की मरम्मत का कार्य भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा करने के फैसले से दिक्कत आ रही है, समस्या के समाधान की कोशिश की जा रही है। सांसद निधि के वर्ष 2011-12 के प्रस्ताव पहले ही भेजे जा चुके हैं। देरी विभागीय स्तर पर हो रही है। प्रदेश का 67 फीसद घटाया गया मिट्टी तेल का कोटा बढ़ाने के लिए वे केंद्र से वार्ता करेंगे। महंगाई को बड़ी समस्या बताते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में गंभीर हैं। अगला लोस चुनाव लड़ने के बाबत उन्होंने कहा कि हर निर्णय स्वीकार्य होगा, वह हर हाल में 'बाबा' ही रहेंगे। पत्रकार वार्ता में सांसद प्रतिनिधिडा. हरीश बिष्ट, किशन लाल साह, सुरेश गुरुरानी, नगर अध्यक्ष मारुति साह व भगवती सुयाल आदि मौजूद रहे। 

कुमाऊं विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा देने के पक्ष में नहीं सांसद 
सांसद केसी सिंह बाबा ने कहा कि मौजूदा कुमाऊं विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा नहीं देना चाहिए। इस मामले में अपनी राय व्यक्त करते हुए बाबा ने कहा कि मौजूदा कुमाऊं विवि को यह दर्जा देने के बजाय नए विवि को यह दर्जा देना चाहिए। कुमाऊं विवि कर्मचारी संघ-कूटा के साथ ही कांग्रेस बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ कुमाऊं विवि को केंद्रीय दर्जा देने की मांग करते रहे हैं। कूटा महासचिव डा. ललित तिवारी ने कहा कि राज्य कैबिनेट के कुमाऊं विवि को ही केंद्रीय दर्जा देने का प्रस्ताव पारित करने के बाद अब इस मामले में विवाद नहीं होना चाहिए। गढ़वाल के बाद कुमाऊं विवि को यह दर्जा दिया जाना प्राकृतिक न्याय है।