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शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014

संजना के हत्यारे 'फूफा' को फांसी की सजा


घटना को अंजाम देकर साले की पत्नी के कमरे में गया था दीपक
जिला अदालत ने जघन्य मामला माना बलात्कार के जुर्म में मिली उम्रकैद
नैनीताल (एसएनबी)। बहुचर्चित संजना हत्याकांड में जिला एवं सत्र न्यायाधीश मीना तिवारी की अदालत ने 28 फरवरी 2014 को वर्ष 2012 में संजय नगर बिंदूखत्ता में आठ वर्षीया संजना की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में उसी के रिश्ते के फूफा दीपक आर्या को मौत की सजा सुनाई थी। अदालत ने इस हत्या को जघन्य माना। अदालत ने दीपक को दुष्कर्म का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा दीपक को अपहरण और अन्य धाराओं के तहत भी सजाएं व आर्थिक दंड सुनाया गया है।
शुक्रवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश मीना तिवारी की अदालत में गत 21 फरवरी को अदालत से दोषी पाये गये मृतक संजना के फूफा दीपक आर्या की सजा पर सुनवाई शुरू हुई। अदालत में मृतक संजना के पिता नवीन कुमार व मामा संतोष भी मौजूदथे। जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील शर्मा ने सहायक शासकीय अधिवक्ता नरेंद्र सिंह नेगी के साथ दोषी को अधिकतम मृत्युदंड की सजा दिए जाने की मांग की। बचाव पक्ष ने सजा में रहम करने की गुहार की, पर अदालत ने इस जघन्य हत्याकांड के लिए दीपक को अधिकतम मृत्यदंड की सजा दी। अदालत ने कहा कि दीपक को तब तक फांसी पर लटकाया जाए जब तक उसकी मृत्यु न हो जाए। अदालत ने फैसला सुनाते हुए दीपक को भादंसं की धारा 457 के तहत पांच वर्ष का कठोर कारावास व तीन हजार रुपये जुर्माना व जुर्माना न भुगतने पर एक वर्ष की अतिरिक्त सजा, अपहरण करने के मामले में सात वर्ष की जेल व पांच हजार जुर्माना व जुर्माना न भुगतने पर एक वर्ष की अतिरिक्त सजा, दुष्कर्म के दोष में में धारा 376 के तहत अधिकतम आजीवन कारावास व 10 हजार का जुर्माना तथा जुर्माना न भुगतने पर एक वर्ष की अतिरिक्त सजा सुनाई।
मृतका संजना
संजना हत्याकांड में दीपक को मौत की सजा दिलाने में उस गवाही की भी बड़ी भूमिका रही, जिसमें बताया गया कि वह बच्ची के साथ बलात्कार करने और उसकी हत्या करने के बाद जब घर लौटा तो अपने घर में अपनी पत्नी की बजाय साले की पत्नी के कमरे में चला गया था और ‘नानू-नानू’ पुकार रहा था, जो कि मृतका संजना का घर का नाम था। रात्रि में संजना की खोजबीन के दौरान भी जब उसे बुलाया गया तो वह नहीं आया। अलबत्ता सुबह पांच बजे वह खोजबीन में शामिल हुआ और वही मृतका के निर्वस्त्र शव को घटनास्थल से उठाकर घर लाया था। अदालत में वह आखिर तक स्वयं को बेवजह फंसाने की बात कहता रहा। जांच के दौरान भी वह हमेशा मृतका के परिजनों और पुलिस तथा जांच एजेंसियों को गुमराह करता रहा। 10 जून की रात्रि संजना को उसकी दादी भागीरथी देवी के पास से सोते हुए उठा ले जाने के दौरान अपनी बजाय दादी की चप्पलें पहनकर ले गया था और चप्पलें घटनास्थल पर ही छोड़ आया था, ताकि जांच एजेंसियां भ्रमित हो जाएं। पांच नवम्बर 2012 को पुलिस जब दीपक के बयान ले रही थी, तब उसने पुलिस को अपने पिता का नाम धन राम के बजाय प्रताप राम बताकर भ्रमित करने की एक और कोशिश की थी। इसी कारण उस पर पुलिस का शक गहरा गया। आखिर बमुश्किल जांच के आखिरी दौर में तीन जनवरी 2013 को घटना के छह माह बाद दीपक का डीएनए सैंपल लिया जा सका, जोकि पॉजिटिव पाया गया।

नैनीताल में अब तक आठ को सजा-ए-मौत

नवीन जोशी, नैनीताल। संजना हत्याकांड में दोषी दीपक कुमार को मृत्युदंड की सजा सुनाए जाने के साथ ही जिले में अब तक मौत की सजा पाने वालों की संख्या आठ हो गई है। ये सजाएं चार अलग-अलग मामलों में सुनाई गई। इनमें तीन मामले बच्चियों के साथ दुराचार के बाद उनकी हत्या करने के हैं, जबकि एक मामला चार लोगों की हत्या का है। इससे पूर्व तत्कालीन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जीके शर्मा की अदालत ने 1998 में बाजपुर में पांच वर्षीय बालिका के साथ बलात्कार के बाद हत्या करने के मामले में सात जनवरी 2004 को बाजपुर निवासी आफताब अहमद अंसारी व मुमताज नाम के व्यक्तियों को तथा इसी तरह के एक अन्य मामले में जीके शर्मा की अदालत ने ही 2003 में मल्लीताल कोतवाली क्षेत्र में छह वर्षीय नेपाली बच्ची सुषमा के साथ प्राकृतिक व अप्राकृतिक तरीके से बलात्कार व हत्या करने के आरोप में 28 जून 2004 को अलीगढ़ निवासी बाबू पुत्र अलीम अंसारी, बिलासपुर यूपी निवासी आमिर पुत्र हामिद और खटीमा निवासी अर्जुन पुत्र बाला को फांसी की सजा सुनाई थी। यह इत्तेफाक ही है कि इन दोनों मामलों में वर्तमान जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने ही अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी की थी। इसके अलावा राज्य बनने से पूर्व 11 दिसंबर 1999 को हल्द्वानी में चार लोगों जुनैद, असलम, खलील व इशरत की हत्या के छह में से दो आरोपितों राजेश व नवीन को तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश पीसी पंत (वर्तमान में मेघालय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश) की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी।

डीएनए जांच से खुला मामला

जिला शासकीस अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि मामले में कुल 21 गवाह लिए गए, लेकिन इनमें से कोई भी चश्मदीद गवाह नहीं था। मामला पूरी तरह पुलिस की सक्रियता व अच्छे कार्य के फलस्वरूप डीएनए जांच से खुला। मामले में मृतका के पिता नवीन कुमार सहित गांव के 57 लोगों को डीएनए परीक्षण कराकर शर्मिदगी झेलनी पड़ी थी। राज्य की विधानसभा में भी यह मामला गूंजा था और सीबीआई की सीएफएस प्रयोगशाला दिल्ली में डीएनए जांच के बाद बमुश्किल सफलता मिली। इस हत्याकांड की तफ्तीश करने वाले लालकुआं कोतवाली के तत्कालीन कोतवाल विपिन चंद्र पंत ने बताया कि मामले में अनेक प्रयासों के बावजूद असफल रहने पर आखिर उन्होंने अपनी अटूट आस्था के केंद्र कुमाऊं में न्याय के देवता के रूप में प्रसिद्ध ग्वल देवता की जागर (देवता का आवाहन) और बभूती भी लगाई।

फैसले से पिता संतुष्ट

जिला अदालत से दोषी को मृत्युदंड की सजा मिलने के बाद मृतका के पिता नवीन कुमार ने कहा वह अदालत के फैसले से संतुष्ट हैं। अब अपने ईष्टदेव ग्वेल, कल बिष्ट व गंगनाथ के साथ ही तिवारी नगर स्थित माता दुर्गा के मंदिर में शीष झुकाने जाएंगे। किच्छा में मजार पर भी मन्नत मांगी थी, वहां भी चादर चढ़ाने जाएंगे।

शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2014

संजना हत्याकांड की तफ्तीश में न्याय देव ग्वल ने भी की पुलिस की मदद !

दीपक आर्या
संजना
नैनीताल (एसएनबी)। लालकुआं के बहुचर्चित संजना हत्याकांड में मृतका का फूफा दीपक आर्या जिला अदालत में दोषी सिद्ध हो गया है। दीपक ने संजना को अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया और फिर उसकी गला घोंट कर हत्या कर दी। अदालत ने इस हत्याकांड को जघन्यतम माना। दोषी 26 फरवरी को सजा सुनाई जाएगी। परिजनों ने दोषी को फांसी की सजा देने की मांग की है।  हत्याकांड की तफ्तीश में पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। लालकुआ कोतवाली के तत्कालीन कोतवाल विपिन चंद्र पंत ने मामले में अनेक स्तरों से क़ी जांच की। पहले एक बड़े क्षेत्र से जांच शुरू करते हुए जांच मृतका के पिता और नजदीकी परिजनों तक पहुंची। इस दौरान ऐसे हालात भी बने कि पूरा जोर लगाने और मृतका के पिता व सारे गांव पर शक व जांच करने के बावजूद सफलता ना मिलने पर विवेचक श्री पंत ने अपनी अटूट आस्था के केंद्र अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के पास उदयपुर कैड़ारब गांव में स्थित कुमाऊं में न्याय के देवता के रूप में प्रसिद्ध ग्वल देवता की जागर (देवता का आवान) और बभूती भी लगाई। इस बात को पंत ने अदालत के समक्ष भी स्वीकारा कि जागर के बाद ही अभियुक्त पर जांच केंद्रित हो पाई। उल्लेखनीय है कि कुमाऊं मंे मान्यता है कि जिसे कहीं न्याय नहीं मिलता, आखिर ग्वल देव के दरबार में सच्चा न्याय मिलता है।
लालकुआं के तिवारीनगर नंबर एक में नाबालिग संजना 10 जुलाई 2012 की रात अपनी दादी भागीरथी देवी के साथ सोई हुई थी, तभी वह लापता हो गई थी। दूसरे दिन उसका शव निर्वस्त्र अवस्था में मिला था। पुलिस तब इस केस का कोई सुराग नहीं तलाश सकी थी। इस हत्याकांड को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए थे। पुलिस ने इस मामले में कई महीनों तक जांच की और 57 लोगों का डीएनए टेस्ट कराया। डीएनए नमूना मिलने के आधार पर सात फरवरी 2013 को दीपक आर्या पुत्र धनराम आर्या मूल निवासी बनबसा चम्पावत को गिरफ्तार किया गया। मामले में मृतका के पिता सहित 57 ग्रामवासियों के डीएनए नमूने लिये गए थे। इस मामले में सीबीआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डा. महापात्रा सहित 21 लोगों के बयान लिए गये। आरोपित ने डीएनए संबंधी वैज्ञानिक प्रमाण की सत्यता को संदिग्ध बताने के साथ वैज्ञानिक की डिग्री व शैक्षिक योग्यता पर भी आरोप लगाए थे। इस पर उन्हें स्वयं की डिग्री व योग्यता को अदालत में साबित करना पड़ा। शुक्रवार को जिला एवं सत्र न्यायालय में मामले की अंतिम सुनवाई के दौरान जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा व सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता नरेंद्र सिंह नेगी ने मामले को गंभीर प्रकृति का जघन्यतम अपराध बताया। जिला एवं सत्र न्यायाधीश मीना तिवारी की अदालत ने आरोपित दीपक आर्या को साक्ष्यों व गवाही के बाद नाबालिग से घर में घुसकर अपहरण कर ले जाने, बलात्कार कर हत्या करने एवं साक्ष्य छुपाने का दोषी घोषित कर दिया। जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा ने कहा कि दोषी ने अपनी बेटी समान व रिश्तेदार की बच्ची को विास को चोट पहुंचाकर अपनी हवस को पूरा करने के लिए घर से उठाया और उसकी निर्ममता से गला घोंटकर हत्या की। लिहाजा कोर्ट से फांसी की सजा की मांग करेंगे।

पिता सहित इलाके के 57 लोगों को डीएनए परीक्षण कराकर झेलनी पड़ी थी शर्मिदगी

फैसला आने के बाद अदालत पहुंचे एसएसपी सदानंद दाते का हाथ जोड़कर आभार जताते मृतका के परिजन  
नवीन जोशी, नैनीताल। लालकुआं का संजना हत्याकांड एक ब्लाइंड केस था। इस मामले में पुलिस को कोई सिरा नहीं मिल रहा था कि दुष्कर्मी और हत्यारे तक कैसे पहुंचा जाए। पुलिस महीनों तक केस की तह तक पहुंचने के लिए मशक्कत करती रही। आठ वर्ष की मासूम संजना की हत्या का मामला विधानसभा में भी गूंजा। इसके बाद पुलिस ने जांच का सिरा डीएनए परीक्षण की ओर मोड़ दिया। पुलिस ने मृतका के पिता समेत 57 लोगों का डीएनए परीक्षण किया। परीक्षण कराने वालों को समाज में शर्मिदगी भी झेलनी पड़ी, लेकिन एक मासूम के साथ जघन्यतम कुकृत्य करने वाला आखिरकार पुलिस की पकड़ में आ गया। मासूम बच्ची के फूफा ने रिश्तों के विास व मानवीयता को तार-तार कर यह जघन्यतम अपराध किया था। संजना हत्याकांड प्रदेश का कई मामलों में अनूठा और पहला मामला है, जो विधानसभा में भी गूंजा और सीबीआई की सीएफएस प्रयोगशाला दिल्ली में डीएनए जांच के बाद बमुश्किल सफलता मिली। घटना के करीब आठ माह बाद डीएनए सैंपल के मिलने के बाद पड़ोसी व रिश्ते के फूफा को मासूम बच्ची से बलात्कार के बाद हत्या करने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया। न्यायालय में 21 लोगों की गवाही हुई, और आखिर एक वर्ष आठ माह व 11 दिनों के बाद अपनी बच्ची को खोने वाले परिवार को न्याय मिलने की उम्मीद बंधी है। बिंदूखत्ता के प्राथमिक विद्यालय संजय नगर में चौथी कक्षा में पढ़ने वाली आठ वर्षीय मासूम संजना उर्फ नानू की बलात्कार के बाद गला घोंटकर की गई हत्या के मामले में जांच के दौरान दोषी पाया गया दीपक आर्या आखिर तक अदालत में पुलिस द्वारा लगाए गए सोई हुई बालिका संजना को शराब के नशे में घर से उठाकर ले जाने, उसके जागने पर पहचाने जाने के डर से गला दबाकर मार डालने और फिर मृत देह से दुराचार करने के आरोपों को नकारता और हमेशा स्वयं को बेवजह फंसाने की बात कहता रहा। जांच के दौरान भी वह हमेशा मृतका के परिजनों और पुलिस तथा जांच एजेंसियों को गुमराह करता रहा। 10 जून की रात्रि संजना को उसकी दादी भागीरथी देवी के पास से सोते हुए उठा ले जाने के दौरान अपनी बजाय दादी की चप्पलें पहनकर ले गया था, और चप्पलें घटनास्थल पर ही छोड़ आया था, ताकि जांच एजेंसियां भ्रमित हो जाएं। बाद में मध्य रात्रि करीब एक बजे जैसे ही संजना के गायब होने की खबर परिजनों को लगी, वह भी मध्य रात्रि से ही उसे ढूंढ़ने में जुटा रहा। आखिर अगली सुबह पांच बजे उसने ही सबसे पहले संजना का शव खेत में पड़ा देखा, और वह ही मृतका के निर्वस्त्र शव को कंधे पर डालकर घर लाया था। घटना के बाद जब डॉग स्क्वॉड मनी ने अपनी जांच के बाद सूंघते हुए उसकी ओर इशारा किया था, तो उसने यह कहकर बात बना दी थी कि वह मृतका के शव को लेकर आया, शायद इसलिए कुत्ता उस पर शक कर रहा है। पांच नवम्बर 2012 को पुलिस जब दीपक के बयान ले रही थी, तब उसने पुलिस को अपने पिता का नाम धनराम के बजाय प्रताप राम बताकर भ्रमित करने की एक और कोशिश की थी। इसी कारण उस पर पुलिस का शक भी गहराया। आखिर बमुश्किल जांच के आखिरी दौर में तीन जनवरी 2013 को घटना के छह माह बाद दीपक का डीएनए सैंपल लिया जा सका, जोकि पॉजीटिव पाया गया। सीबीआई की विधि विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) दिल्ली के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डा. बीके महापात्रा की भी अदालत में गवाही हुई, जिसमें उन्होंने मामले में आरोपित की करतूत अदालत के समक्ष रख दी।

किया विश्वास का भी कत्ल
नैनीताल। संजना हत्याकांड में दोषी पाए गए दीपक आर्या का संजना के घर अक्सर आना जाना था। वह मूलतः बनबसा टनकपुर का रहने वाला था, लेकिन संजना के घर के पास ही अपनी ससुराल में पत्नी सीमा व दो बच्चों के साथ रहता था। सीमा संजना के पिता संेचुरी पेपर मिल लालकुआ में ड्राइवर के रूप में कार्यरत नवीन की रिश्ते की बहन थी, और बचपन से नवीन के द्वारा ही पाली गई थी।
खून के बदले खून, मौत के बदले मौतः भागीरथी
नैनीताल। अपने साथ सोई पोती को खोने वाली दादी भागीरथी देवी शुक्रवार को अदालत से दीपक आर्या को दोषी सिद्ध होने के बाद एसएसपी डा. सदानंद दाते के समक्ष बोली, उन्हें खून के बदले खून, और मौत के बदले मौत का इंसाफ चाहिए। इस मामले में उन्हें गांव में भारी जिल्लत झेलनी पड़ी। बच्ची के साथ ऐसी घटना होने के बाद गांव के अनेक लोगों ने उनके साथ रिश्ते बंद कर दिए। 
संजना चौकी में बड़ेगी पुलिस फोर्स
नैनीताल। गौरतलब है कि संजना त्याकांड के बार बिंदूखत्ता के तिवारी नगर में संजना के नाम से ही पुलिस चौकी की स्थापना कर दी गई है। शुक्रवार को अदालत परिसर में स्वयं मामले की जानकारी लेने पहुंचे जिले के एसएसपी डा. सदानंद दाते ने पीड़ित परिवार के सदस्यों से मुलाकात की, और उन्हें ढांढस बंधाया। उन्होंने परिजनों की स्वयं के असुरक्षित होने की शिकायत पर लालकुआ थाना प्रभारी विपिन चंद्र पंत को संजना चौकी में फोर्स ब़ाने के निर्देश दिए। कहा कि लाइन से इस हेतु दो अतिरिक्त कांस्टेबल दिए जाएंगे। इस दौरान उन्होंने अदालत परिसर में जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा से भी मुलाकात की, तथा उनका मेहनत व सहयोग के लिए आभार जताया।
यही केस ले गया, यही वापस भी लायाः पंत
नैनीताल। न्यायालय से दीपक आर्या के दोषी करार ोने के बाद मामले के खुलासे में सर्वप्रमुख भूमिका निभाने वाले तत्कालीन एवं वर्तमान में एक बार फिर लालकुआं कोतवाली के कोतवाल बने इंस्पेक्टर विपिन चंद्र पंत ने का कि यही मामला उन्हें बाहर ले गया था, और यही मामला वापस उन्हें वापस लालकुआ लाया है। गौरतलब है कि पंत इस मामले के बाद लालकुआ से चमोली भेज दिए गए थे। वहां से देहरादून और मसूरी होते  हुए वह वापस लालकुआ आ गए हैं। क्षेत्रीय लोग भी नकी लालकुआ में तैनाती की मांग करते रहे।

रविवार, 29 दिसंबर 2013

800 पुलिसकर्मियों की भर्ती का मामला लटका

मिलेंगे 500 नये दारोगा, 250 पदोन्नति से व 250 नई भर्ती से आएंगे : डीजीपी 
नैनीताल (एसएनबी)। उत्तराखंड पुलिस में फिलहाल 800 नये आरक्षियों की भर्ती का मामला लटक गया है। डीजीपी बीएस सिद्धू का कहना है कि अब इन पुलिसकर्मियों की भर्ती नहीं होगी। हालांकि उन्होंने कहा कि पुलिस में 500 नये दारोगा बनाए जा रहे हैं। इनमें से 250 नये दारोगा प्रमोशन के बाद लिए जाएंगे तो 250 दारोगा नई भर्ती से तैनात किये जाएंगे। डीजीपी ने कहा है कि पुलिस महकमा अपने पुलिसकर्मियों को अन्य विभागों से कम वेतन मिलने का परीक्षण भी कराया जाएगा। विभाग मोबाइल हाईवे ट्रैफिक पेट्रोलिंग यूनिट की नई शुरुआत भी करने जा रहा है। डीजीपी संधू ने यह खुलासे रविवार को मुख्यालय में डीआईजी कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में किये। वह यहां उत्तराखंड न्यायिक अकादमी-उजाला भवाली में एसपी व एसएसपी स्तर के अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला तय करने के इरादे से आये थे। उन्होंने कहा कि पुलिस की कमी से अदालतों में वादों के शिथिल पड़ जाने की परेशानी से कुछ हद तक निजात मिलेगी। उन्होंने पड़ोसी देश नेपाल में माओवाद की समस्या के मद्देनजर प्रदेश की सीमाओं पर विशेष चौकसी बरतने की बात भी कही, तथा खास तौर पर अपराधों के नियंतण्रके लिए प्रदेश के चार जिलों, दून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर व नैनीताल में पूर्व में गठित होमीसाइड स्क्वाड को फिर से सक्रिय करने का इरादा भी जताया। इस मौके पर डीआईजी जीएन गोस्वामी तथा एसएसपी डा. सदानंद दाते भी मौजूद थे। 

जल्द खुलेंगे 50 नये थाने व चौकियां

हल्द्वानी (एसएनबी)। डीजीपी बीएस सिद्धू ने कहा कि प्रदेश में जल्द ही 50 नये थाने व चौकियां खोली जाएंगी। इसके साथ ही पुलिस महकमे की सभी गाड़ियों का बीमा किया जाएगा। पुलिस को और अधिक सक्षम बनाने के लिए उजाला एकेडमी प्रशिक्षण देगी। यह एकेडमी अब तक 325 एसआई व 15 उप पुलिस अधीक्षकों को प्रशिक्षण दे चुकी है। उन्होंने कहा कि साइबर क्राइम को रोकने के लिए पुलिस को विशेष प्रशिक्षण देने पर विचार किया जा रहा है। डीजीपी सिद्धू रविवार को पुलिस बहुउद्देश्यीय भवन में पत्रकारों से रूबरू हुए। उन्होंने कहा कि उजाला एकेडमी में 19 जनवरी से कुमाऊं के डीएम व एसएसपी की वर्कशाप तथा दो फरवरी से गढ़वाल के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। एकेडमी में पुलिस को चार्जशीट, केस की पूरी स्टडी करने का प्रशिक्षण दिया जायेगा, ताकि अपराधी किसी भी कीमत पर सजा से बच न सकें। उन्होंने कहा कि र्मडर की जांच के लिए होमी साइट्स जांच कमेटी बनायी गई है। इसमें प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों के साथ ही जांच की पूरी किट को रखा गया है। डीजीपी ने कहा कि हल्द्वानी में निर्माणाधीन फायर स्टेशन भवन के लिए सरकार से 50 लाख रुपये स्वीकृत हो चुके हैं। इसके अलावा राज्य में जल्दी ही 50 नये थाने व चौकियों खोली जाएंगी।उन्होंने पुलिसकर्मियों के ग्रेड पे के मामले में मुख्यमंत्री के पास प्रस्ताव भेजे जाने की बात कही। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के भत्तों में बढोतरी की गई है। पुलिस की गाड़ियों का बीमा न किये जाने के सवाल के उत्तर में उन्होंने कहा कि अगर पुलिस महकमे की गाड़ियों का बीमा नहीं है तो वे जल्द पता कर महकमें की सभी गाड़ियों का बीमा करवाएंगे। उन्होंने कहा कि एमवी एक्ट के तहत प्रत्येक वाहन का र्थड पार्टी बीमा होना जरूरी है। इससे पूर्व डीजीपी को पुलिस ने गार्ड आफ आनर दिया गया। इस मौके पर उप महानिरीक्षक जीएन गोस्वामी व अन्य अफसर थे। 

शनिवार, 28 सितंबर 2013

डीएनए जांच में चूक को लेकर एनडी का तर्क सिरे से खारिज


नवीन जोशी, नैनीताल। पितृत्व विवाद में फंसे प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के डीएनए जांच में त्रुटि होने और एक लाख मामलों में से एक मामले में त्रुटि की संभावना जताकर स्वयं को निदरेष साबित करने की दलील को फारेंसिक विशेषज्ञ स्वीकार नहीं कर रहे हैं। नैनीताल में आयोजित देशभर के फारेंसिक मेडिसिन व टॉक्सीकोलॉजी विज्ञान विशेषज्ञों की 12वीं अखिल भारतीय कांग्रेस में यह मुद्दा अनेक विशेषज्ञों की जुबान पर था। अधिकतर का कहना था कि इस विशुद्ध वैज्ञानिक तकनीक को तकरे के आधार पर गलत नहीं ठहराया जा सकता। वहीं एम्स दिल्ली की वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं डीएनए प्रयोगशाला की प्रभारी डा. अनुपमा रैना ने भी कहा तिवारी द्वारा इस मामले में दिया जा रहा तर्क बेतुका है।
उन्होंने बताया कि केवल एक निषेचित अंडे के टूटकर दो भ्रूण के रूप में विकसित होने वाले दो जुड़वा भाइयों या जुड़वां बहनों का डीएनए समान हो सकता है जबकि सामान्यतौर पर जुड़वां पैदा होने वाले भाई-बहन अथवा दो से अधिक बच्चों के पैदा होने की स्थिति में भी (उनके अलग-अलग निषेचित अंडों से विकसित होने की वजह से) डीएनए समान नहीं होते। शनिवार को नगर के सूखाताल स्थित टीआरएच में डा. रैना ने एक भेंट में बताया कि डीएनए से किसी भी व्यक्ति की सौ फीसद सही पहचान होती है। दो लोगों के डीएनए नमूने मिलने की संभावना बेहद न्यूनतम (100 बिलियन यानी 10 करोड़ मामलों में ही कभी गलती से एक) हो सकती है। बेटे के डीएनए से पितृ पक्ष और बेटी के डीएनए से मातृ पक्ष की पीढ़ियों और उनके मूल के साथ ही व्यक्ति की उम्र, लिंग आदि की जानकारी भी आसानी से पता लगाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि देश के चर्चित प्रियदर्शिनी मट्टू और जेसिका लाल हत्याकांडों की गुत्थियां डीएनए जांचों से ही सुलझी हैं। केदारनाथ में विशेषज्ञ डीएनए नमूने लें तो बेहतर : केदारनाथ की त्रासदी में प्रदेश सरकार द्वारा अज्ञात व सड़े-गले शवों के डीएनए नमूने लिये जाने के बाबत पूछे जाने पर डा. अनुपुमा रैना का कहना है कि सामान्यत: पुलिसकर्मी डीएनए नमूने लेने में सक्षम नहीं होते। विशेषज्ञों को ही नमूने लेने चाहिए। केदारनाथ जैसे ठंडे स्थानों पर जमीन में दबे शवों के तीन-चार माह तक भी डीएनए नमूने लिए जा सकते हैं। 
यह भी पढ़ें: तिवारी के बहाने 

शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

पुलिसकर्मी भी नहीं जाना चाहते पहाड़

डीजीपी ने अपने कार्यकाल को संतोषजनक बताया पर कार्यकाल छोटा रहने का अफसोस भी 
नैनीताल(एसएनबी)। दो दिन बाद सेवानिवृत्त हो रहे पुलिस महानिदेशक सत्यव्रत बंसल ने अपने कार्यकाल को संतोषजनक बताया है। अलबत्ता अपना यह दर्द जुबां पर लाने से स्वयं को रोक नहीं पाए कि उनका कार्यकाल बहुत छोटा एक वर्ष का ही रहा, जबकि अधिनियम में भी दो वर्ष के न्यूनतम कार्यकाल का जिक्र है। एक वर्ष किसी जिम्मेदारी को समझने में ही लग जाता है। डीजीपी ने कहा कि 839 पुलिसकर्मियों की भर्ती शीघ्र की जाएगी। उन्होंने यह कहने में गुरेज नहीं किया कि पुलिसकर्मी पहाड़ी जनपदों में जाने से बचते हैं। 
शुक्रवार को डीआईजी कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में अपने कार्यकाल में आई चुनौतियों के सफलतापूर्वक निर्वहन और कानून-व्यवस्था, पुलिस के आधुनिकीकरण और सीसीटीएनएस को आगे बढ़ाने की सफलताएं गिनाते हुए उन्होंने माना कि 1200 से अधिक पुलिसकर्मियों की कमी और अन्य व्यवस्थाओं की वजह से कम्युनिटी पुलिसिंग को यथोचित जारी नहीं रख पाए। उन्होंने बताया कि सरकार ने 839 पुलिस कर्मियों की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी है। इन कर्मियों की नियुक्ति जल्द होगी। इसके बाद व्यवस्थाएं बेहतर होने की उम्मीद है। डीजीपी सत्यव्रत बंसल ने दावा किया कि उनके एक वर्ष के कार्यकाल के दौरान अपराधों को दर्ज करने के साथ ही विवेचना और पैरवी के स्तर पर सुधार हुए और अपराध नियंतण्रमें रहे। वह स्वयं बड़े अपराधों की मॉनीटरिंग करते थे। इस दौरान राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति की प्रदेश यात्रा, केदारनाथ में तबाही और इस दौरान 628 शवों को खोज निकालने, उनके डीएनए नमूने लेने और उनका अंतिम संस्कार करने जैसे कायरे में पुलिस ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई। इस दौरान उन्होंने कुमाऊं मंडल के पुलिस अधिकारियों की बैठक भी ली। इस मौके पर डीआईजी जीएन गोस्वामी, एसएसपी डा. सदानंद दाते सहित मंडल भर के पुलिस कर्मी मौजूद थे। पूर्व में पुलिसकर्मियों द्वारा ट्रांसफर में राजनीतिक हस्तक्षेप संबंधी बयान देने वाले डीजीपी सत्यव्रत बंसल ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि अधिकांश पुलिसकर्मी प्रदेश के चार मैदानी जिलों को छोड़कर शेष नौ पहाड़ी जिलों में नहीं जाना चाहते। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने प्रदेश की दो डीआईजी रेंजों को समाप्त करने को प्रदेश सरकार का निर्णय बताया। इसके साथ ही माना कि छोटी इकाइयों में बेहतर पर्यवेक्षण हो पाता था। अवैध खनन के मामले में उन्होंने कहा कि खनन रोकना अकेले पुलिस विभाग की जिम्मेदारी नहीं है, वरन वह संबंधित विभागों की कार्रवाई में सहयोग के लिए तैयार है। कश्मीर में आतंकी घटनाओं के संदर्भ में उन्होंने थाने- कोतवालियों को भी आंख-कान खुले रखने की नसीहत दी। देहरादून के चर्चित गोलीकांड में उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष कुंजवाल के बयान के बाद विधायक प्रणव सिंह चैंपियन के नाम पर कोई संदेह नहीं बचा है और केस डायरी में उनका नाम आ गया है, जो मुकदमे में भी शामिल कर लिया जाएगा।

गुरुवार, 21 मार्च 2013

तराई बीज निगम में एक और घोटाला !



लाखों के गेहूं के बीज को ऐसे क्षेत्रों में उगाने का दावा जहां वह पैदा ही नहीं होता
डीआईजी ने दिए मामले की विस्तृत जांच के निर्देश
इस मामले में जल्द किया जा सकता है कुछ लोगों को गिरफ्तार
नवीन जोशी, नैनीताल। विवादों में चल रहे प्रदेश के तराई बीज विकास निगम (टीडीसी) में एक और बड़े घोटाले की परतें खुलने लगी हैं। इस मामले में निगम के जिम्मेदार अधिकारियों की संलिप्तता और बड़े घोटाले की आशंका जताई जा रही है। इस करीब चार वर्ष पुराने मामले में आरोपितों ने लाखों रुपये के गेहूं के बीजों को ऐसे क्षेत्रों में उगाने का दावा किया था, जहां वह पैदा ही नहीं होता। बाद में जांच तेज हुई तो निगम में मामले की फाइल ही गायब करवा दी गई। खास बात यह है कि जांच के दौरान इस गायब फाइल की फोटो कापी पुलिस अपने पास सहेज चुकी थी। यानी मामला साजिश के तहत सरकारी दस्तावेज को गायब करने और घोटाले का है। उल्लेखनीय है कि टीडीसी गेहूं के बीजों को तैयार कर विभिन्न क्षेत्रों में उगवाता है और बाद में उनसे प्राप्त उपज को बीज के रूप में खरीद लेता है। इसी प्रक्रिया में वर्ष 2008 से कुछ और ही खेल खेला गया। भूपेंद्र सिंह, हरविंदर सिंह, इंद्रजीत सिंह, हरदयाल सिंह सहित नौ आरोपितों पर आरोप है कि उन्होंने टीडीसी को पंतनगर व कानपुर सहित कुछ ऐसे इलाकों में बोए गए बीज बेचे जहां ऐसी उच्चीकृत प्रजातियों के बीज उपलब्ध नहीं होते। वहीं अधिकारियों की संलिप्तता का आलम यह रहा कि जांच में इन स्थानों पर गेहूं बोए जाने की पुष्टि कर दी। इस बीच आरोपितों के साथियों में ही आपस में फूट पड़ने से मामला खुल गया और गत 29 दिसम्बर 2012 को पंतनगर थाने में नौ आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत हुआ। इस बीच पुलिस की जांच शुरू हुई तो निगम में मामले से संबंधित फाइल गायब होने की बात कही गई, लेकिन इससे पूर्व ही पुलिस गायब बताई गई फाइल की फोटो कापी कराकर अपने पास सुरक्षित रख चुकी थी। पुलिस की प्रारंभिक जांच में गेहूं के जनक बीज के पंजीकरण संबंधी दस्तावेज और बीज को खेतों में बोए जाने के अभिलेख फर्जी पाए गए हैं। साथ ही मौके पर जाकर बीज बोए जाने को प्रमाणित करने वाले अधिकारियों की संलिप्तता की भी प्रथमदृष्टया पुष्टि हो चुकी है। पूछे जाने पर नैनीताल परिक्षेत्र के डीआईजी संजय गुंज्याल ने बताया कि उन्होंने मामले की विवेचना करने और फाइल के गायब होने जैसे विषयों को भी शामिल करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अभियोग पंजीकृत होने के दो माह बाद एवं दो विवेचक बदले जाने के बावजूद मामले की सीडी पर्यवेक्षण अधिकारी को न सौंपे जाने को लेकर ऊधमसिंहनगर पुलिस की कार्यदक्षता पर भी सवाल उठाए हैं तथा एसएसपी ऊधमसिंह नगर को मामले की गहनता से विवेचना करने को लिखा है।

गुरुवार, 29 नवंबर 2012

उत्तराखंड के पूर्व सैनिकों पर पड़ सकती है पोंटी चड्ढा हत्याकांड की मार


घटना के बाद सुरक्षा गार्ड की नौकरी के लिए लाइसेंस लेने की प्रक्रिया आयी जांच के दायरे में

नवीन जोशी, नैनीताल। दिल्ली में लिकर किंग पोंटी चड्ढा और उसके भाई हरदीप चड्ढा की गोलीकांड में हुई मौत की मार उत्तराखंड के सेवानिवृत्त सैनिकों और उन युवाओं पर पद सकती है जो सुरक्षा गार्ड की नौकरी प्राप्त करने के लिए शस्त्र लाइसेंस लेते हैं. पोंटी बंधुओं के हत्याकांड में समस्त गोलियां लाइसेंसी हथियारों से ही चलने और शस्त्र लाइसेंसधारी गार्डों के द्वारा ही चलाने के बाद सरकार गार्डों को लाइसेंस देने में कड़ाई बरत सकती है। इस बाबत सर्वोच्च न्यायलय के संज्ञान लेने और केंद्र सर्कार से आये निर्देशों के बाद उत्तराखंड सरकार ने सभी जिलों को शस्त्रों की जांच के निर्देश जारी कर दिए हैं. जिसके बाद रोजगार के लिए शस्त्र लाइसेंस लेने वाले जांच के दायरे में आने तय हैं, साथ ही आगे सरकार ऐसे लाइसेंस देने की राह में परेशानियां खादी कर सकती है.
यह आम बात है कि नए प्राविधान हमेशा कमजोर तबके के लिए ही परेशानी खड़ी करते हैं. सरकार घरेलू  गैस का व्यवसाइक उपयोग न रोक पाई तो सब्सिडी वाले सिलेंडरों की संख्या कम कर दी. उसी तरह  पोंटी चड्ढा हत्याकांड के बाद शास्त्र लाइसेंस जारी करने और उनके एनी राज्यों में पंजीकरण करने की प्रक्रिया में खामियां उजागर हुई हैं तो इसकी मार भी गरीब बेरोजगारों पर पड़नी तय मानी जा रही है.
इस मामले में उत्तराखंड का बर्खास्त अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष सुखदेव नामधारी आरोपित हुआ है, इसलिए उत्तराखंड पर मामले का अधिक असर पढ़ना तय है. उत्तराखंड आजादी के आन्दोलन से ही सैनिक बहुत राज्य है. सेना से सेवानिवृत्ति के बाद यहाँ के लोग सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर अपनी आजीविका चलते है.
गौरतलब है कि शस्त्र लाइसेंस दो कारणों-भय आकलन के साथ ही रोजगार के दृष्टिकोण से भी देने का प्रावधान है। सामान्यत: जिला प्रशासन बेरोजगारों को रोजगार देने की भावना से ऐसे लाइसेंस दिखाने में अपेक्षाकृत उदारता बरतते हैं.
लेकिन इधर, मामले में मुख्य आरोपित बताया जा रहा सुखदेव सिंह नामधारी स्वयं एक सुरक्षा गार्ड एजेंसी चलाता था। उसने ही अपनी एजेंसी के माध्यम से पोंटी को सुरक्षा गार्ड मुहैया कराई थी। लिहाजा, प्रदेश एवं केंद्र सरकार के निर्देशों पर शुरू हुई शस्त्र लाइसेंसों की जांच की सर्वाधिक मार ऐसे लोगों पर पड़ने जा रही है, जिन्होंने दूसरे कारण यानी सुरक्षा गार्ड की नौकरी प्राप्त करने के लिए शस्त्र लाइसेंस लिये हैं।

प्रदेश भर में शस्त्र लाइसेंसों पर लटकी है तलवार
नैनीताल (एसएनबी)। नैनीताल समेत प्रदेश के समस्त जिलों में पंजीकृत शस्त्र लाइसेंसों पर निरस्त होने की तलवार लटक गई है। प्रदेश शासन ने सर्वोच्च न्यायालय की पहल और केंद्र सरकार द्वारा मांगे जाने के बाद प्रदेश के सभी जिलों से सभी शस्त्र लाइसेंसों के ब्योरे तलब कर लिए हैं। ऐसे शस्त्र लाइसेंसों पर भी खास नजर रहने वाली है, जो एक ही परिवार के अनेक लोगों व एक व्यक्ति को एक से अधिक लाइसेंस जारी हुए हैं, अथवा दूसरे राज्यों से जारी होने के बाद यहां पंजीकृत हुए हैं। भय आंकलन के साथ ही रोजगार के लिए सुरक्षा गाडरे को देने वाले लाइसेंस भी जांच के घेरे में हैं। गौरतलब है कि विगत दिनों हुए लिकर किंग पोंटी चड्ढा और उसके भाई की हत्या के मामले में सरकार की शस्त्र लाइसेंस देने की प्रक्रिया सर्वाधिक विवादों में आ गई है। दायां हाथ न होने के कारण पोंटी चड्ढा जहां लाइसेंसी शस्त्र धारक था, वहीं हत्याकांड में प्रयुक्त सभी गोलियां लाइसेंस शुदा लोगों द्वारा ही चलाई गई हैं। साफ है कि देश में शस्त्र लाइसेंस देने की प्रक्रिया की खामियां इस हत्याकांड के बाद उजागर हुई हैं। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस प्रक्रिया पर संज्ञान लिया है, जिसके बाद केंद्र और फिर राज्य सरकारें चेती हैं। यहां उत्तराखंड सरकार ने भी केंद्र सरकार के निर्देशों पर प्रदेश भर में शस्त्र लाइसेंसों की व्यापक स्तर पर जांच शुरू कर दी है। बताया गया है कि शासन ने जिलों से शस्त्र लाइसेंसों के बाबत ब्योरे मांगे हैं कि उनके यहां से कितने शस्त्र लाइसेंस जारी हुए हैं, कितने निरस्त हुए हैं और कितने शस्त्र लाइसेंस ऐसे हैं, जो जारी तो दूसरे राज्यों से हुए हैं, और उन्हें प्रदेश के जिलों में पंजीकृत किया गया है। साथ ही सीमा विस्तार की प्रक्रिया भी पूछी गई है। किसी व्यक्ति को किसी राज्य से जारी शस्त्र लाइसेंसों को उस राज्य की सीमा से लगे दो राज्यों में उन राज्यों के गृह मंत्रालय के अनुमोदन पर तथा और अधिक राज्यों में केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुमोदन से सीमा विस्तार कर अनुमति दे दी जाती है। इसके साथ ही शस्त्र लाइसेंस जारी करने के बाबत केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन करने को कहा गया है। डीएम नैनीताल निधिमणि त्रिपाठी ने बताया कि जनपद में 10 हजार शस्त्र लाइसेंस हैं, इन सबकी जांच की जा रही है। शस्त्र लाइसेंस धारकों का सत्यापन कराने की योजना नहीं है। चड्ढा बंधु हत्याकांड के बाद प्रदेश में शुरू हुई समस्त शस्त्र लाइसेंसों की जांच