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शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

जनपद के दूरस्थ गांवों में रात्रि प्रवास करेंगे अफसर, डीएम स्वयं से करेंगे शुरुआत

पत्रकार वार्ता में डीएम ने गिनाई अपनी प्राथमिकताएं, पीएमजीएसवाई में सड़क निर्माण के लिए नोडल अधिकारी होंगे नियुक्त

नैनीताल (एसएनबी)। डीएम दीपक रावत ने जनपद के दूरस्थ क्षेत्रों में रात्रि विश्राम को अपनी प्राथमिकताओं में सबसे पहले बताते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना सहित अन्य योजनाओं के तहत बन रही सड़कों के निर्माण में अत्यधिक देरी होने की बात कही। कहा कि वह स्वयं से दूरस्थ गांवों में रात्रि विश्राम से इसकी शुरुआत करेंगे। सभी ब्लॉकों की क्षेत्र पंचायत की बैठकों में जाने से वह इसकी शुरुआत कर भी चुके हैं। समयबद्ध विकास योजनाओं के लिए पीएमजीएसवाई की सभी सड़कों के समयबद्ध निर्माण के लिए अलग-अलग नोडल अधिकारियों की तैनाती की जाएगी। उन्होंने योजनाओं के केवल धन खर्च के आंकड़ों पर समीक्षा केंद्रित होने की परिपाटी से आगे धरातल पर कार्य होने और उनकी गुणवता पर भी बल दिया। कहा कि हर माह के चयनित दिनों को निर्माण कार्यों के सत्यापन के लिए तय करने का इरादा भी जताया।
श्री रावत ने शुक्रवार को जनपद का डीएम बनने के बाद एसएसपी सेंथिल अबूदई के साथ नैनीताल क्लब में पहली औपचारिक पत्रकार वार्ता में अपनी प्राथमिकताएं गिनार्इं। समयबद्धता पर जोर देते हुए उन्होंने विभिन्न प्रमाण पत्रों को 15 दिन की समयसीमा के भीतर उपलब्ध कराने की बात भी कही। इसके अलावा उन्होंने पूरे नैनीताल जनपद को पर्यटन जनपद बताते हुए सभी जगह बेहतर यातायात प्रबंधन एवं कूड़ा निस्तारण के लिए ठोस कूड़ा अपशिष्ट निवारण एवं ट्रंचिंग ग्राउंड के प्रबंध करने की बात कही। बताया कि ट्रंचिंग ग्राउंड के लिए हल्द्वानी में आठ एवं नैनीताल में दो करोड़ रुपए स्वीकृत पड़े हुए हैं। जनपद के 10 गांवों को पर्यटन गांव बनाने की जानकारी भी दी। साथ ही नैनीताल में पार्किंग स्थानों के लिए खाली जगहें चयनित करने की बात कही, जिन पर आगे केएमवीएन पार्किंग का निर्माण करेगा। हल्द्वानी की पेयजल समस्या के समाधान के लिए उन्होंंने वहां निर्मित हो चुकी 14 पानी की टंकियों का इस वर्ष की गर्मी में सदुपयोग कर समस्या का निदान करने की बात कही। इस मौके पर एसएसपी श्री अबूदई ने इस 31 दिसंबर को मुख्यालय में यातायात प्रबंधन के प्रयोग को सफल बताते हुए सीजन में भी ऐसे ही हर जगह पर पुलिस कर्मियों की उपस्थिति बनाकर कार्य करने की बात कही। कहा कि उनकी कोशिश पुलिस व जनता के बीच दूरी कम करने व विश्वास बढ़ाने की है। इस अवसर पर सहायक सूचना निदेशक योगेश मिश्रा, सहायक सूचना अधिकारी गोविंद सिंह बिष्ट व हंसी रावत आदि भी उपस्थित रहे।


सरकारी जमीनों से हटेंगे कब्जे, नैनीताल में बनेगा चिल्ड्रन पार्क 

नैनीताल। डीएम दीपक रावत ने जनपद में सरकारी जमीनों पर हुए अवैध कब्जों को हटाने को भी अपनी प्राथमिकता बताया। उन्होंने कहा कि इस कारण सरकार की विकास योजनाओं के लिए जमीन की कमी आड़े आती है। बताया कि जिले में 71 सरकारी योजनाएं वन भूमि हस्तांतरण के इंतजार में लंबित हैं। उन्होंने कहा कि कैपिटॉल सिनेमा के सामने के खाली पार्क को बच्चों के पार्क में बदला जाएगा व मल्लीताल बाजार में पार्क से भी कब्जा हटाया जाएगा। उन्होंने नगर के वर्षो से बंद पड़े कैपिटॉल व अशोक सिनेमा हॉलों के मामलों के शासन में लंबित होने की जानकारी देते हुए इनकी जगह जल्द शॉपिंग मॉल युक्त सिनेमाघर बनाने की इच्छा भी जताई। वहीं नगर के आधार बलियानाले के सुदृढ़ीकरण के लिए 65 करोड़ रुपये की योजना शासन में लंबित होने की बात कही। बताया कि फिलहाल इस कार्य के लिए डीपीआर बनाने के लिए भी पैंसा नहीं है।  

अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के लिए 30 एकड़ वन भूमि हस्तांतरित 

नैनीताल। जिला प्रशासन ने हल्द्वानी में बनने जा रहे अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के लिए जरूरी भूमि के बदले संबंधित विभाग को दो दिन पूर्व 30 एकड़ वन भूमि हस्तांतरित कर दी। इसकी एनपीवी जमा करने सहित अन्य औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। उन्होंने हल्द्वानी में तीन पानी से काठगोदाम तक के बाईपास के चौड़ीकरण को स्वीकृत 20 करोड़ रुपये से जल्द शुरू करने की बात कही। उन्होंने स्टेडियम के मद्देनजर संभवत: तिकोनिया से गौलापार के लिए एक और विशाल पुल बनाने की बात भी कही। 

विभाग करेंगे अखबारों की खबरों पर कार्रवाई 

नैनीताल। डीएम ने बताया कि विभागों को सभी समाचारपत्रों में विकास कायरे से संबंधित नकारात्मक यानी उनमें समस्याएं बताने वाली खबरों पर नजर रखने और उनके आधार पर कार्रवाई करने को कहा है। यदि समाचार पत्रों द्वारा उठाई जाने वाली 70 फीसद खबरों पर कार्रवाई हो जाए तो कायरे में गुणवत्ता आ सकती है। उन्होंने कहा कि शिकायतों की पुष्टि कराकर कार्रवाई की जाएगी। 

मुखानी चौराहे पर लगेगी नैनीताल जिले की पहली ट्रैफिक लाइट 

नैनीताल। डीएम ने बताया कि हल्द्वानी के मुखानी चौराहे पर जल्द ट्रैफिक लाइट लगाई जाएगी। इसके लिए छह लाख स्वीकृत किए गए हैं। तिकोनिया व को-आपरेटिव चौराहों का चौड़ीकरण कराकर ट्रैफिक लाइटें लगाई जाएंगी।

रविवार, 31 मार्च 2013

डीएम, मंत्री भी नहीं करा पा रहे जांच !


  • अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग के 864 लाख रुपयों से हुए सुधार कार्यों के ध्वस्त हो जाने का मामला 
  • डीएम के अपने स्तर से जांच में गुणवत्ता पर उठाये थे सवाल 
  • जिले के प्रभारी मंत्री प्रीतम सिंह भी शासन से कर चुके हैं उच्चस्तरीय जांच की मांग


नैनीताल। जनपद से अल्मोड़ा समेत पहाड़ को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग-87 (विस्तार) में विगत दिनों करीब 864 लाख रुपये से हुए सुधार-मरम्मत कार्य कुछ ही दिनों में ध्वस्त हो गए, लेकिन इसे निर्माण से संबंधित लोगों की ऊंची पहुंच का असर कहें या कि छोटे से प्रदेश में शासन-प्रशासन व सरकार के बीच तालमेल की कमी, निर्माण कार्यों में डीएम स्तर से की गई जांच में बड़ी अनियमितता उजागर हो जाने के बावजूद और डीएम द्वारा दो बार और जिले के प्रभारी मंत्री द्वारा पत्र लिखे जाने के बावजूद शासन मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश नहीं दे रहा। 
सड़क को आज के दौर की ‘लाइफ लाइन’ क्यों कहां जाता है, इस बात का अहसास कोसी नदी के बराबर से गुजर रहे अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग-विस्तार के अक्टूबर 2010 में आई अतिवृष्टि के दौरान नैनीताल जनपद स्थित बड़े हिस्से के बह जाने और महीनों इस मार्ग से पहाड़ का संपर्क भंग होने और मार्ग पर दर्जनों वाहनों के महीनों फंसे रहने के रूप में देखा जा सकता था। आगे, जनता की कमाई के ही 841.15 लाख रुपये से मार्ग के ज्योलीकोट से क्वारब तक सड़क का व्यापक स्तर पर पुनर्निर्माण, सुधार-मरम्मत आदि के कार्य हुए। यह कार्य मार्च 2012 में पूर्ण हो पाए। इसी दौरान मार्ग के किमी-41 में जौरासी के समीप "क्रॉनिक जोन" विकसित हो जाने से व्यापक भूस्खलन हुआ, जिसे दुरुस्त करने में और चार महीनों के अंदर निर्माण कार्य दरकने लगे और दिखने लगा कि जनता की गाढ़ी कमाई निर्माण कार्यों में नहीं निर्माणकर्ताओं की जेब में समा गई है। शिकायतें आने के बाद डीएम नैनीताल निधिमणि त्रिपाठी ने एसडीएम कोश्यां-कुटौली से मामले की जांच करवाई। एसडीएम की सात जुलाई 12 को आई रिपोर्ट में कहा गया कि एनएच पर नावली के पास निर्मित दीवार व सड़क धंस रही है, और सड़क कभी भी गिर सकती है। लिहाजा डीएम ने पहले जुलाई 12 में और फिर दिसम्बर 12 में प्रमुख सचिव लोनिवि को मामले की उच्च स्तरीय जांच के लिए संस्तुति करते हुए पत्र लिखे। इस बीच 26 दिसम्बर 12 को जिले के प्रभारी मंत्री प्रीतम सिंह की अध्यक्षता में आयोजित हुई जिला योजना की बैठक में यह मामला जनप्रतिनिधियों ने बेहद जोर-शोर से उठा, और मंत्री बावजूद शासन से मामले की जांच होना दूर, किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। सांसद प्रतिनिधि डा. हरीश बिष्ट, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सतीश नैनवाल समेत अनेक जनप्रतिनिधि भी इस मामले को गंभीर बताते हुए मामले की शासन से उच्च स्तरीय जांच व दोषियों को दंडित करने तथा सड़क को दुरुस्त करने की मांग उठा रहे हैं। वहीं प्रभारी मंत्री प्रीतम सिंह का कहना है कि वह स्वयं इस मामले को लेकर सीएम और प्रमुख सचिव लोनिवि से बात करेंगे। 

रविवार, 3 मार्च 2013

नैनीताल का यूं मर्ज बढ़ता ही गया ज्यों-ज्यों दवा की....



  • प्रतिबंध लगाने के बावजूद नैनीताल में आई अवैध निर्माणों की बाढ़ 
  • डीएम की जांच रिपोर्ट पर आयुक्त ने दिए थे अवैध निर्माण ध्वस्त करने के निर्देश 
नैनीताल (एसएनबी)। सरोवरनगरी में निर्माणों पर प्रतिबंध अवैध निर्माणों को और बढ़ावा देने वाला साबित हुआ है। डीएम निधिमणि त्रिपाठी के निर्देशों पर एडीएम विनोद गिरि गोस्वामी द्वारा तैयार जांच रिपोर्ट में शनिवार को यह बात साफ तौर पर उजागर हुई है। जांच रिपोर्ट में अवैध निर्माणकर्ताओं द्वारा प्रयोग किए जा रहे अनेक अनूठे तरीके प्रकाश में आए। डीएम ने यह जांच रिपोर्ट कुमाऊं आयुक्त डा. हेमलता ढौंढियाल को भेज दी थी। आयुक्त ने झील विकास प्राधिकरण के सचिव को जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करने को कहा है। वहीं झीविप्रा के सचिव का कहना है कि प्राधिकरण की कार्य सीमा में कार्रवाई की जाएगी। कई संस्तुतियां शासन स्तर की हैं, उन पर शासन से परामर्श लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि विगत माह एडीएम श्री गोस्वामी ने नगर के अयारपाटा, लोंग व्यू, कैलाश व्यू, तल्लीताल, स्नो व्यू, ब्रेवरी कंपाउंड, तारा कंपाउंड, सात नंबर, सुख निवास, गो कार्टेज, जू रोड व माल रोड क्षेत्र का व्यापक निरीक्षण किया था। इस आधार पर उन्होंने विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में की गई संस्तुतियां डीएम, कुमाऊं आयुक्त से होते हुए झीविप्रा सचिव तक पहुंच गई हैं। आगे कार्रवाई का इंतजार है।

जांच में हुआ खुलासा


  • एक-दो कमरों के या मरम्मत के मानचित्र पास कराकर और निर्माणस्थल पर उनके बोर्डों की आड़ में हो रहे बड़े निर्माण 
  • वृक्षों से तीन मीटर की दूरी पर ही निर्माण के नियम के विरुद्ध पेड़ों को चिनकर या पेड़ों को भवनों के भीतर घेरकर भी हो रहे निर्माण 
  • नालों पर अतिक्रमण कर और नालों के ऊपर भी हो रहे निर्माण 
  • सड़कों पर बेरोकटोक रखी जा रही निर्माण सामग्री 
  • सील तोड़कर भी हो रहे निर्माण, लोग सील तोड़कर रह भी रहे मकानों में 
  • ग्रीन बेल्ट क्षेत्रों में 'प्लाट बिकाऊ हैं' के बोर्ड लगाकर हो रही जमीन की खरीद-फरोख्त 
  • कंपाउंड करने की नीति दे रही अवैध निर्माण को बढ़ावा, लोग अवैध निर्माणों को कंपाउंड कराकर करा रहे वैध


जांच रिपोर्ट में की गई संस्तुतियां


  • संवेदनशील, असुरक्षित व ग्रीन बेल्ट क्षेत्रों में निर्माणों पर पूर्ण प्रतिबंध लगे 
  • यहां हुए निर्माणों के बिजली, पानी व टेलीफोन कनेक्शन कटें 
  • निर्माण सामग्री लाने के लिए हो परमिट व्यवस्था, प्रयोग करने व रखने की जगह बताने पर ही मिलें परमिट 
  • व्यावसायिक निर्माणों पर लगे पूर्ण प्रतिबंध 
  • राजमिस्त्रियों का हो पंजीकरण, उन्हें मानकों के अनुसार कार्य करने का दिया जाए प्रशिक्षण 
  • ग्रीन बेल्ट की जमीन भूस्वामियों से सर्किल रेट पर खरीदकर वन विभाग को दे दी जाए 
  • अनुमति से अधिक के निर्माणों पर पास नक्शे हों निरस्त 
  • अवैध निर्माणों को सील करने की व्यवस्था अव्यावहारिक 
  • नगर के प्रतिबंधित क्षेत्रों की जानकारी का हो व्यापक प्रचार-प्रसार

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रविवार, 5 अगस्त 2012

.....तो झील के ऊपर भी हो सकेंगे निर्माण !



  • नैनीताल महायोजना के संशोधित परिक्षेत्रीय विनियमन का हुआ अनुमोदन
  • विशेष परिस्थितियों में सूखाताल झील की तीन मीटर परिधि तथा हरित व वनाच्छादित क्षेत्रों में भी मिल सकेगी निर्माणों की स्वीकृति
  • विद्यमान भवनों की कंपाउंडिंग का रास्ता खुला, विद्यमान की परिभाषा साफ नहीं


नवीन जोशी,  नैनीताल। एक ओर जहां नैनीताल झील परिक्षेत्र में सरकार निर्माण कायरे को हतोत्साहित करने का ढोल बजाती रही है, वहीं झील के ऊपर तथा नगर के हरित एवं वनाच्छादित क्षेत्रों में भी निर्माणों को अनुमति देने का प्रबंध कर लिया गया है। नैनीताल झील परिक्षेत्र विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण की महायोजना के अध्याय-12 में उल्लेखित परिक्षेत्रीय विनियमन में संशोधन कर ‘विशेष परिस्थितियों’ का उल्लेख करते हुए इसके लिए खास तौर पर रास्ता निकाल लिया गया है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों पर नगर में निर्माणों पर कई तरह के प्रतिबंध हैं। झील विकास प्राधिकरण पर नगर में निर्माणों को प्रतिबंधित करने की जिम्मेदारी है, जिससे अभी हाल ही में नक्शे पास करने की जिम्मेदारी पालिका को देकर निर्माणों पर और अधिक सख्ती बरतने के सीएम स्तर से संकेत दिए गए हैं। वहीं इसके उलट प्रमुख सचिव एस. राजू के हस्ताक्षरों से नैनीताल महायोजना के अध्याय-12 में संशोधन के उपरांत अनुमोदित संशोधित भू उपयोग परिक्षेत्रीय विनियमन जारी कर दिया गया है, जिसमें नैनीताल झील परिक्षेत्र के कमोबेश हर क्षेत्र में विशेष परिस्थितियों का जिक्र करते हुए निर्माण की अनुमति देने में नियमों को बड़े स्तर पर शिथिल किया गया है। वहीं विनियमन के आखिरी हिस्से में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र यूज जोन का हिस्सा चौंकाने वाला है। झील किनारे के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में सामान्य परिस्थितियों में तो रिटेनिंग वाल, ब्रेस्ट वाल, पार्क, उद्यान व पार्किग को छोड़कर किसी तरह के निर्माण व विकास कार्य अनुमन्य नहीं हैं, लेकिन विशेष परिस्थितियों में नगर की सूखाताल झील के अधिकतम जल सतह सीमा से न्यूनतम तीन मीटर ऊपर की परिधि के क्षेत्र में एकल आवासीय निर्माण तथा विद्यमान भवनों के पुनर्निर्माण सिंचाई विभाग की अनापत्ति पर अनुमन्य होंगे। इसी तरह विशेष वनाच्छादित क्षेत्र में भी सामान्यतया तो किसी भी प्रकार का विकास अनुमन्य नहीं होगा, लेकिन विशेष परिस्थितियों में वन विभाग की अनापत्ति एवं क्षेत्र व स्थल विशेष के सुरक्षित होने के बाबत भूवैज्ञानिक की पुष्टि होने पर विद्यमान भवन परिसर में विद्यमान भवनों का पुनर्निर्माण या उसी नींव पर अनुमन्य कुल भू-आच्छादन के स्तर तक नव निर्माण भी हो सकेंगे। इसी तरह विशेष परिस्थितियों में क्रीड़ा एवं खुले स्थल, गोल्फ कोर्स, वन्य जीव पार्क एवं उद्यान तथा वन व हरित क्षेत्र में भी विशेष परिस्थितियों में निर्माणों की अनुमति देने में खासी छूट दी गई है।

नैनी झील सूखने का खतरा


नैनीताल। इस बारे में पूछे जाने पर पर्यावरण एवं नैनी झील में निर्माणों के बाबत सर्वोच्च न्यायालय में कई पीआईएल दाखिल कर चुके डा. अजय रावत ने कहा कि नैनीताल 1930 व 1950 के शासकीय नोटिफिकेशन में असुरक्षित क्षेत्र घोषित है, वहीं नगर का हरित पट्टी क्षेत्र मास्टर प्लान में शामिल है, इसलिए ऐसे क्षेत्रों के बाबत संशोधित किया ही नहीं जा सकता। इससे नगर के जंगलों के खत्म होने का खतरा है। सूखाताल झील, नैनी झील में 40 फीसद से अधिक प्राकृतिक जल स्रेतों का जलागम है, लिहाजा ऐसा होने से नैनी झील के जल्द ही पूरी तरह सूख जाने का खतरा उत्पन्न हो जाएगा। वह इस बाबत संशोधन जारी करने वाले प्रमुख सचिव एस. राजू को अपनी लिखित आपत्ति देने जा रहे हैं।

लोगों की मांग पर हुए संशोधन

नैनीताल। इस बारे में झील विकास प्राधिकरण के सचिव हरीश चंद्र सेमवाल ने कहा कि संभवतया शासन ने स्थानीय लोगों की मांग पर ही नया जोनल रेगुलेशन किया गया है। ऐसे क्षेत्रों में निर्माण के प्रस्ताव आने पर प्राधिकरण की बैठक में र्चचा के उपरांत अनुमोदन मिलने पर ही निर्माणों की अनुमति दी जाएगी।

रविवार, 13 फ़रवरी 2011

दरकती जमीन पर खड़े हो रहे आफतों के महल


आपदा प्रभावित मंगावली क्षेत्र में लगातार हो रहे निर्माणों से भूस्खलन का खतरा बढ़ा

नवीन जोशी, नैनीताल। राज्य में चाहे आपदा प्रबंधन का जितना शोर हो रहा हो और मुआवजे के रूप में ही करोड़ों रुपये खर्च करने पड़े हों, लेकिन इतना साफ़ हो गया है कि न सरकार और न लोगों ने ही आपदा से जरा भी सबक लिया है। इसकी बानगी है दैवीय आपदा से सर्वाधिक प्रभावित हुआ मंगावली क्षेत्र। यहां एक ओर मकान दरक रहे हैं, वहीं वैध- अवैध निर्माण जारी हैं। पहले से हिली धरती के सीने में गड्ढों के रूप में घाव किए जा रहे हैं। प्रतिदिन टनों निर्माण सामग्री वहां उड़ेली जा रही है। 
मंगावली शेर का डांडा पहाडी पर स्थित नगर से अलग-थलग एवं दुर्गम क्षेत्र है। तीखी चढ़ाई वाले बिड़ला मार्ग से इस ओर वाहन मुश्किल से ही चढ़ पाते हैं। इसके बावजूद यहां इन दिनों बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहे हैं। यह कार्य वैध है अथवा अवैध, तात्कालिक रूप से जिम्मेदार झील विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को भी मालूम नहीं है, लेकिन जिस तरह व्यापक स्तर पर जमीन खोद कर पत्थरों के पहाड़ बनाए जा रहे हैं, उससे तथा अधिकारियों की जानकारी में मामला न होने से साफ हो जाता है कि निर्माण पर सरकारी नियंत्रण नहीं है। पूछने पर झील विकास प्राधिकरण के सचिव एचसी सेमवाल ने कहा कि निर्माणों की जांच कराकर कार्यवाही की जाएगी। 
शेर का डांडा में हुआ था भूस्खलन 
बीती 18-19 सितंबर २०१० को अतिवृष्टि ने नगर के शेर का डांडा पहाड़ी में जबरदस्त हलचल मचाई थी। इसी पहाड़ी के शिखर पर स्थित बिड़ला विद्या मंदिर परिसर में गिरे बड़े बोल्डर से विद्यालय की डिस्पेंसरी व कर्मचारी आवासों को नुकसान हुआ था। इसके नीचे मंगावली में पालिकाकर्मी साजिद अली के मकान सहित कई घरों में दरारें आई थीं, जो अब भी चौड़ी होती जा रही हैं। इससे नीचे सीएमओ कार्यालय के पास स्वास्थ्य विभाग के आवास पर भी बोल्डर गिरा था तथा पहाड़ी की तलहटी में कैंट क्षेत्र में भी भारी भूस्खलन हुआ था, व भवाली मार्ग अब भी इसी कारण ध्वस्त पड़ी है। ऐसे क्षेत्र में निर्माण सवालों के घेरे में हैं।