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मंगलवार, 28 अक्तूबर 2014

कुमाऊं के 53 नए रूटों पर चलेंगी रोडवेज की बसें, केमू व प्राइवेट ऑपरेटरों को 'ठेंगा"



-रक्त संबंधों के अलावा अन्य परमिट नामांतरणों पर भी आरटीए की 'नां -आरटीए की बैठक में हुए निर्णय, जनता की मांग एवं आरटीओ की विस्तृत सर्वेक्षण रिपोर्ट के बाद ही मिलेंगे नए रूट परमिट
-वाहनों में गाने बजाने पर लगाई पाबंदी
नवीन जोशी, नैनीताल। कुमाऊं मंडल के परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) ने मंडल में राज्य परिवहन निगम (रोडवेज) को 53 नए रूटों पर बस संचालन की अनुमति दे दी है। जबकि कुमाऊं मोटर औनर्स यूनियन यानी केमू तथा अन्य निजी ऑपरेटरों को नए रूटों के लिए परमिट देने एवं पुराने परमिटों के गैर रक्त संबंधों वाले नामांतरण के सैकड़ों मामलों पर आरटीए का रुख पूरी तरह कड़ा और 'नां" की मुद्रा में रहा है। आरटीए ने इस बाबत आए सैकड़ों प्रस्तावों के आरटीओ (संभागीय परिवहन अधिकारी) कार्यालय से बिना उचित होमवर्क के सीधे आरटीए में आने पर नाराजगी जताई तथा आगे जनता की मांग पर ही तथा आरटीओ द्वारा विस्तृत सर्वेक्षण रिपोर्ट के उपरांत ही ऐसे मामलों पर सकारात्मक कार्रवाई करने का इरादा जताया। इससे मंडल भर से मुख्यालय आए सैकड़ांे प्राइवेट ऑपरेटरों, बस मालिकों को मायूसी का सामना करना पड़ा। अलबत्ता, उनके लिए राहत की बात रही कि आगे आरटीए की बैठक हर दो माह में तथा अगली बैठक इसी वर्ष  दिसंबर माह के भीतर होगी।
"बुधवार को झील विकास प्राधिकरण सभागार में कुमाऊं आयुक्त अवनेंद्र सिंह नयाल की उपस्थिति में नियमानुसार हर दो माह की जगह दिसंबर 2012 से दो वर्ष के बाद आयोजित हुई आरटीए की बैठक आयोजित हुई। बैठक में निर्णय लिया गया कि वाहन परमिट का स्थानान्तरण केवल पारिवारिक सदस्यों में ही होगा, अन्य व्यक्तियों के परमिट बेचने अथवा खरीदने पर पूर्ण प्रतिबंध होगा। अन्य व्यक्तियों को परमिट बेचना पाये जाने पर परमिट निरस्त कर दिया जायेगा। एक वर्ष से अधिक समय तक वाहन ना चलाये जाने व परमिट नवीनीकरण न किये जाने पर नया आवेदन प्रस्तुत करना होगा। किसी रूट पर वाहनों की संख्या आदि के बाबत फिजीबलिटी का सर्वे कर तथा जनता की मांग पर ही रूट पर वाहन के परमिट दिये जाएंगे। मंडलायुक्त ने आरटीओ को निर्देश दिये कि वे वाहनों के परमिटों की कड़ाई से नियमित रूटवार चेकिंग करायें। साथ ही निर्णय लिया गया कि डीएम की सर्वे के बाद संस्तुति के उपरांत ही परमिट जारी किये जायेंगे। केमू के वाहनों के रूट विस्तार के बाबत मिले आवेदनों पर निर्णय लिया गया कि आरटीओ व डीएम द्वारा रूटों की सर्वे के उपरांत ही रूट विस्तार दिया जायेगा। केमू को हर सप्ताहके रूट चार्ट को वाहन नंबर सहित तीन दिन पहले आरटीओ कार्यालय में उपलब्ध कराना होगा। इसके बाद संबंधित वाहन न चलता पाए जाने पर वाहन मालिक के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कान्टेक्ट कैरेज एक निश्चित स्थान से दूसरे निश्चित स्थान तक ही जायेंगे। रास्ते में सवारियां ढोते हुये पाये जाने पर उनके परमिट निरस्त किये जायेंगे। वाहनों में टेप, सीडी आदि बजाने पर तत्काल प्रभाव से पूर्ण पावंदी लगा दी गयी है। बैठक में अपर आयुक्त राजीव साह, झीविप्रा के सचिव श्रीश कुमार, आरटीओ एसके सिंह, आरटीए सदस्य मनीष छावड़ा, एआरटीओ गुरदेव सिंह, एजीएम रोडवेज पवन मेहरा व विजय जोशी आदि उपस्थित रहे।  

हल्द्वानी से वाया गौलापार टनकपुर को चलेंगी सात रोडवेज बसें

नैनीताल। आरटीए की बैठक में रोडवेज को जो 53 नए परमिट दिए गए, उनके अनुसार हल्द्वानी से टनकपुर के लिए गौलापार, चोरगलिया के रास्ते रोडवेज की सात नई बसें चला करेंगी। अभी तक इस रूट पर प्राइवेट बसें ही चलती हैं। इनके अलावा रानीखेत से सिमलगांव नैनीताल होते हुए रुद्रपुर के लिए दो, रानीखेत से गनाई, हल्द्वानी होते हुए रुद्रपुर के  लिए दो, भवाली नैनीताल चनौती को दो, भवाली नैनीताल घोड़ाखाल को एक, हल्द्वानी किच्छा टनकपुर को एक, काशीपुर रामनगर रुद्रपुर को दो, रामनगर टनकपुर को एक, लोहाघाट किच्छा टनकपुर हल्द्वानी को तीन, काशीपुर टनकपुर जसपुर को दो, जसपुर नैनीताल रुद्रपुर को दो, हल्द्वानी रुद्रपुर काशीपुर को एक, काशीपुर हल्द्वानी टनकपुर को एक, काशीपुर कालाढुंगी रामनगर नैनीताल को एक, टनकपुर हल्द्वानी को पांच, टनकपुर डीडीहाट को दो, टनकपुर झूलाघाट को दो, टनकपुर बागेश्वर को दो, टनकपुर नैनीताल एक, पिथौरागढ़ नैनीताल हल्द्वानी दो, पिथौरागढ़ टनकपुर काशीपुर चार, लोहाघाट देवीधूरा हल्द्वानी दो, टनकपुर काशीपुर तीन, लोहाघाट पंचेश्वर रुद्रपुर दो नए परमिटों को आज मंजूरी दी गई। जबकि प्राइवेट ऑपरेटरों के ५० इंटरसिटी बस परमिट एवं 98 परमिट ट्रांसफर के आवेदनों में से रक्तसंबंध वाले केवल आठ मामलों को ही बैठक में मंजूरी मिल पाई।

गुरुवार, 1 मई 2014

हिमालयी राज्यों के लिए बने सतत विकास की नीति

संसद में हिमालय को लेकर कभी गंभीरता से नहीं हुई चर्चा, राजनीतिक दल हिमालय पर करें मंथन जलवायु परिवर्तन होने के दुष्प्रभावों पर भी राजनीतिक दल हों गंभीर हिमालय क्षेत्र में जैव विविधता का संरक्षण करने की अत्यंत आवश्यकता
हिमालय को वाटर टावर ऑफ एशिया कहा जाता है। भारत में उत्तराखंड सहित 12 राज्य हिमालयी क्षेत्र में आते हैं। भारत की 60 करोड़ आबादी हिमालय से सीधे या परोक्ष तौर पर प्रभावित होती है, लेकिन हिमालयी क्षेत्रों का दुर्भाग्य है कि देश के 16 फीसद भूभाग में फैले होने के बावजूद यहां देश की केवल चार फीसद जनसंख्या ही वास करती है। शायद इसीलिए हिमालयी क्षेत्र देश और राजनीतिक दलों के एजंेडे में कभी प्रमुखता नहीं रहा है। देश की संसद में 50 यानी करीब 10 फीसद सांसद हिमालयी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन अफसोस कि कभी भी हिमालय के बारे में बात संसद में उस गंभीरता के साथ नहीं रखी गई और न ही वहां अपेक्षित आयामों पर बहस ही हुई। 
वर्ष 2009 में केंद्र सरकार ने ‘जलवायु परिवर्तनों के दुष्प्रभावों से निपटने’ के लिए जो आठ ‘मिशन’ योजनाएं बनाई थीं, उनमें ‘नेशनल मिशन आफ सस्टेनिंग हिमालयन ईको सिस्टम’ यानी हिमालयी क्षेत्रों में सतत पारिस्थितिकीय विकास की राष्ट्रीय योजना भी शामिल है। अल्मोड़ा जनपद के कोसी में स्थित गोविंद बल्लभ पंत हिमालयन पर्यावरण विकास संस्थान कोसी-कटारमल ने इस मिशन के तहत काफी कार्य किया। हिमालयी क्षेत्रों में सतत पारिस्थितिकीय विकास के लिए शासन नाम से गाइडलाइन तैयार की गई। इसमें बताया गया कि किस तरह विकास और पर्यावरण को एक-दूसरे का पूरक बनाया जाए। हिमालयी क्षेत्र की जैव विविधता का संरक्षण कैसे किया जाए, किस मात्रा में हिमालयी क्षेत्र से जड़ी-बूटियों व प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जाए, और कैसे उनका संरक्षण किया जाए। साथ ही कैसे हिमालय की जैव विविधता, उसकी खूबसूरती, खनिजों, जल, जंगल, जमीन और अन्य आयामों को बिना नुकसान पहुंचाए यहां के निवासियों की आजीविका से भी जोड़ा जाए। इन गाइड लाइन में ‘ग्रीन रोड’ यानी ऐसी सड़कें बनाने की बात कही गई है जो प्रकृति व पर्यावरण का संरक्षण करते हुए व उसे बिना छेड़े हुए बनाई जा सकती हैं। साथ ही सामान्यतया कहा जाता है कि विकास और पर्यावरण एक-दूसरे के साथ नहीं चल सकते। यदि आज की तरह का विकास होगा, तो उससे निश्चित ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा, और यदि पर्यावरण का ही संरक्षण किया जाएगा, तो इससे विकास वाधित होगा। लेकिन विकास मनुष्य की आवश्यकता है, इसलिए विकास जरूरी है और हमें ‘पर्यावरण सम्मत’ विकास की बात करनी होगी। विकास के वैकल्पिक उपाय, जैसे सड़कों के स्थान पर रोप-वे, परंपरागत ऊर्जा के साधनों के स्थान पर सौर व वायु ऊर्जा जैसे वैकल्पिक ऊर्जा के साधन, वष्ा जल संग्रहण, सिंचाई के लिए स्प्रिंकुलर विधि आदि का प्रयोग करना होगा। हिमालयी क्षेत्र इतना बृहद है। खासकर पूरे भारत वर्ष को हिमालय प्रभावित करता है, इसलिए हिमालय के बारे में देश को अलग से सोचना पड़ेगा। हिमालय के लिए सतत विकास की अलग नीति बनानी होगी। इस मुद्दे को राजनीतिक एजेंडे में प्रमुखता से शामिल किया जाना चाहिए। (नवीन जोशी से बातचीत पर आधारित)

गुरुवार, 11 जुलाई 2013

अब नैनीताल में फटा आफतों का बादल...

  • जिले के दूरस्थ ल्वाड़ डोबा गाँव में आयी दैवीय आपदा..
  • एक घर का नामोनिशान नहीं रहा.. गृहस्वामी, उसकी पत्नी और चार बेटियां काल-कवलित, दो बछिया और 12 बकरियां भी मरीं...
  • घर का इकलौता चश्मो-चिराग (13 साल का बेटा) कहीं और होने के कारण बचा 


नैनीताल/धानाचूली (एसएनबी)। यहां करीब सवा सौ किमी दूर चंपावत जिले की सीमा से सटे ओखलकांडा ब्लॉक के ल्वाड़ डोबा ग्रामसभा में भूस्खलन के कारण एक दोमंजिला आवासीय भवन बुधवार देर रात्रि जमींदोज हो गया। इस हादसे में एक ही परिवार की चार बच्चियां व उनके माता-पिता घर के मलबे में जिंदा दफन हो गये। घर की निचली मंजिल (गोठ) में बंधी दो बछिया और 12 बकरियां भी मलबे में दबकर मर गई। घर का इकलौता चिराग दुर्घटना के समय घर पर न होने के कारण बच गया। सड़क मार्ग बाधित होने से डीएम एएस ह्यांकी व अन्य अधिकारी 15 किमी. पैदल चलकर मौके पर पहुंचे। माना जा रहा है कि बीती रात मूसलाधार बारिश के दौरान बादल फटने के कारण यह तबाही हुई। सीएम विजय बहुगुणा ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए मृत लोगों की आत्मा की शांति एवं दुख की इस घड़ी में उनके परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईवर से कामना की है। सीएम ने जिलाधिकारी नैनीताल को निर्देश किया है कि इस दुर्घटना में मृत लोगों के परिजनों को शासन द्वारा अनुमन्य राशि जल्द उपलब्ध करायें। साथ ही क्षतिग्रस्त भवनों का आकलन कर निर्धारित मुआवजा भी वितरित करें। 
जानकारी के मुताबिक बृहस्पतिवार सुबह करीब 6.20 बजे ल्वाड़ डोबा ग्राम सभा की प्रधान वैष्णव देवी ने जिला आपदा कंट्रोल रूम को इस हादसे की सूचना दी। जानकारी के अनुसार बुधवार रात्रि दो से ढाई बजे के बीच ल्वाड़ डोबा गांव में हयात राम आर्या (40) का पुराना दोमंजिला भवन बारिश के दौरान भरभराकर ढह गया। जानकारी लगने पर जुटे ग्रामीणों ने मलबे से उनको निकालने की कोशिश की, लेकिन किसी को भी नहीं बचाया जा सका। हादसे में हयात राम, उसकी पत्नी आनंदी देवी (35) व चार बेटियांनी लम (10), कविता (8), हिमानी (5) और डेढ़ वर्षीया निशा की मौके पर ही मौत हो गई। हयात राम का इकलौता बेटा (13) संयोगवश बच गया। बताया गया है कि वह रात्रि में अपने ताऊ के घर में सोया हुआ था। सूचना मिलते ही राजस्व विभाग, रेस्क्यू और स्वास्थ्य विभाग की टीमों को गांव की ओर रवाना किया गया। डीएम अरविंद सिंह ह्यांकी भी सुबह सवा आठ बजे गांव के लिए रवाना हुए। दुर्घटनास्थल धारी तहसील मुख्यालय से करीब 85 किमी दूर खनस्यूं- पतलोट मार्ग पर स्थित है। यह मार्ग डालकन्या से आगे कई स्थानों पर मलबा आने से अवरुद्ध है। इस कारण गांव पहुंचने के लिए प्रशासन और आपदा-बचाव व स्वास्थ्य विभाग की टीमों को करीब 15 किमी पैदल चलना पड़ा। डीएम के साथ ही तहसीलदार धारी दामोदर पांडे, एसडीएम कोश्यां-कुटौली एनएस नबियाल सहित चिकित्सकों का दल भी करीब पांच घंटे पैदल चलकर मौके पर पहुंच पाया। शवों का मौके पर ही पोस्टमार्टम कराया गया।

रविवार, 31 मार्च 2013

डीएम, मंत्री भी नहीं करा पा रहे जांच !


  • अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग के 864 लाख रुपयों से हुए सुधार कार्यों के ध्वस्त हो जाने का मामला 
  • डीएम के अपने स्तर से जांच में गुणवत्ता पर उठाये थे सवाल 
  • जिले के प्रभारी मंत्री प्रीतम सिंह भी शासन से कर चुके हैं उच्चस्तरीय जांच की मांग


नैनीताल। जनपद से अल्मोड़ा समेत पहाड़ को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग-87 (विस्तार) में विगत दिनों करीब 864 लाख रुपये से हुए सुधार-मरम्मत कार्य कुछ ही दिनों में ध्वस्त हो गए, लेकिन इसे निर्माण से संबंधित लोगों की ऊंची पहुंच का असर कहें या कि छोटे से प्रदेश में शासन-प्रशासन व सरकार के बीच तालमेल की कमी, निर्माण कार्यों में डीएम स्तर से की गई जांच में बड़ी अनियमितता उजागर हो जाने के बावजूद और डीएम द्वारा दो बार और जिले के प्रभारी मंत्री द्वारा पत्र लिखे जाने के बावजूद शासन मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश नहीं दे रहा। 
सड़क को आज के दौर की ‘लाइफ लाइन’ क्यों कहां जाता है, इस बात का अहसास कोसी नदी के बराबर से गुजर रहे अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग-विस्तार के अक्टूबर 2010 में आई अतिवृष्टि के दौरान नैनीताल जनपद स्थित बड़े हिस्से के बह जाने और महीनों इस मार्ग से पहाड़ का संपर्क भंग होने और मार्ग पर दर्जनों वाहनों के महीनों फंसे रहने के रूप में देखा जा सकता था। आगे, जनता की कमाई के ही 841.15 लाख रुपये से मार्ग के ज्योलीकोट से क्वारब तक सड़क का व्यापक स्तर पर पुनर्निर्माण, सुधार-मरम्मत आदि के कार्य हुए। यह कार्य मार्च 2012 में पूर्ण हो पाए। इसी दौरान मार्ग के किमी-41 में जौरासी के समीप "क्रॉनिक जोन" विकसित हो जाने से व्यापक भूस्खलन हुआ, जिसे दुरुस्त करने में और चार महीनों के अंदर निर्माण कार्य दरकने लगे और दिखने लगा कि जनता की गाढ़ी कमाई निर्माण कार्यों में नहीं निर्माणकर्ताओं की जेब में समा गई है। शिकायतें आने के बाद डीएम नैनीताल निधिमणि त्रिपाठी ने एसडीएम कोश्यां-कुटौली से मामले की जांच करवाई। एसडीएम की सात जुलाई 12 को आई रिपोर्ट में कहा गया कि एनएच पर नावली के पास निर्मित दीवार व सड़क धंस रही है, और सड़क कभी भी गिर सकती है। लिहाजा डीएम ने पहले जुलाई 12 में और फिर दिसम्बर 12 में प्रमुख सचिव लोनिवि को मामले की उच्च स्तरीय जांच के लिए संस्तुति करते हुए पत्र लिखे। इस बीच 26 दिसम्बर 12 को जिले के प्रभारी मंत्री प्रीतम सिंह की अध्यक्षता में आयोजित हुई जिला योजना की बैठक में यह मामला जनप्रतिनिधियों ने बेहद जोर-शोर से उठा, और मंत्री बावजूद शासन से मामले की जांच होना दूर, किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। सांसद प्रतिनिधि डा. हरीश बिष्ट, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सतीश नैनवाल समेत अनेक जनप्रतिनिधि भी इस मामले को गंभीर बताते हुए मामले की शासन से उच्च स्तरीय जांच व दोषियों को दंडित करने तथा सड़क को दुरुस्त करने की मांग उठा रहे हैं। वहीं प्रभारी मंत्री प्रीतम सिंह का कहना है कि वह स्वयं इस मामले को लेकर सीएम और प्रमुख सचिव लोनिवि से बात करेंगे। 

सोमवार, 5 नवंबर 2012

गैरसैंण के लिए टू-लेन हाई-वे बनाने की तैयारी भी शुरू


गैरसैंण और पहाड़ के दिन बहुरने शुरू 
एनएच-87 ज्योलीकोट से घिंघारीखाल तक 109 किमी हिस्से की फाइल दौड़ी 
नवीन जोशी नैनीताल। प्रदेश की स्थायी राजधानी के रूप में प्रदेशवासियों की पसंद बताये जाने वाले गैरसैंण के दिन बहुरने शुरू हो गये हैं। दो दिन पूर्व ही गैरसैंण में पहली बार राज्य कैबिनेट की ऐतिहासिक बैठक हुई थी और अब एक और खुशखबरी है कि गैरसैंण के लिए टू-लेन हाईवे की फाइल दौड़ने लगी है। पहले चरण में राष्ट्रीय राजमार्ग-87 की ज्योलीकोट से अल्मोड़ा होते हुए रानीखेत के पास घिंघारीखाल तक 109 किमी लंबी सड़क की चौड़ाई दोगुनी यानी टू-लेन होने जा रही है। बाद में इसके गैरसैंण तक जुड़ने का प्रस्ताव है। 
केंद्र सरकार के भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी ताजा अधिसूचना के अनुसार एनएच-87 के ज्योलीकोट से घिंघारीखाल तक के हिस्से को देश के अन्य राष्ट्रीय राजमागरे के साथ विस्तारित करने की योजना के तहत टू-लेन किया जाना है। इसके लिए करीब तीन दर्जन गांवों की सीमा की भूमि पर सड़क विस्तार के कार्य किए जाएंगे। इन कायरे के लिए नैनीताल एवं अल्मोड़ा जनपद के जिलाधिकारियों से सक्षम प्राधिकारियों का नाम मांग लिया गया है। गौरतलब है कि देश की राजधानी से कुमाऊं जल्द ही फोर लेन से जुड़ने जा रहा है। रामपुर से काठगोदाम के शेष बचे एनएच के हिस्से को फोर लेन करने का नोटिफिकेशन होने के बाद अब सड़क के लिए आवश्यक भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है और काठगोदाम से ज्योलीकोट का एनएच-87ई यानी नैनीताल आने वाली सड़क का हिस्सा पहले ही टू- लेन है, इसलिए ज्योलीकोट से घिंघारीखाल तक के 109 किमी हिस्से को टू-लेन के रूप में परिवर्तित करने की कवायद शुरू हो गई है। नैनीताल जनपद में अधिग्रहण के लिए जरूरी भूमि के चिह्नांकन का होमवर्क शुरू हो गया है। डीएम निधिमणि त्रिपाठी ने पूछे जाने पर कहा कि एनएच-87 के चौड़ीकरण के लिए जरूरी भूमि के अधिग्रहण की तैयारी की जा रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि मार्ग के टू-लेन हो जाने से पूरे कुमाऊं वासियों को लाभ होगा। साथ ही पर्यटन एवं विकास को भी पंख लग जाएंगे। गौरतलब है कि पहाड़ के राष्ट्रीय राजमागरे को टू- लेन करने का प्रस्ताव तत्कालीन केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने तैयार कर दिया था, लेकिन देर से ही सही यह प्रस्ताव अब फाइलों में दौड़ने लगा है

इन गांवों की सीमा में होगा चौड़ीकरण
नैनीताल। केंद्रीय भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी ताजा अधिसूचना के अनुसार नैनीताल के बलुवाखान चक देवलागढ़, चक गेठिया, कुरिया गांव, भवाली के सेनिटोरियम, कहलक्वीरा, मल्ला निगलाट, तल्ला निगलाट, हरतपा, बारगल, छड़ा, लोहाली, जौरासी, जोगी नौली, जोगी माड़े, मनर्सा, गंगोरी, गगरकोट, औलिया गांव, सुयालबाड़ी, सिर्सा, चोपड़ा व क्वारब, अल्मोड़ा के चौसली, बड़सिमी, देवली, खत्याड़ी, अल्मोड़ा नगर पालिका के बाहर बाईपास क्षेत्र, पांडेखोला, सुनौला मल्ला, सिमकुड़ी, अघेली सुनार, अघेली तेवाड़ी, सुनौला तल्ला, रैलाकोट, मटेला, लायम स्टेट फार्म हवालबाग, कटारमल, शौले, ज्यौली, स्यूना, क्वेराली, कयेला, गढ़वाली, कुरचौड़ा, तुस्यारी व सिमल्टा और रानीखेत के बबूरखोला, डीडा, तल्ली रियूनी, मल्ली रियूनी, नैणी व डडगल्या गांवों की सीमा में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-87 के विस्तार के लिए अपेक्षित कार्य होने हैं।