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गुरुवार, 21 मार्च 2013

तराई बीज निगम में एक और घोटाला !



लाखों के गेहूं के बीज को ऐसे क्षेत्रों में उगाने का दावा जहां वह पैदा ही नहीं होता
डीआईजी ने दिए मामले की विस्तृत जांच के निर्देश
इस मामले में जल्द किया जा सकता है कुछ लोगों को गिरफ्तार
नवीन जोशी, नैनीताल। विवादों में चल रहे प्रदेश के तराई बीज विकास निगम (टीडीसी) में एक और बड़े घोटाले की परतें खुलने लगी हैं। इस मामले में निगम के जिम्मेदार अधिकारियों की संलिप्तता और बड़े घोटाले की आशंका जताई जा रही है। इस करीब चार वर्ष पुराने मामले में आरोपितों ने लाखों रुपये के गेहूं के बीजों को ऐसे क्षेत्रों में उगाने का दावा किया था, जहां वह पैदा ही नहीं होता। बाद में जांच तेज हुई तो निगम में मामले की फाइल ही गायब करवा दी गई। खास बात यह है कि जांच के दौरान इस गायब फाइल की फोटो कापी पुलिस अपने पास सहेज चुकी थी। यानी मामला साजिश के तहत सरकारी दस्तावेज को गायब करने और घोटाले का है। उल्लेखनीय है कि टीडीसी गेहूं के बीजों को तैयार कर विभिन्न क्षेत्रों में उगवाता है और बाद में उनसे प्राप्त उपज को बीज के रूप में खरीद लेता है। इसी प्रक्रिया में वर्ष 2008 से कुछ और ही खेल खेला गया। भूपेंद्र सिंह, हरविंदर सिंह, इंद्रजीत सिंह, हरदयाल सिंह सहित नौ आरोपितों पर आरोप है कि उन्होंने टीडीसी को पंतनगर व कानपुर सहित कुछ ऐसे इलाकों में बोए गए बीज बेचे जहां ऐसी उच्चीकृत प्रजातियों के बीज उपलब्ध नहीं होते। वहीं अधिकारियों की संलिप्तता का आलम यह रहा कि जांच में इन स्थानों पर गेहूं बोए जाने की पुष्टि कर दी। इस बीच आरोपितों के साथियों में ही आपस में फूट पड़ने से मामला खुल गया और गत 29 दिसम्बर 2012 को पंतनगर थाने में नौ आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत हुआ। इस बीच पुलिस की जांच शुरू हुई तो निगम में मामले से संबंधित फाइल गायब होने की बात कही गई, लेकिन इससे पूर्व ही पुलिस गायब बताई गई फाइल की फोटो कापी कराकर अपने पास सुरक्षित रख चुकी थी। पुलिस की प्रारंभिक जांच में गेहूं के जनक बीज के पंजीकरण संबंधी दस्तावेज और बीज को खेतों में बोए जाने के अभिलेख फर्जी पाए गए हैं। साथ ही मौके पर जाकर बीज बोए जाने को प्रमाणित करने वाले अधिकारियों की संलिप्तता की भी प्रथमदृष्टया पुष्टि हो चुकी है। पूछे जाने पर नैनीताल परिक्षेत्र के डीआईजी संजय गुंज्याल ने बताया कि उन्होंने मामले की विवेचना करने और फाइल के गायब होने जैसे विषयों को भी शामिल करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अभियोग पंजीकृत होने के दो माह बाद एवं दो विवेचक बदले जाने के बावजूद मामले की सीडी पर्यवेक्षण अधिकारी को न सौंपे जाने को लेकर ऊधमसिंहनगर पुलिस की कार्यदक्षता पर भी सवाल उठाए हैं तथा एसएसपी ऊधमसिंह नगर को मामले की गहनता से विवेचना करने को लिखा है।