नवीन जोशी, नैनीताल। प्रदेशभर के खाद्यान्न गोदामों में बिजली के कनेक्शन नहीं हैं। ऐसा न होने का कारण भी ऐसा है कि हर कोई आश्र्चयचकित रह जाए। बताया गया कि बिजली के कनेक्शन होने से कहीं गोदामों में "शॉर्ट सर्किट" से आग न लग जाए। आज के दौर में बिजली के बिना कर्मचारियों का रहना भी संभव नहीं है। ऐसे में अनेक गोदामों में कर्मचारी अवैध तरीके से बिजली का उपयोग कर रहे हैं। इस कारण खाद्य आपूर्ति विभाग को अन्य विभागों के साथ "डिजिटलाइज" करने की प्रक्रिया में भी बाधा आ रही है, क्योंकि विभाग को डिजिटलाइज करने में इन गोदामों को भी डिजिटलाइज करना जरूरी है और ऐसा गोदामों को बिजली के कनेक्शन दिए बिना संभव नहीं है। यह अविश्वसनीय सी स्थिति खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्रदेश भर के 319 खाद्यान्न गोदामों की है। इन गोदामों से सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों को खाद्यान्न की आपूर्ति की जाती है, और अक्सर गल्ला दुकानदार शाम ढले यहां अनाज, चीनी, मिट्टी तेल आदि लेने पहुंचते हैं और उन्हें ढिबरियां जलाकर या टार्च आदि के माध्यम से खाद्यान्न दिया भी जाता है। ऐसा भी नहीं है कि कार्यालय समय के बाद या शाम ढले अनाज नहीं दिया जाता है, लेकिन किसी भी गोदाम में बिजली का कनेक्शन नहीं है। बिजली न होने का कारण भी ऐसा है कि आसानी से हजम नहीं होता कि बिजली के कनेक्शन से शार्ट सर्किट होने पर गोदाम में आग लगने का खतरा रहता है। दूसरी ओर गोदाम में काम करने वाले मजदूर धूम्रपान भी करते हैं और रात्रि में अनाज की बोरियां निकालने के लिए केरोसीन से ढिबरियां या लैंप भी जलाते हैं। इस बारे में अधिकारी भी दावे के साथ कहने को तैयार नहीं हैं। एक अधिकारी ने इतना जरूर कहा कि आग लगने से आफत में पड़ें, इससे बेहतर है कनेक्शन ही न हो। साथ ही उन्होंने खुलासा किया कि अधिकतर गोदामों में अवैध तरीके से बिजली का उपयोग किया जा रहा है। सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता संघ के महासचिव हेमंत रुबाली का कहना है कि इस कारण रात्रि में अक्सर खाद्यान्न के बोरे फट जाते हैं और इससे खाद्यान्न के नुकसान की संभावना भी रहती है। दूसरी ओर विभागीय अधिकारी शासकीय व्यवस्था का हवाला देते हुए इस मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर रहे हैं। डीएसओ राहुल शर्मा ने कहा कि शासन से कम्प्यूटरीकरण, डिजिटलाइजेशन के कारण कनेक्शन लगवाने और आगे विद्युत बिलों के भुगतान के लिए धनराशि की व्यवस्था करने को कहा जा रहा है। इसके साथ ही प्रदेश में बागेश्वर व पिथौरागढ़ जनपद सहित कई जिलों में ऐसे अनेक गोदाम भी बताए जा रहे हैं, जिनके आसपास के क्षेत्रों में भी बिजली नहीं है, लिहाजा यहां भी विभागीय गोदामों के डिजिटलाइजेशन की राह आसान नहीं है।
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