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रविवार, 28 अप्रैल 2013

नगर की सत्ता से खुलता है राजधानी का रास्ता


सरिता आर्या समेत आधा दर्जन पालिकाध्यक्षों को हासिल हो चुकी है विधायकी
नवीन जोशी नैनीताल। प्रदेश में निकाय चुनाव का जो शोर और प्रत्याशियों द्वारा एड़ी- चोटी का जोर दिख रहा है, वह केवल नगरकी सत्ता के लिए ही नहीं, वरन प्रदेश की राजधानी की सत्ता की ओर भी है। क्योंकि इतिहास गवाह है कि नवसृजित राज्य में अनेकों राजनेताओं के लिए नगरों की सत्ता का रास्ता राजधानी देहरादून की मंजिल तक पहुंचा है। नैनीताल की वर्तमान विधायक सरिता आर्या समेत प्रदेश की वर्तमान विधानसभा में आधा दर्जन विधायक पालिकाओं से ही सत्ता का ककहरा सीख कर आगे बढ़े हैं। उत्तराखंड प्रदेश में पालिकाध्यक्ष की कुर्सी से राज्य की विधानसभा में जाने की शुरूआत करने का श्रेय पूर्व उक्रांद विधायक यशपाल बेनाम को जाता है, वह पौड़ी नपा के अध्यक्ष थे, और वहां के कार्यकाल की बदौलत ही आगे विधायक बनने में सफल रहे। वहीं नैनीताल की वर्तमान विधायक सरिता आर्य को ऐसी पहली महिला पालिकाध्यक्ष होने का गौरव हासिल है जो आगे चलकर विधायक बनने में सफल रहीं। उनकी विधायक के रूप में जीत का पूरा श्रेय उनके पालिकाध्यक्ष के कार्यकाल को है जाता है। वर्तमान विधानसभा में पहुंचे अन्य अध्यक्षों की कड़ी में रुड़की के विधायक प्रदीप बतरा के नाम एक साथ पालिकाध्यक्ष व विधायक रहने का रिकॉर्ड दर्ज है। वहीं गंगोत्री के पूर्व पालिकाध्यक्ष विजय पाल सिंह विधायक के बाद संसदीय सचिव बनाए गए हैं, जबकि टिहरी के पालिकाध्यक्ष रहे दिनेश धनै विधायकी के बाद गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष का पदभार देख रहे हैं। रुद्रपुर के पालिकाध्यक्ष रहे राजकुमार ठुकराल रुद्रपुर के ही विधायक के रूप में वहां मौजूद हैं। वर्तमान विधानसभा में देहरादून नगर निगम के दो पार्षद-राजकुमार और उमेश शर्मा 'काऊ' भी विधायक के रूप में पहुंचे हैं। 
वहां फेल, यहां पास 
नैनीताल। राजनीति में सब कुछ संभव है। वर्तमान विधानसभा में ऋ षिकेष विधायक प्रेम चंद्र अग्रवाल और प्रतापनगर विधायक विक्रम सिंह नेगी ऐसे उदाहरण हैं, जो क्रमश: डोईवाला नगर पंचायत और प्रतापनगर पालिका से चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए, जबकि विस चुनाव में जीत कर देहरादून पहुंचने में सफल रहे हैं। 

रविवार, 21 अप्रैल 2013

प्रत्याशियों के साथ चुनाव चिह्नों के बीच भी चल रही जंग


"हाथ" को सबका साथ तो "फूल" को झील में खिलने की उम्मीद
नैनीताल (एसएनबी)। यूं हाथ तो सभी के पास होता है, और बिना हाथ के कोई काम नहीं चल सकता, लेकिन यहां "हाथ" सबका साथ मांग रहा है। वहीं ˜कमल का फूल" सामान्यतया कीचड़ या दलदली जगह पर खिलता है, लेकिन यहां उसे नैनी झील में खिलने की उम्मीद है। जी हां, यहां बात आम हाथ या कमल के फूल की नहीं वरन निकाय चुनाव के दौरान हर चुनाव की तरह एक बार खासकर राजनीतिक दलों की जुबान पर चढ़ने वाले चुनाव चिह्नों की ही कर रहे हैं, लेकिन एक अलग नजरिए के साथ। सरोवरनगरी की अति महत्वपूर्ण एवं अपनी स्थापना के साथ ही तत्कालीन नॉर्थ वेस्ट प्रोविंस और अब देश की दूसरी सबसे प्राचीन नगरपालिका कहे जाने वाले नगर में जब अधिकांश राजनीतिक दलों के साथ ही निर्दलीय भी निर्दलीय प्रत्याशी कम जाने- पहचाने हैं। साथ ही खासकर निर्दलीय प्रत्याशियों के समक्ष अपने साथ ही अपने चुनाव चिह्न को चुनाव की तिथि तक मतदाताओं को याद दिलाने की दोहरी समस्या है। ऐसे में उनके समर्थक अपने प्रत्याशियों के बजाए उनके चुनाव चिह्नों से ही जनता को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। मसलन कांग्रेस समर्थक "हाथ" के बिना तो वोट भी न डाले जाने की समस्या बताकर सब कुछ भूलकर "हाथ" पर ही मुहर लगाने की गुहार लगा रहे हैं, तो  भाजपा के प्रचारक नैनी झील में विकास का ˜कमल" खिलवाने के लिए मदद मांग रहे हैं। इसी तरह बाल्टी चुनाव चिह्न वाले निर्दलीय प्रत्याशी याद दिला रहे हैं कि पिछली बार वोटरों ने ˜बाल्टी" भर कर मुकेश जोशी को पालिकाध्यक्ष बनवाया था। लिहाजा इस बार बाल्टी वोटों से भर दें। गुड़िया चुनाव चिह्न के प्रत्याशी समर्थकों को दिल्ली की घटना के बाद बिना किए ही प्रचार मिलने का भरोसा बन रहा है। अन्य निर्दलीय प्रत्याशी अपने स्वयं को जमीन से जुड़ा बताते हुए मिट्टी की बनी ˜ईट" से पालिका में विकास की नींव रखने की बात कर रहे हैं, तो अन्य पालिका में ˜मोमबत्ती" जलाकर रोशनी करने की उम्मीद कर रहे हैं। कप-प्लेट, केतली, बंगला व वायुयान जैसे चुनाव चिह्नों वाले प्रत्याशियों के पास अपने-अपने समझाने के तरीके हैं। निर्दलीय चुनाव लड़ने के बावजूद चुनाव चिह्नों से प्रत्याशियों के संबंध जुड़ जाने के प्रसंग हैं। एक प्रत्याशी पिछले निकाय चुनाव में बंगला चुनाव चिह्न के साथ चुनाव जीते थे, इस बार उनके साथ ही उनकी पत्नी भी दूसरे वार्ड से सभासद प्रत्याशी के लिए चुनाव मैदान में है, और दोनों के चुनाव चिह्न बंगला ही हैं। इसी तरह अन्य भी अनेक प्रत्याशी हैं, जिन्होंने पिछली बार चुनाव जीतने पर पुराने चिन्ह ही हासिल किए हैं, जबकि हारने वालों ने चुनाव चिह्न भी बदल डाले हैं। वहीं विरोधी प्रत्याशियों के चुनाव चिह्नों को लेकर दुष्प्रचार की कमी नहीं है। कोई दूसरे की मोमबत्ती बुझाने अथवा प्रत्याशी के सिर पर ही नारियल या ईट फोड़ने पर उतारू है तो अन्य को विरोधी की बाल्टी में छेद भी खूब नजर आ रहे हैं। बहरहाल, इस तरह सामान्यतया अब तक नीरस चल रहा चुनाव प्रचार थोड़ा-बहुत रोचक जरूर हो गया है। 

बुधवार, 17 अप्रैल 2013

शोमैन को अखरा "थमा" सा पहाड़


  • राज्य का ध्यान "डेवलपमेंट" से अधिक "डील्स" पर 
  • सात वर्षो से "पॉज" की स्थिति में खड़ा है उत्तराखंड 
  • कहा- शौक को प्रोफेशन बनाएं युवा

नवीन जोशी नैनीताल। हिंदी फिल्म उद्योग के "शोमैन" सुभाष घई उत्तराखंड की सुंदरता में कसीदे पढ़ते हैं, लेकिन वह प्रदेश की व्यवस्थाओं से बेहद नाखुश हैं। सात वर्षो के बाद प्रदेश में लौटे घई कहते हैं कि उत्तराखंड इस अवधि में "पॉज" की स्थिति में (यानी जहां का तहां) खड़ा है ! वह कहते हैं कि फिल्में किसी भी राज्य की खूबसूरती को दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करने और उसकी आर्थिकी, रोजगार व पर्यटन को बढ़ाने का बड़ा माध्यम हैं। इसलिए अनेक राज्य व अनेक देश फिल्मकारों को रियायतों की पेशकश करते हैं, लेकिन लगता है कि उत्तराखंड का ध्यान "डेवलपमेंट" से अधिक "डील्स" पर है। यहां शूटिंग महंगी पड़ती है। उत्तराखंड की सुंदरता, शांति उन्हें यहां खींच लाती है। 
श्री घई निजी हेलीकॉप्टर से अपनी फिल्म "कांची" के लिए लोकेशन तय करने यहां पहुंचे। इस दौरान नगर के एक होटल में वह मीडियाकर्मियों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने मीडियाकर्मियों से ही प्रश्न किया, "मैं सात वर्ष पूर्व (2005 में फिल्म किसना की शूटिंग के लिए) उत्तराखंड आया था, तब से उत्तराखंड को "प्रमोट करने" के लिए क्या किया गया है?", फिर स्वयं ही उन्होंने उत्तर भी दे डाला। कहा, कुछ नहीं किया, लगता है राज्य सात वर्षो से "पॉज" पर खड़ा है। उन्होंने कहा कि फिल्में "प्रमोशन" का बड़ा माध्यम होती हैं। स्विट्जरलैंड, फिजी, मैक्सिको सहित अनेक देश व मेघालय, नागालैंड सरीखे राज्य फिल्मकारों को अपने यहां शूटिंग करने पर 40 फीसद तक अनुदान के प्रस्ताव देने आते हैं। उत्तराखंड से ऐसी पेशकश नहीं होती। प्रदेश को फिल्मों की शूटिंग को बढ़ावा देने के लिए होटल, यातायात, संचार सुविधाएं बढ़ानी चाहिए। फिल्मों के लिए "विशेष सेल" की स्थापना की जा सकती है। उन्होंने कहा कि कांची फिल्म में वह स्थानीय प्रतिभाओं को मौका देंगे। युवाओं को उन्होंने संदेश दिया, अपने पैशन को प्रोफेशन बनाएं, तभी अपेक्षित प्रगति कर पाएंगे।

मंगलवार, 16 अप्रैल 2013

भाई के लिए दो भाई हटे चुनाव मैदान से


नवीन जोशी नैनीताल। यों सियासत और जंग में कोई किसी के लिए कुर्बानी नहीं देता, लेकिन कुमाऊं मंडल एवं जनपद मुख्यालय की नगर पालिका नैनीताल में दो भाइयों ने अपने भाइयों की जीत के लिए अपनी दावेदारी वापस लेकर मिसाल पेश की है। नाम वापसी के आखिरी दिन अध्यक्ष पद के एक एवं सभासद पद के दो निर्दलीय प्रत्याशियों चुनावी समर से वापस लौट आए। इसके बाद पालिकाध्यक्ष के प्रतिष्ठित पद पर 13 एवं 13 वार्डों के एक-एक यानी कुल 13 सभासद पदों के लिए 86 प्रत्याशी मैदान में शेष रह गए हैं। 
उल्लेखनीय है कि अध्यक्ष पद पर कांग्रेस से टिकट के प्रमुख दावेदार राजेंद्र व्यास और उनके भाई अरविंद व्यास ने नामांकन कराया था। राजेंद्र कांग्रेस पार्टी से सशक्त प्रत्याशी थे, लेकिन अपनी पार्टी की लंबी सेवाओं और अपने जनाधार को देखते हुए वह चुनाव मैदान में उतर आए। उधर, उन्हीं के छोटे भाई अरविंद व्यास निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद पड़े थे। उन्हें उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी का समर्थन प्राप्त था। एक घर में एक साथ रहने और कमजोर आर्थिक स्थिति के साथ दोनों ही भाइयों ने नामांकन के लिए अपनी मां से तीन-तीन हजार रुपये लेकर नामांकन कराया था लेकिन नामांकन वापसी के आखिरी क्षणों में अरविंद ने राजेंद्र को पूरे जोश से चुनाव लड़ाने के लिए अपना नामांकन पत्र वापस ले लिया। इसी तरह भाजपा प्रत्याशी संजय कुमार "संजू" की अध्यक्ष पद पर जीत सुनिश्चित करने की कोशिश में स्नोव्यू से सभासद का चुनाव लड़ रहे अक्षय कुमार ने नाम वापस ले लिया। संजू के चुनाव में हमेशा ही उनका चुनाव प्रबंधन देखने वाले अक्षय कुमार का कहना है कि वह अपने वार्ड में चुनाव लड़ने और जीतने के प्रति पूरी तरह आश्वस्त थे, उनकी तैयारी लंबे समय से चल रही थी। लेकिन आखिरी क्षणों में संजू को भाजपा से टिकट मिलने पर उन्होंने बड़े भाई को चुनाव जिताने के लिए स्वयं चुनाव न लड़ने का फैसला लिया, ताकि ऊर्जा दो की जगह एक जगह ही लगाई जा सके। इधर वार्ड 12 कृष्णापुर से पंकज आर्य ने भी पर्चा वापस ले लिया। 

रविवार, 14 अप्रैल 2013

कम ही दिखा "आधी दुनिया˜ का जोर


नवीन जोशी, नैनीताल। जनपद में जहां विधानसभा चुनावों के बाद दो मंत्रियों व एक विधायक के साथ ही डीएम, कमिश्नर (अभी हाल में स्थानांतरण से पूर्व), जिला पंचायत अध्यक्ष एवं दो ब्लाक प्रमुखों के साथ ˜आधी दुनिया" कही जाने वाली महिलाओं का पूरा ˜दम" नजर आता रहा है, वहीं जनपद की सबसे महत्वपूर्ण नैनीताल नगर पालिका में महिलाओं का यही दम फूलता सा नजर आ रहा है। यहां महिलाओं हेतु आरक्षित वार्डों  में अपेक्षा से कम ही प्रत्याशी मैदान में हैं, वहीं अध्यक्ष सहित गैर आरक्षित आठ वार्डों में पांच महिलाएं ही प्रत्याशी हैं। वर्ष 2003 के बाद तीन से अधिक बच्चे उत्पन्न होने पर अयोग्यता के नए नियम का 80 फीसद खमियाजा (5 में से 4 पर्चे महिलाओं के ही हुए ख़ारिज) भी महिलाओं को भुगतना पड़ा है। 
नैनीताल में अध्यक्ष पद के लिए 14 और 13 वार्डों के सभासदों के पदों के लिए 88 प्रत्याशी मैदान में हैं  इनमें महिला दावेदारों की संख्या कुल मिलकर केवल 29 ही है। अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित अध्यक्ष पद के लिए 14 प्रत्याशियों ने अपनी दावेदारी पेश की है, इनमें केवल एक शालिनी आर्या बिष्ट महिला वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। वहीं महिलाओं हेतु गैर आरक्षित स्नोभ्यू वार्ड से सर्वाधिक दो- वर्तमान सभासद अमिता बेरिया व रेखा वैद्य, वार्ड सात शेर का डांडा से जीवंती देवी, वार्ड 10 सूखाताल से लीला अधिकारी सहित कुल पांच महिलाएं ही चुनाव लड़ने की हिम्मत जुटा पाई हैं। वहीं जहां नगर के अनारक्षित आवागढ़ वार्ड में 14 एवं सूखाताल वार्ड में 11 प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं, लेकिन महिलाओं हेतु आरक्षित वाडरे में प्रत्याशियों का टोटा साफ नजर आता है। वार्ड तीन व वार्ड 11 में छह-छह (वार्ड 3 हरिनगर से कंचन, शीतल आर्या, रेनू आर्या, बबीता पंवार, मनीशा व आरती व वार्ड 11 मल्लीताल बाजार से पुष्पा साह, भारती साह, ललिता दोषाद, मंजू जोशी, गुंजन-मंजू रौतेला व कंचन वर्मा ), वार्ड नौ (नैनीताल क्लब से विद्या जोशी, दया सुयाल, सपना बिष्ट, नीमा अधिकारी व मधु बिष्ट) में पांच प्रत्याशियों को थोड़ा ठीक भी मानें तो अपर माल वार्ड में केवल चार (नीतू बोहरा, आशा आर्या, रमा गैड़ा व रीना मेहरा) और तल्लीताल बाजार जैसे वार्ड में केवल तीन महिला प्रत्याशी (प्रेमा मेहरा, प्रेमा अधिकारी व किरन साह) मतदाताओं को अधिक विकल्प उपलब्ध नहीं करा रही हैं। हालांकि जो महिलाएं राजनीति में आ भी रही हैं, वे भी अपनी कठपुतलियों सी डोर पतियों या अन्य पुरुष संबंधियों के हाथों में ही रखे रहने से गुरेज नहीं करतीं। नैनीताल में ऐसा कुछ कम नजर आता है जो सुखद व उम्मीद जगाने वाला हो सकता है।

शनिवार, 13 अप्रैल 2013

नैनीताल पालिका चुनाव में "तजुर्बे" की भी होगी परीक्षा



अध्यक्ष पद पर एक पूर्व अध्यक्ष व चार सभासद और सभासद पद पर सात पूर्व सभासद मैदान में
नवीन जोशी नैनीताल। निस्संदेह लोकतंत्र में हर किसी को चुनावी समर में उतर कर जनसेवा के लिए स्वयं को जनता की कसौटी पर कसने का अधिकार है, और आज के दौर को युवाओं का दौर कहा जाता है, और युवाओं को ही चुनावों के माध्यम से आगे लाने की वकालत की जाती है लेकिन तजुब्रे को दरकिनार करना कभी भी आसान नहीं होता। देश की दूसरे नंबर की सबसे प्राचीन 1845 में स्थापित नैनीताल नगर पालिका में भी इस बार "अनुभव" की कसौटी पर कसा जाएगा। यहां अध्यक्ष पद के लिए एक पूर्व अध्यक्ष सहित चार पूर्व सभासद एवं सभासदों के 13 पदोंके लिए सात पूर्व एवं वर्तमान सभासद मैदान में हैं। नैनीताल नगर पालिका के चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए नामांकन कराने वाले 14 प्रत्याशियों में पांच प्रत्याशी पूर्व या वर्तमान में पालिका में बतौर जनप्रतिनिधि जुड़े रहकर अनुभव रखते हैं। इनमें भाजपा प्रत्याशी संजय कुमार 'संजू' पूर्व में वर्ष 2003 से 2008 तक पालिका अध्यक्ष रह चुके हैं। वहीं भाजपा के बागी प्रत्याशी प्रेम सागर, कांग्रेस के बागी प्रत्याशी दीपक कुमार ˜भोलू" के साथ ही बसपा प्रत्याशी राकेश कुमार ˜शंभू" 2008 में चुनाव जीतकर वर्तमान में सभासद के रूप में कार्यरत हैं। वहीं कांग्रेस के अन्य बागी निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा भी पूर्व में पालिका सभासद रह चुके हैं। 
पालिका सभासदों के पदों की बात की जाए तो स्नोभ्यू से अमिता बेरिया, आवागढ़ से मनोनीत आनंद बिष्ट, नैनीताल क्लब से मनोनीत सभासद मधु बिष्ट, सूखाताल वार्ड से मनोज अधिकारी, मल्लीताल से मंजू उर्फ गुंजन बिष्ट, कृष्णापुर से डीएन भट्ट व शेर का डांडा से कृपाल बिष्ट पूर्व में सभासद पद का दायित्व देख चुके हैं। इनमें डीएन भट्ट पूर्व में पालिका के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं।

चुनावी जलजले से हर पार्टी में उभरी दरार


सत्तारुढ़ कांग्रेस में सर्वाधिक बागी भाजपा व बसपा के बागी भी मैदान में
नवीन जोशी, नैनीताल। अपनी 1845 में हुई स्थापना से देश की दूसरे नम्बर की नगर पालिका नैनीताल में आसन्न निकाय चुनाव ने जलजले के रूप में सभी पार्टियों के घरों में भारी दरार नुमाया कर दी है। हर पार्टी में अनेक बागी उम्मीदवार यदि नाम वापसी तक मनाए न जा सके तो आने वाले दिनों में अध्यक्ष पद के साथ ही वाडरे के सभासद पदों हेतु अधिकृत प्रत्याशियों के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकते हैं। कहते हैं कि अक्सर जंग दुश्मनों से अधिक कठिन दोस्तों से होती है। यह जंग खास तौर पर गांवों के ग्राम प्रधानों के चुनाव तो कई बार गांवों में आपसी वैमनस्य को बढ़ाने वाले भी साबित होते हैं। नगरों की छोटी इकाइयों में प्रत्याशियों को अपनों से ही उलझना पड़ता है। नगर पालिका नैनीताल के अध्यक्ष एवं 13 वाडरे में सभासद पदों पर आखिरी दिन तक हुए नामांकनों की स्थिति प्रत्याशियों को दूसरे दलों के साथ ही अपनों से लड़वाती नजर आ रही है। खासकर विपक्षी भाजपा के प्रत्याशियों के लिए इस मामले में अधिक कठिन स्थिति है, क्योंकि इसी पार्टी ने सभी वाडरे में सभासद प्रत्याशियों को अपने सिंबल दिए हैं। वहीं अध्यक्ष पद पर सत्तारूढ़ दल में सत्ता रूपी ‘मधुमक्खी के छत्ते’ से टपकने वाले 'शहद' को लेकर अधिक मारामारी नजर आ रही है। यहां पहले ही पार्टी पर्यवेक्षक के सामने दावेदारी जताने वाले तीनों दावेदार-सुभाष चंद्रा, दीपक कुमार 'भोलू' व राजेंद्र व्यास तो मैदान में कूद ही पड़े हैं। सुभाष के साथ कांग्रेस के 2008 में प्रत्याशी रहे दिनेश चंद्र साह के जाने से भी पार्टी को बुरे संकेत मिले हैं। वहीं अपने दादा खुशी राम के जमाने से कांग्रेसी रहे पूर्व पालिकाध्यक्ष संजय कुमार 'संजू' इस बार कमल का फूल थाम कर भाजपा से प्रत्याशी हैं। वह पिछली बार बसपा से विधान सभा का चुनाव लड़ चुके हैं, एक दिन पूर्व ही वह बकौल उनके 150 बसपा कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा में शामिल हुए हैं, लिहाजा वह बसपा के वोट बैंक में भी निश्चित ही सेंध लगाने की उम्मीद कर रहे हैं। कांग्रेस को उनके साथ ही पार्टी से जुड़े दावेदार राजेंद्र व्यास के भाई अरविंद व्यास व शालिनी आर्या के भी नुकसान पहुंचाने की संभावना जताई जा रही है। भाजपा ने दूसरी पार्टी से जुड़े प्रत्याशी को उतारा है तो उनकी घर की टूट भी उजागर हो गई है। वर्तमान सभासद एवं पार्टी से पुश्तैनी रिश्ता रखने वाले प्रेम सागर बागी हो गए हैं, उनका कहना है पार्टी 'दगाबाज' हो गई है तो वह क्यों नहीं हो सकती है। वहीं किसी दौर में पार्टी के सदस्य रहे जगमोहन भी निर्दलीय के रूप में मैदान में कूद पड़े हैं। भाजपा को अनेक वाडरे में भी निर्दलीय कूदे बागियों से तगड़ी दावेदारी मिलने से इंकार नहीं किया जा सकता। उसके कुंदन सिंह नेगी सूखाताल से, आशा आर्या अपर माल से, पूर्व नगर उपाध्यक्ष कुंदन बिष्ट की पत्नी सपना बिष्ट नैनीताल क्लब वार्ड से बागी होकर निर्दलीय चुनाव में कूद पड़े हैं। बसपा से राकेश कुमार 'शंभू' प्रत्याशी हैं तो 2008 में बसपा से प्रत्याशी रहे उन्हीं के हमनाम अधिवक्ता राकेश कुमार ने भी अध्यक्ष पद के लिए दुबारा ताल ठोंक दी है। ऐसे में निकाय चुनावों में बागी सत्ता के ऊंट को किस करवट बैठाते हैं, देखना दिलचस्प होगा।

अध्यक्ष पद के लिए दो भाई आमने-सामने

नैनीताल। सत्ता का 'शहद' जो न करा दे वह कम है। कांग्रेस के बागी राजेंद्र व्यास के साथ ही उनके अनुज अरविंद व्यास ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ताल ठोंक दी है। दोनों भाई एक ही घर में रहते हैं। बताया कि दोनों ने ही अपनी माता से जमानत राशि तीन-तीन हजार रुपए लाकर नामांकन कराया।

मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

नैनीताल राजभवन में आग, फिर मंगल को सामने आया अमंगल

जीर्णोद्धार कार्यों के दौरान छत की ओर से फैली आग पीएसी व पुलिसकर्मियों की सक्रियता से टला हादसा जाम लगने से फायर ब्रिगेड को पहुंचने में हुआ विलम्ब
नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश ही नहीं देश की शान, 1899 में अंग्रेजों द्वारा निर्मित ऐतिहासिक नैनीताल राजभवन में मंगलवार 2 अप्रैल 2013 को अमंगल होते-होते टल गया। राजभवन में आग लगने से हड़कंप मच गया। करीब 10.6 करोड़ रुपये की लागत से चल रहे राजभवन के जीर्णोद्धार कार्यों के दौरान आग लगी। पीएसी एवं पुलिसकर्मियों की मुस्तैदी से राजभवन में लगे ऑटोमैटिक सुरक्षा उपकरणों से आग अधिक फैलने से रुक गई। आग से छत में लगाए जा रहे तख्ते व अन्य निर्माण सामग्री चपेट में आई है। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया। इससे पूर्व 5 जनवरी 1970 को भी राजभवन में अग्निकांड हुआ था। 
मंगलवार अपराह्न करीब सवा दो बजे नैनीताल राजभवन में तैनात पीएसी कर्मी जावेद खान ने राजभवन की छत की ओर हल्का धुआं उड़ता हुआ देखा तो उसने तत्काल शोर मचाकर अन्य साथियों और उच्चाधिकारियों को सूचित किया। 2.38 बजे तक यह सूचना जिले के पुलिस कप्तान और पुलिस सीओ हरीश कुमार सिंह तक पहुंच गई, उसके तत्काल बाद नगर की फायर ब्रिगेड को सूचना देने के साथ ही हल्द्वानी और रामनगर से भी फायर ब्रिगेड को मुख्यालय पहुंचने के आदेश दे दिये गए। आग राजभवन के प्रेसीडेनसिअल ब्लाक के शूइट नं. चार की छत से शुरू हुई थी, और तब तक राजभवन के छत की बीचों-बीच स्थित बुर्ज पर नजर आने लगी थी और दांई ओर चल रहे जीर्णोद्धार कार्यों की ओर तेजी से फैलने लगी थी। इससे छत एवं सीलिंग के बीच धुआं भर गया था। फायर ब्रिगेड के वाहनों को राजभवन मार्ग पर इसी बीच स्कूलों की छुट्टी होने के कारण लगे जाम में फंसते हुए काफी समय लगा, बहरहाल उनके पहुंचते ही पीएसी एवं पुलिस के जवानों ने अग्निशमन कर्मियों के साथ सतर्कता का परिचय देते हुए खिड़कियों को तोड़कर आग बुझाने की कोशिश में जुट गये। एसएसपी डा. सदानंद दाते स्वयं बुर्ज पर चढ़कर आग बुझाने के लिए पुलिसकर्मियों को निर्देशित कर रहे थे। अंतत: करीब साढ़े तीन बजे आग पर पूरी तरह काबू पा लिया गया। बताया जा रहा है कि आग से जीर्णोद्धार के क्रम में राजभवन की छत पर लगाए जा रहे तख्ते एवं उसके नीचे बिछाए जा रहे इमल्सन (एपीपी सीट) आदि का नुकसान हुआ है। राजभवन का जीर्णोद्धार इंडिया गुनाइटिंग  कारपोरेसन नामक कंपनी द्वारा किया जा रहा है। इस कंपनी के कामगार गैस हीटर से अग्नि व जलरोधी एपीपी सीट चिपकाने का काम कर रहे थे। संभवत: हीटर की चिंगारी से ही आग लगी। आग लगने के समय कंपनी के कामगार दोपहर का भोजन कर रहे थे। बहरहाल आग को राजभवन के बांयें हिस्से में फैलने से पहले ही रोक लिया गया, उस ओर राजभवन के महत्वपूर्ण फर्नीचर एवं अन्य महत्वपूर्ण सामान रखे गए थे। डीएम निधिमणि त्रिपाठी, एसडीएम रवि झा, कोतवाल बीबीडी जुयाल, थाना प्रभारी उत्तम सिंह, फायर ब्रिगेड के बीसी जोशी, लक्ष्मण सिंह, राजेंद्र नाथ, मुकेश कुमार, प्रेमप्रकाश राणा, एसएसआई कैलाश जोशी, लोनिवि के अभियंता एबी कांडपाल, आरएन तिवारी व राजीव गुरुरानी आदि ने भी आग बुझाने में जुटे रहे।

शनिवार, 23 मार्च 2013

नक्षत्रों से ढूंढिए अपना पंचतत्व, बदलिए तकदीर


नैनीताल में मिली सैकड़ों वर्ष पुरानी पांडुलिपि, जिसमें बताया गया है पंचतत्वों से नक्षत्रों का संबंध
नवीन जोशी नैनीताल। भारतीय धार्मिक और नक्षत्र विज्ञान के ग्रंथों में मनुष्य की जन्मतिथि व समय से निर्धारित होने वाली राशियों का मानव शरीर के मुख्य घटक पंचतत्वों-पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु एवं आकाश से संबंध बताया गया है। यहां एक ऐसी सैकड़ों वर्ष पुरानी पांडुलिपि प्रकाश में आई है, जिसमें पहली बार नक्षत्रों और पंचतत्वों के बीच के संबंध बताने के साथ ही इसके माध्यम से मनुष्य के जीवन और उसकी प्रकृति में सुधार करने के तरीके बताए गए हैं। रत्नमाला नाम के इस ग्रंथ पर यदि विस्तृत शोध हो तो भारतीय नक्षत्र विज्ञान को नए आयाम दे सकता है। कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर के संस्कृत विभाग में वर्षो से पड़ी "रत्नमाला" नाम की पांडुलिपि मिली है। इसका अध्ययन एवं राष्ट्रीय पांडुलिपि संरक्षण मिशन के तहत संरक्षण कर रहे डा. सोमबाबू शर्मा बताते हैं कि इस पांडुलिपि में पहली बार नक्षत्रों और पंचतत्वों का संबंध वैज्ञानिक आधार के साथ बताया गया है। संस्कृत में श्लोक एवं संस्कृतिहंदी मिश्रित व्याख्या रूप में लिखी गई इस पांडुलिपि में सभी 28 नक्षत्रों के पंचतत्वों से संबंध और उनके आधार पर मानव जीवन को बेहतर बनाने के उपाय बताए गए हैं। उदाहरणार्थ, सर्वाधिक बुरे बताए जाने वाले मूल नक्षत्र को मघा व अश्लेषा के साथ अग्नि तत्व से तथा पुनर्वसु, हस्त, अश्लेषा, मृगशिरा, रेवती, अनुराधा व ज्येष्ठा के साथ वायु तत्व से संबंधित बताया गया है। अग्नि तत्व से संबंधित जातक जल तत्व से निकटता दिखाकर स्वयं का जीवन सुधार सकते हैं, जबकि इसके उलट सामान्य मान्यता के अनुसार मूल नक्षत्र के लोग भगवान शनि की पूजा करते हुए अग्नि को अधिक भड़काते हुए तेल के दीपक जलाते हैं। वहीं जल तत्व से संबंधित जातक पानी से दूर रहकर तथा दीपक जलाकर व हवन, यज्ञ आदि कर अपना जीवन बेहतर कर सकते हैं। डा. शर्मा बताते हैं कि पांडुलिपि में नक्षत्रों को रत्नों की तरह महत्वपूर्ण बताते हुए इनकी विस्तृत व्याख्या की गई है, किसी अन्य पुस्तक में अब तक उल्लेखित न किए गए अविजित नाम के नक्षत्र का भी उल्लेख है, जिसका प्रयोग समस्या का और कोई समाधान न होने की दशा में किया जाता है, साथ ही इसमें 28 योगिनियों का भी उल्लेख है। वह कहते हैं कि विस्तृत शोध किया जाए तो यह खोज नक्षत्र विज्ञान को नई दिशा दे सकती है। उल्लेखनीय है कि मानव शरीर के बारे में कहा जाता है कि इसकी रचना सृष्टि के रचयिता ब्रrा ने पंचतत्वों की मदद से की थी। मनुष्य इन्हीं पंचतत्वों से मिलकर बनता है और आखिर इन्हीं में मिल जाता है। मनुष्य अपने जीवन में भी इन पंचतत्वों से साम्य बनाता हुआ चलता है। मनुष्य के इन पंचतत्वों से संबंधों को धार्मिक ग्रंथों के साथ नक्षत्र विज्ञान में राशियों से जोड़ा गया है। उदाहरण के लिए कर्क व मीन राशि के जातकों को जल तत्व से, वृष, सिंह आदि राशियों को पृथ्वी तत्व से जोड़ा गया है। इस प्रकार कर्क व मीन राशि के जातक जल की तरह चंचल व अस्थिर प्रकृति के होते हैं तो वृष व सिंह राशि के जातक अडिग व ठोस निर्णय लेने वाले माने जाते हैं। नक्षत्र विज्ञान में 28 नक्षत्र माने जाते हैं। जन्म पत्रिकाओं में मनुष्य की राशियों के साथ ही नक्षत्रों का भी जिक्र प्रमुखता से होता है। चूंकि इनकी संख्या अधिक है, इसलिए इनके अध्ययन से मनुष्य की प्रकृति, भविष्य आदि के बारे में अधिक सटीक भविष्यवाणियां की जा सकती हैं।

रविवार, 3 मार्च 2013

नैनीताल का यूं मर्ज बढ़ता ही गया ज्यों-ज्यों दवा की....



  • प्रतिबंध लगाने के बावजूद नैनीताल में आई अवैध निर्माणों की बाढ़ 
  • डीएम की जांच रिपोर्ट पर आयुक्त ने दिए थे अवैध निर्माण ध्वस्त करने के निर्देश 
नैनीताल (एसएनबी)। सरोवरनगरी में निर्माणों पर प्रतिबंध अवैध निर्माणों को और बढ़ावा देने वाला साबित हुआ है। डीएम निधिमणि त्रिपाठी के निर्देशों पर एडीएम विनोद गिरि गोस्वामी द्वारा तैयार जांच रिपोर्ट में शनिवार को यह बात साफ तौर पर उजागर हुई है। जांच रिपोर्ट में अवैध निर्माणकर्ताओं द्वारा प्रयोग किए जा रहे अनेक अनूठे तरीके प्रकाश में आए। डीएम ने यह जांच रिपोर्ट कुमाऊं आयुक्त डा. हेमलता ढौंढियाल को भेज दी थी। आयुक्त ने झील विकास प्राधिकरण के सचिव को जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करने को कहा है। वहीं झीविप्रा के सचिव का कहना है कि प्राधिकरण की कार्य सीमा में कार्रवाई की जाएगी। कई संस्तुतियां शासन स्तर की हैं, उन पर शासन से परामर्श लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि विगत माह एडीएम श्री गोस्वामी ने नगर के अयारपाटा, लोंग व्यू, कैलाश व्यू, तल्लीताल, स्नो व्यू, ब्रेवरी कंपाउंड, तारा कंपाउंड, सात नंबर, सुख निवास, गो कार्टेज, जू रोड व माल रोड क्षेत्र का व्यापक निरीक्षण किया था। इस आधार पर उन्होंने विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में की गई संस्तुतियां डीएम, कुमाऊं आयुक्त से होते हुए झीविप्रा सचिव तक पहुंच गई हैं। आगे कार्रवाई का इंतजार है।

जांच में हुआ खुलासा


  • एक-दो कमरों के या मरम्मत के मानचित्र पास कराकर और निर्माणस्थल पर उनके बोर्डों की आड़ में हो रहे बड़े निर्माण 
  • वृक्षों से तीन मीटर की दूरी पर ही निर्माण के नियम के विरुद्ध पेड़ों को चिनकर या पेड़ों को भवनों के भीतर घेरकर भी हो रहे निर्माण 
  • नालों पर अतिक्रमण कर और नालों के ऊपर भी हो रहे निर्माण 
  • सड़कों पर बेरोकटोक रखी जा रही निर्माण सामग्री 
  • सील तोड़कर भी हो रहे निर्माण, लोग सील तोड़कर रह भी रहे मकानों में 
  • ग्रीन बेल्ट क्षेत्रों में 'प्लाट बिकाऊ हैं' के बोर्ड लगाकर हो रही जमीन की खरीद-फरोख्त 
  • कंपाउंड करने की नीति दे रही अवैध निर्माण को बढ़ावा, लोग अवैध निर्माणों को कंपाउंड कराकर करा रहे वैध


जांच रिपोर्ट में की गई संस्तुतियां


  • संवेदनशील, असुरक्षित व ग्रीन बेल्ट क्षेत्रों में निर्माणों पर पूर्ण प्रतिबंध लगे 
  • यहां हुए निर्माणों के बिजली, पानी व टेलीफोन कनेक्शन कटें 
  • निर्माण सामग्री लाने के लिए हो परमिट व्यवस्था, प्रयोग करने व रखने की जगह बताने पर ही मिलें परमिट 
  • व्यावसायिक निर्माणों पर लगे पूर्ण प्रतिबंध 
  • राजमिस्त्रियों का हो पंजीकरण, उन्हें मानकों के अनुसार कार्य करने का दिया जाए प्रशिक्षण 
  • ग्रीन बेल्ट की जमीन भूस्वामियों से सर्किल रेट पर खरीदकर वन विभाग को दे दी जाए 
  • अनुमति से अधिक के निर्माणों पर पास नक्शे हों निरस्त 
  • अवैध निर्माणों को सील करने की व्यवस्था अव्यावहारिक 
  • नगर के प्रतिबंधित क्षेत्रों की जानकारी का हो व्यापक प्रचार-प्रसार

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मंगलवार, 11 दिसंबर 2012

"स्टीपी" पर डोला डोल्मा का मन

नैनीताल में प्रवासी पक्षियों के साथ ही देश-विदेश से आए पक्षी प्रेमियों का भी लगा जमावड़ा
नवीन जोशी नैनीताल। जी हां, इश्क हो तो एसा। कजाकिस्तान से प्रवासी पक्षी 'स्टीपी' यानी स्टीपी ईगल अपने शीतकालीन प्रवास पर "पक्षियों के तीर्थ" कहे जाने वाले नैनीताल क्या आया, मानों उसकी प्रेमिका की तरह ही मंगोलिया से पक्षी प्रेमी छायाकार डोल्मा अपने जैसे ही पक्षी प्रेमियों के करीब डेढ़ दर्जन सदस्यों के दल का साथ लेकर यहां धमक आईं। 
डोल्मा बीते तीन दिनों से भरतपुर (राजस्थान) के पक्षी विशेषज्ञ बच्चू सिंह के साथ शहर में है और यहां कूड़ा खड्ड के पास अपने दल-बल के साथ सैकड़ों की संख्या में स्टीपी ईगल की खूबसूरती को अपने कैमरे में कैद करती जा रही है। मानव प्रेमियों के साथ ही पक्षियों और उनके प्रेमियों के मिलन स्थल बने नैनीताल में ऐसे और भी नजारे इन दिनों आम बने हुए हैं। गौरतलब है कि मनुष्य जिस तरह अपने जीवन में एक बार जरूर अपने धार्मिक तीथरे की यात्रा करना अपने जीवन का उद्देश्य मानता है, कुछ इसी तरह कहा जाता है कि दुनिया भर के प्रवासी प्रकृति के पक्षी भी जीवन में एक बार नैनीताल जरूर जाना चाहते हैं। इस आधार पर भरतपुर पक्षी विहार के सुप्रसिद्ध पक्षी विशेषज्ञ बच्चू सिंह नैनीताल को पक्षियों के तीर्थ की संज्ञा देने में संकोच नहीं करते। वह बताते हैं कि देश भर में पाई जाने वाली 1100 पक्षी प्रजातियों में से 600 तो यहां प्राकृतिक रूप से हमेशा मिलती हैं, जबकि देश में प्रवास पर आने वाली 400 में से 200 से अधिक विदेशी पक्षी प्रजातियां भी यहां आती हैं। इनमें ग्रे हैरोन, शोवलर, पिनटेल, पोर्चड, मलार्ड, गागेनी टेल, रूफस सिबिया, बारटेल ट्री क्रीपर, चेसनेट टेल मिल्ला, 20 प्रकार की बतखें, तीन प्रकार के सारस, स्टीपी ईगल, अबाबील आदि भी प्रमुख हैं। बच्चू नैनीताल की इसी खासियत के कारण हर वर्ष खासकर मंगोलिया, कोरिया जैसे दक्षिण एशियाई देशों के पक्षी प्रेमी छायाकारों के दल को नैनीताल लेकर आते हैं। इस बार वह मंगोलिया के दल को यहां के सप्ताह भर के टूर पर लेकर आये हैं। तीन दिनों से उनका करीब डेढ़ दर्जन सदस्यों का दल नगर के हल्द्वानी रोड स्थित कूड़ा खड्ड-हनुमानगढ़ी क्षेत्र में जमा हुआ है। बच्चू कहते हैं कि नैनीताल का सबसे बुरा- शहरभर का कूड़ा डालने वाला स्थान कजाकिस्तान के स्टीपी ईगल की सबसे पसंदीदा जगह है। रानीखेत और अल्मोड़ा भी स्टीपी को काफी पसंद हैं। इस दौरान यहां आये दल को अनेक प्रकार की जमीन पर फुदकने वाली चिड़िया-वाइट थ्राटेड लाफिंग थ्रस, स्ट्राइटेड लाफिंग स्ट्रीट थ्रस, चेस नेट वैली रॉक थ्रस, ब्लेक ईगल, टोनी ईगल, फेल्कुनेट, कॉमन कैसटल व पैराग्रीन फैल्कन सरीखी अनेक पक्षी प्रजातियों के चित्र लेने का लाभ भी मिला है। डोल्मा के साथ निमा, दावा, मिगमार, ल्हाग्बा, बाड्मा, सांग्जई यहां आकर बहुत खुश हैं।
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शनिवार, 17 नवंबर 2012

नैनी सरोवर में लगे 'सुरखाब के पर'



नैनीताल मैं सैलानियों के लिए सीजन 'ऑफ' तो प्रवासी पक्षियों के लिए हुआ 'ऑन'
नैनी झील में आए सुर्खाब पक्षी, साथ ही बार हेडेड गीज का भी हुआ आगमन
नवीन जोशी नैनीताल। जी हां, नैनी सरोवर में सुर्खाब के पर लग गए हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि नैनीझील में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला सुर्खाब पक्षी पहुंचा है, और नैनीझील के आसपास उड़ते और तैरते हुए खूब आनंदित हो रहा है। उसके आने से निश्चित ही नैनीझील और कमोबेस प्रवासी पक्षियों को निहारने वाले पक्षी प्रेमी खूब इतरा रहे हैं। नैनीताल में इन दिनों जहां मनुष्य सैलानियों का पर्यटन की भाषा में 'ऑफ सीजन' शुरू होने जा रहा है, वहीं मानो सैलानी पक्षियों का सीजन 'ऑन' होने जा रहा है। इन दिनों यहां नैनी सरोवर में चीन, तिब्बत आदि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला सुर्खाब पक्षी तथा बार हेडेड गीज आदि अनेक प्रवासी पक्षी की प्रजातियां पहुंची हैं। पक्षी विशेषज्ञ एवं अंतरराष्ट्रीय छायाकार अनूप साह के अनुसार इन दिनों उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी होने के कारण वहां की झीलें बर्फ से जम जाती हैं। ऐसे में उन सरोवरों में रहने वाले पक्षी नैनीताल जैसे अपेक्षाकृत गरम स्थानों की ओर आ जाते हैं। यह पक्षी यहां पूरे सर्दियों के मौसम में पहाड़ों और यहां भी सर्दी बढ़ने पर रामनगर के काब्रेट पार्क व नानक सागर, बौर जलाशय आदि में रहते हैं, और मार्च-अप्रैल तक यहां से वापस अपने देश लौट आते हैं। उन्होंने बताया कि नैनीझील में कई प्रकार की बतखें भी पहुंची हैं, जबकि नगर के हल्द्वानी रोड स्थित कूड़ा खड्ड में अफगानिस्तान की ओर से स्टेपी ईगल पक्षी भी बड़ी संख्या में पहुंचे हैं।


सुर्खाब के बारे में कुछ ख़ास बातें....
सुर्खाब मुर्गाबी प्रजाति से है। ये मूलत: लद्दाख, नेपाल एवं तिब्बत से आते है. ये सर्दी में भारत के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार में भी प्रवास करते हैं। इनकी ब्रीडिंग अवधि अप्रैल से जून माह तक होती है। इनका रंग सुनहरा होता है और अंदर की ओर से इसके पंख हरे व चमकदार होते हैं। ये प्राय: जोड़ा बनाकर रहते है। इन्हें ब्राह्नी डक, रेड शैलडक और चकवा-चकवी भी कहा जाता है, यह प्रायः जोड़े के साथ रहते हैं। ऐसी मान्यता है कि सुर्खाव जीवन में केवल एक बार ही जोड़ा बनाते है। अगर दोनों में से किसी एक की मृत्यु हो जाए तो दूसरा अकेला ही जीवन व्यतीत करेगा। ब्रीडिंग के समय नर सुर्खाब की गर्दन में एक काला बैंड नजर आता है। ये चट्टानों में और ऊंची मिट्टी के टीलों में अपने घौंसले बनाते है तथा पानी से काफी ऊंचाई पर बनाते है। पानी में पाए जाने वाले भोजन के अलावा खेतों में चने, गेंहू, जो की फसलों से भोजन चुनते हैं। ये अधिकांश समय पानी में तैरते हैं इन दौरान ये कीड़े-मकौडे खाकर अपना पेट भरते है ये छोटी मछलियों का भी शिकर करते हैं।  भारत में इनका प्रवास अक्टूबर माह से मार्च तक माना जाता है। 
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शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

नैनीताल जिले से बने चार मंत्री व विधान सभा अध्यक्ष, बावजूद 12 वर्षो में उम्मीदें ढेरों-उपलब्धियां कम


नवीन जोशी नैनीताल। उत्तराखंड की राज्य की स्थापना हुए 12 वर्ष हो गए। इन 12 वर्षो में राज्य के साथ ही नैनीताल जनपद उम्र के लिहाज से किशोर वय में पहुंच गया। जनपद की गौला व दाबका नदियों के साथ ही मुख्यालय की सामान्यतया स्थिर रहने वाले नैनी सरोवर से भी न जाने कितना पानी निकल गया है, और इन नदियों से खनन और ताल से न जाने कितने अरब रुपयों का आय उत्पादन हो गया है। इधर जिले में रहने वाले चार महानुभाव मंत्री व एक विधान सभा अध्यक्ष बन गए हैं, बावजूद इस बड़ी अवधि में भी जनपद के पास उम्मीदें तो ढेरों हैं, जबकि उपलब्धियां महज उंगलियों में गिनने लायक। ऐसे में राज्य आंदोलन से जुड़े लोग जहां स्वयं को ठगा बता बता रहे हैं वहीं आम जन भी संतुष्ट नहीं हैं। 
अंग्रेजों के दौर से और आजादी के बाद भी कई मायनों में राजधानी देहरादून से भी आगे माने जाने वाली सरोवरनगरी को राज्य बनने से कुछ मिला तो वह राज्य का उच्च न्यायालय है। दूसरे केंद्र सरकार की योजना से ही सही नैनी झील की सेहत में एरियेशन के जरिये कुछ हद तक सुधार हुआ है। इसके बाद यदि नैनीताल नगर ही नहीं जनपद की उपलब्धियां ढूंढी जाऐं तो उन्हें दिमाग पर जोर डालकर ही याद करना पड़ेगा। वहीं अनुपलब्धियों-उम्मीदों की बात करें तो जनपद वासियों द्वारा एक दशक से भी अधिक समय से देखे जा रहे हल्द्वानी में अंतराष्ट्रीय स्टेडियम, आईएसबीटी बनने, नैनीताल व भवाली में बाईपास जैसे कार्य आज भी ख्वाब ही हैं। राज्य बनने के बाद से मुख्यालय में विकास की एक ईट के नाम पर तल्लीताल में बहुउद्देश्यीय भवन का अधर में पड़ा निर्माण मुंह चुराता है, वहीं शहर में अनाधिकृत निर्माणों से कंक्रीट के जंगल खड़े हो गये। मुख्यालय से विकास भवन सहित दर्जनों सरकारी कार्यालय बाहर चले गये। नगर के दोनों फिल्म थियेटर बंद हो गये। 
यह हुआ 
  • उत्तराखंड उच्च न्यायालय बना 
  • काठगोदाम में सेक्रेटरियेट व रामनगर में भव्य लोनिवि गेस्ट हाउस 
  • दाबका, कालाढूंगी व काठगोदाम में पुल 
  • भवाली में उत्तराखंड न्यायिक एवं विधिक अकादमी-उजाला 
  • लालकुआ, रामनगर, कोश्यां-कुटौली व धारी तहसीलों का उच्चीकरण 
  • हल्द्वानी में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय 
  • हल्द्वानी नगर निगम का उच्चीकरण 

अनचाहे जो हो गया 
  • मुख्यालय से विकास, वन व जल निगम सहित दर्जनों विभागीय कार्यालय बाहर चले गए 
  • पुलिस के लिहाज से नैनीताल का परिक्षेत्रीय दर्जा घट गया 
  • मुख्यालय के दोनों सिनेमा थियेटर बंद हो गये 

उम्मीदें जो अभी भी हैं ख्वाब 
  • हल्द्वानी में अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम 
  • हल्द्वानी में आईएसबीटी 
  • नैनीताल व भवाली में बाईपास 
  • मुख्यालय में गरीबों के लिए भवन 
  • एनएच 87 का टू-लेन में विस्तारीकरण 
  • कुमाऊं विवि का भीमताल में परिसर 
  • भवाली में चेस्ट इंस्टिटय़ूट व आयुष ग्राम 
  • विधि विश्व विद्यालय का निर्माण 
  • बीडी पांडे जिला चिकित्सालय का जीर्णोद्धार

मंगलवार, 6 नवंबर 2012

'औरंगजेब' ने मचाई सरोवरनगरी में आफत, ताक पर रखे कायदे-कानून



ऋषि कपूर ने की सरोवरनगरी में शूटिंग
प्रशंसकों के साथ फोटो खिंचवाए, मीडिया से रहे दूर 
यशराज बैनर की फिल्म औरंगजेब की शूटिंग के लिए तीन दिनों से थे शहर में
नैनीताल (एसएनबी)। गुजरे जमाने के फिल्मस्टार ऋषि कपूर बीते तीन दिनों से सरोवरनगरी में हैं। मंगलवार को उन्होंने नैनी सरोवर के पूरे दो चक्कर लगाये, प्रशंसकों के साथ फोटो खिंचवाये, लेकिन मीडियाकर्मियों से दूरी बनाकर रहे। वह सरोवरनगरी की प्राकृतिक सुंदरता से खासे प्रभावित दिखे। मंगलवार को सुबह करीब साढ़े 10 बजे वह होटल से निकले, माल रोड होते हुए तल्लीताल पहुंचे और वहां से सीधे निकलने के बजाय गाड़ी कलेक्ट्रेट-राजभवन रोड की ओर मोड़कर वापस डीएसबी से मस्जिद तिराहे पर उतर गये और फिर नैनी सरोवर का दूसरा चक्कर भी लगाया। गौरतलब है कि ऋषि कपूर इन दिनों फिल्म औरंगजेब की शूटिंग में व्यस्त हैं। यह फिल्म अमिताभ स्टारर त्रिशूल फिल्म की रिमेक बताई जा रही है। इस फिल्म में वह खलनायक की भूमिका में हैं और प्रेम चोपड़ा वाला रोल कर रहे हैं। फिल्म में निर्माता निर्देशक बोनी कपूर के बेटे अर्जुन कपूर और मलयालम अभिनेता पृथ्वीराज नायक तथा पाकिस्तानी अभिनेत्री सलमा आगा की पुत्री साशा आगा उर्फ जारा नायिका की भूमिका में हैं। जैकी श्राफ व अमृता सिंह भी फिल्म में हैं। इधर तीन दिन से फिल्म की शूटिंग सरोवरनगरी के अयारपाटा क्षेत्र में स्थित एक कोठी में चल रही है।


'औरंगजेब' ने मचाई आफत, ताक पर रखे कायदे-कानून
नैनीताल (एसएनबी)। औरंगजेब फिल्म की शूटिंग के लिए तड़के से लोअर माल रोड पर वाहनों का आवागमन बंद कर दिया गया था। फोटो खींचने पर भी पाबंदी थी। यदि किसी ने फोटो खींच ली तो कैमरा छीनकर उसकी फोटो भी डिलीट करवा दी गई। अनेक लोगों से फिल्म यूनिट के सदस्यों की तकरार भी हुई। यही नहीं फिल्म यूनिट के लोगों ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेशों से नगर की वाहनों के लिए प्रतिबंधित ठंडी सड़क पर भी कायदे-कानूनों को ताक पर रखकर गाड़ियां दौड़ाई। मंगलवार को औरंगजेब फिल्म की शूटिंग लोअर माल रोड के तल्लीताल सिरे पर चुंगी और डांठ के पास हुई। यहां यूनिट के सदस्यों ने वाहनों पर कैमरा लगाकर लाल व नीली बत्ती लगी गाड़ियों को इस ओर से उस ओर दौड़ाते हुए सीन शूट किये।

बुधवार, 10 अक्तूबर 2012

नैनीताल ने देश को दिया ‘सदी का महानायक’

70 के हुए 70 के ज़माने के "शहंशाह"
अमिताभ के रोम-रोम में बसा है सरोवर नगरी का शेरवुड कालेज 
कहा था, यहां बिताए तीन दिन तीन सर्वाधिक प्रसन्न वर्षो सरीखे 
नवीन जोशी, नैनीताल। अभिनय के शहंशाह कहे जाने वाले और सदी के महानायक व बिग बी जैसे नामों से पुकारे जाने वाले अमिताभ बच्चन के बारे में कम लोग जानते होंगे कि उनकी अभिनय कला नैनीताल में ही अंकुरित हुई थी। यहीं के शेरवुड कालेज में प्रधानाचार्य ने भविष्य के अभिनय के शहंशाह को नाटक में अभिनय करने से रोक दिया था। बिग बी नैनीताल और शेरवुड को दिल से इस तरह प्यार करते हैं कि उन्हें यह कहने में भी संकोच नहीं होता कि वह आज जो कुछ भी हैं, शेरवुड की वजह से हैं। वर्ष 2008 में वह शेरवुड के तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव में शामिल हुए थे तो लौटकर अपने ब्लॉग में लिखा, शेरवुड में बिताये तीन दिन उनके जीवन के तीन सर्वाधिक प्रसन्न वर्षो जैसे थे। 
अमिताभ को वर्ष 1956 में जब पहली बार उनके पिता प्रख्यात कवि हरिवंश राय बच्चन ने नैनीताल के शेरवुड कालेज में नौवीं कक्षा में दाखिल कराया था, तब वह महज 14 वर्ष के किशोर थे। उनके छोटे भाई अजिताभ उनसे पहले शेरवुड में प्रवेश पा चुके थे। उन्हीं दिनों अमिताभ में अभिनय के बीज अंकुरित हो रहे थे। यहीं वह अन्य सहपाठियों की तरह हॉस्टल से छिपकर फिल्में देखने भी जाने लगे थे। यहीं उन्होेंने शेक्सपीयर के नाटक में अभिनय कर ‘ज्योफ्रे केंडल कप’ का पुरस्कार हासिल किया, जो उनके जीवन का पहला नाटक और पहला पुरस्कार कहा जाता है। इसी दौरान एक अनोखी घटना घटित हुई, जिसे अमिताभ आज भी याद रखते हैं। शेरवुड के तत्कालीन प्रधानाचार्य रेवरन आरसी लिवैलिन जिन्हें छात्र ‘लू’ भी कहा करते थे, ने अमिताभ को बीमार होने के कारण नाटक में अभिनय करने से रोक दिया था। अमिताभ इस घटना को याद करते हुए अपने ब्लॉग में लिखते हैं, वह स्कूल के चिकित्सालय में बेड पर बीमार पड़े हुऐ थे, तब उन्हें अपने बाबूजी की कविता की पंक्तियां याद आई, ‘मन का हो तो अच्छा, मन का न हो तो और भी अच्छा।’ बस इन्हीं पंक्तियों ने न केवल तब उन्हें आत्मिक ऊर्जा दी, वरन हमेशा उन्हें जीवन में आगे बढ़ने को प्रेरित किया। जून 2008 में उन्हें जब शेरवुड के तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव में आमंत्रित किया गया तो वह पत्नी जया, पुत्र अभिषेक व पुत्रवधू ऐश्वर्या और पारिवारिक मित्र अमर सिंह के साथ यहां पहुंचे। यहां के बाद उन्हें तत्काल अपनी ‘सरकार राज’ फिल्म के प्रमोशन एवं आइफा के कार्यक्रम में बैंकाक जाना था। वह नौ जून को दिल्ली ही पहुंचे थे कि अपने ब्लॉग में नैनीताल की यादों को संजोना नहीं भूले। उन्होंने लिखा, ‘वह शेरवुड में बिताये तीन दिनों से स्वयं को अलग नहीं कर पा रहे हैं। वह तीन दिन नहीं थे, उनके जीवन के तीन सर्वाधिक प्रसन्न वर्षो जैसे थे।’

पंत ने दिया था अमिताभ नाम
नाम नैनीताल। अमिताभ बच्चन 11 अक्टूबर 1942 को जब वह पैदा हुए थे, वह भारत छोड़ो आंदोलन का दौर था। उनके पिता के कवि मित्र सुमित्रानंदन पंत उन दिनों इलाहाबाद आये हुए थे। पंत ने नर्सिग होम में ही नवजात शिशु की ओर इशारा करते हुए कहा था- ‘देखो, कितना शांत बालक है, मानो ध्यानस्थ अमिताभ।’ कहते हैं बच्चन दंपति ने उनका नाम नामकरण संस्कार से पूर्व ही अमिताभ रख दिया था।

शेरवुड में होगी प्रार्थना सभा
नैनीताल। शेरवुड कालेज में अमिताभ के 70वें जन्म दिवस पर बृहस्पतिवार को विशेष प्रार्थना सभा होगी। कालेज के प्रधानाचार्य अमनदीप संधू ने बताया कि इस दौरान अमिताभ की दीर्घायु, सेहत एवं सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाएगी। उन्होंने कहा कि अमिताभ निस्संदेह शेरवुड के सबसे प्यारे और सम्माननीय छात्र हैं। वह शेरवुड का नाम आते ही सब कुछ पीछे छोड़ देते हैं।

मूलतः यहाँ भी देख सकते हैं :                                http://rashtriyasahara.samaylive.com/epapermain.aspx?queryed=14&eddate=10/11/2012

सोमवार, 10 सितंबर 2012

नैनीताल की मुहिम से इंडिया होगा क्लीन

 
नवीन जोशी, नैनीताल। नैनीताल तथा देश के अजमेर, गाजियाबाद, मेरठ, लखनऊ, इलाहाबाद व आगरा आदि नगर पंचतंत्र की कछुवे व खरगोश की कहानी से प्रेरित नजर आ रहे हैं। पांच वर्ष पूर्व एक आस्ट्रेलियाई नागरिक रैम्को वान्सान्टेन ने आस्ट्रेलिया में चल रही अपनी मुहिम ‘माई क्लीन कम्युनिटी’ की तर्ज पर नैनीताल नगर में भी अभियान शुरू किया था। देश में नैनीताल से ‘माई क्लीन नैनीताल’ के रूप में शुरू हुई यह मुहिम नैनीताल में तो वर्ष-दर-वर्ष धीमी पड़ती जा रही है। वहीं यह इन नगरों में गति पकड़ने हुए ‘माई क्लीन इंडिया’ बनती जा रही है। गाजियाबाद में तो इस मुहिम को मिसेज इंडिया र्वल्ड डा. उदिता त्यागी का साथ ही मिल गया है। 
रैम्को आस्ट्रेलिया के स्कारबौरौ शहर के रहने वाले सेवानिवृत्त केमिकल इंजीनियर तथा बीएससी, बीईसी व एमबीए डिग्रीधारी हैं। वे वर्ष 2004 में नैनीताल आये तो यहां की खूबसूरती के कायल हो गये। बस, एक कसक मन में उठी कि इस शहर को और अधिक साफ-सुथरा बनाया जाए। इसी कसक को लेकर वापस आस्ट्रेलिया लौटे तो मन के भीतर से आवाज आयी कि पहले अपना घर साफ करो, तब दूसरों का करो। बस क्या था। 'माई क्लीन कम्युनिटी' नाम की संस्था बनाकर अपने शहर को सामुदायिक सहभागिता के जरिये साफ करने का बीड़ा उठा लिया। इसके बाद वर्ष 2007 में नैनीताल लौटे और यहां के लोगों को भी इसी तरह से सफाई के लिए प्रेरित किया। 18 सितम्बर 1880 यानी नगर के महाविनाशकारी भूस्खलन के दिन हर वर्ष नैनीताल स्वच्छता दिवस मनाना तय हुआ। लोग काफी हद तक सफाई के प्रति जागे भी, और यह आरोप भी लगा कि जब कोई विदेशी आकर ही हमें हमारे घर की समस्या का समाधान बताता है, तभी हम देर से जागते हैं, और फिर जल्दी सो भी जाते हैं। हुआ भी यही। वर्ष दर वर्ष अभियान धीमा पड़ने लगा। वर्ष भर सोने के बाद 18 सितम्बर को सांकेतिक सफाई अभियान होने लगे, नगर में 'मिशन बटरफ्लाई' की शुरुआत  इसी अभियान के फलस्वरूप हुई, लेकिन यह अभियान भी 'संस्थाओं' के  लाभ के अतिरिक्त कुछ खास नहीं कर सका। न कूड़े का जैविक व अजैविक में विभक्तिकरण हुआ और न ही कूड़े का योजना के  जैविक खाद या प्लास्टिक संघनन के  साथ समूल नाश ही हो पाया। अभियान से कुछ दिन पूर्व नगर पालिका की अगुआई में वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह, उमेश तिवाड़ी ‘विश्वास’ व दिनेश डंडरियाल आदि स्कूली बच्चों को जागरूक करते जबकि 18 सितम्बर के कार्यक्रम में अधिकांश लोगों की भूमिका फोटो खिंचवाने तक सीमित होती। इधर अपनी मेहनत का सिला न मिलने से इस वर्ष इन लोगों का हौसला भी टूटने लगा था। गत दिवस हुई बैठक में श्री साह ने आस्ट्रेलियाई नागरिक रैम्को वान्सान्टेन ने वर्ष 2007 में शुरू की थी ‘माई क्लीन कम्युनिटी’ मुहिम मिसेज इंडिया र्वल्ड डा. इदिता त्यागी बढ़ा रहीं मुहिम को आगे कह भी दिया था कि अब आगे की पीढ़ी दायित्व संभाले। महिला मैत्री संस्था ने कुछ समय हर माह की 18 तारीख को नगर के वार्डों में सफाई की, यह सिलसिला भी काफी पहले टूट चुका है। इधर रैम्को अपनी मुहिम में लगे रहे। वह बताते हैं कि उनकी मुहिम पूरी दुनिया को सामुदायिक सहभागिता के जरिये साफ-सुथरा करने की है। इस मुहिम में उन्हें खासी सफलता भी मिल रही है। भारत में ही नैनीताल से प्रेरणा लेकर इलाहाबाद, आगरा, लखनऊ जैसे शहर अपने यहां ऐसे ही कार्यक्रम चलाने लगे। रैम्को बताते हैं-अजमेर, मेरठ व गाजियाबाद में यह मुहिम खासी तेजी से चल रही है। गाजियाबाद में मिसेज इंडिया वर्ल्ड डा. उदिता त्यागी अभियान से जुड़ गयी हैं और अभियान को खुद आगे बढ़ा रही हैं। रैम्को कहते हैं, नैनीतालवासी इस बात पर गर्व कर सकते हैं कि उनके यहां से शुरू हुई मुहिम ‘माई क्लीन इंडिया’ के रूप में देश भर में आगे बढ़ रही है।   

नैनीताल पहुंचे रैम्को, चार सप्ताह तक रहेंगे     
नैनीताल। ‘माई क्लीन नैनीताल’ मुहिम को ‘माई क्लीन इंडिया’ का विस्तार देने वाले अभियान के प्रणेता आस्ट्रेलियाई नागरिक रैम्को वान्सान्टेन नैनीताल पहुंच गये हैं। वह इस बार चार सप्ताह के लिए पत्नी डाई विल्सन के साथ भारत आये हैं। एक खास भेंट में उन्होंने नैनीताल में साफ-सफाई में काफी सुधार आने की बात भी कही। उन्होंने बताया कि 18 तक यहां अभियान में शामिल रहेंगे और उसके बाद एक से छह अक्टूबर तक अजमेर में स्कूली बच्चों के सहयोग से आयोजित होने जा रहे ‘माई क्लीन स्कूल’ मुहिम का हिस्सा बनेंगे। 

रैम्को की मुहिम को माई क्लीन इण्डिया वेबसाइट पर भी देखा जा सकता है।   

सोमवार, 3 सितंबर 2012

मॉडल चिड़ियाघर बनेगा नैनीताल जू


कस्तूरा मृग विहार का प्रबंधन भी अब नैनीताल जू से होगा, तिब्बती भेड़ियों के प्रजनन का केंद्र भी बनेगा
नैनीताल (एसएनबी)। भारत रत्न पंडित गोविन्द बल्लभ  प्राणी उद्यान यानी नैनीताल जू को देश के 26 चिड़ियाघरों के साथ मॉडल चिड़ियाघर में तब्दील किया जाएगा। इस बाबत केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने निर्णय ले लिया है। वहीँ अगले 10 वर्षो में छोटे चिड़ियाघर (स्मॉल जू) से मध्यम स्तर के चिड़ियाघर (मीडियम जू) में तब्दील किया जाएगा। इस हेतु जू की भविष्य की 10 वर्षीय योजना का रोड मैप प्रबंधकारिणी समिति की बैठक में प्रस्तुत किया गया। धरमघर बागेश्वर स्थित कस्तूरा मृग अनुसंधान केंद्र, वन्य जंतु ट्रीटमेंट, ट्रांजिट एवं रेस्क्यू सेंटर रानीबाग, हिमालयन बॉटेनिकल गार्डन नारायण नगर व ईको पार्क हनुमानगढ़ी नैनीताल आगे से नैनीताल जू की प्रबंध सोसायटी के  में होंगे। साथ ही नैनीताल जू को तिब्बती भेड़ियों के संरक्षित प्रजनन केंद्र एवं हिमालयी क्षेत्र के पक्षियों के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में स्थापित किया जाएगा। 
सोमवार को नैनीताल जू के प्रमुख सचिव वन एस. रामासामी की अध्यक्षता में आयोजित प्रबंध सोसायटी की बैठक में जू में वन्य जीवों के प्रबंधन एवं रखरखाव में क्षमता विकास व प्रशिक्षण हेतु अन्य संस्थानों व पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार से सहयोग लेने का निर्णय भी लिया गया। जू में सैलानियों को आकषिर्त करने के लिए पर्यटक सीजन में नैनीताल के मुख्य स्थानों पर जू से संबंधित फिल्म शो व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। जू में अंतरराष्ट्रीय स्तर की पर्यटक सुविधाएं विकसित करने, पर्यटकों के लिए पैकेज टूर विकसित करने का निर्णय भी लिया गया। बैठक में मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं परमजीत सिंह, कपिल जोशी, जू के निदेशक डा. पराग मधुकर धकाते, डीएम निधिमणि त्रिपाठी, एसएसपी डा. सदानन्द दाते, डा. भरत चन्द, विपिन तिवारी, नगर पालिका अध्यक्ष मुकेश जोशी, दिनेश चंद्र साह, अपर सचिव वन सुशांत पटनायक, सतीश चंद्र उपाध्याय, उमेश तिवारी आदि मौजूद थे।


कर्मचारियों को तोहफा सैलानियों को झटका

नैनीताल। नैनीताल जू के प्रशासनिक ढांचे को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है, साथ ही यहां कार्यरत कार्मिकों के कल्याण के लिए नियम बनाने का निर्णय लिया गया। वहीं जू में आने वाले सैलानियों को बड़ा झटका देते हुए प्राणी उद्यान में प्रवेश की दरों में दो गुना तक की बढ़ोतरी कर दी गई। अब जू में प्रवेश हेतु वयस्कों को 30 की जगह 50 रुपये एवं बच्चों को 10 की जगह 20 रुपये देने होंगे। राहत की बात है कि जू में कैमरे ले जाने का शुल्क समाप्त कर दिया गया है। जू की कैंटीन व नेचर शॉप को आगे पीपीपी मोड से संचालित करने पर भी विचार किया गया। जू में घूमने के लिए बच्चों को प्राम तथा बुजुगरे व विकलांगों के लिए बैट्री चालित वाहन संचालित करने का निर्णय लिया गया।

रविवार, 26 अगस्त 2012

तीसरी नैनीताल माउन्टेन मानसून मैराथन में कुमाऊँ रेजिमेंट का बर्चस्व


बालकों में भीमताल के दिनेश, बालिकाओं में मुजफ्फरनगर की रूबी और बुजुगरे में पंजाब के अजायब सिंह रहे अव्वल एन ट्रिफल एम
नैनीताल (एसएनबी)। देश-दुनिया की ‘हाई एल्टीटय़ूड ट्रेक’ पर आयोजित अपनी तरह की अनूठी 21 किमी लंबी व करीब दो लाख रुपये पुरस्कार की नैनीताल माउंटेन मानसून मैराथन (एन ट्रिपल एम) दौड़ के तीसरे संस्करण में उत्तराखंड पुलिस के मुकेश रावत की जीत का तिलिस्म टूट गया। कुमाऊं रेजीमेंट यानी केआरसी रानीखेत के बहादुर सिंह धोनी ने मुकेश को जीत की ‘तिकड़ी’ से दूर रखते हुए 50 हजार रुपये के पुरस्कार के साथ एन ट्रिपल एम प्रतियोगिता जीत ली। प्रतियोगिता में केआरसी का इस कदर वर्चस्व रहा कि प्रतियोगिता के शीर्ष पांच में तीन खिलाड़ी केआरसी के रहे। वहीं बालकों की पांच किमी दौड़ भीमताल के दिनेश कुमार ने, बालिकाओं की पांच किमी दौड़ में मुजफ्फरनगर की रूबी कश्यप ने तथा बुजुगरे की दौड़ में फतेहगढ़ साहिब पंजाब के अजायब सिंह ने जीती। रविवार को ‘रन टू लिव’ संस्था के तत्वावधान में आयोजित नैनीताल नगर की गत दो वर्षो से पहचान बन चुकी विश्व प्रसिद्ध नैनीझील एवं नगर की सात पहाड़ियों से होती हुई विश्व की कठिनतम मैराथन प्रतियोगिता-एन ट्रिपल एम का क्षेत्रीय सांसद व स्वयं एशियाई चैंपियन रहे केसी सिंह बाबा ने झंडी दिखाकर शुभारंभ किया। प्रतियोगिता की सबसे प्रतिष्ठित 21 किमी लंबी मैराथन दौड़ बहादुर धोनी ने एक घंटा 11 मिनट में पूरी कर पहला स्थान प्राप्त किया। दूसरे नंबर पर गत विजेता उत्तराखंड पुलिस के मुकेश रावत (1 घंटा 12 मिनट), तीसरे स्थान पर केआरसी के संतन सिंह (1 घंटा 13 मिनट), चौथे स्थान पर केआरसी के ही दीपक सिंह (1 घंटा 15 मिनट पांच सेकेंड) तथा पांचवें स्थान पर बीएसएफ के आरबी सुब्बा (1 घंटा 16 मिनट) रहे। स्कूली बालकों की पांच कि मी की दौड़ में सूर्यागांव भीमताल निवासी व एलपी इंका भीमताल के छात्र दिनेश कुमार प्रथम, रोहतक के मोहन लाल द्वितीय, सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के चेतन भौर्या तृतीय, यहीं के छत्रपति चतुर्थ एवं पवन कठायत पांचवें स्थान पर रहे। बालिकाओं में मुजफ्फरनगर यूपी की रूबी कश्यप, स्थानीय ऑल सेंट्स की शहनाज गमाल, मुजफ्फरनगर की शालू सैनी, लक्ष्मी कुमारी व मीनाक्षी कश्यप प्रथम चार स्थानों पर रहीं। सर्वाधिक रोचक मुकाबला 50 से अधिक उम्र के बुजुगरे की दौड़ में देखने को मिला, जिसे पंजाब के 58 वर्षीय अजायब सिंह ने प्रथम स्थान जीता, जबकि पिथौरागढ़ के कैलाश पुनेठा दूसरे व नगर के मल्लीताल कोतवाल विजय चौधरी तीसरे स्थान पर रहे। 68 वर्षीय सरदार त्रिपद सिंह ने चौथा, जीआइसी पटवाडांगर के प्रधानाचार्य एनसी कफल्टिया ने पांचवां तथा स्थानीय शेरवुड कालेज की शिक्षिकाओं प्रतिमा व सारा हॉफलेंड ने छठा व सातवां स्थान प्राप्त किया। ओपन मैन प्रतियोगिता में 85, बालकों में 396, बालिकाओं में 142 व बुजुगरे में सात प्रतिभागियों ने भाग लिया। वहीं नेत्रहीनों के कल्याणार्थ दौड़ी गई ‘रन फार फन’ प्रतियोगिता में 900 के करीब बच्चे व हर उम्र के लोग दौड़े। इस प्रतियोगिता में ड्रा के आधार पर 20 प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। आयोजन में सर्वाधिक प्रतिभागी देने के लिए एसओएस हरमन माइनर भीमताल, सहयोग हेतु वृंदावन पब्लिक स्कूल व रामा मांटेसरी स्कूल, बंगलुरु में चैरिटी के लिये 100 किमी की दौड़ दौड़ने वाले नगर के धावकों सुमित साह, संदीप साह व दिनेश सिंह, शेरवुड की अंतरराष्ट्रीय मुथाई खिलाड़ी सुरभि एवं मल्लीताल कोतवाल विजय चौधरी को सम्मानित किया गया। इस आयोजन में शेरवुड के प्रधानाचार्य अमनदीप संधू, एलआईसी के वरिष्ठ मंडलीय प्रबंधक शिवेंद्र कुमार, एसबीआई के शाखा प्रबंधक केएस राणा, कूर्माचल बैंक के चेयरमैन आलोक साह, अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी सुरेश पांडे, कोच रमेश खर्कवाल, आयोजक संस्था के अध्यक्ष पूर्व ओलंपियन राजेंद्र रावत, सचिव अंतरराष्ट्रीय धावक रहे हरीश तिवारी, भूपाल नयाल, पंकज तिवारी, विजय साह, प्रेम बिष्ट, वीरेंद्र साह, आलोक साह व वासु साह आदि मौजूद थे। 

रविवार, 5 अगस्त 2012

.....तो झील के ऊपर भी हो सकेंगे निर्माण !



  • नैनीताल महायोजना के संशोधित परिक्षेत्रीय विनियमन का हुआ अनुमोदन
  • विशेष परिस्थितियों में सूखाताल झील की तीन मीटर परिधि तथा हरित व वनाच्छादित क्षेत्रों में भी मिल सकेगी निर्माणों की स्वीकृति
  • विद्यमान भवनों की कंपाउंडिंग का रास्ता खुला, विद्यमान की परिभाषा साफ नहीं


नवीन जोशी,  नैनीताल। एक ओर जहां नैनीताल झील परिक्षेत्र में सरकार निर्माण कायरे को हतोत्साहित करने का ढोल बजाती रही है, वहीं झील के ऊपर तथा नगर के हरित एवं वनाच्छादित क्षेत्रों में भी निर्माणों को अनुमति देने का प्रबंध कर लिया गया है। नैनीताल झील परिक्षेत्र विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण की महायोजना के अध्याय-12 में उल्लेखित परिक्षेत्रीय विनियमन में संशोधन कर ‘विशेष परिस्थितियों’ का उल्लेख करते हुए इसके लिए खास तौर पर रास्ता निकाल लिया गया है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों पर नगर में निर्माणों पर कई तरह के प्रतिबंध हैं। झील विकास प्राधिकरण पर नगर में निर्माणों को प्रतिबंधित करने की जिम्मेदारी है, जिससे अभी हाल ही में नक्शे पास करने की जिम्मेदारी पालिका को देकर निर्माणों पर और अधिक सख्ती बरतने के सीएम स्तर से संकेत दिए गए हैं। वहीं इसके उलट प्रमुख सचिव एस. राजू के हस्ताक्षरों से नैनीताल महायोजना के अध्याय-12 में संशोधन के उपरांत अनुमोदित संशोधित भू उपयोग परिक्षेत्रीय विनियमन जारी कर दिया गया है, जिसमें नैनीताल झील परिक्षेत्र के कमोबेश हर क्षेत्र में विशेष परिस्थितियों का जिक्र करते हुए निर्माण की अनुमति देने में नियमों को बड़े स्तर पर शिथिल किया गया है। वहीं विनियमन के आखिरी हिस्से में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र यूज जोन का हिस्सा चौंकाने वाला है। झील किनारे के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में सामान्य परिस्थितियों में तो रिटेनिंग वाल, ब्रेस्ट वाल, पार्क, उद्यान व पार्किग को छोड़कर किसी तरह के निर्माण व विकास कार्य अनुमन्य नहीं हैं, लेकिन विशेष परिस्थितियों में नगर की सूखाताल झील के अधिकतम जल सतह सीमा से न्यूनतम तीन मीटर ऊपर की परिधि के क्षेत्र में एकल आवासीय निर्माण तथा विद्यमान भवनों के पुनर्निर्माण सिंचाई विभाग की अनापत्ति पर अनुमन्य होंगे। इसी तरह विशेष वनाच्छादित क्षेत्र में भी सामान्यतया तो किसी भी प्रकार का विकास अनुमन्य नहीं होगा, लेकिन विशेष परिस्थितियों में वन विभाग की अनापत्ति एवं क्षेत्र व स्थल विशेष के सुरक्षित होने के बाबत भूवैज्ञानिक की पुष्टि होने पर विद्यमान भवन परिसर में विद्यमान भवनों का पुनर्निर्माण या उसी नींव पर अनुमन्य कुल भू-आच्छादन के स्तर तक नव निर्माण भी हो सकेंगे। इसी तरह विशेष परिस्थितियों में क्रीड़ा एवं खुले स्थल, गोल्फ कोर्स, वन्य जीव पार्क एवं उद्यान तथा वन व हरित क्षेत्र में भी विशेष परिस्थितियों में निर्माणों की अनुमति देने में खासी छूट दी गई है।

नैनी झील सूखने का खतरा


नैनीताल। इस बारे में पूछे जाने पर पर्यावरण एवं नैनी झील में निर्माणों के बाबत सर्वोच्च न्यायालय में कई पीआईएल दाखिल कर चुके डा. अजय रावत ने कहा कि नैनीताल 1930 व 1950 के शासकीय नोटिफिकेशन में असुरक्षित क्षेत्र घोषित है, वहीं नगर का हरित पट्टी क्षेत्र मास्टर प्लान में शामिल है, इसलिए ऐसे क्षेत्रों के बाबत संशोधित किया ही नहीं जा सकता। इससे नगर के जंगलों के खत्म होने का खतरा है। सूखाताल झील, नैनी झील में 40 फीसद से अधिक प्राकृतिक जल स्रेतों का जलागम है, लिहाजा ऐसा होने से नैनी झील के जल्द ही पूरी तरह सूख जाने का खतरा उत्पन्न हो जाएगा। वह इस बाबत संशोधन जारी करने वाले प्रमुख सचिव एस. राजू को अपनी लिखित आपत्ति देने जा रहे हैं।

लोगों की मांग पर हुए संशोधन

नैनीताल। इस बारे में झील विकास प्राधिकरण के सचिव हरीश चंद्र सेमवाल ने कहा कि संभवतया शासन ने स्थानीय लोगों की मांग पर ही नया जोनल रेगुलेशन किया गया है। ऐसे क्षेत्रों में निर्माण के प्रस्ताव आने पर प्राधिकरण की बैठक में र्चचा के उपरांत अनुमोदन मिलने पर ही निर्माणों की अनुमति दी जाएगी।

गुरुवार, 19 जुलाई 2012

अंग्रेजों के जमाने की सिफारिशें बचाएंगी नैनीताल को !



  • फिर खुली 1869-1873 की ‘हिल साइड सेफ्टी कमेटी’ की फाइल 
  • राज्यपाल की पहल पर लोनिवि ने तैयार किया नैनीताल की सुरक्षा के लिए 58 करोड़ रुपये के सुरक्षा कार्यों का प्रस्ताव 
नवीन जोशी नैनीताल। आखिर नैनीताल प्रशासन को 1869 एवं 1873 में सरोवरनगरी की सुरक्षा के बाबत महत्वपूर्ण सिफारिशें देने वाली हिल साइड सेफ्टी कमेटी (पूरा नाम रेगुलेशन इन कनेक्शन विद हिल साइड सेफ्टी एंड लेक कंट्रोल, नैनीताल) की याद आ गई है। इस समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय एवं निर्माण खंडों ने संयुक्त रूप से 58.02 करोड़ रुपयों का प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसे विभागीय स्तर पर अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता आदि से होते हुए शासन को भेजा जाना है। खास बात यह है कि यह प्रस्ताव प्रदेश के राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी की पहल पर तैयार किया गया है। गौरतलब है कि देश-प्रदेश के महत्वपूर्ण व भूकंपीय संवेदनशीलता के लिहाज से जोन-चार में रखे गये नैनीताल नगर की कमजोर भूगर्भीय संरचना के कारण नगर की सुरक्षा पर अंग्रेजों के दौर से ही चिंता जताई रही है। नगर में अंग्रेजी दौर में 1867, 1880,1898 व 1924 में भयंकर भूस्खलन हुआ था। 1880 के भूस्खलन ने तो 151 लोगों को जिंदा दफन करने के साथ ही नगर का नक्शा ही बदल दिया था। इसी दौर में 1867 और 1873 में अंग्रेजी शासकों ने नगर की सुरक्षा के लिए सर्वप्रथम कुमाऊं के डिप्टी कमिश्नर सीएल विलियन की अध्यक्षता में अभियंताओं एवं भूगर्भ वेत्ताओं की हिल साइड सेफ्टी कमेटी का गठन किया था। इस समिति ने समय-समय पर अनेक रिपोर्टे पेश कीं, जिनके आधार पर नगर में बेहद मजबूत नाला तंत्र विकसित किया गया, जिसे आज भी नगर की सुरक्षा का मजबूत आधार बताया जाता है। इस समिति की 1928 में नैनी झील, पहाड़ियों और नालों के रखरखाव के लिए जारी समीक्षात्मक रिपोर्ट और 1930 में जारी स्टैंडिंग आर्डरों को ठंडे बस्ते में डालने के आरोप शासन-प्रशासन पर लगातार रहते हैं, और इसी को नगर के वर्तमान हालातों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इधर, गत पांच जुलाई को प्रदेश के राज्यपाल ने नैनीताल राजभवन में नगर की सुरक्षा के मद्देनजर गणमान्य नागरिकों व जानकार लोगों तथा संबंधित विभागीय अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक ली थी। इसके बाद तेज गति से दौड़े लोनिवि ने नगर की पहाड़ियों में हो रहे भूस्खलन व कटाव के लिए नगर के कुल 62 में से नैनी झील के जलागम क्षेत्र के 42 नालों में से अधिकांश के क्षतिग्रस्त होने को प्रमुख कारण बताया है, तथा इनका सुधार आवश्यक करार दिया है। इन कायरे के लिए प्रांतीय खंड के अधीन 13.32 करोड़ एवं निर्माण खंड के अधीन 44.69 करोड़, कुल 5801.6 लाख यानी करीब 58.02 करोड़ रुपये के कायरे का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। लोनिवि प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता ने उम्मीद जताई कि जल्द प्रस्तावों को शासन से अनुमति मिल जाएगी। बहरहाल, माना जा रहा है कि यदि राज्यपाल के स्तर से हुई इस पहल पर शासन में अमल हुआ तो नैनीताल की पुख्ता सुरक्षा की उम्मीद की जा सकती है। 



प्रस्ताव के प्रमुख बिंदु 

  • राजभवन की सुरक्षा को नैनीताल बाईपास से गोल्फ कोर्स तक निहाल नाले में बचाव कार्य 
  • नालों की मरम्मत एवं पुनर्निर्माण होगा 
  • आबादी क्षेत्र के नाले स्टील स्ट्रक्चर व वेल्डेड जाली से ढकेंगे 
  • नालों के बेस में सीसी का कार्य नालों एवं कैच पिट से मलबा निस्तारण 
  • नाला नंबर 23 में यांत्रिक विधि से मलबा निस्तारण हेतु कैच पिटों का निर्माण 
  • मलबे के निस्तारण के लिए दो छोटे वाहनों की खरीद



राजभवन की सुरक्षा को 38.71 करोड़ का प्रस्ताव
नैनीताल। लोनिवि द्वारा तैयार 58.02 करोड़ के प्रस्तावों में सर्वाधिक 38.71 करोड़ रुपये नैनीताल राजभवन की सुरक्षा के लिए निहाल नाले के बचाव कायरे पर खर्च किये जाएंगे। लोनिवि की रिपोर्ट में नैनीताल राजभवन से लगे गोल्फ कोर्स के दक्षिणी ढाल की तरफ 20- 25 वर्षो से जारी भूस्खलन पर भी चिंता जताते हुए इस नाले से लगे नये बन रहे नैनीताल बाईपास से गोल्फ कोर्स तक की पहाड़ी की प्लम कंक्रीट, वायर क्रेट, नाला निर्माण, साट क्रीटिंग व रॉक नेलिंग विधि से सुरक्षा किये जाने की अति आवश्यकता बताई गई है।