जीर्णोद्धार कार्यों के दौरान छत की ओर से फैली आग पीएसी व पुलिसकर्मियों की सक्रियता से टला हादसा जाम लगने से फायर ब्रिगेड को पहुंचने में हुआ विलम्ब
नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश ही नहीं देश की शान, 1899 में अंग्रेजों द्वारा निर्मित ऐतिहासिक नैनीताल राजभवन में मंगलवार 2 अप्रैल 2013 को अमंगल होते-होते टल गया। राजभवन में आग लगने से हड़कंप मच गया। करीब 10.6 करोड़ रुपये की लागत से चल रहे राजभवन के जीर्णोद्धार कार्यों के दौरान आग लगी। पीएसी एवं पुलिसकर्मियों की मुस्तैदी से राजभवन में लगे ऑटोमैटिक सुरक्षा उपकरणों से आग अधिक फैलने से रुक गई। आग से छत में लगाए जा रहे तख्ते व अन्य निर्माण सामग्री चपेट में आई है। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया। इससे पूर्व 5 जनवरी 1970 को भी राजभवन में अग्निकांड हुआ था।
मंगलवार अपराह्न करीब सवा दो बजे नैनीताल राजभवन में तैनात पीएसी कर्मी जावेद खान ने राजभवन की छत की ओर हल्का धुआं उड़ता हुआ देखा तो उसने तत्काल शोर मचाकर अन्य साथियों और उच्चाधिकारियों को सूचित किया। 2.38 बजे तक यह सूचना जिले के पुलिस कप्तान और पुलिस सीओ हरीश कुमार सिंह तक पहुंच गई, उसके तत्काल बाद नगर की फायर ब्रिगेड को सूचना देने के साथ ही हल्द्वानी और रामनगर से भी फायर ब्रिगेड को मुख्यालय पहुंचने के आदेश दे दिये गए। आग राजभवन के प्रेसीडेनसिअल ब्लाक के शूइट नं. चार की छत से शुरू हुई थी, और तब तक राजभवन के छत की बीचों-बीच स्थित बुर्ज पर नजर आने लगी थी और दांई ओर चल रहे जीर्णोद्धार कार्यों की ओर तेजी से फैलने लगी थी। इससे छत एवं सीलिंग के बीच धुआं भर गया था। फायर ब्रिगेड के वाहनों को राजभवन मार्ग पर इसी बीच स्कूलों की छुट्टी होने के कारण लगे जाम में फंसते हुए काफी समय लगा, बहरहाल उनके पहुंचते ही पीएसी एवं पुलिस के जवानों ने अग्निशमन कर्मियों के साथ सतर्कता का परिचय देते हुए खिड़कियों को तोड़कर आग बुझाने की कोशिश में जुट गये। एसएसपी डा. सदानंद दाते स्वयं बुर्ज पर चढ़कर आग बुझाने के लिए पुलिसकर्मियों को निर्देशित कर रहे थे। अंतत: करीब साढ़े तीन बजे आग पर पूरी तरह काबू पा लिया गया। बताया जा रहा है कि आग से जीर्णोद्धार के क्रम में राजभवन की छत पर लगाए जा रहे तख्ते एवं उसके नीचे बिछाए जा रहे इमल्सन (एपीपी सीट) आदि का नुकसान हुआ है। राजभवन का जीर्णोद्धार इंडिया गुनाइटिंग कारपोरेसन नामक कंपनी द्वारा किया जा रहा है। इस कंपनी के कामगार गैस हीटर से अग्नि व जलरोधी एपीपी सीट चिपकाने का काम कर रहे थे। संभवत: हीटर की चिंगारी से ही आग लगी। आग लगने के समय कंपनी के कामगार दोपहर का भोजन कर रहे थे। बहरहाल आग को राजभवन के बांयें हिस्से में फैलने से पहले ही रोक लिया गया, उस ओर राजभवन के महत्वपूर्ण फर्नीचर एवं अन्य महत्वपूर्ण सामान रखे गए थे। डीएम निधिमणि त्रिपाठी, एसडीएम रवि झा, कोतवाल बीबीडी जुयाल, थाना प्रभारी उत्तम सिंह, फायर ब्रिगेड के बीसी जोशी, लक्ष्मण सिंह, राजेंद्र नाथ, मुकेश कुमार, प्रेमप्रकाश राणा, एसएसआई कैलाश जोशी, लोनिवि के अभियंता एबी कांडपाल, आरएन तिवारी व राजीव गुरुरानी आदि ने भी आग बुझाने में जुटे रहे।
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