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शनिवार, 1 नवंबर 2014

नैनी झील में राष्ट्रीय पाल नौकायन प्रतियोगिता शुरू


नैनीताल (एसएनबी)। शरदोत्सव के बाद प्रदेश के राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी ने सरोवरनगरी की एक और टूटी परंपरा को जोड़ दिया है। अंग्रेजी दौर के बाद नैनी झील में राष्ट्रीय स्तर की गवर्नर्स गोल्ड कप सेलिंग रिगाटा (पाल नौकायन प्रतियोगिता)-2014 का आयोजन किया जा रहा है। नैनीताल याट क्लब व नैनीताल बोट हाउस क्लब के संरक्षक राज्यपाल डा. कुरैशी ने शुक्रवार को प्रतियोगिता का औपचारिक उद्घाटन किया। इस दौरान राज्यपाल ने पाल नौकाओं और पाल नौकायन को नैनीताल की पहचान बताते हुए उम्मीद जताई कि इस जलक्रीड़ा के माध्यम से नैनीताल और प्रदेश के पर्यटन और खासकर साहसिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। सेलिंग रिगाटा इस शहर को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर और अधिक आकर्षक गंतव्य स्थल के रूप में स्थापित करने में सहायक होगी। उन्होंने इसे नैनीताल शरदोत्सव में जुड़ा एक नया आयाम भी बताया तथा प्रतियोगिता में शामिल हो रही इंचियोन एशियाई खेलों की देश के लिए सबसे युवा कांस्य पदक विजेता खिलाड़ी वर्षा गौतम, ऐश्वर्या एन को बधाई भी दी। इस अवसर पर राज्यपाल ने गवर्नर्स गोल्ड कप सेलिंग रिगाटा की स्मारिका का भी विमोचन किया। इस अवसर पर नैनीताल याट क्लब के कमोडोर बीर श्रीवास्वत, रिटार्यड वाइस एडमिरल एआर टंडन, सबसे वयोवृद्ध सेलर डीएस मजीठिया, सीता नंदा, डीएम अक्षत गुप्ता, कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. एचएस धामी, नगर पालिकाध्यक्ष श्याम नारायण, सूचना महानिदेशक रविनाथ रमन, एसएसपी विम्मी सचदेवा रमन, एएसपी श्वेता चौबे, अरविंद प्रसाद, मुकुंद प्रसाद, विशाल खन्ना, आरएल नंदा, धनुषबीर सिंह, टी जायसवाल आदि उपस्थित रहे।
एकता दिवस दौड़ को समर्पित की नौका दौड़
नैनीताल। राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी ने नैनी झील में आयोजित हुई पाल नौकायन प्रतियोगिता को शुक्रवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर देश के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल की 139वीं जयंती पर शुरू हुई एकता दौड़ को समर्पित किया। पत्रकार वार्ता में उन्होंने यह बात कही। उन्होंने प्रधानमंत्री की देश को साफ रखने की पहल का भी खुले दिल से स्वागत किया। वहीं पत्रकारों द्वारा देश की पहली महिला प्रधानमंत्री की पुण्यतिथि की बाबत याद दिलाए जाने पर राज्यपाल ने कहा कि हां, यह एक दु:खद दिन भी है। इस दिन खुश नहीं हुआ जा सकता। इस दौरान उन्होंने पिछले वर्ष केदारनाथ घाटी में आई आपदा को याद करते हुए खेलों को मौत के बीच जीवन में उल्लास वापस लाने का उपकरण भी बताया।

नैनीताल तमिलनाडु व नेवी ने जीते मुकाबले
नैनीताल (एसएनबी)। सरोवरनगरी की विश्व प्रसिद्ध नैनी झील में शुक्रवार से शुरू हुई राष्ट्रीय स्तर की गवर्नर्स गोल्ड कप सेलिंग रिगाटा (पाल नौकायन प्रतियोगिता) में मेजबान नैनीताल की एनटीवाईसी यानी नैनीताल याट क्लब, तमिलनाडु की तमिलनाडु सेलिंग एसोसिएशन और भारतीय नौ सेना की टीमों ने एक-एक दौड़ जीतकर एक-एक अंक हासिल कर लिए जबकि भारतीय थल सेना (आर्मी) की टीम पहले दिन मुकाबला नहीं जीत पाई। आगे शनिवार को राउंड रॉबिन आधार के अन्य तीन मुकाबलों से फाइनल में पहुंचने वाली टीमों का निर्धारण होगा। दिन की पहली दौड़ मेजबान एनटीवाईसी के नाम रही। एनटीवाईसी के लिए कैप्टन अरविंद प्रसाद व वीर श्रीवास्तव, मुकुंद प्रसाद व विशाल खन्ना, कवीश नंदा व कवि नंदा व गौरव सनवाल व अनिरुद्ध ढौंडियाल चार नावों पर बतौर स्किपर व क्रू सदस्य खेले और पहली दौड़ में आर्मी को 13- 23 के अंतर से हराया। वहीं तमिलनाडु व नेवी का मुकाबला 22-25 के अंतर से नेवी के पक्ष में रहा, जबकि आखिरी मैच में पूर्व रजत पदक विजेता खिलाड़ी एसएस यादव की अगुआई में खेली तमिलनाडु ने एनटीवाईसी को आखिरी क्षणों में एक नौका के कमतर प्रदर्शन की वजह से हराने में सफलता पाई। प्रतियोगिता का निर्णय इंचियोन एशियाई खेलों में भी अम्पायर रहे कमोडोर एएस पटनकर सहित अंतरराष्ट्रीय अंपायरों रवि संथानम व नीलिमा साह के द्वारा किया गया। थल सेना की टीम पहले ही दिन मुकाबला हारी

रोमांचित हुई देश के लिए सबसे कम उम्र 16 एवं 18 की उम्र में कांस्य पदक दिलाने वाली सेलिंग खिलाड़ी
नैनीताल। गत दिनों आयोजित हुए इंचियोन एशियाई खेलों में देश के लिए सबसे कम उम्र 16 एवं 18 की उम्र में कांस्य पदक दिलाने वाली सेलिंग खिलाड़ी वर्षा गौतम एवं ऐश्वर्या एन ने कहा कि वह सामान्यतया तमिलनाडु के समुद्र तटों पर सेलिंग (पाल नौकायन) करती हैं। नैनीताल में पाल नौकायन खेल के रूप में उनका अनुभव बेहद अच्छा रहा। ऐसी रंग-बिरंगी पाल नौकाएं उन्होंने अब तक कहीं नहीं देखीं। इससे वह काफी प्रभावित हुई हैं। आगे यहां के अनुभवों व इस स्थान एवं यहां की रंग-बिरंगी पाल नौकाओं को देश के सेलिंग मानचित्र में आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगी। उन्होंने कहा कि स्थानीय युवाओं के लिए यहां से सेलिंग सीख कर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में आगे बढ़ने के असीम अवसर उपलब्ध हैं। सेलिंग रिगाटा के अवसर पर एशियन खेलों में कांस्य पदक विजेता खिलाड़ी वर्षा व ऐश्वर्या।

मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

नैनीताल राजभवन में आग, फिर मंगल को सामने आया अमंगल

जीर्णोद्धार कार्यों के दौरान छत की ओर से फैली आग पीएसी व पुलिसकर्मियों की सक्रियता से टला हादसा जाम लगने से फायर ब्रिगेड को पहुंचने में हुआ विलम्ब
नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश ही नहीं देश की शान, 1899 में अंग्रेजों द्वारा निर्मित ऐतिहासिक नैनीताल राजभवन में मंगलवार 2 अप्रैल 2013 को अमंगल होते-होते टल गया। राजभवन में आग लगने से हड़कंप मच गया। करीब 10.6 करोड़ रुपये की लागत से चल रहे राजभवन के जीर्णोद्धार कार्यों के दौरान आग लगी। पीएसी एवं पुलिसकर्मियों की मुस्तैदी से राजभवन में लगे ऑटोमैटिक सुरक्षा उपकरणों से आग अधिक फैलने से रुक गई। आग से छत में लगाए जा रहे तख्ते व अन्य निर्माण सामग्री चपेट में आई है। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया। इससे पूर्व 5 जनवरी 1970 को भी राजभवन में अग्निकांड हुआ था। 
मंगलवार अपराह्न करीब सवा दो बजे नैनीताल राजभवन में तैनात पीएसी कर्मी जावेद खान ने राजभवन की छत की ओर हल्का धुआं उड़ता हुआ देखा तो उसने तत्काल शोर मचाकर अन्य साथियों और उच्चाधिकारियों को सूचित किया। 2.38 बजे तक यह सूचना जिले के पुलिस कप्तान और पुलिस सीओ हरीश कुमार सिंह तक पहुंच गई, उसके तत्काल बाद नगर की फायर ब्रिगेड को सूचना देने के साथ ही हल्द्वानी और रामनगर से भी फायर ब्रिगेड को मुख्यालय पहुंचने के आदेश दे दिये गए। आग राजभवन के प्रेसीडेनसिअल ब्लाक के शूइट नं. चार की छत से शुरू हुई थी, और तब तक राजभवन के छत की बीचों-बीच स्थित बुर्ज पर नजर आने लगी थी और दांई ओर चल रहे जीर्णोद्धार कार्यों की ओर तेजी से फैलने लगी थी। इससे छत एवं सीलिंग के बीच धुआं भर गया था। फायर ब्रिगेड के वाहनों को राजभवन मार्ग पर इसी बीच स्कूलों की छुट्टी होने के कारण लगे जाम में फंसते हुए काफी समय लगा, बहरहाल उनके पहुंचते ही पीएसी एवं पुलिस के जवानों ने अग्निशमन कर्मियों के साथ सतर्कता का परिचय देते हुए खिड़कियों को तोड़कर आग बुझाने की कोशिश में जुट गये। एसएसपी डा. सदानंद दाते स्वयं बुर्ज पर चढ़कर आग बुझाने के लिए पुलिसकर्मियों को निर्देशित कर रहे थे। अंतत: करीब साढ़े तीन बजे आग पर पूरी तरह काबू पा लिया गया। बताया जा रहा है कि आग से जीर्णोद्धार के क्रम में राजभवन की छत पर लगाए जा रहे तख्ते एवं उसके नीचे बिछाए जा रहे इमल्सन (एपीपी सीट) आदि का नुकसान हुआ है। राजभवन का जीर्णोद्धार इंडिया गुनाइटिंग  कारपोरेसन नामक कंपनी द्वारा किया जा रहा है। इस कंपनी के कामगार गैस हीटर से अग्नि व जलरोधी एपीपी सीट चिपकाने का काम कर रहे थे। संभवत: हीटर की चिंगारी से ही आग लगी। आग लगने के समय कंपनी के कामगार दोपहर का भोजन कर रहे थे। बहरहाल आग को राजभवन के बांयें हिस्से में फैलने से पहले ही रोक लिया गया, उस ओर राजभवन के महत्वपूर्ण फर्नीचर एवं अन्य महत्वपूर्ण सामान रखे गए थे। डीएम निधिमणि त्रिपाठी, एसडीएम रवि झा, कोतवाल बीबीडी जुयाल, थाना प्रभारी उत्तम सिंह, फायर ब्रिगेड के बीसी जोशी, लक्ष्मण सिंह, राजेंद्र नाथ, मुकेश कुमार, प्रेमप्रकाश राणा, एसएसआई कैलाश जोशी, लोनिवि के अभियंता एबी कांडपाल, आरएन तिवारी व राजीव गुरुरानी आदि ने भी आग बुझाने में जुटे रहे।

शुक्रवार, 1 जून 2012

डाक्टर, शिक्षकों की कमी के लिए सरकार नहीं लोग खुद दोषी: राज्यपाल


कहा-समाज में इतना दम हो कि उन्हें पहाड़ पर रहने को मजबूर कर दे : अजीज कुरैशी
राज्यपाल ने शासन-प्रशासन का किया बचाव

नैनीताल (एसएनबी)। राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी ने कहा कि पहाड़ पर शिक्षकों एवं चिकित्सकों की कमी के लिए प्रदेश का शासन-प्रशासन या सरकार जिम्मेदार नहीं है। सरकार उनकी (शिक्षकों- चिकित्सकों  की) तैनाती कर अपनी जिम्मेदारी निभाती है, पर वह वहां रहते ही नहीं। राजनीतिक दबाव का सहारा लेकर सुगम मैदानों में चले आते हैं। उन्होंने सीधे तौर पर समाज को भी ऐसी स्थितियों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए समाज में ऐसा दम जाग्रत करने का आह्वान किया जिससे वह शिक्षकों, चिकित्सकों को पहाड़ पर सेवाएं देने के लिये मजबूर कर दे। डा. कुरैशी शुक्रवार को राजभवन गोल्फ क्लब में पत्रकारों के सवालों के जवाब दे रहे थे। प्रदेश में उच्च शिक्षा की स्थिति व शिक्षकों की कमी के बारे में पूछे गये एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि अपने बद्रीनाथ यात्रा के दौरे के दौरान उन्होंने पहाड़ की समस्याओं को करीब से जाना है। सरकार शिक्षकों व चिकित्सकों के प्रशिक्षण से लेकर नियुक्ति पर भारी-भरकम धनराशि खर्च करती है, बावजूद वह पहाड़ों पर टिकते नहीं हैं। उन्हें अपना दायित्व समझना चाहिए। राज्यपाल ने प्रदेश के लोगों की यह कहकर प्रशंसा भी की कि वह बेहद सच्चे, सरल व मेहनती हैं, उन्हें ऐसे शिक्षकों व चिकित्सकों को पहाड़ पर रुकने के लिए मजबूर करना चाहिए। बजट पढ़ना नहीं आता : प्रदेश के बजट पर पूछे गये सवाल को राज्यपाल ने यह कहकर टाल दिया कि उन्हें बजट पढ़ना ही नहीं आता है। उन्होंने प्रदेश की स्थितियों को खराब मानने से इनकार करते हुए कहा कि सुधार की हमेशा गुंजाइश होती है, सुधार हो रहा है।