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शनिवार, 8 मार्च 2014

महिला दिवस पर सुखद खबर: नैनीताल में सुधरा लिंगानुपात



  • साल 2013-14 में लिंगानुपात 945.5 से ज्यादा, पिछले साल 921 था 
  • दूरस्थ इलाकों में स्थिति अब भी चिंताजनक
नवीन जोशी, नैनीताल। जी हां, मां नयना के साथ नंदा व सुनंदा की नगरी सरोवरनगरी में बालिकाओं के पक्ष में सुखद समाचार आया है। जहां देश व प्रदेश में छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों में लिंगानुपात वर्ष 2011-12 के 879 से नीचे गिरकर 2012-13 में 866 हो गया है, वहीं नगर में नए पैदा हुए बच्चों के मामले में 2013-14 में लिंगानुपात 945.5 से अधिक के स्तर पर पहुंच गया है, जबकि बीते वर्ष यह 921 रहा था। उल्लेखनीय है कि जीव वैज्ञानिक व प्राकृतिक दृष्टिकोण से प्रकृति में बेहतर सामंजस्य के लिए 983 को आदर्श लिंगानुपात माना जाता है, लेकिन बीते वर्षो में प्रसव पूर्व जांच व एक या दो बच्चे ही पैदा करने की प्रवृत्ति के चलते लिंगानुपात तेजी से घटते हुए चिंताजनक स्थिति में जा पहुंचा है। खासकर शून्य से छह वर्ष के बच्चों के मामले में लिंगानुपात वर्ष 2011 में 886 था जो 2012 में और घटकर 800 से नीचे आ गया। वहीं कुमाऊं मंडल व जिला मुख्यालय में पैदा हो रहे बच्चों में लिंगानुपात के आंकड़े काफी हद तक सुखद कहे जा सकते हैं। यहां वर्ष 2012-13 की बात करें तो कुल पैदा हुए 634 बच्चों में से 330 बालक और 304 बालिकाएं थीं। इस प्रकार लिंगानुपात 921 रहा है। वहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष में अप्रैल 13 से फरवरी 14 माह तक के प्राप्त आंकड़ों के अनुसार यहां पैदा हुए 607 बच्चों में से 312 बालक और 295 बालिकाएं पैदा हुई हैं। इस प्रकार लिंगानुपात 945.5 से भी अधिक रहा है, जो बेहद सुखद कहा जा रहा है। अस्पताल की सीएमएस डा. विनीता सुयाल ने भी इस पर खुशी व्यक्त की है। बताया गया है कि जिले के भीमताल, धारी व कोटाबाग जैसे अधिक शहरी इलाकों वाले ब्लॉकों में भी बच्चों में लिंगानुपात की स्थिति अच्छी है, जबकि दूरस्थ व पिछड़े इलाकों में शुमार बेतालघाट व ओखलकांडा ब्लाकों में लिंगानुपात की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बालिकाओं में ज्यादा

नैनीताल। देश-दुनिया व जनपद की बालिकाएं जहां स्कूल स्तर पर बालकों से अधिक बीमार नजर आ रही हैं, यह तथ्य भी जान लें कि प्राकृतिक तौर पर बालिकाओं में बालकों के मुकाबले अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। बीडी पांडे जिला महिला चिकित्सालय की सीएमएस डा. विनीता शाह बताती हैं कि इसी कारण प्राकृतिक व जीव वैज्ञानिक तौर पर (बायलॉजिकल सेक्स रेशियो) लिंगानुपात 983 होता है। माना जाता है कि एक हजार बालकों में से करीब 27 बालक जीवित नहीं रह पाएंगे और भविष्य में बालक व बालकों के बीच अंतर नहीं रह जाएगा, लेकिन मौजूदा लिंगानुपात लगातार घट रहा है। देश का लिंगानुपाल 940, प्रदेश का लिंगानुपात गत वर्ष के 983 से घटकर 913 और जनपद का 933 रह गया है। वहीं इससे भी अधिक चिंता की बात शून्य से छह वर्ष के बच्चों में लिंगानुपात 891 से भी घटकर 886 रह जाने को लेकर है।

शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014

संजना के हत्यारे 'फूफा' को फांसी की सजा


घटना को अंजाम देकर साले की पत्नी के कमरे में गया था दीपक
जिला अदालत ने जघन्य मामला माना बलात्कार के जुर्म में मिली उम्रकैद
नैनीताल (एसएनबी)। बहुचर्चित संजना हत्याकांड में जिला एवं सत्र न्यायाधीश मीना तिवारी की अदालत ने 28 फरवरी 2014 को वर्ष 2012 में संजय नगर बिंदूखत्ता में आठ वर्षीया संजना की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में उसी के रिश्ते के फूफा दीपक आर्या को मौत की सजा सुनाई थी। अदालत ने इस हत्या को जघन्य माना। अदालत ने दीपक को दुष्कर्म का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा दीपक को अपहरण और अन्य धाराओं के तहत भी सजाएं व आर्थिक दंड सुनाया गया है।
शुक्रवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश मीना तिवारी की अदालत में गत 21 फरवरी को अदालत से दोषी पाये गये मृतक संजना के फूफा दीपक आर्या की सजा पर सुनवाई शुरू हुई। अदालत में मृतक संजना के पिता नवीन कुमार व मामा संतोष भी मौजूदथे। जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील शर्मा ने सहायक शासकीय अधिवक्ता नरेंद्र सिंह नेगी के साथ दोषी को अधिकतम मृत्युदंड की सजा दिए जाने की मांग की। बचाव पक्ष ने सजा में रहम करने की गुहार की, पर अदालत ने इस जघन्य हत्याकांड के लिए दीपक को अधिकतम मृत्यदंड की सजा दी। अदालत ने कहा कि दीपक को तब तक फांसी पर लटकाया जाए जब तक उसकी मृत्यु न हो जाए। अदालत ने फैसला सुनाते हुए दीपक को भादंसं की धारा 457 के तहत पांच वर्ष का कठोर कारावास व तीन हजार रुपये जुर्माना व जुर्माना न भुगतने पर एक वर्ष की अतिरिक्त सजा, अपहरण करने के मामले में सात वर्ष की जेल व पांच हजार जुर्माना व जुर्माना न भुगतने पर एक वर्ष की अतिरिक्त सजा, दुष्कर्म के दोष में में धारा 376 के तहत अधिकतम आजीवन कारावास व 10 हजार का जुर्माना तथा जुर्माना न भुगतने पर एक वर्ष की अतिरिक्त सजा सुनाई।
मृतका संजना
संजना हत्याकांड में दीपक को मौत की सजा दिलाने में उस गवाही की भी बड़ी भूमिका रही, जिसमें बताया गया कि वह बच्ची के साथ बलात्कार करने और उसकी हत्या करने के बाद जब घर लौटा तो अपने घर में अपनी पत्नी की बजाय साले की पत्नी के कमरे में चला गया था और ‘नानू-नानू’ पुकार रहा था, जो कि मृतका संजना का घर का नाम था। रात्रि में संजना की खोजबीन के दौरान भी जब उसे बुलाया गया तो वह नहीं आया। अलबत्ता सुबह पांच बजे वह खोजबीन में शामिल हुआ और वही मृतका के निर्वस्त्र शव को घटनास्थल से उठाकर घर लाया था। अदालत में वह आखिर तक स्वयं को बेवजह फंसाने की बात कहता रहा। जांच के दौरान भी वह हमेशा मृतका के परिजनों और पुलिस तथा जांच एजेंसियों को गुमराह करता रहा। 10 जून की रात्रि संजना को उसकी दादी भागीरथी देवी के पास से सोते हुए उठा ले जाने के दौरान अपनी बजाय दादी की चप्पलें पहनकर ले गया था और चप्पलें घटनास्थल पर ही छोड़ आया था, ताकि जांच एजेंसियां भ्रमित हो जाएं। पांच नवम्बर 2012 को पुलिस जब दीपक के बयान ले रही थी, तब उसने पुलिस को अपने पिता का नाम धन राम के बजाय प्रताप राम बताकर भ्रमित करने की एक और कोशिश की थी। इसी कारण उस पर पुलिस का शक गहरा गया। आखिर बमुश्किल जांच के आखिरी दौर में तीन जनवरी 2013 को घटना के छह माह बाद दीपक का डीएनए सैंपल लिया जा सका, जोकि पॉजिटिव पाया गया।

नैनीताल में अब तक आठ को सजा-ए-मौत

नवीन जोशी, नैनीताल। संजना हत्याकांड में दोषी दीपक कुमार को मृत्युदंड की सजा सुनाए जाने के साथ ही जिले में अब तक मौत की सजा पाने वालों की संख्या आठ हो गई है। ये सजाएं चार अलग-अलग मामलों में सुनाई गई। इनमें तीन मामले बच्चियों के साथ दुराचार के बाद उनकी हत्या करने के हैं, जबकि एक मामला चार लोगों की हत्या का है। इससे पूर्व तत्कालीन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जीके शर्मा की अदालत ने 1998 में बाजपुर में पांच वर्षीय बालिका के साथ बलात्कार के बाद हत्या करने के मामले में सात जनवरी 2004 को बाजपुर निवासी आफताब अहमद अंसारी व मुमताज नाम के व्यक्तियों को तथा इसी तरह के एक अन्य मामले में जीके शर्मा की अदालत ने ही 2003 में मल्लीताल कोतवाली क्षेत्र में छह वर्षीय नेपाली बच्ची सुषमा के साथ प्राकृतिक व अप्राकृतिक तरीके से बलात्कार व हत्या करने के आरोप में 28 जून 2004 को अलीगढ़ निवासी बाबू पुत्र अलीम अंसारी, बिलासपुर यूपी निवासी आमिर पुत्र हामिद और खटीमा निवासी अर्जुन पुत्र बाला को फांसी की सजा सुनाई थी। यह इत्तेफाक ही है कि इन दोनों मामलों में वर्तमान जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने ही अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी की थी। इसके अलावा राज्य बनने से पूर्व 11 दिसंबर 1999 को हल्द्वानी में चार लोगों जुनैद, असलम, खलील व इशरत की हत्या के छह में से दो आरोपितों राजेश व नवीन को तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश पीसी पंत (वर्तमान में मेघालय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश) की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी।

डीएनए जांच से खुला मामला

जिला शासकीस अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि मामले में कुल 21 गवाह लिए गए, लेकिन इनमें से कोई भी चश्मदीद गवाह नहीं था। मामला पूरी तरह पुलिस की सक्रियता व अच्छे कार्य के फलस्वरूप डीएनए जांच से खुला। मामले में मृतका के पिता नवीन कुमार सहित गांव के 57 लोगों को डीएनए परीक्षण कराकर शर्मिदगी झेलनी पड़ी थी। राज्य की विधानसभा में भी यह मामला गूंजा था और सीबीआई की सीएफएस प्रयोगशाला दिल्ली में डीएनए जांच के बाद बमुश्किल सफलता मिली। इस हत्याकांड की तफ्तीश करने वाले लालकुआं कोतवाली के तत्कालीन कोतवाल विपिन चंद्र पंत ने बताया कि मामले में अनेक प्रयासों के बावजूद असफल रहने पर आखिर उन्होंने अपनी अटूट आस्था के केंद्र कुमाऊं में न्याय के देवता के रूप में प्रसिद्ध ग्वल देवता की जागर (देवता का आवाहन) और बभूती भी लगाई।

फैसले से पिता संतुष्ट

जिला अदालत से दोषी को मृत्युदंड की सजा मिलने के बाद मृतका के पिता नवीन कुमार ने कहा वह अदालत के फैसले से संतुष्ट हैं। अब अपने ईष्टदेव ग्वेल, कल बिष्ट व गंगनाथ के साथ ही तिवारी नगर स्थित माता दुर्गा के मंदिर में शीष झुकाने जाएंगे। किच्छा में मजार पर भी मन्नत मांगी थी, वहां भी चादर चढ़ाने जाएंगे।

बुधवार, 12 फ़रवरी 2014

जिम कार्बेट के घर नैनीताल में फिर दिखाई दिया ‘रॉयल बंगाल टाइगर’

नवीन जोशी, नैनीताल। देश में बाघों की संख्या लगातार घटने से चिंतित पर्यावरण प्रेमियों और प्रकृति के स्वर्ग कही जाने वाली सरोवर नगरी प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है। बाघों का राजा ‘रॉयल बंगाल टाइगर' अंतर्राष्ट्रीय शिकारी जिम कार्बेट के शहर नैनीताल की खूबसूरती पर एक बार फिर फिदा हो गया लगता है। बीती 10-11 फरवरी की रात्रि नगर की करीब 2591 मीटर ( 8500 फिट) ऊंची कैमल्स बैक चोटी पर इसे देखा गया। आधिकारिक तौर पर कैमरों से इसकी तस्वीर भी रिकार्ड की गई है। इसे जिम कार्बेट के दौर के लम्बे अंतराल के बाद भी नैनीताल में समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र बरक़रार रहने के लिहाज से भी बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है। 
प्रदेश में गत 10 फरवरी से एक सप्ताह तक यानी 17 फरवरी तक के लिए बाघों की गणना के लिए अभियान चला रहा है। इस अभियान के तहत नैनीताल के निकटवर्ती वन क्षेत्रों में अनेक स्थानों पर रात्रि में भी देखने की क्षमता वाले कैमरे लगाए गए हैं। इन्हीं में से एक कैमरा नैना रेंज में समुद्री सतह से 2591 मीटर की ऊंचाई वाली चोटी कैमल्स हंप या कैमल्स बैक पर भी लगाया गया था। इस कैमरे से अभियान की पहली ही यानी 10 व 11 फरवरी की रात्रि एक बजकर 47 मिनट पर करीब सात-आठ वर्ष की उम्र के बंगाल टाइगर प्रजाति के कैमरे के चित्र लिये गए हैं। डीएफओ डा. तेजस्विनी पाटिल ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि कैमरे में देखा गया बाघ नर हो सकता है। जिस कैमरे पर यह रिकार्ड किया गया है, उसे कुमाऊं विवि के वानिकी विभाग के द्वितीय वर्ष के दो छात्रों मो. अकरम व लवप्रीत सिंह लाहौरी तथा एक स्थानीय युवक अमित वाल्मीकि द्वारा लगाया गया था। 
उल्लेखनीय है कि बाघ पारिस्थितिकी तंत्र की आहार श्रृंखला में सांपों में किंग कोबरा, पक्षियों में चील-गिद्ध आदि की तरह सबसे ऊपर होते हैं। किसी स्थान पर इनकी उपस्थिति होने का सीधा सा अर्थ होता है कि उस पारिस्थितिकी तंत्र की श्रृंखला के निचली श्रेणी तक के सभी अन्य जीव भी भरपूर मात्रा में उस स्थान पर उपलब्ध हैं। यह अपनी भोजन श्रृंखला के निचली श्रेणी के वन्य जीवों को खाते हुए पारिस्थितिकीय संतुलन बनाते हैं।

2010 में भूटान में 4100 मीटर ऊंचाई पर देखे जाने का है रिकार्ड

देश में सर्वाधिक ऊंचाई पर बाघ को देखे जाने के रिकार्ड उपलब्ध नहीं हैं, और अब पहली बार इसे नैनीताल में 2951 मीटर की ऊंचाई पर देखा गया है। बहरहाल बीबीसी के अनुसार बाघ को सर्वाधिक ऊंचाई पर देखे जाने का विश्व रिकार्ड सितम्बर 2010 में बना था, जब इसे भूटान में 4100 मीटर की ऊंचाई पर रिकार्ड किया गया था। गौरतलब है कि नैनीताल में पूर्व में कैंट के पास बाघ को देखे जाने की बात कही जाती थी, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पाई थी।

सोमवार, 3 फ़रवरी 2014

लो आ गया बसंत, खत्म हुई सर्दी

  • 3 फरवरी को था नैनीताल का तापमान 17.6 व 11.5 डिसे. 
  • फरवरी के मध्य तक हल्की बारिश की संभावना 
  • मार्च से भीषण गरमी की आशंका जताई


नवीन जोशी, नैनीताल। आज से ऋतुराज बसंत का आगमन हो रहा है। मौसम विज्ञानियों का भी मानना है कि सर्दियां समाप्त हो गई हैं। आगे छिटपुट बारिश हो सकती है। यूजीसी के वैज्ञानिक डा. बहादुर सिंह कोटलिया का कहना है कि अब पहाड़ों पर बर्फबारी की कोई संभावना नहीं है। फरवरी मध्य तक ही हल्की बारिश हो सकती है, और इसके बाद जबरदस्त गरमी पड़ने वाली है। मौसम विभाग अगले कुछ दिन आसमान में हल्के बादल छाये रहने और पांच तथा सात फरवरी को गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना जता रहा है। सरोवरनगरी में प्रकृति ऋ तुराज बसंत का स्वागत करती नजर आ रही है। यहां माल रोड पर स्टेट बैंक के पास खिले ब्रूम के पीले फूल मानो वासंती रंग में सरोबोर करने लगे हैं। कुमाऊं में अनेक स्थानों पर समय से पहले ही बताया जा रहा राज्य वृक्ष बुरांश खिल उठा है। वृद्ध जागेश्वर, गुरड़ाबांज से लेकर बिनसर व यहां रामगढ़, मुक्तेश्वर व धानाचूली के लाल रंग में रंगे जंगलों की खूबसूरती देखते ही बन रही है। कारण चाहे जो भी हों, लेकिन नगर के पुराने लोगों का कहना है कि यहां मार्च माह तक होली के बाद भी बर्फ पड़ना आम बात थी। नगर पालिका कर्मी महेश गुरुरानी बताते हैं 1962 तक उन्होंने मल्लीताल के बाजारों में दो से ढाई फीट तक बर्फवारी देखी है। अप्रैल माह में भी यहां कई बार बर्फबारी हुई है। कुमाऊं विवि के विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. सीसी पंत के अनुसार ग्लोबलवार्मिग इतर मौसमी चक्र के बुरी तरह प्रभावित होने से अत्यधिक होने को कारण मानते हैं। बर्फवारी के बाद यहां का तापमान बीते दो दिनों में दहाई में पहुंच गया है।

रविवार, 19 जनवरी 2014

सरोवरनगरी में बिछी 'चांदी की चादर', सैलानियों का उमड़ा मेला

सरोवरनगरी में सैलानियों ने उठाया मौसम का लुत्फ
नैनीताल (एसएनबी)। पहाड़ों पर शनिवार को हुई बर्फवारी का असर रविवार को सरोवरनगरी में सैलानियों के मेले के रूप में देखने को मिला। नजदीकी यूपी एवं दिल्ली से आए सैलानियों से नगर में मेले जैसा माहौल दिखाई दिया। नगर में सुबह से ही अच्छी धूप खिली, जिससे मौसम खुशनुमा रहा। इसके साथ ही नगर में आम जनजीवन भी पटरी पर लौटने लगा। अधिकांश क्षेत्रों में बिजली और पानी की सेवाएं भी बहाल हो गई हैं। अलबत्ता, अपराह्न तक बादल वापस आसमान में घिर आए, और मौसम विभाग के अनुसार तापमान अधिकतम 3.4 एवं न्यूनतम 1.2 डिग्री सेल्सियस तक लुड़क गया। उल्लेखनीय है कि पहाड़ों पर शुक्रवार से बदले मौसम के तहत शनिवार को अच्छी खासी बर्फवारी हुई थी, और समूचे नगर में तीन इंच से लेकर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आधा फीट तक बर्फवारी हुई। 






शनिवार को शाम को ही बर्फवारी रुक गई थी,और इसके बाद आसमान धीरे-धीरे साफ होता चला गया। बर्फवारी होने की जानकारी मिलने पर नजदीकी मैदानी क्षेत्रों के सैलानी नैनीताल में उमड़ आए, और उन्हें बर्फ से खेलने के लिए ऊंचे क्षेत्रों में भी नहीं जाना पड़ा। माल रोड, पालिका गार्डन सहित अन्य पाकरे में भी सैलानी एक-दूसरे पर बर्फ के गोले दाग कर खूब आनंद लेते रहे। अलबत्ता, नगर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सीसी मागरे पर बर्फ की वजह से फिसलन होने की वजह से अनेक लोग कार्य पर नहीं आ पाए, और जनजीवन कुछ हद तक प्रभावित रहा। दिन भर छतों से बर्फ के धूप में पिघल कर गिरने से बाजारों में बारिश जैसा माहौल रहा। बारिश- बर्फवारी को फसलों और शाक-सब्जी व फलों के लिए लाभदायक माना जा रहा है।

शनिवार, 11 जनवरी 2014

जलौनी लकड़ी लेने के लिए भी दिखाना होगा पैन कार्ड

कोयला-केरोसिन है नहीं अब लकड़ी को भी तरसे
प्रदेश में पड़ रही कड़ाके की सर्दी से लोग बेहाल
नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश में पड़ रही कड़ाके की सर्दी में प्रदेशवासियों के पास गर्मी लाने का कोई प्रबंध नहीं रह गया है। प्रदेश में राशन कार्ड पर सस्ती कुकाठ की जलौनी लकड़ी देने की व्यवस्था के तहत भी लकड़ी नहीं मिल पा रही है। अधिकारियों का कहना है कि लकड़ी उपलब्ध नहीं है। उल्लेखनीय है कि पूरे कुमाऊं मंडल में इस मौसम में कोयला उपलब्ध नहीं है। केरोसिन भी किसी दाम पर उपलब्ध नहीं है। उधर यदि कोई महंगी दरों पर बांज की जलौनी लकड़ी चाहता है तो उसे अपना पैन कार्ड दिखाना होगा। पैन कार्ड दिखाने पर उसे 2.64 फीसद का आयकर देना होगा, लेकिन यदि पैन कार्ड न हो तो 20 फीसद आयकर के रूप में अतिरिक्त चुकाना होगा। वन निगम के अनुसार बांज की जलौनी लकड़ी के मूल भाव 470 रुपये प्रति कुंतल के हैं। इस पर 2.5 फीसद मंडी शुल्क व पांच फीसद वैट के साथ ही पैन कार्ड दिखाने पर 2.64 फीसद और न दिखाने पर 20 फीसद आयकर देने का प्रावधान है। इस प्रकार पैन कार्ड दिखाने पर एक कुंतल बांज की लकड़ी 525 के भाव और पैनकार्ड न दिखाने पर 613 रुपये के भाव पर मिल रही है। वन निगम के उप लौगिंग अधिकारी आनंद कुमार ने बताया कि राशन कार्ड पर 300 रुपये प्रति कुंतल के भाव मिलने वाली कुकाठ की जलौनी लकड़ी पूरे प्रदेश में उपलब्ध नहीं है। केवल शवदाह के लिए ही उपलब्ध कराई जा रही है।

बर्फबारी ने सप्ताहांत पर किया सैलानियों का स्वागत


नगर क्षेत्र में हुई मौसम की पहली बर्फबारी, पारा 0.5 डिग्री तक गिरा
नैनीताल (एसएनबी)। शनिवार को सरोवरनगरी के निचले क्षेत्रों को भी बर्फबारी का तोहफा मिल गया। इस मौके पर नगर में मौजूद सैलानियों के लिए कुदरत की यह खूबसूरत नेमत मनमांगी मुराद की तरह रही। अनेक सैलानियों ने इसे ‘न्यू इयर व वीकेंड बोनान्जा’ कहकर पुकारा। मौसम विभाग के अनुसार शनिवार को नगर का न्यूनतम तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया और अधिकतम तापमान 13 डिग्री रहा। सरोवरनगरी में पहले 31 दिसम्बर को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हुई थी। शनिवार की सुबह तड़के नगर के तल्लीताल और माल रोड तक भी अच्छी बर्फबारी हुई। वहीं नगर के सूखाताल, कुमाऊं विवि, चार्टन लॉज, सात नम्बर, रैमजे, स्टोनले कंपाउंड आदि क्षेत्रों में बर्फबारी हुई। नगर में सैलानियों ने कालाढुंगी रोड पर धामपुर बैंड, लेक व्यू, हिमालय दर्शन व स्नोव्यू क्षेत्रों में जमकर बर्फबारी का आनंद लिया। स्नोव्यू क्षेत्र में बर्फबारी का आनंद लेने के लिए रोप-वे से जाने के लिए सैलानियों की कतारें लगा रहीं। वहीं शनिवार को बर्फबारी के बाद भी नगर में पूरे दिन आसमान में बादल छाये रहे और कई बार हवा के साथ हिमकणों की फुहारें गिरती रहीं लेकिन सूर्यास्त के दौरान धूप के दर्शन हुए। जिसे अगले दिन धूप खिलने का इशारा माना जाता है। मौसम विभाग ने रविवार को मौसम खुलने और अगले दो दिन बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई है।

शुक्रवार, 3 जनवरी 2014

नैना पीक तक पहुंची बिजली

मैदानों में कोहरा, पहाड़ों पर खिली धूप: शुक्रवार से जहां तराई-भाबर के मैदानी क्षेत्रों में पूरे दिन घना कोहरा छाने से कड़ाके की ठंड रही, इसके उलट सरोवरनगरी सहित पहाड़ों पर आसमान में बादलों का एक कतरा भी नहीं था, और यहां पूरे दिन चटख धूप खिली रही।
चित्र : नवीन जोशी

नैना पीक तक जाने वाला तीन किमी मार्ग भी स्ट्रीट लाइट से जगमगाएगा
नैना पीक स्थित वन विभाग का रिपीटर सेंटर 
नैनीताल (एसएनबी)। रात में नैना पीक जाकर सरोवरनगरी की खूबसूरती को निहारने के शौकीन पर्यटकों के लिए खुशखबरी है। नैना पीक तक बिजली पहुंच गई है। इससे वहां वन विभाग के रिपीटर सेंटर के कक्ष में बिजली के बल्ब जलने लगे हैं। जल्द ही रिपीटर सेंटर के वायरलैस व अन्य उपकरणों को बिजली से जोड़ने की तैयारी चल रही है तथा भविष्य में बिजली से किलबनी रोड स्थित नैना चुंगी से नैना पीक जाने वाले करीब तीन किमी मार्ग को स्ट्रीट लाइट से जगमगाने की योजना भी है। इससे रात में भी सैलानी सुरक्षित तरीके से नैना पीक तक आवाजाही कर सकेंगे। नैना पीक सरोवरनगरी का सर्वाधिक ऊंचाई वाला 2611 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से नैनीताल नगर के साथ ही तराई-भाबर के सैकड़ों किमी दूर के स्थानों और हिमालय पर्वत की 365 किमी से अधिक लंबाई में बदरीनाथ-केदारनाथ से लेकर नेपाल की एपी श्रृंखला की चोटियों के नजारे लिये जा सकते हैं। कई मौकों पर सैलानी व साहसिक पर्यटन के शौकीन रात्रि में बिजली की रोशनी से जगमगाते नैनीताल तथा दूर-दूर के पहाड़ों और मैदानों के नजारे लेने व फोटो खींचने के लिए यहां आते हैं। घना जंगल होने की वजह से यहां रात्रि में वन्य जीवों के हमले का खतरा रहता है। बिजली की रोशनी हो जाने से भविष्य में इस स्थान का आवागमन बेहद सुविधाजनक हो सकता है। इस स्थान पर वन विभाग का प्रदेश के गिने-चुने रिपीटर सेंटरों में से एक स्थित है, जिसकी मदद से पूरे कुमाऊं तथा आंशिक रूप से गढ़वाल में भी लीसे के इधर-उधर संचरण, वनाग्नि की घटनाओं आदि पर वायरलेस की मदद से नजर रखी जाती है। वन क्षेत्राधिकारी प्रकाश जोशी ने बताया कि इसी के लिए बिजली नैना पीक पर पहुंचाई गई है, जल्द ही कार्यदायी संस्था रिपीटर सेंटर के उपकरणों को विद्युत आपूर्ति से जोड़ने जा रही है। वहीं विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता शेखर त्रिपाठी ने बताया कि बिजली की लाइन नैना पीक जाने वाले पैदल मार्ग से ही होकर गुजारी गई है। शीघ्र ही इस पर स्ट्रीट लाइट लगाने की भी योजना है। 

सोमवार, 30 दिसंबर 2013

नैनीताल में क्या गुल खिलायेगी बचदा और बलराज की दोस्ती !

नैनीताल। एकता संदेश यात्रा के जरिए जहां एक ओर सरदार पटेल के माध्यम से भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी के पक्ष में राजनीतिक माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है, वहीं यात्रा में नैनीताल-ऊधमसिंह नगर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के दो स्वघोषित दावेदार बची सिंह रावत ‘बचदा’ और बलराज पासी के एक साथ अगल-बगल खड़े होने के भी राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि दोनों एक- साथ खड़े होकर पार्टी पर टिकट के लिए दबाव बनाना चाहते हैं। साथ ही अन्य दावेदार पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को अलग-थलग करने और एक-दूसरे के नाम पर सहमत होने का सन्देश भी दे रहे थे। 

पटेल पीएम बनते तो न होता बंटवारा: बचदा

नैनीताल पहुंचकर हुआ एकता संदेश यात्रा का समापन
नैनीताल (एसएनबी)। भाजपा के वरिष्ठ नेता बची सिंह रावत ‘बचदा’ ने कहा कि सरदार बल्लभ भाई पटेल के प्रयासों से ही देश एकसूत्र में बांधा था, बावजूद इसके राजनीतिक कारणों से उन्हें प्रधानमंत्री नहीं बनाया गया। उनका कहना है कि पटेल को प्रधानमंत्री बनाया होता तो देश का बंटवारा न होता। रावत सोमवार को 20 दिसंबर से शुरू हुई एकता संदेश यात्रा के आखिरी पड़ाव नैनीताल पहुंचकर पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के आह्वान पर शुरू हुई इस यात्रा के जरिए देश को एकसूत्र में पिरोने की कोशिश की जा रही है। पूर्व सांसद बलराज पासी ने सरदार पटेल का जीवन वृत्त प्रस्तुत किया। इससे पूर्व नगर में यात्रा के पहुंचने पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने यात्रा का भव्य तरीके एवं गर्मजोशी से स्वागत किया। जिलाध्यक्ष देवेंद्र ढैला, नगर अध्यक्ष विवेक साह, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य खीमा शर्मा, संयोजक रेनू अधिकारी व कुंदन बिष्ट आदि यात्रा रथ पर ही सवार हो गए। पूर्व अध्यक्ष भुवन हरबोला, जगदीश बवाड़ी, सीपी धूसिया, आनंद बिष्ट, मीनू बुधलाकोटी व संतोष साह सहित बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता भी स्वागत में शामिल हुए। 

रविवार, 29 दिसंबर 2013

‘थर्टी फर्स्ट’ के जश्न से आपदा के 'घाव' धुलने की उम्मीद !

पर्यटन कारोबारियों के खिले चेहरे

नैनीताल (एसएनबी)। सरोवरनगरी में ‘थर्टी फस्र्ट’ से पहले एक बार फिर सीजन जैसा माहौल बनना शुरू हो गया है। ‘थर्टी फस्र्ट’ के जश्न मनाने के लिए सैलानियों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है, जिसके परिणामस्वरूप सीजन के बाद पहली बार नगर के होटलों में कमरे पैक होने शुरू हो गये हैं। रविवार को नगर में थर्टी फस्र्ट मनाने के लिए बड़ी तादाद में सैलानी पहुंचे रहे हैं। माल रोड सहित हर ओर सैलानियों का रेला नजर आ रहा है। नैनी झील में भी नौकाओं का पूरे दिन मेला लगा रहा। फ्लैट्स की कार पार्किग दोपहर में ही भर गई, और वाहनों को खेल मैदान में खड़ा करवाना पड़ा। इससे नगर के पर्यटन कारोबारियों के चेहरे खिले नजर आ रहे हैं। वहीं दो दिन पूर्व ही नगर की फ्लैट्स मैदान स्थित कार पार्किग पैक हो गई है और वाहनों को खेल मैदान में खड़ा करना पड़ रहा है। उम्मीद की जा रही है कि नववर्ष के स्वागत में 31 दिसम्बर को होने वाला जश्न नगर के पर्यटन कारोबारियों के आपदा से मिले जख्मों को धोकर पर्यटन को पूरी तरह पटरी पर लौटाने में मदद दिलाएगा।

बर्फबारी होने की उम्मीद

नैनीताल। सरोवरनगरी में दो दिनों से चटख धूप खिल रही है। मौसम मौसम विभाग के अनुसार शनिवार को नगर का अधिकतम 14.2 व न्यूनतम 5.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। विभाग के अनुसार सोमवार को आसमान खुला रहेगा और तापमान 13 व छह डिग्री के बीच रह सकता है, जबकि 31 दिसम्बर को आसमान में बादल छाने और बारिश व बर्फबारी की हल्की उम्मीद की जा सकती है। इस दिन तापमान के 12 व सात डिग्री सेल्सियस रहने की उम्मीद है। अलबत्त नववर्ष का पहला दिन वापस धूप खिलने के साथ 13 व पांच डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच सुहावना होने की उम्मीद है।

केएमवीएन परोसेगा मुफ्त व्यंजन

नैनीताल। नववर्ष के स्वागत की शाम कुमाऊं मंडल विकास निगम का तल्लीताल स्थित पर्यटक आवास गृह अपने यहां आने वाले सैलानियों का स्वागत कुमाऊं के छोलिया लोक कलाकारों से करवाएगा। टीआरएच के प्रबंधक अशोक साह साथ ही सैलानियों को डिनर में नि:शुल्क कुमाऊं के गहत की दाल, आलू के गुटके, मेथी व गडेरी की सब्जी, भांग की चटनी व खीर आदि लजीज व्यंजन परोसेगा।

सोमवार, 9 दिसंबर 2013

सवा पांच करोड़ साल का हुआ अपना 'हिमालय'

कुमाऊं विवि के भूविज्ञान विभाग ने अंतरराष्ट्रीय शोध के बाद निकाला निष्कर्ष 
रेडियो एक्टिव डेटिंग से पहुंचे परिणाम तक  
नवीन जोशी नैनीताल। हिमालय की उत्पत्ति के संबंध में लगातार शोध हो रहे हैं। वैज्ञानिकों में हिमालय की शुरुआत को लेकर अलग-अलग मत हैं। कोई इसे दो करोड़, तो कोई तीन करोड़ और कोई साढ़े पांच करोड़ वर्ष पुराना साबित कर रहा है। शोध के इन दावों के बीच कुमाऊं विवि के भूविज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने भी एक और शोध करने का दावा किया है। इन वैज्ञानिकों का कहना है कि लगभग छह वर्ष तक शोध करने के बाद यह पता लगा है कि हिमालय के बनने की शुरुआत सवा पांच करोड़ वर्ष पहले हुई थी। 
कुमाऊं विवि के भूविज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने अत्याधुनिक उपकरणों के साथ किए एक अंतरराष्ट्रीय शोध के बाद दावा किया है कि हिमालय के जन्म की मुख्य वजह भारतीय उपमहाद्वीपीय प्लेट के यूरेशियन (तिब्बती प्लेट) में टकराने की शुरुआत 52.2 मिलियन यानी 5.22 करोड़ वर्ष पूर्व हुई थी और इसके बाद टकराने की यह प्रक्रिया लम्बे समय तक जारी रही। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि अब भी भारतीय प्लेट का 35 मिमी प्रति वर्ष की दर से उत्तर की ओर खिसकते हुए यूरेशियन प्लेट में धंस रही है और यही इस क्षेत्र में बड़े भूकंपों की आशंका को बढ़ाने वाला है। कुमाऊं विवि के भूविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. संतोष कुमार ने सोमवार को ‘राष्ट्रीय सहारा’ से इस नये शोध के परिणामों का खुलासा करते हुए यह दावा किया। उन्होंने बताया कि कुमाऊं विवि का शोध पूर्व में भारतीय उपमहाद्वीप और तिब्बत की ओर पाए जाने वाले समान प्रकार के जानवरों के परीक्षण के आधार पर किए गए शोधों के आधार पर किए गए शोधों के करीब है, जिसमें हिमालय की उम्र 55 मिलियन वर्ष बतायी जाती है। उन्होंने बताया कि कुमाऊं विवि द्वारा यह परिणाम लद्दाख में पाई जाने वाली ग्रेनाइट की चट्टानों में मिले एक खास अवयव जिरकॉन की चीन व कोरिया में अत्याधुनिक ‘सेन्सिटिव हाई रेजोल्यूसन आयन माइक्रो प्रोब’ (श्रिम्प) तकनीक से आयु का पता लगाकर निकाला गया है। इसे रेडियोएक्टिव डेटिंग भी कहते हैं। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय शोध जर्नल में इसका प्रकाशन भी हो रहा है। इस शोध के आधार पर प्रो. कुमार कहते हैं कि सर्वप्रथम हिमालय के स्थान पर उस दौर में मौजूद टेथिस महासागर की सामुद्रिक प्लेटें आपस में टकराने से पिघलीं और इसके लावे से लद्दाख के पठारों का और बाद में भारतीय व यूरेशियन प्लेट के अनेक स्थानों पर लंबे समय अंतराल में अलग-अलग टकराने की वजह से वर्तमान हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ। इस शोध परियोजना में प्रो. कुमार के साथ ही विवि के डा. बृजेश सिंह, डा. मंजरी पाठक व डा. सीता बोरा आदि प्राध्यापकों व शोध छात्र-छात्राओं का भी योगदान है। 

सोना, तांबा के भंडार खोजने में मिलेगी मदद 
नैनीताल। कुमाऊं विवि द्वारा किया गया शोध हिमालय की वास्तविक उम्र जानने में तो मदद करता ही है, साथ ही इसके दूरगामी लाभ इस संदर्भ में भी हैं कि इसके जरिए हिमालय के भूगर्भ में पाई जाने वाली बहुमूल्य खनिज संपदा के बारे में भी पता लगाया जा सकता है। प्रो. कुमार कहते हैं कि इस तकनीक की मदद लेते हुए तांबा, सोना व मालिब्डेनम जैसे खनिजों की उपस्थिति वाले क्षेत्रों में इन तत्वों की खोज की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।

बुधवार, 20 नवंबर 2013

मंत्रियों ने अपनी सीटें सामान्य करा लीं, बाकी पर आरक्षण

पंचायत चुनावों के लिए आरक्षण का खाका तैयार 
नैनीताल (एसएनबी)। जनपद में आसन्न पंचायत चुनावों के लिए ब्लाक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य एवं ग्राम पंचायत की सीटों के लिए आरक्षण की घोषणा हो गई है। बुधवार को डीएम के स्तर से आरक्षण की स्थिति साफ हो गई है। इसके तहत जनपद की सर्वाधिक महत्वपूर्ण हल्द्वानी, बेतालघाट और रामनगर के ब्लॉक प्रमुखों की सीटें अनारक्षित रखी गई हैं। उल्लेखनीय है कि यह तीनों क्षेत्र राज्य सरकार के तीन सर्वाधिक प्रभावी काबीना मंत्रियों के परंपरागत क्षेत्र हैं। हल्द्वानी काबीना मंत्री डा. इंदिरा हृदयेश, बेतालघाट अब परोक्ष तौर पर यशपाल आर्या एवं रामनगर अमृता रावत के गृह क्षेत्र हैं। वहीं कोटाबाग में अनुसूचित जाति की महिला, ओखलकांडा में अनुसूचित जाति के पुरुष या महिला तथा धारी, रामगढ़ व भीमताल महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं। 
साफ है कि इन सभी ब्लाकों में मौजूदा स्थिति के हिसाब से आरक्षण के बदलाव से राजनीतिक रूप से उलटफेर कर दिया गया है, हालांकि अभी इन पर आपत्तियां भी दी जा सकती हैं। इसी तरह जिला पंचायत क्षेत्रों के आरक्षण की बात करें तो जिले की 26 सीटों में से तीन सीटें अनुसूचित जाति की महिलाओं, तीन अनुसूचित जाति, एक पिछड़ी जाति, नौ महिलाओं के लिए आरक्षित तथा 10 अनारक्षित छोड़ी गई हैं। चोरगलिया आमखेड़ा, ककोड़ व पत्तापानी अनु. जाति की महिलाओं, आंवलाकोट, ओखलकांडा मल्ला व पूरनपुर अनु. जाति, सिमलखां पिछड़ी जाति, सूपी, जंगलियागांव, दाड़िमा, दीनी तल्ली, सरना, चंद्रनगर, बमेठा बंगर खीमा, बिठौरिया नं. 1 व अमृतपुर महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं। वहीं पनियाली, ज्योलीकोट, बड़ोन, कमोला, ढोलीगांव, हरतपा, घंघरेटी, छोई, गहना व मेहरागांव अनारक्षित रखी गई हैं। इसी प्रकार क्षेत्र पंचायत एवं ग्राम पंचायत की सीटों के लिए भी आरक्षणों की भारी भरकम सूची जारी कर दी गई है, और इसे जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर रखवा दिया गया है।

सोमवार, 18 नवंबर 2013

स्थापना दिवस पर नैनीताल को कुदरत से मिला ‘विंटर लाइन’ का अनूठा तोहफा

नवीन जोशी, नैनीताल। इधर सरोवरनगरी वासी सोमवार को अपनी प्रिय नगरी का 172वां स्थापना दिवस मना रहे थे। उधर कुदरत ‘प्रकृति का स्वर्ग’ कही जाने वाली नगरी को चुपके से ऐसा तोहफा दे गई, जिसे प्रकृति प्रेमी ‘विंटर लाइन’ कहते हैं। कुदरत की इस अनूठी नेमत ‘विंटर लाइन’ के बारे में कहा जाता है कि यह दुनिया में केवल स्विटजरलैंड की बॉन वैली और मसूरी के लाल टिब्बा से ही नजर आती है। नैनीताल से भी यह वर्षो से नजर आती है लेकिन अब तक इसे नगर व प्रदेश के पर्यटन कैलेंडर और पर्यटन व्यवसायियों से मान्यता नहीं मिल पाई है। प्रकृति प्रेमियों के अनुसार ‘विंटर लाइन’ की स्थिति सर्दियों में मैदानों में कोहरा छाने और ऊपर से सूर्य की रोशनी पड़ने के परिणामस्वरूप शाम ढलते सैकड़ों किमी लंबी सुर्ख लाल व गुलाबी रंग की रेखा के रूप में नजर आती है। नैनीताल में इसका सबसे शानदार नजारा हनुमानगढ़ी क्षेत्र से लिया जा सकता है लेकिन नगर के चिड़ियाघर क्षेत्र से भी इसे देखा जा सकता है। सुबह सूर्योदय से पूर्व भी इसे हल्के स्वरूप में देखा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि हनुमानगढ़ी से सूर्यास्त के भी अनूठे नजारे देखने को मिलते हैं। प्रकृति प्रेमी बताते हैं कि इस दौरान डूबते हुए सूर्य में कभी घड़ा तो कभी सुराही जैसे अनेक आकार प्रतिबिंबित होते हैं। पूर्व में इन्हें देखने के लिये यहां बकायदा व्यू प्वाइंट स्थापित थे, जो बीते वर्षो में हटा दिये गये हैं।

नेपाली फिल्म ‘विरासत’ में भी दिखती है नैनीताल की विंटर लाइन

नैनीताल। देश-प्रदेश के पर्यटन विभाग और पर्यटन व्यवसायी भले विंटरलाइन की खूबसूरती का नगर के पर्यटन उद्योग को बढ़ाने में उपयोग न कर रहे हों लेकिन गत वर्ष नगर में इन्हीं दिनों फिल्माई गई नेपाली फिल्मों के निर्देशक गोविंद गौतम की नायक समर थापा व नायिका सोनिया खड़का अभिनीत फिल्म विरासत में नैनीताल की विंटरलाइन को फिल्माया गया है। इस फिल्म के एक गीत में नायकनाियका के बीच हनुमानगढ़ी के पास विंटर लाइन को दिखाते हुए प्रणय दृश्य फिल्माए गए हैं।

रविवार, 17 नवंबर 2013

यूं ही नहीं, तत्कालीन विश्व राजनीति की रणनीति के तहत अंग्रेजों ने बसासा था नैनीताल


रूस को भारत आने से रोकने और पहले स्वतंत्रता आंदोलन का बिगुल फूंक चुके रुहेलों से बचने के लिए अंग्रेजों ने बसाया था नैनीताल

नैनीताल के प्राकृतिक सौंदर्य ने भी खूब लुभाया था अंग्रेजों को

नवीन जोशी, नैनीताल। ऐसा माना जाता है कि 18 नवम्बर 1841 को एक अंग्रेज शराब व्यवसायी पीटर बैरन नैनीताल आया और उसने इस स्थान के थोकदार नर सिंह को नाव से झील के बीच ले जाकर डुबो देने की धमकी दी और शहर को कंपनीबहादुर के नाम करवा दिया था। यह अनायास नहीं था कि एक अंग्रेज इस स्थान पर आया और उसकी खूबसूरती पर फिदा होने के बाद इस शहर को ‘छोटी विलायत’ के रूप में बसाया। साथ ही शहर को अब तक सुरक्षित रखे नाले और अब भी मौजूद राजभवन, कलेक्ट्रेट, कमिश्नरी, सचिवालय (वर्तमान उत्तराखंड हाईकोर्ट) तथा सेंट जॉन्स, मैथोडिस्ट, सेंट निकोलस व लेक र्चच सहित अनेकों मजबूत व खूबसूरत इमारतों के तोहफे भी दिए। सर्वविदित है कि नैनीताल अनादिकाल काल से त्रिऋषि सरोवर के रूप में अस्तित्व में रहा स्थान है। अंग्रेजों के यहां आने से पूर्व यह स्थान थोकदार नर सिंह की मिल्कियत थी। तब निचले क्षेत्रों से ग्रामीण इस स्थान को बेहद पवित्र मानते थे, लिहाजा सूर्य की पौ फटने के बाद ही यहां आने और शाम को सूर्यास्त से पहले यहां से लौट जाने की धार्मिक मान्यता थी। कहते हैं 1815 से 1830 के बीच कुमाऊं के दूसरे कमिश्नर रहे जीडब्ल्यू ट्रेल यहां से होकर ही अल्मोड़ा के लिए गुजरे और उनके मन में भी इस शहर की खूबसूरत छवि बैठ गई, लेकिन उन्होंने इस स्थान की धार्मिक मान्यताओं की मर्यादा का सम्मान रखा। दिसम्बर 1839 में पीटर बैरन यहां आया और इसके सम्मोहन से बच न सका। व्यवसायी होने की वजह से उसके भीतर इस स्थान को अपना बनाने और अंग्रेजी उपनिवेश बनाने की हसरत भी जागी और 18 नवम्बर 1841 को वह पूरी तैयारी के साथ यहां आया। वह औपनिवेशिक वैश्विकवाद व साम्राज्यवाद का दौर था। नए उपनिवेशों की तलाश व वहां साम्राज्य फैलाने के लिए फ्रांस, इंग्लैंड व पुर्तगाल जैसे यूरोपीय देश समुद्री मार्ग से भारत आ चुके थे, जबकि रूस स्वयं को इस दौड़ में पीछे महसूस कर रहा था। कारण, उसकी उत्तरी समुद्री सीमा में स्थित वाल्टिक सागर व उत्तरी महासागर सर्दियों में जम जाते थे। तब स्वेज नहर भी नहीं थी। ऐसे में उसने काला सागर या भूमध्य सागर के रास्ते भारत आने के प्रयास किये, जिसका फ्रांस व तुर्की ने विरोध किया। इस कारण 1854 से 1856 तक दोनों खेमों के बीच क्रोमिया का विश्व प्रसिद्ध युद्ध हुआ। इस युद्ध में रूस पराजित हुआ, जिसके फलस्वरूप 1856 में हुई पेरिस की संधि में यूरोपीय देशों ने रूस पर काला सागर व भूमध्य सागर की ओर से सामरिक विस्तार न करने का प्रतिबंध लगा दिया। ऐसे में रूस के भारत आने के अन्य मार्ग बंद हो गऐ थे और वह केवल तिब्बत की ओर के मागरे से ही भारत आ सकता था। तिब्बत से उत्तराखंड के लिपुलेख, नीति, माणा व जौहार घाटी के पहाड़ी दरे से आने के मार्ग बहुत पहले से प्रचलित थे। ऐसे में अंग्रेज रूस को यहां आने से रोकने के लिए पर्वतीय क्षेत्र में अपनी सुरक्षित बस्ती बसाना चाहते थे। दूसरी ओर भारत में पहले स्वाधीनता संग्राम की शुरूआत हो रही थी। मैदानों में खासकर रुहेले सरदार अंग्रेजों के दुश्मन बने हुऐ थे। मेरठ गदर का गढ़ था ही। ऐसे में मैदानों के सबसे करीब और कठिन दरे के संकरे मार्ग से आगे का बेहद सुंदर स्थान नैनीताल ही नजर आया, जहां वह अपने परिवारों के साथ अपने घर की तरह सुरक्षित रह सकते थे। ऐसा हुआ भी। हल्द्वानी में अंग्रेजों व रुहेलों के बीच संघर्ष हुआ, जिसके खिलाफ तत्कालीन कमिश्नर रैमजे नैनीताल से रणनीति बनाते हुए हल्द्वानी में हुऐ संघर्ष में 100 से अधिक रुहेले सरदारों को मार गिराने में सफल रहे। रुहेले दर्रे पार कर नैनीताल नहीं पहुंच पाये और यहां अंग्रेजों के परिवार सुरक्षित रहे।

रविवार, 27 अक्तूबर 2013

रिकार्ड भीड़ ने दी नैनीताल शरदोत्सव को विदाई

नैनीताल। नैनीताल शरदोत्सव 2013 को आखिरी दिन रिकार्ड भीड़ ने उत्साह के साथ नाचते-झूमते हुए अलविदा कहा। इस मौके पर इंडियन आइडिल के साथ ही देश-दुनिया में अपने प्रदर्शन से नाम कमा चुके मूलत: प्रदेश के ही कलाकारों, रुद्रपुर की कनिका जोशी व देहरादून के प्रियंका नेगी व कपिल थापा की गायकी के जादू पर धारचूला के सत्यवान सिंह नपलच्याल 'सत्या' की अगुवाई वाले डी-मानियाएक्स ग्रुप के हैरतअंगेज नृत्य ने ऐसा जादू बिखेरा की दर्शक स्थिर नहीं रह पाए, और जो जहां था वहीं झूमता नाचता नजर आया। कनिका ने सुप्रसिद्ध कुमाऊंनी लोकगीत कैले बजै मुरुली से शुरुआत की और प्रियंका व कपिल के साथ व अलग हिंदी फिल्मों के कई नए-पुराने डांस नम्बर गीतों से खूब जादू चलाया। उत्साह का आलम यह था कि मध्य रात्रि के करीब मजबूरन आयोजकों को कार्यक्रम के समापन की घोषणा करनी पड़ी। समापन के मौके पर डीएम अरविंद सिंह ह्यांकी ने कलाकारों और उनके परिजनों को स्मृति चिह्न बांटे एवं आयोजन में सहयोग देने वाले प्रशासनिक अधिकारियों, नगर पालिका प्रशासन एवं नगर की जनता का आभार जताया। 

रविवार, 13 अक्तूबर 2013

'दास' परंपरा के कलाकारों का नहीं कोई सुधलेवा


नैनीताल (एसएनबी)। सदियों से प्रदेश की लोक संस्कृति को समाज की उलाहना के बावजूद सहेजे हुए 'दास' परंपरा के कलाकारों की राज्य बनने के बाद भी किसी ने सुध नहीं ली। राज्य सरकार के उनकी कला को संरक्षित करने के दावे भी ढपोल शंख ही साबित हुए। बावजूद वह अब भी इस परंपरा को निभाए जा रहे हैं, और आगे की पीढ़ी को भी इसे थमाने की कोशिश है, लेकिन सशंकित भी हैं कि ऐसा कर भी पाएंगे या नहीं। 
नगर के पाषाण देवी मंदिर में इन दिनों नवरात्र के मौके पर रोज दूरस्थ बागेश्वर जनपद के रीमा क्षेत्र के जारती गांव निवासी दास परंपरा के कलाकार अनीराम व उनके भाई रमीराम अपनी दूसरी पीढ़ी के बेटों सुभाष, हरीश व ह्यात के साथ जमे हुए हैं, और रोज सुबह तड़के से लेकर अलग- अलग समयों पर अपनी विशिष्ट पोषाक के साथ गले में बड़े घुंघरुओं का छल्ला डालकर विजयसार (ढोल, दमुवा, नगाड़ा व भौंकर के समन्वय) पर नौबत (सुबह चार बजे देवताओं के स्नान की पूजा के समय का विशिष्ट संगीत) तथा निराजन (देवताओं के भोग के समय का अलग संगीत) आदि बजाते हुए अपना योगदान दे रहे हैं। रमी राम बताते हैं, विजयसार के साथ देवताओं के आह्वान का यह कार्य उन्हें विरासत में मिला है। अपने गृह क्षेत्र स्थित मूल नारायण के मंदिर में यह उनकी रोज की दिनर्चया का हिस्सा है। लोक संस्कृति में बिना दासों के द्वारा संगीत का यह योगदान दिए बिना देवताओं की दैनिक पूजा संभव ही नहीं है। बचे समय में शादी-बारात में भी जाते हैं, लेकिन बीते दशकों में बैंड बाजे के आने से शादियों में पहाड़ी ढोल-दमुवा, नगाड़े, तुतरी व बीन बाजे के कलाकार इस पैतृक कार्य से बेरोजगार हो गए हैं। केवल नाकुरी पट्टी क्षेत्र में ही उन जैसे गिने-चुने कलाकार राज्य सरकार की किसी योजना की उन्हें जानकारी भी नहीं है। उनके पास प्रदेश के लोक देवता मूल नारायण, प्रदेश की प्रसिद्ध प्रेम कथा राजुला-मालूशाही , जागर, जुन्यार आदि का पारंपरिक ज्ञान है, लेकिन उसके संरक्षण की किसी योजना से भी वह अनजान हैं। बताते हैं कि वाद्य यंत्रों की मढ़ाई में ही हजारों रुपये खर्च होते हैं। परिवार चलाना बेहद मुश्किल हो रहा है। वहीं पाषाणदेवी मंदिर में नवाह ज्ञान यज्ञ करा रहे आचार्य भगवती प्रसाद जोशी का कहना है कि पहाड़ में गुरुओं (पंडितों) और दासों की किसी भी धार्मिक आयोजन में समान व बड़ी भूमिका रहती है। पंडित तो किसी प्रकार पंडिताई को जारी रखे हुए हैं, लेकिन दासों की कला संरक्षण के अभाव में विलुप्ति की कगार पर है। वह इस कला को संरक्षित करने के उद्देश्य से हर वर्ष इन्हें बुलाते हैं। 

शनिवार, 28 सितंबर 2013

डीएनए जांच में चूक को लेकर एनडी का तर्क सिरे से खारिज


नवीन जोशी, नैनीताल। पितृत्व विवाद में फंसे प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के डीएनए जांच में त्रुटि होने और एक लाख मामलों में से एक मामले में त्रुटि की संभावना जताकर स्वयं को निदरेष साबित करने की दलील को फारेंसिक विशेषज्ञ स्वीकार नहीं कर रहे हैं। नैनीताल में आयोजित देशभर के फारेंसिक मेडिसिन व टॉक्सीकोलॉजी विज्ञान विशेषज्ञों की 12वीं अखिल भारतीय कांग्रेस में यह मुद्दा अनेक विशेषज्ञों की जुबान पर था। अधिकतर का कहना था कि इस विशुद्ध वैज्ञानिक तकनीक को तकरे के आधार पर गलत नहीं ठहराया जा सकता। वहीं एम्स दिल्ली की वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं डीएनए प्रयोगशाला की प्रभारी डा. अनुपमा रैना ने भी कहा तिवारी द्वारा इस मामले में दिया जा रहा तर्क बेतुका है।
उन्होंने बताया कि केवल एक निषेचित अंडे के टूटकर दो भ्रूण के रूप में विकसित होने वाले दो जुड़वा भाइयों या जुड़वां बहनों का डीएनए समान हो सकता है जबकि सामान्यतौर पर जुड़वां पैदा होने वाले भाई-बहन अथवा दो से अधिक बच्चों के पैदा होने की स्थिति में भी (उनके अलग-अलग निषेचित अंडों से विकसित होने की वजह से) डीएनए समान नहीं होते। शनिवार को नगर के सूखाताल स्थित टीआरएच में डा. रैना ने एक भेंट में बताया कि डीएनए से किसी भी व्यक्ति की सौ फीसद सही पहचान होती है। दो लोगों के डीएनए नमूने मिलने की संभावना बेहद न्यूनतम (100 बिलियन यानी 10 करोड़ मामलों में ही कभी गलती से एक) हो सकती है। बेटे के डीएनए से पितृ पक्ष और बेटी के डीएनए से मातृ पक्ष की पीढ़ियों और उनके मूल के साथ ही व्यक्ति की उम्र, लिंग आदि की जानकारी भी आसानी से पता लगाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि देश के चर्चित प्रियदर्शिनी मट्टू और जेसिका लाल हत्याकांडों की गुत्थियां डीएनए जांचों से ही सुलझी हैं। केदारनाथ में विशेषज्ञ डीएनए नमूने लें तो बेहतर : केदारनाथ की त्रासदी में प्रदेश सरकार द्वारा अज्ञात व सड़े-गले शवों के डीएनए नमूने लिये जाने के बाबत पूछे जाने पर डा. अनुपुमा रैना का कहना है कि सामान्यत: पुलिसकर्मी डीएनए नमूने लेने में सक्षम नहीं होते। विशेषज्ञों को ही नमूने लेने चाहिए। केदारनाथ जैसे ठंडे स्थानों पर जमीन में दबे शवों के तीन-चार माह तक भी डीएनए नमूने लिए जा सकते हैं। 
यह भी पढ़ें: तिवारी के बहाने 

गुरुवार, 4 जुलाई 2013

ताक पर नदी किनारे की मनाही, झील के मुहाने पर प्रशासन खुद ही करा रहा निर्माण !


नवीन जोशी नैनीताल। प्रदेश में आई भीषण प्राकृतिक आपदा से सचेत होते हुए जहां प्रदेश सरकार नदियों के किनारे निर्माण प्रतिबंधित कर रही है। वहीं भूगर्भीय दृष्टिकोण से कमजोर सरोवरनगरी में बेहद संवेदनशील नैनीझील के मुहाने पर स्वयं प्रशासन ही विशालकाय व भारी-भरकम "न्यू ब्रिज कम बाईपास" का निर्माण किया जा रहा है। इस निर्माण का मूल उद्देश्य नगर के प्रवेश द्वार डांठ पर स्थित रोडवेज स्टेशन को यहां स्थानांतरित कर वाहनों का बोझ कम करना था, लेकिन इधर बताया जा रहा है कि रोडवेज ने न्यू ब्रिज में अत्यधिक निर्माण जगह की कमी को देखते हुए वहां बस अड्डा स्थानांतरित करने का विचार बदल दिया है और पुराने बस अड्डे को जीर्णोद्धार कर चकाचक कर दिया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि यह निर्माण किया ही क्यों जा रहा है। 

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2005-06 में सर्वप्रथम हल्द्वानी व भवाली रोड के बीच डांठ से पहले "न्यू ब्रिज" बनाने की योजना बनी थी। उद्देश्य था-डांठ से वाहनों का दबाव कम करना। योजना के पहले चरण में नैनीझील के अतिरिक्त पानी को बाहर बलियानाले में प्रवाहित करने के लिए 1.81 करोड़ रुपये की लागत से दो बैरलों, बिल्डिंग स्ट्रक्चर तथा लैंड फिल का कार्य 2007 में पूरा होना था। विवादों में रहा यह कार्य 2009 में पूरा हो पाया। 2010-11 में दूसरे चरण में 90.12 लाख रुपये से फिनिशिंग, ब्यूटिफिकेशन व स्लैब डालने के कार्य नौ माह के अंदर होने थे। पहले ठेकेदार करीब 30 लाख रुपये के कार्य कर चला गया, और फिर न्यायालयों तक पहुंचे लंबे विवाद के बाद इधर एक अप्रैल 13 से नये ठेकेदार को 58.47 लाख में छह माह में कार्य पूरा करने को मिला है। इन दिनों कार्य के तहत विशाल स्लैब डालने का कार्य चल रहा है, जिसे देखते हुए एवं केदारघाटी में आई भीषण तबाही को देखते हुए यह सवाल जोरों से उठ रहा है कि नैनीझील के मुहाने पर इतना विशालकाय निर्माण बड़ी आपदा को निमंत्रित करना तो नहीं है। कुमाऊं विवि के पूर्व प्राध्यापक एवं पर्यावरणविद् डा. अजय रावत का कहना है कि निर्माण से पूर्व ईआईए (इन्वायरमेंट इम्पेक्ट एसेसमेंट) यानी पर्यावरणीय परीक्षण और जनता से ईआईएस (इन्वायरंमेंट इम्पेक्ट स्टेटमेंट) यानी जनता के विचार भी नहीं लिए गए। उन्होंने प्रदेश में सभी जलराशियों के 30 फीट की दूरी में पहले से निर्माण प्रतिबंधित होने की बात भी कही। इस बारे में झील विकास प्राधिकरण के सचिव विनोद गिरि गोस्वामी ने कहा कि नदी किनारे नए निर्माणों पर रोक लगने जा रही है, जबकि यह राज्य एवं केंद्र सरकार से पूर्व में स्वीकृत निर्माण है। उन्होंने यहां कियोस्क (दुकानें) बनाने के कारण रोडवेज स्टेशन और वाहनों के लिए जगह की कमी की बात स्वीकारी, अलबत्ता कहा कि स्थान हो जाएगा। पूर्व में रोडवेज के अधिकारी यहां स्टेशन स्थानांतरित करने की हामी भर चुके हैं, और अभी तक मना करने की औपचारिक जानकारी नहीं है। प्रदेश में नदियों के किनारे निर्माण प्रतिबंधित करने की हुई है घोषणा नैनी झील का अतिरिक्त पानी यहीं से निकलता है बाहर यूजीसी के वैज्ञानिक डा. बीएस कोटलिया का कहना है कि इस निर्माण की शुरूआत में पूर्व में मौजूद ढांचे को तोड़ने के लिए धमाके भी किए गए थे, जिसके फलस्वरूप दरार उत्पन्न हो गई थीं, और झील से अधिक पानी का रिसाव होने लगा था। इसके निदान को बांध की तरह "नेटिंग" करने की सलाह दी गई थी, लेकिन वह कार्य भी नहीं किए गए। 

वर्ष 1898 में हुए भूस्खलन में हुई थीं 28 मौतें

नैनीताल। बलियानाला क्षेत्र नैनीताल नगर का आधार है, और बेहद कमजोर भौगोलिक व भूगर्भीय संरचना वाला है। मेन बाउंड्री के निकट स्थित इस नाले में हमेशा से भू-धंसाव होता रहता है। प्रख्यात पर्यावरणविद् डा. अजय रावत बताते हैं कि 17 अगस्त 1898 को यहां टूटा पहाड़ के पास भूकंप के साथ बेहद बड़ा भूस्खलन हुआ था। जिसकी वजह से ब्रेवरी (बीरभट्टी) में बियर की भट्टी में कार्यरत एक अंग्रेज समेत 28 लोग मारे गए थे। वर्तमान में भी यह क्षेत्र धंस रहा है। हरिनगर क्षेत्र को खाली कराने का प्रस्ताव है। ऐसे में डा. रावत झील के मुहाने पर इतने बड़े निर्माण को नगर के लिए बेहद खतरनाक मानते हैं।

बुधवार, 3 जुलाई 2013

देवभूमि को आपदा से बचाएगा नैनीताल, एसटी और डोपलर रडार लगेंगे



  • जिला प्रशासन ने डॉप्लर रडार लगाने को स्नोव्यू में तलाशी जमीन
  • एरीज भी अपने यहां लगाने को तैयार
  • एरीज में पहले ही एसटी रडार स्थापित

नवीन जोशी नैनीताल। यहां एरीज में हवाओं की निगहबानी करने वाली एसटी रडार स्थापित हो चुकी है और इसके जल्द कार्य शुरू करने की उम्मीद की जा रही है, वहीं वर्ष 2004 से लंबित डॉप्लर रडार लगाने के लिए जिला प्रशासन ने नगर के स्नोव्यू में लोनिवि की छह हजार वर्ग फीट भूमि इस हेतु चिह्नित कर ली है, जबकि एरीज के अधिकारियों ने अपने यहां इसे लगाने पर भी हामी भरी है। मौसम की सटीक जानकारी के लिए एसटी और डॉप्लर रडार की भूमिका महत्वपूर्ण है। एसटी रडार जहां वायुमंडल की करीब 20 से 25 मीटर की ऊंचाई की दिशा में हवाओं की गति पर और डॉप्लर रडार 360 डिग्री के कोण पर घूमते हुए 200 किमी की परिधि में वायुमंडल में मौजूद आर्द्रता-नमी पर नजर रखती है। इन दोनों प्रकार की रडारों के समन्वय से मौसम विभाग आने वाले मौसम की सटीक भविष्यवाणी कर पाता है।
वर्ष 2004-05 से मसूरी और नैनीताल में करीब 10 करोड़ रुपए लागत के डॉप्लर रडार लगाने की योजना बनी थी, लेकिन बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इस बार की भीषण आपदा से सबक लेते हुए डीएम अरविंद सिंह ह्यांकी ने प्रयास किए हैं। एक ओर स्थानीय आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) से डॉप्लर रडार लगाने के बाबत वार्ता की। एरीज के स्थानीय अधिकारियों ने इसे अपने परिसर में लगाने पर उच्च प्रबंधन से आसानी से स्वीकृति मिल जाने की बात कही है। इसके साथ ही स्नोव्यू क्षेत्र में लोनिवि की छह हजार वर्ग फीट भूमि की पहचान कर शासन को जानकारी दे दी गई है, ताकि एरीज और स्नोव्यू के दोनों स्थानों का परीक्षण कर लिया जाए। डीएम ने कहा कि परीक्षण में जो भी स्थान उपयुक्त पाया जाएगा, उसका तत्काल प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया जाएगा। इधर राज्य के मौसम विभाग के निदेशक आनंद शर्मा ने मौसम की निगरानी के लिए डॉप्लर रडार को सबसे प्रभावी बताया। बताया कि 2004-05 से इसका प्रस्ताव लंबित था। राज्य सरकार स्थान उपलब्ध कराए तो केंद्रीय मौसम विभाग डॉप्लर रडार स्थापित करेगा।
एसटी रडार से 24 घंटे पहले तक हो सकेगी सटीक भविष्यवाणी
नैनीताल। एरीज में देश की सबसे बड़ी 206 मेगा हर्ट्ज क्षमता का एसटी रडार शीघ्र कार्य शुरू कर देगा। इससे पहाड़ी राज्यों में बादल फटने, तूफान आने सहित वायुयानों के बाबत करीब 24 घंटे पूर्व तक सटीक भविष्यवाणी हो सकेगी। एरीज के वायुमंडल वैज्ञानिक व एसटी रडार विोषज्ञ डा. नरेंद्र सिंह ने बताया कि यह रडार अगस्त अंत तक कार्य करना प्रारंभ कर देंगे। यह रडार वायुमंडल में चलने वाली हवाओं के 150 किमी प्रति घंटा की गति तक जाने की संभावना का दो दिन पहले ही अंदाजा लगाने की क्षमता रखती है। साथ ही यह धरती की सतह से 25 किमी ऊपर वायुमंडल की वज्रपात, बिजली की गर्जना, वायुयानों के चलने वाली हवाओं के रुख का अनुमान भी 24 घंटे पूर्व लगा सकता है।
धाकुड़ी, बदियाकोट व मदकोट में स्थापित हुए वायरलेस स्टेशन
नैनीताल। पुलिस ने कुमाऊं मंडल में आपदा के दौरान दूरस्थ क्षेत्रों से सूचनाओं के आदान-प्रदान के मद्देनजर तीन अस्थायी वायरलेस स्टेशनों की स्थापना की है। अपर राज्य रेडियो अधिकारी जीएस पांडे ने बताया कि बागेश्वर जिले के दूरस्थ पिंडारी ट्रेकिंग रूट पर धाकुड़ी एवं बदियाकोट में तथा पिथौरागढ़ जिले के मदकोट में वायरलेस स्टेशन स्थापित किये गए हैं। इन स्टेशनों पर वायरलेस ऑपरेटरों की तैनाती भी की गई है। कोई भी व्यक्ति यहां आकर आपदा से संबंधित सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकता है। कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग पर पहले ही पुलिस की ऐसी व्यवस्था गुंजी तक मौजूद है। इसके अलावा तीन सेटेलाइट फोन भी दूरस्थ क्षेत्रों में उपलब्ध कराए गए हैं।

मंगलवार, 28 मई 2013

शून्य से नीचे गया नैनी झील का जलस्तर

Rashtriya Sahara, 28th May 2013
हर रोज 0.15 इंच यानी करीब 40 मिमी की दर से घट रहा है जलस्तर
नवीन जोशी, नैनीताल। सरोवरनगरी में इस वर्ष शीतकाल में और आगे भी लगातार हुई वर्षा के बाद उम्मीद की जा रही थी कि इस वर्ष नैनीझील पिछले वर्ष जैसा भयावह चेहरा नहीं दिखाएगी लेकिन नगरवासियों, पर्यावरण प्रेमियों की उम्मीदों पर सीजन की मार बेहद गहरी पड़ी है। उम्मीदों के विपरीत सीजन के औपचारिक रूप से शुरू होने के 12 दिन के अंदर ही नैनी झील का जल स्तर मापे जाने की व्यवस्था के तहत शून्य के नीचे चला गया है। इससे भी भयावह तथ्य यह है झील का जलस्तर हर रोज घटने की दर 0.15 इंच यानी करीब 40 मिमी तक पहुंच गई है, और यह दर लगातार बढ़ रही है। नैनीझील के जल स्तर और बारिश के गत तीन वर्ष के आंकड़ों की बात करें तो इस वर्ष 26 मई को झील का जल स्तर शून्य के नीचे गया है, जबकि 2011 में तीन मई को और 12 में 30 अप्रैल को ही शून्य के नीचे चला गया था। इस लिहाज से इस वर्ष देरी से झील का जल स्तर गिरा है लेकिन यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि इस वर्ष अब तक 674.64 मिमी बारिश दर्ज हुई है, जबकि 11 में इसकी करीब आधी यानी 362.96 मिमी और 12 में करीब चौथाई यानी 191.77 मिमी ही बारिश हुई थी। यानी इस वर्ष गत वर्ष के मुकाबले चार गुना अधिक बारिश होने के बावजूद 26 दिन बाद ही झील का जल स्तर शून्य के नीचे आ गिरा है। एक और तथ्य उल्लेखनीय है कि इस वर्ष नौ मई तक झील का जल स्तर गिरने की दर 0.05 इंच यानी करीब 13 मिमी प्रतिदिन थी जो इसके बाद सीधे दोगुनी होकर 0.1 इंच और इधर सीजन के औपचारिक रूप से शुरू होने के दिन यानी 16 मई से 0.13 इंच प्रति दिन हो गई है। आगे इसी तरह सीजन की भीड़भाड़ के बरकरार रहने से जल की खपत और गरमी बढ़ने से वाष्पीकरण की दर बढ़ने से झील के सूखने की दर में भी तेजी आनी लाजमी है।

झील को दो वर्षो से 'रिफ्रेश' होने का इंतजार

नैनीताल। नैनीझील का जल स्तर वर्ष 2011 में तीन मई से एक जुलाई के बीच शून्य से नीचे रहा था और बारिश होने पर 29 जुलाई को ही जल स्तर 8.7 फीट पहुंच गया था, जिस कारण झील के गेट खोलने पड़े थे, जबकि बीते वर्ष 2012 में गरमियों में 30 अप्रैल से 17 जुलाई तक जल स्तर शून्य से नीचे (अधिकतम माइनस 2.6 फीट तक) रहा था और आगे खूब बारिश होने के बावजूद झील के गेट नहीं खुल पाए थे। इस कारण झील का गंदा पानी व गंदगी दो वर्षो से बाहर नहीं निकल पाई है और झील ‘रिफ्रेश’ नहीं हो पाई है।

गुरुवार, 23 मई 2013

पार्टियां नहीं, जनता खड़ा करे प्रत्याशी : अन्ना



कहा, संविधान में पार्टियों के चुनाव लड़ने पर थी पाबंदी, इसीलिए गांधी ने कांग्रेस को भंग करने की जताई थी जरूरत
नवीन जोशी, नैनीताल। प्रसिद्ध समाजसेवी अन्ना हजारे ने दावा किया है कि देश के संविधान में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि पार्टियों को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए, वरन जनता को स्वयं अपने प्रत्याशी खड़े करने चाहिए। यही असल गणराज्य की शर्त थी, जिस पर देश की सभी पार्टियों ने देश की जनता से धोखा किया है। उन्होंने कहा कि इसीलिए गांधी जी ने देश की आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी को भंग करने की बात कही थी। अन्ना ने कहा कि कहा कि देश में ज्यादातर समस्याएं पार्टियों की राजनीति की वजह से पैदा हुई हैं। बृहस्पतिवार को जनतंत्र यात्रा के तहत नैनीताल पहुंचे अन्ना ने राज्य अतिथि गृह में मीडिया से वार्ता करते हुए कहा कि पार्टियों की राजनीति के कारण ही देश में जाति-पांति व घरानेशाही की प्रवृत्ति हावी है। यह घरानाशाही लोकशाही के लिए बड़ा खतरा है। इसी वजह से देश में सत्ता से पैसा और पैसे से सत्ता प्राप्त करने की प्रतिस्पर्धा चल रही है। पार्टियां अपनी मर्जी के टिकट देती हैं, और करोड़ों रुपये खर्च करके चुनाव प्रचार करती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान में पार्टियों को दो हजार रुपये देने की छूट दी गई और इस आड़ में उद्योगपति फर्जी नामों से पार्टियों को करोड़ों रुपये देते हैं। उन्होंने अरविन्द केजरीवाल के पार्टी बनाने के निर्णय की भी आलोचना की।

इस बार लाइन और बड़ी कर देंगे..
नैनीताल। अन्ना हजारे ने कहा कि 10 माह बाद 2011 से भी बड़ा आंदोलन करते हुए वापस रामलीला मैदान में अनशन पर बैठेंगे, क्योंकि इस बार उनकी देश भर में चल रही जनतंत्र यात्रा के माध्यम से जुड़े करोड़ों लोग भी साथ होंगे। अपने बड़े आंदोलन की असफलता से देश में अन्य आंदोलनों की राह कठिन करने के प्रश्न पर उन्होंने टिप्पणी की कि इस बार ऐसी बड़ी रेखा खींचेंगे कि सरकार को उनकी बात माननी ही होगी, वरना जाना होगा। उन्होंने केंद्र सरकार पर लोकपाल के नाम पर देश की जनता के साथ धोखा करने का आरोप लगाया। अन्ना ने कहा कि उत्तराखंड में उन्हें उम्मीद से कहीं अधिक समर्थन मिला है। पंजाब के जलियावाला बाग से हिमाचल, पश्चिमी यूपी, राजस्थान होते हुए दूसरी बार उत्तराखंड पहुंचे हैं, अभी 10 माह और पूरा देश घूमेंगे और 'सत्ता नहीं व्यवस्था परिवर्तन' कराकर ही दम लेंगे। स्वामी विवेकानंद, अपने माता-पिता और महात्मा गांधी को उन्होंने अपना आदर्श बताया। केजरीवाल के संगठन छोड़ने पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने यह शेर कहा, मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर, लोग जुड़ते गए, कारवां बनता गया।

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