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शनिवार, 8 मार्च 2014

महिला दिवस पर सुखद खबर: नैनीताल में सुधरा लिंगानुपात



  • साल 2013-14 में लिंगानुपात 945.5 से ज्यादा, पिछले साल 921 था 
  • दूरस्थ इलाकों में स्थिति अब भी चिंताजनक
नवीन जोशी, नैनीताल। जी हां, मां नयना के साथ नंदा व सुनंदा की नगरी सरोवरनगरी में बालिकाओं के पक्ष में सुखद समाचार आया है। जहां देश व प्रदेश में छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों में लिंगानुपात वर्ष 2011-12 के 879 से नीचे गिरकर 2012-13 में 866 हो गया है, वहीं नगर में नए पैदा हुए बच्चों के मामले में 2013-14 में लिंगानुपात 945.5 से अधिक के स्तर पर पहुंच गया है, जबकि बीते वर्ष यह 921 रहा था। उल्लेखनीय है कि जीव वैज्ञानिक व प्राकृतिक दृष्टिकोण से प्रकृति में बेहतर सामंजस्य के लिए 983 को आदर्श लिंगानुपात माना जाता है, लेकिन बीते वर्षो में प्रसव पूर्व जांच व एक या दो बच्चे ही पैदा करने की प्रवृत्ति के चलते लिंगानुपात तेजी से घटते हुए चिंताजनक स्थिति में जा पहुंचा है। खासकर शून्य से छह वर्ष के बच्चों के मामले में लिंगानुपात वर्ष 2011 में 886 था जो 2012 में और घटकर 800 से नीचे आ गया। वहीं कुमाऊं मंडल व जिला मुख्यालय में पैदा हो रहे बच्चों में लिंगानुपात के आंकड़े काफी हद तक सुखद कहे जा सकते हैं। यहां वर्ष 2012-13 की बात करें तो कुल पैदा हुए 634 बच्चों में से 330 बालक और 304 बालिकाएं थीं। इस प्रकार लिंगानुपात 921 रहा है। वहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष में अप्रैल 13 से फरवरी 14 माह तक के प्राप्त आंकड़ों के अनुसार यहां पैदा हुए 607 बच्चों में से 312 बालक और 295 बालिकाएं पैदा हुई हैं। इस प्रकार लिंगानुपात 945.5 से भी अधिक रहा है, जो बेहद सुखद कहा जा रहा है। अस्पताल की सीएमएस डा. विनीता सुयाल ने भी इस पर खुशी व्यक्त की है। बताया गया है कि जिले के भीमताल, धारी व कोटाबाग जैसे अधिक शहरी इलाकों वाले ब्लॉकों में भी बच्चों में लिंगानुपात की स्थिति अच्छी है, जबकि दूरस्थ व पिछड़े इलाकों में शुमार बेतालघाट व ओखलकांडा ब्लाकों में लिंगानुपात की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बालिकाओं में ज्यादा

नैनीताल। देश-दुनिया व जनपद की बालिकाएं जहां स्कूल स्तर पर बालकों से अधिक बीमार नजर आ रही हैं, यह तथ्य भी जान लें कि प्राकृतिक तौर पर बालिकाओं में बालकों के मुकाबले अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। बीडी पांडे जिला महिला चिकित्सालय की सीएमएस डा. विनीता शाह बताती हैं कि इसी कारण प्राकृतिक व जीव वैज्ञानिक तौर पर (बायलॉजिकल सेक्स रेशियो) लिंगानुपात 983 होता है। माना जाता है कि एक हजार बालकों में से करीब 27 बालक जीवित नहीं रह पाएंगे और भविष्य में बालक व बालकों के बीच अंतर नहीं रह जाएगा, लेकिन मौजूदा लिंगानुपात लगातार घट रहा है। देश का लिंगानुपाल 940, प्रदेश का लिंगानुपात गत वर्ष के 983 से घटकर 913 और जनपद का 933 रह गया है। वहीं इससे भी अधिक चिंता की बात शून्य से छह वर्ष के बच्चों में लिंगानुपात 891 से भी घटकर 886 रह जाने को लेकर है।

सोमवार, 3 दिसंबर 2012

"बूढ़े" डाक्टरों के लिए बंद हो जाएंगे स्वास्थ्य महकमे के द्वार


पिछली सरकार के एक और निर्णय को बदलने की तैयारी में सरकार
नवीन जोशी नैनीताल। प्रदेश सरकार पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के एक और निर्णय को बदलने की तैयारी में है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि सरकार सेवानिवृत्त चिकित्सकों को संविदा पर आगे से नियुक्ति न देने पर विचार कर रही है। उनके मार्च में समाप्त हो रहे अनुबंध तभी बढ़ाए जाएंगे, जब वे अपने आला अधिकारी सीएमएस या सीएमओ से उपयोगिता प्रमाणपत्र पेश करेंगे कि उन्होंने संविदा की अवधि में कितने मरीज देखे और कितने ऑपरेशन या अन्य कार्य किए। प्रदेश में चिकित्सकों की कमी को देखते हुए वर्ष 2001 से ही संविदा पर चिकित्सकों को रखने की व्यवस्था की गई थी, निशंक सरकार के समय इस तरीके को चिकित्सकों की कमी को दूर करने का प्रमुख माध्यम बनाया गया। वर्ष 2011 में एक शासनादेश भी इस बाबत जारी हुआ। हर मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग के देहरादून मुख्यालय में संविदा पर एक वर्ष या लोक सेवा आयोग से नियमित नियुक्ति होने तक के लिए तैनात करने के लिए चिकित्सकों के 'वाक इन इंटरव्यू' होने लगे, जो हालांकि अधिकतम 65 वर्ष तक की उम्र के नये या सेवानिवृत्त सभी सामान्य एमबीबीएस व विशेषज्ञ चिकित्सकों के लिए थे, लेकिन सेवानिवृत्त चिकित्सकों ने ही इसका अधिकतम लाभ उठाया। संविदा पर तैनाती दूरस्थ क्षेत्रों में होनी थी, लेकिन बूढ़े-बीमार चिकित्सक शहरी अस्पतालों में तैनात हो गये, जिनकी सेवाओं का लाभ जनता को कम ही मिल पाया। प्रदेशभर में ऐसे एक हजार से अधिक चिकित्सक हैं। हाल में एनआरएचएम के तहत इन चिकित्सकों के लिए शहरी, दुर्गम व अति दुर्गम के वर्ग बनाकर उनके मानदेय में भी खासी बढ़ोतरी कर वेतन 48 हजार से 63 हजार रुपये मासिक तक कर दिया गया। इसके बावजूद योजना नये चिकित्सकों को आकर्षित करने एवं बूढ़े डॉक्टरों को दुर्गम-अति दुर्गम क्षेत्रों के अस्पतालों में भेजने में असफल रही है। 'राष्ट्रीय सहारा' शुरू से इस व्यवस्था की खामियों को प्रमुखता से उजागर करता रहा है। उधर रविवार रात्रि स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि सरकार सेवानिवृत्त चिकित्सकों की संविदा पर तैनाती की व्यवस्था का रिव्यू करने जा रही है।


पीपीपी मोड में नहीं चलेंगी गन्ना मिलें
काबीना मंत्री बोले, प्रदेश सरकार ने 500 करोड़ के कर्ज किये माफ मेडिकल छात्रों की सीधी भर्ती के लिए नियमावली में परिवर्तन होगा
नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश के स्वास्थ्य, विज्ञान एवं गन्ना विकास मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश सरकार गन्ना क्षेत्र में दक्षिण भारत के प्रयोगों को अपनाकर 20 फीट लंबे व मोटे गन्ने उगाने जैसे क्रांतिकारी कार्य करने की राह पर है। इसी कड़ी में बंदी की कगार पर गिनी जा रही छह सहकारी एवं चार निजी क्षेत्र की चीनी मिलों को वापस पटरी पर लाने के लिए इनकी 500 करोड़ रुपये की सरकारी देनदारियां माफ कर दी हैं। साथ ही इन मिलों को सरकार बैंकों के 25 करोड़ रुपये के ऋ णों के लिए गारंटी भी देने जा रही है। उन्होंने प्रदेश में चिकित्सकों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए भी प्रयास करने की बात कही। इसमें मेडिकल कालेजों से निकलने वाले छात्रों को लोक सेवा आयोग से इतर सीधी भर्ती करने के लिए नियमावली में परिवर्तन किया जाना भी शामिल है। श्री नेगी ने नगर में आयोजित पत्रकार वार्ता में यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश की चीनी मिलें 230 करोड़ Rs के घाटे में चल रही हैं, इसीलिए पहले इन्हें पीपीपी मोड में दिये जाने की कोशिश थी। इसे दरकिनार कर अब सरकार ने इनका 500 करोड़ रुपये का बकाया माफ करने का निर्णय ले लिया है। मिलों पर किसानों का 136 करोड़ रुपये बकाया था, इसे किसानों को दिलवा दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जमीन की केवल चार इंच ऊपरी सतह को ही हर वर्ष जुताई कर फसलें बोई जाती हैं, अब सरकार दक्षिण भारत की तरह जमीन की निचली सतह तक खोदकर 20-22 फीट लंबे गन्ने उगाने की प्रविधि शुरू करने जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों के वाक इन इंटरव्यू में डॉक्टरों के आने की संख्या बढ़ी है। इस मौके पर विधायक सरिता आर्या, पूर्व सांसद डा. महेंद्र पाल एवं रेडक्रास सोसायटी के विनोद तिवारी, डिप्टी सीएमओ डा. डीएस गब्र्याल व पीएमएस डा. अनिल साह आदि भी मौजूद थे।

मूलतः यहाँ पढ़ें:  राष्ट्रीय सहारा-4.12.12 के प्रथम पेज पर:
http://rashtriyasahara.samaylive.com/epapermain.aspx?queryed=14&eddate=12%2F04%2F2012