- फिर खुली 1869-1873 की ‘हिल साइड सेफ्टी कमेटी’ की फाइल
- राज्यपाल की पहल पर लोनिवि ने तैयार किया नैनीताल की सुरक्षा के लिए 58 करोड़ रुपये के सुरक्षा कार्यों का प्रस्ताव
नवीन जोशी नैनीताल। आखिर नैनीताल प्रशासन को 1869 एवं 1873 में सरोवरनगरी की सुरक्षा के बाबत महत्वपूर्ण सिफारिशें देने वाली हिल साइड सेफ्टी कमेटी (पूरा नाम रेगुलेशन इन कनेक्शन विद हिल साइड सेफ्टी एंड लेक कंट्रोल, नैनीताल) की याद आ गई है। इस समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय एवं निर्माण खंडों ने संयुक्त रूप से 58.02 करोड़ रुपयों का प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसे विभागीय स्तर पर अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता आदि से होते हुए शासन को भेजा जाना है। खास बात यह है कि यह प्रस्ताव प्रदेश के राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी की पहल पर तैयार किया गया है। गौरतलब है कि देश-प्रदेश के महत्वपूर्ण व भूकंपीय संवेदनशीलता के लिहाज से जोन-चार में रखे गये नैनीताल नगर की कमजोर भूगर्भीय संरचना के कारण नगर की सुरक्षा पर अंग्रेजों के दौर से ही चिंता जताई रही है। नगर में अंग्रेजी दौर में 1867, 1880,1898 व 1924 में भयंकर भूस्खलन हुआ था। 1880 के भूस्खलन ने तो 151 लोगों को जिंदा दफन करने के साथ ही नगर का नक्शा ही बदल दिया था। इसी दौर में 1867 और 1873 में अंग्रेजी शासकों ने नगर की सुरक्षा के लिए सर्वप्रथम कुमाऊं के डिप्टी कमिश्नर सीएल विलियन की अध्यक्षता में अभियंताओं एवं भूगर्भ वेत्ताओं की हिल साइड सेफ्टी कमेटी का गठन किया था। इस समिति ने समय-समय पर अनेक रिपोर्टे पेश कीं, जिनके आधार पर नगर में बेहद मजबूत नाला तंत्र विकसित किया गया, जिसे आज भी नगर की सुरक्षा का मजबूत आधार बताया जाता है। इस समिति की 1928 में नैनी झील, पहाड़ियों और नालों के रखरखाव के लिए जारी समीक्षात्मक रिपोर्ट और 1930 में जारी स्टैंडिंग आर्डरों को ठंडे बस्ते में डालने के आरोप शासन-प्रशासन पर लगातार रहते हैं, और इसी को नगर के वर्तमान हालातों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इधर, गत पांच जुलाई को प्रदेश के राज्यपाल ने नैनीताल राजभवन में नगर की सुरक्षा के मद्देनजर गणमान्य नागरिकों व जानकार लोगों तथा संबंधित विभागीय अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक ली थी। इसके बाद तेज गति से दौड़े लोनिवि ने नगर की पहाड़ियों में हो रहे भूस्खलन व कटाव के लिए नगर के कुल 62 में से नैनी झील के जलागम क्षेत्र के 42 नालों में से अधिकांश के क्षतिग्रस्त होने को प्रमुख कारण बताया है, तथा इनका सुधार आवश्यक करार दिया है। इन कायरे के लिए प्रांतीय खंड के अधीन 13.32 करोड़ एवं निर्माण खंड के अधीन 44.69 करोड़, कुल 5801.6 लाख यानी करीब 58.02 करोड़ रुपये के कायरे का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। लोनिवि प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता ने उम्मीद जताई कि जल्द प्रस्तावों को शासन से अनुमति मिल जाएगी। बहरहाल, माना जा रहा है कि यदि राज्यपाल के स्तर से हुई इस पहल पर शासन में अमल हुआ तो नैनीताल की पुख्ता सुरक्षा की उम्मीद की जा सकती है।
प्रस्ताव के प्रमुख बिंदु
- राजभवन की सुरक्षा को नैनीताल बाईपास से गोल्फ कोर्स तक निहाल नाले में बचाव कार्य
- नालों की मरम्मत एवं पुनर्निर्माण होगा
- आबादी क्षेत्र के नाले स्टील स्ट्रक्चर व वेल्डेड जाली से ढकेंगे
- नालों के बेस में सीसी का कार्य नालों एवं कैच पिट से मलबा निस्तारण
- नाला नंबर 23 में यांत्रिक विधि से मलबा निस्तारण हेतु कैच पिटों का निर्माण
- मलबे के निस्तारण के लिए दो छोटे वाहनों की खरीद
राजभवन की सुरक्षा को 38.71 करोड़ का प्रस्ताव
नैनीताल। लोनिवि द्वारा तैयार 58.02 करोड़ के प्रस्तावों में सर्वाधिक 38.71 करोड़ रुपये नैनीताल राजभवन की सुरक्षा के लिए निहाल नाले के बचाव कायरे पर खर्च किये जाएंगे। लोनिवि की रिपोर्ट में नैनीताल राजभवन से लगे गोल्फ कोर्स के दक्षिणी ढाल की तरफ 20- 25 वर्षो से जारी भूस्खलन पर भी चिंता जताते हुए इस नाले से लगे नये बन रहे नैनीताल बाईपास से गोल्फ कोर्स तक की पहाड़ी की प्लम कंक्रीट, वायर क्रेट, नाला निर्माण, साट क्रीटिंग व रॉक नेलिंग विधि से सुरक्षा किये जाने की अति आवश्यकता बताई गई है।