aadi kailas लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
aadi kailas लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 30 मई 2012

रुपये की "नरमी" से कैलास यात्रा में भी "गरमी"


एक हजार डॉलर से अधिक खर्च करने पड़ते हैं चीन में
नवीन जोशी नैनीताल। विश्व की प्राचीनतम और एक से अधिक देशों से होकर गुजरने वाली अनूठी कैलास मानसरोवर यात्रा पर भी भारतीय रुपये में आई भारी नरमी का असर देखना पड़ सकता है। इस कारण आगामी एक जून से शुरू होने जा रही इस यात्रा पर जाने वाले प्रत्येक तीर्थयात्री को जहां करीब आठ हजार रुपये से अधिक खर्च करने पड़ेंगे, वहीं चीन को इस यात्रा के जरिये गत वर्ष के मुकाबले 60 लाख रुपये अधिक प्राप्त होंगे।
गौरतलब है कि भारतीय तीर्थयात्रियों को चीन के हिस्से में स्थित पवित्र कैलास मानसरोवर के यात्रा मार्ग में चीन सरकार को 751 डॉलर का भुगतान करना पड़ता है, जबकि कैलास पर्वत एवं मानसरोवर झील की परिक्रमा तथा चीन में निजी खर्च पर कम से कम 250 डॉलर खर्च करने पड़ते हैं। इधर विश्व बाजार में गत वर्ष डॉलर के मुकाबले करीब 48 रुपये पर रहा भारतीय रुपया इस वर्ष अपने बेहद निचले स्तर 56 रुपये तक पहुंच गया है, यानी एक डॉलर खरीदने के लिए भारतीय यात्रियों को चीन में करीब आठ रुपये और पूरी यात्रा पर औसतन आठ हजार रुपये अधिक खर्च करने होंगे। इस प्रकार यात्रा पर जाने वाले औसतन 750 भारतीय तीर्थयात्रियों से चीन को 60 लाख भारतीय रुपये अधिक मिलेंगे। जान लें कि गत वर्ष 761 तथा अब तक 11,744 यात्री कैलास मानसरोवर की यात्रा कर चुके हैं।
अनेक रूपों में होंगे शिव के दर्शन 
देवाधिदेव शिव के धाम कैलास यात्रा पर जाने वाले यात्रियों को इस वर्ष जहां भारतीय रुपये की गिरावट से नुकसान झेलना होगा, वहीं यात्रा की भारतीय क्षेत्र में आयोजक संस्था कुमाऊं मंडल विकास निगम ने पहली बार यात्रा में ऐसा आकर्षण जोड़ा है कि यात्रियों को यह खर्च अधिक नहीं खलेगा। इस वर्ष निगम अपना शुल्क 27 हजार रुपये बढ़ाए बिना यात्रा की अवधि एक दिन और चौकोड़ी में एक पड़ाव बढ़ाकर नये आकषर्ण उपलब्ध करा रहा है। इस प्रकार अब यात्री शिव के कत्यूरी स्थापत्य कला के अनूठे मंदिर बैजनाथ, बागेश्वर में शिव-शक्ति ब्याघ्रेश्वर, पाताल भुवनेश्वर गुफा, जौंलजीवी में ज्वालेश्वर तथा जागेश्वर में शिव के नागेश रूप के दर्शन भी कर पाएंगे। पूर्व में केवल ज्वालेश्वर व जागेश्वर के ही दर्शन हो पाते थे। 
स्मृति चिह्न देगा केएमवीएन 
कैलास यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों को पहली बार केएमवीएन स्मृति चिह्न देने जा रहा है। निगम के एमडी दीपक रावत ने बताया कि यात्रा की तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। यात्रा पूरी करने पर सभी यात्रियों को कुमाऊं की हस्तकला से निर्मित आकषर्क स्मृति चिह्न दिए जाएंगे। यात्रा में कुमाऊंनी भोजन तथा लोक संस्कृति से संबंधित लोक नृत्य, गीत आदि के जरिये मनोरंजन भी कराया जाएगा। भारतीय क्षेत्र के सभी 15 पड़ावों में स्थापित शिविरों में बीएसएनएल की सहायता से डीएसपीटी यानी डिजिटल सेटेलाइट फोन टर्मिनल स्थापित कर दिए गए हैं। एक जून को पहला बैच दिल्ली से चलकर काठगोदाम पहुंचेगा। इस दल के स्वागत के लिए वह स्वयं उपस्थित होंगे। 
स्वामी व रावत थे पहले यात्रा दल में शुमार 
केएमवीएन ने कैलास मानसरोवर यात्रा की शुरूआत वर्ष 1981 में की थी लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि पहली यात्रा में केवल तीन दलों में मात्र 59 यात्री शामिल हुए थे, इनमें वर्तमान भाजपा व पूर्व जनता पार्टी के बहुचर्चित नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी तथा उत्तराखंड के सांसद व केंद्रीय मंत्री हरीश रावत भी शामिल थे। वर्ष 1992 तक यात्रा में दलों की संख्या छह-सात तथा यात्रियों की संख्या 150-250 के बीच रही। उत्तराखंड बनने के बाद 2000 में पहली बार 16 दल भेजे गए। 2008 में चीन में विपरीत हालातों के कारण केवल आठ दल ही जा सके। इस बीच यात्रा के दौरान मालपा हादसा भी हुआ, जिसमें सिने कलाकार कबीर बेदी की पत्नी प्रोतिमा बेदी समेत अनेक तीर्थयात्रियों को जान गंवानी पड़ी थी।

बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

कैलाश मानसरोवर यात्रा हुई आठ हजार रुपये महंगी

यात्रा मार्ग और अवधि बढ़ने के बाद विदेश मंत्रालय ने बढ़ाया केएमवीएन का खर्चा
नवीन जोशी, नैनीताल। कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए इस वर्ष भक्तों को प्रत्यक्ष रूप से आठ हजार रुपये तक अधिक खर्च करने पड़ेंगे। विदेश मंत्रालय ने केएमवीएन के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए यात्रा किराया ढाई हजार रुपये प्रति श्रद्धालु बढ़ा दिया है, जबकि बीते एक वर्ष में भारतीय रुपये के डॉलर के मुकाबले कमजोर होने से यात्रियों को चीन को करीब पांच से साढ़े पांच हजार रुपये अधिक देने होंगे। 
उल्लेखनीय है कि भारत में कैलाश मानसरोवर का यात्रा का जिम्मा संभालने वाले कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) ने विदेश मंत्रालय से यात्रा किराया बढ़ाने के लिए आवेदन किया था। निगम के मंडलीय प्रबंधक पर्यटन डीके शर्मा ने बताया कि विदेश मंत्रालय ने यात्रा किराया गत वर्ष के 24,500 से बढ़ाकर 27 हजार रुपये करने को स्वीकृति दे दी है। निगम की परेशानी यह थी कि गत वर्ष तक के यात्रा मार्ग मांगती व गाला के बीच बीआरओ द्वारा सड़क बनाई जा रही है। इस सड़क में भूस्खलन हो रहा है। इसलिए बीआरओ ने इस मार्ग पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर मांगती से गाला के बीच के मार्ग पर पैदल यात्रा कराने से मना कर दिया। इस कारण निगम को इस वर्ष यात्रा पूर्व के मार्ग से करानी पड़ रही है। इस कड़ी में सिरख में एक नया शिविर स्थापित करना पड़ रहा है, जिससे आने-जाने में पैदल यात्रा 36 किमी और यात्रा अवधि दो दिन बढ़ रही है। हां, इस कारण यात्रियों को नारायण स्वामी आश्रम देखने का अवसर मिलेगा। उल्लेखनीय है कि चीन के हिस्से में यात्रा के लिए हर यात्री को चीन सरकार को 700 डॉलर पड़ते हैं। अर्थशास्त्रियों के अनुसार बीते वर्ष में एक डॉलर की भारतीय मुद्रा में कीमत करीब सात से आठ रुपये तक बढ़ी है, इस कारण भारतीय यात्रियों को चीन में यात्रा सुविधाओं के लिए करीब पांच से साढ़े पांच हजार रुपये तक अतिक्ति अदा करने होंगे। श्री शर्मा ने बताया कि निगम ने इस बार यात्रा मार्ग के सभी छह शिविरों में दो-दो कमरे अतिरिक्त होंगे। इससे हर शिविर में 16 यानी कुल 96 अतिरिक्त शैयाओं की सुविधा होगी। वैसे पूर्व में भी निगम हर यात्रा दल में 60 यात्रियों के लिए पूरी व्यवस्था रखता रहा है, इस बार अतिरिक्त कक्ष होने से खासकर महिला यात्रियों को सुविधा मिलेंगी।
आदि कैलाश यात्रा का किराया भी बढ़ा
नैनीताल। शिव के छोटे धाम कहे जाने वाले आदि कैलाश यात्रा पर महंगाई की मार पड़ी है। यह यात्रा अब करीब चार हजार रुपये महंगी होगी। अब तक इस यात्रा का किराया 17,600 रुपये था, जबकि इस वर्ष से यात्रियों को 21 हजार रुपये प्रति यात्री के साथ ही 2.58 फीसद सर्विस टैक्स अलग से वहन करना होगा। इसके साथ ही निगम ने महंगाई के मद्देनजर पर्यटक आवासगृहों का किराया भी सीजन तक बढ़ने के संकेत दिये हैं।
यहाँ प्रथम पेज पर भी देख सकते हैं: