- उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले से पुख्ता हुआ न्याय पर विश्वास
नवीन जोशी, नैनीताल। उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है, यहां के कण-कण में देवत्व का वास बताया जाता है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा सोमवार को होनहार कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले में आये फैसले से देवभूमि की ऐसी ही महिमा साकार हुई है। मामले में आये उच्च न्यायालय के फैसले को आज दोनों पक्षों के अधिवक्ता जिस प्रकार अनपेक्षित बता रहे थे, उससे यह विास भी पक्का हुआ है कि सरोवरनगरी के पास ही विराजने वाले कुमाऊं के न्याय देव ग्वेल से लगाई जाने वाली न्याय की गुहार कभी खाली नहीं जाती। गौरतलब है कि इस मामले में अपनी कवयित्री बहन के कातिल यूपी के दबंग मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के खिलाफ लड़ने वाली बहन निधि शुक्ला ने गत वर्ष ही, जब वह अपनी न्यायिक जीत को करीब-करीब मुश्किल मान बैठी थी, उसने देवभूमि वासियों और निकटवर्ती घोड़ाखाल स्थित ग्वेल देवता के मंदिर में न्याय की गुहार लगाई थी। ग्वेल देवता को कुमाऊं का न्यायदेव कहा जाता है। ग्वेल देवता के कुमाऊं में चंपावत, द्वाराहाट, चितई व घोड़ाखाल आदि में मंदिर हैं। कहा जाता है कि ग्वेल देव से लगाई जाने वाली न्याय की गुहार कभी खाली नहीं जाती। इसलिए लोग ग्वेल देवता के मंदिर में सादे कागजों और स्टांप पेपर पर भी अर्जियां देकर न्याय की प्रार्थना करते हैं। यह भी कहा जाता है कि यदि न्याय मांगने वाला व्यक्ति खुद गलत होता है तो देवता उसे उल्टी सजा देने से भी नहीं चूकते। ऐसी अनेक दंतकथाएं प्रचलित हैं, जिनमें ग्वेल देव ने न्याय किया। कमोबेश इस मामले में भी ग्वेल देव का न्याय पक्का हुआ है। इस मामले में अपने बुलंद इरादों के बावजूद और लड़ाई को मुकाम तक पहुंचाने वाली निधि शुक्ला भी न्यायालय के ऐसे फैसले की कल्पना नहीं कर रही थी। फैसले के दो दिन पूर्व ही दबंग मंत्री अमरमणि त्रिपाठी से बेहद डरी हुई निधि शुक्ला ने राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की गुहार तक लगा दी थी। अभियुक्त मंत्री अमरमणि ने भी मामले की पैरवी में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। कोलकाता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सहित दर्जन भर से अधिवक्ता इधर मामले की पैरवी में लगे हुए थे। आज न्यायालय से ऐसे फैसले की उम्मीद होती तो शायद न्यायालय परिसर में भी अलग ही नजारा होता। शायद इसीलिए ‘न्याय की जीत’ करार दिये जा रहे इस फैसले को अपने कानों से सुनने के लिए दिवंगत कवयित्री के परिजन भी आज न्यायालय परिसर में मौजूद नहीं थे।
यह मिला न्याय...
अमरमणि की उम्रकैद बरकरार |
नैनीताल (एसएनबी)। नैनीताल उच्च न्यायालय ने सीबीआई अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के अभियुक्त अमरमणि त्रिपाठी की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी है। न्यायालय ने संतोष कुमार राय, रोहित चतुव्रेदी और मधुमणि त्रिपाठी की अपीलों को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने सीबीआई की अपील को स्वीकार करते हुए पांचवें अभियुक्त प्रकाश चन्द्र पाण्डे को भी आजीवन कारावास की सजा सुना दी है। मगर अमरमणि त्रिपाठी के वकीलों ने कहा है कि वे इस फैसले के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करेंगे। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश बारिन घोष और न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की संयुक्त खंडपीठ ने अभियुक्तों की याचिकाओं की सुनवाई के बाद दिया है। उल्लेखनीय है कि नौ मई 2003 को लखनऊ की एक कालोनी में कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या कर दी गयी थी। मामले की प्रथम सूचना रिपोर्ट मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने दाखिल की थी। बाद में यह मामला सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई ने लंबी जांच के बाद इन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। बाद में यह मामला उत्तराखंड स्थानांतरित कर दिया गया। वर्ष 2007 में सीबीआई की देहरादून अदालत ने अमरमणि, मधुमणि, संतोष राय के खिलाफ पर्याप्त सबूत मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। प्रकाश पाण्डे को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। इसको इन सभी लोगों ने नैनीताल उच्च न्यायालय में चुनौती दी। जबकि सीबीआई द्वारा प्रकाश पाण्डे को बरी कर देने को भी न्यायालय में चुनौती दी गयी। लम्बी सुनवाई के बाद सोमवार को न्यायालय ने तमाम सबूतों के आधार पर सीबीआई अदालत के फैसले को बरकरार रखने का फैसला सुनाया जबकि अभियुक्त प्रकाश चन्द्र पाण्डे के मामले में सीबीआई अदालत के फैसले को पलटते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा दे दी है। इसके साथ ही अमरमणि एवं अन्य के पास अब सुप्रीम कोर्ट जाने के अलावा सारे विकल्प बंद हो गये हैं। |
ग्वेल देवता एवं देवभूमि के बारे में और अधिक पढ़े : http://newideass.blogspot.in/2010/02/blog-post_26.html
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