सोमवार, 10 सितंबर 2012

नैनीताल की मुहिम से इंडिया होगा क्लीन

 
नवीन जोशी, नैनीताल। नैनीताल तथा देश के अजमेर, गाजियाबाद, मेरठ, लखनऊ, इलाहाबाद व आगरा आदि नगर पंचतंत्र की कछुवे व खरगोश की कहानी से प्रेरित नजर आ रहे हैं। पांच वर्ष पूर्व एक आस्ट्रेलियाई नागरिक रैम्को वान्सान्टेन ने आस्ट्रेलिया में चल रही अपनी मुहिम ‘माई क्लीन कम्युनिटी’ की तर्ज पर नैनीताल नगर में भी अभियान शुरू किया था। देश में नैनीताल से ‘माई क्लीन नैनीताल’ के रूप में शुरू हुई यह मुहिम नैनीताल में तो वर्ष-दर-वर्ष धीमी पड़ती जा रही है। वहीं यह इन नगरों में गति पकड़ने हुए ‘माई क्लीन इंडिया’ बनती जा रही है। गाजियाबाद में तो इस मुहिम को मिसेज इंडिया र्वल्ड डा. उदिता त्यागी का साथ ही मिल गया है। 
रैम्को आस्ट्रेलिया के स्कारबौरौ शहर के रहने वाले सेवानिवृत्त केमिकल इंजीनियर तथा बीएससी, बीईसी व एमबीए डिग्रीधारी हैं। वे वर्ष 2004 में नैनीताल आये तो यहां की खूबसूरती के कायल हो गये। बस, एक कसक मन में उठी कि इस शहर को और अधिक साफ-सुथरा बनाया जाए। इसी कसक को लेकर वापस आस्ट्रेलिया लौटे तो मन के भीतर से आवाज आयी कि पहले अपना घर साफ करो, तब दूसरों का करो। बस क्या था। 'माई क्लीन कम्युनिटी' नाम की संस्था बनाकर अपने शहर को सामुदायिक सहभागिता के जरिये साफ करने का बीड़ा उठा लिया। इसके बाद वर्ष 2007 में नैनीताल लौटे और यहां के लोगों को भी इसी तरह से सफाई के लिए प्रेरित किया। 18 सितम्बर 1880 यानी नगर के महाविनाशकारी भूस्खलन के दिन हर वर्ष नैनीताल स्वच्छता दिवस मनाना तय हुआ। लोग काफी हद तक सफाई के प्रति जागे भी, और यह आरोप भी लगा कि जब कोई विदेशी आकर ही हमें हमारे घर की समस्या का समाधान बताता है, तभी हम देर से जागते हैं, और फिर जल्दी सो भी जाते हैं। हुआ भी यही। वर्ष दर वर्ष अभियान धीमा पड़ने लगा। वर्ष भर सोने के बाद 18 सितम्बर को सांकेतिक सफाई अभियान होने लगे, नगर में 'मिशन बटरफ्लाई' की शुरुआत  इसी अभियान के फलस्वरूप हुई, लेकिन यह अभियान भी 'संस्थाओं' के  लाभ के अतिरिक्त कुछ खास नहीं कर सका। न कूड़े का जैविक व अजैविक में विभक्तिकरण हुआ और न ही कूड़े का योजना के  जैविक खाद या प्लास्टिक संघनन के  साथ समूल नाश ही हो पाया। अभियान से कुछ दिन पूर्व नगर पालिका की अगुआई में वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह, उमेश तिवाड़ी ‘विश्वास’ व दिनेश डंडरियाल आदि स्कूली बच्चों को जागरूक करते जबकि 18 सितम्बर के कार्यक्रम में अधिकांश लोगों की भूमिका फोटो खिंचवाने तक सीमित होती। इधर अपनी मेहनत का सिला न मिलने से इस वर्ष इन लोगों का हौसला भी टूटने लगा था। गत दिवस हुई बैठक में श्री साह ने आस्ट्रेलियाई नागरिक रैम्को वान्सान्टेन ने वर्ष 2007 में शुरू की थी ‘माई क्लीन कम्युनिटी’ मुहिम मिसेज इंडिया र्वल्ड डा. इदिता त्यागी बढ़ा रहीं मुहिम को आगे कह भी दिया था कि अब आगे की पीढ़ी दायित्व संभाले। महिला मैत्री संस्था ने कुछ समय हर माह की 18 तारीख को नगर के वार्डों में सफाई की, यह सिलसिला भी काफी पहले टूट चुका है। इधर रैम्को अपनी मुहिम में लगे रहे। वह बताते हैं कि उनकी मुहिम पूरी दुनिया को सामुदायिक सहभागिता के जरिये साफ-सुथरा करने की है। इस मुहिम में उन्हें खासी सफलता भी मिल रही है। भारत में ही नैनीताल से प्रेरणा लेकर इलाहाबाद, आगरा, लखनऊ जैसे शहर अपने यहां ऐसे ही कार्यक्रम चलाने लगे। रैम्को बताते हैं-अजमेर, मेरठ व गाजियाबाद में यह मुहिम खासी तेजी से चल रही है। गाजियाबाद में मिसेज इंडिया वर्ल्ड डा. उदिता त्यागी अभियान से जुड़ गयी हैं और अभियान को खुद आगे बढ़ा रही हैं। रैम्को कहते हैं, नैनीतालवासी इस बात पर गर्व कर सकते हैं कि उनके यहां से शुरू हुई मुहिम ‘माई क्लीन इंडिया’ के रूप में देश भर में आगे बढ़ रही है।   

नैनीताल पहुंचे रैम्को, चार सप्ताह तक रहेंगे     
नैनीताल। ‘माई क्लीन नैनीताल’ मुहिम को ‘माई क्लीन इंडिया’ का विस्तार देने वाले अभियान के प्रणेता आस्ट्रेलियाई नागरिक रैम्को वान्सान्टेन नैनीताल पहुंच गये हैं। वह इस बार चार सप्ताह के लिए पत्नी डाई विल्सन के साथ भारत आये हैं। एक खास भेंट में उन्होंने नैनीताल में साफ-सफाई में काफी सुधार आने की बात भी कही। उन्होंने बताया कि 18 तक यहां अभियान में शामिल रहेंगे और उसके बाद एक से छह अक्टूबर तक अजमेर में स्कूली बच्चों के सहयोग से आयोजित होने जा रहे ‘माई क्लीन स्कूल’ मुहिम का हिस्सा बनेंगे। 

रैम्को की मुहिम को माई क्लीन इण्डिया वेबसाइट पर भी देखा जा सकता है।   

सोमवार, 3 सितंबर 2012

मॉडल चिड़ियाघर बनेगा नैनीताल जू


कस्तूरा मृग विहार का प्रबंधन भी अब नैनीताल जू से होगा, तिब्बती भेड़ियों के प्रजनन का केंद्र भी बनेगा
नैनीताल (एसएनबी)। भारत रत्न पंडित गोविन्द बल्लभ  प्राणी उद्यान यानी नैनीताल जू को देश के 26 चिड़ियाघरों के साथ मॉडल चिड़ियाघर में तब्दील किया जाएगा। इस बाबत केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने निर्णय ले लिया है। वहीँ अगले 10 वर्षो में छोटे चिड़ियाघर (स्मॉल जू) से मध्यम स्तर के चिड़ियाघर (मीडियम जू) में तब्दील किया जाएगा। इस हेतु जू की भविष्य की 10 वर्षीय योजना का रोड मैप प्रबंधकारिणी समिति की बैठक में प्रस्तुत किया गया। धरमघर बागेश्वर स्थित कस्तूरा मृग अनुसंधान केंद्र, वन्य जंतु ट्रीटमेंट, ट्रांजिट एवं रेस्क्यू सेंटर रानीबाग, हिमालयन बॉटेनिकल गार्डन नारायण नगर व ईको पार्क हनुमानगढ़ी नैनीताल आगे से नैनीताल जू की प्रबंध सोसायटी के  में होंगे। साथ ही नैनीताल जू को तिब्बती भेड़ियों के संरक्षित प्रजनन केंद्र एवं हिमालयी क्षेत्र के पक्षियों के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में स्थापित किया जाएगा। 
सोमवार को नैनीताल जू के प्रमुख सचिव वन एस. रामासामी की अध्यक्षता में आयोजित प्रबंध सोसायटी की बैठक में जू में वन्य जीवों के प्रबंधन एवं रखरखाव में क्षमता विकास व प्रशिक्षण हेतु अन्य संस्थानों व पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार से सहयोग लेने का निर्णय भी लिया गया। जू में सैलानियों को आकषिर्त करने के लिए पर्यटक सीजन में नैनीताल के मुख्य स्थानों पर जू से संबंधित फिल्म शो व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। जू में अंतरराष्ट्रीय स्तर की पर्यटक सुविधाएं विकसित करने, पर्यटकों के लिए पैकेज टूर विकसित करने का निर्णय भी लिया गया। बैठक में मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं परमजीत सिंह, कपिल जोशी, जू के निदेशक डा. पराग मधुकर धकाते, डीएम निधिमणि त्रिपाठी, एसएसपी डा. सदानन्द दाते, डा. भरत चन्द, विपिन तिवारी, नगर पालिका अध्यक्ष मुकेश जोशी, दिनेश चंद्र साह, अपर सचिव वन सुशांत पटनायक, सतीश चंद्र उपाध्याय, उमेश तिवारी आदि मौजूद थे।


कर्मचारियों को तोहफा सैलानियों को झटका

नैनीताल। नैनीताल जू के प्रशासनिक ढांचे को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है, साथ ही यहां कार्यरत कार्मिकों के कल्याण के लिए नियम बनाने का निर्णय लिया गया। वहीं जू में आने वाले सैलानियों को बड़ा झटका देते हुए प्राणी उद्यान में प्रवेश की दरों में दो गुना तक की बढ़ोतरी कर दी गई। अब जू में प्रवेश हेतु वयस्कों को 30 की जगह 50 रुपये एवं बच्चों को 10 की जगह 20 रुपये देने होंगे। राहत की बात है कि जू में कैमरे ले जाने का शुल्क समाप्त कर दिया गया है। जू की कैंटीन व नेचर शॉप को आगे पीपीपी मोड से संचालित करने पर भी विचार किया गया। जू में घूमने के लिए बच्चों को प्राम तथा बुजुगरे व विकलांगों के लिए बैट्री चालित वाहन संचालित करने का निर्णय लिया गया।

रविवार, 26 अगस्त 2012

तीसरी नैनीताल माउन्टेन मानसून मैराथन में कुमाऊँ रेजिमेंट का बर्चस्व


बालकों में भीमताल के दिनेश, बालिकाओं में मुजफ्फरनगर की रूबी और बुजुगरे में पंजाब के अजायब सिंह रहे अव्वल एन ट्रिफल एम
नैनीताल (एसएनबी)। देश-दुनिया की ‘हाई एल्टीटय़ूड ट्रेक’ पर आयोजित अपनी तरह की अनूठी 21 किमी लंबी व करीब दो लाख रुपये पुरस्कार की नैनीताल माउंटेन मानसून मैराथन (एन ट्रिपल एम) दौड़ के तीसरे संस्करण में उत्तराखंड पुलिस के मुकेश रावत की जीत का तिलिस्म टूट गया। कुमाऊं रेजीमेंट यानी केआरसी रानीखेत के बहादुर सिंह धोनी ने मुकेश को जीत की ‘तिकड़ी’ से दूर रखते हुए 50 हजार रुपये के पुरस्कार के साथ एन ट्रिपल एम प्रतियोगिता जीत ली। प्रतियोगिता में केआरसी का इस कदर वर्चस्व रहा कि प्रतियोगिता के शीर्ष पांच में तीन खिलाड़ी केआरसी के रहे। वहीं बालकों की पांच किमी दौड़ भीमताल के दिनेश कुमार ने, बालिकाओं की पांच किमी दौड़ में मुजफ्फरनगर की रूबी कश्यप ने तथा बुजुगरे की दौड़ में फतेहगढ़ साहिब पंजाब के अजायब सिंह ने जीती। रविवार को ‘रन टू लिव’ संस्था के तत्वावधान में आयोजित नैनीताल नगर की गत दो वर्षो से पहचान बन चुकी विश्व प्रसिद्ध नैनीझील एवं नगर की सात पहाड़ियों से होती हुई विश्व की कठिनतम मैराथन प्रतियोगिता-एन ट्रिपल एम का क्षेत्रीय सांसद व स्वयं एशियाई चैंपियन रहे केसी सिंह बाबा ने झंडी दिखाकर शुभारंभ किया। प्रतियोगिता की सबसे प्रतिष्ठित 21 किमी लंबी मैराथन दौड़ बहादुर धोनी ने एक घंटा 11 मिनट में पूरी कर पहला स्थान प्राप्त किया। दूसरे नंबर पर गत विजेता उत्तराखंड पुलिस के मुकेश रावत (1 घंटा 12 मिनट), तीसरे स्थान पर केआरसी के संतन सिंह (1 घंटा 13 मिनट), चौथे स्थान पर केआरसी के ही दीपक सिंह (1 घंटा 15 मिनट पांच सेकेंड) तथा पांचवें स्थान पर बीएसएफ के आरबी सुब्बा (1 घंटा 16 मिनट) रहे। स्कूली बालकों की पांच कि मी की दौड़ में सूर्यागांव भीमताल निवासी व एलपी इंका भीमताल के छात्र दिनेश कुमार प्रथम, रोहतक के मोहन लाल द्वितीय, सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के चेतन भौर्या तृतीय, यहीं के छत्रपति चतुर्थ एवं पवन कठायत पांचवें स्थान पर रहे। बालिकाओं में मुजफ्फरनगर यूपी की रूबी कश्यप, स्थानीय ऑल सेंट्स की शहनाज गमाल, मुजफ्फरनगर की शालू सैनी, लक्ष्मी कुमारी व मीनाक्षी कश्यप प्रथम चार स्थानों पर रहीं। सर्वाधिक रोचक मुकाबला 50 से अधिक उम्र के बुजुगरे की दौड़ में देखने को मिला, जिसे पंजाब के 58 वर्षीय अजायब सिंह ने प्रथम स्थान जीता, जबकि पिथौरागढ़ के कैलाश पुनेठा दूसरे व नगर के मल्लीताल कोतवाल विजय चौधरी तीसरे स्थान पर रहे। 68 वर्षीय सरदार त्रिपद सिंह ने चौथा, जीआइसी पटवाडांगर के प्रधानाचार्य एनसी कफल्टिया ने पांचवां तथा स्थानीय शेरवुड कालेज की शिक्षिकाओं प्रतिमा व सारा हॉफलेंड ने छठा व सातवां स्थान प्राप्त किया। ओपन मैन प्रतियोगिता में 85, बालकों में 396, बालिकाओं में 142 व बुजुगरे में सात प्रतिभागियों ने भाग लिया। वहीं नेत्रहीनों के कल्याणार्थ दौड़ी गई ‘रन फार फन’ प्रतियोगिता में 900 के करीब बच्चे व हर उम्र के लोग दौड़े। इस प्रतियोगिता में ड्रा के आधार पर 20 प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। आयोजन में सर्वाधिक प्रतिभागी देने के लिए एसओएस हरमन माइनर भीमताल, सहयोग हेतु वृंदावन पब्लिक स्कूल व रामा मांटेसरी स्कूल, बंगलुरु में चैरिटी के लिये 100 किमी की दौड़ दौड़ने वाले नगर के धावकों सुमित साह, संदीप साह व दिनेश सिंह, शेरवुड की अंतरराष्ट्रीय मुथाई खिलाड़ी सुरभि एवं मल्लीताल कोतवाल विजय चौधरी को सम्मानित किया गया। इस आयोजन में शेरवुड के प्रधानाचार्य अमनदीप संधू, एलआईसी के वरिष्ठ मंडलीय प्रबंधक शिवेंद्र कुमार, एसबीआई के शाखा प्रबंधक केएस राणा, कूर्माचल बैंक के चेयरमैन आलोक साह, अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी सुरेश पांडे, कोच रमेश खर्कवाल, आयोजक संस्था के अध्यक्ष पूर्व ओलंपियन राजेंद्र रावत, सचिव अंतरराष्ट्रीय धावक रहे हरीश तिवारी, भूपाल नयाल, पंकज तिवारी, विजय साह, प्रेम बिष्ट, वीरेंद्र साह, आलोक साह व वासु साह आदि मौजूद थे। 

शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

खुद ही जांच के आदेश दिए, खुद ही जांच की, और उच्चाधिकारी के आदेश पलट दिए



जून में जीआईसी धानाचूली में प्रधानाचार्य से हुई मारपीट की घटना का मामला 
प्रभारी एडी ने दिये थे मामले की जांच के निर्देश
नवीन जोशी नैनीताल। उच्चाधिकारी द्वारा कराई गई जांच में दोषी पाये जाने वाले शिक्षकों के तबादले प्रभारी अधिकारी के रूप में कार्यरत कनिष्ठ अधिकारी ने न केवल निरस्त कर दिये, वरन उनके तबादले पहले से भी अधिक सुविधाजनक स्थानों पर कर दिये। मजेदार बात यह है कि इस अधिकारी ने स्वयं जांच का आदेश दिया, स्वयं जांच की और स्वयं ही फैसला सुनाते हुए उच्चाधिकारी के आदेशों को पलट दिया। इस वर्ष चार जून को जिले के जीआईसी धानाचूली में शिक्षकों ने स्कूल के प्रभारी प्रधानाचार्य से मारपीट कर दी थी। घटना इसलिए हुई थी कि कई शिक्षकों के अक्सर समय पर स्कूल न आने पर प्रभारी प्रधानाचार्य ने समय पर स्कूल आने के आदेश जारी किये थे, इस पर शिक्षक आक्रोशित हो गये थे। निकटवर्ती पदमपुरी के शिक्षक भी मारपीट में शामिल हुए। मामले में अपर निदेशक-शिक्षा के आदेशों पर जिला शिक्षा अधिकारी-बेसिक एवं खंड शिक्षा अधिकारी ने जांच की, जांच रिपोर्ट में लिखा कि राजन कुमार गुप्ता व राजेंद्र नैनवाल नाम के शिक्षकों ने सुनियोजित तरीके से प्रधानाचार्य से मारपीट की थी। दोनों के खिलाफ प्रभारी प्रधानाचार्य की ओर से पुलिस में एफआईआर भी दर्ज कराई गई। जांच रिपोर्ट में दोनों का प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरण करने की प्रबल संस्तुति की गई थी। इसके अलावा प्रभारी प्रधानाचार्य के समय पर उपस्थित होने के आदेश को नियमानुसार ही ठहराया गया था। दूसरे शिक्षक सुदामा प्रसाद पर अक्सर छात्रों के बीच असंसदीय भाषा का प्रयोग करने और भुवन जोशी एवं संजीव अहलावत पर समय पर स्कूल न पहुंचने की बात पुष्ट हुई थी। इनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इस प्रकार भुवन जोशी, संजीव अहलावत व किरन बनौली नाम के शिक्षकों के भी तत्काल प्रभाव से प्रशासनिक आधार पर अन्यत्र तबादले करने की संस्तुति की गई थी। स्थानीय ग्रामीणों ने भी शिक्षकों को हटाने की जोरदार तरीके से मांग उठाई थी। जांच रिपोर्ट आने पर अपर निदेशक डा. कुसुम पंत ने राजेंद्र नैनवाल का तबादला जीआईसी पदमपुरी से पिथौरागढ़ के राउमावि जारा, भुवन जोशी का धानाचूली से गलाती व किरन बनौली का धानाचूली से चंपावत से ससिरा करने की संस्तुति कर रिपोर्ट शिक्षा निदेशक को भेज दी थी। इसी दौरान शिक्षक संगठन ने जांच में उनका पक्ष शामिल न होने की बात कही, जिस पर इस दौरान एडी का प्रभार देख रहीं संयुक्त निदेशक डा. सुषमा सिंह ने दुबारा जांच के आदेश दिये और स्वयं ही संयुक्त निदेशक के रूप में जांच कर ली। जांच में आश्र्चयजनक तौर पर पहली रिपोर्ट में मारपीट करने वाले राजेंद्र नैनवाल को दोषमुक्त करार दे दिया। जबकि अन्य दो शिक्षकों भुवन जोशी व किरन बनौली को दिये गये दंड में शिथिलता बरतने की संस्तुति कर दी। इस संस्तुति के साथ ही अधिकारी ने राजेंद्र नैनवाल का तबादला तो निरस्त ही कर दिया, जबकि भुवन जोशी को धानाचूली के पास ही स्थित पुटगांव तथा किरन बनौली तो मैदानी क्षेत्र के निकट बजूनिया हल्दू स्थानांतरित कर दिया गया। विभाग में यह मामला खासा र्चचा का विषय बना हुआ है।

रविवार, 5 अगस्त 2012

.....तो झील के ऊपर भी हो सकेंगे निर्माण !



  • नैनीताल महायोजना के संशोधित परिक्षेत्रीय विनियमन का हुआ अनुमोदन
  • विशेष परिस्थितियों में सूखाताल झील की तीन मीटर परिधि तथा हरित व वनाच्छादित क्षेत्रों में भी मिल सकेगी निर्माणों की स्वीकृति
  • विद्यमान भवनों की कंपाउंडिंग का रास्ता खुला, विद्यमान की परिभाषा साफ नहीं


नवीन जोशी,  नैनीताल। एक ओर जहां नैनीताल झील परिक्षेत्र में सरकार निर्माण कायरे को हतोत्साहित करने का ढोल बजाती रही है, वहीं झील के ऊपर तथा नगर के हरित एवं वनाच्छादित क्षेत्रों में भी निर्माणों को अनुमति देने का प्रबंध कर लिया गया है। नैनीताल झील परिक्षेत्र विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण की महायोजना के अध्याय-12 में उल्लेखित परिक्षेत्रीय विनियमन में संशोधन कर ‘विशेष परिस्थितियों’ का उल्लेख करते हुए इसके लिए खास तौर पर रास्ता निकाल लिया गया है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों पर नगर में निर्माणों पर कई तरह के प्रतिबंध हैं। झील विकास प्राधिकरण पर नगर में निर्माणों को प्रतिबंधित करने की जिम्मेदारी है, जिससे अभी हाल ही में नक्शे पास करने की जिम्मेदारी पालिका को देकर निर्माणों पर और अधिक सख्ती बरतने के सीएम स्तर से संकेत दिए गए हैं। वहीं इसके उलट प्रमुख सचिव एस. राजू के हस्ताक्षरों से नैनीताल महायोजना के अध्याय-12 में संशोधन के उपरांत अनुमोदित संशोधित भू उपयोग परिक्षेत्रीय विनियमन जारी कर दिया गया है, जिसमें नैनीताल झील परिक्षेत्र के कमोबेश हर क्षेत्र में विशेष परिस्थितियों का जिक्र करते हुए निर्माण की अनुमति देने में नियमों को बड़े स्तर पर शिथिल किया गया है। वहीं विनियमन के आखिरी हिस्से में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र यूज जोन का हिस्सा चौंकाने वाला है। झील किनारे के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में सामान्य परिस्थितियों में तो रिटेनिंग वाल, ब्रेस्ट वाल, पार्क, उद्यान व पार्किग को छोड़कर किसी तरह के निर्माण व विकास कार्य अनुमन्य नहीं हैं, लेकिन विशेष परिस्थितियों में नगर की सूखाताल झील के अधिकतम जल सतह सीमा से न्यूनतम तीन मीटर ऊपर की परिधि के क्षेत्र में एकल आवासीय निर्माण तथा विद्यमान भवनों के पुनर्निर्माण सिंचाई विभाग की अनापत्ति पर अनुमन्य होंगे। इसी तरह विशेष वनाच्छादित क्षेत्र में भी सामान्यतया तो किसी भी प्रकार का विकास अनुमन्य नहीं होगा, लेकिन विशेष परिस्थितियों में वन विभाग की अनापत्ति एवं क्षेत्र व स्थल विशेष के सुरक्षित होने के बाबत भूवैज्ञानिक की पुष्टि होने पर विद्यमान भवन परिसर में विद्यमान भवनों का पुनर्निर्माण या उसी नींव पर अनुमन्य कुल भू-आच्छादन के स्तर तक नव निर्माण भी हो सकेंगे। इसी तरह विशेष परिस्थितियों में क्रीड़ा एवं खुले स्थल, गोल्फ कोर्स, वन्य जीव पार्क एवं उद्यान तथा वन व हरित क्षेत्र में भी विशेष परिस्थितियों में निर्माणों की अनुमति देने में खासी छूट दी गई है।

नैनी झील सूखने का खतरा


नैनीताल। इस बारे में पूछे जाने पर पर्यावरण एवं नैनी झील में निर्माणों के बाबत सर्वोच्च न्यायालय में कई पीआईएल दाखिल कर चुके डा. अजय रावत ने कहा कि नैनीताल 1930 व 1950 के शासकीय नोटिफिकेशन में असुरक्षित क्षेत्र घोषित है, वहीं नगर का हरित पट्टी क्षेत्र मास्टर प्लान में शामिल है, इसलिए ऐसे क्षेत्रों के बाबत संशोधित किया ही नहीं जा सकता। इससे नगर के जंगलों के खत्म होने का खतरा है। सूखाताल झील, नैनी झील में 40 फीसद से अधिक प्राकृतिक जल स्रेतों का जलागम है, लिहाजा ऐसा होने से नैनी झील के जल्द ही पूरी तरह सूख जाने का खतरा उत्पन्न हो जाएगा। वह इस बाबत संशोधन जारी करने वाले प्रमुख सचिव एस. राजू को अपनी लिखित आपत्ति देने जा रहे हैं।

लोगों की मांग पर हुए संशोधन

नैनीताल। इस बारे में झील विकास प्राधिकरण के सचिव हरीश चंद्र सेमवाल ने कहा कि संभवतया शासन ने स्थानीय लोगों की मांग पर ही नया जोनल रेगुलेशन किया गया है। ऐसे क्षेत्रों में निर्माण के प्रस्ताव आने पर प्राधिकरण की बैठक में र्चचा के उपरांत अनुमोदन मिलने पर ही निर्माणों की अनुमति दी जाएगी।

रविवार, 29 जुलाई 2012

खतरनाक कोलीफार्म बैक्टीरिया से नैनी झील को बचाइए

  • खुले में शौच जाते सीवर से 10 से15 गुना तक बढ़ रही है कोलीफार्म बैक्टीरिया व दूषित तत्वों की मात्रा 
  • बारिश से सीवर लाइन का उफनना है बड़ा कारण 

नवीन जोशी नैनीताल। वि प्रसिद्ध नैनी झील के संरक्षण के लिए किये जा रहे अनेक प्रयासों के बीच एक क्षेत्र ऐसा है, जिस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस कारण झील में बड़ी मात्रा में गंदगी पहुंच रही है। यह कारण है सीवर का उफनना। सीवर के उफनने से झील में मानव मल में पाये जाने वाले खतरनाक कोलीफार्म बैक्टीरिया व नाइट्रोजन की मात्रा में 10 से 15 गुना तक की वृद्धि हो जाती है, जबकि फास्फोरस की मात्रा तीन गुना तक बढ़ जाती है। इस कारण झील में पारिस्थितिकी सुधार के लिए किये जा रहे कायरे को गहरा झटका लग रहा है। मानव मल में मौजूद कोलीफार्म बैक्टीरिया तथा फास्फोरस व नाइट्रोजन जैसे तत्व किसी भी जल राशि को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। शुद्ध जल में कोलीफार्म बैक्टीरिया की मौजूदगी भर हो तो यह पीलिया जैसे अनेक जलजनित संक्रामक रोगों का कारण बनता है। जबकि नैनी झील जैसी खुली जल राशियों में अधिकतम 500 एमपीएन (मोस्ट प्रोबेबल नंबर) यानी एक लीटर पानी में अधिकतम मात्रा हो तो ऐसे पानी को छूना व इसमें तैरना बेहद खतरनाक हो सकता है। नैनी झील में कोलीफार्म बैक्टीरिया की मात्रा कई बार आठ से 10 हजार एमपीएन तक देखी गई है, जोकि झील में चल रहे एरियेशन व बायोमैन्युपुलेशन के कायरे के बाद सामान्यतया दो से तीन हजार एमपीएन तक नियंत्रित करने में सफलता पाई गई है, लेकिन बरसात के दिनों में उफनने वाली सीवर लाइनें इन प्रयासों को पलीता लगा रही हैं। नैनी झील के जल व पारिस्थितिकी पर शोधरत कुमाऊं विवि के जंतु विज्ञान विभाग के प्रो. पीके गुप्ता बताते हैं कि झील का जलस्तर कम होने पर सीवर उफनती है तो झील में कोलीफार्म बैक्टीरिया की संख्या 10 से 15 गुना तक बढ़ जाती है। बरसात के दिनों में झील में पानी कुछ हद तक बढ़ने लगा है, लेकिन बारिश के दौरान माल रोड सहित अन्य स्थानों पर सीवर लाइनें उफनीं तो कोलीफार्म की मात्रा में तीन गुना तक की वृद्धि देखी गई। इसी तरह नाइट्रोजन की मात्रा 0.3 मिलीग्राम प्रति लीटर से तीन गुना बढ़कर 0.8 से 0.9 मिलीग्राम प्रति लीटर तक एवं फास्फोरस की मात्रा 20 से 25 मिलीग्राम प्रति लीटर से 10 गुना तक बढ़कर 200 से 250 मिलीग्राम प्रति लीटर तक देखी गई है। प्रो. गुप्ता ऐसी स्थितियों में किसी भी तरह सीवर की गंदगी को झील में जाने से रोकने की आवश्यकता बताते हैं। वहीं जल निगम के अधिशासी अभियंता एके सक्सेना का कहना है कि नगर में सामान्य जरूरत से अधिक क्षमता की सीवर लाइन बनाई गई थी, लेकिन घरों व किचन तथा बरसाती नालियों के पानी को भी लोगों ने सीवर लाइन से जोड़ दिया है, इस कारण सीवर लाइन उफनती हैं, इसे रोकने के लिये नालियों को सीवर लाइन से अलग किया जाना जरूरी है।  
खुले में शौच जाते हैं 72 फीसद लोग  
नैनीताल। यह आंकड़ा वाकई चौंकाने वाला है, लेकिन भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान रुड़की की अगस्त 2002 की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि नगर में 72 फीसद लोग खुले में शौच करते हैं, जिनकी मल-मूत्र की गंदगी नगर के हृदय कही जाने वाली नैनी झील में जाती है। गौरतलब है कि नगर के कमजोर तबके के लोगों के साथ ही सैलानियों के साथ आने वाले वाहन चालकों, बाहरी नेपाली व बिहारी मजदूरों का खुले में शौच करना आम है। झील विकास प्राधिकरण ने नगर में सुलभ शौचालय बनाये हैं पर उनमें हर बार तीन रुपये देने होते हैं, इस कारण गरीब तबका उनका उपयोग नहीं कर रहा। बारिश में ऐसी समस्त गंदगी नैनी झील में आ जाती है।  
मछलियां निकालने से कम होगा फास्फोरस  
नैनीताल। नैनी झील में भारी मात्रा में जमा हो रहे फास्फोरस तत्व को निकालने को एकमात्र तरीका झील में पल रही मछलियों को निकालना है। प्रो. गुप्ता के अनुसार फास्फोरस मछलियों का भोजन है। यदि प्रौढ़ व अपनी उम्र पूरी कर रही बड़ी व बिगहेड सरीखी मछलियों को झील से निकाला जाए तो उनके जरिये फास्फोरस बाहर निकाली जा सकती है। उनके झील में स्वत: मरने की स्थिति में उनके द्वारा खाई गई फास्फोरस झील के पानी में ही मिल जाएगी।

बुधवार, 25 जुलाई 2012

जिंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर..

पत्नी के हाथों की मेहंदी के सूखने से पहले ही देश पर कुर्बान हो गया मेजर राजेश  
नवीन जोशी, नैनीताल। करगिल शहीद दिवस जब भी आता है, वीरों की भूमि उत्तराखंड का नैनीताल शहर भी गर्व की अनुभूति के साथ अपने एक बेटे, भाई की यादों में खोये बिना नहीं रह पाता। नगर का यह होनहार बेटा देश के दूसरे सर्वोच्च वीरता पुरस्कार महावीर चक्र विजेता मेजर राजेश अधिकारी था, जो मां के बुढ़ापे का सहारा बनने व नाती-पोतों को गोद में खिलाने के सपनों और शादी के नौ माह के भीतर ही पत्नी के हाथों की हजार उम्मीदों की गीली मेंहदी को सूखने से पहले ही एक झटके में तोड़कर चला गया। 
मेजर राजेश अधिकारी ने जिस तरह देश के लिये अपने प्राणों का सर्वोच्च उत्सर्ग किया, उसकी अन्यत्र मिसाल मिलनी कठिन है। 29 वर्षीय राजेश 18 ग्रेनेडियर्स रेजीमेंट में तैनात थे। वह मात्र 10 सैनिकों की टुकड़ी का नेतृत्व करते हुए 15 हजार फीट की ऊंचाई पर तोलोलिंग चोटी पर पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा स्थापित की गई पोस्ट को दुश्मन के कब्जे से मुक्त कराने के इरादे से आगे बढ़े थे। इस दौरान सैनिकों से कई फीट आगे रहते हुऐ चल रहे थे, और इस कारण घायल हो गये। इसके बावजूद वह अपने घावों की परवाह किये बगैर आगे बढ़ते रहे। वह 30 मई 1999 का दिन था, जब मेजर राजेश प्वाइंट 4590 चोटी पर कब्जा करने में सफल रहे, इसी दौरान उनके सीने में दुश्मन की एक गोली आकर लगी, और उन्होंने बंकर के पास ही देश के लिये असाधारण शौर्य और पराक्रम के साथ सर्वोच्च बलिदान दे दिया। युद्ध और गोलीबारी की स्थितियां इतनी बिकट थीं कि उनका पार्थिव शरीर करीब एक सप्ताह बाद युद्ध भूमि से लेकर नैनीताल भेजा जा सका। राजेश ने नगर के सेंट जोसफ कालेज से हाईस्कूल, जीआईसी (जिसके नाम में अब उनका नाम भी जोड़ दिया गया है) से इंटर तथा डीएसबी परिसर से बीएससी की पढ़ाई की थी। पूर्व परिचित किरन से उनका विवाह हुआ था। परिजनों के अनुसार यह ‘लव कम अरेंज्ड’ विवाह था। लेकिन शादी के नौ माह के भीतर ही वह देश के लिये शहीद हो गये। उनकी शहादत के बाद परिजनों ने उनकी पत्नी को उसके मायके जाने के लिये स्वतंत्र कर दिया। वर्तमान में सैनिक कल्याण विभाग के अनुसार किरन ने पुर्नविवाह कर लिया। उनकी माता मालती अधिकारी अपने पुत्र की शहादत को जीवंत रखने के लिये लगातार संघर्ष करती रहीं, जिसके बावजूद उन्हें व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक दोनों स्तरों पर कुछ खास हासिल नहीं हो पाया है। वर्तमान में वह अपनी बेटी के पास किच्छा में रह रही हैं।




13 वर्षो के बाद भी घूम रहा मूर्ति का प्रस्ताव

रानीबाग में गार्गी (गौला) नदी के तट पर शहीद मेजर राजेश अधिकारी के पार्थिव शरीर को आखिरी प्रणाम करते कृतज्ञ राष्ट्रवासी.  
नैनीताल। इसे शासन-प्रशासन की लचर कार्य शैली और नगर का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि देश के सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीद की उसके नगर में एक अदद मूर्ति भी नहीं लग पाई है। मेजर राजेश की माता मालती अधिकारी के अथक प्रयासों के बाद बमुश्किल शासन से उनकी मूर्ति लगाने की अनुमति विगत वर्ष मिल पायी। तभी पालिका बोर्ड ने तल्लीताल दर्शन घर पार्क में उनकी मूर्ति लगाने पर अपनी अनापत्ति दे दी। इसके बाद मूर्ति तैयार करने का प्रस्ताव बनाने की फाइलें चलीं, जो कि आज भी न जाने कहां घूम रहीं हैं। पालिकाध्यक्ष मुकेश जोशी ने बताया कि संभवतया संस्कृति विभाग में मूर्ति तैयार करने का प्रस्ताव लंबित है। राजेश के भाई एसएस अधिकारी ने कहा कि बिना पहुंच के आजकल कोई कार्य नहीं होता है।

गुरुवार, 19 जुलाई 2012

अंग्रेजों के जमाने की सिफारिशें बचाएंगी नैनीताल को !



  • फिर खुली 1869-1873 की ‘हिल साइड सेफ्टी कमेटी’ की फाइल 
  • राज्यपाल की पहल पर लोनिवि ने तैयार किया नैनीताल की सुरक्षा के लिए 58 करोड़ रुपये के सुरक्षा कार्यों का प्रस्ताव 
नवीन जोशी नैनीताल। आखिर नैनीताल प्रशासन को 1869 एवं 1873 में सरोवरनगरी की सुरक्षा के बाबत महत्वपूर्ण सिफारिशें देने वाली हिल साइड सेफ्टी कमेटी (पूरा नाम रेगुलेशन इन कनेक्शन विद हिल साइड सेफ्टी एंड लेक कंट्रोल, नैनीताल) की याद आ गई है। इस समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय एवं निर्माण खंडों ने संयुक्त रूप से 58.02 करोड़ रुपयों का प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसे विभागीय स्तर पर अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता आदि से होते हुए शासन को भेजा जाना है। खास बात यह है कि यह प्रस्ताव प्रदेश के राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी की पहल पर तैयार किया गया है। गौरतलब है कि देश-प्रदेश के महत्वपूर्ण व भूकंपीय संवेदनशीलता के लिहाज से जोन-चार में रखे गये नैनीताल नगर की कमजोर भूगर्भीय संरचना के कारण नगर की सुरक्षा पर अंग्रेजों के दौर से ही चिंता जताई रही है। नगर में अंग्रेजी दौर में 1867, 1880,1898 व 1924 में भयंकर भूस्खलन हुआ था। 1880 के भूस्खलन ने तो 151 लोगों को जिंदा दफन करने के साथ ही नगर का नक्शा ही बदल दिया था। इसी दौर में 1867 और 1873 में अंग्रेजी शासकों ने नगर की सुरक्षा के लिए सर्वप्रथम कुमाऊं के डिप्टी कमिश्नर सीएल विलियन की अध्यक्षता में अभियंताओं एवं भूगर्भ वेत्ताओं की हिल साइड सेफ्टी कमेटी का गठन किया था। इस समिति ने समय-समय पर अनेक रिपोर्टे पेश कीं, जिनके आधार पर नगर में बेहद मजबूत नाला तंत्र विकसित किया गया, जिसे आज भी नगर की सुरक्षा का मजबूत आधार बताया जाता है। इस समिति की 1928 में नैनी झील, पहाड़ियों और नालों के रखरखाव के लिए जारी समीक्षात्मक रिपोर्ट और 1930 में जारी स्टैंडिंग आर्डरों को ठंडे बस्ते में डालने के आरोप शासन-प्रशासन पर लगातार रहते हैं, और इसी को नगर के वर्तमान हालातों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इधर, गत पांच जुलाई को प्रदेश के राज्यपाल ने नैनीताल राजभवन में नगर की सुरक्षा के मद्देनजर गणमान्य नागरिकों व जानकार लोगों तथा संबंधित विभागीय अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक ली थी। इसके बाद तेज गति से दौड़े लोनिवि ने नगर की पहाड़ियों में हो रहे भूस्खलन व कटाव के लिए नगर के कुल 62 में से नैनी झील के जलागम क्षेत्र के 42 नालों में से अधिकांश के क्षतिग्रस्त होने को प्रमुख कारण बताया है, तथा इनका सुधार आवश्यक करार दिया है। इन कायरे के लिए प्रांतीय खंड के अधीन 13.32 करोड़ एवं निर्माण खंड के अधीन 44.69 करोड़, कुल 5801.6 लाख यानी करीब 58.02 करोड़ रुपये के कायरे का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। लोनिवि प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता ने उम्मीद जताई कि जल्द प्रस्तावों को शासन से अनुमति मिल जाएगी। बहरहाल, माना जा रहा है कि यदि राज्यपाल के स्तर से हुई इस पहल पर शासन में अमल हुआ तो नैनीताल की पुख्ता सुरक्षा की उम्मीद की जा सकती है। 



प्रस्ताव के प्रमुख बिंदु 

  • राजभवन की सुरक्षा को नैनीताल बाईपास से गोल्फ कोर्स तक निहाल नाले में बचाव कार्य 
  • नालों की मरम्मत एवं पुनर्निर्माण होगा 
  • आबादी क्षेत्र के नाले स्टील स्ट्रक्चर व वेल्डेड जाली से ढकेंगे 
  • नालों के बेस में सीसी का कार्य नालों एवं कैच पिट से मलबा निस्तारण 
  • नाला नंबर 23 में यांत्रिक विधि से मलबा निस्तारण हेतु कैच पिटों का निर्माण 
  • मलबे के निस्तारण के लिए दो छोटे वाहनों की खरीद



राजभवन की सुरक्षा को 38.71 करोड़ का प्रस्ताव
नैनीताल। लोनिवि द्वारा तैयार 58.02 करोड़ के प्रस्तावों में सर्वाधिक 38.71 करोड़ रुपये नैनीताल राजभवन की सुरक्षा के लिए निहाल नाले के बचाव कायरे पर खर्च किये जाएंगे। लोनिवि की रिपोर्ट में नैनीताल राजभवन से लगे गोल्फ कोर्स के दक्षिणी ढाल की तरफ 20- 25 वर्षो से जारी भूस्खलन पर भी चिंता जताते हुए इस नाले से लगे नये बन रहे नैनीताल बाईपास से गोल्फ कोर्स तक की पहाड़ी की प्लम कंक्रीट, वायर क्रेट, नाला निर्माण, साट क्रीटिंग व रॉक नेलिंग विधि से सुरक्षा किये जाने की अति आवश्यकता बताई गई है।

बुधवार, 18 जुलाई 2012

यहां ‘आने-जाने’ की बातें ही क्यों करते रहे काका



  • कटी पतंग और जाना फिल्मों की शूटिंग को आये थे राजेश खन्ना नैनीताल
  • रहने दो छोड़ो भी जाने दो यार... व जिस गली में तेरा घर ना हो बालमा, उस गली से हमें तो गुजरना नहीं गीतों में की थी अदाकारी
नवीन जोशी, नैनीताल। रुपहले हिंदी सिनेमा के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना यानी 'काका'  का नैनीताल से गहरा संबंध रहा था। वह दो बार फिल्मों की शूटिंग के लिये आये तो कई बार उन्होंने यहां की निजी यात्राऐं भी की थीं। लेकिन यह संयोग ही रहा कि आज दुनिया से रुखसत कर चुके काका जब भी नैनीताल आये ‘आने-जाने’ की ही बातें करते रहे। यहाँ फिल्माए गये उनके अधिकाँश गीतों और फिल्म 'जाना' के नाम में ‘आने-जाने’ जैसे उदासी भरे शब्द थे, जबकि जीवन के साथ ही अपनी कालजयी फिल्म 'आनंद' के जरिये वह जीवन की कठोर विभीषिकाओं को भी सामान्य तरीके से जीने का सन्देश देते रहे।
यह संयोग ही रहा कि कला की नगरी कहे जाने वाले नैनीताल में राजेश खन्ना अपने करियर के चढ़ाव और उतार दोनों दौर में आये। उनका यहाँ पहला आगमन 1960 के दशक के आखिरी वर्षों में हुआ था। यह वह समय था, जब तक वह स्टारडम हासिल कर चुके थे। शक्ति शामंत उस जमाने के नामचीन निर्देशक थे, जिन्होंने उस दौर की हसीन अभिनेत्री आशा पारेख को पहली बार एक विधवा के रूप में कटी पतंग फिल्म के जरिये उतारने का खतरा मोल लिया था। हीरोइन विधवा के रूप में कमोबेश पूरी फिल्म में सफेद साड़ी पहने थी, तो पूरी फिल्म को आकर्षक बनाने की जिम्मेदारी राजेश खन्ना पर ही थी। उन्होंने इस जिम्मेदारी को बखूबी संभाला भी। फिल्म की अधिकांश शूटिंग मुम्बई के नटराज स्टूडियो के अलावा नैनीताल व रानीखेत में हुई थी। नैनीताल की नैनी झील में राजेश और आशा के बीच बरसात के मौसम में ही ‘जिस गली में तेरा घर ना हो बालमा, उस गली से हमें तो गुजरना नहीं’ गीत फिल्माया गया था। यह गीत आज भी उस दौर के नैनीताल की खूबसूरती का आईना है। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान काका के स्टारडम का आलम यह था कि निर्देशक के लिए नैनी झील में शूटिंग करना  नहीं रहा ऐसे मैं शक्ति सामंत को नैनीताल की सभी नावें शूटिंग के दौरान के लिए किराए पर लेनी पडी इसी तरह दूसरा चर्चित गीत ‘रहने दो छोड़ो भी जाने दो यार, हम ना करेंगे प्यार’ नगर के बोट हाउस क्लब के बार में फिल्माया गया था।  नगर के वरिष्ठ पत्रकार एवं कलाकार उमेश तिवाड़ी ‘विश्वास’ बताते हैं कि इस गीत में बोट हाउस क्लब के बार की खूबसूरती उभर कर आई थी। उस दौर में यह गीत बार, डिस्को आदि में खूब बजता था। यहाँ इस फिल्म का 'ये शाम मस्तानी, मदहोश किये जाय। मुझे डोर कोई खींचे, तेरी और किये जाए' गीत भी फिल्माया गया। इस फिल्म में अदाकारी के लिये काका को सर्वश्रेष्ठ अदाकार के फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था, जबकि आशा पारेख को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था। उस दौर में श्री विश्वास के दादाजी पं. धनी राम तिवाड़ी का निकटवर्ती गरमपानी में रेस्टोरेंट था। यहां रानीखेत जाते हुऐ काका रुके थे, और ‘दार्जिलिंग चाय’ की चुश्कियों का आनंद लिया था। हालिया दौर में अपनी दूसरी फिल्मी पारी के दौरान काका वर्ष 2005 में शाहरुख मिर्जा की फिल्म 'जाना-लेट्स फाल इन लव ' की शूटिंग के लिये नैनीताल आये थे। यह उनके करियर का बुरा दौर था। इस फिल्म में 35 वर्षों के बाद काका ने अपने दौर की मशहूर अभिनेत्री जीनत अमान के साथ बीते दौर के कई गीतों की पैरोडी पर भी अभिनय किया था] यह फिल्म  के झगड़े के कारण रिलीज भी नहीं हो पायी थी। इस फिल्म की यूनिट नगर के फेयर ट्रेल्स होटल में ठहरी थी, जबकि बैंड स्टेंड, बोट हाउस क्लब, माल रोड आदि स्थानों पर इसकी शूटिंग हुई थी। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान इस संवाददाता से भी काका ने बात की थी, तथा नैनीताल की खूबसूरती की दिल खोल कर सराहना की थी। आज काका इस दुनिया से जा चुके हैं, तो नगर के कला प्रेमियों के मन में यह सवाल बार-बार उठ रहा है, काका आप यहां हमेशा ‘आने-जाने’ की बातें ही क्यों करते रहे ?

सोमवार, 16 जुलाई 2012

आखिर न्याय देव ग्वेल के दरबार से मिला न्याय


  • उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले से पुख्ता हुआ न्याय पर विश्वास

नवीन जोशी, नैनीताल। उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है, यहां के कण-कण में देवत्व का वास बताया जाता है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा सोमवार को होनहार कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले में आये फैसले से देवभूमि की ऐसी ही महिमा साकार हुई है। मामले में आये उच्च न्यायालय के फैसले को आज दोनों पक्षों के अधिवक्ता जिस प्रकार अनपेक्षित बता रहे थे, उससे यह विास भी पक्का हुआ है कि सरोवरनगरी के पास ही विराजने वाले कुमाऊं के न्याय देव ग्वेल से लगाई जाने वाली न्याय की गुहार कभी खाली नहीं जाती। गौरतलब है कि इस मामले में अपनी कवयित्री बहन के कातिल यूपी के दबंग मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के खिलाफ लड़ने वाली बहन निधि शुक्ला ने गत वर्ष ही, जब वह अपनी न्यायिक जीत को करीब-करीब मुश्किल मान बैठी थी, उसने देवभूमि वासियों और निकटवर्ती घोड़ाखाल स्थित ग्वेल देवता के मंदिर में न्याय की गुहार लगाई थी। ग्वेल देवता को कुमाऊं का न्यायदेव कहा जाता है। ग्वेल देवता के कुमाऊं में चंपावत, द्वाराहाट, चितई व घोड़ाखाल आदि में मंदिर हैं। कहा जाता है कि ग्वेल देव से लगाई जाने वाली न्याय की गुहार कभी खाली नहीं जाती। इसलिए लोग ग्वेल देवता के मंदिर में सादे कागजों और स्टांप पेपर पर भी अर्जियां देकर न्याय की प्रार्थना करते हैं। यह भी कहा जाता है कि यदि न्याय मांगने वाला व्यक्ति खुद गलत होता है तो देवता उसे उल्टी सजा देने से भी नहीं चूकते। ऐसी अनेक दंतकथाएं प्रचलित हैं, जिनमें ग्वेल देव ने न्याय किया। कमोबेश इस मामले में भी ग्वेल देव का न्याय पक्का हुआ है। इस मामले में अपने बुलंद इरादों के बावजूद और लड़ाई को मुकाम तक पहुंचाने वाली निधि शुक्ला भी न्यायालय के ऐसे फैसले की कल्पना नहीं कर रही थी। फैसले के दो दिन पूर्व ही दबंग मंत्री अमरमणि त्रिपाठी से बेहद डरी हुई निधि शुक्ला ने राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की गुहार तक लगा दी थी। अभियुक्त मंत्री अमरमणि ने भी मामले की पैरवी में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। कोलकाता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सहित दर्जन भर से अधिवक्ता इधर मामले की पैरवी में लगे हुए थे। आज न्यायालय से ऐसे फैसले की उम्मीद होती तो शायद न्यायालय परिसर में भी अलग ही नजारा होता। शायद इसीलिए ‘न्याय की जीत’ करार दिये जा रहे इस फैसले को अपने कानों से सुनने के लिए दिवंगत कवयित्री के परिजन भी आज न्यायालय परिसर में मौजूद नहीं थे।

यह मिला न्याय...
अमरमणि की उम्रकैद बरकरार
नैनीताल (एसएनबी)। नैनीताल उच्च न्यायालय ने सीबीआई अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के अभियुक्त अमरमणि त्रिपाठी की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी है। न्यायालय ने संतोष कुमार राय, रोहित चतुव्रेदी और मधुमणि त्रिपाठी की अपीलों को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने सीबीआई की अपील को स्वीकार करते हुए पांचवें अभियुक्त प्रकाश चन्द्र पाण्डे को भी आजीवन कारावास की सजा सुना दी है। मगर अमरमणि त्रिपाठी के वकीलों ने कहा है कि वे इस फैसले के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करेंगे। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश बारिन घोष और न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की संयुक्त खंडपीठ ने अभियुक्तों की याचिकाओं की सुनवाई के बाद दिया है। उल्लेखनीय है कि नौ मई 2003 को लखनऊ की एक कालोनी में कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या कर दी गयी थी। मामले की प्रथम सूचना रिपोर्ट मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने दाखिल की थी। बाद में यह मामला सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई ने लंबी जांच के बाद इन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। बाद में यह मामला उत्तराखंड स्थानांतरित कर दिया गया। वर्ष 2007 में सीबीआई की देहरादून अदालत ने अमरमणि, मधुमणि, संतोष राय के खिलाफ पर्याप्त सबूत मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। प्रकाश पाण्डे को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। इसको इन सभी लोगों ने नैनीताल उच्च न्यायालय में चुनौती दी। जबकि सीबीआई द्वारा प्रकाश पाण्डे को बरी कर देने को भी न्यायालय में चुनौती दी गयी। लम्बी सुनवाई के बाद सोमवार को न्यायालय ने तमाम सबूतों के आधार पर सीबीआई अदालत के फैसले को बरकरार रखने का फैसला सुनाया जबकि अभियुक्त प्रकाश चन्द्र पाण्डे के मामले में सीबीआई अदालत के फैसले को पलटते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा दे दी है। इसके साथ ही अमरमणि एवं अन्य के पास अब सुप्रीम कोर्ट जाने के अलावा सारे विकल्प बंद हो गये हैं।


ग्वेल देवता एवं देवभूमि के बारे में और अधिक  पढ़े : http://newideass.blogspot.in/2010/02/blog-post_26.html