बुधवार, 25 जून 2014

हालात के लिए पीएम या सीएम नहीं जनता जिम्मेदार : कुंजवाल



कहा, आजादी के बाद न देश के हालात बदले और न ही राज्य बनने के बाद उत्तराखंड के
नैनीताल (एसएनबी)। अपने बेलाग बोलों के लिए प्रसिद्ध प्रदेश के विधान सभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने दो टूक कहा कि आजादी के बाद न देश में हालात बदले और ना ही अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में। आजादी के बाद भी देश में अंग्रेजी दौर की और उत्तराखंड में यूपी के दौर की पुरानी व्यवस्था ही कमोबेश लागू रही। उन्होंने मौजूदा बुरे हालातों के लिए राजनीतिज्ञों की जगह जनता को ही अधिक जिम्मेदार बताया। कहा, ‘कोई भी पीएम या सीएम नहीं वरन मतदाता दोषी हैं।’
कुंजवाल बुधवार को कुमाऊं विवि के यूजीसी अकादमिक स्टाफ कालेज में ‘इकानामिक्स, पालिटिक्स एंड सिविल सोसायटी’ विषयक कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जनता अच्छे प्रत्याशियों को वोट नहीं देती और चुनाव में धन व बाहुबल प्रदर्शित करने वाले प्रत्याशियों को पल्रोभन में आकर वोट देती है। ऐसे में सभी प्रत्याशियों को चुनाव में काफी पैसा खर्च करना पड़ता है। उन्होंने कहा, जो प्रत्याशी दो करोड़ रपए खर्च कर विधायक बनेगा, उससे ईमानदारी से कार्य करने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। बोले, देश में अच्छे से अच्छा नियम-कानून बनता है तो उसे भी तोड़ने के रास्ते निकाल लिए जाते हैं। आरटीआई और मनरेगा को बहुत अच्छे प्राविधान बताने के साथ ही उन्होंने स्वीकारा कि आज सर्वाधिक भ्रष्टाचार इन्हीं के द्वारा हो रहा है। उन्होंने सरकारी कर्मचारियों की भी कार्य को पूरा समय न देने, मोटी तनख्वाह पर हाथ न लगाकर ऊपरी कमाई से ही परिवार चलाने की परिपाटी बनने जैसे मुद्दों को भी छुआ।

गुरुवार, 19 जून 2014

उत्तराखंड में बनेगा ‘हिमालयी क्षेत्रों पर अध्ययन का अंतरराष्ट्रीय संस्थान’

-हिमालयी प्रौद्योगिकी केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसा भी हो सकता है स्वरूप
-दिल्ली में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा ली गई बैठक में बनी सहमति
नवीन जोशी, नैनीताल। उत्तराखंड में ‘हिमालयी क्षेत्रों पर अध्ययन का अंतर्राष्ट्रीय संस्थान’ (इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन स्टडीज) की स्थापना की जाएगी। इसका स्वरूप हिमालयी प्रौद्योगिकी केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसा भी हो सकता है। राज्य में दिल्ली में बीती मंगलवार यानी 17 जून 2014 को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में इस पर सहमति दे दी गई है, तथा प्रदेश के उच्च शिक्षा सचिव डा. उमाकांत पवार को इस बाबत विस्तृत प्रस्ताव तैयार करने को कह दिया गया है। अब उत्तराखंड सरकार को तय करना है कि यह संस्थान अथवा केंद्रीय विश्वविद्यालय राज्य में कहां स्थापित होगा। अलबत्ता, उम्मीद की जा रही है कि यह राज्य के कुमाऊं मंडल में स्थापित किया जा सकता है।
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी की अध्यक्षता में  हुई बैठक में उपस्थित रहे कुमाऊं 
विवि के कुलपति प्रो. होशियार सिंह धामी ने दिल्ली से दूरभाष पर बताया कि उत्तराखंड में ‘इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन स्टडीज’ पर सहमति बनना राज्य के लिए खुशखबरी है। इस अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संस्थान में न केवल हिमालयी क्षेत्रों की नाजुक प्रकृति, आपदा आने की लगातार संभावनाओं, सतत विकास की ठोस प्रविधि विकसित करने, जैव विविधता एवं प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण एवं विकास के बीच जरूरी साम्य तय करने के मानकों के साथ ही हिमालयी क्षेत्र की संस्कृति, विरासत एवं यहां की विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुकी कुमाउनी व गढ़वाली के साथ ही जौनसारी, भोटिया, थारू, बोक्सा व रांग्पो सहित प्रदेश की सभी लोक भाषाओं के संरक्षण के कार्य भी किए जाएंगे। 

पंत के नाम से ही हो सकता है प्रस्तावित टैगोर पीठ 

नैनीताल। उल्लेखनीय है कि कुमाऊं विवि ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की 12वीं योजना के तहत अल्मोड़ा में प्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत पर अध्ययन एवं शोध के लिए रवींद्र नाथ टैगोर के नाम पर पीठ स्थापित किए जाने का प्रस्ताव तैयार किया था। कुलपति प्रो. एचएस धामी ने बताया कि पहले नोबल पुरस्कार विजता सात्यिकारों के नाम पर ही पीठ स्थापित किए जाने का प्राविधान था। अब केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने क्षेत्र के प्रेरणादायी सात्यिकारों के नाम पर भी ऐसे पीठ स्थापित किए जाने की हामी भर दी है, जिसके बाद पीठ का नाम पंत के नाम पर ही हो सकता है। प्रो. धामी ने बताया कि इसके अलावा उत्तराखंड सहित सभी राज्यों में गुजरात की तर्ज पर ‘नो युवर कॉलेज’ कार्यक्रम भी शुरू किया जा सकता है, इसके तहत छात्र-छात्राओं को उनके परिसरों की जानकारी दी जाएगी।

रविवार, 1 जून 2014

नैनीताल विधानसभा में केवल 30 बूथों पर ही मामूली अंतर से आगे रही कांग्रेस

-शेष 80 फीसद यानी 116 बूथों पर भाजपा प्रत्याशी कोश्यारी को मिली भारी बढ़त
नवीन जोशी, नैनीताल। आजादी के बाद से विशुद्ध रूप से केवल एक और संयुक्त क्षेत्र होने पर दो बार ही भाजपा के खाते में गई नैनीताल विधानसभा में कांग्रेस का हालिया लोक सभा चुनावों में कमोबेश पूरी तरह से सूपड़ा साफ हो गया लगता है। मोदी की आंधी में इस बार इस विधानसभा क्षेत्र के 146 में से करीब 20 फीसद यानी 30 सीटों पर ही कांग्रेस प्रत्याशी केसी सिंह बाबा कहीं दो से लेकर अधिकतम 132 वोटों की बढ़त ले पाए, जबकि भाजपा प्रत्याशी भगत सिंह कोश्यारी ने 80 फीसद यानी 116 बूथों से अपनी बढ़ी जीत की इबारत लिखी। 
आजादी के बाद से भााजपा के लिए नैनीताल विधानसभा में कालाढुंगी का बड़ा हिस्सा जुड़ा होने के उत्तराखंड बनने से पहले के दौर में बंशीधर भगत चुनाव जीते थे। तब भी वर्तमान नैनीताल विधानसभा के क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी कमोबेश पिछड़ते ही रहते थे। उत्तराखंड बनने के बाद भाजपा के खड़क सिंह बोहरा 2007 में कोटाबाग और कालाढुंगी क्षेत्र में बढ़त लेकर बमुश्किल यहां से चुनाव जीत पाए थे। 
बीते 2012 के विधानसभा चुनावों में यहां से चुनाव के कुछ दिन पहले ही प्रत्याशी घोषित हुईं, और चुनाव क्षेत्र में ठीक से पहुंच भी न पाईं सरिता आर्या ने 25,563 वोट प्राप्त कर पांच वर्ष से दिन-रात चुनाव की तैयारी में जुटे भाजपा प्रत्याशी हेम चंद्र आर्या को 6358 मतों के बड़े अंतर से हरा दिया था। लेकिन, दो वर्ष के भीतर ही हुए लोक सभा चुनावों में कांग्रेस यहां बुरी तरह से पस्त हो गई नजर आ रही है। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी केवल 30 बूथों पर मामूली अंतर से भाजपा प्रत्याशी से आगे रह पाए हैं। उल्लेखनीय है कि नैनीताल विधानसभा में में भाजपा को 30,173 व कांग्रेस को 21,575 वोट मिले हैं और कांग्रेस 8,578 वोटों से पीछे रही है। इससे क्षेत्र के प्रभावी कांग्रेसी नेताओं के अपने बूथों पर प्रत्याशी को जिताने के दावों की कलई भी बुरी तरह से खुल गई है।

इन बूथों पर ही आगे रह पाए बाबा 

नैनीताल विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी केवल मल्ली सेठी, बेतालघाट, तौराड़, हल्सों कोरड़, रतौड़ा (दाड़िमा), तल्ली पाली, धूना (केवल दो मतों से), गरजोली, हरौली, ताड़ीखेत (13 मतों से), गौणा, ठुलीबांज, कफुड़ा, मल्लीताल सीआरएसटी कक्ष नंबर तीन व चार, राप्रावि मल्लीताल कक्ष नंबर तीन, अयारपाटा कक्ष नंबर दो (केवल नौ मतों से), मल्लीताल स्टेडियम, नारायणनगर, लोनिवि कार्यालय कक्ष नं. दो, राइंका तल्लीताल कक्ष एक (सर्वाधिक 168 मतों से), राइंका तल्लीताल कक्ष दो, गेठिया कक्ष दो, भूमियाधार (136 मतों से), छीड़ागांजा, ज्योलीकोट कक्ष एक (29 मतों से, कक्ष दो में 18 मतों से पीछे), पटुवाडांगर, गहलना (सिलमोड़िया), सौड़ व कुड़खेत में ही आगे रहे हैं। 

सरोवरनगरी में भी चली मोदी की आंधी

जिला व मंडल मुख्यालय नैनीताल हमेशा से कांग्रेस का परंपरागत गढ़ रहा है। किसी भी तरह के चुनावों के इतिहास में नैनीताल से कभी भी भाजपा प्रत्याशी कांग्रेस के मुकाबले आगे नहीं रहे हैं। एकमात्र 2004 में भाजपा प्रत्याशी विजय बंसल नैनीताल मंडल से आगे रहे थे, पर तब भी उनके आगे रहने में खुर्पाताल के ग्रामीण क्षेत्रों का योगदान रहा था। वर्तमान कांग्रेस विधायक सरिता आर्या नैनीताल की पालिकाध्यक्ष भी रही हैं, बावजूद वह अपने वोटों को मोदी की आंधी में उड़ने से नहीं रोक पाईं। भाजपा को नैनीताल नगर के 37 बूथों में इतिास में सर्वाधिक 9,154 वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस 7,021 वोटों के साथ 2,153 वोटों से पीछे रह गई है। नगर के नारायणनगर, हरिनगर, लोनिवि कार्यालय कक्ष नंबर 1 और मल्लीताल के कुछ मुस्लिम, दलित व कर्मचारी बहुल क्षेत्रों के केवल नौ बूथों पर ही कांग्रेस अपनी साख बचा पाई है। वहीं भाजपा ने नगर के राबाप्रावि मल्लीताल में 439 मत प्राप्त कर विधानसभा में सर्वाधिक 182 वोटों से बढ़त दर्ज की है।

रविवार, 25 मई 2014

2009 में ही नैनीताल में दिखाई दे गई थी मोदी में ‘पीएम इन फ्यूचर’ की छवि

छह मई 2009 को नैनीताल के फ्लैट्स मैदान में विशाल जनसभा को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
-अपनी फायरब्रांड हिंदूवादी नेता की छवि के विपरीत की थी गुजरात के विकास की बात
-यूपीए को ‘अनलिमिटेड प्राइममिनिस्टर्स एलाइंस’ और सोनिया, राहुल व प्रियंका गांधी के लिए किया था ‘एसआरपी’ शब्द का प्रयोग
नवीन जोशी, नैनीताल। देश के मनोनीत प्रधानमंत्री एवं आज देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले रहे नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी वर्ष 2009 में छह मई को लोक सभा चुनाव के प्रचार के लिए भाजपा प्रत्याशी बची सिंह रावत के प्रचार के लिए नैनीताल आए थे। नैनीताल में उस दौर की जनसभाओं के लिहाज से पहली बार भारी भीड़ उमड़ी थी, और लोग भाजपा के तत्कालीन ‘पीएम इन वेटिंग’ लाल कृष्ण आडवाणी की जगह मोदी के मुखौटे चेहरों पर लगा कर रैली में आए थे। साफ था कि मोदी तभी से आज के दिन की तैयारी कर रहे थे। उनके भाषणों में गुजरात का विकास पूरी तरह से छाया हुआ था। अपनी रौ में मोदी ने यहां जो कहा, उसमें विकास का मतलब ‘गुजरात’ हो गया और यूपीए सरकार के साथ ही एनडीए काल की ‘दिल्ली’ भी मानो कहीं गुम हो गई थी। उन्होंने यहां आडवाणी का नाम भी केवल एक बार उनके (आडवाणी के द्वारा) तत्कालीन प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह को कमजोर कहने के एक संदर्भ के अलावा कहीं नहीं लिया था। 
नैनीताल में मोदी को माता नंदा-सुनंदा के चित्र युक्त प्रतीक चिन्ह भेंट करते बची सिंह रावत, बलराज पासी व अन्य स्थानीय नेता। 
नैनीताल के ऐतिहासिक डीएसए फ्लैट्स मैदान में हुई उस जनसभा में मोदी अपने भाषण में पूरी तरह गुजरात केंद्रित हो गऐ थे। उनकी आवाज में यह कहते हुऐ गर्व था कि कभी व्यापारियों का माना जाने वाला गुजरात उनकी विकास परक सरकार आने के बाद से न केवल औद्योगिक क्षेत्र में वरन बकौल उनके एक अमेरिकी शोध अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर खारे पानी के समुद्र और रेगिस्तान से घिरा गुजरात कृषि क्षेत्र में वृद्धि के लिए भी देश में प्रथम स्थान पर आ गया है। उन्होंने बताया, गरीबों के हितों के लिए चलाऐ जाने वाले 20 सूत्रीय कार्यक्रमों में गुजरात नंबर एक पर रहा है, साथ ही सूची में प्रथम पांच स्थानों पर भाजपा शासित और प्रथम 10 स्थानों पर एनडीए शासित राज्य ही हैं, तथा एक भी कांग्रेस शासित राज्य नहीं है। इन आंकड़ों के जरिए उन्होंने पूछा कि ऐसे में कैसे ‘कांग्रेस का हाथ गरीबों व आम आदमी के साथ’ हो सकता है। मोदी ने गुजरात की कांग्रेस शासित राज्य आसाम से भी तुलना की। कहा, दोनों राज्य समान प्रकृति के पड़ोसियों बांग्लादेश और पाकिस्तान से सटे हैं। आसाम के मुसलमान परेशान हैं कि वहां भारी संख्या में हो रही बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ से उन्हें काम और पहले जैसी मजदूरी नहीं मिल रही। यूपीए नेता घुसपैठियों को वोट की राजनीति के चलते नागरिकता देने की मांग कर रहे हैं, वहीं पाकिस्तानी गुजरात में घुसने की हिम्मत करना तो दूर उनसे (मोदी से) डरे बैठे हैं। हालांकि मोदी को इस दौरान पूर्व की एनडीए सरकार की कोई उपलब्धि बताने के लिए याद नहीं आई, पर उन्होंने उत्तराखंड की तत्कालीन खंडूड़ी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की तारीफ अवश्य की। कहा, एकमात्र विकास ही देश को बचा सकता है। अपनी फायरब्रांड और कट्टर हिंदूवादी नेता की पहचान वाले मोदी अपनी छवि के अनुरूप एक शब्द भी नहीं बोले, जिससे सुनने वालों में थोड़ी बेचैनी भी देखी गई थी।
इसके अलावा मोदी शब्दों को अलग विस्तार देने व अलग अर्थ निकालने की कला भी नैनीताल में दिखा गए थे। उन्होंने यूपीए को ‘अनलिमिटेड प्राइममिनिस्टर्स एलाऐंस’ यानी असीमित प्रधानमंत्रियों का गठबंधन करार दिया। कहा कि शरद पवार, लालू यादव, पासवान सहित यूपीए के सभी घटक दलों के नेता प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के बजाय स्वयं को भावी प्रधानमंत्री बता रहे हैं, वहीं गांधी परिवार के अलावा कांग्रेस के एक भी वरिष्ठ नेता ने उनका नाम प्रधानमंत्री के रूप में नहीं लिया। उन्होंने गांधी परिवार के लिए ‘एसआरपी’ (सोनिया, राहुल व प्रियंका ) शब्द का प्रयोग करते हुए पूछा, क्या एसआरपी ही देश का अगला प्रधानमंत्री तय करेंगे। 

गुरुवार, 15 मई 2014

एनडी-उज्ज्वला की शादी को शास्त्र सम्मत नहीं मानते विद्वान


कहा, 75 वर्ष की उम्र से शुरू होता है संन्यास आश्रम, इसके बाद विवाह शास्त्र सम्मत नहीं
नैनीताल (एसएनबी)। लखनऊ में पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता एनडी तिवारी के डा. उज्ज्वला शर्मा से विवाह करने के समाचार पर उनके गृह जनपद में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। सामाजिक रूप से जहां तिवारी के साथ अब तक ‘लिव-इन’ संबंधों में रह रही डा. शर्मा के साथ संबंधों को देर से ही सही स्वीकारने और संबंधों को सामाजिक मान्यता दिलाने की प्रशंसा हो रही है, वहीं 86 वर्ष की उम्र में हैदराबाद कांड होने और अब 89 वर्ष की उम्र में युवा रोहित शेखर को लंबी न्यायिक प्रक्रिया के दौरान पुत्र स्वीकारने के बाद उसकी माता को स्वीकारने को लेकर तरह-तरह की चुटकियां भी ली जा रही हैं। फेसबुक सरीखी सोशल साइटों पर इस मामले में पुत्र रोहित शेखर और कांग्रेस के दूसरे दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को शादी के मामले में तिवारी द्वारा पछाड़ने जैसे व्यंग्यों के साथ जमकर कटाक्ष किए जा रहे हैं।
कुमाऊं के चंद वंशीय राजपुरोहित पं. दामोदर जोशी ने कहा कि तिवारी की उम्र विवाह की नहीं सन्यास आश्रम की है। इस उम्र में उन्हें इंद्रियों से संबंधित समस्त मानवीय वृत्तियों का न्यास यानी त्याग करना चाहिए था और त्याग व दान आदि श्रेष्ठ कर्मो के साथ अपने जीवन को ईर तथा देश के लिए समर्पित करना चाहिए था। वहीं आचार्य पं. जगदीश लोहनी का लखनऊ को केंद्र मानकर बने अंतर्राष्ट्रीय भाष्कर पंचांग के आधार पर कहना था कि धर्म शास्त्रों के अनुसार 75 की उम्र के बाद मनुष्य का संन्यास आश्रम शुरू हो जाता है। इस उम्र में विवाह शास्त्र सम्मत नहीं माना गया है। उधर, इस शादी को लेकर उत्तराखंड में दिन भर र्चचाओं का दौर शुरू हो गया है। इस शादी को लेकर एनडी समर्थकों व उनकी निजी जिंदगी की आलोचना करने वाले लोगों के बीच में बहस का विषय बना हुआ है कि क्या इस उम्र में शादी करना सही है। समर्थक व विरोधी दोनों ही अपनी- अपनी दलील दे रहे हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि इस अनूठी शादी को लेकर आम लोगों में भी गहरी रुचि पैदा हो गयी है। इसके अलावा सोशल साइटों पर भी एनडी-उज्ज्वला को लेकर बहस छिड़ी है और कई कंमेंट्स लिखे जा रहे हैं। कई चुटकियां तो दोनों के भविष्य को लेकर भी हो रही हैं।

मंगलवार, 6 मई 2014

बिना पार्टियों के चुनाव घोषणा पत्र के ही हो रहे लोक सभा चुनाव !


चुनाव में अब तक जुबानी खर्च ही करते रहे प्रत्याशी, 
प्रचार के आखिरी दिन तक नहीं पहुंचे भाजपा-कांग्रेस सहित किसी भी राष्ट्रीय दल के चुनाव घोषणा पत्र
नवीन जोशी, नैनीताल। चुनावों के लिए पेश किये जाने वाले घोषणा पत्र राजनीतिक दलों के लिए खास होते हैं। जनता अपनी चुनी हुई सरकार से उसके चुनाव पूर्व प्रस्तुत घोषणा पत्र के आधार पर ही जवाब-तलब करती है, मगर संभवत: यह पहली बार होगा कि कुमाऊं मंडल और जिला मुख्यालय में लोकसभा चुनाव की समय सीमा समाप्त होने के दिन तक भाजपा व कांग्रेस सहित किसी दल के घोषणा पत्र नहीं पहुंचे हैं। ऐसे में राजनीतिक दल जनता को अपने घोषणा पत्र नहीं दिखा रहे हैं और हवा-हवाई आरोप- प्रत्यारोपों के आधार पर ही वोट व समर्थन जुटा रहे हैं और संभवत: जनता भी जुबानी वादोंदा वों में ऐसे उलझी है कि वह भी राजनीतिक दलों से चुनाव घोषणा पत्र पढ़ने-संभालने को नहीं मांग रही है। गुजरे दौर में खासकर राजनीतिक दल अपने ही नहीं अन्य पार्टियों के चुनाव घोषणा पत्र अपने चुनाव कार्यालयों में रखते थे, ताकि जनता को दोनों की नीतियों और वादों का अंतर समझाया जा सके। ‘राष्ट्रीय सहारा’ ने सोमवार को लोकसभा चुनाव में प्रचार की समय सीमा समाप्त होने के दिन मुख्यालय में राजनीतिक दलों के चुनाव कार्यालयों का जायजा लिया, मगर किसी दल के चुनाव कार्यालय में पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र उपलब्ध नहीं थे। इस बारे में पूछने पर कहा गया कि इंटरनेट पर घोषणा पत्र उपलब्ध है यह जानते हुए कि देश-प्रदेश में इंटरनेट की उपलब्धता सीमित है। इसके साथ ही घोषणा पत्र किस यूआरएल पते या वेबसाइट पर उपलब्ध हैं इसकी जानकारी भी पार्टी के पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को नहीं है।
लगा प्रचार शुरू ही नहीं हुआ
नैनीताल। इस लोकसभा चुनाव में सही मायनों में पहाड़ पर और खासकर नैनीताल सीट व कुमाऊं मंडल तथा जिले के मुख्यालय में चुनाव प्रचार ठीक से शुरू ही नहीं हुआ था और यह सोमवार को प्रचार की समय सीमा समाप्त होने के साथ खत्म भी हो गया। इस दौरान स्टार प्रचारक कहने भर को यहां केवल भाजपा की ओर से शक्ति कपूर व आप की ओर से भगवंत मान और कांग्रेस के लिए सीएम हरीश रावत ही पहुंचे।

गुरुवार, 1 मई 2014

हिमालयी राज्यों के लिए बने सतत विकास की नीति

संसद में हिमालय को लेकर कभी गंभीरता से नहीं हुई चर्चा, राजनीतिक दल हिमालय पर करें मंथन जलवायु परिवर्तन होने के दुष्प्रभावों पर भी राजनीतिक दल हों गंभीर हिमालय क्षेत्र में जैव विविधता का संरक्षण करने की अत्यंत आवश्यकता
हिमालय को वाटर टावर ऑफ एशिया कहा जाता है। भारत में उत्तराखंड सहित 12 राज्य हिमालयी क्षेत्र में आते हैं। भारत की 60 करोड़ आबादी हिमालय से सीधे या परोक्ष तौर पर प्रभावित होती है, लेकिन हिमालयी क्षेत्रों का दुर्भाग्य है कि देश के 16 फीसद भूभाग में फैले होने के बावजूद यहां देश की केवल चार फीसद जनसंख्या ही वास करती है। शायद इसीलिए हिमालयी क्षेत्र देश और राजनीतिक दलों के एजंेडे में कभी प्रमुखता नहीं रहा है। देश की संसद में 50 यानी करीब 10 फीसद सांसद हिमालयी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन अफसोस कि कभी भी हिमालय के बारे में बात संसद में उस गंभीरता के साथ नहीं रखी गई और न ही वहां अपेक्षित आयामों पर बहस ही हुई। 
वर्ष 2009 में केंद्र सरकार ने ‘जलवायु परिवर्तनों के दुष्प्रभावों से निपटने’ के लिए जो आठ ‘मिशन’ योजनाएं बनाई थीं, उनमें ‘नेशनल मिशन आफ सस्टेनिंग हिमालयन ईको सिस्टम’ यानी हिमालयी क्षेत्रों में सतत पारिस्थितिकीय विकास की राष्ट्रीय योजना भी शामिल है। अल्मोड़ा जनपद के कोसी में स्थित गोविंद बल्लभ पंत हिमालयन पर्यावरण विकास संस्थान कोसी-कटारमल ने इस मिशन के तहत काफी कार्य किया। हिमालयी क्षेत्रों में सतत पारिस्थितिकीय विकास के लिए शासन नाम से गाइडलाइन तैयार की गई। इसमें बताया गया कि किस तरह विकास और पर्यावरण को एक-दूसरे का पूरक बनाया जाए। हिमालयी क्षेत्र की जैव विविधता का संरक्षण कैसे किया जाए, किस मात्रा में हिमालयी क्षेत्र से जड़ी-बूटियों व प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जाए, और कैसे उनका संरक्षण किया जाए। साथ ही कैसे हिमालय की जैव विविधता, उसकी खूबसूरती, खनिजों, जल, जंगल, जमीन और अन्य आयामों को बिना नुकसान पहुंचाए यहां के निवासियों की आजीविका से भी जोड़ा जाए। इन गाइड लाइन में ‘ग्रीन रोड’ यानी ऐसी सड़कें बनाने की बात कही गई है जो प्रकृति व पर्यावरण का संरक्षण करते हुए व उसे बिना छेड़े हुए बनाई जा सकती हैं। साथ ही सामान्यतया कहा जाता है कि विकास और पर्यावरण एक-दूसरे के साथ नहीं चल सकते। यदि आज की तरह का विकास होगा, तो उससे निश्चित ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा, और यदि पर्यावरण का ही संरक्षण किया जाएगा, तो इससे विकास वाधित होगा। लेकिन विकास मनुष्य की आवश्यकता है, इसलिए विकास जरूरी है और हमें ‘पर्यावरण सम्मत’ विकास की बात करनी होगी। विकास के वैकल्पिक उपाय, जैसे सड़कों के स्थान पर रोप-वे, परंपरागत ऊर्जा के साधनों के स्थान पर सौर व वायु ऊर्जा जैसे वैकल्पिक ऊर्जा के साधन, वष्ा जल संग्रहण, सिंचाई के लिए स्प्रिंकुलर विधि आदि का प्रयोग करना होगा। हिमालयी क्षेत्र इतना बृहद है। खासकर पूरे भारत वर्ष को हिमालय प्रभावित करता है, इसलिए हिमालय के बारे में देश को अलग से सोचना पड़ेगा। हिमालय के लिए सतत विकास की अलग नीति बनानी होगी। इस मुद्दे को राजनीतिक एजेंडे में प्रमुखता से शामिल किया जाना चाहिए। (नवीन जोशी से बातचीत पर आधारित)

बुधवार, 23 अप्रैल 2014

पहाड़ में नहीं लोकतंत्र के ’महापर्व‘ जैसा माहौल

पहाड़ के बजाय मैदान में ही जोर लगा रहे प्रत्याशी और समर्थक अब तक किसी पार्टी के स्टार प्रचारक का कार्यक्रम भी तय नहीं
नवीन जोशी नैनीताल। कहने को प्रदेश के पर्वतीय अंचलों में भी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े यानी लोकसभा चुनावों के ‘महापर्व’ का मौका है, मगर इसे चुनाव आयोग की सख्ती का असर कहें कि पहाड़वासियों की मैदानों की ओर लगातार पलायन की वजह से लगातार क्षीण होती राजनीतिक शक्ति का प्रभाव, राजनीतिक दल और उनके प्रत्याशी पर्वतीय क्षेत्रों को चुनावों में भी भाव नहीं दे रहे हैं। कुमाऊं मंडल का जिला एवं मंडल मुख्यालय पर्वतीय क्षेत्रों की कहानी बयां करने के लिए काफी है, जहां पूरे शहर में कहने भर को केवल एक होर्डिग और गिनने भर को कुछ दीवारों पर केवल दो पार्टियों भाजपा व कांग्रेस के चुनाव कार्यालय खुले हैं और उनके ही पोस्टर चिपके हुए हैं। वहीं राज्य और देश के सत्तारूढ़ दल की उपेक्षा का यह आलम है कि उनका मुख्यालय में न ही अब तक चुनाव कार्यालय खुला है और न ही पूरे शहर में कहीं एक भी होर्डिग, बैनर या पोस्टर ही लगे हैं। ऐसे में बैनर-पोस्टर लिखने छापने और चिपकाने वाले चुनावी रोजगार से वंचित हो गए हैं, तो वे लागे महापर्व का अहसास कैसे करें। गौरतलब है कि नए परिसीमन में नैनीताल-ऊधमसिंह नगर संसदीय सीट पर पर्वतीय मतों का प्रतिशत करीब 35 और मैदानी मतों का प्रतिशत 65 है। ऐसे में उम्मीदवार मैदानी क्षेत्रों में ही जोर लगाकर अपनी जीत सुनिश्चित करने की जुगत में हैं। राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारकों के भी अभी पर्वतीय क्षेत्रों के लिए कोई कार्यक्रम तय नहीं बताए जा रहे हैं। ऐसे में खासकर नैनीताल में लोकसभा चुनावों से अधिक आसन्न ग्रीष्मकालीन पर्यटन सीजन पर अधिक र्चचाएं हो रही हैं।

इंटरनेट पर लगा चुनावी मेला

नैनीताल। बदलते दौर में जहां लोकतंत्र का महापर्व पूरी तरह धरातल से नदारद है, वहीं इंटरनेट की दुनिया में पूरा मेला लगा हुआ है। शहर में चुनावों पर कोई राजनीतिक विमर्श न होने की वजह से नगर के आमजन टीवी, अखबार या इंटरनेट पर सोशल नेटवर्किग साइटों पर बन रही प्रत्याशियों की बन-बिगड़ रही हवा पर ही आश्रित होकर अपनी राय बना या बदल रहे हैं। इंटरनेट पर जोरों से पार्टियों के पक्ष या विरोध में खूब जोशो-खरोश से र्चचाएं हो रही हैं। यहां राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्नों, प्रत्याशियों व राष्ट्रीय नेताओं के बारे में पूरा मेले जैसा माहौल है। ऐसे में लोग यह भी कहते सुने जा रहे हैं कि हर डंडा कमजोर तबकों पर ही पड़ता है। निचले तबके के चुनाव प्रचार में अपना रोजगार जुटाने वाले लोग जरूर बेरोजगार कर दिये गए हैं, लेकिन इंटरनेट से जुड़ी कंपनियों की चुनावी महापर्व पर खूब ‘पौ-बारह’ हो रही है।

बुधवार, 16 अप्रैल 2014

नैनीताल : पुरानी मांगें ही पूरी हो जाएं तो बन जाए बात



पिछले चुनाव में भी था केंद्रीय विश्व विद्यालय का मुद्दा झीलों के संरक्षण की योजना अब भी बचे हैं कई कार्य
नवीन जोशी, नैनीताल। 2009 में हुए पिछले लोक सभा चुनावों के बाद झीलों के नैनीताल संसदीय सीट के नैनी सरोवर सहित अन्य झीलों और नदियों में चाहे जितना पानी बह गया हो, राजनीतिक दलों के चाल, चरित्र और चेहरों के साथ नारे भी बदल गए हों, परंतु पांच वर्ष बाद भी केंद्र सरकार के स्तर के मुद्दे जहां के तहां हैं। पिछले लोक सभा चुनावों में राज्य के एकमात्र कुमाऊं विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा दिए जाने और नैनी सरोवर सहित अन्य झीलों के संरक्षण के लिए केंद्र से बड़ी योजना और तराई की प्यास बुझाने के लिए जमरानी बांध बनाए जाने की अपेक्षा की गई थी, लेकिन यह मुद्दे आज भी यथावत हैं। गौरतलब है कि कुमाऊं विवि को केंद्रीय विवि बनाए जाने का मुद्दा पूरे कुमाऊं मंडल से संबंध रखने वाला है। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले लोस चुनाव के दौरान घोषणा भी की थी, बावजूद इसके कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई। वहीं नैनीताल की पहचान नियंतण्र स्तर पर इसकी झीलों को लेकर है। वर्ष 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के नैनीताल राजभवन में प्रवेश के दौरान स्थानीय कार्यकर्ताओं की मांग पर बाजपेई सरकार ने वर्ष 2003 में यहां से गई 98 करोड़ रुपये की डीपीआर में से नैनीताल के लिए 46.79 तथा भीमताल, सातताल, नौकुचियाताल व खुर्पाताल के लिए 16.85 सहित कुल 63.64 करोड़ की झील संरक्षण परियोजना स्वीकृत की थी। यह योजना और इसकी धनराशि 2011 में समाप्त हो चुकी है और प्राधिकरण के समक्ष इस योजना के तहत झील में किए जा रहे एरिएशन के कार्य को जारी रखने के लिए प्रतिवर्ष खर्च हो रहे करीब 40 लाख रुपये जुटाना भी मुश्किल साबित हो रहा है, वहीं नैनी झील में गंदे पानी को बाहर निकालने के सायफनिंग, झील में गिरने वाले 62 में से 23 नालों से कूड़ा झील में न जाने देने के लिए ‘ऑगर’ नाम की मशीन व नालों के मुहाने पर मिनी ट्रीटमेंट प्लांट लगाने, अन्य झीलों में ड्रेनेज व सीवर सिस्टम विकसित करने जैसे कायरे की बेसब्री से दरकार पांच वर्ष पूर्व भी थी और आज भी है। इसके अलावा जमरानी बांध का मसला तो दशकों से जहां का तहां लटका हुआ है। मजेदार बात है कि यह मुद्दे ना तो राजनीतिक दलों की जुबान पर हैं, और शायद जनता भी इन्हें उठाते-उठाते थक-हार चुप हो चुकी है। मतदाताओं का कहना है कि नई उम्मीदें क्या करें, पांच वर्ष पुरानी मांगें ही पूरी हो जाए तो इनायत होगी।
ये योजनाएं भी केंद्र के स्तर पर लंबित
नैनीताल। नैनीताल मुख्यालय की अनेक बड़ी योजनाएं केंद्र सरकार के स्तर पर लंबित हैं। इनमें पर्यटन नगरी की सबसे बड़ी यातायात की समस्या का समाधान निहित है। केंद्र को जेएलएनयूआरएम योजना के तहत सड़कों के चौड़ीकरण व पार्किगों के निर्माण की 32 करोड़ की योजना भेजी गई है। इसके अलावा लोनिवि की 20 करोड़ रुपये की नगर की धमनियां कहे जाने वाले अंग्रेजी दौर में बने 62 नालों के जीर्णोद्धार व उन्हें ढकने की योजना तथा सिंचाई विभाग ने नगर के आधार कहे जाने वाले बलियानाले की जड़ से मजबूती के लिए करीब 25 करोड़ रुपये की योजना भी केंद्र सरकार के स्तर पर लंबित है। नैनीतालवासियों को उम्मीद है कि नैनीताल को जो भी नया सांसद होगा, वह इन योजनाओं को धरातल पर उतारने व केंद्र के स्तर पर स्वीकृत कराने में पहल करे।

मंगलवार, 15 अप्रैल 2014

नैनीताल में जीतने वाली पार्टी की ही केंद्र में बनती रही है सरकार

बदलाव की हर बयार में नैनीताल ने भी बदली है करवट, कइयों को राजनीति का ककहरा पढ़ाया है इस सीट ने
नवीन जोशी नैनीताल। शिक्षित संसदीय क्षेत्रों में शुमार नैनीताल ने देश में चल रही हर बदलाव की बयार में खुद भी करवट बदली है। देश में अच्छी सरकार चलती रही तो यहां के मतदाताओं ने भी अपने परम्परागत स्वरूप को बरकरार रखते हुए सत्तारूढ़ पार्टी के प्रत्याशी को ही ‘सिर-माथे' पर बिठाया है, लेकिन जहां सत्तारूढ़ पार्टी ने चूक की और नैनीताल को अपनी परम्परागत सीट मानकर गुमान में रही, उसे यहां के मतदाताओं ने जमीन भी दिखा दी। नैनीताल में आमतौर पर जिस पार्टी का प्रत्याशी जीता, उसी पार्टी की देश में सरकार भी बनती रही। इस प्रकार नैनीताल के साथ यह मिथक जुड़ता चला गया है। ऐसे में नैनीताल राजनीतिक दलों के लिए दिल्ली की गद्दी पाने का माध्यम बन सकता है। 
जी हां, नैनीताल लोकसभा सीट का अब तक ऐसा ही अतीत रहा है। वर्ष 1971 तक के चुनाव में मतदाताओं ने कुछ खास नेताओं को गले लगाया। इसके बाद उन्होंने अपना रुख बदल लिया और किसी भी नेता को दुबारा संसद पहुंचने का मौका नहीं दिया। देश की आजादी के बाद भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत के परिवार और बाद में एनडी तिवारी सरीखे नेताओं की यह परंपरागत सीट रही और दोनों को संसद पहुंचने की सीढ़ी चढ़ने का ककहरा नैनीताल ने ही सिखाया। मगर यह भी मानना होगा कि यहां के मतदाताओं की मंशा को कोई नेता नहीं समझ पाया। हालांकि एनडी भी यहां से हारे और केसी पंत भी। इसी तरह कांग्रेस की परंपरागत सीट माने जाने के बावजूद कांग्रेस के नेता भी हर चुनाव में यहां असमंजस के दौर से ही गुजरते हैं, जबकि देश की सत्ता संभाल चुकी भाजपा यहां से सिर्फ दो ही बार ही जीत हासिल की है। जनता पार्टी और जनता दल के नेताओं के लिए भी यहां प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। देश में चल रही राजनीतिक हवा का असर नैनीताल सीट पर भी पड़ता रहा है। 1951 व 1957 के चुनाव में पंडित गोविंद बल्लभ पंत के दामाद सीडी पांडे और 1962 से 1971 तक के तीन चुनावों में पुत्र केसी पंत यहां से सांसद रहे। मगर 1977 के चुनाव में आपातकाल के दौर में पंत को भारतीय लोकदल के नए चेहरे भारत भूषण ने पराजित कर दिया। तब देश में पहली बार विपक्ष की सरकार बनी। लेकिन विपक्ष का प्रयोग विफल रहने पर 1980 में एनडी तिवारी को उनके पहले संसदीय चुनाव में नैनीताल ने दिल्ली पहुंचा दिया। गौरतलब है कि 1984 में तिवारी सांसदी छोड़ यूपी का सीएम बनने चले तो उनके शागिर्द सतेंद्र चंद्र गुड़िया को भी जनता ने वही सम्मान दिया। 1989 के चुनाव में मंडल आयोग की हवा चली तो जनता दल के नए चेहरे डा. महेंद्र पाल चुनाव जीत गए और जनता दल की ही केंद्र में सरकार बनी। 1991 के चुनाव में यहां के मतदाता देश में चल रही राम लहर की हवा में बहे और बलराज पासी ने भाजपा के टिकट पर जीतकर इतिहास रच दिया। तब केंद्र में भाजपा की सरकार बनी। 1998 में बीच में एचडी देवगौड़ा और आरके गुजराल के नेतृत्व वाली जनता दल की सरकार की विफलता के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा की इला पंत ने एनडी तिवारी को पटखनी दी और दुबारा केंद्र में भाजपा की सरकार बनी। इसके बाद से 2004 व 2009 के चुनावों में कांग्रेस के केसी सिंह बाबा यहां से सांसद हैं और दोनों मौकों पर कांग्रेस की सरकार ही देश में बनी।

एनडी ने दो बार तोड़ा है मिथक

नैनीताल। नैनीताल में जीतने वाली पार्टी की ही केंद्र में सरकार बनती रही है, मगर एनडी तिवारी 1996 और 1999 में वह विरोधी पार्टियों की लहर में भी नैनीताल से चुनाव जीतने में कामयाब रहे। 1996 में एनडी तिवारी ने कांग्रेस से नाराज होकर सतपाल महाराज शीशराम ओला व अन्य के साथ मिलकर कांग्रेस (तिवारी) बनाई और उनकी पार्टी चुनाव जीतने में सफल रही। इस चुनाव के बाद केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी। 1999 के चुनाव में भी एनडी तिवारी ने फिर अपवाद दोहराया, जब कांग्रेस से तिवारी तीसरी बार चुनाव जीते, लेकिन फिर केंद्र में भाजपा की ही सरकार बनी। वर्ष 2002 में उनके उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनने पर हुए उपचुनाव में जद से कांग्रेस में आए डा. महेंद्र पाल भी उनकी सीट बचाने में सफल रहे।

गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

नैनीताल से भाजपा-कांग्रेस जो भी जीतेगा, दोनों की होगी हैट-ट्रिक

बाबा व भाजपा को तीसरी जीत की चाहत
नवीन जोशी नैनीताल। नैनीताल लोकसभा सीट पर इस बार रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। इस सीट पर यदि भाजपा जीतती है तो यह उसकी हैट्रिक होगी, और यदि कांग्रेस को जीत मिलती है तो यह केसी बाबा की लगातार तीसरी जीत होगी। भाजपा और कांग्रेस के अलावा यहां आम आदमी पार्टी भी दमदार उपस्थिति दर्ज करा रही है। ऐसे में इस सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिल सकता है। नैनीताल सीट देश की राजनीति के दो धुरंधर नारायण दत्त तिवारी और केसी पंत की परम्परागत सीट रही है। नैनीताल में हमेशा ऐसा कुछ ना कुछ होता है कि इस सीट पर बड़े राजनीतिक शूरमाओं की प्रतिष्ठा जुड़ी होती है, फलस्वरूप देश-प्रदेश की इस सीट पर नजर रहती है। इस बार यहां मुख्य मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा प्रत्याशी भगत सिंह कोश्यारी व मौजूदा सांसद केसी बाबा के बीच है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के टिकट पर जनकवि बल्ली सिंह चीमा भी संसद पहुंचने की होड़ में शामिल हैं। लोकसभा क्षेत्र की 14 विधानसभा सीटों में से आठ में विपक्षी भाजपा के विधायकों और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष, तीन काबीना मंत्रियों और पूर्व सीएम का इसी क्षेत्र से होना भी इसे प्रदेश की वीवीआईपी सीटों में शुमार करती है। भाजपा यहां से जीतेगी, तो उसके लिए यह अब तक के संसदीय इतिहास की इस सीट से तीसरी जीत होगी, क्योंकि उनसे पहले केवल बलराज पासी और इला पंत ही भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत पाए हैं। वहीं कांग्रेस जीती तो उसके प्रत्याशी के लिए भी यह व्यक्तिगत तौर पर लगातार व तीसरी जीत होगी। बसपा उम्मीदवार लईक अहमद भी मुकाबले में आने के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं।

मंगलवार, 8 अप्रैल 2014

नैनीताल में नैया पार लगाने को भाजपा को चाहिए मोदी, नकवी और सिद्धू

युवा, मुस्लिम और सिख वोटरों को साधने की है कोशिश
नवीन जोशी, नैनीताल। देश-प्रदेश में चल रही मोदी के पक्ष और कांग्रेस विरोधी लहर के बीच भाजपा को नैनीताल लोक सभा सीट पर अपनी नैया को पार लगाने के लिए नरेन्द्र मोदी, पार्टी के मुस्लिम चेहरे मुख्तार अब्बास नकवी और नवजोत सिंह सिद्धू की जरूरत है। पार्टी की नैनीताल लोक सभा क्षेत्र की इकाई ने अपनी इस इच्छा से पार्टी हाइकमान को अवगत करा दिया है। मोदी को हल्द्वानी, नकवी को काशीपुर, रुद्रपुर या हल्द्वानी और सिद्धू को बाजपुर या रुद्रपुर लाने की इच्छा जताई गई है। 
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भाजपा सूत्रों की मानें तो पार्टी के वरिष्ठ नेता नैनीताल की सीट को लेकर काफी गंभीर हैं। कारण, कांग्रेस यहां यूपी के दौर से ही मजबूत रही है। यहां किसी भी अन्य पार्टी प्रत्याशी का कांग्रेस प्रत्याशी को हराने का रिकार्ड संयोग से कांग्रेस पार्टी की उत्तराखंड व उप्र सरकार के मुखिया रहे एनडी तिवारी के नाम पर है। तिवारी ने 1996 के चुनाव में कांग्रेस से नाराजगी के बाद बनाई अपनी कांग्रेस-तिवारी के टिकट पर भाजपा की इला पंत को 1.56 लाख वोटों से हराया था, इससे पहले 1977 में भारतीय लोक दल ने आपातकाल के बाद ‘इंदिरा हटाओ’ की लहर के दौर में कांग्रेस के केसी पंत को 85 हजार वोटों से और 1989 में मंडल आंदोलन की पृष्ठभूमि में हुए चुनावों में जनता दल के डा. महेंद्र पाल ने 20 हजार वोटों से यह सीट जीती थी। भाजपा के प्रत्याशी इस सीट को केवल दो बार, 1991 की राम लहर में बलराज पासी केवल 11 हजार और 1998 में इला पंत 15 हजार वोटों के अंतर से ही जीते थे। यह भी एक महत्वपूर्ण बिंदु है कि पासी, इला व पाल की जीतों में बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र की बड़ी भूमिका रही थी, जो कि उत्तराखंड बनने के बाद इस लोक सभा क्षेत्र से अलग हो चुका है। हालिया दो चुनावों की बात की जाए तो मौजूदा सांसद, केसी सिंह बाबा ने 2004 में 49 हजार और 2009 में करीब 88 हजार वोटों के अंतर से जीतकर अपने जीत का अंतर बढ़ाया है। यही बिंदु भाजपा की चिंता का बड़ा कारण भी है। ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए भाजपा वर्गवार मतदाताओं को साधने की कोशिश में है। पार्टी की सबसे बड़ी चिंता करीब 2.75 लाख मुस्लिम और करीब 1.5-1.5 लाख सिख व अनुसूचित वर्ग के वोटों को लेकर है। पार्टी का मानना है कि 2009 के चुनाव में आखिरी दौर में धर्म विशेष के प्रचारकों के भाजपा के विरोध में माहौल बनाने व अन्य पार्टियों से कोई मजबूत मुस्लिम प्रत्याशी न होने की वजह से मुस्लिम मतों और तराई क्षेत्र में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के आने से सिख मतों के कांग्रेस के पक्ष में ध्रुवीकरण हो जाने की वजह से पार्टी हार गई थी। 
लेकिन इससे इतर भाजपा इस बार स्वयं को मोदी के पक्ष और कांग्रेस के विरोध की लहर, दो बार के सांसद बाबा के प्रति भी एंटी इंकमबेंसी व उनके क्षेत्र में मौजूद न रहने, बसपा से मुस्लिम प्रत्याशी घोषित होने से मुस्लिम वोटों का कांग्रेस के पक्ष में ध्रुवीकरण न होने की संभावना के मद्देनजर स्वयं को लाभ में मान रही है। बावजूद वह कोई जोखिम लेने के मूड में भी नहीं है। इस उद्देश्य से युवाओं व हर वर्ग को रिझाने के लिए लोक सभा क्षेत्र के केंद्र में स्थित हल्द्वानी में मोदी, मुस्लिम बहुल काशीपुर, रुद्रपुर क्षेत्र में नकवी एवं सिख बहुल बाजपुर, रुद्रपुर क्षेत्र में सिद्धू को लाये जाने की रणनीति बनाई गई है।

रविवार, 9 मार्च 2014

नैनीताल में बुलेट टैक्सी के ’नरेश‘


नवीन जोशी, नैनीताल। आपने बस, रेल, टैम्पो, टैक्सी और हवाई जहाज से सफर किया होगा। पर्यटक स्थलों पर कदाचित ‘रोपवे’ का आनंद भी उठाया हो। इसके बाद भी आपने ‘बुलेट टैक्सी’ के बारे में शायद ही देखा-सुना हो। सरोवरनगरी में सामान्य सी दिखने वाली बुलेट मोटरसाइकिल पर सवार व्यक्ति सवारियां ढोते देख सैलानी अंचभित हो जाते हैं मगर स्थानीय लोगों के लिए यह नजारा आम हैं। वे एक से दूसरे स्थान जाने के लिए नरेश की बुलेट टैक्सी का बखूबी इस्तेमाल करते हैं।
अंग्रेजी शासन में नैनीताल में डांडियों का प्रचलन था। दो-चार लोग डोलीनुमा डांडियों को कंधे पर उठाकर ले जाते थे। समय बदला तो डांडियों की जगह साइकिल रिक्शा ने ले ली। मुश्किल यह थी कि साइकिल रिक्शा केवल नगर की समतल सड़क पर चल पाते थे। कार-टैक्सियां जरूर लोगों को शहर में घुमा सकती हैं मगर इनका किराया बहुत है। स्थानीय युवक नरेश बिष्ट ने इसका हल ढूंढा। उसने 2007 में बेरोजगारों के लिए मिलने वाली ऋ ण योजना से 76 हजार रुपये का लोन लिया और बुलेट मोटरसाइकिल खरीदी। मोटरसाइकिल के लिए टैक्सी का लाइसेंस लिया और मोटरसाइकिल को बुलेट टैक्सी के रूप में तब्दील कर उससे लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने लगा। शुरुआती दिक्कतों के बाद नरेश ने साढ़े तीन साल में मोटरसाइकिल का लोन चुकता कर दिया। आज बुलेट टैक्सी उसके परिवार की आजीविका है। नरेश तल्लीताल से मल्लीताल तक मामूली किराये पर मिनटों में लोगों को गंतव्य तक पहुंचा देता है। उसके पास नियमित 40-50 सवारियां हैं। सैलानी भी नरेश की बुलेट टैक्सी का प्रयोग करते हैं। शहर में नरेश की अच्छी पहचान बन गई है। उसे सवारियों की तलाश नहीं करनी पड़ती वरन लोग उसे फोन करके बुलाने लगे हैं। लोगों को मालूम हैं कि वह कब और कहां मिलेगा। अक्सर उसका रूट तय होता है। एक सवारी लेकर वह रिक्शा स्टैंड से जिला कलक्ट्रेट रवाना होता है। वहां उसे हाईकोर्ट जाने के लिए सवारी तैयार मिलती है। उसे लेकर हाईकोर्ट पहुंचता है। वहां मल्लीताल, तल्लीताल व बिड़ला जाने के लिए सवारियां इंतजार में होती हैं। इस प्रकार वह ऑफ सीजन में 300-400 व सीजन में 700-800 रुपये कमा लेता है। शहर में जहां सभी मोटरसाइकिलें पेट्रोल पीती हैं, वहीं रमेश की मोटरसाइकिल रुपये उगलती है। इस तरह नरेश युवाओं के लिए प्रेरणा स्रेत बन गया है। उसकी देखा-देखी कई अन्य युवा भी बुलेट टैक्सी लेने के इच्छुक दिखाई दे रहे हैं। नरेश का कहना है कि मेहनत करने में शर्म नहीं होनी चाहिए। यही सफलता का राज है।

शनिवार, 8 मार्च 2014

महिला दिवस पर सुखद खबर: नैनीताल में सुधरा लिंगानुपात



  • साल 2013-14 में लिंगानुपात 945.5 से ज्यादा, पिछले साल 921 था 
  • दूरस्थ इलाकों में स्थिति अब भी चिंताजनक
नवीन जोशी, नैनीताल। जी हां, मां नयना के साथ नंदा व सुनंदा की नगरी सरोवरनगरी में बालिकाओं के पक्ष में सुखद समाचार आया है। जहां देश व प्रदेश में छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों में लिंगानुपात वर्ष 2011-12 के 879 से नीचे गिरकर 2012-13 में 866 हो गया है, वहीं नगर में नए पैदा हुए बच्चों के मामले में 2013-14 में लिंगानुपात 945.5 से अधिक के स्तर पर पहुंच गया है, जबकि बीते वर्ष यह 921 रहा था। उल्लेखनीय है कि जीव वैज्ञानिक व प्राकृतिक दृष्टिकोण से प्रकृति में बेहतर सामंजस्य के लिए 983 को आदर्श लिंगानुपात माना जाता है, लेकिन बीते वर्षो में प्रसव पूर्व जांच व एक या दो बच्चे ही पैदा करने की प्रवृत्ति के चलते लिंगानुपात तेजी से घटते हुए चिंताजनक स्थिति में जा पहुंचा है। खासकर शून्य से छह वर्ष के बच्चों के मामले में लिंगानुपात वर्ष 2011 में 886 था जो 2012 में और घटकर 800 से नीचे आ गया। वहीं कुमाऊं मंडल व जिला मुख्यालय में पैदा हो रहे बच्चों में लिंगानुपात के आंकड़े काफी हद तक सुखद कहे जा सकते हैं। यहां वर्ष 2012-13 की बात करें तो कुल पैदा हुए 634 बच्चों में से 330 बालक और 304 बालिकाएं थीं। इस प्रकार लिंगानुपात 921 रहा है। वहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष में अप्रैल 13 से फरवरी 14 माह तक के प्राप्त आंकड़ों के अनुसार यहां पैदा हुए 607 बच्चों में से 312 बालक और 295 बालिकाएं पैदा हुई हैं। इस प्रकार लिंगानुपात 945.5 से भी अधिक रहा है, जो बेहद सुखद कहा जा रहा है। अस्पताल की सीएमएस डा. विनीता सुयाल ने भी इस पर खुशी व्यक्त की है। बताया गया है कि जिले के भीमताल, धारी व कोटाबाग जैसे अधिक शहरी इलाकों वाले ब्लॉकों में भी बच्चों में लिंगानुपात की स्थिति अच्छी है, जबकि दूरस्थ व पिछड़े इलाकों में शुमार बेतालघाट व ओखलकांडा ब्लाकों में लिंगानुपात की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बालिकाओं में ज्यादा

नैनीताल। देश-दुनिया व जनपद की बालिकाएं जहां स्कूल स्तर पर बालकों से अधिक बीमार नजर आ रही हैं, यह तथ्य भी जान लें कि प्राकृतिक तौर पर बालिकाओं में बालकों के मुकाबले अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। बीडी पांडे जिला महिला चिकित्सालय की सीएमएस डा. विनीता शाह बताती हैं कि इसी कारण प्राकृतिक व जीव वैज्ञानिक तौर पर (बायलॉजिकल सेक्स रेशियो) लिंगानुपात 983 होता है। माना जाता है कि एक हजार बालकों में से करीब 27 बालक जीवित नहीं रह पाएंगे और भविष्य में बालक व बालकों के बीच अंतर नहीं रह जाएगा, लेकिन मौजूदा लिंगानुपात लगातार घट रहा है। देश का लिंगानुपाल 940, प्रदेश का लिंगानुपात गत वर्ष के 983 से घटकर 913 और जनपद का 933 रह गया है। वहीं इससे भी अधिक चिंता की बात शून्य से छह वर्ष के बच्चों में लिंगानुपात 891 से भी घटकर 886 रह जाने को लेकर है।

शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014

संजना के हत्यारे 'फूफा' को फांसी की सजा


घटना को अंजाम देकर साले की पत्नी के कमरे में गया था दीपक
जिला अदालत ने जघन्य मामला माना बलात्कार के जुर्म में मिली उम्रकैद
नैनीताल (एसएनबी)। बहुचर्चित संजना हत्याकांड में जिला एवं सत्र न्यायाधीश मीना तिवारी की अदालत ने 28 फरवरी 2014 को वर्ष 2012 में संजय नगर बिंदूखत्ता में आठ वर्षीया संजना की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में उसी के रिश्ते के फूफा दीपक आर्या को मौत की सजा सुनाई थी। अदालत ने इस हत्या को जघन्य माना। अदालत ने दीपक को दुष्कर्म का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा दीपक को अपहरण और अन्य धाराओं के तहत भी सजाएं व आर्थिक दंड सुनाया गया है।
शुक्रवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश मीना तिवारी की अदालत में गत 21 फरवरी को अदालत से दोषी पाये गये मृतक संजना के फूफा दीपक आर्या की सजा पर सुनवाई शुरू हुई। अदालत में मृतक संजना के पिता नवीन कुमार व मामा संतोष भी मौजूदथे। जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील शर्मा ने सहायक शासकीय अधिवक्ता नरेंद्र सिंह नेगी के साथ दोषी को अधिकतम मृत्युदंड की सजा दिए जाने की मांग की। बचाव पक्ष ने सजा में रहम करने की गुहार की, पर अदालत ने इस जघन्य हत्याकांड के लिए दीपक को अधिकतम मृत्यदंड की सजा दी। अदालत ने कहा कि दीपक को तब तक फांसी पर लटकाया जाए जब तक उसकी मृत्यु न हो जाए। अदालत ने फैसला सुनाते हुए दीपक को भादंसं की धारा 457 के तहत पांच वर्ष का कठोर कारावास व तीन हजार रुपये जुर्माना व जुर्माना न भुगतने पर एक वर्ष की अतिरिक्त सजा, अपहरण करने के मामले में सात वर्ष की जेल व पांच हजार जुर्माना व जुर्माना न भुगतने पर एक वर्ष की अतिरिक्त सजा, दुष्कर्म के दोष में में धारा 376 के तहत अधिकतम आजीवन कारावास व 10 हजार का जुर्माना तथा जुर्माना न भुगतने पर एक वर्ष की अतिरिक्त सजा सुनाई।
मृतका संजना
संजना हत्याकांड में दीपक को मौत की सजा दिलाने में उस गवाही की भी बड़ी भूमिका रही, जिसमें बताया गया कि वह बच्ची के साथ बलात्कार करने और उसकी हत्या करने के बाद जब घर लौटा तो अपने घर में अपनी पत्नी की बजाय साले की पत्नी के कमरे में चला गया था और ‘नानू-नानू’ पुकार रहा था, जो कि मृतका संजना का घर का नाम था। रात्रि में संजना की खोजबीन के दौरान भी जब उसे बुलाया गया तो वह नहीं आया। अलबत्ता सुबह पांच बजे वह खोजबीन में शामिल हुआ और वही मृतका के निर्वस्त्र शव को घटनास्थल से उठाकर घर लाया था। अदालत में वह आखिर तक स्वयं को बेवजह फंसाने की बात कहता रहा। जांच के दौरान भी वह हमेशा मृतका के परिजनों और पुलिस तथा जांच एजेंसियों को गुमराह करता रहा। 10 जून की रात्रि संजना को उसकी दादी भागीरथी देवी के पास से सोते हुए उठा ले जाने के दौरान अपनी बजाय दादी की चप्पलें पहनकर ले गया था और चप्पलें घटनास्थल पर ही छोड़ आया था, ताकि जांच एजेंसियां भ्रमित हो जाएं। पांच नवम्बर 2012 को पुलिस जब दीपक के बयान ले रही थी, तब उसने पुलिस को अपने पिता का नाम धन राम के बजाय प्रताप राम बताकर भ्रमित करने की एक और कोशिश की थी। इसी कारण उस पर पुलिस का शक गहरा गया। आखिर बमुश्किल जांच के आखिरी दौर में तीन जनवरी 2013 को घटना के छह माह बाद दीपक का डीएनए सैंपल लिया जा सका, जोकि पॉजिटिव पाया गया।

नैनीताल में अब तक आठ को सजा-ए-मौत

नवीन जोशी, नैनीताल। संजना हत्याकांड में दोषी दीपक कुमार को मृत्युदंड की सजा सुनाए जाने के साथ ही जिले में अब तक मौत की सजा पाने वालों की संख्या आठ हो गई है। ये सजाएं चार अलग-अलग मामलों में सुनाई गई। इनमें तीन मामले बच्चियों के साथ दुराचार के बाद उनकी हत्या करने के हैं, जबकि एक मामला चार लोगों की हत्या का है। इससे पूर्व तत्कालीन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जीके शर्मा की अदालत ने 1998 में बाजपुर में पांच वर्षीय बालिका के साथ बलात्कार के बाद हत्या करने के मामले में सात जनवरी 2004 को बाजपुर निवासी आफताब अहमद अंसारी व मुमताज नाम के व्यक्तियों को तथा इसी तरह के एक अन्य मामले में जीके शर्मा की अदालत ने ही 2003 में मल्लीताल कोतवाली क्षेत्र में छह वर्षीय नेपाली बच्ची सुषमा के साथ प्राकृतिक व अप्राकृतिक तरीके से बलात्कार व हत्या करने के आरोप में 28 जून 2004 को अलीगढ़ निवासी बाबू पुत्र अलीम अंसारी, बिलासपुर यूपी निवासी आमिर पुत्र हामिद और खटीमा निवासी अर्जुन पुत्र बाला को फांसी की सजा सुनाई थी। यह इत्तेफाक ही है कि इन दोनों मामलों में वर्तमान जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने ही अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी की थी। इसके अलावा राज्य बनने से पूर्व 11 दिसंबर 1999 को हल्द्वानी में चार लोगों जुनैद, असलम, खलील व इशरत की हत्या के छह में से दो आरोपितों राजेश व नवीन को तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश पीसी पंत (वर्तमान में मेघालय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश) की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी।

डीएनए जांच से खुला मामला

जिला शासकीस अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि मामले में कुल 21 गवाह लिए गए, लेकिन इनमें से कोई भी चश्मदीद गवाह नहीं था। मामला पूरी तरह पुलिस की सक्रियता व अच्छे कार्य के फलस्वरूप डीएनए जांच से खुला। मामले में मृतका के पिता नवीन कुमार सहित गांव के 57 लोगों को डीएनए परीक्षण कराकर शर्मिदगी झेलनी पड़ी थी। राज्य की विधानसभा में भी यह मामला गूंजा था और सीबीआई की सीएफएस प्रयोगशाला दिल्ली में डीएनए जांच के बाद बमुश्किल सफलता मिली। इस हत्याकांड की तफ्तीश करने वाले लालकुआं कोतवाली के तत्कालीन कोतवाल विपिन चंद्र पंत ने बताया कि मामले में अनेक प्रयासों के बावजूद असफल रहने पर आखिर उन्होंने अपनी अटूट आस्था के केंद्र कुमाऊं में न्याय के देवता के रूप में प्रसिद्ध ग्वल देवता की जागर (देवता का आवाहन) और बभूती भी लगाई।

फैसले से पिता संतुष्ट

जिला अदालत से दोषी को मृत्युदंड की सजा मिलने के बाद मृतका के पिता नवीन कुमार ने कहा वह अदालत के फैसले से संतुष्ट हैं। अब अपने ईष्टदेव ग्वेल, कल बिष्ट व गंगनाथ के साथ ही तिवारी नगर स्थित माता दुर्गा के मंदिर में शीष झुकाने जाएंगे। किच्छा में मजार पर भी मन्नत मांगी थी, वहां भी चादर चढ़ाने जाएंगे।

शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2014

संजना हत्याकांड की तफ्तीश में न्याय देव ग्वल ने भी की पुलिस की मदद !

दीपक आर्या
संजना
नैनीताल (एसएनबी)। लालकुआं के बहुचर्चित संजना हत्याकांड में मृतका का फूफा दीपक आर्या जिला अदालत में दोषी सिद्ध हो गया है। दीपक ने संजना को अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया और फिर उसकी गला घोंट कर हत्या कर दी। अदालत ने इस हत्याकांड को जघन्यतम माना। दोषी 26 फरवरी को सजा सुनाई जाएगी। परिजनों ने दोषी को फांसी की सजा देने की मांग की है।  हत्याकांड की तफ्तीश में पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। लालकुआ कोतवाली के तत्कालीन कोतवाल विपिन चंद्र पंत ने मामले में अनेक स्तरों से क़ी जांच की। पहले एक बड़े क्षेत्र से जांच शुरू करते हुए जांच मृतका के पिता और नजदीकी परिजनों तक पहुंची। इस दौरान ऐसे हालात भी बने कि पूरा जोर लगाने और मृतका के पिता व सारे गांव पर शक व जांच करने के बावजूद सफलता ना मिलने पर विवेचक श्री पंत ने अपनी अटूट आस्था के केंद्र अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के पास उदयपुर कैड़ारब गांव में स्थित कुमाऊं में न्याय के देवता के रूप में प्रसिद्ध ग्वल देवता की जागर (देवता का आवान) और बभूती भी लगाई। इस बात को पंत ने अदालत के समक्ष भी स्वीकारा कि जागर के बाद ही अभियुक्त पर जांच केंद्रित हो पाई। उल्लेखनीय है कि कुमाऊं मंे मान्यता है कि जिसे कहीं न्याय नहीं मिलता, आखिर ग्वल देव के दरबार में सच्चा न्याय मिलता है।
लालकुआं के तिवारीनगर नंबर एक में नाबालिग संजना 10 जुलाई 2012 की रात अपनी दादी भागीरथी देवी के साथ सोई हुई थी, तभी वह लापता हो गई थी। दूसरे दिन उसका शव निर्वस्त्र अवस्था में मिला था। पुलिस तब इस केस का कोई सुराग नहीं तलाश सकी थी। इस हत्याकांड को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए थे। पुलिस ने इस मामले में कई महीनों तक जांच की और 57 लोगों का डीएनए टेस्ट कराया। डीएनए नमूना मिलने के आधार पर सात फरवरी 2013 को दीपक आर्या पुत्र धनराम आर्या मूल निवासी बनबसा चम्पावत को गिरफ्तार किया गया। मामले में मृतका के पिता सहित 57 ग्रामवासियों के डीएनए नमूने लिये गए थे। इस मामले में सीबीआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डा. महापात्रा सहित 21 लोगों के बयान लिए गये। आरोपित ने डीएनए संबंधी वैज्ञानिक प्रमाण की सत्यता को संदिग्ध बताने के साथ वैज्ञानिक की डिग्री व शैक्षिक योग्यता पर भी आरोप लगाए थे। इस पर उन्हें स्वयं की डिग्री व योग्यता को अदालत में साबित करना पड़ा। शुक्रवार को जिला एवं सत्र न्यायालय में मामले की अंतिम सुनवाई के दौरान जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा व सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता नरेंद्र सिंह नेगी ने मामले को गंभीर प्रकृति का जघन्यतम अपराध बताया। जिला एवं सत्र न्यायाधीश मीना तिवारी की अदालत ने आरोपित दीपक आर्या को साक्ष्यों व गवाही के बाद नाबालिग से घर में घुसकर अपहरण कर ले जाने, बलात्कार कर हत्या करने एवं साक्ष्य छुपाने का दोषी घोषित कर दिया। जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा ने कहा कि दोषी ने अपनी बेटी समान व रिश्तेदार की बच्ची को विास को चोट पहुंचाकर अपनी हवस को पूरा करने के लिए घर से उठाया और उसकी निर्ममता से गला घोंटकर हत्या की। लिहाजा कोर्ट से फांसी की सजा की मांग करेंगे।

पिता सहित इलाके के 57 लोगों को डीएनए परीक्षण कराकर झेलनी पड़ी थी शर्मिदगी

फैसला आने के बाद अदालत पहुंचे एसएसपी सदानंद दाते का हाथ जोड़कर आभार जताते मृतका के परिजन  
नवीन जोशी, नैनीताल। लालकुआं का संजना हत्याकांड एक ब्लाइंड केस था। इस मामले में पुलिस को कोई सिरा नहीं मिल रहा था कि दुष्कर्मी और हत्यारे तक कैसे पहुंचा जाए। पुलिस महीनों तक केस की तह तक पहुंचने के लिए मशक्कत करती रही। आठ वर्ष की मासूम संजना की हत्या का मामला विधानसभा में भी गूंजा। इसके बाद पुलिस ने जांच का सिरा डीएनए परीक्षण की ओर मोड़ दिया। पुलिस ने मृतका के पिता समेत 57 लोगों का डीएनए परीक्षण किया। परीक्षण कराने वालों को समाज में शर्मिदगी भी झेलनी पड़ी, लेकिन एक मासूम के साथ जघन्यतम कुकृत्य करने वाला आखिरकार पुलिस की पकड़ में आ गया। मासूम बच्ची के फूफा ने रिश्तों के विास व मानवीयता को तार-तार कर यह जघन्यतम अपराध किया था। संजना हत्याकांड प्रदेश का कई मामलों में अनूठा और पहला मामला है, जो विधानसभा में भी गूंजा और सीबीआई की सीएफएस प्रयोगशाला दिल्ली में डीएनए जांच के बाद बमुश्किल सफलता मिली। घटना के करीब आठ माह बाद डीएनए सैंपल के मिलने के बाद पड़ोसी व रिश्ते के फूफा को मासूम बच्ची से बलात्कार के बाद हत्या करने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया। न्यायालय में 21 लोगों की गवाही हुई, और आखिर एक वर्ष आठ माह व 11 दिनों के बाद अपनी बच्ची को खोने वाले परिवार को न्याय मिलने की उम्मीद बंधी है। बिंदूखत्ता के प्राथमिक विद्यालय संजय नगर में चौथी कक्षा में पढ़ने वाली आठ वर्षीय मासूम संजना उर्फ नानू की बलात्कार के बाद गला घोंटकर की गई हत्या के मामले में जांच के दौरान दोषी पाया गया दीपक आर्या आखिर तक अदालत में पुलिस द्वारा लगाए गए सोई हुई बालिका संजना को शराब के नशे में घर से उठाकर ले जाने, उसके जागने पर पहचाने जाने के डर से गला दबाकर मार डालने और फिर मृत देह से दुराचार करने के आरोपों को नकारता और हमेशा स्वयं को बेवजह फंसाने की बात कहता रहा। जांच के दौरान भी वह हमेशा मृतका के परिजनों और पुलिस तथा जांच एजेंसियों को गुमराह करता रहा। 10 जून की रात्रि संजना को उसकी दादी भागीरथी देवी के पास से सोते हुए उठा ले जाने के दौरान अपनी बजाय दादी की चप्पलें पहनकर ले गया था, और चप्पलें घटनास्थल पर ही छोड़ आया था, ताकि जांच एजेंसियां भ्रमित हो जाएं। बाद में मध्य रात्रि करीब एक बजे जैसे ही संजना के गायब होने की खबर परिजनों को लगी, वह भी मध्य रात्रि से ही उसे ढूंढ़ने में जुटा रहा। आखिर अगली सुबह पांच बजे उसने ही सबसे पहले संजना का शव खेत में पड़ा देखा, और वह ही मृतका के निर्वस्त्र शव को कंधे पर डालकर घर लाया था। घटना के बाद जब डॉग स्क्वॉड मनी ने अपनी जांच के बाद सूंघते हुए उसकी ओर इशारा किया था, तो उसने यह कहकर बात बना दी थी कि वह मृतका के शव को लेकर आया, शायद इसलिए कुत्ता उस पर शक कर रहा है। पांच नवम्बर 2012 को पुलिस जब दीपक के बयान ले रही थी, तब उसने पुलिस को अपने पिता का नाम धनराम के बजाय प्रताप राम बताकर भ्रमित करने की एक और कोशिश की थी। इसी कारण उस पर पुलिस का शक भी गहराया। आखिर बमुश्किल जांच के आखिरी दौर में तीन जनवरी 2013 को घटना के छह माह बाद दीपक का डीएनए सैंपल लिया जा सका, जोकि पॉजीटिव पाया गया। सीबीआई की विधि विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) दिल्ली के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डा. बीके महापात्रा की भी अदालत में गवाही हुई, जिसमें उन्होंने मामले में आरोपित की करतूत अदालत के समक्ष रख दी।

किया विश्वास का भी कत्ल
नैनीताल। संजना हत्याकांड में दोषी पाए गए दीपक आर्या का संजना के घर अक्सर आना जाना था। वह मूलतः बनबसा टनकपुर का रहने वाला था, लेकिन संजना के घर के पास ही अपनी ससुराल में पत्नी सीमा व दो बच्चों के साथ रहता था। सीमा संजना के पिता संेचुरी पेपर मिल लालकुआ में ड्राइवर के रूप में कार्यरत नवीन की रिश्ते की बहन थी, और बचपन से नवीन के द्वारा ही पाली गई थी।
खून के बदले खून, मौत के बदले मौतः भागीरथी
नैनीताल। अपने साथ सोई पोती को खोने वाली दादी भागीरथी देवी शुक्रवार को अदालत से दीपक आर्या को दोषी सिद्ध होने के बाद एसएसपी डा. सदानंद दाते के समक्ष बोली, उन्हें खून के बदले खून, और मौत के बदले मौत का इंसाफ चाहिए। इस मामले में उन्हें गांव में भारी जिल्लत झेलनी पड़ी। बच्ची के साथ ऐसी घटना होने के बाद गांव के अनेक लोगों ने उनके साथ रिश्ते बंद कर दिए। 
संजना चौकी में बड़ेगी पुलिस फोर्स
नैनीताल। गौरतलब है कि संजना त्याकांड के बार बिंदूखत्ता के तिवारी नगर में संजना के नाम से ही पुलिस चौकी की स्थापना कर दी गई है। शुक्रवार को अदालत परिसर में स्वयं मामले की जानकारी लेने पहुंचे जिले के एसएसपी डा. सदानंद दाते ने पीड़ित परिवार के सदस्यों से मुलाकात की, और उन्हें ढांढस बंधाया। उन्होंने परिजनों की स्वयं के असुरक्षित होने की शिकायत पर लालकुआ थाना प्रभारी विपिन चंद्र पंत को संजना चौकी में फोर्स ब़ाने के निर्देश दिए। कहा कि लाइन से इस हेतु दो अतिरिक्त कांस्टेबल दिए जाएंगे। इस दौरान उन्होंने अदालत परिसर में जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा से भी मुलाकात की, तथा उनका मेहनत व सहयोग के लिए आभार जताया।
यही केस ले गया, यही वापस भी लायाः पंत
नैनीताल। न्यायालय से दीपक आर्या के दोषी करार ोने के बाद मामले के खुलासे में सर्वप्रमुख भूमिका निभाने वाले तत्कालीन एवं वर्तमान में एक बार फिर लालकुआं कोतवाली के कोतवाल बने इंस्पेक्टर विपिन चंद्र पंत ने का कि यही मामला उन्हें बाहर ले गया था, और यही मामला वापस उन्हें वापस लालकुआ लाया है। गौरतलब है कि पंत इस मामले के बाद लालकुआ से चमोली भेज दिए गए थे। वहां से देहरादून और मसूरी होते  हुए वह वापस लालकुआ आ गए हैं। क्षेत्रीय लोग भी नकी लालकुआ में तैनाती की मांग करते रहे।

बुधवार, 12 फ़रवरी 2014

जिम कार्बेट के घर नैनीताल में फिर दिखाई दिया ‘रॉयल बंगाल टाइगर’

नवीन जोशी, नैनीताल। देश में बाघों की संख्या लगातार घटने से चिंतित पर्यावरण प्रेमियों और प्रकृति के स्वर्ग कही जाने वाली सरोवर नगरी प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है। बाघों का राजा ‘रॉयल बंगाल टाइगर' अंतर्राष्ट्रीय शिकारी जिम कार्बेट के शहर नैनीताल की खूबसूरती पर एक बार फिर फिदा हो गया लगता है। बीती 10-11 फरवरी की रात्रि नगर की करीब 2591 मीटर ( 8500 फिट) ऊंची कैमल्स बैक चोटी पर इसे देखा गया। आधिकारिक तौर पर कैमरों से इसकी तस्वीर भी रिकार्ड की गई है। इसे जिम कार्बेट के दौर के लम्बे अंतराल के बाद भी नैनीताल में समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र बरक़रार रहने के लिहाज से भी बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है। 
प्रदेश में गत 10 फरवरी से एक सप्ताह तक यानी 17 फरवरी तक के लिए बाघों की गणना के लिए अभियान चला रहा है। इस अभियान के तहत नैनीताल के निकटवर्ती वन क्षेत्रों में अनेक स्थानों पर रात्रि में भी देखने की क्षमता वाले कैमरे लगाए गए हैं। इन्हीं में से एक कैमरा नैना रेंज में समुद्री सतह से 2591 मीटर की ऊंचाई वाली चोटी कैमल्स हंप या कैमल्स बैक पर भी लगाया गया था। इस कैमरे से अभियान की पहली ही यानी 10 व 11 फरवरी की रात्रि एक बजकर 47 मिनट पर करीब सात-आठ वर्ष की उम्र के बंगाल टाइगर प्रजाति के कैमरे के चित्र लिये गए हैं। डीएफओ डा. तेजस्विनी पाटिल ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि कैमरे में देखा गया बाघ नर हो सकता है। जिस कैमरे पर यह रिकार्ड किया गया है, उसे कुमाऊं विवि के वानिकी विभाग के द्वितीय वर्ष के दो छात्रों मो. अकरम व लवप्रीत सिंह लाहौरी तथा एक स्थानीय युवक अमित वाल्मीकि द्वारा लगाया गया था। 
उल्लेखनीय है कि बाघ पारिस्थितिकी तंत्र की आहार श्रृंखला में सांपों में किंग कोबरा, पक्षियों में चील-गिद्ध आदि की तरह सबसे ऊपर होते हैं। किसी स्थान पर इनकी उपस्थिति होने का सीधा सा अर्थ होता है कि उस पारिस्थितिकी तंत्र की श्रृंखला के निचली श्रेणी तक के सभी अन्य जीव भी भरपूर मात्रा में उस स्थान पर उपलब्ध हैं। यह अपनी भोजन श्रृंखला के निचली श्रेणी के वन्य जीवों को खाते हुए पारिस्थितिकीय संतुलन बनाते हैं।

2010 में भूटान में 4100 मीटर ऊंचाई पर देखे जाने का है रिकार्ड

देश में सर्वाधिक ऊंचाई पर बाघ को देखे जाने के रिकार्ड उपलब्ध नहीं हैं, और अब पहली बार इसे नैनीताल में 2951 मीटर की ऊंचाई पर देखा गया है। बहरहाल बीबीसी के अनुसार बाघ को सर्वाधिक ऊंचाई पर देखे जाने का विश्व रिकार्ड सितम्बर 2010 में बना था, जब इसे भूटान में 4100 मीटर की ऊंचाई पर रिकार्ड किया गया था। गौरतलब है कि नैनीताल में पूर्व में कैंट के पास बाघ को देखे जाने की बात कही जाती थी, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पाई थी।

सोमवार, 3 फ़रवरी 2014

लो आ गया बसंत, खत्म हुई सर्दी

  • 3 फरवरी को था नैनीताल का तापमान 17.6 व 11.5 डिसे. 
  • फरवरी के मध्य तक हल्की बारिश की संभावना 
  • मार्च से भीषण गरमी की आशंका जताई


नवीन जोशी, नैनीताल। आज से ऋतुराज बसंत का आगमन हो रहा है। मौसम विज्ञानियों का भी मानना है कि सर्दियां समाप्त हो गई हैं। आगे छिटपुट बारिश हो सकती है। यूजीसी के वैज्ञानिक डा. बहादुर सिंह कोटलिया का कहना है कि अब पहाड़ों पर बर्फबारी की कोई संभावना नहीं है। फरवरी मध्य तक ही हल्की बारिश हो सकती है, और इसके बाद जबरदस्त गरमी पड़ने वाली है। मौसम विभाग अगले कुछ दिन आसमान में हल्के बादल छाये रहने और पांच तथा सात फरवरी को गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना जता रहा है। सरोवरनगरी में प्रकृति ऋ तुराज बसंत का स्वागत करती नजर आ रही है। यहां माल रोड पर स्टेट बैंक के पास खिले ब्रूम के पीले फूल मानो वासंती रंग में सरोबोर करने लगे हैं। कुमाऊं में अनेक स्थानों पर समय से पहले ही बताया जा रहा राज्य वृक्ष बुरांश खिल उठा है। वृद्ध जागेश्वर, गुरड़ाबांज से लेकर बिनसर व यहां रामगढ़, मुक्तेश्वर व धानाचूली के लाल रंग में रंगे जंगलों की खूबसूरती देखते ही बन रही है। कारण चाहे जो भी हों, लेकिन नगर के पुराने लोगों का कहना है कि यहां मार्च माह तक होली के बाद भी बर्फ पड़ना आम बात थी। नगर पालिका कर्मी महेश गुरुरानी बताते हैं 1962 तक उन्होंने मल्लीताल के बाजारों में दो से ढाई फीट तक बर्फवारी देखी है। अप्रैल माह में भी यहां कई बार बर्फबारी हुई है। कुमाऊं विवि के विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. सीसी पंत के अनुसार ग्लोबलवार्मिग इतर मौसमी चक्र के बुरी तरह प्रभावित होने से अत्यधिक होने को कारण मानते हैं। बर्फवारी के बाद यहां का तापमान बीते दो दिनों में दहाई में पहुंच गया है।

शुक्रवार, 24 जनवरी 2014

क्या गलत हैं न्यूटन के नियम !

नौवीं कक्षा के छात्र ने उठाये सवाल, आरोप लगाया कि पुस्तकों में गलत पढ़ाये जा रहे हैं न्यूटन के नियम 

नवीन जोशी नैनीताल। दुनिया को गुरुत्वाकर्षण का वैज्ञानिक सिद्धांत देने वाले सर आइजेक न्यूटन ने वास्तव में बल के कौन से तीन नियम दिये थे, इस पर विवाद हो सकता है। पर बच्चों को स्कूली पुस्तकों में जो पढ़ाया जा रहा है, उस पर नगर के नौवीं कक्षा के एक होनहार छात्र अभिषेक अलिग ने सवाल उठाये हैं। अभिषेक का कहना है कि न्यूटन के पहले यानी ‘जड़त्व के सिद्धांत’ के नियम में बल की दिशा का कोई जिक्र नहीं है, जबकि बल एक सदिश यानी वैक्टर राशि है। बल की दिशा का जिक्र किये बिना न्यूटन के सिद्धांत का प्रयोग किसी भी दशा में नहीं किया जा सकता, जबकि प्रयोग के बिना वैज्ञानिक सिद्धांत का कोई अर्थ ही नहीं है। वहीं तीसरा सिद्धांत निर्वात की स्थिति में लागू नहीं हो सकता है। 
अभिषेक नगर के सेंट जोसफ कालेज का छात्र है। रसायन, भौतिकी और गणित विषयों की उसमें विलक्षण तर्क की क्षमता नजर आती है। वह इन विषयों में हमेशा कक्षा में प्रथम भी रहता है और अपने से बड़ी कक्षाओं के छात्रों से भी तर्क करता है। विज्ञान को तकरे की कसौटी पर कसने की जैसे उसे धुन सवार है। इसके लिए वह विज्ञान की विदेशी भाषाओं की पुस्तकों और इंटरनेट पर भी खूब अध्ययन करता है। 
अपनी आईसीएसई बोर्ड की नौवीं कक्षा की पुस्तक में प्रकाशित न्यूटन के पहले नियम पर सवाल उठाते हुए उसका कहना है कि यह नियम कहता है कि किसी पिंड पर जब तक कोई बाहरी बल न लगाया जाये तब तक उसकी स्थिति में परिवर्तन नहीं आ सकता। यानी यदि पिंड कहीं पर स्थिर रखा है तो वह कोई बल लगाने तक गतिमान नहीं हो सकता, साथ ही यदि वह गतिमान है तो बल लगाये बिना रुक नहीं सकता। अभिषेक के अनुसार इस नियम में बल की दिशा का कोई उल्लेख नहीं है, साथ ही यह भी नहीं कहा गया है कि यह नियम हर दशा में प्रभावी रहता है या निर्वात में। क्योंकि बल बिना दिशा के लगाया ही नहीं जा सकता, क्योंकि बल एक सदिश राशि है। बिना दिशा के बल का कोई औचित्य नहीं है। न्यूटन विज्ञान के इस सामान्य से सिद्धांत से अनभिज्ञ थे अथवा पुस्तकों में गलत पढ़ाया जा रहा है। इंटरनेट पर न्यूटन के नियम में बल की जगह ‘नेट फोर्स’ यानी शुद्ध बल शब्द का प्रयोग किया गया है। यहां शुद्ध शब्द भी बड़ा अंतर पैदा करता है। शुद्ध बल में पिंड पर लगने वाले गुरुत्वाकर्षण, घर्षण एवं पिंड के स्वयं के भार से उत्पन्न स्थैतिक जैसे सभी बल भी शामिल होते हैं। इन बलों के कारण ही एक दशा तक किसी पिंड को एक कम क्षमता का बल लगाकर भी स्थिर से गतिमान या गतिमान से स्थिर नहीं किया जा सकता। अभिषेक खासकर इस बात पर भी सवाल उठाता है कि किसी स्थिर पिंड पर यदि ऊपर या नीचे की दिशा से बल लगाया जाये तो उसे गतिमान नहीं किया जा सकता है, तो ऐसे में न्यूटन का प्रथम सिद्धांत कैसे माना जा सकता है। वह इस बात से भी इत्तेफाक नहीं रखता कि बल के साथ दिशा का जिक्र ना करना एक सामान्य वैज्ञानिक तथ्य मानकर शामिल न किया जाता हो, क्योंकि न्यूटन के दूसरे सिद्धांत में बल की दिशा का साफ-साफ जिक्र किया जाता रहा है। अभिषेक यह भी मानता है कि न्यूटन ने संभवतया लैटिन भाषा में जो नियम प्रतिपादित किय, उनमें बल के साथ दिशा का भी जिक्र हो, किंतु स्कूली पुस्तकों में यह शब्द हटा दिये गये। यदि ऐसा है तो यह देश की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करने वाली बात है कि क्यों बच्चों को गलत पढ़ाया जा रहा है। विशेषज्ञ कुछ हद तक सहमत : अभिषेक के तर्क से कुमाऊं विवि के भौतिकी विभागाध्यक्ष प्रो. हरीश चंद्र चंदोला भी काफी हद तक सहमत नजर आते हैं। हालांकि उनका कहना है कि वास्तव में न्यूटन के नियम में बल के साथ दिशा का जिक्र रहा है। वह बताते हैं न्यूटन के नियम ऐसी आदर्श स्थिति के लिए हैं, जिसमें अन्य किसी प्रकार के बलों के न होने की कल्पना की गई है। ऐसा वास्तविक स्थितियों में संभव नहीं होता। उन्होंने माना कि बच्चों के पाठय़क्रम में उन परिस्थितियों का जिक्र किया जाना भी जरूरी है, जिनमें वह लागू होते हैं।
मूलतः यहाँ  देख सकते हैं :  http://rashtriyasahara.samaylive.com/epapermain.aspx?queryed=14&eddate=10/10/2012 

यह भी पढ़ें: 1. गलत हैं न्यूटन के नियम ! 

2. न्यूटन ने नहीं दिया था गति का दूसरा नियम!

रविवार, 19 जनवरी 2014

सरोवरनगरी में बिछी 'चांदी की चादर', सैलानियों का उमड़ा मेला

सरोवरनगरी में सैलानियों ने उठाया मौसम का लुत्फ
नैनीताल (एसएनबी)। पहाड़ों पर शनिवार को हुई बर्फवारी का असर रविवार को सरोवरनगरी में सैलानियों के मेले के रूप में देखने को मिला। नजदीकी यूपी एवं दिल्ली से आए सैलानियों से नगर में मेले जैसा माहौल दिखाई दिया। नगर में सुबह से ही अच्छी धूप खिली, जिससे मौसम खुशनुमा रहा। इसके साथ ही नगर में आम जनजीवन भी पटरी पर लौटने लगा। अधिकांश क्षेत्रों में बिजली और पानी की सेवाएं भी बहाल हो गई हैं। अलबत्ता, अपराह्न तक बादल वापस आसमान में घिर आए, और मौसम विभाग के अनुसार तापमान अधिकतम 3.4 एवं न्यूनतम 1.2 डिग्री सेल्सियस तक लुड़क गया। उल्लेखनीय है कि पहाड़ों पर शुक्रवार से बदले मौसम के तहत शनिवार को अच्छी खासी बर्फवारी हुई थी, और समूचे नगर में तीन इंच से लेकर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आधा फीट तक बर्फवारी हुई। 






शनिवार को शाम को ही बर्फवारी रुक गई थी,और इसके बाद आसमान धीरे-धीरे साफ होता चला गया। बर्फवारी होने की जानकारी मिलने पर नजदीकी मैदानी क्षेत्रों के सैलानी नैनीताल में उमड़ आए, और उन्हें बर्फ से खेलने के लिए ऊंचे क्षेत्रों में भी नहीं जाना पड़ा। माल रोड, पालिका गार्डन सहित अन्य पाकरे में भी सैलानी एक-दूसरे पर बर्फ के गोले दाग कर खूब आनंद लेते रहे। अलबत्ता, नगर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सीसी मागरे पर बर्फ की वजह से फिसलन होने की वजह से अनेक लोग कार्य पर नहीं आ पाए, और जनजीवन कुछ हद तक प्रभावित रहा। दिन भर छतों से बर्फ के धूप में पिघल कर गिरने से बाजारों में बारिश जैसा माहौल रहा। बारिश- बर्फवारी को फसलों और शाक-सब्जी व फलों के लिए लाभदायक माना जा रहा है।

मंगलवार, 14 जनवरी 2014

'शत्रु संपत्ति' मेट्रोपोल के हिस्से पर रातों-रात किये कब्जे

  • पांच लोगों के विरुद्ध प्रशासन ने दर्ज कराई एफआईआर 
  • जिला प्रशासन के नियंत्रण में होती हैं सभी शत्रु संपत्तियां

नैनीताल (एसएनबी)। नगर स्थित राजा महमूदाबाद अमीर मोहम्मद खान की प्रशासन के कब्जे वाली अरबों रुपये की शत्रु संपत्ति मेट्रोपोल होटल परिसर में बड़े पैमाने पर रातों-रात कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया। लोगों ने चीना बाबा मंदिर से नीचे की ओर बड़े नाले के किनारे करीब 50 मीटर लंबाई में अतिक्रमण कर टिनशेडों का निर्माण भी कर डाला। रातभर क्षेत्र में निर्माण होने से खूब हो-हल्ला रहा। अलबत्ता शत्रु संपत्ति के कस्टोडियन जिला प्रशासन को इसकी भनक भी नहीं लगी। दिन में सूचना मिलने पर प्रशासन ने निर्माण ढहाकर सामग्री जब्त कर ली है। साथ ही पांच लोगों के विरुद्ध मल्लीताल कोतवाली में एफआईआर दर्ज करा दी गई है। मंगलवार सुबह भाजपा नेता मनोज जोशी ने डीएम अरविंद सिंह ह्यांकी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को मेट्रोपोल परिसर में रात्रि में बड़े पैमाने पर कब्जे होने व टिनशेड लगाए जाने की सूचना दी। इस पर एसडीएम शिवचरण द्विवेदी ने राजस्व पुलिस, पुलिस व नगर पालिका की गैंग की मदद से क्षेत्र में कब्जा कर किये गए निर्माण को ध्वस्त करवा दिया और निर्माण सामग्री जब्त करवा दी। मामले में तहसीलदार बहादुर सिंह लटवाल की ओर से मल्लीताल कोतवाली में कब्जा कर रहे फारूख पुत्र मो. हनीफ, नजाकत पुत्र मो. हशमत, असलम पुत्र अमजद, जमील पुत्र अब्दुल गफ्फूर व यूसुफ पुत्र अहमद के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करा दी गई है। कब्जे हटाने की कार्रवाई में कार्रवाई में सीओ हरीश कुमार, नायब तहसीलदार नीलू चावला, कोतवाल हरक सिंह फिरमाल, तल्लीताल थाना प्रभारी उत्तम सिंह आदि लोग शामिल रहे।

अपने दौर का सबसे बड़ा होटल था मेट्रोपोल

नैनीताल। नगर के अपने दौर के सबसे बड़े 41 कमरे के मेट्रोपोल होटल का निर्माण मि. रेंडल नाम के अंग्रेज ने किया था। बाद में यह राजा महमूदाबाद की संपत्ति हो गई। देश की आजादी के बाद यह संपत्ति राजा के इकलौते चश्मो-चिराग राजा अमीर मोहम्मद खान के हिस्से आयी, लेकिन इस पर अनेक लोगों का कब्जा रहा। इनमें से एक प्रमुख श्री लूथरा 1995 तक इसे होटल के रूप में चलाते रहे। वर्ष 2005 में न्यायिक प्रक्रिया के बाद इसे प्रशासन द्वारा शत्रु संपत्ति घोषित कर तथा कब्जे छुड़वाकर राजा के हवाले कर दिया गया, लेकिन बाद में दो अगस्त 2010 को न्यायालय के आदेशों पर इसे वापस जिला प्रशासन ने बतौर कस्टोडियन कब्जे में ले लिया था।

लाखों की आय के बावजूद सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं

नैनीताल। अरबों रुपये की प्रशासन के कब्जे वाली शत्रु संपत्ति मेट्रोपोल होटल में गत 26 नवम्बर की रात्रि भीषण अग्निकांड हो गया था, जिसमें होटल के बॉइलर रूम व बैडमिंटन कोर्ट तथा 14 कमरों वाला हिस्सा कमोबेश खाक हो गया था। तब भी होटल में कोई सुरक्षा प्रबंध नहीं थे और इसके बाद भी प्रशासन ने इसकी सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं किये हैं। गौरतलब है कि इस संपत्ति के मैदान को प्रशासन ग्रीष्मकाल में पार्किग के रूप में प्रयोग करता है, जिससे लाखों रुपये की आय भी प्राप्त होती है। राजा महमूदाबाद के प्रतिनिधि अब्दुल सत्तार ने बताया कि पूर्व में प्रशासन की ओर से यहां पुलिस कर्मी गार्ड के रूप में तैनात रहता था, लेकिन पिछले विस चुनाव के दौरान फोर्स की कमी होने पर गार्ड हटा तो उसके बाद तैनात ही नहीं किया गया।

शनिवार, 11 जनवरी 2014

जलौनी लकड़ी लेने के लिए भी दिखाना होगा पैन कार्ड

कोयला-केरोसिन है नहीं अब लकड़ी को भी तरसे
प्रदेश में पड़ रही कड़ाके की सर्दी से लोग बेहाल
नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश में पड़ रही कड़ाके की सर्दी में प्रदेशवासियों के पास गर्मी लाने का कोई प्रबंध नहीं रह गया है। प्रदेश में राशन कार्ड पर सस्ती कुकाठ की जलौनी लकड़ी देने की व्यवस्था के तहत भी लकड़ी नहीं मिल पा रही है। अधिकारियों का कहना है कि लकड़ी उपलब्ध नहीं है। उल्लेखनीय है कि पूरे कुमाऊं मंडल में इस मौसम में कोयला उपलब्ध नहीं है। केरोसिन भी किसी दाम पर उपलब्ध नहीं है। उधर यदि कोई महंगी दरों पर बांज की जलौनी लकड़ी चाहता है तो उसे अपना पैन कार्ड दिखाना होगा। पैन कार्ड दिखाने पर उसे 2.64 फीसद का आयकर देना होगा, लेकिन यदि पैन कार्ड न हो तो 20 फीसद आयकर के रूप में अतिरिक्त चुकाना होगा। वन निगम के अनुसार बांज की जलौनी लकड़ी के मूल भाव 470 रुपये प्रति कुंतल के हैं। इस पर 2.5 फीसद मंडी शुल्क व पांच फीसद वैट के साथ ही पैन कार्ड दिखाने पर 2.64 फीसद और न दिखाने पर 20 फीसद आयकर देने का प्रावधान है। इस प्रकार पैन कार्ड दिखाने पर एक कुंतल बांज की लकड़ी 525 के भाव और पैनकार्ड न दिखाने पर 613 रुपये के भाव पर मिल रही है। वन निगम के उप लौगिंग अधिकारी आनंद कुमार ने बताया कि राशन कार्ड पर 300 रुपये प्रति कुंतल के भाव मिलने वाली कुकाठ की जलौनी लकड़ी पूरे प्रदेश में उपलब्ध नहीं है। केवल शवदाह के लिए ही उपलब्ध कराई जा रही है।

बर्फबारी ने सप्ताहांत पर किया सैलानियों का स्वागत


नगर क्षेत्र में हुई मौसम की पहली बर्फबारी, पारा 0.5 डिग्री तक गिरा
नैनीताल (एसएनबी)। शनिवार को सरोवरनगरी के निचले क्षेत्रों को भी बर्फबारी का तोहफा मिल गया। इस मौके पर नगर में मौजूद सैलानियों के लिए कुदरत की यह खूबसूरत नेमत मनमांगी मुराद की तरह रही। अनेक सैलानियों ने इसे ‘न्यू इयर व वीकेंड बोनान्जा’ कहकर पुकारा। मौसम विभाग के अनुसार शनिवार को नगर का न्यूनतम तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया और अधिकतम तापमान 13 डिग्री रहा। सरोवरनगरी में पहले 31 दिसम्बर को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हुई थी। शनिवार की सुबह तड़के नगर के तल्लीताल और माल रोड तक भी अच्छी बर्फबारी हुई। वहीं नगर के सूखाताल, कुमाऊं विवि, चार्टन लॉज, सात नम्बर, रैमजे, स्टोनले कंपाउंड आदि क्षेत्रों में बर्फबारी हुई। नगर में सैलानियों ने कालाढुंगी रोड पर धामपुर बैंड, लेक व्यू, हिमालय दर्शन व स्नोव्यू क्षेत्रों में जमकर बर्फबारी का आनंद लिया। स्नोव्यू क्षेत्र में बर्फबारी का आनंद लेने के लिए रोप-वे से जाने के लिए सैलानियों की कतारें लगा रहीं। वहीं शनिवार को बर्फबारी के बाद भी नगर में पूरे दिन आसमान में बादल छाये रहे और कई बार हवा के साथ हिमकणों की फुहारें गिरती रहीं लेकिन सूर्यास्त के दौरान धूप के दर्शन हुए। जिसे अगले दिन धूप खिलने का इशारा माना जाता है। मौसम विभाग ने रविवार को मौसम खुलने और अगले दो दिन बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई है।

इटालियन-चाइनीज व्यंजन भी परोसेगा केएमवीएन

सैलानियों को रिझाने में जुटा केएमवीएन
नवीन जोशी नैनीताल। कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटिड (केएमवीएन ) सैलानियों को रिझाने की कवायद में जुट गया है। सैलानियों को रिझाने के लिए निगम अपने रेस्ट हाउसों में कई सुविधाएं मुहैया करा रहा है। इनमें लजीज देसी-विदेशी व्यंजन के साथ ही सेवा कर में छूट भी शामिल है। निगम के इस प्रयासों के सकारात्मक परिणाम नजर आने लगे हैं।सैलानियों का रुझान नैनीताल और अन्य हिल स्टेशनों की ओर बढ़ा है। निगम को उम्मीद है कि इस वर्ष एडवेंचर टूरिज्म में भी बढ़ोतरी होगी। केएमवीएन के पूरे कुमाऊं भर में 40 टूरिस्ट रेस्ट हाउस (टीआरएच)हैं। इनकी बुकिंग आनलाइन होती है। हालांकि वर्ष 2012 के मुकाबले वर्ष 2013 में अक्टूबर से दिसम्बर तक निगम की आय कम रही है, इसके बावजूद दिसम्बर आखिरी और नये साल के पहले हफ्ते के परिणाम संतोषजनक रहे हैं। देश भर से सैकड़ों सैलानियों ने कुमाऊं के हिल स्टेशनों का रुख किया है। इस कारण निगम उत्साह में है। उसे उम्मीद है कि इस साल कुमाऊं में पर्यटन को अच्छा रिस्पांस मिलेगा। निगम सूत्रों के अनुसार सैलानियों को रिझाने के लिए टीआरएच में बुकिंग पर मार्च तक सेवा कर नहीं लिया जा रहा है। इसके अलावा सैलानियों की जरूरत के मुताबिक व्यंजन परोसने की व्यवस्था भी की गई है। सभी टीआरएच में स्थानीय लजीज व्यंजनों के साथ ही इटालियन और चाइनीज भी मिलेंगे।
टीआरएच में अक्सर बच्चे और युवा इटालियन व चाइनीज डिश न मिलने की शिकायत करते थे, इसलिए पिज्जा, बर्गर, पास्ता, पगेटी आदि इटालियन और मोमो, चाउमिन व थुप्पा आदि को मैन्यू में शामिल करने के निर्देश दिए गए हैं। निगम स्थानीय व्यंजनों को भी आगे बढ़ाएगा। कुमाउनी झुंगरे की खीर को सभी टीआरएच में मीठे (डेजर्ट) में शामिल किया जा रहा है। 
-निगम के एमडी दीपक रावत 

एडवेंचर टूरिज्म से भी उम्मीद 
केएमवीएन को इस वर्ष मई-जून में एंडवेंचर टूरिज्म के बढ़ने की भी उम्मीद है। निगम अफसरों का कहना है कि आपदा के कारण सैलानियों ने पिंडारी, मिलम व आदि कैलास से दूरी बना ली थी। इस कारण एडवेंचर टूरिज्म को पिछले साल बहुत धक्का लगा था, लेकिन अब आदि कैलास को छोड़कर सभी एडवेंचर रूट सही हैं। आदि कैलास का रूट भी जौलजीवी से आगे खराब है, इसे ठीक कर दिया जाएगा। इसके बाद एडवेंचर टूरिज्म बढ़ने की उम्मीद है।  
कुमाऊं में मौजूद हिमालयन ट्रैक: पिंडारी, छोटा कैलास, मिलम, कफनी, सुंदरडूंगा, पंचाचूली हिल स्टेशन नैनीताल, रानीखेत, मुनस्यारी, बिनसर, चौकोड़ी, अल्मोड़ा, मुक्तेश्वर केएमवीएन का टीआरएच। 

मंगलवार, 7 जनवरी 2014

दवाओं के लिए दो करोड़ होने के बावजूद मरने के लिए छोड़ दिए पशु


नौ माह बीते, निदेशालय नहीं कर सका फैसला, कहां से खरीदें दवाएं, दो करोड़ रुपये डम्प
नवीन जोशी नैनीताल। राज्य के सरकारी पशु चिकित्सालयों में दवाइयां नहीं हैं। पशुपालन विभाग ने पिछले नौ माह की अवधि में पशुओं के लिए एक रुपये की दवाइयों की खरीद नहीं की है। पशुओं की दवाई के लिए दो करोड़ रुपये की राशि निदेशालय में डम्प पड़ी है। पशुओं के लिए दवाइयों की खरीद न होने के पीछे निदेशालय स्तर पर हीलाहवाली होना है। निदेशालय पिछले नौ महीनों में यह तय ही नहीं कर सका है कि दवाएं खरीद कहां से की जाएं। निदेशालय की इस कोताही पर कुमाऊं के सभी छह जिलाधिकारियों ने मंडलायुक्त के समक्ष खुलकर नाराजगी व्यक्त की है। कुमाऊं मंडल में वर्तमान वित्त वर्ष में जून व सितम्बर माह में दो किस्तों में पशुओं की दवाइयों की खरीद के लिए नैनीताल जिले को 54.11 लाख, ऊधमसिंह नगर को 34.45 लाख, अल्मोड़ा को 34.61 लाख, बागेश्वर को 48.12 लाख, पिथौरागढ़ को 38.91 लाख व चंपावत को 14.69 लाख रपए मिलाकर कुल 224.89 लाख रपए स्वीकृत हुए थे। इसके बावजूद अपनी जरूरत के अनुसार खर्च कर जरूरी दवाइयां की खरीद नहीं कर पा रहे हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार इस धनराशि से दवाइयां किस कंपनी से खरीदी जाएं, इस पर निदेशक स्तर से निर्णय होना था। यह निर्णय अब तक नही हो सका है। इस कारण अब तक जिले दवाइयां खरीदने के लिए निदेशालय का मुंह ताक रहे हैं, जबकि इस दौरान मंडल में ही सैकड़ों घरेलू पशु आपदा के दौरान व बीमारियों से काल- कवलित हुए हैं। बमुश्किल बहुत जरूरी होने पर नैनीताल जिले ने पहल करते हुए डीएम से अनुमति लेकर 10.28 लाख, ऊधमसिंह नगर के 2.52 लाख, अल्मोड़ा ने 8.85 लाख, बागेश्वर ने 4.92 लाख, पिथौरागढ़ ने 7.05 लाख व चंपावत ने 58 हजार यानी कुल मिलाकर 33.3 लाख रुपयों से स्थानीय बाजार से दवाइयां खरीदीं, बावजूद विभाग के पास करीब दो करोड़ रपए की धनराशि डंप पड़ी है। कुमाऊं आयुक्त अवनेंद्र सिंह नयाल ने गत दिवस मंडलीय समीक्षा बैठक में मामला प्रमुखता से उठने के बाद पिछले यानी वर्ष 2012-13 की स्वीकृत दरों से इस वर्ष भी उपकरणों व दवाइयों की खरीद करने की संस्तुति की है। इस बाबत अपर निदेशक पशुपालन डा. बी चंद ने निदेशक को पत्र लिखकर इस बाबत अनुमति मांगी है।

आठ जून से ही होगी कैलास मानसरोवर यात्रा

आपदा से आई दिक्कतों के बावजूद यथावत है कार्यक्रम 
पांच मार्च तक इस लिंक को क्लिक कर के कर सकते हैं ऑनलाइन आवेदन 
10 मार्च तक जमा करने होंगे सभी प्रपत्र
नैनीताल (एसएनबी)। दो देशों की सीमाओं में होने वाली अनूठी धार्मिक यात्रा कैलास मानसरोवर यात्रा बीते वर्ष आई दिक्कतों के बावजूद इस वर्ष भी तय कार्यक्रम के अनुसार होने जा रही है। विदेश मंत्रालय ने यात्रा की तिथियों और पैटर्न में कोई बदलाव नहीं किया है, जबकि पिछले साल कई बदलाव किए गए थे। विदेश मंत्रालय ने यात्रा का कलेंडर व अन्य ब्यौरा वेबसाइट पर जारी कर दिए हैं। यात्रा आठ जून से नौ सितंबर होगी। आगामी पांच मार्च तक यात्रा के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है और 10 मार्च तक आवेदन संबंधी आवश्यक प्रपत्र जमा करने होंगे। उल्लेखनीय है कि 2012 तक कैलाश मानसरोवर यात्रा 26 दिनों की होती थी, एक जून से प्रारंभ होकर सितंबर आखिर तक चलती थी और 16 दल ही यात्रा में जाते थे। पहली बार 2013 में इसकी अवधि चार दिन घटाकर 22 दिन कर दी गई थी। पिछले वर्ष यात्रा आठ जून से नौ सितंबर तक के लिए तय की गई थी। हालांकि प्रदेश में आई आपदा के बाद केवल एक ग्रुप के यात्री ही यात्रा पूरी कर पाए थे। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार इस वर्ष की 22 दिनों की यात्रा आठ जून से नौ सितंबर तक होगी। यात्रा में 60-60 यात्रियों के 18 दल जाएंगे। शुल्क भी यथावत रखा गया है, यात्रा के लिए कुमाऊं मंडल विकास निगम को 32 हजार रपए और चीन सरकार को 901 डॉलर देने होंगे। केएमवीएन के एमडी दीपक रावत ने बताया कि यात्रा का कार्यक्रम कमोबेश पूरी तरह पिछले वर्ष का ही रखा गया है। वहीं निगम के मंडलीय प्रबंधक डीके शर्मा ने बताया कि यात्रा 12 जून को दिल्ली से चलकर अल्मोड़ा पहुंचेगी। यात्रा मार्ग में बदलाव नहीं किया गया है। पिछले वर्ष यात्रा पथ पर एक वर्ष पूर्व ही जुड़ा चौकोड़ी रात्रि पड़ाव हटा दिया गया था, वहीं चीन में बिताए जाने वाले तीन दिन भी कम कर दिए गए थे। पहले दल के यात्री अल्मोड़ा, धारचूला, सिरखा, गाला, बुदी, गुंजी (दो दिन-मेडिकल के लिए), नाभीढांग, तकलाकोट (दो दिन- चीन की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए), चीन में दारचेन, जुनजुई पू, कुगू (दो दिन), वापस तकलाकोट, गुंजी, बुदी, गाला, धारचूला व जागेश्वर में रात्रि पड़ावों के साथ तीन जुलाई को वापस दिल्ली लौट जाएंगे। 

शुक्रवार, 3 जनवरी 2014

नैना पीक तक पहुंची बिजली

मैदानों में कोहरा, पहाड़ों पर खिली धूप: शुक्रवार से जहां तराई-भाबर के मैदानी क्षेत्रों में पूरे दिन घना कोहरा छाने से कड़ाके की ठंड रही, इसके उलट सरोवरनगरी सहित पहाड़ों पर आसमान में बादलों का एक कतरा भी नहीं था, और यहां पूरे दिन चटख धूप खिली रही।
चित्र : नवीन जोशी

नैना पीक तक जाने वाला तीन किमी मार्ग भी स्ट्रीट लाइट से जगमगाएगा
नैना पीक स्थित वन विभाग का रिपीटर सेंटर 
नैनीताल (एसएनबी)। रात में नैना पीक जाकर सरोवरनगरी की खूबसूरती को निहारने के शौकीन पर्यटकों के लिए खुशखबरी है। नैना पीक तक बिजली पहुंच गई है। इससे वहां वन विभाग के रिपीटर सेंटर के कक्ष में बिजली के बल्ब जलने लगे हैं। जल्द ही रिपीटर सेंटर के वायरलैस व अन्य उपकरणों को बिजली से जोड़ने की तैयारी चल रही है तथा भविष्य में बिजली से किलबनी रोड स्थित नैना चुंगी से नैना पीक जाने वाले करीब तीन किमी मार्ग को स्ट्रीट लाइट से जगमगाने की योजना भी है। इससे रात में भी सैलानी सुरक्षित तरीके से नैना पीक तक आवाजाही कर सकेंगे। नैना पीक सरोवरनगरी का सर्वाधिक ऊंचाई वाला 2611 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से नैनीताल नगर के साथ ही तराई-भाबर के सैकड़ों किमी दूर के स्थानों और हिमालय पर्वत की 365 किमी से अधिक लंबाई में बदरीनाथ-केदारनाथ से लेकर नेपाल की एपी श्रृंखला की चोटियों के नजारे लिये जा सकते हैं। कई मौकों पर सैलानी व साहसिक पर्यटन के शौकीन रात्रि में बिजली की रोशनी से जगमगाते नैनीताल तथा दूर-दूर के पहाड़ों और मैदानों के नजारे लेने व फोटो खींचने के लिए यहां आते हैं। घना जंगल होने की वजह से यहां रात्रि में वन्य जीवों के हमले का खतरा रहता है। बिजली की रोशनी हो जाने से भविष्य में इस स्थान का आवागमन बेहद सुविधाजनक हो सकता है। इस स्थान पर वन विभाग का प्रदेश के गिने-चुने रिपीटर सेंटरों में से एक स्थित है, जिसकी मदद से पूरे कुमाऊं तथा आंशिक रूप से गढ़वाल में भी लीसे के इधर-उधर संचरण, वनाग्नि की घटनाओं आदि पर वायरलेस की मदद से नजर रखी जाती है। वन क्षेत्राधिकारी प्रकाश जोशी ने बताया कि इसी के लिए बिजली नैना पीक पर पहुंचाई गई है, जल्द ही कार्यदायी संस्था रिपीटर सेंटर के उपकरणों को विद्युत आपूर्ति से जोड़ने जा रही है। वहीं विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता शेखर त्रिपाठी ने बताया कि बिजली की लाइन नैना पीक जाने वाले पैदल मार्ग से ही होकर गुजारी गई है। शीघ्र ही इस पर स्ट्रीट लाइट लगाने की भी योजना है।