शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011

उत्तराखंड में सस्ते अनाज की योजना शुरू


राजधानी में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने किया अटल खाद्यान्न योजना का शुभारंभ
नैनीताल में डा. निशंक ने बांटा बीपीएल को खाद्यान्न भाजपा सरकार की अगुवाई में राज्य विकास के पथ पर अग्रसर : गडकरी
देहरादून (एसएनबी)। प्रदेश सरकार ने आज राज्य में बहुप्रतीक्षित अटल खाद्यान्न योजना का शुभारंभ कर दिया। देहरादून में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने योजना का आगाज किया। इस मौके पर श्री गडकरी ने कहा कि गरीबों को सस्ता अनाज वितरित करने का निर्णय मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति से संभव हो सका है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ने खुद को विकास की दौड़ में स्थापित किया है। भाजपा सरकार की अगुवाई में राज्य की आर्थिक विकास की दर और प्रति व्यक्ति आय बढ़ती जा रही है। बाद में मुख्यमंत्री ने अलग से नैनीताल में खाद्यान्न योजना का शुभारंभ किया। गांधी पार्क में आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि श्री गडकरी ने कहा कि राजकाज चलाने के लिए गरीबों के लिए संवेदनशीलता जरूरी है। उन्होंने इस योजना की प्रशंसा करते हुए राज्य में छत्तीसगढ़ सरीखी सार्वजनिक वितरण पण्राली का अनुसरण करने की सलाह दी। मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि बीपीएल श्रेणी के लोगों को दो रुपये किलो गेहूं और तीन रुपये किलो चावल देकर राज्य सरकार ने अंत्योदय के सपने को साकार किया है। पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खंडूड़ी ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में गरीब व्यक्ति को सस्ता राशन देने की पहल हुई थी। 
पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने कहा कि इस योजना को सफल बनाने के लिए केंद्र सरकार भी पूरा सहयोग देगी। खाद्य मंत्री दिवाकर भट्ट ने कहा कि योजना के लिए सभी जनपदों में तैयारी की गई है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल ने कहा कि भाजपा सरकार ने अपनी घोषणा को अमलीजामा पहना दिया है। समारोह में विकासनगर की मजीदन, सहसपुर की लक्ष्मी देवी, रायपुर की मंजू देवी को राशन के बैग बांटे गए। इसके अलावा अटल आवास योजना के तहत देहरादून के कुछ लाभार्थियों को प्रथम किस्त भेंट की। समारोह में मेयर विनोद चमोली, विधायक गणोश जोशी, राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष मनोहरकांत ध्यानी, मीडिया सलाहकार समिति के अध्यक्ष देवेन्द्र भसीन, उपाध्यक्ष अजेंद्र अजय, आवास विकास सलाहकार परिषद के अध्यक्ष नरेश बंसल, उपाध्यक्ष युवा कल्याण सुभाष बड़थ्वाल सहित कई कार्यकर्ता व जनप्रतिनिधि मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन डा. देवेंद्र भसीन ने किया।
नैनीताल। मुख्यमंत्री डा. निशंक ने डीएसए फ्लैट मैदान में बीपीएल और एपीएल श्रेणी के लोगों को सस्ता राशन भेंट कर अटल खाद्यान्न योजना का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि बीपीएल को सस्ता राशन उपलब्ध कराने में उत्तराखंड देश का चौथा एवं एपीएल को भी ऐसी सुविधा देने वाला पहला राज्य बन गया है। उन्होंने केंद्र पर सौतेले बर्ताव का आरोप लगाया। इससे पूर्व डा. निशंक ने पार्टी अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल तथा काबीना मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट के साथ दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। श्री चुफाल ने कहा कि इस योजना का 11 लाख एपीएल श्रेणी के उपभोक्ताओं को भी लाभ मिलेगा। शिक्षा मंत्री बिष्ट ने कहा कि राज्य सरकार इस योजना से हर व्यक्ति को भोजन की गारंटी ले रही है। इस मौके पर संसदीय सचिव दीवान सिंह बिष्ट, भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष ममता पलड़िया, पालिकाध्यक्ष मुकेश जोशी, पशु कल्याण बोर्ड की उपाध्यक्ष शांति मेहरा, हेमंत द्विवेदी, गजराज बिष्ट, अजय राजौर, हेम आर्या, ऋतु डालाकोटी, राजकुमारी गिरि, सलीम दुर्रानी, डा. देवी दत्त दानी, नवीन दुम्का और डा.मोहन बिष्ट ने अपने विचार रखे। संचालन अनिल डब्बू व हेमंत बिष्ट ने किया। कार्यक्रम में मंडलायुक्त कुणाल शर्मा, आईजी राम सिंह मीणा, डीएम शैलेश बगौली, एसएसपी एमएस बनंग्याल, सीओ अरुणा भारती, सीडीओ दीपक रावत व डीएसओ राहुल शर्मा सहित सभी विभागों के जिलास्तरीय अधिकारी भी मौजूद थे।

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शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

बीए-बीकॉम का पुनरुद्धार करेगा कुमाऊं विश्वविद्यालय



तिब्बतियों ने कहा, जमीन खरीदना हमारा हक

धर्मशाला व दून में भी खरीदी जमीन

देश के कानून के अंतर्गत ही सब कुछ करने की बात कही
नैनीताल (एसएनबी)। करमापा मामले के बाद मीडिया के एक वर्ग में आ रही लगातार नकारात्मक खबरों से आहत तिब्बतियों के सब्र का बांध शनिवार को टूट गया। नगर के तिब्बती शरणार्थियों ने पत्रकार वार्ता आयोजित कर स्वीकारा कि उन्होंने जमीनें खरीदी हैं, राशन कार्ड बनवाए हैं, यहां तक कि धर्मशाला व देहरादून नगरों में राशन की दुकानें व गैस एजेंसियां भी हासिल की हैं। पर जो भी किया है, देश के कानून के अंतर्गत किया है। तिब्बतियों ने देशवासियों से अपील की कि उन पर बीते 52 वर्षो की तरह ही विास करें। 
तिब्बती बौद्ध मठ सुख निवास में आयोजित पत्रकार वार्ता में तिब्बती शरणार्थी फाउंडेशन के अध्यक्ष पेमा गेकिल शिथर ने गृह मंत्रालय के पुनर्वास विभाग के चार सितंबर 1992 के पत्र और भारतीय रिजर्व बैंक के छह जुलाई 2005 के पत्र का हवाला देकर बताया कि भारत में पंजीकृत तिब्बती यदि चाहें तो भारत में अचल संपत्ति खरीद सकते हैं। उन्होंने दिसंबर 2010 के दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय को उद्धृत करते हुए दोहराया कि 26 जनवरी 1950 से नागरिकता संशोधन अधिनियम के प्रभावी होने की तिथि के बीच पैदा हुए तिब्बती शरणार्थी स्वत: भारत के नागरिक हैं और भारत का पासपोर्ट रखने के अधिकारी हैं। साथ ही उन्होंने खुलासा किया कि नैनीताल में 1959 से 71 के बीच करीब 15 और बाद में टूटू सेना से सेवानिवृत्त होकर कुछ परिवार आए। वर्तमान में करीब 50 परिवारों के 325 तिब्बती शरणार्थी हैं, जिनमें से सभी के पास राशन कार्ड हैं। 95 फीसद अब भी किराए के मकान में रहते हैं, जबकि करीब आधा दर्जन लोगों ने यहां जमीनें खरीदी हैं। इस मौके पर तिब्बती संघर्ष संगठन के अध्यक्ष नीमा समकर, तिब्बती यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष तेनजिंग लुंडुप व तिब्बती महिला संगठन की अध्यक्ष सांग्मो के साथ ही येशी थुप्तेन, तेंजिंग जिंग्मो आदि भी मौजूद थे।

शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

तिब्बती शरणार्थियों को लेकर पसोपे


नैनीताल (एसएनबी)। करमापा मामले की प्रतिक्रिया में सरोवरनगरी में प्रशासन से तिब्बती शरणार्थियों के बाबत पूछी गई जानकारी और नगर पालिका में सूचना अधिकार के तहत उनके भूमि खरीदने संबंधी मामलों की जांच अभी बेहद प्रारंभिक चरण में है। प्रशासन मामले को लेकर पशोपेश में है। इससे इतर नगर में रहने वाले तिब्बती शरणार्थी आरोपों से निश्ंिचत नजर आ रहे हैं। 
उल्लेखनीय है कि नगर में 44 परिवारों के पास वर्षो से अस्थाई राशन कार्ड मौजूद हैं, जिन्हें हर वर्ष नवीनीकृत करना होता है। यह कार्ड शुरू में कैसे बने, इस बाबत विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों को भी कोई जानकारी नहीं है। दूसरे कहा जा रहा है कि राशन कार्ड नागरिकता का नहीं वरन स्थाई रूप से रहने का प्रमाण पत्र होता है। नगर में आधा दर्जन से अधिक नेपाली नागरिकों के भी राशन कार्ड पूर्व से ही बने हुए हैं। दूसरी ओर पालिका के अधिकारियों का कहना है कि भूमि की खरीद-फरोख्त में शासन से निर्धारित स्टांप शुल्क व औपचारिक दस्तावेज देने वालों की रजिस्ट्री की जाती है। भूमिधरों की नागरिकता पर पालिका कोई जवाब नहीं दे सकती। वहीं तिब्बती शरणार्थी संगठन के अध्यक्ष पेमा गेकिल शिथर का कहना है कि राजधानी देहरादून में तो उनके समुदाय के क्षेत्रों में राशन की दुकानें व गैस की एजेंसियां भी उनके ही समुदाय के लोगों की हैं। तिब्बती युवा कांग्रेस के पूर्व सचिव येशी थुप्तेन व वर्तमान पीआरओ तेंजिंग जिंग्मो का कानूनी प्राविधानों का हवाला देते हुए कहना है कि आरोप् विरोधियों की साजिश हो सकते हैं। पूर्व में भी जांच हो चुकी हैं। कहीं कुछ भी गलत नहीं है। सरकार ने ही उन्हें दुकानें व भूमि आवंटित की है।
क्या है प्रावधान
नैनीताल। देश में 28 नवम्बर 1986 को प्रस्तावित किये गए नागरिकता संशोधन अधिनियम 1986 के अनुसार देश के संविधान के लागू होने की तिथि यानी 26 जनवरी 1950 से इस अधिनियम के लागू होने की तिथि एक जुलाई 1987 के बीच भारत में पैदा हुए तिब्बती शरणार्थी स्वत: ही देश के नागरिक हैं। इसके साथ ही इस अवधि में पैदा हुए माता-पिता की संतानें भी स्वत: देश की नागरिक होती हैं। इस अवधि से पूर्व व बाद में पैदा हुए हुए लोग देश के नागरिक नहीं हो सकते।



फखत इतनी तमन्ना थी कि हिंद मेरा आजाद रहे

धर्म के कंधों पर आजादी का सेनानी विदा
नैनीताल (एसएनबी)। आजादी के दीवानों ने सर्व धर्म समभाव का जो स्वप्न संजोते हुए देश आजाद कराया था, वह स्वप्न आज स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बांके लाल कंसल की अंतिम यात्रा में सच होता दिखाई दिया। सर्वधर्म के लोगों के कंधों पर तिरंगा ओढ़कर आजादी के इस दीवाने की अंतिम यात्रा शान से निकली। आखिर पाइंस स्थित श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ आर्य समाज की विधि से हुआ। इससे पूर्व जिसे भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कंसल के निधन की खबर मिली, उनके आवास की ओर चल पड़ा। फलस्वरूप आवास पर मेला सा लग गया। 
कुमाऊं आयुक्त कुणाल शर्मा भी आवास पर पहुंचे। यहां से उनकी अंतिम यात्रा तिरंगे में लिपटकर पाइंस स्थित श्मशान घाट के लिए चली, जिसमें विधायक खड़क सिंह बोहरा, नगर पालिका अध्यक्ष मुकेश जोशी, पूर्व विधायक नारायण सिंह जंतवाल सहित नगर के गणमान्य लोग मौजूद रहे। पाइंस में एडीएम ललित मोहन रयाल ने प्रशासन एवं विधायक खड़क सिंह बोहरा ने मुख्यमंत्री की ओर से उनके शव पर पुष्पचक्र चढ़ाए। पुलिस के जवानों ने मातमी धुन बजाई व सम्मान में शस्त्र झुकाए। उनका अंतिम संस्कार आर्य समाज विधि के साथ किया गया। पुत्र सुबोध एवं अशोक कंसल ने मुखाग्नि दी। 99 वर्षीय स्वर्गीय कंसल अस्वस्थ थे। 
सरला बहन व डा. हिंगोरानी को की मदद : 
स्वर्गीय कंसल मनसा-वाचा-कर्मणा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। कहते हैं कि 1941 में गांधी जी की विदेशी शिष्या सरला बहन के लिए तत्कालीन कमिश्नर एक्टन ने देखते ही गोली मारने के आदेश दिए थे। कंसल ने उन्हें अपने घर में छुपाकर बचाया था। इसी तरह गांधी जी के सहयोगी डा. हिंगोरानी भी उनके घर में रहे थे।


बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

जर्जर व्यवस्था पर सपनों का महल !

विभागीय दफ्तर ध्वस्त होने के कगार पर, गोदामों में चौकीदार-पल्लेदार तक नहीं, निरीक्षकों के पद भी खाली, जिलापूर्ति अधिकारी हैं पैदल
नवीन जोशी नैनीताल। प्रदेश की मौजूदा भाजपा सरकार जिस सस्ता राशन योजना के बल पर सत्ता में लौटने का ख्वाब देख रही है, उसका भविष्य देखना हो तो जनपद व मंडल मुख्यालय स्थित विभागीय कार्यालय को देख लीजिए। और यदि इस पर भी विास न हो तो फिर व्यवस्था की धुरी माने जाने वाले कर्मचारियों की स्थिति देख लें। यहां लिपिक और पूर्ति निरीक्षक की बात तो छोड़िए, योजना के लिए अनाज गोदामों में किसके भरोसे रखा जाए, यह भी एक बड़ी समस्या है। गोदामों में न चौकीदार हैं, न ही पल्लेदार, वहीं जिलापूर्ति अधिकारी स्वयं भी बिना वाहन के पैदल ही जिले की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। 
उल्लेखनीय है कि मुख्यालय स्थित जिलापूर्ति कार्यालय अंग्रेजों के समय बने किराए के भवन में चल रहा है। यह भवन ईटन नाम के अंग्रेज साहब का था, इसलिए इसे ईटन हाउस कहा जाता है। किराया मात्र 1600 रुपये वाषिर्क। लिहाजा किराया कम होने के कारण वर्तमान मकान मालिक भवन खाली कराना चाहते हैं और मामला हाईकोर्ट में है, इसलिए भवन की मरम्मत भी नहीं हो पाई है। दूसरी ओर विभाग के पास जिले में पांच गोदाम ओखलकांडा, सरना, मेहरागांव, बेतालघाट व कोटाबाग में हैं। एक गोदाम मझेड़ा में भी स्वीकृत हो गया है। गोदामों में खाद्यान्न की देखभाल के लिए एक वरिष्ठ पूर्ति निरीक्षक के साथ ही एक- एक चौकीदार व पल्लेदार के पद स्वीकृत हैं, लेकिन विभाग में एक भी पल्लेदार-चौकीदार नहीं है। ऐसे में मुख्यालय में कार्यरत तीन लिपिक वर्गीयकर्मियों को वहां भेजना पड़ा है। विभाग में एकमात्र क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी के साथ ही पांच वरिष्ठ पूर्ति निरीक्षकों के पद भी रिक्त हैं, जबकि जिले में तहसीलें बढ़ने से तीन और की जरूरत बताई जा रही है। लिपिक भी गोदामों में भेजने से यहां भी काम अटक जाता है। वहीं इससे भी अधिक चौकाने वाली बात यह कि जिले के पूर्ति अधिकारी स्वयं पैदल हैं। गत दिनों तक वह मत्स्य विभाग की गाड़ी से काम चला रहे थे। अब वह गाड़ी भी हाथ से जा चुकी है। ऐसे में कहा जा सकता है कि जिस सस्ता राशन योजना को सरकार ‘मिशन 2012’ की ‘नैय्या पार लगाने का तिनका’ मान रही है, वह स्वयं ही डूबने की कगार पर है। इस बाबत पूछे जाने पर जिला पूर्ति अधिकारी राहुल शर्मा ने जल्द व्यवस्थाओं में सुधार की उम्मीद जताई है।
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मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011

टल गई अन्न की ’अटल‘ योजना


सस्ता राशन योजना: विक्रेता न बिगाड़ दें कहीं खेल
विक्रेताओं को है लाभ की बजाय हानि का अंदेशा
(कहा जा रहा है कि अब यह योजना 11 फरवरी को भाजपा संस्थापक पंडित दीन दयाल उपाध्याय की पुन्य तिथि से लागू होगी)
नैनीताल। भाजपा सरकार ने ‘मिशन 2012’ के मद्देनजर तैयार की सस्ता राशन योजना पर पहला ब्रेक स्वयं ही लगा दिया है। अब यह योजना एक की बजाय 11 फरवरी से शुरू किए जाने की कवायद की जा रही है। मगर लगता नहीं है कि यह योजना परवान चढ़ पाएगी। कारण एक नहीं कई हैं। मसलन कांग्रेस ने राजनीतिक तरकश से सरकार की मंशा पर पानी फेरने के लिए तीर निकाल लिया है। हरिद्वार में पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होने का हवाला देते हुए कांग्रेसी दिग्गज चुनाव आयोग की ओर आस भरी नजरों से देख रहे हैं। इतना ही नहीं सरकारी राशन विक्रेताओं में भी इस योजना को लेकर कोई उत्साह नजर नहीं आ रहा है। 
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार विपक्ष खासकर कांग्रेस पार्टी को भाजपा सरकार की सस्ता राशन योजना अपने ‘मिशन 2012’ की राह में सबसे बड़ा रोड़ा नजर आ रही है। इसीलिए हरिद्वार पंचायत चुनाव का शिगूफा छेड़ा गया। इससे इतर सस्ता गल्ला विक्रेता, जिन पर योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी है योजना से बेहद नाराज हैं। वह अपना विरोध जता भी चुके हैं। कारण यह है कि अब तक उन्हें राशन को गोदाम से लाने के खचरे, छीजन (सामान्य तौर पर राशन के बोरों में मिलने वाली कम मात्रा) आदि के खचरे की प्रतिपूर्ति डीएम द्वारा निर्धारित दरों से हो जाती थी। उदाहरणार्थ बीपीएल उपभोक्ताओं को नैनीताल जनपद में गेहूं की दर 4.65 तथा दूरस्थ क्षेत्रों में पांच रुपये तक में मिलते थे। बावजूद इसके राशन विक्रेता खुश नहीं थे। नई आ रही सस्ता राशन योजना में विक्रेता को चार रुपये की दर से ही गोदाम से खाद्यान्न उठाना है, और इसी दर पर देहरादून से लेकर दूरस्थ मुन्स्यारी में भी बेचना है जबकि विक्रेताओं के लिए गोदाम से खाद्यान्न की ढुलाई का खर्च अलग- अलग होगा। यानी विक्रेता को नई योजना से लाभांश, कमीशन, भाड़ा व छीजन आदि स्वयं ही वहन करना पड़ेगा। ऐसे में विक्रेताओं का नाराज होना भी लाजिमी है। उल्लेखनीय है कि गांवों में सस्ता गल्ला विक्रेताओं का अच्छा सम्मान होता है, ऐसे में संभावना बनती है कि वह आम जनमानस में सरकार की छवि को धूमिल कर सकते हैं। 
कुल 26,073 उपभोक्ता निराश 
सरकार की सस्ता राशन योजना से जिले के 26,073 बीपीएल एवं 11,372 अंत्योदय उपभोक्ताओं को लाभ मिलना था। बीपीएल को अब तक 4.65 रुपये की दर से गेहूं और 6.26 रुपये की दर से चावल जबकि अंत्योदय श्रेणी उपभोक्ताओं को दो व तीन रुपये की दर से ही गेहूं-चावल मिलता था। आगे बीपीएल और अंत्योदय दोनों श्रेणी के उपभोक्ताओं को आज से दो व तीन रुपये प्रति किग्रा की दर से गेहूं-चावल मिलना था। यानी योजना के बाद बीपीएल व अंत्योदय एक हो जाने थे लेकिन योजना फिलहाल 11 दिन खिसकने से उपभोक्ता मायूस हैं। बहरहाल, जिला आपूर्ति अधिकारी राहुल शर्मा ने बताया कि दुकानों पर राशन उपलब्ध करा दिया गया है। एपीएल को कोई उम्मीद नहीं एपीएल उपभोक्ताओं को सरकार की सस्ता गल्ला योजना से कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही। 
एपीएल को कोई आश नहीं 
सरकार की घोषणा के अनुसार नैनीताल जनपद में एपीएल श्रेणी के करीब दो लाख उपभोक्ताओं को चार रुपये प्रति किग्रा की दर से पूर्व की तरह 20 किग्रागेहूं (पूर्व दर 6.60) एवं छह रुपये की दर से 15 किग्राचावल (पूर्व दर 8.65) मिलना था लेकिन हालात यह हैं कि जिले को एपीएल के लिए हर माह 3,983.78 मीट्रिक टन गेहूं की जरूरत के सापेक्ष केवल 2,279.50 एमटी एवं 2,967.83 एमटी चावल के सापेक्ष केवल 440 एमटी चावल ही मिल पा रहा है। ऐसे में केवल पहाड़ी क्षेत्रों में बेहद सीमित लोगों को ही अनाज मिल पा रहा है। 
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सोमवार, 31 जनवरी 2011

कार्बेट पर भारी पड़ रही माही की व्यस्तता



प्लेटिनम जुबली कार्यक्रमों में शिरकत करने की उम्मीदें धूमिल, विश्व कप के डेढ़ महीने के शेड्यूल से आई बाधा 15 मार्च को होगा काब्रेट का प्लेटिनम जुबली सेलिब्रेशन
अर्जुन बिष्ट। काब्रेट टाइगर रिजर्व की प्लेटिनम जुबली को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाने की उत्तराखंड सरकार की मुहिम को जोर का झटका लगा है। टाइगर रिजर्व के आनरेरी वाइल्ड लाइफ वार्डन महेन्द्र सिंह धोनी की ओर से अभी तक इस कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए कोई जवाब नहीं आया। विकप के डेढ़ महीने के टाइट शेडय़ूल के चलते माही के उद्घाटन कार्यक्रम में शिरकत करने की उम्मीदें धूमिल हो गई हैं। अप्रैल में विश्व कप समाप्त होने के बाद आईपीएल व अन्य कार्यक्रमों का शेडय़ूल इतना टाइट है काब्रेट के इस यादगार सेलिब्रेशन में आनरेरी वार्डन के शामिल होने में ही संशय बना हुआ है।
काब्रेट के प्लेटिनम जुबली समारोह का उद्घाटन।5 मार्च को कराने की योजना है। यह समारोह वषर्भर चलेगा। समारोह को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भुनाने के लिए सरकार व वन विभाग की ओर से कई दावे किए थे। धोनी को ब्रांड अम्बेसडर व आनरेरी वाइल्ड लाइफ वार्डन बनाने के बाद यह भी प्रचारित किया गया कि उनको यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने से काब्रेट के इस समारोह को यादगार बनाने में मदद मिलेगी। इसकी घोषणा करने के बाद स्वयं मुख्यमंत्री ने भी यह बात कही थी। तब शायद अधिकारियों को भी धोनी की ‘रियल लाइफ’ यानि क्रिकेट की दुनिया का अंदाज नहीं था। भारतीय टीम का कप्तान होने के कारण धोनी के कंधों पर इस समय देश को क्रिकेट का सिरमौर बनाने की बड़ी जिम्मेदारी है। क्रिकेट के विशेषज्ञ भी भारत को विकप का प्रबल दावेदार मान रहे हैं, ऐसे में अप्रैल से पहले माही की काब्रेट में मौजूदगी के आसार धूमिल हैं। विकप के समापन के बाद भी घरेलू क्रिकेट का शेडय़ूल इतना टाइट है कि माही यहां आ सकेंगे इसमें संशय है। विकप समापन के मात्र तीन दिन बाद आईपीएल टूर्नामेंट शुरू हो जाएंगे जो मई तक चलने हैं। जून से भारतीय टीम का वेस्टइंडीज दौरा शुरू हो जाएगा जो जुलाई तक चलेगा। इस दौरे के तत्काल बाद टीम इंग्लैंड चली जाएगी जहां 16 सितंबर को टूर्नामेंट का आखिरी मैच होगा। उसके आगे का शेडय़ूल अभी नहीं बना है, लेकिन तय है कि उसके बाद विदेशी टीमें भारतीय धरती पर खेलेंगी। ऐसे में भारतीय कप्तान काब्रेट के सेलिब्रेशन में आएं भी तो कैसे। गत 29 दिसंबर को काब्रेट के 75 साला सफर को विस्तरीय बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक भी हो चुकी है। इसमें 15 मार्च को दुनिया के टाइगर एक्सपर्ट को बुलाकर एक बड़ा सेमिनार के साथ ही कार्यक्रमों का उद्घाटन करने की बात हुई फिलहाल इसका प्रस्ताव शासन में है। इसके अलावा छह बड़े सेमिनार व विस्तरीय फोटो प्रदर्शनी लगाने की योजना भी है। सूत्रों का कहना है कि इन कार्यक्रमों को फाइनल टच इसलिए नहीं दिया गया कि अभी भी धोनी के आने की उम्मीद की जा रही है। प्लेटिनम जुबली कार्यक्रमों का समन्वय कर रहे डीएफओ दिवाकर सिन्हा का कहना है कि धोनी को भेजे पत्र का जबाव नहीं आया। उनके पीआरओ अरुण पांडे से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने पाजिटिव रिस्पांस दिया है, लेकिन वे भी यह नहीं बता पाए कि आखिर वे यहां कब आ पाएंगे।


भवाली में बनेगा मॉडल आयुष ग्राम


सेनिटोरियम की जमीन बेचने का सवाल ही नहीं, सरकार की मंशा साफ : भट्ट कहा, कांग्रेस को बोलने का नैतिक हक नहीं
नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश के स्वास्थ्य सलाहकार समिति अध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपा नेता अजय भट्ट ने कहा कि भवाली में केरल की तर्ज पर मॉडल आयुष ग्राम बनाया जा रहा है। बाद में इसी तरह देहरादून, टिहरी व मसूरी में भी आयुष ग्राम बनाने की योजना है। साफ किया कि इसके लिए सेनिटोरियम की इंच भर जमीन भी बेची नहीं जा रही, वरन आयुष ग्राम का निर्माण पीपीपी व बीओटी पद्धति पर देश की नामी इमामी कंपनी से जमीन को 35 वर्ष की लीज पर देकर कराया जा रहा है। कंपनी सरकार को इस एवज में ढाई करोड़ व हर वर्ष 6.22 फीसद लाभांश देगी व लीज के आखिर में सब कुछ सरकार को सौंपकर चली जाएगी। श्री भट्ट सोमवार को नैनीताल क्लब में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने साफ किया कि आयुष ग्राम सेनिटोरियम की 10 एकड़ से भी कम अनुपयुक्त पड़ी भूमि पर स्थापित किया जा रहा है। इसमें से 0.047 हेक्टेयर भूमि वन विभाग से ली जा रही है। मालूम हो कि भवाली में 1912 में 220 एकड़ भूमि पर टीवी के उपचारार्थ 320 बेड का सेनिटोरियम स्थापित हुआ था। भट्ट ने बताया कि भवाली में आयुष अर्थात आयुव्रेद, योग, यूनानी, सिद्धा व होम्योपैथी विधाओं से संपूर्ण उपचार किया जाएगा। स्थानीय ग्रामीणों को जड़ी-बूटियां एवं गो-दुग्ध, गो-घृत व गोमूत्र लेकर लाभ पहुंचाया जाएगा। अनुबंध के अनुसार इमामी यहां आने वाले देशी-विदेशी सैलानियों के लिए थ्री-स्टार होटल का निर्माण भी करेगी। यह संपूर्ण प्रक्रिया खुली बहस के बाद और खुली प्रक्रिया के तहत की गई है। दर्जनों उद्यान उनमें पैदा होने वाली घास से भी कम कीमत पर देने वाली कांग्रेस पार्टी को इस मुद्दे पर बोलने का कोई नैतिक हक नहीं है। उन्होंने शशि थरूर, सुरेश कलमाड़ी व ए राजा आदि केंद्रीय मंत्रियों और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद बदले जाने के मुद्दे पर कहा कि भाजपा द्वारा मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाए जाने के फलस्वरूप पूरी तरह फंसने के बाद इन्हें हटाया गया। यह पर्याप्त नहीं है, वरन उन्हें सींखचों के पीछे होना चाहिए।