शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

तिब्बतियों ने कहा, जमीन खरीदना हमारा हक

धर्मशाला व दून में भी खरीदी जमीन

देश के कानून के अंतर्गत ही सब कुछ करने की बात कही
नैनीताल (एसएनबी)। करमापा मामले के बाद मीडिया के एक वर्ग में आ रही लगातार नकारात्मक खबरों से आहत तिब्बतियों के सब्र का बांध शनिवार को टूट गया। नगर के तिब्बती शरणार्थियों ने पत्रकार वार्ता आयोजित कर स्वीकारा कि उन्होंने जमीनें खरीदी हैं, राशन कार्ड बनवाए हैं, यहां तक कि धर्मशाला व देहरादून नगरों में राशन की दुकानें व गैस एजेंसियां भी हासिल की हैं। पर जो भी किया है, देश के कानून के अंतर्गत किया है। तिब्बतियों ने देशवासियों से अपील की कि उन पर बीते 52 वर्षो की तरह ही विास करें। 
तिब्बती बौद्ध मठ सुख निवास में आयोजित पत्रकार वार्ता में तिब्बती शरणार्थी फाउंडेशन के अध्यक्ष पेमा गेकिल शिथर ने गृह मंत्रालय के पुनर्वास विभाग के चार सितंबर 1992 के पत्र और भारतीय रिजर्व बैंक के छह जुलाई 2005 के पत्र का हवाला देकर बताया कि भारत में पंजीकृत तिब्बती यदि चाहें तो भारत में अचल संपत्ति खरीद सकते हैं। उन्होंने दिसंबर 2010 के दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय को उद्धृत करते हुए दोहराया कि 26 जनवरी 1950 से नागरिकता संशोधन अधिनियम के प्रभावी होने की तिथि के बीच पैदा हुए तिब्बती शरणार्थी स्वत: भारत के नागरिक हैं और भारत का पासपोर्ट रखने के अधिकारी हैं। साथ ही उन्होंने खुलासा किया कि नैनीताल में 1959 से 71 के बीच करीब 15 और बाद में टूटू सेना से सेवानिवृत्त होकर कुछ परिवार आए। वर्तमान में करीब 50 परिवारों के 325 तिब्बती शरणार्थी हैं, जिनमें से सभी के पास राशन कार्ड हैं। 95 फीसद अब भी किराए के मकान में रहते हैं, जबकि करीब आधा दर्जन लोगों ने यहां जमीनें खरीदी हैं। इस मौके पर तिब्बती संघर्ष संगठन के अध्यक्ष नीमा समकर, तिब्बती यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष तेनजिंग लुंडुप व तिब्बती महिला संगठन की अध्यक्ष सांग्मो के साथ ही येशी थुप्तेन, तेंजिंग जिंग्मो आदि भी मौजूद थे।

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