विभागीय दफ्तर ध्वस्त होने के कगार पर, गोदामों में चौकीदार-पल्लेदार तक नहीं, निरीक्षकों के पद भी खाली, जिलापूर्ति अधिकारी हैं पैदल
नवीन जोशी नैनीताल। प्रदेश की मौजूदा भाजपा सरकार जिस सस्ता राशन योजना के बल पर सत्ता में लौटने का ख्वाब देख रही है, उसका भविष्य देखना हो तो जनपद व मंडल मुख्यालय स्थित विभागीय कार्यालय को देख लीजिए। और यदि इस पर भी विास न हो तो फिर व्यवस्था की धुरी माने जाने वाले कर्मचारियों की स्थिति देख लें। यहां लिपिक और पूर्ति निरीक्षक की बात तो छोड़िए, योजना के लिए अनाज गोदामों में किसके भरोसे रखा जाए, यह भी एक बड़ी समस्या है। गोदामों में न चौकीदार हैं, न ही पल्लेदार, वहीं जिलापूर्ति अधिकारी स्वयं भी बिना वाहन के पैदल ही जिले की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि मुख्यालय स्थित जिलापूर्ति कार्यालय अंग्रेजों के समय बने किराए के भवन में चल रहा है। यह भवन ईटन नाम के अंग्रेज साहब का था, इसलिए इसे ईटन हाउस कहा जाता है। किराया मात्र 1600 रुपये वाषिर्क। लिहाजा किराया कम होने के कारण वर्तमान मकान मालिक भवन खाली कराना चाहते हैं और मामला हाईकोर्ट में है, इसलिए भवन की मरम्मत भी नहीं हो पाई है। दूसरी ओर विभाग के पास जिले में पांच गोदाम ओखलकांडा, सरना, मेहरागांव, बेतालघाट व कोटाबाग में हैं। एक गोदाम मझेड़ा में भी स्वीकृत हो गया है। गोदामों में खाद्यान्न की देखभाल के लिए एक वरिष्ठ पूर्ति निरीक्षक के साथ ही एक- एक चौकीदार व पल्लेदार के पद स्वीकृत हैं, लेकिन विभाग में एक भी पल्लेदार-चौकीदार नहीं है। ऐसे में मुख्यालय में कार्यरत तीन लिपिक वर्गीयकर्मियों को वहां भेजना पड़ा है। विभाग में एकमात्र क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी के साथ ही पांच वरिष्ठ पूर्ति निरीक्षकों के पद भी रिक्त हैं, जबकि जिले में तहसीलें बढ़ने से तीन और की जरूरत बताई जा रही है। लिपिक भी गोदामों में भेजने से यहां भी काम अटक जाता है। वहीं इससे भी अधिक चौकाने वाली बात यह कि जिले के पूर्ति अधिकारी स्वयं पैदल हैं। गत दिनों तक वह मत्स्य विभाग की गाड़ी से काम चला रहे थे। अब वह गाड़ी भी हाथ से जा चुकी है। ऐसे में कहा जा सकता है कि जिस सस्ता राशन योजना को सरकार ‘मिशन 2012’ की ‘नैय्या पार लगाने का तिनका’ मान रही है, वह स्वयं ही डूबने की कगार पर है। इस बाबत पूछे जाने पर जिला पूर्ति अधिकारी राहुल शर्मा ने जल्द व्यवस्थाओं में सुधार की उम्मीद जताई है।
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