इस बार एक नहीं, 12 जून से शुरू होगी यात्रा
गत वर्षो के मुकाबले दो दल अधिक जाने के बावजूद एक माह कम अवधि में निपट जाएगी यात्रा
नवीन जोशी नैनीताल। विश्व भर में अनूठी धार्मिक यात्राओं में शुमार कैलाश मानसरोवर यात्रा इस बार गत वर्षो के मुकाबले पांच दिन कम अवधि में पूरी कर ली जाएगी। यात्रियों को कुमाऊं मंडल विकास निगम को ही पांच हजार रुपये अधिक देने होंगे। यात्रा में पिछले वर्ष ही जुड़ा चौकोड़ी रात्रि पड़ाव इस बार हटा दिया गया है, वहीं चीन में इस बार विगत वर्षो के मुकाबले चार दिन कम बिताने को मिलेंगे। इस वर्ष यात्रा परंपरागत एक जून के बजाय 12 जून से प्रारंभ होगी। यात्रा में गत वर्षो से दो अधिक यानी 18 दल जाएंगे। यात्रा पहले के मुकाबले करीब एक माह पहले ही नौ सितम्बर को पूरी हो जाएगी। विदेश मंत्रालय द्वारा जारी यात्रा के संभावित कार्यक्रम में यह बातें ध्यान आकषिर्त करतीं हैं। बीते वर्षो में यात्रा से केएमवीएन को प्रति यात्री 27 हजार रुपये मिलते थे, इस वर्ष 32 हजार मिलेंगे। पिछले वर्ष तक यात्रा एक जून से प्रारंभ होती थी, यानी पहला दल एक जून को दिल्ली से अल्मोड़ा पहुंचता था, इस बार ऐसा 12 जून को होगा। पहला दल 27 को वापस दिल्ली पहुंचता था, इस बार केवल 22 दिनों में ही अल्मोड़ा, धारचूला, सिरखा, गाला, बुदी, गुंजी (दो दिन- मेडिकल के लिए), नाभीढांग, तकलाकोट (दो दिन-चीन की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए), चीन में दारचेन, जुनजुई पू, कुगू (दो दिन), वापस तकलाकोट, गुंजी, बुदी, गाला, धारचूला व जागेर में रात्रि पड़ावों के साथ तीन जुलाई को वापस दिल्ली पहुंच जाएगा। इस बार पहली बार 18 दल जाएंगे। आखिरी दल 16 अगस्त को दिल्ली से चलेगा और नौ सितम्बर को लौट जाएगा।केंद्र ने बंद की सब्सिडी
केएमवीएन हालांकि कैलाश-मानसरोवर यात्रा को लाभ के लिए आयोजित नहीं करता। बावजूद बिना लाभ के भी उसने इस वर्ष प्रति यात्री पांच हजार रुपये शुल्क बढ़ाए जाने की मांग भारत सरकार के विदेश मंत्रालय से की थी। विदेश मंत्रालय ने शुल्क तो पांच हजार बढ़ा दिया है। इस प्रकार यात्रियों की जेब से तो निगम के लिए अतिरिक्त पांच हजार रुपये निकलेंगे। भारत सरकार ने निगम को बीते वर्षो तक सामान्यतया सब्सिडी कहे जाने वाले प्रति यात्री 3,250 निगम को देने बंद कर दिये हैं। इस प्रकार निगम को इस वर्ष किराया पांच हजार बढ़ने के बावजूद केवल 1,750 ही प्रति यात्री अधिक मिलेंगे। निगम के एमडी दीपक रावत ने बताया कि वर्ष 2010-11 तक विकास शुल्क के रूप में यह राशि मिलती थी। पिछले वर्ष से यह राशि देने से मना कर दिया गया है।