बुधवार, 30 मई 2012

रुपये की "नरमी" से कैलास यात्रा में भी "गरमी"


एक हजार डॉलर से अधिक खर्च करने पड़ते हैं चीन में
नवीन जोशी नैनीताल। विश्व की प्राचीनतम और एक से अधिक देशों से होकर गुजरने वाली अनूठी कैलास मानसरोवर यात्रा पर भी भारतीय रुपये में आई भारी नरमी का असर देखना पड़ सकता है। इस कारण आगामी एक जून से शुरू होने जा रही इस यात्रा पर जाने वाले प्रत्येक तीर्थयात्री को जहां करीब आठ हजार रुपये से अधिक खर्च करने पड़ेंगे, वहीं चीन को इस यात्रा के जरिये गत वर्ष के मुकाबले 60 लाख रुपये अधिक प्राप्त होंगे।
गौरतलब है कि भारतीय तीर्थयात्रियों को चीन के हिस्से में स्थित पवित्र कैलास मानसरोवर के यात्रा मार्ग में चीन सरकार को 751 डॉलर का भुगतान करना पड़ता है, जबकि कैलास पर्वत एवं मानसरोवर झील की परिक्रमा तथा चीन में निजी खर्च पर कम से कम 250 डॉलर खर्च करने पड़ते हैं। इधर विश्व बाजार में गत वर्ष डॉलर के मुकाबले करीब 48 रुपये पर रहा भारतीय रुपया इस वर्ष अपने बेहद निचले स्तर 56 रुपये तक पहुंच गया है, यानी एक डॉलर खरीदने के लिए भारतीय यात्रियों को चीन में करीब आठ रुपये और पूरी यात्रा पर औसतन आठ हजार रुपये अधिक खर्च करने होंगे। इस प्रकार यात्रा पर जाने वाले औसतन 750 भारतीय तीर्थयात्रियों से चीन को 60 लाख भारतीय रुपये अधिक मिलेंगे। जान लें कि गत वर्ष 761 तथा अब तक 11,744 यात्री कैलास मानसरोवर की यात्रा कर चुके हैं।
अनेक रूपों में होंगे शिव के दर्शन 
देवाधिदेव शिव के धाम कैलास यात्रा पर जाने वाले यात्रियों को इस वर्ष जहां भारतीय रुपये की गिरावट से नुकसान झेलना होगा, वहीं यात्रा की भारतीय क्षेत्र में आयोजक संस्था कुमाऊं मंडल विकास निगम ने पहली बार यात्रा में ऐसा आकर्षण जोड़ा है कि यात्रियों को यह खर्च अधिक नहीं खलेगा। इस वर्ष निगम अपना शुल्क 27 हजार रुपये बढ़ाए बिना यात्रा की अवधि एक दिन और चौकोड़ी में एक पड़ाव बढ़ाकर नये आकषर्ण उपलब्ध करा रहा है। इस प्रकार अब यात्री शिव के कत्यूरी स्थापत्य कला के अनूठे मंदिर बैजनाथ, बागेश्वर में शिव-शक्ति ब्याघ्रेश्वर, पाताल भुवनेश्वर गुफा, जौंलजीवी में ज्वालेश्वर तथा जागेश्वर में शिव के नागेश रूप के दर्शन भी कर पाएंगे। पूर्व में केवल ज्वालेश्वर व जागेश्वर के ही दर्शन हो पाते थे। 
स्मृति चिह्न देगा केएमवीएन 
कैलास यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों को पहली बार केएमवीएन स्मृति चिह्न देने जा रहा है। निगम के एमडी दीपक रावत ने बताया कि यात्रा की तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। यात्रा पूरी करने पर सभी यात्रियों को कुमाऊं की हस्तकला से निर्मित आकषर्क स्मृति चिह्न दिए जाएंगे। यात्रा में कुमाऊंनी भोजन तथा लोक संस्कृति से संबंधित लोक नृत्य, गीत आदि के जरिये मनोरंजन भी कराया जाएगा। भारतीय क्षेत्र के सभी 15 पड़ावों में स्थापित शिविरों में बीएसएनएल की सहायता से डीएसपीटी यानी डिजिटल सेटेलाइट फोन टर्मिनल स्थापित कर दिए गए हैं। एक जून को पहला बैच दिल्ली से चलकर काठगोदाम पहुंचेगा। इस दल के स्वागत के लिए वह स्वयं उपस्थित होंगे। 
स्वामी व रावत थे पहले यात्रा दल में शुमार 
केएमवीएन ने कैलास मानसरोवर यात्रा की शुरूआत वर्ष 1981 में की थी लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि पहली यात्रा में केवल तीन दलों में मात्र 59 यात्री शामिल हुए थे, इनमें वर्तमान भाजपा व पूर्व जनता पार्टी के बहुचर्चित नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी तथा उत्तराखंड के सांसद व केंद्रीय मंत्री हरीश रावत भी शामिल थे। वर्ष 1992 तक यात्रा में दलों की संख्या छह-सात तथा यात्रियों की संख्या 150-250 के बीच रही। उत्तराखंड बनने के बाद 2000 में पहली बार 16 दल भेजे गए। 2008 में चीन में विपरीत हालातों के कारण केवल आठ दल ही जा सके। इस बीच यात्रा के दौरान मालपा हादसा भी हुआ, जिसमें सिने कलाकार कबीर बेदी की पत्नी प्रोतिमा बेदी समेत अनेक तीर्थयात्रियों को जान गंवानी पड़ी थी।

शनिवार, 19 मई 2012

कुमाऊं की सैर में अब रोमांच के ज्यादा मौके


नवीन जोशी, नैनीताल। साहसिक खेलों की अपार संभावनाओं वाले कुमाऊं मंडल में आने वाले सैलानी अब यहां प्राकृतिक सौंदर्य के साथ साहसिक पर्यटन का आनंद भी उठा पाएंगे। मंडल में पर्यटन गतिविधियों का सर्वप्रमुख उपक्रम कुमाऊं मंडल विकास निगम- केएमवीएन मंडल में जल, थल के साथ ही वायु संबंधी हर तरह के साहसिक खेलों का आयोजन करने की नयी कार्ययोजना तैयार कर रहा है। केएमवीएन साहसिक खेलों को अपने पर्यटन कलेंडर में शामिल करने की योजना बना रहा है। 
Hot Air Ballooning in Nainital, Flat Ground (1890)
निगम वर्तमान में कैलाश मानसरोवर यात्रा के साथ ही छोटा कैलाश यानी ऊं पर्वत तथा पिंडारी, सुंदरढूंगा, काफनी, मिलम व पंचाचूली के लिए ट्रैकिंग कराता है। निगम ने मुनस्यारी में स्नो स्कीइंग के प्रबंध किये हैं, साथ ही रामेश्वर घाट में वाटर राफ्टिंग व मत्स्य आखेट, पंचेश्वर में एंगलिंग व भीमताल में कयाकिंग, केनोइंग जैसी जल क्रीड़ाएं व नौकुचियाताल में पैराग्लाइडिंग कराई जाती है। उल्लेखनीय है कि निगम ने अभी हाल में 44.33 करोड़ रुपये का ‘मेगा सर्किट प्रपोजल ऑन एडवेंचर टूरिज्म’ प्रोजेक्ट तैयार किया है, जिसका अभी हाल में केंद्र सरकार के पर्यटन सचिव आरएच ख्वाजा निरीक्षण कर चुके हैं। मंडल में साहसिक पर्यटन की अपार संभावनाओं को उपयोगी बनाने के लिए तथा इस प्रोजेक्ट पर अपनी ओर से तैयारियां शुरू होने जा रही हैं। कुमाऊं मंडल विकास निगम के नये प्रबंध निदेशक दीपक रावत ने बताया कि आगे निगम की योजना हवा में पैराग्लाइडिंग, हॉट एयर बैलूनिंग, यहां की झीलों में कयाकिंग, केनोइंग तथा जमीन पर परंपरागत ट्रैकिंग के साथ ही माउंटेनियरिंग, स्नो स्कीइंग जैसे रोमांचक साहसिक खेल के इच्छुक सैलानियों के लिए उपलब्ध कराएंगे। इसकी विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जाएगी। 

यहां प्रस्तावित हैं साहसिक खेल 
नैनीताल में गर्म हवा के गुब्बारों पर उड़ान 
बागेश्वर में नये हीरामणि ग्लेशियर में ट्रैकिंग 
सिनला पास, दारमा वैली व पंचाचूली बेस तथा मिलम, नंदादेवी बेस के नये ट्रेकिंग सर्किट 
मुनस्यारी में स्नो स्कीइंग 
बिंता-द्वाराहाट व पिंडारी रूट के धाकुड़ी में पैराग्लाइडिंग 
भिकियासैंण के त्यूराचौड़ा व हरिपुरा में जल क्रीड़ा

मंगलवार, 15 मई 2012

नैनीताल में 1976-77 में हुई थी ग्लैडय़ूलाई के फूलों व बटन मशरूम के उत्पादन की शुरूआत


यादें सहेजने नाती-पोतों के साथ डीएम आवास पहुंचे सेठी 

नवीन जोशी, नैनीताल। नैनीताल जनपद की पहचान ग्लैडय़ूलाई के फूलों व बटन मशरूम के उत्पादन के रूप में भी होती है, कम ही लोग जानते होंगे कि जनपद में इन दोनों कायरे की शुरूआत वर्ष 1976-77 में संयुक्त नैनीताल (वर्तमान नैनीताल व ऊधमसिंह नगर) जनपद के तत्कालीन डीएम रवि मोहन सेठी ने की थी। उन्होंने पश्चिम बंगाल के कालिंगपोंग व दार्जिलिंग से उस दौर में एक लाख रुपये के ग्लैडय़ूलाई बल्ब लाकर इस कार्य की शुरूआत की थी। खुद को अपनी आत्मकथा में ‘एन अन सिविल सव्रेट’ कहने वाले 1970 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी मंगलवार को 35 वर्षो के बाद अपने नाती-पोतों, बच्चों व पत्नी के साथ अपने पूर्व डीएम आवास पहुंचे तो वहां की एक-एक चीज से अपने जुड़ाव के पलों को याद करते हुए गद्गद् हो गये। एक मुलाकात में जनपद के 30 वें डीएम रहे श्री सेठी (वर्तमान डीएम निधिमणि त्रिपाठी 60वीं डीएम हैं) ने बताया कि वह आपातकाल का दौर था। उस दौरान उन्होंने जिले में ग्लैडय़ूलाई व बटन मशरूम की शुरूआत जिला परिषद के वन पंचायतों की निधि से की थी। इसके लिए आलू विकास अधिकारी श्री रहमान को कालिंगपोंग व दार्जिलिंग भेजा गया था। ग्लैडय़ूलाई की एक कली तब एक से सवा रुपये में बिकती थी और खूब पसंद की जाती थी। मुख्यालय में कूड़ा खड्ड के पास इसके उत्पादन के लिए भूमि नगर के अनिल साह को लीज पर दी गई। तैयार ग्लैडय़ूलाई को केएमयू व रोडवेज की बसों से सीधे दिल्ली ले जाने के प्रबंध किये गये, परिणामस्वरूप पहले वर्ष ही करीब 20 हजार रुपये का लाभ हुआ था लेकिन धीरे-धीरे मशरूम उत्पादन में बाहर से पुआल लाने जैसी दिक्कतें आई। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान एसडीएम व पुलिस सीओ के स्तर से पहले 128 और बाद में 64 पत्रकारों को मीसा के तहत प्रतिबंधित व जेल में डालने की सिफारिश की गई थी, पर जनपद में ऐसा नहीं किया गया। केवल दो पत्रकार ही बंद किये गये। उन्होंने बताया कि करीब डेढ़ दशक पूर्व उन्होंने निजी कारणों से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी और अब कई निजी कार्यों  में व्यस्त हैं।


तिवारी को सराहा

नैनीताल। पूर्व आईएएस अधिकारी रवि मोहन सेठी तत्कालीन सीएम पं. नारायण दत्त तिवारी के बड़े प्रशंसक हैं। उन्होंने खुलासा किया कि उनके (सेठी के) पूर्व पद सूचना निदेशक के रूप में क्षमताओं को देखते हुए तिवारी ने उन्हें बेहद युवा होने के बावजूद अपने गृह जनपद की जिम्मेदारी दी थी। वह तिवारी के निजी सचिव भी रहे। बकौल सेठी श्री तिवारी में विकास की अमिट भूख थी, वह रात्रि एक-डेढ़ बजे से लेकर सुबह छह बजे तक भी विकास कायरे की जानकारी लेते रहते थे। उनमें ‘इनर्जी लेवल’, याददाश्त, विकास कायरे का ‘फालोअप’ करने की क्षमता अद्वितीय थी, वह विरोधियों के कायरे को भी पूरी तरजीह देते थे।


रविवार, 6 मई 2012

हल्द्वानी में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनेगा

अंतरराष्ट्रीय खेल मैदान के लिए 37 एकड़ भूमि तलाशने की कसरत शुरू, कल देहरादून में बैठक

हल्द्वानी (एसएनबी)। राज्य सरकार अंतरराष्ट्रीय खेल मैदान के साथ हल्द्वानी में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी बनाने जा रही है। इसके लिए शासन स्तर पर कसरत शुरू हो गई है। सोमवार को इस मामले में देहरादून में बैठक बुलाई गई है। बैठक में अंतरराष्ट्रीय खेल मैदान के क्षेत्रफल में वृद्धि पर निर्णय लेने के अलावा हवाई अड्डे के लिए जमीन की तलाश का काम शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही हल्द्वानी एक बड़े शहर के रूप में राष्ट्रीय फलक पर दिखाई देगा। काबीना मंत्री डा. इंदिरा हृदयेश ने बताया कि पिछली कांग्रेस सरकार ने हल्द्वानी में अंतरराष्ट्रीय खेल मैदान की नींव रखी थी। इस मैदान को आस्ट्रेलिया के सिडनी मैदान की तरह बनाया जाना था। खंडूड़ी सरकार ने खेल मैदान का दोबारा शिलान्यास करने के साथ इसके क्षेत्रफल में कटौती कर दी। अब कांग्रेस सरकार इस खेल मैदान का क्षेत्रफल बढ़ाने जा रही है। अब तक मैदान का कुल क्षेत्रफल 35 एकड़ है। इसमें 37 एकड़ जमीन और जोड़ी जा रही है। इसके लिए खेल मंत्रालय ने अधिकारियों को आदेश जारी कर दिए हैं। डा. हृदयेश ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल मैदान के लिए 72 एकड़ जमीन की आवश्यकता है। 35 एकड़ जमीन केंद्रीय वन मंत्रालय पहले ही राज्य सरकार को दे चुका है। अब 37 एकड़ जमीन के लिए केंद्रीय वन मंत्रालय से ग्रीन सिग्नल लेना होगा। इसके बाद यह जमीन खेल मंत्रालय के अधीन आ जाएगी। इस स्टेडियम के निर्माण के लिए सरकार बहुविकल्पीय रुख अपनाने जा रही है। पीपीपी मोड पर भी स्टेडियम का निर्माण कराया जा सकता है। डीपीआर आदि बनाने के लिए 25 करोड़ रुपये पहले से ही स्वीकृत किया गया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार कुछ प्रतिष्ठित कापरेरेट सेक्टर इस स्टेडियम का निर्माण करना चाहते हैं। इसका प्रस्ताव सरकार को मिल चुका है। डा. हृदयेश ने इसकी पुष्टि की। खेल मैदान के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर का खेल काम्प्लेक्स बनाया जाना है। इसमें क्रिकेट से लेकर विभिन्न अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल आयोजित किये जा सकते हैं। सूत्रों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय खेल मैदान के साथ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण भी सरकार की प्राथमिकता में है। अभी तक कुमाऊं में हल्द्वानी से 24 किमी दूर पंतनगर एयरपोर्ट है। यह एयरपोर्ट अभी हवाई पट्टी के रूप में ही विकसित हो पाया है। पंतनगर में औद्योगिक आस्थान के विकसित होने के कारण यह एयरपोर्ट काफी व्यस्त हो गया है। इसके विपरीत सामरिक और पर्यटन विकास की दृष्टि से हल्द्वानी में अंतरराष्ट्रीय स्तर के एयरपोर्ट की जरूरत लंबे समय से महसूस की जाती रही है। कुमाऊं का काफी इलाका नेपाल और तिब्बत से जुड़ा है। पिथौरागढ़ की नैनी सैनी हवाई पट्टी भी अभी तक तैयार नहीं हो पाई है। डा. हृदयेश के अनुसार खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने और पर्यटन विकास के लिए हल्द्वानी में हवाई अड्डे का निर्माण जरूरी है। उन्होंने बताया कि इन तमाम बिंदुओं पर बातचीत के लिए सोमवार को दून में बैठक बुलाई गई है। उन्होंने कहा कि हल्द्वानी को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए कई स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है। इसके लिए पीपीपी मोड पर भी कई काम किए जा सकते हैं।

शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

पहाड़ के लिए होगी अलग पुलिसिंग

डीजीपी ने कहा, भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप होगी पुलिस व्यवस्था
पहाड़ के लिए अलग मानक बनेंगे, सामुदायिक सहभागिता, रात्रि गश्त और पिकेटिंग को बढ़ाया जायेगा
नैनीताल (एसएनबी)। उत्तराखंड पुलिस पहाड़ की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप अलग पुलिस व्यवस्था लागू करेगी। पुलिस महानिदेशक विजय राघव पंत ने बताया कि पहाड़ के लिए मैदानी क्षेत्रों से अलग पुलिस व्यवस्था के मानक भी तय किये जाएंगे। पहाड़ पर पुलिस सामुदायिक सहभागिता पर बल देगी। पहाड़ी शहरों में रात को पैदल गश्त की जायेगी। शहरों के प्रवेश द्वारों पर पिकेट लगाकर वाहनों की जांच होगी। डीजीपी ने इस व्यवस्था को लागू करने से पूर्व पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित करने की बात भी कही, ताकि पिकेट या रात्रि गश्त आमजन की परेशानी या वाहनों से वसूली का अड्डा न बन जाएं। उन्होंने पहाड़ पर घुड़सवार पुलिस की तैनाती तथा मोटरसाइकिलों की बजाय पैदल या साइकिलों से गश्त कराने की बात कही। शुक्रवार को मुख्यालय में डीजीपी पंत ने पत्रकारों से कहा कि पहाड़ में मैदानी क्षेत्रों के मानकों पर पुलिस व्यवस्था चल रही है। यहां भौगोलिक परिस्थितियों के साथ अपराधों की संख्या और प्रकार में अंतर है। पहाड़ में हत्या और डकैती जैसे बड़े अपराधों की बजाय छोटी-छोटी चोरियां जैसे अपराध अधिक होते हैं। इनसे समाज में भय का माहौल बनता है। ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए पहाड़ के लिए अलग पुलिसिंग के मानक बनाये जा रहे हैं। उन्होंने पुलिसकर्मियों को वाहनों की बजाय पैदल चलने पर जोर देते हुए कहा कि वे जनता से मिलें-जुलें, ताकि जनता उन्हें सहजता से शिकायतें बता सकें। उन्होंने कहा कि पुलिस के पास अपराध संबंधी अधिक कार्य नहीं होते इसलिए वह निराश्रित रोगियों को अस्पताल पहुंचाने जैसे सामुदायिक सहभागिता के कार्य कर सकती है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के दो दर्जन से अधिक घुड़सवार पुलिस के जवान प्रशिक्षित किये जा चुके हैं। इनकी एक टुकड़ी हल्द्वानी में स्थापित होगी। इनका जरूरत पड़ने पर पहाड़ में उपयोग किया जा सकेगा। उन्होंने प्रदेश के चार जिलों में महिला पुलिस कप्तानों की तैनाती को प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने तथा महिला सशक्तीकरण की दिशा में कदम बताया। उन्होंने सीमावर्ती पुलिस थानों और चौकियों के सुदृढ़ीकरण तथा यहां कार्यरत पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित करने की बात भी कही।

इतिहास बन जायेंगे कुमाऊँ-गढ़वाल


पुलिस के कुमाऊं-गढ़वाल परिक्षेत्र समाप्त हो ने के बाद अब कमिश्नरी समाप्त किये जाने के लगाए जा रहे कयास

नवीन जोशी नैनीताल। प्रदेश सरकार ने राजनीतिक लाभ-हानि के लिहाज से गढ़वाल और कुमाऊं परिक्षेत्र को समाप्त करने की अधिसूचना जारी नहीं की है मगर दोनों रेंजों को दो-दो हिस्सों में बांट दिया है। दोनों रेंजों से आईजी स्तर के अधिकारियों को वापस बुला लिया है। राज्य की नई पुलिस व्यवस्था के लिहाज से गढ़वाल के बाद कुमाऊं परिक्षेत्र भी समाप्त हो गया है। अब प्रशासनिक विकेंद्रीकरण के नाम पर इन मंडलों की कमिश्नरी के टूटने के कयास लगाये जा रहे हैं। प्रदेश के कुमाऊं व गढ़वाल अंचलों की अंग्रेजों से भी पूर्व भी ऐतिहासिक पहचान रही है। कुमाऊं में 1816 से नैनीताल से ‘कुमाऊं किस्मत’ कही जाने वाली कुमाऊं कमिश्नरी की प्रशासनिक व्यवस्था देखी जाती थी। ‘कुमाऊं किस्मत’ के पास वर्तमान कुमाऊं अंचल के साथ ही अल्मोड़ा जिले के अधीन रहे गढ़वाल की अलकनंदा नदी के इस ओर के हिस्से की जिम्मेदारी भी थी। ब्रिटिश शासनकाल में डिप्टी कमिश्नर नैनीताल इस पूरे क्षेत्र की प्रशासनिक व्यवस्था देखते थे। आजादी के बाद 1957 तक यहां प्रभारी उपायुक्त व्यवस्था संभालते रहे। 1964 से नैनीताल में ही पर्वतीय परिक्षेत्र का मुख्यालय था। इसके अधीन पूरा वर्तमान उत्तराखंड यानी प्रदेश के दोनों कुमाऊं व गढ़वाल मंडल आते थे। एक जुलाई 1976 से पर्वतीय परिक्षेत्र से टूटकर कुमाऊं परिक्षेत्र अस्तित्व में आया। यह व्यवस्था अब समाप्त कर दी गई है। इसके साथ ही नैनीताल शहर से पूरे कुमाऊं मंडल का मुख्यालय होने का ताज छिनने की आशंका है। इससे लोगों में खासी बेचैनी है। नगर पालिका अध्यक्ष मुकेश जोशी का कहना है कि इससे निसंदेह मुख्यालय का महत्व घट जायगा। अब मंडल वासियों को मंडल स्तर के कार्य करने के लिए देहरादून जाना पड़ेगा, क्योंकि वरिष्ठ अधिकारी वहीं बैठेंगे। वरिष्ठ पत्रकार व राज्य आंदोलनकारी राजीव लोचन साह का कहना है कि वह छोटे से प्रदेश में मंडल या पुलिस जोन की व्यवस्था के ही खिलाफ हैं। नये मंडल केवल नौकरशाहों को खपाने के लिए बनाये जा रहे हैं। 

बुधवार, 18 अप्रैल 2012

नैनीताल का गौरव दुर्गापुर पावर हाउस होने वाला है नीलाम


ब्रेवरी से नैनीताल को रोपवे निर्माण की थी मूल योजना

नवीन जोशी नैनीताल। अंग्रेज नियंताओं द्वारा नगर के पास दुर्गापुर में स्थापित पनबिजलीघर ने नैनीताल नगर को देश के किसी भी पर्वतीय शहर में सबसे पहले बिजली से रोशन होने वाले शहरों में शामिल होने का गौरव दिलाया था। बिजलीघर की स्थापना के पीछे मूल उद्देश्य दुर्गम भौगौलिक क्षेत्र में स्थित कुदरत के नायाब तोहफे नैनीताल नामक स्थान को निकटवर्ती ब्रेवरी को रोपवे से जोड़ना था। 
यह वह दौर था जब नैनीताल को 1841 में वर्तमान स्वरूप में खोजने के बाद लंबे समय तक अंग्रेज नियंता नगर के लिए आसान यातायात का साधन उपलब्ध नहीं करा पा रहे थे। तब बैलगाड़ियां ही नैनीताल आने का प्रमुख साधन थीं। नगर की कमजोर भौगोलिक संरचना तथा बेहद ऊंचाई पर स्थित होने के कारण नैनीताल के लिए सड़क भी आसानी से नहीं बन पा रही थी। इसी कारण रेल लाइन बिछाने की योजना पहले ही खटाई में पड़ चुकी थी, ऐसे में अंग्रेज शासकों के मन में विचार आया कि ब्रेवरी-वीरभट्ठी से नगर के लिए रोपवे के जरिये आगमन का सरल तरीका ईजाद किया जाए। इसके लिए 1916-19 में वीरभट्ठी के पास ही दुर्गापुर में नैनी झील से पानी ले जाकर पनबिजलीघर स्थापित किये जाने की योजना बनी। रोपवे तो कमजोर भौगोलिक संरचना के कारण नहीं बन पाया अलबत्ता एक सितम्बर 1922 को नैनीताल बिजली के बल्बों से जगमगाने वाले देश के पहले पर्वतीय शहरों में शामिल जरूर हो गया। बिजलीघर के निर्माण में पीडब्ल्यूडी के साथ मसूरी नगर पालिका के विद्युत अभियंता मिस्टर बेल व इंग्लैंड की मैथर एंड प्लाट्स, गिलबर्ट एंड गिलकर व एकर्सन हीप कंपनियों की मुख्य भूमिका रही। इन कंपनियों की विशालकाय मशीनों, टर्बाइन व अल्टर्ननेटर आदि मशीनों को इंग्लैंड से पानी के जहाजों, रेल और बैलगाड़ियों के माध्यम से लाया गया। बिजलीघर की प्रारंभिक लागत 11,09,429 रुपये थी लेकिन वास्तविक तौर पर इस योजना पर कुल 20,72,383 रुपये लगे।
बिजलीघर नैनी झील के ओवरफ्लो होने वाले पानी से चलता था। आबादी बढ़ने के साथ 80 के दशक में पानी कम होने लगा। इधर पांच जनवरी 88 को बलियानाला क्षेत्र में भारी भूस्खलन से बिजलीघर को पानी लाने वाली पेन- स्टॉक पाइप लाइनें टूट गई। इसके बाद धीरे-धीरे बिजलीघर बंद हो गया। इधर पन विद्युत निगम व नगर पालिका के बीच बंद पड़े बिजलीघर के स्वामित्व को लेकर लंबे समय तक चला विवाद आखिर पालिका के पक्ष में गया। पालिका ने यहां पर गरीबों के लिए आवास बनाने की योजना बनाई। साथ ही बिजलीघर की मशीनों को नीलाम करने का फैसला भी कर लिया गया है। जिसके बाद नगर वासी इस ऐतिहासिक विरासत को नीलाम होने से बचाने के लिए आगे आये हैं। 

सोमवार, 16 अप्रैल 2012

स्वैप में भ्रष्टाचार, बड़ा घोटाला संभव : विस अध्यक्ष


नैनीताल (एसएनबी)। विस अध्यक्ष जल संस्थान एवं जल निगम की समीक्षा करने के दौरान बिफर उठे और कहा कि जन भागेदारी से चलने वाली स्वैप योजना में अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार किया जा रहा है और यदि जांच कराई जाए तो बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है। योजना में ग्रामीणों की कोई भागेदारी नहीं होती। ग्राम सभा की खुली बैठकों के बजाय विभागीय अधिकारी और ग्राम प्रधान गुपचुप योजनाएं बना लेते हैं। कई बार प्रधान धनराशि भी अपनी जेब से दे देता है। उन्होंने कहा कि अधिकारी योजना के ग्राम सभा को हस्तांतरित होने का हवाला देकर बच जाते हैं, जबकि तकनीकी परामर्श और पैसे का लेन-देन उन्हीं के द्वारा होता है। स्वैप की अधिकांश योजनाएं शुरू से बंद पड़ी हैं। स्वैप योजना के साथ शौचालय बनने थे व जल स्रेतों को पुनर्जीवित करने का कार्य भी होना था, पर नहीं किया गया है। उन्होंने अल्मोड़ा जिले व अपने विस क्षेत्र में अनेक योजनाओं पर मरम्मत में भी करोड़ों रुपये खर्च के बावजूद अभी तक पानी नहीं पहुंचने, डालमी, स्योंनरी जैसी योजनाओं के एक वर्ष से बंद होने तथा सरयू-दन्या-बेलख योजना को राजनीतिक दुराग्रह से पांच वर्ष से लटकाने के आरोप अधिकारियों पर लगाया।

उत्तराखंड को अपनी कार्य संस्कृति विकसित करने की जरूरत : कुंजवाल

विस अध्यक्ष ने कहा राज्य की अवधारणा के अनुरूप ठोस कार्ययोजना बनाकर करना होगा विकास

नैनीताल (एसएनबी)। विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि प्रदेश में यूपी के र्ढे पर ही कार्य हो रहे हैं। प्रदेश की अपनी कोई कार्य संस्कृति विकसित नहीं हुई, जिस कारण आदर्श राज्य बनाने की कल्पना भी साकार नहीं हुई है। ऐसे में पुन: यूपी जैसे ही हालात उत्पन्न होने का खतरा है। ऐसे में प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों व वातावरण के अनुकूल ठोस कार्ययोजना बनाने की जरूरत है। सोमवार को पत्रकार वार्ता में श्री कुंजवाल ने कहा कि राज्य में योजनाबद्ध नहीं वरन राजनीतिक दबाव के तहत विकास कार्य हुए हैं। विस अध्यक्ष होने के नाते वह सभी दलों के विधायकों, राजनीतिक दलों से अपील करेंगे कि सभी इस दिशा में सोचें। विस का सत्र लंबा चले और सबको नियमानुसार अपने क्षेत्रों की समस्याएं रखने का मौका मिले, ताकि विस सरकार को आवश्यक निर्देश दे सकें, ऐसी कोशिश करेंगे। पहाड़ पर प्राकृतिक जल स्रेतों को रिचार्ज करने का कार्य नहीं हुआ, जिस कारण कमाबेश सभी जल स्रेत बंद हो गए हैं और आगे गुरुत्व आधारित पेयजल योजनाओं से काम चलने वाला नहीं है। उन्होंने प्रदेश में कृषि व उद्यान आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने की आवश्यकता जताई। इस मौके पर स्थानीय विधायक सरिता आर्या, कांग्रेस नगर अध्यक्ष मारुति नंदन साह, डा. महेंद्र पाल, डा. हरीश बिष्ट, डीएन भट्ट, धीरज बिष्ट, पान सिंह रौतेला, दिनेश कुंजवाल, अजमल हुसैन व मुन्नी तिवाड़ी आदि मौजूद थे। 


‘रावत को नकारा गया बार-बार’
नैनीताल। विस अध्यक्ष होने के नाते स्वयं को पार्टी हित से ऊपर बताने के बीच कांग्रेस नेता गोविंद सिंह कुंजवाल पार्टी नेता हरीश रावत की ओर इशारा करते हुए स्वयं को यह कहने से नहीं रोक पाए कि कांग्रेस पार्टी ने ‘काम करने वाले व्यक्ति’ को मौका नहीं दिया, और बार-बार नकारा।


कागजी घोड़े न दौड़ाएं अधिकारी और अभियंता

कहा, फील्ड में जाएं, वरना खुद साथ लेकर जाऊंगा मंडलीय समीक्षा में कड़े तेवर दिखाए विस अध्यक्ष ने

नैनीताल (एसएनबी)। अपनी पहली मंडल स्तरीय समीक्षा बैठक में विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कड़े तेवर दिखाए। बैठक में कमोबेश अल्मोड़ा जनपद और अपने विस क्षेत्र तक सीमित रहे कुंजवाल ने चेतावनी दी कि अधिकारी बैठकों में पूरी जानकारियों के साथ आएं और अभियंता कार्यालयों में बैठने के बजाय धरातल पर जाकर योजनाओं का स्वयं निरीक्षण करें। बैठकों में कागजी आंकड़े पेश करने के बजाय जनता को संतुष्ट करने की मनोवृत्ति बनाएं। उन्होंने जल संस्थान के महाप्रबंधक को अपने विस क्षेत्र के धौलादेवी व लमगड़ा ब्लाकों में करोड़ों रुपये खर्च के बावजूद पेयजल उपलब्ध न होने के कारणों की जांच कराने के निर्देश दिये और कहा कि फिलहाल वह अपने क्षेत्र की ही बात कर रहे हैं, आगे सभी जगहों के आंकड़ों के साथ समीक्षा करेंगे और अधिकारियों को साथ ले जाकर योजनाओं की हकीकत दिखाएंगे। उन्होंने अधिकारियों को राजनीति से दूर रहने की सलाह भी दी। सोमवार को नैनीताल क्लब में आयोजित बैठक में विस अध्यक्ष ने स्वास्थ्य विभाग से शुरू करते हुए जल संस्थान, जल निगम, शिक्षा, लोनिवि आदि विभागों के मंडलीय अधिकारियों की क्लास ली। अस्पतालों में वर्षो से नई मशीनों के बंद पड़े होने, अस्पतालों के बंद पड़े होने, मरीजों को अस्पताल से दवा न मिलने, रमसा के तहत दो वर्ष से स्वीकृत स्कूल न खुलने, सड़कों के बनते ही डामरीकरण उखड़ने, 1993 से स्वीकृत पुल के दुरुस्त न होने आदि मामलों में अधिकारियों को फटकार लगाई। उन्होंने मंडलायुक्त व डीएम को निर्देशित किया कि जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायतों की बैठकों में सक्षम अधिकारी अवश्य भाग लें। आयुक्त कुणाल शर्मा ने विस अध्यक्ष को आस्त किया कि उनके द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। बैठक में विधायक सरिता आर्या, डीएम निधिमणि त्रिपाठी, सीडीओ धीराज गब्र्याल, लोनिवि के मुख्य अभियंता केसी उप्रेती, जल संस्थान के जीएम एचएस पंत, पेयजल निगम के मुख्य अभियंता रवींद्र कुमार, एसई एके श्रीवास्तव, एडी-शिक्षा कुसुम पंत, एडी- पशुपालन डा. भरत चंद, प्रभारी एडी स्वास्थ्य डा. तारा आर्या, आरटीओ एसके सिंह, मंडल स्तरीय अधिकारी, नगर अध्यक्ष मारुति नंदन साह, धारी के ब्लाक प्रमुख कृपाल मेहरा, खजान पांडे, दिनेश कुंजवाल आदि मौजूद थे।


बार एसोसिएशन ने किया कुंजवाल का स्वागत

नैनीताल। विस अध्यक्ष के रूप में पहली बार मुख्यालय पहुंचे गोविंद सिंह कुंजवाल का उत्तराखंड हाईकोर्ट में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से स्वागत किया गया। इस मौके पर स्थानीय विधायक सरिता आर्या भी उनके साथ थीं। स्वागत करने वालों में बार एसासिएशन के अध्यक्ष डीएस पाटनी, सचिव विनोद तिवारी के साथ ही कांग्रेस के डा. भूपाल भाकुनी, बीसी कांडपाल आदि मौजूद रहे।

शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012

उत्तराखंड की नौकरशाही में हुए भारी फेरबदलों की पूरी सूची




::संशोधन::आशीष जोशी बने रहेंगे चंपावत के डीएम
प्रदेश शासन ने शुक्रवार को किए गए आईएएस अफसरों के तबादलों में कुछ फेरबदल किया है। शनिवार को अपर सचिव कार्मिक अरविन्द सिंह ह्यांकी ने बताया कि विगत दिन हुए प्रशासनिक अधिकारियों के स्थानांतरण में आंशिक संशोधन किया गया है। इसके तहत जिलाधिकारी चम्पावत आशीष जोशी यथावत रहेंगे। जिलाधिकारी उत्तरकाशी अक्षत गुप्ता को जिलाधिकारी अल्मोड़ा तथा मुख्य विकास अधिकारी वी. शणमुगम चमोली को जिला अधिकारी बागेश्वर स्थानांतरित किया गया है।