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शनिवार, 2 मार्च 2013

मापी जाएगी टेक्टोनिक प्लेटों की गतिशीलता

साफ होगी भारतीय प्लेट के तिब्बती प्लेट में धंसने की गति : प्रो. पंत
नवीन जोशी, नैनीताल। अब तक भूवैज्ञानिक सामान्यतया यह कहते आए हैं कि भारतीय उप महाद्वीप करीब 50 से 55 मिमी प्रति वर्ष की दर से उत्तर की ओर गतिमान है। इस दर से भारतीय टेक्टोनिक प्लेट तिब्बती प्लेट में समा रही है, लेकिन अब पहली बार भारतीय प्लेट की गति को ही उत्तराखंड के हिमालयों में विभिन्न टेक्टोनिक हिस्सों के बीच आपसी गतिशीलता के रूप में मापा जाएगा। इस हेतु केंद्रीय भूविज्ञान मंत्रालय की एक महत्वाकांक्षी परियोजना स्वीकृत हो गई है, जिसके तहत राष्ट्रीय भूभौतिक शोध संस्थान (एनजीआरआई) हैदराबाद और आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक कुमाऊं विवि के भूवैज्ञानिकों और उनके द्वारा पूर्व में स्थापित भूकंपमापी उपकरणों और नई जीआईएस पण्राली से जुड़े उपकरणों की मदद से भारतीय प्लेट की वास्तविक गति का पता लगाएंगे। उल्लेखनीय है कि देश में भूकंपों और भूगर्भीय हलचलों का मुख्य कारण भारतीय प्लेट के उत्तर दिशा की ओर बढ़ते हुए तिब्बती प्लेट में धंसते जाने के कारण ही है। बताया जाता है कि करीब दो करोड़ वर्ष पूर्व भारतीय प्लेट तिब्बती प्लेट से टकराई थी, और इसी कारण उस दौर के टेथिस महासागर में इन दोनों प्लेटों की भीषण टक्कर से आज के हिमालय का जन्म हुआ था। आज भी दोनों प्लेटों के बीच यह गतिशीलता बनी हुई है, और इसकी गति करीब 50 से 55 मिमी प्रति वर्ष बताई जाती है। इधर भूविज्ञान मंत्रालय की परियोजना के तहत हिमालय के हिस्सों- लघु हिमालय से लेकर उच्च हिमालय के बीच के विभिन्न भ्रंशों के बीच इस गतिशीलता को गहनता से मापा जाएगा। कुमाऊं विवि के भूविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. चारु चंद्र पंत ने बताया कि एनजीआरआई हैदराबाद के डा. विनीत गहलौत और आईआईटी कानपुर के प्रो. जावेद मलिक गंगा-यमुना के मैदानों को शिवालिक पर्वत श्रृंखला से अलग करने वाले हिमालय फ्रंटल थ्रस्ट, शिवालिक व लघु हिमालय को अलग करने वाले मेन बाउंड्री थ्रस्ट (एमबीटी), इसी तरह आगे रामगढ़ थ्रस्ट, साउथ अल्मोड़ा थ्रस्ट, नार्थ अल्मोड़ा थ्रस्ट, बेरीनाग थ्रस्ट व मध्य हिमालय से उच्च हिमालय को विभक्त करने वाले मेन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी) जैसे विभिन्न टेक्टोनिक सेगमेंट्स के बीच आपस में उत्तर दिशा की ओर गतिशीलता का गहन अध्ययन करेंगे। इस हेतु प्रदेश के पीरूमदारा, काशीपुर, कोटाबाग व नानकमत्ता व नैनीताल में जीपीएस आधारित उपकरण लगाए जाएंगे जो लंबी अवधि में इन स्थानों पर लगे उपकरणों की उनकी वर्तमान मूल स्थिति के सापेक्ष विचलन को नोट करते रहेंगे। इनके अलावा कुमाऊं विवि द्वारा कुमाऊं में भूकंप मापने के लिए मुन्स्यारी, तोली (धारचूला), नारायणनगर (डीडीहाट), धौलछीना और भराड़ीसेंण में लगाए गए उपकरणों की भी मदद ली जाएगी। 

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

सिडकुल में राज्य के बेरोजगारों को मिले सीधी नौकरी : बाबा


कहा, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद पर बदलाव की संभावना नहीं
नैनीताल (एसएनबी)। नैनीताल के सांसद केसी सिंह बाबा ने सिडकुल में राज्य के बेरोजगारों को सीधी नियुक्ति न देने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि ठेके या कांट्रेक्ट पर नौकरी में कोई भविष्य नहीं होता। वह सरकार से मांग करते हैं कि राज्य के बेरोजगारों को शासनादेश के अनुरूप 70 फीसद रोजगार सीधी भर्ती के जरिए मिले। उन्होंने सिडकुल की फैक्टरियों में ठीक से उत्पादन न होने व केवल डमी उत्पादन दर्शाए जाने को गंभीरता से लेते हुए स्वयं जायजा लेने की बात कही। प्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बदलाव की संभावनाओं से इनकार करते हुए उन्होंने उम्मीद जताई कि अध्यक्ष यथावत रहेंगे। 
शुक्रवार को कांग्रेस नगर अध्यक्ष के आवास पर आयोजित पत्रकार वार्ता में बाबा ने कहा कि गौला, कोसी आदि नदियों में एकमुश्त 10 वर्ष चुगान की अनुमति प्राप्त करना बड़ी जीत है। आगे काठगोदाम से मुंबई व चंडीगढ़ को तथा रामनगर से देहरादून के लिए सीधी ट्रेन चलाने, सितारगंज-किच्छा के बीच रेल लाइन का नया सर्वे कराने व काशीपुर से धामपुर तक रेल लाइन के लिए प्रयत्नशील हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राज मार्गों की मरम्मत का कार्य भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा करने के फैसले से दिक्कत आ रही है, समस्या के समाधान की कोशिश की जा रही है। सांसद निधि के वर्ष 2011-12 के प्रस्ताव पहले ही भेजे जा चुके हैं। देरी विभागीय स्तर पर हो रही है। प्रदेश का 67 फीसद घटाया गया मिट्टी तेल का कोटा बढ़ाने के लिए वे केंद्र से वार्ता करेंगे। महंगाई को बड़ी समस्या बताते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में गंभीर हैं। अगला लोस चुनाव लड़ने के बाबत उन्होंने कहा कि हर निर्णय स्वीकार्य होगा, वह हर हाल में 'बाबा' ही रहेंगे। पत्रकार वार्ता में सांसद प्रतिनिधिडा. हरीश बिष्ट, किशन लाल साह, सुरेश गुरुरानी, नगर अध्यक्ष मारुति साह व भगवती सुयाल आदि मौजूद रहे। 

कुमाऊं विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा देने के पक्ष में नहीं सांसद 
सांसद केसी सिंह बाबा ने कहा कि मौजूदा कुमाऊं विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा नहीं देना चाहिए। इस मामले में अपनी राय व्यक्त करते हुए बाबा ने कहा कि मौजूदा कुमाऊं विवि को यह दर्जा देने के बजाय नए विवि को यह दर्जा देना चाहिए। कुमाऊं विवि कर्मचारी संघ-कूटा के साथ ही कांग्रेस बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ कुमाऊं विवि को केंद्रीय दर्जा देने की मांग करते रहे हैं। कूटा महासचिव डा. ललित तिवारी ने कहा कि राज्य कैबिनेट के कुमाऊं विवि को ही केंद्रीय दर्जा देने का प्रस्ताव पारित करने के बाद अब इस मामले में विवाद नहीं होना चाहिए। गढ़वाल के बाद कुमाऊं विवि को यह दर्जा दिया जाना प्राकृतिक न्याय है। 

गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

कुमाऊं विवि के भौतिकी विभाग को "सेंटर फॉर एक्सीलेंस"



यूजीसी से मिलेंगे 1.37 करोड़ रुपये सेंटर फार एडवांस्ड स्टडीज बनेगा
नवीन जोशी, नैनीताल। कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर का भौतिकी विभाग पुन: अपने गौरव की ओर लौटता नजर आ रहा है। विभाग को विवि अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने ˜सेंटर फॉर एक्सीलेंस" बनाने की घोषणा कर दी है। इसके तहत विभाग को अगले पांच वर्षो में 1.31 करोड़ रुपये मिलेंगे, जिससे विभाग को सीएएस यानी सेंटर फॉर एडवांस स्टडीज यानी डीएसए के रूप में विकसित किया जाएगा। इस धनराशि से विभाग में स्नातकोत्तर व शोध के स्तर को बढ़ावा देने के लिए अत्याधुनिक उपकरण खरीदे जाएंगे, साथ ही विभाग से संबंधित बड़ी संगोष्ठियां व लेक्चर भी आयोजित किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि कुमाऊं विवि के भौतिकी विज्ञान विभाग के प्रो. डीडी पंत को कुमाऊं विवि के प्रथम कुलपति होने का सौभाग्य मिला था। प्रो. पंत की गिनती देश के बड़े वैज्ञानिकों में होती थी। इस लिहाज से विवि के भौतिकी विभाग का गौरवमयी इतिहास रहा है। इधर, बीते माह 21-22 जनवरी को यूजीसी की बैठक में भौतिकी विभागाध्यक्ष डा. संजय पंत द्वारा किए गए विभाग के प्रस्तुतीकरण के फलस्वरूप यह उपलब्धि हासिल हुई है। प्रो. पंत ने उम्मीद जताई कि इस उपलब्धि के बाद विभाग में पढ़ाई व शोध का स्तर बढ़ेगा। बताया कि विभाग को डीआरएस व डीएसए के बाद मिली यह तीसरी अवस्था है। वहीं कुलपति प्रो. राकेश भट्नागर ने विभाग की इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि इससे विभाग में काफी सारे अत्याधुनिक उपकरण प्राप्त होंगे। फलस्वरूप विद्यार्थी बेहतर सुविधाओं के साथ शोध कार्य कर पाएंगे, साथ ही उनके कार्य को देश-दुनिया में महत्व मिलेगा। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व विवि के भूगर्भ विज्ञान विभाग को ही यूजीसी से "सेंटर फार एक्सीलेंस" का पुरस्कार मिल पाया है।

प्रो. पंत ने अपने उपकरणों से की थी स्थापना
नैनीताल। कम ही लोग जानते होंगे कि डीएसबी परिसर की भौतिकी प्रयोगशाला देश की ऐसी पहली प्रयोगशाला है, जो प्रो. डीडी पंत ने अपने बनाए उपकरणों से 1954 से 1956 के बीच स्थापित की थी। आज भी यह प्रयोगशाला देश की श्रेष्ठ प्रयोगशालाओं में गिनी जाती है, और खासकर प्रकाश-भौतिकी (स्पेक्ट्रोस्कोपी) की प्रयोगशालाओं के मामले में उत्तर भारत की सर्वश्रेष्ठ प्रयोगशाला बताई जाती है।

मंगलवार, 22 जनवरी 2013

पांच दिन छोटी पर पांच हजार रुपये महंगी हुई कैलाश यात्रा




इस बार एक नहीं, 12 जून से शुरू होगी यात्रा
गत वर्षो के मुकाबले दो दल अधिक जाने के बावजूद एक माह कम अवधि में निपट जाएगी यात्रा
नवीन जोशी नैनीताल। विश्व भर में अनूठी धार्मिक यात्राओं में शुमार कैलाश मानसरोवर यात्रा इस बार गत वर्षो के मुकाबले पांच दिन कम अवधि में पूरी कर ली जाएगी। यात्रियों को कुमाऊं मंडल विकास निगम को ही पांच हजार रुपये अधिक देने होंगे। यात्रा में पिछले वर्ष ही जुड़ा चौकोड़ी रात्रि पड़ाव इस बार हटा दिया गया है, वहीं चीन में इस बार विगत वर्षो के मुकाबले चार दिन कम बिताने को मिलेंगे। इस वर्ष यात्रा परंपरागत एक जून के बजाय 12 जून से प्रारंभ होगी। यात्रा में गत वर्षो से दो अधिक यानी 18 दल जाएंगे। यात्रा पहले के मुकाबले करीब एक माह पहले ही नौ सितम्बर को पूरी हो जाएगी। विदेश मंत्रालय द्वारा जारी यात्रा के संभावित कार्यक्रम में यह बातें ध्यान आकषिर्त करतीं हैं। बीते वर्षो में यात्रा से केएमवीएन को प्रति यात्री 27 हजार रुपये मिलते थे, इस वर्ष 32 हजार मिलेंगे। पिछले वर्ष तक यात्रा एक जून से प्रारंभ होती थी, यानी पहला दल एक जून को दिल्ली से अल्मोड़ा पहुंचता था, इस बार ऐसा 12 जून को होगा। पहला दल 27 को वापस दिल्ली पहुंचता था, इस बार केवल 22 दिनों में ही अल्मोड़ा, धारचूला, सिरखा, गाला, बुदी, गुंजी (दो दिन- मेडिकल के लिए), नाभीढांग, तकलाकोट (दो दिन-चीन की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए), चीन में दारचेन, जुनजुई पू, कुगू (दो दिन), वापस तकलाकोट, गुंजी, बुदी, गाला, धारचूला व जागेर में रात्रि पड़ावों के साथ तीन जुलाई को वापस दिल्ली पहुंच जाएगा। इस बार पहली बार 18 दल जाएंगे। आखिरी दल 16 अगस्त को दिल्ली से चलेगा और नौ सितम्बर को लौट जाएगा।
केंद्र ने बंद की सब्सिडी
केएमवीएन हालांकि कैलाश-मानसरोवर यात्रा को लाभ के लिए आयोजित नहीं करता। बावजूद बिना लाभ के भी उसने इस वर्ष प्रति यात्री पांच हजार रुपये शुल्क बढ़ाए जाने की मांग भारत सरकार के विदेश मंत्रालय से की थी। विदेश मंत्रालय ने शुल्क तो पांच हजार बढ़ा दिया है। इस प्रकार यात्रियों की जेब से तो निगम के लिए अतिरिक्त पांच हजार रुपये निकलेंगे। भारत सरकार ने निगम को बीते वर्षो तक सामान्यतया सब्सिडी कहे जाने वाले प्रति यात्री 3,250 निगम को देने बंद कर दिये हैं। इस प्रकार निगम को इस वर्ष किराया पांच हजार बढ़ने के बावजूद केवल 1,750 ही प्रति यात्री अधिक मिलेंगे। निगम के एमडी दीपक रावत ने बताया कि वर्ष 2010-11 तक विकास शुल्क के रूप में यह राशि मिलती थी। पिछले वर्ष से यह राशि देने से मना कर दिया गया है।

गुरुवार, 6 दिसंबर 2012

न्यूनतम निविदा पर नहीं मिलेगा ठेका!


केएमवीएन ने गैस की होम डिलीवरी की ठेका व्यवस्था में किया परिवर्तन 
तय व्यावहारिक दर तीन रुपये से कम की निविदा होगी अस्वीकार 
"राष्ट्रीय सहारा" में छपी थी "एक पैसे पर आई निविदा" की खबर

नवीन जोशी नैनीताल। सामान्यतया किसी भी ठेके को प्राप्त करने के लिए सबसे कम धनराशि की निविदा देने एवं किसी वस्तु की नीलामी में सबसे बड़ी बोली बोलने की शर्त होती है, लेकिन कुमाऊं मंडल विकास निगम से घरेलू गैस की होम डिलीवरी का ठेका लेने के लिए अब पूरी तरह इस शर्त का पालन करना पर्याप्त नहीं होगा। वरन, अब निविदादाता को न्यूनतम तीन रुपये की तय व्यावहारिक दर से अधिक प्रति सिलेंडर की दर पर ही आवेदन करना होगा। इससे कम धनराशि की निविदा को अस्वीकार कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि गैस की होम डिलीवरी का ठेका हासिल करने के लिए ठेकेदारों में होड़ मची रहती है। इसी कारण गत दिनों निविदादाताओं ने रुद्रपुर में एक पैसा प्रति सिलेंडर, किच्छा में 10 पैसे प्रति सिलेंडर एवं बाजपुर में 25 पैसे प्रति सिलेंडर जैसी न्यूनतम धनराशि की निविदाएं आई थीं, जिन्हें निगम ने व्यावहारिक दर न मानते हुए अस्वीकार कर दिया है। उल्लेखनीय है कि केएमवीएन इंडियन ऑयल की कुमाऊं मंडल में घरेलू गैस की वितरण एजेंसी है। उसे होम डिलीवरी के लिए प्रति सिलेंडर 15 रुपये मिलते हैं। इस कार्य को निगम स्वयं करने के बजाय कुमाऊं में 29 एजेंसियों पर ठेकेदारों से कराता है। यूं तो न्यूनतम दर की निविदा पर ठेका देना निगम के लिए फायदे का सौदा है, लेकिन देखने में आता है कि ठेकेदार ठेका हासिल करने के लिए तो एक पैसा प्रति सिलेंडर जैसी अव्यावहारिक दरों पर ठेका हासिल करने का प्रयास करते हैं, किंतु बाद में होम डिलीवरी करने में आनाकानी करते हैं। गैस की ब्लैक मार्केटिंग के आरोप भी उन पर लगते रहते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए पूर्व में निगम के तत्कालीन एमडी चंद्रेश यादव ने भी प्रयास किये थे, जो सफल नहीं हो पाये। इधर वर्तमान एमडी दीपक रावत ने निगम के निदेशक मंडल को साथ लेकर न्यूनतम व्यावहारिक दरें तय करने के लिए निगम के जीएम, उप श्रम आयुक्त, जिला आपूर्ति अधिकारी व जिले के वित्त अधिकारी को शामिल करते हुए एक समिति का गठन किया। समिति ने गत 19 अक्टूबर को बैठक के बाद न्यूनतम तीन रुपये प्रति सिलेंडर की दरें तय कर दी हैं, जिससे कम दर की निविदा को अस्वीकार कर दिया जाएगा। श्री रावत ने कहा कि यह कदम उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधाएं देने तथा गैस की वितरण व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

19 एजेंसियों के लिए नये सिरे से निविदाएं आमंत्रित

नैनीताल। केएमवीएन ने न्यूनतम व्यावहारिक दरें तय करने के बाद अपनी 29 में से 19 गैस एजेंसियों में होम डिलीवरी के लिए नये सिरे से निविदाएं आमंत्रित कर दी हैं। निगम के जीएम प्रकाश चंद्र ने बताया कि 28 दिसम्बर तक हल्द्वानी, रुद्रपुर, बाजपुर, जसपुर, किच्छा, सल्ट, बागेश्वर, चंपावत, लोहाघाट, देवीधूरा, बेरीनाग, गरुड़, डीडीहाट, मुनस्यारी, भवाली, टनकपुर व धारचूला में होम डिलीवरी के लिए निविदा पत्र लिये जा सकते हैं। इनमें तीन रुपये प्रति सिलेंडर से अधिक दर पर निविदाएं डालनी होंगी। पूर्व में इससे कम दर की निविदाएं आने के कारण रुद्रपुर, किच्छा व बाजपुर में निविदा प्रक्रिया निरस्त कर दी गई थी।

सोमवार, 5 नवंबर 2012

गैरसैंण के लिए टू-लेन हाई-वे बनाने की तैयारी भी शुरू


गैरसैंण और पहाड़ के दिन बहुरने शुरू 
एनएच-87 ज्योलीकोट से घिंघारीखाल तक 109 किमी हिस्से की फाइल दौड़ी 
नवीन जोशी नैनीताल। प्रदेश की स्थायी राजधानी के रूप में प्रदेशवासियों की पसंद बताये जाने वाले गैरसैंण के दिन बहुरने शुरू हो गये हैं। दो दिन पूर्व ही गैरसैंण में पहली बार राज्य कैबिनेट की ऐतिहासिक बैठक हुई थी और अब एक और खुशखबरी है कि गैरसैंण के लिए टू-लेन हाईवे की फाइल दौड़ने लगी है। पहले चरण में राष्ट्रीय राजमार्ग-87 की ज्योलीकोट से अल्मोड़ा होते हुए रानीखेत के पास घिंघारीखाल तक 109 किमी लंबी सड़क की चौड़ाई दोगुनी यानी टू-लेन होने जा रही है। बाद में इसके गैरसैंण तक जुड़ने का प्रस्ताव है। 
केंद्र सरकार के भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी ताजा अधिसूचना के अनुसार एनएच-87 के ज्योलीकोट से घिंघारीखाल तक के हिस्से को देश के अन्य राष्ट्रीय राजमागरे के साथ विस्तारित करने की योजना के तहत टू-लेन किया जाना है। इसके लिए करीब तीन दर्जन गांवों की सीमा की भूमि पर सड़क विस्तार के कार्य किए जाएंगे। इन कायरे के लिए नैनीताल एवं अल्मोड़ा जनपद के जिलाधिकारियों से सक्षम प्राधिकारियों का नाम मांग लिया गया है। गौरतलब है कि देश की राजधानी से कुमाऊं जल्द ही फोर लेन से जुड़ने जा रहा है। रामपुर से काठगोदाम के शेष बचे एनएच के हिस्से को फोर लेन करने का नोटिफिकेशन होने के बाद अब सड़क के लिए आवश्यक भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है और काठगोदाम से ज्योलीकोट का एनएच-87ई यानी नैनीताल आने वाली सड़क का हिस्सा पहले ही टू- लेन है, इसलिए ज्योलीकोट से घिंघारीखाल तक के 109 किमी हिस्से को टू-लेन के रूप में परिवर्तित करने की कवायद शुरू हो गई है। नैनीताल जनपद में अधिग्रहण के लिए जरूरी भूमि के चिह्नांकन का होमवर्क शुरू हो गया है। डीएम निधिमणि त्रिपाठी ने पूछे जाने पर कहा कि एनएच-87 के चौड़ीकरण के लिए जरूरी भूमि के अधिग्रहण की तैयारी की जा रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि मार्ग के टू-लेन हो जाने से पूरे कुमाऊं वासियों को लाभ होगा। साथ ही पर्यटन एवं विकास को भी पंख लग जाएंगे। गौरतलब है कि पहाड़ के राष्ट्रीय राजमागरे को टू- लेन करने का प्रस्ताव तत्कालीन केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने तैयार कर दिया था, लेकिन देर से ही सही यह प्रस्ताव अब फाइलों में दौड़ने लगा है

इन गांवों की सीमा में होगा चौड़ीकरण
नैनीताल। केंद्रीय भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी ताजा अधिसूचना के अनुसार नैनीताल के बलुवाखान चक देवलागढ़, चक गेठिया, कुरिया गांव, भवाली के सेनिटोरियम, कहलक्वीरा, मल्ला निगलाट, तल्ला निगलाट, हरतपा, बारगल, छड़ा, लोहाली, जौरासी, जोगी नौली, जोगी माड़े, मनर्सा, गंगोरी, गगरकोट, औलिया गांव, सुयालबाड़ी, सिर्सा, चोपड़ा व क्वारब, अल्मोड़ा के चौसली, बड़सिमी, देवली, खत्याड़ी, अल्मोड़ा नगर पालिका के बाहर बाईपास क्षेत्र, पांडेखोला, सुनौला मल्ला, सिमकुड़ी, अघेली सुनार, अघेली तेवाड़ी, सुनौला तल्ला, रैलाकोट, मटेला, लायम स्टेट फार्म हवालबाग, कटारमल, शौले, ज्यौली, स्यूना, क्वेराली, कयेला, गढ़वाली, कुरचौड़ा, तुस्यारी व सिमल्टा और रानीखेत के बबूरखोला, डीडा, तल्ली रियूनी, मल्ली रियूनी, नैणी व डडगल्या गांवों की सीमा में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-87 के विस्तार के लिए अपेक्षित कार्य होने हैं।


बुधवार, 25 जुलाई 2012

जिंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर..

पत्नी के हाथों की मेहंदी के सूखने से पहले ही देश पर कुर्बान हो गया मेजर राजेश  
नवीन जोशी, नैनीताल। करगिल शहीद दिवस जब भी आता है, वीरों की भूमि उत्तराखंड का नैनीताल शहर भी गर्व की अनुभूति के साथ अपने एक बेटे, भाई की यादों में खोये बिना नहीं रह पाता। नगर का यह होनहार बेटा देश के दूसरे सर्वोच्च वीरता पुरस्कार महावीर चक्र विजेता मेजर राजेश अधिकारी था, जो मां के बुढ़ापे का सहारा बनने व नाती-पोतों को गोद में खिलाने के सपनों और शादी के नौ माह के भीतर ही पत्नी के हाथों की हजार उम्मीदों की गीली मेंहदी को सूखने से पहले ही एक झटके में तोड़कर चला गया। 
मेजर राजेश अधिकारी ने जिस तरह देश के लिये अपने प्राणों का सर्वोच्च उत्सर्ग किया, उसकी अन्यत्र मिसाल मिलनी कठिन है। 29 वर्षीय राजेश 18 ग्रेनेडियर्स रेजीमेंट में तैनात थे। वह मात्र 10 सैनिकों की टुकड़ी का नेतृत्व करते हुए 15 हजार फीट की ऊंचाई पर तोलोलिंग चोटी पर पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा स्थापित की गई पोस्ट को दुश्मन के कब्जे से मुक्त कराने के इरादे से आगे बढ़े थे। इस दौरान सैनिकों से कई फीट आगे रहते हुऐ चल रहे थे, और इस कारण घायल हो गये। इसके बावजूद वह अपने घावों की परवाह किये बगैर आगे बढ़ते रहे। वह 30 मई 1999 का दिन था, जब मेजर राजेश प्वाइंट 4590 चोटी पर कब्जा करने में सफल रहे, इसी दौरान उनके सीने में दुश्मन की एक गोली आकर लगी, और उन्होंने बंकर के पास ही देश के लिये असाधारण शौर्य और पराक्रम के साथ सर्वोच्च बलिदान दे दिया। युद्ध और गोलीबारी की स्थितियां इतनी बिकट थीं कि उनका पार्थिव शरीर करीब एक सप्ताह बाद युद्ध भूमि से लेकर नैनीताल भेजा जा सका। राजेश ने नगर के सेंट जोसफ कालेज से हाईस्कूल, जीआईसी (जिसके नाम में अब उनका नाम भी जोड़ दिया गया है) से इंटर तथा डीएसबी परिसर से बीएससी की पढ़ाई की थी। पूर्व परिचित किरन से उनका विवाह हुआ था। परिजनों के अनुसार यह ‘लव कम अरेंज्ड’ विवाह था। लेकिन शादी के नौ माह के भीतर ही वह देश के लिये शहीद हो गये। उनकी शहादत के बाद परिजनों ने उनकी पत्नी को उसके मायके जाने के लिये स्वतंत्र कर दिया। वर्तमान में सैनिक कल्याण विभाग के अनुसार किरन ने पुर्नविवाह कर लिया। उनकी माता मालती अधिकारी अपने पुत्र की शहादत को जीवंत रखने के लिये लगातार संघर्ष करती रहीं, जिसके बावजूद उन्हें व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक दोनों स्तरों पर कुछ खास हासिल नहीं हो पाया है। वर्तमान में वह अपनी बेटी के पास किच्छा में रह रही हैं।




13 वर्षो के बाद भी घूम रहा मूर्ति का प्रस्ताव

रानीबाग में गार्गी (गौला) नदी के तट पर शहीद मेजर राजेश अधिकारी के पार्थिव शरीर को आखिरी प्रणाम करते कृतज्ञ राष्ट्रवासी.  
नैनीताल। इसे शासन-प्रशासन की लचर कार्य शैली और नगर का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि देश के सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीद की उसके नगर में एक अदद मूर्ति भी नहीं लग पाई है। मेजर राजेश की माता मालती अधिकारी के अथक प्रयासों के बाद बमुश्किल शासन से उनकी मूर्ति लगाने की अनुमति विगत वर्ष मिल पायी। तभी पालिका बोर्ड ने तल्लीताल दर्शन घर पार्क में उनकी मूर्ति लगाने पर अपनी अनापत्ति दे दी। इसके बाद मूर्ति तैयार करने का प्रस्ताव बनाने की फाइलें चलीं, जो कि आज भी न जाने कहां घूम रहीं हैं। पालिकाध्यक्ष मुकेश जोशी ने बताया कि संभवतया संस्कृति विभाग में मूर्ति तैयार करने का प्रस्ताव लंबित है। राजेश के भाई एसएस अधिकारी ने कहा कि बिना पहुंच के आजकल कोई कार्य नहीं होता है।

शनिवार, 19 मई 2012

कुमाऊं की सैर में अब रोमांच के ज्यादा मौके


नवीन जोशी, नैनीताल। साहसिक खेलों की अपार संभावनाओं वाले कुमाऊं मंडल में आने वाले सैलानी अब यहां प्राकृतिक सौंदर्य के साथ साहसिक पर्यटन का आनंद भी उठा पाएंगे। मंडल में पर्यटन गतिविधियों का सर्वप्रमुख उपक्रम कुमाऊं मंडल विकास निगम- केएमवीएन मंडल में जल, थल के साथ ही वायु संबंधी हर तरह के साहसिक खेलों का आयोजन करने की नयी कार्ययोजना तैयार कर रहा है। केएमवीएन साहसिक खेलों को अपने पर्यटन कलेंडर में शामिल करने की योजना बना रहा है। 
Hot Air Ballooning in Nainital, Flat Ground (1890)
निगम वर्तमान में कैलाश मानसरोवर यात्रा के साथ ही छोटा कैलाश यानी ऊं पर्वत तथा पिंडारी, सुंदरढूंगा, काफनी, मिलम व पंचाचूली के लिए ट्रैकिंग कराता है। निगम ने मुनस्यारी में स्नो स्कीइंग के प्रबंध किये हैं, साथ ही रामेश्वर घाट में वाटर राफ्टिंग व मत्स्य आखेट, पंचेश्वर में एंगलिंग व भीमताल में कयाकिंग, केनोइंग जैसी जल क्रीड़ाएं व नौकुचियाताल में पैराग्लाइडिंग कराई जाती है। उल्लेखनीय है कि निगम ने अभी हाल में 44.33 करोड़ रुपये का ‘मेगा सर्किट प्रपोजल ऑन एडवेंचर टूरिज्म’ प्रोजेक्ट तैयार किया है, जिसका अभी हाल में केंद्र सरकार के पर्यटन सचिव आरएच ख्वाजा निरीक्षण कर चुके हैं। मंडल में साहसिक पर्यटन की अपार संभावनाओं को उपयोगी बनाने के लिए तथा इस प्रोजेक्ट पर अपनी ओर से तैयारियां शुरू होने जा रही हैं। कुमाऊं मंडल विकास निगम के नये प्रबंध निदेशक दीपक रावत ने बताया कि आगे निगम की योजना हवा में पैराग्लाइडिंग, हॉट एयर बैलूनिंग, यहां की झीलों में कयाकिंग, केनोइंग तथा जमीन पर परंपरागत ट्रैकिंग के साथ ही माउंटेनियरिंग, स्नो स्कीइंग जैसे रोमांचक साहसिक खेल के इच्छुक सैलानियों के लिए उपलब्ध कराएंगे। इसकी विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जाएगी। 

यहां प्रस्तावित हैं साहसिक खेल 
नैनीताल में गर्म हवा के गुब्बारों पर उड़ान 
बागेश्वर में नये हीरामणि ग्लेशियर में ट्रैकिंग 
सिनला पास, दारमा वैली व पंचाचूली बेस तथा मिलम, नंदादेवी बेस के नये ट्रेकिंग सर्किट 
मुनस्यारी में स्नो स्कीइंग 
बिंता-द्वाराहाट व पिंडारी रूट के धाकुड़ी में पैराग्लाइडिंग 
भिकियासैंण के त्यूराचौड़ा व हरिपुरा में जल क्रीड़ा

शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

इतिहास बन जायेंगे कुमाऊँ-गढ़वाल


पुलिस के कुमाऊं-गढ़वाल परिक्षेत्र समाप्त हो ने के बाद अब कमिश्नरी समाप्त किये जाने के लगाए जा रहे कयास

नवीन जोशी नैनीताल। प्रदेश सरकार ने राजनीतिक लाभ-हानि के लिहाज से गढ़वाल और कुमाऊं परिक्षेत्र को समाप्त करने की अधिसूचना जारी नहीं की है मगर दोनों रेंजों को दो-दो हिस्सों में बांट दिया है। दोनों रेंजों से आईजी स्तर के अधिकारियों को वापस बुला लिया है। राज्य की नई पुलिस व्यवस्था के लिहाज से गढ़वाल के बाद कुमाऊं परिक्षेत्र भी समाप्त हो गया है। अब प्रशासनिक विकेंद्रीकरण के नाम पर इन मंडलों की कमिश्नरी के टूटने के कयास लगाये जा रहे हैं। प्रदेश के कुमाऊं व गढ़वाल अंचलों की अंग्रेजों से भी पूर्व भी ऐतिहासिक पहचान रही है। कुमाऊं में 1816 से नैनीताल से ‘कुमाऊं किस्मत’ कही जाने वाली कुमाऊं कमिश्नरी की प्रशासनिक व्यवस्था देखी जाती थी। ‘कुमाऊं किस्मत’ के पास वर्तमान कुमाऊं अंचल के साथ ही अल्मोड़ा जिले के अधीन रहे गढ़वाल की अलकनंदा नदी के इस ओर के हिस्से की जिम्मेदारी भी थी। ब्रिटिश शासनकाल में डिप्टी कमिश्नर नैनीताल इस पूरे क्षेत्र की प्रशासनिक व्यवस्था देखते थे। आजादी के बाद 1957 तक यहां प्रभारी उपायुक्त व्यवस्था संभालते रहे। 1964 से नैनीताल में ही पर्वतीय परिक्षेत्र का मुख्यालय था। इसके अधीन पूरा वर्तमान उत्तराखंड यानी प्रदेश के दोनों कुमाऊं व गढ़वाल मंडल आते थे। एक जुलाई 1976 से पर्वतीय परिक्षेत्र से टूटकर कुमाऊं परिक्षेत्र अस्तित्व में आया। यह व्यवस्था अब समाप्त कर दी गई है। इसके साथ ही नैनीताल शहर से पूरे कुमाऊं मंडल का मुख्यालय होने का ताज छिनने की आशंका है। इससे लोगों में खासी बेचैनी है। नगर पालिका अध्यक्ष मुकेश जोशी का कहना है कि इससे निसंदेह मुख्यालय का महत्व घट जायगा। अब मंडल वासियों को मंडल स्तर के कार्य करने के लिए देहरादून जाना पड़ेगा, क्योंकि वरिष्ठ अधिकारी वहीं बैठेंगे। वरिष्ठ पत्रकार व राज्य आंदोलनकारी राजीव लोचन साह का कहना है कि वह छोटे से प्रदेश में मंडल या पुलिस जोन की व्यवस्था के ही खिलाफ हैं। नये मंडल केवल नौकरशाहों को खपाने के लिए बनाये जा रहे हैं। 

गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

शिक्षा विभाग के कर्मियों की बनेगी ई-कुंडली



एक क्लिक पर पता चल जाएगा विभाग में आने से लेकर स्थानांतरणों-पदोन्नतियों का ब्योरा 
एनआईसी मध्य प्रदेश की मदद से तेजी से चल रहा कार्य
नवीन जोशी, नैनीताल। सर्वाधिक कर्मचारियों वाले शिक्षा विभाग में अस्त- व्यस्तता के दिन लदने की उम्मीद की जा सकती है। अब विभाग के प्रत्येक अधिकारी-कर्मचारी की कुंडली इलेक्ट्रानिक फार्म में न केवल उच्चाधिकारियों वरन आम जनता द्वारा भी खोली जा सकेगी। ऐसे में न तो कोई कर्मी ताउम्र सुगम स्थानों में मौज कर सकेगा और न ही कोई दुर्गम स्थानों की परेशानियां झेलने को मजबूर रहेगा। 
एनआईसी मध्य प्रदेश की सहायता से प्रदेश के शिक्षा विभाग के कर्मियों की ई- कुंडली बनाने का कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता से चल रहा है। अगले माह तक ई-कुंडली के सार्वजनिक होने की उम्मीद की जा सकती है। प्रदेश का सबसे बड़ा विभाग होने के कारण शिक्षा विभाग और विवादों का चोली दामन का साथ रहा है। मनमाने तबादलों को लेकर लाखों रुपये की रिश्वत और भ्रष्टाचार के आरोप यहां आम हैं। राज्य में बनी सभी तबादला नीतियां इस विभाग में आकर दम तोड़ती गई। शायद यही कारण रहा कि उत्तराखंड बनने के बाद से चाहे जिस भी दल की सरकार रही, विभागीय मंत्रियों पर चुनाव हारने का दुर्योग  जुड़ता चला गया। इधर, पिछली भाजपा सरकार ने जाते-जाते मध्य प्रदेश की तर्ज पर एनआईसी मध्य प्रदेश की सहायता से विभागीय कर्मियों की ई-कुंडली बनाने का कार्य शुरू किया, ताकि विभाग की भारी-भरकम फौज पर नजर रखी जा सके। इस पर इन दिनों तीव्र गति से कार्य चल रहा है। कुमाऊं मंडल में कुल 26,234 कर्मियों के आंकड़े ई-कुंडली में दर्ज होने हैं, जिनमें से ताजा जानकारी के अनुसार बुधवार तक 24,895 के आंकड़े दर्ज हो चुके हैं। केवल पिथौरागढ़, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिलों में मिलाकर 339 कर्मचारियों के आंकड़े दर्ज होने शेष हैं। पूछे जाने पर अपर निदेशक डा. कुसुम पंत ने उम्मीद जताई कि अप्रैल माह तक ई- कुंडली इंटरनेट के माध्यम से सर्वसुलभ हो जाएगी। कोई भी व्यक्ति किसी भी विभागीय अधिकारी से लेकर शिक्षक-शिक्षिकाओं, तृतीय वर्गीय तथा चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की कुंडली इंटरनेट पर उपलब्ध होगी।