कार्यशाला में केंद्रीय योजना आयोग से किया अनुरोध
नैनीताल (एसएनबी)। सिक्किम से लोकसभा सदस्य पीडी राय ने केंद्रीय योजना आयोग स्तर पर हिमालयी क्षेत्रों के लिए विशिष्ट समूह के गठन पर बल दिया है। यह समूह हिमालयी क्षेत्रों के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार करेगा। उन्होंने हिमालयी क्षेत्रों में आ रहे परिवर्तनों के साथ जीविका के क्षेत्र में अधिक कार्य करने पर भी जोर दिया। श्री राय उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में चल रही दो दिवसीय ‘इंडिया माउंटेन इनीशिएटिव’ की ‘सस्टेनेबल माउंटेन डेवेलपमेंट समिट 2011’ के अंतिम दिन की कार्यशाला में बोल रहे थे। उत्तराखण्ड के प्रमुख सचिव पर्यटन राकेश शर्मा ने प्रदेश के अंतिम गांव माणा का उदाहरण देते हुए वहां ग्रामीण पर्यटन के बारे में जानकारी दी। साथ ही पर्वतारोहण, ईको पर्यटन और राफ्टिंग की सम्भावनाओं के बारे में बताया। इंटरनेशनल जर्मन कोआपरेशन जीआईजेड के मैनफेड हैबिग ने ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने की जरूरत बताई। भारत सरकार के पर्यटन उप महानिदेशक डी वेंकटेशन, सुशील रमोला, प्रो. तेज प्रताप, सुब्रोतो राय ने भी इस मौके पर विचार रखे। इसके अलावा डा. पुश्किन फत्र्याल, डा. टीएस पोपाल, डा. आरवीएस रावत, प्रो. बीके जोशी व प्रो. शेखर पाठक ने समुदाय वानिकी व ग्रामीण पर्यटन की जानकारियां दीं। सामुदायिक वानिकी सत्र में डा. राजीव सेमवाल, डा. राजेन्द्र विष्ट वन संरक्षक ने प्रस्तुति दी। मेघालय के एमवीके रेड्डी, दिल्ली के एस सिद्ध, नेपाल के डा. गिरिधर खिनहाल, डा. भीष्म सुवेदी, प्रदेश के एसटीएस लेप्चा, कल्याण पाल, सुधा गुणवन्त, हेमा फत्र्याल, पीताम्बर मलकानी ने भी प्रस्तुतियां दीं। समापन के मौके पर आयोजक सेंट्रल हिमालयन इन्वायरमेंट एसोसिएशनचि या के अध्यक्ष डा. आरएस टोलिया ने कार्यशाला में सहयोग कर रहे संस्थानों जीआईजेड, उत्तराखण्ड, आईसीमोड, नेपाल, यूकास्ट, उत्तराखण्ड, एसआरटीटी, एनआरटीटी, मुम्बई, एसबीबी, देहरादून, एचआरडीआई गोपेर तथा मीडिया का आभार जताया। इस अवसर पर प्रो. एसपी सिंह, प्रो. पीडी पन्त, डा. पंकज तिवारी, प्रो. वीपीएस अरोडा, प्रो. जेएस सिंह, डा. एलएमएस पालनी आदि मौजूद थे।
पहाड़ में विकास के लिए बने अलग मॉडल : पचौरी
नैनीताल में बढ़ते प्रदूषण से चितिंत हैं नोबल पुरस्कार विजेता
नैनीताल (एसएनबी)। अमेरिकी उप राष्ट्रपति अलगोर व मार्टिन प्राइस के साथ नोबल पुरस्कार के साझीदार नैनीताल में जन्मे डा. आरके पचौरी पहाड़ में विकास के लिए अलग मॉडल के पक्षधर हैं। उनका मानना है कि पहाड़ में मैदान अथवा पूर्ववर्ती उत्तर प्रदेश के विकास के मॉडल से कार्य नहीं किया जा सकता। वह अपनी जन्मस्थली में पर्यटक वाहनों के अधिक आगमन से चिंतित हैं, साथ ही खुश भी हैं कि नैनी झील पहले के मुकाबले में साफ हुई है। उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में आयोजित संगोष्ठी में आए डा. पचौरी नैनीताल पहुंचने के मार्ग की दुर्दशा से खासे परेशान दिखे। उन्होंने बातचीत की शुरूआत यह कहकर की कि इस बार यहां आने में अधिक तकलीफ हुई। नगर के हैडिंग्ले कॉटेज में जन्मे पचौरी ने कहा, उनकी मां बताती हैं कि वह इजी डिलीवरी से पैदा हुए थे। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन को नगर में वाहनों का अधिक प्रवेश रोककर सैलानियों के लिए पैदल घूमने का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए। जलवायु परिवर्तन पर श्री पचौरी ने कहा कि इसका सर्वाधिक प्रभाव कामगारों, किसानों पर पड़ेगा। लिहाजा अभी से जागरूक होने की जरूरत है। यहां प्राकृतिक धन की सुरक्षा करते हुए ही विकास करने होंगे तथा बेकार नष्ट हो रहे संसाधनों के उपयोग व वष्रा जल संग्रहण जैसे प्रयास करने होंगे। ईधन के लिए भी नए विकल्प तलाशने होंगे। नैनीताल के बाबत उन्होंने कहा, अपनी जन्मस्थली उनके दिल में है। उनका बचपन यहां बीता है। वह इस शहर की पूजा करते हैं।
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