नैनीताल चिड़ियाघर में आया ‘राजा-रानी’ का जोड़ा
नैनीताल (एसएनबी)। मात्र 10 वर्ष की आयु में चार मीटर लंबाई, 1.2 मीटर ऊंचाई और करीब 250 से 270 किग्रावजन युक्त भारी भरकम रॉयल बंगाल टाइगर बृहस्पतिवार को नैनीताल चिड़ियाघर की शान बन गया। इसे देखकर कई सैलानियों के मुंह से यह बात निकली, कि अब रॉयल बंगाल टाइगर को देखने के लिए जिम कार्बेट पार्क जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
राष्ट्रीय सहारा ने पूर्व में ही गत 14 मई को ही उसके साथ मादा रॉयल बंगाल टाइगर को भी एक बाड़े में रखने का समाचार प्रकाशित कर दिया था, जिसका एक चरण चिड़ियाघर कर्मियों की मेहनत से बमुश्किल सफल हो पाया। एक-दो दिन में मादा को भी उसके साथ बाढ़े में लाऐ जाने और आगे उनके बीच ‘वाइल्ड ब्रीडिंग’ कराये जाने की योजना है। चिड़ियाघर के निदेशक बीजू लाल टीआर को उम्मीद है कि अक्टूबर-नवंबर तक नैनीताल चिड़ियाघर इन दोनों के नन्हे शावकों का दीदार कर पाएगा। बकौल निदेशक यह चिड़ियाघर के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। इससे पूर्व चिड़ियाघर कर्मी बीते दो-तीन की मेहनत के बाद इस भारी- भरकम बाघ को बाढ़े में प्रतिस्थापित कर पाये। इसे गुलदारों को हटाकर उनके बाढ़े में रखा गया है। इस मौके पर वन संरक्षक कपिल जोशी भी मौजूद थे। उन्होंने भी उम्मीद जताई कि रॉयल बंगाल टाइगर के नैनीताल चिड़ियाघर में लोगों के देखने के लिये उपलब्ध होने से चिड़ियाघर की प्रसिद्धि काफी बढ़ जाएगी। उन्होंने चिड़ियाघर कर्मियों ने इस जोड़े का विशेष ध्यान रखने की हिदायत भी दी। इस मौके पर चिड़ियाघर के वनाधिकारी मनोज साह, प्रकाश जोशी, चिकित्सक डा. एलके सनवाल आदि भी मौजूद थे।
नर भक्षी नहीं है रॉयल बंगाल टाइगर: डीएफओ
नैनीताल। नैनीताल प्राणि उद्यान के निदेशक एवं प्रभागीय वनाधिकारी बीजू लाल टीआर ने दावा किया है कि चिडिय़ाघर में आज से प्रदर्शित रॉयल बंगाल टाइगर नर भक्षी नहीं है। उन्होंने कहा कि वह एसा दावे के साथ कह सकते हैं। बताया कि जब यह चिडिय़ाघर में लाया गया था, तब भी इसके शिकारी दांत (केनिन) बिलकुल सही स्थिति में थे, तथा इसे किसी प्रकार की चोट नहीं थी। बताया कि इसे स्थानीय लोगों, स्वयं सेवी संगठनों व राजनीतिक दबाव के कारण पकड़ा गया। हालांकि उन्होंने संभावना जताई कि इतने बड़े आकार के बाघ को अचानक देखकर भी मनुष्य दम तोड़ सकता है। उल्लेखनीय है कि इस बाघ पर आरोप था कि उसने चार फरवरी 09 को सर्पदुली रेंज के ढिकुली गांव में भगवती देवी को हमला बोलकर मार दिया था, जिसके बाद बमुश्किल उसे एक पखवाड़े बाद घायल अवस्था में पकड़कर नैनीताल चिडिय़ाघर लाया गया था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें