रविवार, 9 मार्च 2014

नैनीताल में बुलेट टैक्सी के ’नरेश‘


नवीन जोशी, नैनीताल। आपने बस, रेल, टैम्पो, टैक्सी और हवाई जहाज से सफर किया होगा। पर्यटक स्थलों पर कदाचित ‘रोपवे’ का आनंद भी उठाया हो। इसके बाद भी आपने ‘बुलेट टैक्सी’ के बारे में शायद ही देखा-सुना हो। सरोवरनगरी में सामान्य सी दिखने वाली बुलेट मोटरसाइकिल पर सवार व्यक्ति सवारियां ढोते देख सैलानी अंचभित हो जाते हैं मगर स्थानीय लोगों के लिए यह नजारा आम हैं। वे एक से दूसरे स्थान जाने के लिए नरेश की बुलेट टैक्सी का बखूबी इस्तेमाल करते हैं।
अंग्रेजी शासन में नैनीताल में डांडियों का प्रचलन था। दो-चार लोग डोलीनुमा डांडियों को कंधे पर उठाकर ले जाते थे। समय बदला तो डांडियों की जगह साइकिल रिक्शा ने ले ली। मुश्किल यह थी कि साइकिल रिक्शा केवल नगर की समतल सड़क पर चल पाते थे। कार-टैक्सियां जरूर लोगों को शहर में घुमा सकती हैं मगर इनका किराया बहुत है। स्थानीय युवक नरेश बिष्ट ने इसका हल ढूंढा। उसने 2007 में बेरोजगारों के लिए मिलने वाली ऋ ण योजना से 76 हजार रुपये का लोन लिया और बुलेट मोटरसाइकिल खरीदी। मोटरसाइकिल के लिए टैक्सी का लाइसेंस लिया और मोटरसाइकिल को बुलेट टैक्सी के रूप में तब्दील कर उससे लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने लगा। शुरुआती दिक्कतों के बाद नरेश ने साढ़े तीन साल में मोटरसाइकिल का लोन चुकता कर दिया। आज बुलेट टैक्सी उसके परिवार की आजीविका है। नरेश तल्लीताल से मल्लीताल तक मामूली किराये पर मिनटों में लोगों को गंतव्य तक पहुंचा देता है। उसके पास नियमित 40-50 सवारियां हैं। सैलानी भी नरेश की बुलेट टैक्सी का प्रयोग करते हैं। शहर में नरेश की अच्छी पहचान बन गई है। उसे सवारियों की तलाश नहीं करनी पड़ती वरन लोग उसे फोन करके बुलाने लगे हैं। लोगों को मालूम हैं कि वह कब और कहां मिलेगा। अक्सर उसका रूट तय होता है। एक सवारी लेकर वह रिक्शा स्टैंड से जिला कलक्ट्रेट रवाना होता है। वहां उसे हाईकोर्ट जाने के लिए सवारी तैयार मिलती है। उसे लेकर हाईकोर्ट पहुंचता है। वहां मल्लीताल, तल्लीताल व बिड़ला जाने के लिए सवारियां इंतजार में होती हैं। इस प्रकार वह ऑफ सीजन में 300-400 व सीजन में 700-800 रुपये कमा लेता है। शहर में जहां सभी मोटरसाइकिलें पेट्रोल पीती हैं, वहीं रमेश की मोटरसाइकिल रुपये उगलती है। इस तरह नरेश युवाओं के लिए प्रेरणा स्रेत बन गया है। उसकी देखा-देखी कई अन्य युवा भी बुलेट टैक्सी लेने के इच्छुक दिखाई दे रहे हैं। नरेश का कहना है कि मेहनत करने में शर्म नहीं होनी चाहिए। यही सफलता का राज है।

शनिवार, 8 मार्च 2014

महिला दिवस पर सुखद खबर: नैनीताल में सुधरा लिंगानुपात



  • साल 2013-14 में लिंगानुपात 945.5 से ज्यादा, पिछले साल 921 था 
  • दूरस्थ इलाकों में स्थिति अब भी चिंताजनक
नवीन जोशी, नैनीताल। जी हां, मां नयना के साथ नंदा व सुनंदा की नगरी सरोवरनगरी में बालिकाओं के पक्ष में सुखद समाचार आया है। जहां देश व प्रदेश में छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों में लिंगानुपात वर्ष 2011-12 के 879 से नीचे गिरकर 2012-13 में 866 हो गया है, वहीं नगर में नए पैदा हुए बच्चों के मामले में 2013-14 में लिंगानुपात 945.5 से अधिक के स्तर पर पहुंच गया है, जबकि बीते वर्ष यह 921 रहा था। उल्लेखनीय है कि जीव वैज्ञानिक व प्राकृतिक दृष्टिकोण से प्रकृति में बेहतर सामंजस्य के लिए 983 को आदर्श लिंगानुपात माना जाता है, लेकिन बीते वर्षो में प्रसव पूर्व जांच व एक या दो बच्चे ही पैदा करने की प्रवृत्ति के चलते लिंगानुपात तेजी से घटते हुए चिंताजनक स्थिति में जा पहुंचा है। खासकर शून्य से छह वर्ष के बच्चों के मामले में लिंगानुपात वर्ष 2011 में 886 था जो 2012 में और घटकर 800 से नीचे आ गया। वहीं कुमाऊं मंडल व जिला मुख्यालय में पैदा हो रहे बच्चों में लिंगानुपात के आंकड़े काफी हद तक सुखद कहे जा सकते हैं। यहां वर्ष 2012-13 की बात करें तो कुल पैदा हुए 634 बच्चों में से 330 बालक और 304 बालिकाएं थीं। इस प्रकार लिंगानुपात 921 रहा है। वहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष में अप्रैल 13 से फरवरी 14 माह तक के प्राप्त आंकड़ों के अनुसार यहां पैदा हुए 607 बच्चों में से 312 बालक और 295 बालिकाएं पैदा हुई हैं। इस प्रकार लिंगानुपात 945.5 से भी अधिक रहा है, जो बेहद सुखद कहा जा रहा है। अस्पताल की सीएमएस डा. विनीता सुयाल ने भी इस पर खुशी व्यक्त की है। बताया गया है कि जिले के भीमताल, धारी व कोटाबाग जैसे अधिक शहरी इलाकों वाले ब्लॉकों में भी बच्चों में लिंगानुपात की स्थिति अच्छी है, जबकि दूरस्थ व पिछड़े इलाकों में शुमार बेतालघाट व ओखलकांडा ब्लाकों में लिंगानुपात की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बालिकाओं में ज्यादा

नैनीताल। देश-दुनिया व जनपद की बालिकाएं जहां स्कूल स्तर पर बालकों से अधिक बीमार नजर आ रही हैं, यह तथ्य भी जान लें कि प्राकृतिक तौर पर बालिकाओं में बालकों के मुकाबले अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। बीडी पांडे जिला महिला चिकित्सालय की सीएमएस डा. विनीता शाह बताती हैं कि इसी कारण प्राकृतिक व जीव वैज्ञानिक तौर पर (बायलॉजिकल सेक्स रेशियो) लिंगानुपात 983 होता है। माना जाता है कि एक हजार बालकों में से करीब 27 बालक जीवित नहीं रह पाएंगे और भविष्य में बालक व बालकों के बीच अंतर नहीं रह जाएगा, लेकिन मौजूदा लिंगानुपात लगातार घट रहा है। देश का लिंगानुपाल 940, प्रदेश का लिंगानुपात गत वर्ष के 983 से घटकर 913 और जनपद का 933 रह गया है। वहीं इससे भी अधिक चिंता की बात शून्य से छह वर्ष के बच्चों में लिंगानुपात 891 से भी घटकर 886 रह जाने को लेकर है।

शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014

संजना के हत्यारे 'फूफा' को फांसी की सजा


घटना को अंजाम देकर साले की पत्नी के कमरे में गया था दीपक
जिला अदालत ने जघन्य मामला माना बलात्कार के जुर्म में मिली उम्रकैद
नैनीताल (एसएनबी)। बहुचर्चित संजना हत्याकांड में जिला एवं सत्र न्यायाधीश मीना तिवारी की अदालत ने 28 फरवरी 2014 को वर्ष 2012 में संजय नगर बिंदूखत्ता में आठ वर्षीया संजना की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में उसी के रिश्ते के फूफा दीपक आर्या को मौत की सजा सुनाई थी। अदालत ने इस हत्या को जघन्य माना। अदालत ने दीपक को दुष्कर्म का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा दीपक को अपहरण और अन्य धाराओं के तहत भी सजाएं व आर्थिक दंड सुनाया गया है।
शुक्रवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश मीना तिवारी की अदालत में गत 21 फरवरी को अदालत से दोषी पाये गये मृतक संजना के फूफा दीपक आर्या की सजा पर सुनवाई शुरू हुई। अदालत में मृतक संजना के पिता नवीन कुमार व मामा संतोष भी मौजूदथे। जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील शर्मा ने सहायक शासकीय अधिवक्ता नरेंद्र सिंह नेगी के साथ दोषी को अधिकतम मृत्युदंड की सजा दिए जाने की मांग की। बचाव पक्ष ने सजा में रहम करने की गुहार की, पर अदालत ने इस जघन्य हत्याकांड के लिए दीपक को अधिकतम मृत्यदंड की सजा दी। अदालत ने कहा कि दीपक को तब तक फांसी पर लटकाया जाए जब तक उसकी मृत्यु न हो जाए। अदालत ने फैसला सुनाते हुए दीपक को भादंसं की धारा 457 के तहत पांच वर्ष का कठोर कारावास व तीन हजार रुपये जुर्माना व जुर्माना न भुगतने पर एक वर्ष की अतिरिक्त सजा, अपहरण करने के मामले में सात वर्ष की जेल व पांच हजार जुर्माना व जुर्माना न भुगतने पर एक वर्ष की अतिरिक्त सजा, दुष्कर्म के दोष में में धारा 376 के तहत अधिकतम आजीवन कारावास व 10 हजार का जुर्माना तथा जुर्माना न भुगतने पर एक वर्ष की अतिरिक्त सजा सुनाई।
मृतका संजना
संजना हत्याकांड में दीपक को मौत की सजा दिलाने में उस गवाही की भी बड़ी भूमिका रही, जिसमें बताया गया कि वह बच्ची के साथ बलात्कार करने और उसकी हत्या करने के बाद जब घर लौटा तो अपने घर में अपनी पत्नी की बजाय साले की पत्नी के कमरे में चला गया था और ‘नानू-नानू’ पुकार रहा था, जो कि मृतका संजना का घर का नाम था। रात्रि में संजना की खोजबीन के दौरान भी जब उसे बुलाया गया तो वह नहीं आया। अलबत्ता सुबह पांच बजे वह खोजबीन में शामिल हुआ और वही मृतका के निर्वस्त्र शव को घटनास्थल से उठाकर घर लाया था। अदालत में वह आखिर तक स्वयं को बेवजह फंसाने की बात कहता रहा। जांच के दौरान भी वह हमेशा मृतका के परिजनों और पुलिस तथा जांच एजेंसियों को गुमराह करता रहा। 10 जून की रात्रि संजना को उसकी दादी भागीरथी देवी के पास से सोते हुए उठा ले जाने के दौरान अपनी बजाय दादी की चप्पलें पहनकर ले गया था और चप्पलें घटनास्थल पर ही छोड़ आया था, ताकि जांच एजेंसियां भ्रमित हो जाएं। पांच नवम्बर 2012 को पुलिस जब दीपक के बयान ले रही थी, तब उसने पुलिस को अपने पिता का नाम धन राम के बजाय प्रताप राम बताकर भ्रमित करने की एक और कोशिश की थी। इसी कारण उस पर पुलिस का शक गहरा गया। आखिर बमुश्किल जांच के आखिरी दौर में तीन जनवरी 2013 को घटना के छह माह बाद दीपक का डीएनए सैंपल लिया जा सका, जोकि पॉजिटिव पाया गया।

नैनीताल में अब तक आठ को सजा-ए-मौत

नवीन जोशी, नैनीताल। संजना हत्याकांड में दोषी दीपक कुमार को मृत्युदंड की सजा सुनाए जाने के साथ ही जिले में अब तक मौत की सजा पाने वालों की संख्या आठ हो गई है। ये सजाएं चार अलग-अलग मामलों में सुनाई गई। इनमें तीन मामले बच्चियों के साथ दुराचार के बाद उनकी हत्या करने के हैं, जबकि एक मामला चार लोगों की हत्या का है। इससे पूर्व तत्कालीन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जीके शर्मा की अदालत ने 1998 में बाजपुर में पांच वर्षीय बालिका के साथ बलात्कार के बाद हत्या करने के मामले में सात जनवरी 2004 को बाजपुर निवासी आफताब अहमद अंसारी व मुमताज नाम के व्यक्तियों को तथा इसी तरह के एक अन्य मामले में जीके शर्मा की अदालत ने ही 2003 में मल्लीताल कोतवाली क्षेत्र में छह वर्षीय नेपाली बच्ची सुषमा के साथ प्राकृतिक व अप्राकृतिक तरीके से बलात्कार व हत्या करने के आरोप में 28 जून 2004 को अलीगढ़ निवासी बाबू पुत्र अलीम अंसारी, बिलासपुर यूपी निवासी आमिर पुत्र हामिद और खटीमा निवासी अर्जुन पुत्र बाला को फांसी की सजा सुनाई थी। यह इत्तेफाक ही है कि इन दोनों मामलों में वर्तमान जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने ही अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी की थी। इसके अलावा राज्य बनने से पूर्व 11 दिसंबर 1999 को हल्द्वानी में चार लोगों जुनैद, असलम, खलील व इशरत की हत्या के छह में से दो आरोपितों राजेश व नवीन को तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश पीसी पंत (वर्तमान में मेघालय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश) की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी।

डीएनए जांच से खुला मामला

जिला शासकीस अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि मामले में कुल 21 गवाह लिए गए, लेकिन इनमें से कोई भी चश्मदीद गवाह नहीं था। मामला पूरी तरह पुलिस की सक्रियता व अच्छे कार्य के फलस्वरूप डीएनए जांच से खुला। मामले में मृतका के पिता नवीन कुमार सहित गांव के 57 लोगों को डीएनए परीक्षण कराकर शर्मिदगी झेलनी पड़ी थी। राज्य की विधानसभा में भी यह मामला गूंजा था और सीबीआई की सीएफएस प्रयोगशाला दिल्ली में डीएनए जांच के बाद बमुश्किल सफलता मिली। इस हत्याकांड की तफ्तीश करने वाले लालकुआं कोतवाली के तत्कालीन कोतवाल विपिन चंद्र पंत ने बताया कि मामले में अनेक प्रयासों के बावजूद असफल रहने पर आखिर उन्होंने अपनी अटूट आस्था के केंद्र कुमाऊं में न्याय के देवता के रूप में प्रसिद्ध ग्वल देवता की जागर (देवता का आवाहन) और बभूती भी लगाई।

फैसले से पिता संतुष्ट

जिला अदालत से दोषी को मृत्युदंड की सजा मिलने के बाद मृतका के पिता नवीन कुमार ने कहा वह अदालत के फैसले से संतुष्ट हैं। अब अपने ईष्टदेव ग्वेल, कल बिष्ट व गंगनाथ के साथ ही तिवारी नगर स्थित माता दुर्गा के मंदिर में शीष झुकाने जाएंगे। किच्छा में मजार पर भी मन्नत मांगी थी, वहां भी चादर चढ़ाने जाएंगे।

शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2014

संजना हत्याकांड की तफ्तीश में न्याय देव ग्वल ने भी की पुलिस की मदद !

दीपक आर्या
संजना
नैनीताल (एसएनबी)। लालकुआं के बहुचर्चित संजना हत्याकांड में मृतका का फूफा दीपक आर्या जिला अदालत में दोषी सिद्ध हो गया है। दीपक ने संजना को अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया और फिर उसकी गला घोंट कर हत्या कर दी। अदालत ने इस हत्याकांड को जघन्यतम माना। दोषी 26 फरवरी को सजा सुनाई जाएगी। परिजनों ने दोषी को फांसी की सजा देने की मांग की है।  हत्याकांड की तफ्तीश में पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। लालकुआ कोतवाली के तत्कालीन कोतवाल विपिन चंद्र पंत ने मामले में अनेक स्तरों से क़ी जांच की। पहले एक बड़े क्षेत्र से जांच शुरू करते हुए जांच मृतका के पिता और नजदीकी परिजनों तक पहुंची। इस दौरान ऐसे हालात भी बने कि पूरा जोर लगाने और मृतका के पिता व सारे गांव पर शक व जांच करने के बावजूद सफलता ना मिलने पर विवेचक श्री पंत ने अपनी अटूट आस्था के केंद्र अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के पास उदयपुर कैड़ारब गांव में स्थित कुमाऊं में न्याय के देवता के रूप में प्रसिद्ध ग्वल देवता की जागर (देवता का आवान) और बभूती भी लगाई। इस बात को पंत ने अदालत के समक्ष भी स्वीकारा कि जागर के बाद ही अभियुक्त पर जांच केंद्रित हो पाई। उल्लेखनीय है कि कुमाऊं मंे मान्यता है कि जिसे कहीं न्याय नहीं मिलता, आखिर ग्वल देव के दरबार में सच्चा न्याय मिलता है।
लालकुआं के तिवारीनगर नंबर एक में नाबालिग संजना 10 जुलाई 2012 की रात अपनी दादी भागीरथी देवी के साथ सोई हुई थी, तभी वह लापता हो गई थी। दूसरे दिन उसका शव निर्वस्त्र अवस्था में मिला था। पुलिस तब इस केस का कोई सुराग नहीं तलाश सकी थी। इस हत्याकांड को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए थे। पुलिस ने इस मामले में कई महीनों तक जांच की और 57 लोगों का डीएनए टेस्ट कराया। डीएनए नमूना मिलने के आधार पर सात फरवरी 2013 को दीपक आर्या पुत्र धनराम आर्या मूल निवासी बनबसा चम्पावत को गिरफ्तार किया गया। मामले में मृतका के पिता सहित 57 ग्रामवासियों के डीएनए नमूने लिये गए थे। इस मामले में सीबीआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डा. महापात्रा सहित 21 लोगों के बयान लिए गये। आरोपित ने डीएनए संबंधी वैज्ञानिक प्रमाण की सत्यता को संदिग्ध बताने के साथ वैज्ञानिक की डिग्री व शैक्षिक योग्यता पर भी आरोप लगाए थे। इस पर उन्हें स्वयं की डिग्री व योग्यता को अदालत में साबित करना पड़ा। शुक्रवार को जिला एवं सत्र न्यायालय में मामले की अंतिम सुनवाई के दौरान जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा व सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता नरेंद्र सिंह नेगी ने मामले को गंभीर प्रकृति का जघन्यतम अपराध बताया। जिला एवं सत्र न्यायाधीश मीना तिवारी की अदालत ने आरोपित दीपक आर्या को साक्ष्यों व गवाही के बाद नाबालिग से घर में घुसकर अपहरण कर ले जाने, बलात्कार कर हत्या करने एवं साक्ष्य छुपाने का दोषी घोषित कर दिया। जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा ने कहा कि दोषी ने अपनी बेटी समान व रिश्तेदार की बच्ची को विास को चोट पहुंचाकर अपनी हवस को पूरा करने के लिए घर से उठाया और उसकी निर्ममता से गला घोंटकर हत्या की। लिहाजा कोर्ट से फांसी की सजा की मांग करेंगे।

पिता सहित इलाके के 57 लोगों को डीएनए परीक्षण कराकर झेलनी पड़ी थी शर्मिदगी

फैसला आने के बाद अदालत पहुंचे एसएसपी सदानंद दाते का हाथ जोड़कर आभार जताते मृतका के परिजन  
नवीन जोशी, नैनीताल। लालकुआं का संजना हत्याकांड एक ब्लाइंड केस था। इस मामले में पुलिस को कोई सिरा नहीं मिल रहा था कि दुष्कर्मी और हत्यारे तक कैसे पहुंचा जाए। पुलिस महीनों तक केस की तह तक पहुंचने के लिए मशक्कत करती रही। आठ वर्ष की मासूम संजना की हत्या का मामला विधानसभा में भी गूंजा। इसके बाद पुलिस ने जांच का सिरा डीएनए परीक्षण की ओर मोड़ दिया। पुलिस ने मृतका के पिता समेत 57 लोगों का डीएनए परीक्षण किया। परीक्षण कराने वालों को समाज में शर्मिदगी भी झेलनी पड़ी, लेकिन एक मासूम के साथ जघन्यतम कुकृत्य करने वाला आखिरकार पुलिस की पकड़ में आ गया। मासूम बच्ची के फूफा ने रिश्तों के विास व मानवीयता को तार-तार कर यह जघन्यतम अपराध किया था। संजना हत्याकांड प्रदेश का कई मामलों में अनूठा और पहला मामला है, जो विधानसभा में भी गूंजा और सीबीआई की सीएफएस प्रयोगशाला दिल्ली में डीएनए जांच के बाद बमुश्किल सफलता मिली। घटना के करीब आठ माह बाद डीएनए सैंपल के मिलने के बाद पड़ोसी व रिश्ते के फूफा को मासूम बच्ची से बलात्कार के बाद हत्या करने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया। न्यायालय में 21 लोगों की गवाही हुई, और आखिर एक वर्ष आठ माह व 11 दिनों के बाद अपनी बच्ची को खोने वाले परिवार को न्याय मिलने की उम्मीद बंधी है। बिंदूखत्ता के प्राथमिक विद्यालय संजय नगर में चौथी कक्षा में पढ़ने वाली आठ वर्षीय मासूम संजना उर्फ नानू की बलात्कार के बाद गला घोंटकर की गई हत्या के मामले में जांच के दौरान दोषी पाया गया दीपक आर्या आखिर तक अदालत में पुलिस द्वारा लगाए गए सोई हुई बालिका संजना को शराब के नशे में घर से उठाकर ले जाने, उसके जागने पर पहचाने जाने के डर से गला दबाकर मार डालने और फिर मृत देह से दुराचार करने के आरोपों को नकारता और हमेशा स्वयं को बेवजह फंसाने की बात कहता रहा। जांच के दौरान भी वह हमेशा मृतका के परिजनों और पुलिस तथा जांच एजेंसियों को गुमराह करता रहा। 10 जून की रात्रि संजना को उसकी दादी भागीरथी देवी के पास से सोते हुए उठा ले जाने के दौरान अपनी बजाय दादी की चप्पलें पहनकर ले गया था, और चप्पलें घटनास्थल पर ही छोड़ आया था, ताकि जांच एजेंसियां भ्रमित हो जाएं। बाद में मध्य रात्रि करीब एक बजे जैसे ही संजना के गायब होने की खबर परिजनों को लगी, वह भी मध्य रात्रि से ही उसे ढूंढ़ने में जुटा रहा। आखिर अगली सुबह पांच बजे उसने ही सबसे पहले संजना का शव खेत में पड़ा देखा, और वह ही मृतका के निर्वस्त्र शव को कंधे पर डालकर घर लाया था। घटना के बाद जब डॉग स्क्वॉड मनी ने अपनी जांच के बाद सूंघते हुए उसकी ओर इशारा किया था, तो उसने यह कहकर बात बना दी थी कि वह मृतका के शव को लेकर आया, शायद इसलिए कुत्ता उस पर शक कर रहा है। पांच नवम्बर 2012 को पुलिस जब दीपक के बयान ले रही थी, तब उसने पुलिस को अपने पिता का नाम धनराम के बजाय प्रताप राम बताकर भ्रमित करने की एक और कोशिश की थी। इसी कारण उस पर पुलिस का शक भी गहराया। आखिर बमुश्किल जांच के आखिरी दौर में तीन जनवरी 2013 को घटना के छह माह बाद दीपक का डीएनए सैंपल लिया जा सका, जोकि पॉजीटिव पाया गया। सीबीआई की विधि विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) दिल्ली के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डा. बीके महापात्रा की भी अदालत में गवाही हुई, जिसमें उन्होंने मामले में आरोपित की करतूत अदालत के समक्ष रख दी।

किया विश्वास का भी कत्ल
नैनीताल। संजना हत्याकांड में दोषी पाए गए दीपक आर्या का संजना के घर अक्सर आना जाना था। वह मूलतः बनबसा टनकपुर का रहने वाला था, लेकिन संजना के घर के पास ही अपनी ससुराल में पत्नी सीमा व दो बच्चों के साथ रहता था। सीमा संजना के पिता संेचुरी पेपर मिल लालकुआ में ड्राइवर के रूप में कार्यरत नवीन की रिश्ते की बहन थी, और बचपन से नवीन के द्वारा ही पाली गई थी।
खून के बदले खून, मौत के बदले मौतः भागीरथी
नैनीताल। अपने साथ सोई पोती को खोने वाली दादी भागीरथी देवी शुक्रवार को अदालत से दीपक आर्या को दोषी सिद्ध होने के बाद एसएसपी डा. सदानंद दाते के समक्ष बोली, उन्हें खून के बदले खून, और मौत के बदले मौत का इंसाफ चाहिए। इस मामले में उन्हें गांव में भारी जिल्लत झेलनी पड़ी। बच्ची के साथ ऐसी घटना होने के बाद गांव के अनेक लोगों ने उनके साथ रिश्ते बंद कर दिए। 
संजना चौकी में बड़ेगी पुलिस फोर्स
नैनीताल। गौरतलब है कि संजना त्याकांड के बार बिंदूखत्ता के तिवारी नगर में संजना के नाम से ही पुलिस चौकी की स्थापना कर दी गई है। शुक्रवार को अदालत परिसर में स्वयं मामले की जानकारी लेने पहुंचे जिले के एसएसपी डा. सदानंद दाते ने पीड़ित परिवार के सदस्यों से मुलाकात की, और उन्हें ढांढस बंधाया। उन्होंने परिजनों की स्वयं के असुरक्षित होने की शिकायत पर लालकुआ थाना प्रभारी विपिन चंद्र पंत को संजना चौकी में फोर्स ब़ाने के निर्देश दिए। कहा कि लाइन से इस हेतु दो अतिरिक्त कांस्टेबल दिए जाएंगे। इस दौरान उन्होंने अदालत परिसर में जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा से भी मुलाकात की, तथा उनका मेहनत व सहयोग के लिए आभार जताया।
यही केस ले गया, यही वापस भी लायाः पंत
नैनीताल। न्यायालय से दीपक आर्या के दोषी करार ोने के बाद मामले के खुलासे में सर्वप्रमुख भूमिका निभाने वाले तत्कालीन एवं वर्तमान में एक बार फिर लालकुआं कोतवाली के कोतवाल बने इंस्पेक्टर विपिन चंद्र पंत ने का कि यही मामला उन्हें बाहर ले गया था, और यही मामला वापस उन्हें वापस लालकुआ लाया है। गौरतलब है कि पंत इस मामले के बाद लालकुआ से चमोली भेज दिए गए थे। वहां से देहरादून और मसूरी होते  हुए वह वापस लालकुआ आ गए हैं। क्षेत्रीय लोग भी नकी लालकुआ में तैनाती की मांग करते रहे।

बुधवार, 12 फ़रवरी 2014

जिम कार्बेट के घर नैनीताल में फिर दिखाई दिया ‘रॉयल बंगाल टाइगर’

नवीन जोशी, नैनीताल। देश में बाघों की संख्या लगातार घटने से चिंतित पर्यावरण प्रेमियों और प्रकृति के स्वर्ग कही जाने वाली सरोवर नगरी प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है। बाघों का राजा ‘रॉयल बंगाल टाइगर' अंतर्राष्ट्रीय शिकारी जिम कार्बेट के शहर नैनीताल की खूबसूरती पर एक बार फिर फिदा हो गया लगता है। बीती 10-11 फरवरी की रात्रि नगर की करीब 2591 मीटर ( 8500 फिट) ऊंची कैमल्स बैक चोटी पर इसे देखा गया। आधिकारिक तौर पर कैमरों से इसकी तस्वीर भी रिकार्ड की गई है। इसे जिम कार्बेट के दौर के लम्बे अंतराल के बाद भी नैनीताल में समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र बरक़रार रहने के लिहाज से भी बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है। 
प्रदेश में गत 10 फरवरी से एक सप्ताह तक यानी 17 फरवरी तक के लिए बाघों की गणना के लिए अभियान चला रहा है। इस अभियान के तहत नैनीताल के निकटवर्ती वन क्षेत्रों में अनेक स्थानों पर रात्रि में भी देखने की क्षमता वाले कैमरे लगाए गए हैं। इन्हीं में से एक कैमरा नैना रेंज में समुद्री सतह से 2591 मीटर की ऊंचाई वाली चोटी कैमल्स हंप या कैमल्स बैक पर भी लगाया गया था। इस कैमरे से अभियान की पहली ही यानी 10 व 11 फरवरी की रात्रि एक बजकर 47 मिनट पर करीब सात-आठ वर्ष की उम्र के बंगाल टाइगर प्रजाति के कैमरे के चित्र लिये गए हैं। डीएफओ डा. तेजस्विनी पाटिल ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि कैमरे में देखा गया बाघ नर हो सकता है। जिस कैमरे पर यह रिकार्ड किया गया है, उसे कुमाऊं विवि के वानिकी विभाग के द्वितीय वर्ष के दो छात्रों मो. अकरम व लवप्रीत सिंह लाहौरी तथा एक स्थानीय युवक अमित वाल्मीकि द्वारा लगाया गया था। 
उल्लेखनीय है कि बाघ पारिस्थितिकी तंत्र की आहार श्रृंखला में सांपों में किंग कोबरा, पक्षियों में चील-गिद्ध आदि की तरह सबसे ऊपर होते हैं। किसी स्थान पर इनकी उपस्थिति होने का सीधा सा अर्थ होता है कि उस पारिस्थितिकी तंत्र की श्रृंखला के निचली श्रेणी तक के सभी अन्य जीव भी भरपूर मात्रा में उस स्थान पर उपलब्ध हैं। यह अपनी भोजन श्रृंखला के निचली श्रेणी के वन्य जीवों को खाते हुए पारिस्थितिकीय संतुलन बनाते हैं।

2010 में भूटान में 4100 मीटर ऊंचाई पर देखे जाने का है रिकार्ड

देश में सर्वाधिक ऊंचाई पर बाघ को देखे जाने के रिकार्ड उपलब्ध नहीं हैं, और अब पहली बार इसे नैनीताल में 2951 मीटर की ऊंचाई पर देखा गया है। बहरहाल बीबीसी के अनुसार बाघ को सर्वाधिक ऊंचाई पर देखे जाने का विश्व रिकार्ड सितम्बर 2010 में बना था, जब इसे भूटान में 4100 मीटर की ऊंचाई पर रिकार्ड किया गया था। गौरतलब है कि नैनीताल में पूर्व में कैंट के पास बाघ को देखे जाने की बात कही जाती थी, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पाई थी।

सोमवार, 3 फ़रवरी 2014

लो आ गया बसंत, खत्म हुई सर्दी

  • 3 फरवरी को था नैनीताल का तापमान 17.6 व 11.5 डिसे. 
  • फरवरी के मध्य तक हल्की बारिश की संभावना 
  • मार्च से भीषण गरमी की आशंका जताई


नवीन जोशी, नैनीताल। आज से ऋतुराज बसंत का आगमन हो रहा है। मौसम विज्ञानियों का भी मानना है कि सर्दियां समाप्त हो गई हैं। आगे छिटपुट बारिश हो सकती है। यूजीसी के वैज्ञानिक डा. बहादुर सिंह कोटलिया का कहना है कि अब पहाड़ों पर बर्फबारी की कोई संभावना नहीं है। फरवरी मध्य तक ही हल्की बारिश हो सकती है, और इसके बाद जबरदस्त गरमी पड़ने वाली है। मौसम विभाग अगले कुछ दिन आसमान में हल्के बादल छाये रहने और पांच तथा सात फरवरी को गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना जता रहा है। सरोवरनगरी में प्रकृति ऋ तुराज बसंत का स्वागत करती नजर आ रही है। यहां माल रोड पर स्टेट बैंक के पास खिले ब्रूम के पीले फूल मानो वासंती रंग में सरोबोर करने लगे हैं। कुमाऊं में अनेक स्थानों पर समय से पहले ही बताया जा रहा राज्य वृक्ष बुरांश खिल उठा है। वृद्ध जागेश्वर, गुरड़ाबांज से लेकर बिनसर व यहां रामगढ़, मुक्तेश्वर व धानाचूली के लाल रंग में रंगे जंगलों की खूबसूरती देखते ही बन रही है। कारण चाहे जो भी हों, लेकिन नगर के पुराने लोगों का कहना है कि यहां मार्च माह तक होली के बाद भी बर्फ पड़ना आम बात थी। नगर पालिका कर्मी महेश गुरुरानी बताते हैं 1962 तक उन्होंने मल्लीताल के बाजारों में दो से ढाई फीट तक बर्फवारी देखी है। अप्रैल माह में भी यहां कई बार बर्फबारी हुई है। कुमाऊं विवि के विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. सीसी पंत के अनुसार ग्लोबलवार्मिग इतर मौसमी चक्र के बुरी तरह प्रभावित होने से अत्यधिक होने को कारण मानते हैं। बर्फवारी के बाद यहां का तापमान बीते दो दिनों में दहाई में पहुंच गया है।

शुक्रवार, 24 जनवरी 2014

क्या गलत हैं न्यूटन के नियम !

नौवीं कक्षा के छात्र ने उठाये सवाल, आरोप लगाया कि पुस्तकों में गलत पढ़ाये जा रहे हैं न्यूटन के नियम 

नवीन जोशी नैनीताल। दुनिया को गुरुत्वाकर्षण का वैज्ञानिक सिद्धांत देने वाले सर आइजेक न्यूटन ने वास्तव में बल के कौन से तीन नियम दिये थे, इस पर विवाद हो सकता है। पर बच्चों को स्कूली पुस्तकों में जो पढ़ाया जा रहा है, उस पर नगर के नौवीं कक्षा के एक होनहार छात्र अभिषेक अलिग ने सवाल उठाये हैं। अभिषेक का कहना है कि न्यूटन के पहले यानी ‘जड़त्व के सिद्धांत’ के नियम में बल की दिशा का कोई जिक्र नहीं है, जबकि बल एक सदिश यानी वैक्टर राशि है। बल की दिशा का जिक्र किये बिना न्यूटन के सिद्धांत का प्रयोग किसी भी दशा में नहीं किया जा सकता, जबकि प्रयोग के बिना वैज्ञानिक सिद्धांत का कोई अर्थ ही नहीं है। वहीं तीसरा सिद्धांत निर्वात की स्थिति में लागू नहीं हो सकता है। 
अभिषेक नगर के सेंट जोसफ कालेज का छात्र है। रसायन, भौतिकी और गणित विषयों की उसमें विलक्षण तर्क की क्षमता नजर आती है। वह इन विषयों में हमेशा कक्षा में प्रथम भी रहता है और अपने से बड़ी कक्षाओं के छात्रों से भी तर्क करता है। विज्ञान को तकरे की कसौटी पर कसने की जैसे उसे धुन सवार है। इसके लिए वह विज्ञान की विदेशी भाषाओं की पुस्तकों और इंटरनेट पर भी खूब अध्ययन करता है। 
अपनी आईसीएसई बोर्ड की नौवीं कक्षा की पुस्तक में प्रकाशित न्यूटन के पहले नियम पर सवाल उठाते हुए उसका कहना है कि यह नियम कहता है कि किसी पिंड पर जब तक कोई बाहरी बल न लगाया जाये तब तक उसकी स्थिति में परिवर्तन नहीं आ सकता। यानी यदि पिंड कहीं पर स्थिर रखा है तो वह कोई बल लगाने तक गतिमान नहीं हो सकता, साथ ही यदि वह गतिमान है तो बल लगाये बिना रुक नहीं सकता। अभिषेक के अनुसार इस नियम में बल की दिशा का कोई उल्लेख नहीं है, साथ ही यह भी नहीं कहा गया है कि यह नियम हर दशा में प्रभावी रहता है या निर्वात में। क्योंकि बल बिना दिशा के लगाया ही नहीं जा सकता, क्योंकि बल एक सदिश राशि है। बिना दिशा के बल का कोई औचित्य नहीं है। न्यूटन विज्ञान के इस सामान्य से सिद्धांत से अनभिज्ञ थे अथवा पुस्तकों में गलत पढ़ाया जा रहा है। इंटरनेट पर न्यूटन के नियम में बल की जगह ‘नेट फोर्स’ यानी शुद्ध बल शब्द का प्रयोग किया गया है। यहां शुद्ध शब्द भी बड़ा अंतर पैदा करता है। शुद्ध बल में पिंड पर लगने वाले गुरुत्वाकर्षण, घर्षण एवं पिंड के स्वयं के भार से उत्पन्न स्थैतिक जैसे सभी बल भी शामिल होते हैं। इन बलों के कारण ही एक दशा तक किसी पिंड को एक कम क्षमता का बल लगाकर भी स्थिर से गतिमान या गतिमान से स्थिर नहीं किया जा सकता। अभिषेक खासकर इस बात पर भी सवाल उठाता है कि किसी स्थिर पिंड पर यदि ऊपर या नीचे की दिशा से बल लगाया जाये तो उसे गतिमान नहीं किया जा सकता है, तो ऐसे में न्यूटन का प्रथम सिद्धांत कैसे माना जा सकता है। वह इस बात से भी इत्तेफाक नहीं रखता कि बल के साथ दिशा का जिक्र ना करना एक सामान्य वैज्ञानिक तथ्य मानकर शामिल न किया जाता हो, क्योंकि न्यूटन के दूसरे सिद्धांत में बल की दिशा का साफ-साफ जिक्र किया जाता रहा है। अभिषेक यह भी मानता है कि न्यूटन ने संभवतया लैटिन भाषा में जो नियम प्रतिपादित किय, उनमें बल के साथ दिशा का भी जिक्र हो, किंतु स्कूली पुस्तकों में यह शब्द हटा दिये गये। यदि ऐसा है तो यह देश की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करने वाली बात है कि क्यों बच्चों को गलत पढ़ाया जा रहा है। विशेषज्ञ कुछ हद तक सहमत : अभिषेक के तर्क से कुमाऊं विवि के भौतिकी विभागाध्यक्ष प्रो. हरीश चंद्र चंदोला भी काफी हद तक सहमत नजर आते हैं। हालांकि उनका कहना है कि वास्तव में न्यूटन के नियम में बल के साथ दिशा का जिक्र रहा है। वह बताते हैं न्यूटन के नियम ऐसी आदर्श स्थिति के लिए हैं, जिसमें अन्य किसी प्रकार के बलों के न होने की कल्पना की गई है। ऐसा वास्तविक स्थितियों में संभव नहीं होता। उन्होंने माना कि बच्चों के पाठय़क्रम में उन परिस्थितियों का जिक्र किया जाना भी जरूरी है, जिनमें वह लागू होते हैं।
मूलतः यहाँ  देख सकते हैं :  http://rashtriyasahara.samaylive.com/epapermain.aspx?queryed=14&eddate=10/10/2012 

यह भी पढ़ें: 1. गलत हैं न्यूटन के नियम ! 

2. न्यूटन ने नहीं दिया था गति का दूसरा नियम!

रविवार, 19 जनवरी 2014

सरोवरनगरी में बिछी 'चांदी की चादर', सैलानियों का उमड़ा मेला

सरोवरनगरी में सैलानियों ने उठाया मौसम का लुत्फ
नैनीताल (एसएनबी)। पहाड़ों पर शनिवार को हुई बर्फवारी का असर रविवार को सरोवरनगरी में सैलानियों के मेले के रूप में देखने को मिला। नजदीकी यूपी एवं दिल्ली से आए सैलानियों से नगर में मेले जैसा माहौल दिखाई दिया। नगर में सुबह से ही अच्छी धूप खिली, जिससे मौसम खुशनुमा रहा। इसके साथ ही नगर में आम जनजीवन भी पटरी पर लौटने लगा। अधिकांश क्षेत्रों में बिजली और पानी की सेवाएं भी बहाल हो गई हैं। अलबत्ता, अपराह्न तक बादल वापस आसमान में घिर आए, और मौसम विभाग के अनुसार तापमान अधिकतम 3.4 एवं न्यूनतम 1.2 डिग्री सेल्सियस तक लुड़क गया। उल्लेखनीय है कि पहाड़ों पर शुक्रवार से बदले मौसम के तहत शनिवार को अच्छी खासी बर्फवारी हुई थी, और समूचे नगर में तीन इंच से लेकर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आधा फीट तक बर्फवारी हुई। 






शनिवार को शाम को ही बर्फवारी रुक गई थी,और इसके बाद आसमान धीरे-धीरे साफ होता चला गया। बर्फवारी होने की जानकारी मिलने पर नजदीकी मैदानी क्षेत्रों के सैलानी नैनीताल में उमड़ आए, और उन्हें बर्फ से खेलने के लिए ऊंचे क्षेत्रों में भी नहीं जाना पड़ा। माल रोड, पालिका गार्डन सहित अन्य पाकरे में भी सैलानी एक-दूसरे पर बर्फ के गोले दाग कर खूब आनंद लेते रहे। अलबत्ता, नगर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सीसी मागरे पर बर्फ की वजह से फिसलन होने की वजह से अनेक लोग कार्य पर नहीं आ पाए, और जनजीवन कुछ हद तक प्रभावित रहा। दिन भर छतों से बर्फ के धूप में पिघल कर गिरने से बाजारों में बारिश जैसा माहौल रहा। बारिश- बर्फवारी को फसलों और शाक-सब्जी व फलों के लिए लाभदायक माना जा रहा है।

मंगलवार, 14 जनवरी 2014

'शत्रु संपत्ति' मेट्रोपोल के हिस्से पर रातों-रात किये कब्जे

  • पांच लोगों के विरुद्ध प्रशासन ने दर्ज कराई एफआईआर 
  • जिला प्रशासन के नियंत्रण में होती हैं सभी शत्रु संपत्तियां

नैनीताल (एसएनबी)। नगर स्थित राजा महमूदाबाद अमीर मोहम्मद खान की प्रशासन के कब्जे वाली अरबों रुपये की शत्रु संपत्ति मेट्रोपोल होटल परिसर में बड़े पैमाने पर रातों-रात कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया। लोगों ने चीना बाबा मंदिर से नीचे की ओर बड़े नाले के किनारे करीब 50 मीटर लंबाई में अतिक्रमण कर टिनशेडों का निर्माण भी कर डाला। रातभर क्षेत्र में निर्माण होने से खूब हो-हल्ला रहा। अलबत्ता शत्रु संपत्ति के कस्टोडियन जिला प्रशासन को इसकी भनक भी नहीं लगी। दिन में सूचना मिलने पर प्रशासन ने निर्माण ढहाकर सामग्री जब्त कर ली है। साथ ही पांच लोगों के विरुद्ध मल्लीताल कोतवाली में एफआईआर दर्ज करा दी गई है। मंगलवार सुबह भाजपा नेता मनोज जोशी ने डीएम अरविंद सिंह ह्यांकी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को मेट्रोपोल परिसर में रात्रि में बड़े पैमाने पर कब्जे होने व टिनशेड लगाए जाने की सूचना दी। इस पर एसडीएम शिवचरण द्विवेदी ने राजस्व पुलिस, पुलिस व नगर पालिका की गैंग की मदद से क्षेत्र में कब्जा कर किये गए निर्माण को ध्वस्त करवा दिया और निर्माण सामग्री जब्त करवा दी। मामले में तहसीलदार बहादुर सिंह लटवाल की ओर से मल्लीताल कोतवाली में कब्जा कर रहे फारूख पुत्र मो. हनीफ, नजाकत पुत्र मो. हशमत, असलम पुत्र अमजद, जमील पुत्र अब्दुल गफ्फूर व यूसुफ पुत्र अहमद के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करा दी गई है। कब्जे हटाने की कार्रवाई में कार्रवाई में सीओ हरीश कुमार, नायब तहसीलदार नीलू चावला, कोतवाल हरक सिंह फिरमाल, तल्लीताल थाना प्रभारी उत्तम सिंह आदि लोग शामिल रहे।

अपने दौर का सबसे बड़ा होटल था मेट्रोपोल

नैनीताल। नगर के अपने दौर के सबसे बड़े 41 कमरे के मेट्रोपोल होटल का निर्माण मि. रेंडल नाम के अंग्रेज ने किया था। बाद में यह राजा महमूदाबाद की संपत्ति हो गई। देश की आजादी के बाद यह संपत्ति राजा के इकलौते चश्मो-चिराग राजा अमीर मोहम्मद खान के हिस्से आयी, लेकिन इस पर अनेक लोगों का कब्जा रहा। इनमें से एक प्रमुख श्री लूथरा 1995 तक इसे होटल के रूप में चलाते रहे। वर्ष 2005 में न्यायिक प्रक्रिया के बाद इसे प्रशासन द्वारा शत्रु संपत्ति घोषित कर तथा कब्जे छुड़वाकर राजा के हवाले कर दिया गया, लेकिन बाद में दो अगस्त 2010 को न्यायालय के आदेशों पर इसे वापस जिला प्रशासन ने बतौर कस्टोडियन कब्जे में ले लिया था।

लाखों की आय के बावजूद सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं

नैनीताल। अरबों रुपये की प्रशासन के कब्जे वाली शत्रु संपत्ति मेट्रोपोल होटल में गत 26 नवम्बर की रात्रि भीषण अग्निकांड हो गया था, जिसमें होटल के बॉइलर रूम व बैडमिंटन कोर्ट तथा 14 कमरों वाला हिस्सा कमोबेश खाक हो गया था। तब भी होटल में कोई सुरक्षा प्रबंध नहीं थे और इसके बाद भी प्रशासन ने इसकी सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं किये हैं। गौरतलब है कि इस संपत्ति के मैदान को प्रशासन ग्रीष्मकाल में पार्किग के रूप में प्रयोग करता है, जिससे लाखों रुपये की आय भी प्राप्त होती है। राजा महमूदाबाद के प्रतिनिधि अब्दुल सत्तार ने बताया कि पूर्व में प्रशासन की ओर से यहां पुलिस कर्मी गार्ड के रूप में तैनात रहता था, लेकिन पिछले विस चुनाव के दौरान फोर्स की कमी होने पर गार्ड हटा तो उसके बाद तैनात ही नहीं किया गया।

शनिवार, 11 जनवरी 2014

जलौनी लकड़ी लेने के लिए भी दिखाना होगा पैन कार्ड

कोयला-केरोसिन है नहीं अब लकड़ी को भी तरसे
प्रदेश में पड़ रही कड़ाके की सर्दी से लोग बेहाल
नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश में पड़ रही कड़ाके की सर्दी में प्रदेशवासियों के पास गर्मी लाने का कोई प्रबंध नहीं रह गया है। प्रदेश में राशन कार्ड पर सस्ती कुकाठ की जलौनी लकड़ी देने की व्यवस्था के तहत भी लकड़ी नहीं मिल पा रही है। अधिकारियों का कहना है कि लकड़ी उपलब्ध नहीं है। उल्लेखनीय है कि पूरे कुमाऊं मंडल में इस मौसम में कोयला उपलब्ध नहीं है। केरोसिन भी किसी दाम पर उपलब्ध नहीं है। उधर यदि कोई महंगी दरों पर बांज की जलौनी लकड़ी चाहता है तो उसे अपना पैन कार्ड दिखाना होगा। पैन कार्ड दिखाने पर उसे 2.64 फीसद का आयकर देना होगा, लेकिन यदि पैन कार्ड न हो तो 20 फीसद आयकर के रूप में अतिरिक्त चुकाना होगा। वन निगम के अनुसार बांज की जलौनी लकड़ी के मूल भाव 470 रुपये प्रति कुंतल के हैं। इस पर 2.5 फीसद मंडी शुल्क व पांच फीसद वैट के साथ ही पैन कार्ड दिखाने पर 2.64 फीसद और न दिखाने पर 20 फीसद आयकर देने का प्रावधान है। इस प्रकार पैन कार्ड दिखाने पर एक कुंतल बांज की लकड़ी 525 के भाव और पैनकार्ड न दिखाने पर 613 रुपये के भाव पर मिल रही है। वन निगम के उप लौगिंग अधिकारी आनंद कुमार ने बताया कि राशन कार्ड पर 300 रुपये प्रति कुंतल के भाव मिलने वाली कुकाठ की जलौनी लकड़ी पूरे प्रदेश में उपलब्ध नहीं है। केवल शवदाह के लिए ही उपलब्ध कराई जा रही है।

बर्फबारी ने सप्ताहांत पर किया सैलानियों का स्वागत


नगर क्षेत्र में हुई मौसम की पहली बर्फबारी, पारा 0.5 डिग्री तक गिरा
नैनीताल (एसएनबी)। शनिवार को सरोवरनगरी के निचले क्षेत्रों को भी बर्फबारी का तोहफा मिल गया। इस मौके पर नगर में मौजूद सैलानियों के लिए कुदरत की यह खूबसूरत नेमत मनमांगी मुराद की तरह रही। अनेक सैलानियों ने इसे ‘न्यू इयर व वीकेंड बोनान्जा’ कहकर पुकारा। मौसम विभाग के अनुसार शनिवार को नगर का न्यूनतम तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया और अधिकतम तापमान 13 डिग्री रहा। सरोवरनगरी में पहले 31 दिसम्बर को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हुई थी। शनिवार की सुबह तड़के नगर के तल्लीताल और माल रोड तक भी अच्छी बर्फबारी हुई। वहीं नगर के सूखाताल, कुमाऊं विवि, चार्टन लॉज, सात नम्बर, रैमजे, स्टोनले कंपाउंड आदि क्षेत्रों में बर्फबारी हुई। नगर में सैलानियों ने कालाढुंगी रोड पर धामपुर बैंड, लेक व्यू, हिमालय दर्शन व स्नोव्यू क्षेत्रों में जमकर बर्फबारी का आनंद लिया। स्नोव्यू क्षेत्र में बर्फबारी का आनंद लेने के लिए रोप-वे से जाने के लिए सैलानियों की कतारें लगा रहीं। वहीं शनिवार को बर्फबारी के बाद भी नगर में पूरे दिन आसमान में बादल छाये रहे और कई बार हवा के साथ हिमकणों की फुहारें गिरती रहीं लेकिन सूर्यास्त के दौरान धूप के दर्शन हुए। जिसे अगले दिन धूप खिलने का इशारा माना जाता है। मौसम विभाग ने रविवार को मौसम खुलने और अगले दो दिन बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई है।