बुधवार, 25 दिसंबर 2013

आपदा के मानसिक व सामाजिक प्रभावों का होगा अध्ययन

देश की सर्वोच्च समाज वैज्ञानिक अनुसंधान परिषद एक करोड़ रुपये से शुरू कराएगी परियोजनाएं
नवीन जोशी, नैनीताल। उत्तराखंड में विगत जून में आई भीषण आपदा में जन-धन के नुकसान की अलग-अलग स्तरों से हो रही भरपाई से इतर आपदा से प्रभावित मानव मन एवं समाज पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाएगा। देश का सामाजिक विज्ञान क्षेत्र में अध्ययन कराने वाली शीर्ष संस्था भारतीय सामाजिक अनुसंधान एवं शैक्षिक परिषद (आईसीएसएसआर) इस क्षेत्र में करीब एक करोड़ रपए की लागत की परियोजनाएं शुरू करने जा रहा है। इन परियोजनाओं के लिए आईसीएसएसआर ने प्रस्ताव आमंत्रित किए थे, जिनका मूल्यांकन हो चुका है। प्रदेश में आई आपदा के बाद अनेक प्रभावितों के मानसिक संतुलन खोने की खबरें समाने आई हैं। मनोवैज्ञानिकों का मानना है प्रभावितों के पुनर्वास में केवल नष्ट हुई जमीनें देना, घर बना देना या सड़क-बिजली-पानी जैसी ढांचागत सुविधाएं बहाल कर देना ही पर्याप्त नहीं होता। प्रभावित लोगों को अन्यत्र बसाने में उनके अपनी मूल मिट्टी से जुड़े सामाजिक-सांस्कृतिक सरोकारों- परिवेश पर भी व्यापक प्रभाव पड़ता है, लिहाजा अपने प्रियजनों और मूल गांवों को खो चुके प्रभावितों के मानसिक पुनर्वास की भी जरूरत महसूस की जाती है। आईसीएसएसआर के निदेशक व पिथौरागढ़ जनपद के मूल निवासी डा. जीएस सौन ने बताया कि आपदा से प्रभावितों पर मानसिक व सामाजिक स्तर पर पड़े प्रभाव तथा उन्हें अब तक मिली आपदा राहत व मदद के प्रभावों का अध्ययन जैसे विषयों का न केवल एक बार वरन एक, दो एवं तीन वर्षो के अंतराल पर अध्ययन कराने के प्रस्ताव मांगे गए हैं। इन प्रस्तावों पर कुमाऊं व गढ़वाल विवि के साथ ही महाविद्यालयों एवं शोध संस्थानों के माध्यम से 15-20 लाख रपए की चार-पांच बड़ी परियोजनाएं कुछ दिनों के भीतर ही स्वीकृत होने की उम्मीद है। इससे प्रभावितों पर आपदा से पड़े सामाजिक प्रभावों का वैज्ञानिक तरीके से विस्तृत अध्ययन किया जाएगा।

सोमवार, 23 दिसंबर 2013

आजादी के वर्ष का एहसास कराएगा नये साल का कैलेंडर


हूबहू 1947 से मिलता है 2014 का कैलेंडर

नवीन जोशी, नैनीताल। समय चक्र ने हमें एक बार फिर से अतीत के उस दौर में पहुंचा दिया, जब पूरे देश को बस इंतजार था 15 अगस्त का। सब कुछ वही है, तारीख-दिन में कोई अंतर ही नहीं। जी हां, गौर से देखिएगा। नये साल में जो कैलेंडर हमारे सामने आ रहा है वह हूबहू वही है जो आजादी दिलाने वाले वर्ष 1947 में था। आपके पास वर्ष 1947 का वह ऐतिहासिक कलेंडर मौजूद है तो आपको अगले वर्ष के लिए नया कलेंडर लेने की जरूरत नहीं है, और यदि उस ऐतिहासिक वर्ष के तारीखों में दिन खोजने हैं तो 2014 के कैलेंडर में सब कुछ मिल जाएगा। हालांकि यह सामान्य सी बात है, और अनिश्चित अंतराल पर अनेक वर्षो के कैलेंडर समान होते रहते हैं। लेकिन जब बात 1947 के कैलेंडर की हो तो अनेक जिज्ञासा बढ़ना स्वाभाविक है। पुराने लोग इस कलेंडर को आज भी सुरक्षित रखे हुए हैं। खासकर उन्हें बृहस्पतिवार 14 अगस्त की मध्यरात्रि व 15 अगस्त के शुक्रवार का दिन कभी नहीं भूलता, जब देश पहली बार आजादी की सांसें ले रहा था। अनेक लोगों को याद है कि 1947 का वर्ष एक जनवरी को बुधवार से शुरू हुआ था और लीप वर्ष न होने की वजह से फरवरी में 28 दिन थे और वर्ष का समापन 31 जनवरी को बृहस्पतिवार को हुआ था। यह इत्तेफाक है कि आज भी देश बदलावों के दौर से गुजर रहा है, और 2014 में लोस चुनाव भी होने हैं, और कैलेंडर 1947 से पूरी तरह मिलता है।
2014 में लगातार चार-पांच दिन की छुट्टियां भी मिलेंगी

नैनीताल। छुट्टियों के मामले में नया साल 2014 सरकारी कर्मचारियों के लिए गुजरते साल से कुछ बेहतर रहेगा। उन्हें न केवल इस साल से ज्यादा छुट्टियां मिलेंगी बल्कि नए वर्ष में कई बार लगातार चार-पांच दिन के अवकाश के मौके भी मिलेंगे। हालांकि अभी राज्य सरकार ने अगले वर्ष के लिए छुट्टियों का कलेंडर जारी नहीं किया है, फिर भी अन्य प्रचलित कलेंडरों के आधार पर कहा जा सकता है कि इस वर्ष 52 रविवार, माह के दूसरे शनिवार के 12 व विभिन्न तीज त्योहारों के 22 व तीन निर्बधित छुट्टियों को मिलाकर कुल 89 अवकाश पड़ने की संभावना है। हालांकि पांच सार्वजनिक अवकाश शनिवार व रविवार को तथा नौ छुट्टियां अवकाश वाले दिनों में पड़ रही हैं। इस वर्ष दो अक्टूबर गांधी जयंती से तीन को विजयदशमी, चार व पांच अक्टूबर शनिवार- रविवार छह अक्टूबर को बकरीद का अवकाश रहने से लगातार पांच दिन की छुट्टियां लेने का मजा भी लिया जा सकेगा। इसी तरह 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के बाद 16-17 को शनिवार-रविवार तथा 18 अगस्त को जन्माष्टमी के अवकाश के साथ लगातार चार दिन की छुट्टी भी मिलेगी। ऐसे ही गुरुवार 23 से दीपावली के अवकाश के बाद गोवर्धन पूजा और फिर शनिवार- रविवार का अवकाश भी मिल जाएगा।
इन वर्षो के कैलेंडर भी 1947 जैसे
नैनीताल। एक जैसे कलेंडर वाले वर्षो के बारे में और अधिक अध्ययन करें तो पता लगता है कि ऐसा अनिश्चित अंतराल पर होता है। वर्ष का लीप इयर यानी फरवरी का 28 या 29 दिन के होने की वजह से यह अनिश्चितता रहती है। 1947 जैसे ही समान कलेंडरों की बात की जाए तो बीती शताब्दी में आजादी के बाद 1958, 1969, 1975, 1986 व 1997 में तथा वर्तमान 21वीं शताब्दी में वर्ष 2003 के कलेंडर भी समान रहे। वहीं आगे 2025, 2031, 2042, 2053, 2059, 2070, 2081और 2087 के कलेंडर भी 1947 जैसे ही रहने वाले हैं।


मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

कुमाऊं विवि की पहल: 'रूसा' के तहत कई केंद्र खोलने की योजना


कुमाऊं विवि में शोधों को बढ़ावा देने की होगी कोशिश : धामी
नैनीताल (एसएनबी)। कुमाऊं विवि शोध एवं अभिनव प्रयोगों को बढ़ाने की ओर कदम बढ़ा रहा है। इसी कड़ी में विवि की राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के तहत कई केंद्र खोलने की योजना है। इनमें अमेरिका के रोजवैल पार्क न्यूयार्क के कैंसर इंस्टीटय़ूट बफैलो पार्क व सनी इंस्टीटय़ूट शामिल हैं। इनके सहयोग से स्थापित होने वाले केंद्रों के जरिये यहां आधुनिकतम फोटो डायनेमिक थेरेपी व सोनो डायनेमिक थेरेपी से कैंसर रोग के इलाज व उपचार पर शोध होंगे। इसके साथ ही बायो इंफारमेटिक सेंटर, नैनो साइंस एंड नैनो टेक्नोलॉजी सेंटर, समाज के निर्बल वगरे के लोगों को समाज की मुख्यधारा में लाने के केंद्र और पहाड़ की औषधियों की पहचान व उनकी बार-कोडिंग करने के केंद्र भी खोले जाएंगे। यह बात कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. होशियार सिंह धामी ने रूसा के तहत दो दिनों तक चली विभिन्न संकायों व विभागों के अध्यक्षों की बैठकों के बाद कही। उन्होंने बताया कि सभी विभागों व संकायों के अध्यक्षों से रूसा के प्रावधानों के तहत इन केंद्रों के लिए प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया है। बताया कि 19 दिसम्बर तक उन्हें प्रस्ताव देने को कहा गया है। इसके बाद कुमाऊं विवि 20 दिसम्बर को देहरादून में उच्च शिक्षा विभाग को यह प्रस्ताव सौंपेंगे। उन्होंने बताया कि इन केंद्रों के जरिए विवि में शोध व अध्ययन के स्तर को बढ़ाने एवं पहाड़ में उद्यमिता एवं कौशल को बढ़ाने का उद्देश्य भी रहेगा। बैठक में सहायक कुलसचिव डा. दिनेश चंद्रा, प्रो. मोहन दुर्गापाल, प्रो. संजय पंत, प्रो. बीआर कौशल, प्रो. एसपीएस मेहता, प्रो. एनडी कांडपाल, डा. आरपी पंत, प्रो. सत्यपाल बिष्ट, प्रो. नीरजा पांडे, प्रो. नीरज तिवारी, प्रो. मनोज पांडे, प्रो. बीना पांडे, प्रो. पारुल सक्सेना व प्रो. पीसी कविदयाल समेत सभी संकायों व विभागों के अध्यक्ष मौजूद रहे। 

मंगलवार, 10 दिसंबर 2013

आज दो बार एक साथ आयेंगे 08:09:10 11:12:13

अंक विज्ञान के अनुसार खास है आज का दिन
नवीन जोशी नैनीताल। यदि आप न्यूमरोलॉजी यानी अंक विज्ञान और दिन की तारीखों में अंकों के खास समन्वयों की रोचकता को पसंद करते हैं तो बुधवार का दिन और दिसम्बर का महीना बहुत खास है। बुधवार को सुबह और शाम के समय दो बार ऐसी स्थिति बनेगी, जब समय व दिन बताने वाली डिजिटल घड़ियां और आपके कम्प्यूटर और लैपटॉप पर ‘08:09:10 11.12.13’ अंकित देखेंगे। यह होगा जब बुधवार को वर्ष 2013 के 12वें यानी दिसम्बर माह की 11वीं तिथि होगी और समय सुबह व शाम आठ बजकर नौ मिनट और 10 सेकेंड होंगे। ऐसी स्थिति 100 वर्षो में एक बार यानी कमोबेश हर किसी के जीवन में एक बार ही आएगी। पूर्व में यह स्थिति 1913 के 11 दिसंबर को आई होगी और आगे 2123 में आएगी। 

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‘मनी बैग’ देगा दिसम्बर !

इसके अलावा दिसम्बर में चीनी फेंग शुई मान्यताओं के अनुसार ‘मनी बैग’ की एक खास स्थिति भी बन रही है। इसके बारे में मान्यता है कि जो भी व्यक्ति अपनी डायरी और सोशल नेटवर्किंग साइट्स की प्रोफाइल पर इसे अंकित करते हैं, उन्हें चार दिन के भीतर धन की प्राप्ति होती है। हालांकि इस बात की सत्यता के कोई पुख्ता प्रमाण नहीं हैं, बावजूद चीनी लोगों में इसकी होड़ रहती है। इस वर्ष दिसम्बर माह में भी यह खास स्थिति पांच रविवार, पांच सोमवार व पांच मंगलवारों के होने से आई है। इसके बारे में कहा जाता है कि ऐसा 823 वर्षो में एक बार होता है। यानी ऐसा दिसम्बर माह जिसमें पांच रवि, सोम व मंगलवार आएंगे, वह 823 वर्ष पूर्व वर्ष 1190 में और आगे वर्ष 2836 में आएगा। गौरतलब है कि 31 दिन के सभी महीनों में तीन वारों के पांच सप्ताह होते हैं। इस वर्ष जनवरी में पांच मंगल, बुध व बृहस्पति, मार्च में पांच शुक्र, शनि व रविवार, मई में पांच बुध, गुरु व शुक्र, जुलाई में पांच सोम, मंगल व बुध, अगस्त में पांच गुरु, शुक्र व शनि और अक्टूबर में पांच मंगल, बुध व गुरुवार आए, मगर किसी एक माह विशेष में समान वारों के पांच सप्ताह होने की स्थिति हमेशा 823 वर्षो में ही आती है। 

सोमवार, 9 दिसंबर 2013

सवा पांच करोड़ साल का हुआ अपना 'हिमालय'

कुमाऊं विवि के भूविज्ञान विभाग ने अंतरराष्ट्रीय शोध के बाद निकाला निष्कर्ष 
रेडियो एक्टिव डेटिंग से पहुंचे परिणाम तक  
नवीन जोशी नैनीताल। हिमालय की उत्पत्ति के संबंध में लगातार शोध हो रहे हैं। वैज्ञानिकों में हिमालय की शुरुआत को लेकर अलग-अलग मत हैं। कोई इसे दो करोड़, तो कोई तीन करोड़ और कोई साढ़े पांच करोड़ वर्ष पुराना साबित कर रहा है। शोध के इन दावों के बीच कुमाऊं विवि के भूविज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने भी एक और शोध करने का दावा किया है। इन वैज्ञानिकों का कहना है कि लगभग छह वर्ष तक शोध करने के बाद यह पता लगा है कि हिमालय के बनने की शुरुआत सवा पांच करोड़ वर्ष पहले हुई थी। 
कुमाऊं विवि के भूविज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने अत्याधुनिक उपकरणों के साथ किए एक अंतरराष्ट्रीय शोध के बाद दावा किया है कि हिमालय के जन्म की मुख्य वजह भारतीय उपमहाद्वीपीय प्लेट के यूरेशियन (तिब्बती प्लेट) में टकराने की शुरुआत 52.2 मिलियन यानी 5.22 करोड़ वर्ष पूर्व हुई थी और इसके बाद टकराने की यह प्रक्रिया लम्बे समय तक जारी रही। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि अब भी भारतीय प्लेट का 35 मिमी प्रति वर्ष की दर से उत्तर की ओर खिसकते हुए यूरेशियन प्लेट में धंस रही है और यही इस क्षेत्र में बड़े भूकंपों की आशंका को बढ़ाने वाला है। कुमाऊं विवि के भूविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. संतोष कुमार ने सोमवार को ‘राष्ट्रीय सहारा’ से इस नये शोध के परिणामों का खुलासा करते हुए यह दावा किया। उन्होंने बताया कि कुमाऊं विवि का शोध पूर्व में भारतीय उपमहाद्वीप और तिब्बत की ओर पाए जाने वाले समान प्रकार के जानवरों के परीक्षण के आधार पर किए गए शोधों के आधार पर किए गए शोधों के करीब है, जिसमें हिमालय की उम्र 55 मिलियन वर्ष बतायी जाती है। उन्होंने बताया कि कुमाऊं विवि द्वारा यह परिणाम लद्दाख में पाई जाने वाली ग्रेनाइट की चट्टानों में मिले एक खास अवयव जिरकॉन की चीन व कोरिया में अत्याधुनिक ‘सेन्सिटिव हाई रेजोल्यूसन आयन माइक्रो प्रोब’ (श्रिम्प) तकनीक से आयु का पता लगाकर निकाला गया है। इसे रेडियोएक्टिव डेटिंग भी कहते हैं। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय शोध जर्नल में इसका प्रकाशन भी हो रहा है। इस शोध के आधार पर प्रो. कुमार कहते हैं कि सर्वप्रथम हिमालय के स्थान पर उस दौर में मौजूद टेथिस महासागर की सामुद्रिक प्लेटें आपस में टकराने से पिघलीं और इसके लावे से लद्दाख के पठारों का और बाद में भारतीय व यूरेशियन प्लेट के अनेक स्थानों पर लंबे समय अंतराल में अलग-अलग टकराने की वजह से वर्तमान हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ। इस शोध परियोजना में प्रो. कुमार के साथ ही विवि के डा. बृजेश सिंह, डा. मंजरी पाठक व डा. सीता बोरा आदि प्राध्यापकों व शोध छात्र-छात्राओं का भी योगदान है। 

सोना, तांबा के भंडार खोजने में मिलेगी मदद 
नैनीताल। कुमाऊं विवि द्वारा किया गया शोध हिमालय की वास्तविक उम्र जानने में तो मदद करता ही है, साथ ही इसके दूरगामी लाभ इस संदर्भ में भी हैं कि इसके जरिए हिमालय के भूगर्भ में पाई जाने वाली बहुमूल्य खनिज संपदा के बारे में भी पता लगाया जा सकता है। प्रो. कुमार कहते हैं कि इस तकनीक की मदद लेते हुए तांबा, सोना व मालिब्डेनम जैसे खनिजों की उपस्थिति वाले क्षेत्रों में इन तत्वों की खोज की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।

शनिवार, 7 दिसंबर 2013

मोदी की रैली पर शादियों के लग्न भारी !

शादियों की वजह से रैली के लिए गाड़ियां मिलने में हो रही परेशानी, पर भाजपाइयों में दिख रहा भारी जोश
नवीन जोशी नैनीताल। 15 दिसम्बर को दून में हो रही भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की रैली की राह को इस दौरान और खासकर रैली के दिन तक ही उपलब्ध शादियों के लग्न प्रभावित कर रहे हैं। चूंकि शादियों के लग्न 14 तक ही हैं और इधर मौसम भी अधिक सर्द नहीं हुआ है। इस दौरान जनता के साथ ही अनेक भाजपा कार्यकर्ता भी अपने निकटस्थों की शादियों में आमंत्रित और व्यस्त हैं। शादियों के लिए पहले से ही बुक होने की वजह से भाजपाइयों को रैली में जाने के लिए बसें ठीक से उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं लेकिन शायद मोदी को देखने और सुनने का उत्साह ही है कि ऐसी स्थितियों के बावजूद भाजपाई रैली में हर हाल में जाने की बात कह रहे हैं। 
मंडल व जिला मुख्यालय में जहां एक ओर भाजपा कार्यकर्ताओं में मोदी की रैली के प्रति जोश दिख रहा है, वहीं वह प्रदेश हाईकमान द्वारा रैली के लिए दिए गए लक्ष्यों को लेकर परेशान हैं। इसका कारण यह है कि करीब एक हजार कार्यकर्ताओं को देहरादून ले जाना है। इनमें से अन्य लोग तो अपने प्रबंधों से दून चले जाएंगे लेकिन संगठन को करीब डेढ़ सौ कार्यकर्ताओं को दून ले जाने की व्यवस्था करने को कहा गया है। इस हेतु कम से कम पांच बसों की आवश्यकता है। बसों की व्यवस्था में जुटे एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि आम तौर पर नैनीताल से दून के लिए 18 हजार रुपये में बसें मिल जाती हैं लेकिन इधर शादियों में व्यस्त होने के कारण 25 हजार रुपये से कम में बसें नहीं मिल पा रही हैं। हालांकि ऐसे कार्यकर्ता भी मिले। जिन्होंने कहा कि बसें मिले चाहे न मिलें, भले ट्रकों में लटककर जाना पड़े लेकिन दून जरूर जाएंगे। क्योंकि मोदी के रूप में भाजपा को सत्ता में लौटाने का जो मौका मिला है, उसे चूकेंगे नहीं। इस बारे में भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश पंत ने भी स्वीकारा कि शादियों की वजह से शंखनाद रैली के प्रबंधों में दिक्कत तो आ रही है लेकिन कार्यकर्ताओं का जोश देखते हुए रैली में भीड़ जुटाने में कोई कठिनाई नहीं है।

गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

कुमाऊं विवि की परीक्षाएं होंगी ऑनलाइन

इंडिया रिजल्ट्स डॉट कॉम और आम्रपाली इंस्टीटय़ूट विवि के लिए मुफ्त में कर रही हैं परीक्षा की व्यवस्थाएं
नैनीताल (एसएनबी)। कुमाऊं विवि की सेमेस्टर पद्धति से होने वाली एवं प्रोफेशनल कोसरे की परीक्षाएं ऑनलाइन होने जा रही हैं। इस व्यवस्था के तहत विवि के छात्र फिलहाल ऑनलाइन और ऑफ लाइन दोनों तरह से परीक्षा फार्म भर पाएंगे और घर बैठे इंटरनेट के जरिये प्रवेश पत्र, जांच पत्र एवं अंक पत्र आदि डाउनलोड कर सकेंगे। इसके अलावा विवि के लिए परीक्षाओं को ऑनलाइन करने की व्यवस्थाएं मुफ्त में होने जा रही हैं। बृहस्पतिवार को कुमाऊं विवि के कुलपति कार्यालय में कुलपति प्रो. एचएस धामी की अध्यक्षता में परीक्षा पण्राली को ऑनलाइन करने के लिए हुई बैठक में सभी व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया गया। बताया गया कि फिलहाल छात्र चाहें तो सीधे ऑनलाइन और अन्यथा ऑफलाइन भी परीक्षा फॉर्म भर पाएंगे। ऐसे ऑफलाइन फॉर्मो को एक्सेल के फॉम्रेट में विवि द्वारा इंडिया रिजल्ट्स को भेजा जाएगा, जो इसे ऑनलाइन कर देगा। परीक्षाओं के ऑनलाइन फॉर्म भरने एवं अंक पत्र, जांच पत्र व अंक पत्र आदि डाउनलोड करने की व्यवस्था इंडिया रिजल्ट्स डॉट कॉम नाम की वेबसाइट और परीक्षाओं के बाद की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए जरूरी सॉफ्टवेयर हल्द्वानी के आम्रपाली इंस्टिटय़ूट द्वारा तैयार की जा रही है। बैठक में विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. रजनीश पांडे, सहायक कुलसचिव दिनेश चंद्रा, वित्त अधिकारी डीएस बोनाल, प्रो. बीडी कविदयाल, इंडिया रिजल्ट्स के सहायक प्रबंधक-तकनीकी एमके पांडे, विवि की ऑनलाइन व्यवस्थाएं देखने वाली कंपनी वंडर प्वाइंट के सीईओ निखिल मिश्रा आदि मौजूद थे।

अब केयूनैनीताल होगी कुमाऊं विवि की आधिकारिक वेबसाइट 
नैनीताल। कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. एचएस धामी ने बताया कि अब विवि की आधिकारिक वेबसाइट केयू नैनीताल डॉट एसी डॉट इन होगी। इस वेबसाइट में विवि की अकादमिक एवं प्रशासनिक जानकारियां होंगी। विवि की अब तक चल रही वेबसाइट केयूएनटीएल डॉट कॉम पर क्लिक करके भी इन वेबसाइटों पर सीधे प्रवेश हो जाएगा। विवि की परीक्षाओं के परिणाम केयूइक्जाम डॉट एसी डॉट इन वेबसाइट पर देखे जा सकेंगे लेकिन इसके लिए इंडिया रिजल्ट्स डॉट कॉम की वेबसाइट के लिंक को भी क्लिक करना पड़ेगा। जो विवि के लिए नि:शुल्क व्यवस्था कर रहा है। 
अभाविप ने किया ऑनलाइन प्रक्रिया का स्वागत 
नैनीताल। छात्रों के संगठन अभाविप ने कुमाऊं विवि द्वारा परीक्षा पण्राली को ऑनलाइन करने और इसके लिए परीक्षा फॉर्म भरने के लिए ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों विकल्प देने पर विवि प्रशासन व कुलपति की पहल का स्वागत किया है। परिषद कार्यकर्ताओं ने कहा कि वह कई बार इस बाबत विवि प्रशासन को ज्ञापन दे चुके थे। कुमाऊं विवि छात्र परिषद (महासंघ) ने भी विवि की पहल का स्वागत किया है। 
विवि के लिए अमेरिकी कैंसर संस्थान तैयार करेगा प्रोजेक्ट 
नैनीताल। अमेरिका के बफैलो शहर स्थित रोजवैल पार्क कैंसर इंस्टीटय़ूट कुमाऊं विवि के लिए कैंसर के निदान के लिए प्रयोग की जाने वाली फोटो डायनेमिक थेरेपी के प्रोजेक्ट तैयार करेगा। विवि के कुलपति प्रो. एचएस धामी ने बताया कि इस संस्थान के फोटो डायनेमिक थेरेपी सेंटर के निदेशक प्रो. रवींद्र कुमार पांडे कुमाऊं विवि के पूर्व छात्र हैं। उन्हीं की पहल पर यह हुआ है। विवि ने अपने रसायन, भौतिकी व माइक्रो बायलॉजी के तीन प्राध्यापकों-डा.पैनी जोशी उपाध्याय, डा. संतोष उपाध्याय व प्रो. संजय पंत को इस प्रोजेक्ट हेतु नियुक्त कर दिया है।

बुधवार, 4 दिसंबर 2013

'आस्कर पिस्टोरियस' की राह पर दून का लोकेश

हौसलों के आगे हार गयी विकलांगता
शारीरिक रूप से दक्ष खिलाड़ियों के बीच ही मुकाबला करना चाहता है लोकेश 
नवीन जोशी नैनीताल। ओलम्पियन ब्लेड रनर आस्कर पिस्टोरियस को अपना आदर्श मानने वाला दून का लोकेश खेलों की दुनिया में अपना एक नया मुकाम हासिल करना चाहता है। लोकेश ने अपना एक पैर बचपन में हुई एक दुर्घटना में गंवा दिया था, लेकिन अपनी इच्छाशक्ति, साहस और हौसले की बदौलत उसने शरीर सौष्ठव (बॉडी बिल्डिंग) व भारोत्तोलन (वेटलिफ्टिंग) में अपनी अलग पहचान बनाई है। लोकेश का कहना है कि वह विकलांग खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करेगा, बल्कि शारीरिक रूप से दक्ष खिलाड़ियों के बीच मुकाबला करेगा। राज्यस्तरीय भारोत्तोलन प्रतियोगिता में लोकेश कांस्य पदक हासिल कर चुका है। 
आस्कर पिस्टोरियस
18 वर्षीय लोकेश कुमार चौधरी ने नैनीताल में ‘राष्ट्रीय सहारा’ से भेंट में बताया कि वह दून के डीएवी कॉलेज में बीकॉम द्वितीय वर्ष का छात्र है। लोकेश के अनुसार 1997 में उसके पिता किशोरी लाल पौड़ी में पुलिस विभाग में एसपीओ के पद पर थे। तब वह चार वर्ष का था कि एक दिन एक ट्रक ने उसके बांए पैर को कुचल दिया। पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे लोकेश को 2003 में नकली पैर पहना दिये। तभी लोकेश ने ठान लिया था कि वह किसी को खुद को विकलांग नहीं कहने देगा। न केवल आम और पूरी तरह से शारीरिक रूप से दक्ष युवकों के साथ खड़ा होगा, वरन स्वयं को साबित करते हुए उनके लिए भी मिसाल कायम करके रहेगा। गत दिवस नगर के शैले हॉल में आयोजित 55 किग्राभार वर्ग में लोकेश ने मिस्टर उत्तराखंड प्रतियोगिता में भी उसने प्रतिभाग किया, तो प्रदेश के बॉडी बिल्डिंग कोच व प्रतियोगिता के निर्णायक केएन शर्मा उसकी प्रतिभा व दृढ़ हौसले के कायल हुए बिना न रह पाए और अपनी जेब से उसे 1100 रुपए का नगद पुरस्कार भेंट किया। लोकेश प्रदेश का इकलौता शारीरिक रूप से अक्षम बॉडी बिल्डर तो है ही, साथ ही वह आम खिलाड़ियों के साथ ही प्रतिभाग करने का हौसला रखता है। लोकेश ने बताया कि अभी वह छह माह से ही बॉडी बिल्डिंग का प्रशिक्षण ले रहा है। पूर्व में वेट लिफ्टिंग में आम खिलाड़ियों के बीच प्रतिस्पर्धा करते हुए इस 55 किग्राके पहलवान ने बैंच प्रेस पर लेटकर 75 किग्रा, स्कॉट्स पर 90 किग्राऔर डेड लिफ्ट स्पर्धा में 120 किग्रा वजन उठाकर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में रजत पदक प्राप्त किया है। 

बुधवार, 20 नवंबर 2013

मंत्रियों ने अपनी सीटें सामान्य करा लीं, बाकी पर आरक्षण

पंचायत चुनावों के लिए आरक्षण का खाका तैयार 
नैनीताल (एसएनबी)। जनपद में आसन्न पंचायत चुनावों के लिए ब्लाक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य एवं ग्राम पंचायत की सीटों के लिए आरक्षण की घोषणा हो गई है। बुधवार को डीएम के स्तर से आरक्षण की स्थिति साफ हो गई है। इसके तहत जनपद की सर्वाधिक महत्वपूर्ण हल्द्वानी, बेतालघाट और रामनगर के ब्लॉक प्रमुखों की सीटें अनारक्षित रखी गई हैं। उल्लेखनीय है कि यह तीनों क्षेत्र राज्य सरकार के तीन सर्वाधिक प्रभावी काबीना मंत्रियों के परंपरागत क्षेत्र हैं। हल्द्वानी काबीना मंत्री डा. इंदिरा हृदयेश, बेतालघाट अब परोक्ष तौर पर यशपाल आर्या एवं रामनगर अमृता रावत के गृह क्षेत्र हैं। वहीं कोटाबाग में अनुसूचित जाति की महिला, ओखलकांडा में अनुसूचित जाति के पुरुष या महिला तथा धारी, रामगढ़ व भीमताल महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं। 
साफ है कि इन सभी ब्लाकों में मौजूदा स्थिति के हिसाब से आरक्षण के बदलाव से राजनीतिक रूप से उलटफेर कर दिया गया है, हालांकि अभी इन पर आपत्तियां भी दी जा सकती हैं। इसी तरह जिला पंचायत क्षेत्रों के आरक्षण की बात करें तो जिले की 26 सीटों में से तीन सीटें अनुसूचित जाति की महिलाओं, तीन अनुसूचित जाति, एक पिछड़ी जाति, नौ महिलाओं के लिए आरक्षित तथा 10 अनारक्षित छोड़ी गई हैं। चोरगलिया आमखेड़ा, ककोड़ व पत्तापानी अनु. जाति की महिलाओं, आंवलाकोट, ओखलकांडा मल्ला व पूरनपुर अनु. जाति, सिमलखां पिछड़ी जाति, सूपी, जंगलियागांव, दाड़िमा, दीनी तल्ली, सरना, चंद्रनगर, बमेठा बंगर खीमा, बिठौरिया नं. 1 व अमृतपुर महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं। वहीं पनियाली, ज्योलीकोट, बड़ोन, कमोला, ढोलीगांव, हरतपा, घंघरेटी, छोई, गहना व मेहरागांव अनारक्षित रखी गई हैं। इसी प्रकार क्षेत्र पंचायत एवं ग्राम पंचायत की सीटों के लिए भी आरक्षणों की भारी भरकम सूची जारी कर दी गई है, और इसे जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर रखवा दिया गया है।

सोमवार, 18 नवंबर 2013

स्थापना दिवस पर नैनीताल को कुदरत से मिला ‘विंटर लाइन’ का अनूठा तोहफा

नवीन जोशी, नैनीताल। इधर सरोवरनगरी वासी सोमवार को अपनी प्रिय नगरी का 172वां स्थापना दिवस मना रहे थे। उधर कुदरत ‘प्रकृति का स्वर्ग’ कही जाने वाली नगरी को चुपके से ऐसा तोहफा दे गई, जिसे प्रकृति प्रेमी ‘विंटर लाइन’ कहते हैं। कुदरत की इस अनूठी नेमत ‘विंटर लाइन’ के बारे में कहा जाता है कि यह दुनिया में केवल स्विटजरलैंड की बॉन वैली और मसूरी के लाल टिब्बा से ही नजर आती है। नैनीताल से भी यह वर्षो से नजर आती है लेकिन अब तक इसे नगर व प्रदेश के पर्यटन कैलेंडर और पर्यटन व्यवसायियों से मान्यता नहीं मिल पाई है। प्रकृति प्रेमियों के अनुसार ‘विंटर लाइन’ की स्थिति सर्दियों में मैदानों में कोहरा छाने और ऊपर से सूर्य की रोशनी पड़ने के परिणामस्वरूप शाम ढलते सैकड़ों किमी लंबी सुर्ख लाल व गुलाबी रंग की रेखा के रूप में नजर आती है। नैनीताल में इसका सबसे शानदार नजारा हनुमानगढ़ी क्षेत्र से लिया जा सकता है लेकिन नगर के चिड़ियाघर क्षेत्र से भी इसे देखा जा सकता है। सुबह सूर्योदय से पूर्व भी इसे हल्के स्वरूप में देखा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि हनुमानगढ़ी से सूर्यास्त के भी अनूठे नजारे देखने को मिलते हैं। प्रकृति प्रेमी बताते हैं कि इस दौरान डूबते हुए सूर्य में कभी घड़ा तो कभी सुराही जैसे अनेक आकार प्रतिबिंबित होते हैं। पूर्व में इन्हें देखने के लिये यहां बकायदा व्यू प्वाइंट स्थापित थे, जो बीते वर्षो में हटा दिये गये हैं।

नेपाली फिल्म ‘विरासत’ में भी दिखती है नैनीताल की विंटर लाइन

नैनीताल। देश-प्रदेश के पर्यटन विभाग और पर्यटन व्यवसायी भले विंटरलाइन की खूबसूरती का नगर के पर्यटन उद्योग को बढ़ाने में उपयोग न कर रहे हों लेकिन गत वर्ष नगर में इन्हीं दिनों फिल्माई गई नेपाली फिल्मों के निर्देशक गोविंद गौतम की नायक समर थापा व नायिका सोनिया खड़का अभिनीत फिल्म विरासत में नैनीताल की विंटरलाइन को फिल्माया गया है। इस फिल्म के एक गीत में नायकनाियका के बीच हनुमानगढ़ी के पास विंटर लाइन को दिखाते हुए प्रणय दृश्य फिल्माए गए हैं।