हौसलों के आगे हार गयी विकलांगता
शारीरिक रूप से दक्ष खिलाड़ियों के बीच ही मुकाबला करना चाहता है लोकेश
नवीन जोशी नैनीताल। ओलम्पियन ब्लेड रनर आस्कर पिस्टोरियस को अपना आदर्श मानने वाला दून का लोकेश खेलों की दुनिया में अपना एक नया मुकाम हासिल करना चाहता है। लोकेश ने अपना एक पैर बचपन में हुई एक दुर्घटना में गंवा दिया था, लेकिन अपनी इच्छाशक्ति, साहस और हौसले की बदौलत उसने शरीर सौष्ठव (बॉडी बिल्डिंग) व भारोत्तोलन (वेटलिफ्टिंग) में अपनी अलग पहचान बनाई है। लोकेश का कहना है कि वह विकलांग खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करेगा, बल्कि शारीरिक रूप से दक्ष खिलाड़ियों के बीच मुकाबला करेगा। राज्यस्तरीय भारोत्तोलन प्रतियोगिता में लोकेश कांस्य पदक हासिल कर चुका है।
आस्कर पिस्टोरियस |
18 वर्षीय लोकेश कुमार चौधरी ने नैनीताल में ‘राष्ट्रीय सहारा’ से भेंट में बताया कि वह दून के डीएवी कॉलेज में बीकॉम द्वितीय वर्ष का छात्र है। लोकेश के अनुसार 1997 में उसके पिता किशोरी लाल पौड़ी में पुलिस विभाग में एसपीओ के पद पर थे। तब वह चार वर्ष का था कि एक दिन एक ट्रक ने उसके बांए पैर को कुचल दिया। पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे लोकेश को 2003 में नकली पैर पहना दिये। तभी लोकेश ने ठान लिया था कि वह किसी को खुद को विकलांग नहीं कहने देगा। न केवल आम और पूरी तरह से शारीरिक रूप से दक्ष युवकों के साथ खड़ा होगा, वरन स्वयं को साबित करते हुए उनके लिए भी मिसाल कायम करके रहेगा। गत दिवस नगर के शैले हॉल में आयोजित 55 किग्राभार वर्ग में लोकेश ने मिस्टर उत्तराखंड प्रतियोगिता में भी उसने प्रतिभाग किया, तो प्रदेश के बॉडी बिल्डिंग कोच व प्रतियोगिता के निर्णायक केएन शर्मा उसकी प्रतिभा व दृढ़ हौसले के कायल हुए बिना न रह पाए और अपनी जेब से उसे 1100 रुपए का नगद पुरस्कार भेंट किया। लोकेश प्रदेश का इकलौता शारीरिक रूप से अक्षम बॉडी बिल्डर तो है ही, साथ ही वह आम खिलाड़ियों के साथ ही प्रतिभाग करने का हौसला रखता है। लोकेश ने बताया कि अभी वह छह माह से ही बॉडी बिल्डिंग का प्रशिक्षण ले रहा है। पूर्व में वेट लिफ्टिंग में आम खिलाड़ियों के बीच प्रतिस्पर्धा करते हुए इस 55 किग्राके पहलवान ने बैंच प्रेस पर लेटकर 75 किग्रा, स्कॉट्स पर 90 किग्राऔर डेड लिफ्ट स्पर्धा में 120 किग्रा वजन उठाकर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में रजत पदक प्राप्त किया है।
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