कर लिया गया है मंडलायुक्त की अध्यक्षता में "लैंड फ्रॉड समन्वय समिति" का गठन
नवीन जोशी नैनीताल। सरकारी, गैर सरकारी हर तरह के भवनों और जमीनों पर कब्जा करना और उन्हें फर्जी तरह से खुर्द-बुर्द करना व किसी अन्य के नाम करना अब आसान नहीं होगा। ऐसे मामलों में प्रथमदृष्टया अपराध की पुष्टि होने और पर्याप्त साक्ष्य होने की स्थिति में अनिवार्य रूप से पुलिस में अभियोग पंजीकृत किये जाएंगे। प्रदेश सरकार के हालिया शासनादेश के तहत कुमाऊं मंडल में भवनों व जमीनों की धोखाधड़ी के मामलों में दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए मंडलायुक्त की अध्यक्षता में एक कमेटी-लैंड फ्रॉड समन्वय समिति का गठन कर लिया गया है। कमेटी में मंडलायुक्त के अलावा डीआईजी, झील विकास प्राधिकरण के सचिव, अपर आयुक्त, वन संरक्षक, नगर पालिका नैनीताल के अधिशासी अधिकारी सदस्य हैं। समिति की पहली बैठक में कुमाऊं परिक्षेत्र के डीआईजी ने ऐसे सभी मामलों को पुलिस को संदर्भित करने को कहा है, जिनमें प्रथमदृष्टया भवनों व जमीनों की धोखाधड़ी या अभिलेखों में हेरफेर कर अवैध खरीद-फरोख्त की गई है।
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समिति की पहली बैठक में कुमाऊं परिक्षेत्र के डीआईजी ने ऐसे सभी मामलों को पुलिस को संदर्भित करने को कहा है, जिनमें प्रथम दृष्टया भवनों व जमीनों की धोखाधड़ी या अभिलेखों में हेरफेर कर अवैध खरीद-फरोख्त की गई है। कमेटी ने अपनी पहली बैठक में खटीमा में वन भूमि के दो मामलों में एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। उम्मीद जताई जा रही है, इस कवायद से कुमाऊं मंडल में माफिया संस्कृति पर लगाम लग सकेगी।
कुमाऊं आयुक्त अवनेंद्र सिंह नयाल की अध्यक्षता में गत दिवस हुई लैंड फ्रॉड समन्वय समिति की पहली बैठक में खटीमा रेंज के आरक्षित वन क्षेत्र खेतलसंडा मुस्ताजर की आरक्षित वन भूमि के आवंटन को नियम विरुद्ध बताते हुए डीआईजी कुमाऊं ने अभियोग पंजीकृत करने पर सहमति जताई। इसी तरह चंडीगढ़ निवासी अमृता सिंह की अल्मोड़ा जिले के ग्राम देवीपुर मूल्या स्थित भूमि में उनके परिवार जनों द्वारा धोखाधड़ी से दाखिल खारिज कराने के मामले को भी डीआईजी को अभियोग पंजीकृत करने के लिए संदर्भित कर दिया गया। इसके अलावा समिति के समक्ष पिथौरागढ़ जिले के डीडीहाट क्षेत्र में व्यापक स्तर पर वन भूमि पर अवैध कब्जा कर निर्माण करने व निर्माणों को बेचने तथा नगर क्षेत्र में सरकारी जमीनों को नजूल भूमि दर्शाकर फ्री-होल्ड कराने की कार्रवाई तथा जमीनों की बिक्री की जा रही है। ऐसे मामलों में वन, राजस्व आदि विभागों का उत्तरदायित्व तय करने एवं आपराधिक पुष्टि होने पर जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध मुकदमे दर्ज करने को कहा गया है। बैठक में तय किया गया है कि भवन-जमीनों संबंधी अभिलेखों में धोखाधड़ी व हेरफेर संबंधी शिकायतों की प्रारंभिक जांच में अपराध की पुष्टि होने और पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध होने की स्थिति में अनिवार्य रूप से अभियोग पंजीकृत किए जाएंगे।