बिना ईट, सीमेंट व लकड़ी के ही बन जाएंगी इमारतें
सीबीआरआई रुड़की बेकार चीजों से तैयार कर रहा ‘ईको फ्रेंडली’ वैकल्पिक उत्पाद
धान की भूसी और चीड़ की पत्तियों से बनेगी लकड़ी
भट्ठों की राख से बनेगा रासायनिक सीमेंट और पुराने मलबे से बनेंगी ईटें
नवीन जोशी नैनीताल। क्या आप अपने वर्तमान घर की जगह पूरी तरह पर्यावरण मित्र (ईको फ्रेंडली) तकनीक से बने घर में रहना चाहेंगे। जी हां, अब यह संभव है। भवन निर्माण में बहुत दिनों तक प्राकृतिक संसाधनों पत्थर, ईट व लकड़ी तथा पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले सीमेंट का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा। देश के वैज्ञानिक इस दिशा में काफी आगे बढ़ गये हैं कि कैसे भवन निर्माण के लिए वैकल्पिक और ईको फ्रेंडली उत्पाद तैयार किये जाएं। भवन निर्माण के क्षेत्र में कार्य करने वाले वैज्ञानिक संस्थान सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिकों ने बेकार फेंकी जाने वाली धान की भूसी और चीड़ की पत्तियों से लकड़ी का विकल्प तैयार कर लिया है। इसी तरह पुराने भवनों के मलबे से नई पक्की ईटें बनाई जाएंगी, जबकि बड़ी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन कर पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा साबित होने वाले सीमेंट की जगह भट्ठियों की राख (फ्लाई ऐश) से रासायनिक सीमेंट तैयार कर लिया गया है। यदि आप चिंतित हैं कि भवन निर्माण के लिए ही कितने हरे-भरे पेड़ों की बलि ले ली जाती है, तो सीबीआरआई रुड़की आपकी इस चिंता को काफी पहले से दूर करने में लगा हुआ है। सीबीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एसके सिंह बुधवार ने एक विशेष भेंट में सीबीआरआई में भवन निर्माण के लिए तैयार किये जा रहे ईको-फ्रेंडली उत्पादों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सीबीआरआई ‘वुड विदाउट ट्री’ यानी पेड़ों के बिना लकड़ी प्राप्त करने की तकनीक पर कार्य कर रहा है। धान की भूसी से मजबूत लकड़ी तैयार कर ली गई है और इसकी तकनीकी ग्वालियर की ‘ऊं नम: शिवाय एजेंसी’ को हस्तांतरित भी कर दी गई है, जो कि धान की भूसी से बनी लकड़ी बाजार में उतारने जा रही है। कई अन्य कंपनियां भी सीबीआरआई से इस तकनीक को लेने को उद्यत हैं। इसी तरह चीड़ की पत्तियों (पिरूल) से लकड़ी बनाने की तकनीक भी तैयार हो चुकी है। इसे भी किसी कंपनी को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया चल रही है। अपनी मात्रा के बराबर ही कार्बन डाई आक्साइड उत्सर्जित करने वाले परंपरागत सीमेंट की जगह भट्ठियों की फ्लाई ऐश में सोडियम सिलीकेट सरीखे रासायनिक पदार्थ मिलाकर ईको फ्रेंडली सीमेंट का निर्माण भी सीबीआरआई के वैज्ञानिकों ने कर लिया है। पुराने भवनों के ध्वस्तीकरण से प्राप्त होने वाले और फेंकने में परेशानी बनने वाले मलबे को प्रोसेस कर कंक्रीट, टाइल, ईट, ब्लाक तथा पेविंग ब्लाक बनाने में सफलता अर्जित कर ली गई है। डा. सिंह ने कहा कि जल्द यह उत्पाद भी खुले बाजार में उपलब्ध होंगे और पर्यावरण प्रेमियों का पर्यावरण मित्र घरों में रहने का सपना पूरा हो सकेगा।
मूलतः यहाँ देखें-प्रथम पृष्ठ पर
मूलतः यहाँ देखें-प्रथम पृष्ठ पर