रविवार, 20 फ़रवरी 2011

हवा के झोंकों से जलेंगे सरोवरनगरी के चिराग

नवीन जोशी, नैनीताल। नगर की पथ प्रकाश व्यवस्था के हर वर्ष लाखों रुपये के बिलों से परेशान नगर पालिका परिषद अब वैकल्पिक ऊर्जा के प्रबंध पर गंभीरता से विचार कर रही है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो नगर में जल्द पवन ऊर्जा से स्ट्रीट लाइट जगमगाने लगेगी। इसके लिए दक्षिण भारत की विशेषज्ञ कंपनी से प्रस्ताव मांगे गए थे, जिसने दक्षिण अफ्रीका की तकनीकी पर आधारित 16.5 किलोवाट क्षमता पवन ऊर्जा संयंत्र का करीब 70 लाख रुपये का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। योजना को राज्य सरकार के शहरी अवस्थापना निगम की 70 फीसद मदद पर लगाए जाने की योजना है। 
उल्लेखनीय है कि पर्यटन नगरी का हर वर्ष करीब एक करोड़ रुपये स्ट्रीट लाइट का बिल आता है। इससे परेशान पालिका ने विगत वर्ष प्रदेश में पहली बार तीन वर्ष के लिए पीपीपी मोड में स्ट्रीट लाइट के पोल विज्ञापन आधार पर सहभागिता के लिए निजी फर्म को देकर एक नई पहल की थी। अब यह अवधि बीतने के साथ पालिका की चिंता फिर बढ़ने लगी है। इसका निदान गत दिनों नगर के एक समाजसेवी मारुति नंदन साह व रामेश्वर साह परिवार द्वारा नगर के मां नयना देवी मंदिर में दान से लगाए जा रहे 800 वाट के पवन ऊर्जा संयंत्र में दिखाई दिया है। इस संयंत्र को लगाने वाली दक्षिण भारत की कंपनी केस्ट्रेल इंडिया से संपर्क किया गया, जिसने नगर के हाईकोर्ट तिराहे से तल्लीताल गांधी मूर्ति तक 7,950 वाट के 58, ठंडी सड़क पर 30-30 वाट के तीन बल्बों वाले 38, मल्लीताल पंप हाउस तक 150 वाट के 13 पोलों तथा नौ हाईमास्ट लाइटों पर 150 वाट के एलईडी बल्बों को हर रोज करीब 10 घंटे रोशन करने के लिए कुल जरूरी 16,495 वाट यानी लगभग 16.5 किलोवाट क्षमता का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। कंपनी के निदेशक रघु रमन ने ‘राष्ट्रीय सहारा’ को बताया कि इसके लिए नगर में करीब 10 संयंत्र लगाने पड़ेंगे, जिसमें करीब 70 लाख खर्च आएगा। संयंत्र करीब 20-22 वर्ष कार्य करेगा। नगर में संयंत्रों का प्रभाव व हवा की उपलब्धता को देखते हुए तीन चरणों में यह संयंत्र लगाने की योजना है। कोशिश रहेगी कि सौर ऊर्जा के पैनल भी साथ में जोड़ दिए जाएं, ताकि हवा न चलने पर सौर ऊर्जा का भी लाभ लिया जा सके। 
पालिकाध्यक्ष मुकेश जोशी का कहना है कि उनकी कोशिश नगर की स्ट्रीट लाइट बिलों की दीर्घ कालीन समस्या का हल करने की है। पवन ऊर्जा के साथ ही नगर पालिका विद्युत बिलों में कटौती के लिए अत्याधुनिक एलईडी तकनीकी अपनाने पर भी विचार कर रही है। परंपरागत बल्बों की जगह पूरी तरह सीएफएल तकनीकी अपना चुकी पालिका ने गत दिनों विभिन्न कंपनियों की इस तकनीकी का परीक्षण भी किया। प्रस्तावित पवन ऊर्जा संचालित योजना भी एलईडी तकनीक को ध्यान में रखकर ही तैयार की जा रही है। एलईडी तकनीक सीएफएल के मुकाबले भी पांच गुना कम बिजली खर्च कर समान रोशनी देती है।

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