शुक्रवार, 20 मई 2011

सदियों पहले से कुमाऊंनी में लिखी जा रहीं पुस्तकें

नैनीताल (एसएनबी)। कुमाऊंनी को बोली या भाषा मानने पर चल रही बहस के बीच नैनीताल में एक ऐसी पांडुलिपि प्राप्त हुई है, जो कुमाऊंनी में लिखी गई है। यह पुस्तक जन्म कुंडली निर्माण की पद्धति को बेहद सहज और सरल पद्धति से सिखाती है। देश भर में वर्ष 2003 से चल रहे राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के तहत प्रदेश में कार्य कर रहे उत्तराखंड संस्कृत अकादमी सव्रेक्षकों के हाथ अनूठे हस्तलिखित दस्तावेज हाथ लगे हैं। 
उल्लेखनीय है कि कुमाऊंनी को भाषा के इतर बोली मानने के तर्क दिए जाते हैं। तर्क है कि इसमें प्राचीन लिखित साहित्य मौजूद नहीं है। इस मान्यता को कुमाऊं विवि के मुख्यालय स्थित हिमालयन संग्रहालय में मौजूद कुमाऊंनी में जन्म कुंडली निर्माण पद्धति पर लिखित पुस्तक आईना दिखाने वाली है। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के सर्वेक्षकों को 300 वर्ष पुराना अनूठा संस्कृत व फारसी का ज्योतिष गणना यंत्र के साथ ही जागेश्वर महात्म्य, रामगंगा महात्मय, दशकर्म पद्धति, षोडश संस्कार पुस्तक, धार्मिक कर्मकांड तंत्र-मंत्र से जुड़ी पांडुलिपियां प्राप्त हुई हैं। इन पांडुलिपियों का रानीबाग की हिमसा संस्था के क्यूरेटरों द्वारा संरक्षण किया जा रहा है। इस मौके पर सव्रेक्षकों डा. कैलाश कांडपाल व शैक्षिक समन्वयक कैलाश पंत ने आमजन से अपील की कि वह घरों में मौजूद प्राचीन पांडुलिपियों को मिशन के तहत पंजीकृत कराए।

सुमेरू से होती थी ज्योतिष गणना


कुमाऊं विवि को मिला संस्कृत और फारसी का अनूठा ज्योतिष गणना यंत्र
सूर्य व चंद्र दोनों सिद्धांतों पर आधारित है यह दस्तावेज
हिमालयन संग्रहालय में मौजूद अनूठा विशाल ज्योतिष यंत्र
नवीन जोशी नैनीताल। कुमाऊं विवि के हिमालयन संग्रहालय को एक विशाल आकार का हस्तलिखित ज्योतिष गणना यंत्र मिला है। यह संस्कृत और फारसी में लिखा गया है, इसमें सूर्य व चंद्र ज्योतिष सिद्धांतों से सौरमंडल और ब्रह्माण्ड की गणना की गई है। यह पुराने समय में कुमाऊं अंचल के ज्ञान के भंडार का दस्तावेज है। 
विवि के इतिहास विभाग के हिमालयन संग्रहालय को नगर के बिड़ला विद्या मंदिर में शिक्षक रहे इतिहासकार नित्यानंद मिश्रा के जरिए यह ज्योतिष गणना यंत्र हासिल हुआ। यह पहाड़ के ‘बड़वा’ पेड़ से हस्तनिर्मित कागज पर छह फीट एक इंच लंबा व चार फीट चौड़े विशाल आकार में है। इसमें सुमेरु पर्वत को पृथ्वी का केंद्र मानते हुऐ पृथ्वी की सतह से 12 योजन यानी 96 किमी तक के आसमान और सौरमंडल के साथ ब्रह्माण्ड में मौजूद नक्षत्रों के व्यास और उनकी कक्षाओं की विस्तृत जानकारी है। पंचांग में सुमेरु के चारों ओर कपिल, शंख, वैरूप्य, चारुश्य, हेम, ऋषभ, नाग, कालंजर, नारद, कुरंग, बैंकक, त्रिकट, त्रिशूल, पतंग, निषध व शित आदि पर्वतों तथा क्षार, क्षीर, दधि, घृत, इक्षुरस, मदिर व स्वाद नाम के सात समुद्रों का जिक्र है। समुद्रों के बीच में क्रमश: शाक, साल्मती, कुश, क्रोंच, गोमेद व पुष्कर द्वीप भी प्रदर्शित हैं। यंत्र के अनुसार चांद का व्यास 1, 03,090 योजन व नक्षत्रों का व्यास 8,29,92,224 योजन है। इसमें सूर्य सहित सभी ग्रहों व नक्षत्रों का व्यास व उनकी परिभ्रमण कक्षाएं भी अंकित हैं। यह पंचांग ज्योतिष के विपरीत सिद्धांतों सूर्य व चंद्र सिद्धांतों के समन्वय पर बना है। इसमें संस्कृत के साथ फारसी का प्रयोग किया गया है। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन से जुड़े डा. कैलाश कांडपाल इसे करीब 300 वर्ष पुराना मुगलकालीन दस्तावेज मान रहे हैं। यंत्र को हिमालय संग्रहालय में रखा गया है। इसके अनुरक्षण का कार्य रानीबाग की संस्था हिमसा के माध्यम से किया जा रहा है।
इसे यहाँ राष्ट्रीय सहारा के प्रथम पृष्ठ पर भी देख सकते हैं। 

गुरुवार, 19 मई 2011

महंगाई नैनीताल की मोमबत्तियां बुझाने पर उतारू

पेट्रोल के मुकाबले दोगुनी वृद्धि हो रही कच्ची मोम के दामों में
नैनीताल की पहचान हैं मोमबत्तियां, तीन वर्षों में डेढ़ गुने हो गये दाम, 30 फीसद घटी बिक्री
नवीन जोशी, नैनीताल। आगरा का पेठा, हापुण के पापड़, बरेली का सुरमा व अल्मोड़ा की बाल मिठाई की तरह ही नैनीताल की मोमबत्तियां भी देश—दुनिया में अपनी पहचान रखती हैं। केंद्र की यूपीए सरकार के दूसरे बीते तीन वर्षों के कार्यकाल में पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में जो रिकार्ड वृद्धि हुई है, नैनीताल का मोमबत्ती उद्योग इसकी सर्वाधिक व सीधी मार झेल रहा है। इस दौरान कच्चे मोम के दामों में पेट्रोल के मुकाबले दोगुनी वृद्धि हुई है। इसके प्रभाव में मोम के दाम डेढ़ गुने तक हो गये हैं, लिहाजा बिक्री 30 फीसद तक घट गई है। हालात ऐसे ही रहने पर आने वाले वर्ष इस उद्योग को पूरी तरह खत्म कर सकते हैं।
नैनीताल में किसी दुकान पर रसीले फलों को देखकर आपके मुंह में पानी आ जाए, और पड़ताल करने पर पता चले कि वह फल नहीं सजावटी मोमबत्तियां हैं तो आश्चर्य न करें। दरअसल, नैनीताल की मोमबत्तियां होती ही इतनी सुंदर हैं कि आप नैनीताल आएं  और मोमबत्तियां लिये बिना लौट जाएं , ऐसा संभव नहीं है। लेकिन बीते तीन दशकों में पहले इस उद्योग में चीन का बर्चस्व शुरु हुआ, और अब यह देश में बढ़ी पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्य वृद्धि की लगातार व जबर्दस्त मार झेलते हुऐ दम तोडऩे की राह पर है। गौरतलब है कि मोमबत्तियां पैराफीन वैक्स की बनी होती हैं, जो एक पेट्रोलियम उत्पाद है। उद्योग से जुड़े लोग बताते हैं कि तीन वर्ष पूर्व कच्चा मोम 9 से 10 रुपये किग्रा के भाव मिलता था, जो अब 14 से 15 के भाव हो गया है, यानी इस दौरान पेट्रोल के दामों में जो 23 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी हुई, उसके प्रभाव में मोम करीब दोगुनी महंगी हो गई। नगर में सजावटी मोमबत्तियों का कारोबार करीब पांच करोड़ रुपये का है, और करीब चार हजार लोग इस कारोबार से जुड़े हुए हैं, जिनमें 6 फीसद महिलाएं  हैं। वर्तमान हालातों की बात करें तो 7 के दशक में अनिल ब्रांड की मोमबत्तियों से इस उद्योग की शुरुआत करने वाली सीए एंड कंपनी सहित दर्जनों इकाइयां बंद हो चुकी हैं। अब केवल एक दर्जन ही उत्पादक बचे हैं। नगर की फोर सीजन केंडल शोप के स्वामी इस्लाम सिद्दीकी की मानें तो बढ़ती महंगाई के प्रतिफल में सजावटी मोमबत्तियों की बिक्री करीब 30 फीसद कम हो गई है। वह इसके लिये साफ तौर पर केंद्र की यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल की नीतियों को जिम्मेदार बताते हैं। उनका कहना है कि सरकार को दम तोड़ रहे नगर व प्रदेश की पहचान से जुड़े इस उद्योग को बचाने के प्रयास करने चाहिए।
ग्लोबलवार्मिंग के कारण भी घट रही बिक्री
नैनीताल। सुनने में यह बात अटपटी लग सकती है, परंतु मोमबत्ती उद्योग से जुड़े लोग बढ़ती गर्मी को भी मोमबत्तियों की घटती बिक्री से जोड़कर देख रहे हैं। कैंडिल विक्रेता इस्लाम सिद्दीकी के अनुसार यह मोमबत्तियां अधिकतम 48 डिग्री सेल्सियस का तापमान सह सकती हैं, किंतु मैदानों में पारे के 5 डिग्री तक पहुंचने पर गलने की संभावना से भी लोग मोमबत्तियां कम खरीद रहे हैं।

बुधवार, 18 मई 2011

अब नहीं रहेगी पहाड़ में चारे की समस्या


नवीन जोशी
नैनीताल। मैदानों के साथ पहाड़ भी गर्मी में झुलस रहे हैं, और पशुपालक परेशान हैं कि कैसे बरसात होने तक जानवरों का पेट पालें। ऐसे में यह खबर खासकर पहाड़ के पशुपालकों के लिए बड़ी राहत देने वाली हो सकती है। इन गर्मियों में तो नहीं, किंतु जल्द ही प्रदेश का पशुपालन महकमा कुमाऊं मंडल के पर्वतीय अंचलों में 115 हेक्टेयर भूमि पर 23 चरागाह विकसित करने जा रहा है। विभाग को इसके लिए 113.85 लाख रुपये भी शासन से प्राप्त हो गये हैं। बाद में सभी पहाड़ी ब्लाकों में दो-दो यानी 68 चरागाह बनाने की योजना भी तैयार की जा रही है। कुमाऊं मंडल के उप निदेशक पशुपालन डा. भरत चंद्र ने बताया कि मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाली 14 योजनाओं में ग्रास लैंड डेवलपमेंट एंड ग्रास रिजर्व योजना भी शामिल हैं। इसके तहत मंडल के मैदानी जनपद ऊधमसिंह नगर को छोड़कर (क्योंकि इस जिले में वन पंचायतें ही नहीं हैं) अन्य पांच जिलों के आठ विकास खंडों में 23 वन पंचायतें चिह्नित की गई हैं। यहां चरागाह विकसित करने के लिए धनराशि मिल गई है। श्री भरत चंद्र ने बताया कि योजना के तहत इन चिह्नित वन पंचायतों की 115 हेक्टेयर भूमि पर ऊंचाई के अनुसार पहाड़ के परंपरागत भीमल, तिमिल जैसे चारा वृक्ष व घास के पौधे रोपे जाएंगे। बाद में इन पर्वतीय जिलों के सभी 34 विकास खंडों के दो-दो यानी कुल 68 गांवों में भी ऐसे ही चरागाह विकसित करने का प्रस्ताव है।
जानवर खाएंगे रेडीमेड चारा केक
नैनीताल। उप निदेशक पशुपालन डा. भरत चंद्र ने बताया कि कुमाऊं के 41 (ऊधमसिंह नगर जनपद भी शामिल) में से 32 विकास खंडों में चारा बैंक विकसित कर लिए गये हैं। शीघ्र ही अन्य 18 ब्लॉकों में भी स्थापित किये जा रहे हैं। इन चारा बैंकों में जानवरों के लिए भूसा व शीरा के अलग-अलग अनुपात वाले 12 व 14 किग्राके ठोस चारा केक उपलब्ध करा दिये गये हैं। इन केक को पानी मिलाकर जानवर बड़े चाव से खा रहे हैं।
नहीं रिझा सकी बिग डेयरी योजना
नैनीताल। पशुपालन विभाग ने पुरानी योजना को परिवर्तित कर जो डेयरी उद्यमिता विकास योजना (बिग डेयरीयोजना) शुरू की है, उसे नैनीताल के पशुपालकों ने तो खूब पसंद किया है, पर यह पहाड़ के पशुपालकों को रिझाने में असफल रही है। दो से 10 दुधारू पशुओं की खरीद के लिए नाबार्ड से 25 फीसद अनुदान पर एक से पांच लाख के ऋ ण वाली इस योजना में 211 के लक्ष्य के सापेक्ष 648 आवेदन आये। इन आवेदनों में पर्वतीय पशुपालकों के आवेदन कम ही थे और जो थे भी वह दो या तीन जानवरों तक सीमित थे। बीती 31 मार्च तक ही लक्ष्य से अधिक 296 आवेदकों को 3.27 करोड़ रुपये के ऋ ण स्वीकृत हो गये।

रविवार, 15 मई 2011

नैनीताल जू में 'घर बसाएगा' नरभक्षी बंगाल टाइगर


गत वर्ष कार्बेट के बिजरानी जोन से पकड़ा गया था नरभक्षी नर व सांवल्दे से लाई गई थी बीमार मादा

इस तरह 'बाघ बचाओ मुहिम' भी  चढ़ेगी परवान
नवीन जोशी, नैनीताल। नैनीताल का पंडित गोविंद वल्लभ पंत उच्च स्थलीय प्राणि उद्यान यानी नैनीताल चिडिय़ाघर देश भर में चल रही 'बाघ बचाओ' मुहिम का हिस्सा बनने जा रहा है। चिडिय़ाघर प्रबंधन यहां एक 'बंगाल टाइगर' नस्ल के नरभक्षी बाघ का 'घर' बसाने जा रहा है। कोशिश है कि उसे यहां एक मादा हम नस्ल मादा बाघ के साथ प्रेमालाप का मौका देकर 'वाइल्ड ब्रीडिंग' के लिये प्रेरित किया जाए।
गौरतलब है कि गत वर्ष चार अप्रैल को जनपद स्थित देश के जाने—माने कार्बेट नेशनल पार्क के बिजरानी जोन में एक नर बंगाल टाइगर आतंक का पर्याय बन गया था। उसने चार फरवरी 09 को सर्पदुली रेंज के ढिकुली गांव में भगवती देवी को हमला बोलकर मार दिया था, जिसके बाद बमुश्किल उसे एक पखवाड़े बाद घायल अवस्था में पकड़कर नैनीताल चिडिय़ाघर लाया गया था। उसका सौभाग्य ही कहिए कि चिडिय़ाघर कर्मियों की सुश्रुसा व देखभाल से न केवल वह स्वस्थ हो गया वरन इसी दौरान कार्बेट पार्क के सांवल्दे क्षेत्र से एक मादा बंगाल टाइगर वन विभाग के अधिकारियों को घायल अवस्था में मिल गई। एक ही नस्ल के इस युगल को देखकर नैनीताल चिडिय़ाघर प्रबंधन के मन में उनका घर बसाने का विचार आ गया, जिसे अब जल्द मूर्त रूप दिये जाने की कोशिश की जा रही है। चिडिय़ाघर के निदेशक बीजूलाल टीआर ने बताया कि एक पखवाड़े के भीतर दोनों को साथ में आम जनता हेतु प्रदर्शित किया जाएगा। साथ में यह कोशिश भी होगी कि वह जंगल की परिस्थितियों में ही 'वाइल्ड ब्रीडिंग' के लिये प्रेरित हों। साथ रहते हुए सहवास करें, व नैनीताल चिडिय़ाघर उनके  प्रजनन से शावक उत्पन्न कर 'बाघ बचाओ' मुहिम का हिस्सा बन गौरवांवित हो सके।

'उम्मीद' से है तिब्बती मादा भेडिय़ा !
नैनीताल। नैनीताल चिडिय़ाघर में पहली बार तिब्बती भेडिय़ों के बाड़ों में नन्ही किलकारी गूंजने की उम्मीद की जा रही है। चिडिय़ाघर के अधिकारियों के अनुसार इन दिनों एक मादा भेडिय़ा गुफा में घुस गई है, व शारीरिक रूप से लगता है कि गर्भवती है। चिडिय़ाघर के निदेशक बीजू लाल टीआर ने उम्मीद जताई कि पहली बार यहां तिब्बती भेडिया का स्वस्थ शिशु पैदा हो सकता है। ऐसा हुआ तो यह चिडिय़ाघर के लिये बड़ी उपलब्धि होगी, क्योंकि यहां रखे भेडिय़े अधिक ऊंचाई के तिब्बती क्षेत्रों के हैं।

रोमियो—जूलियट: बेरोना से सरोवर नगरी में

थियेटर की नगरी में जारी है छोटे संसाधनों से बड़े नाटकों का प्रदर्शन
नवीन जोशी, नैनीताल। इटली के नगर बेरोना में प्रेम की किंवदंती बन चुके रोमियो और जूलियट का प्यार पला था, वही रोमियो और जूलियट इन दिनों दुनिया के महानतम नाटककार विलियम शैक्सपीयर के नाटक से निकलकर सरोवर नगरी के शैले हॉल सभागार में मौजूद हैं। यहां इन दो पात्रों की बेहद भावुक व दु:खांत काल्पनिक प्रेमगाथा का प्रदर्शन हो रहा है। 
कहते हैं कि शेक्सपीयर एक डार्क लेडी नाम की महिला के प्रेम से वंचित थे, इसी लिये उन्हें अतृप्त कवि और नाटककार भी कहा जाता है। शायद इसी लिये वह 159४ में रोमियो—जूलियट के अतृप्त प्यार पर अपनी साहित्यिक शुरुआत में ही इतना सुंदर नाटक लिख पाए, जो अपने काल्पनिक पात्रों को कहानी के जरिये दुनिया के अन्य जीवंत प्रेमियों लैला—मजनू व शीरी—फरियाद से कहीं अधिक प्रसिद्धि दिला गये। शेक्सपीयर ने रोमियो—जूलियट में प्रेम को जिस ढंग से उतारा है, उसमें प्यार का पहला इजहार जुबां से नहीं आंखों से होता है। जुबां का रिश्ता बुद्धि और तर्क के साथ जुडता है और प्यार में बुद्धि और तर्क के लिए कोई स्थान नहीं होता है। आंखों की भाषा मस्तिष्क, बुद्धि और तर्क से अलग होकर सीधे हृदय को छूती है, घायल करती है, और इतना घायल करती है कि दो हृदय विरह की आग में झुलसते रहते हैं। अंत में वर्जनाओं के कारण दोनों एक साथ मौत की माला गले में पहन लेते हैं। इस कशिश, भावनाओं के उद्वेग, भावों के विचारवान परिवर्तन को समझना बड़े कलाकारों के लिये भी आसान नहीं होता। आज से लगभग सात सौ वर्ष पूर्व लिखी गई यह कहानी शैले हॉल के रंगमंच पर उतारने का साहस करना भी कठिन होता है, किंतु नगर के 'मंच एक्सपरिमेंटल रेपेटरी' ने युवा निर्देशक अजय पवार के निर्देशन में यह साहस दिखाया है। जूलियट के रूप में गंगोत्री बिष्ट, कप्यूलेट अनिल घिल्डियाल के साथ ही बैन्वोलियो संजय कुमार, सैंपसन नीरज डालाकोटी, पैरिस रोहित वर्मा व टाइबौलट अनवर रजा आदि कलाकारों ने बेहद प्रभावित किया। हाँ, कई पात्र बीते कुछ समय से लगातार्र शैक्सपीयर के पात्रो को जीते हुए 'टाइप्ड' होते भी प्रतीत हो रहे हैं अन्य पात्रों मोहिनी रावत, धर्मवीर सिंह परमार व मो.जावेद हुसैन ने भी अच्छा अभिनय किया। निर्देशक अजय कुमार मुख्य चरित्र रोमियो के बजाय निर्देशन में अधिक प्रभावी दिखे। नगर में ऑडिटोरियम की कमी एक बार पुन: खली। प्रकाश व्यवस्था कई बार खासकर जूलियट के बेहोसी के दृश्यों में आने और उठकर जाने के दौरान कमजोर दिखी। बावजूद, अच्छी बात यह रही कि संसाधनों के बिना भी कभी थियेटर की नगरी कही जाने वाली सरोवरनगरी में युवा कलाकार व कला से जुड़े लोग नाटक को जिंदा किये हुए हैं, व पर्यटन नगरी में लगातार स्तरीय नाटक प्रदर्शित कर सिनेमाघरों की कमी को भी छुपाने में सफल हो रहे हैं।

शुक्रवार, 13 मई 2011

ओसामा के पतन के बाद भारत को चीन-पाक से खतरा बढ़ा : ले.ज. भंडारी


राज्य की सीमाओं पर सुरक्षा को लेकर संवेदनशील रहे सरकार
भारत को अमेरिका, चीन, पाक और रूस से जारी रखनी चाहिए वार्ता
नवीन जोशी, नैनीताल। परम विशिष्ट व अति विशिष्ट सेवा मेडल प्राप्त सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल डा. एमसी भंडारी ने आशंका जताई कि ओसामा की मौत के बाद भारत पर दोतरफा खतरा है। पाकिस्तान से आतंकियों की आमद के साथ चीन भी भारत की ओर बढ़ सकता है। डा. भंडारी ने कहा कि भारत पांच-छह वर्षो में दुनिया की आर्थिक सुपर पावर बन सकता है। इसलिए उसे इस अवधि में कूटनीति का परिचय देते हुए अमेरिका, चीन, पाकिस्तान व रूस सहित सभी देशों से बातचीत जारी रखनी चाहिए। 
कुमाऊं विवि के अकादमिक स्टाफ कालेज में कार्यक्रम में आए डा. भंडारी ने 'राष्ट्रीय सहारा' से कहा कि ओसामा बिन लादेन के बाद पाक अधिकृत कश्मीर में चल रहे 32 शिविरों से प्रशिक्षित आतंकी दो-तीन माह में भारत की तरफ कूच कर सकते हैं। कश्मीर में शांति पाकिस्तान की 'जेहाद फैक्टरी' में बैठे लोगों को रास नहीं आएगी। ओसामा ने भी कश्मीर में जेहाद की इच्छा जताई थी। उधर चूंकि पाकिस्तान बिखर रहा है, इसलिए तालिबानी- पाकिस्तानी भी यहां घुसपैठ कर सकते हैं। पाक पहले ही गिलगिट व स्काई क्षेत्रों में अनधिकृत कब्जा कर चुका है, दूसरी ओर चीन के 10 से 15 हजार सैनिक 'पीओके' में पहुंच चुके हैं, पाकिस्तान ने उन्हें सियाचिन के ऊपर का करीब 5,180 वर्ग किमी भू भाग दे दिया है, ऐसे में चीन तिब्बत के बाद भारत के अक्साई चिन व नादर्न एरिया तक हड़पने का मंसूबा पाले हुए है। उन्होंने कहा कि चीन ने यहां उत्तराखंड के चमोली जिले के बाड़ाहोती में 543 वर्ग किमी व पिथौरागढ़ के कालापानी में 52 वर्ग किमी क्षेत्र को अपने नक्शे में दिखाना प्रारंभ कर दिया है। ऐसे में उत्तराखंड में अत्यधिक सतर्कता बरतने व सीमावर्ती क्षेत्रों से पलायन रोकने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में चीन के घुसने की संभावना वाले 11 दर्रे हैं, जिनके पास तक चीन पहुंच गया है, और भारतीय क्षेत्र जनसंख्या विहीन होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में सीमाओं की सुरक्षा मुख्यमंत्री देखें और वह सीधे प्रधानमंत्री से जुड़ें। साथ ही उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के बावजूद 10 फीसद की विकास दर वाला भारत अगले पांच-छह वर्षो में सुपर पावर बन सकता है, इसलिए उसे इस अवधि में सभी देशों से कूटनीतिक मित्रता करनी चाहिए और अपने यहां सीमाओं की सुरक्षा दीवार मजबूत करनी चाहिए, ताकि बिखरते पाकिस्तान के बाद जब अमेरिका, चीन मजबूत होते भारत की ओर आंख उठाएं, वह मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार हो जाए। उन्होंने भारत में सेना का बजट जीडीपी का 2.1 फीसद (64 हजार लाख रुपये) को बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया।

गुरुवार, 12 मई 2011

'टीएमटी' के निर्माण में भारत व एरीज की भागेदारी तय


दुनिया की अतिमहत्वाकांक्षी दूरबीन होगी 'थर्टी मीटर टेलीस्कोप'
नैनीताल (एसएनबी)। दुनिया की सबसे बड़ी 30 मीटर व्यास की आप्टिकल दूरबीन के निर्माण में दुनिया के पांच देशों के साथ भारत भी भागेदारी देगा। खास बात यह है कि नैनीताल का आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान यानी एरीज इसमें योगदान देगा। एरीज के वैज्ञानिकों के दिशा-निर्देशों पर भारतीय उद्योगों से इस अति महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए विभिन्न उपकरण बनाए जाएंगे। गत 18-19 अप्रैल को अमेरिका की वल्टेक आब्जरवेटरी की पसेदीना नगर में आयोजित संगोष्ठी में इस महायोजना की जिम्मेदारियां इसके भागीदारों, अमेरिका, जापान, कनाडा, चीन व भारत में बांटी गई। वहां से लौटे एरीज के निदेशक प्रो. रामसागर ने बताया कि इस 1.3 बिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट में भारत करीब 800 करोड़ रुपये का योगदान देगा, जिसमें से 600 करोड़ रुपये के उपकरण अवयव भारत से भेजे जाएंगे। एरीज भारतीय उद्योगों में बनने वाले लैंस सहित अन्य यांत्रिक अवयवों की गुणवत्ता आदि की निगरानी करेगा। भारत में सर्वाधिक 50 फीसद कार्य भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बेंगलुरु के हिस्से आए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले दो वर्षो में पहले चरण के यह कार्य कर लिये जाऐंगे। उल्लेखनीय है कि यह दूरबीन प्रशांत महासागर स्थित हवाई द्वीप में होनोलूलू के करीब ज्वालामुखी से निर्मित 13,803 फीट (4,207 मीटर) ऊंचे पर्वत पर वर्ष 2018 में स्थापित होने जा रही है। इस दूरबीन में अल्ट्रावायलेट (0.3 से 0.4 मीटर तरंगदैध्र्य की पराबैगनी किरणों) से लेकर मिड इंफ्रारेड (2.5 मीटर से 10 माइक्रोन तरंगदैध्र्य तक की अवरक्त) किरणों (टीवी के रिमोट में प्रयुक्त की जाने वाली अदृश्य) युक्त किरणों का प्रयोग किया जाएगा। यह हमारे सौरमंडल व नजदीकी आकाशगंगाओं के साथ ही पड़ोसी आकाशगंगाओं में तारों व ग्रहों के विस्तृत अध्ययन में सक्षम होगी।
अगले साल तक स्थापित होगी 3.6 मीटर व्यास की दूरबीन
नैनीताल। एरीज नैनीताल जनपद के देवस्थल में वर्ष 2012 के आखिर तक एशिया की सबसे बड़ी बताई जा रही 3.6 मीटर व्यास की नई तकनीकी युक्त 'पतले लैंस' (व्यास व मोटाई में 10 के अनुपात वाले) स्टेलर दूरबीन भी लगाने जा रहा है। एरीज के निदेशक प्रो. राम सागर ने बताया कि इस दूरबीन का लेंस रूस में बन रहा है, अगले तीन-चार माह में यह बेल्जियम चला जाऐगा, जहां दूरबीन के अन्य अवयवों का निर्माण भी तेजी से चल रहा है। बताया कि इस वर्ष के आखिर तक लेंस एवं सभी अवयवों के निर्माण का पहला चरण 'फैक्टरी टेस्ट' के साथ पूर्ण हो जाएगा।
एरीज और यूकोस्ट मिल कर करेंगे कार्य
नैनीताल। एरीज के निदेशक प्रो. राम सागर व उत्तराखंड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद-यूकोस्ट के हाल में महानिदेशक बने डा. राजेंद्र डोभाल ने मिलकर कार्य करने का इरादा जताया। बुधवार को एरीज में पत्रकारों से वार्ता करते हुऐ डा. डोभाल ने कहा कि एरीज में मौजूद संसाधनों का उपयोग कर बच्चों एवं आम जनमानस को खगोल विज्ञान व खगोल भौतिकी से रोचक तरीके से रूबरू कराया जाऐगा। बच्चों के साथ ही शोधार्थियों के लिऐ भी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाऐंगे।


मंगलवार, 10 मई 2011

आदि कैलाश यात्रा के लिए भी मानसरोवर जैसा क्रेज


किराया बढ़ने के बावजूद पहले चार दलों के लिए सीटें फुल
30 मई को रवाना होगा पहला जत्था
नवीन जोशी, नैनीताल। शिव के धाम कैलाश मानसरोवर की यात्रा से इतर शिव के छोटे धाम कहे जाने वाले आदि कैलाश यात्रा के लिए भी श्रद्धालुओं में जबरदस्त क्रेज दिखाई दे रहा है। यात्रा का किराया करीब पांच हजार रुपये प्रति यात्री बढ़ने के बावजूद श्रद्धालुओं के जोश में कोई कमी नहीं आई है। पहले चार दल पैक हो गये हैं, और अन्य 12 दलों के लिए भी 50 फीसद से अधिक बुकिंग हो चुकी हैं। कुमाऊं मंडल विकास निगम द्वारा कैलाश मानसरोवर यात्रा की तर्ज पर ही वर्ष 1986-87 से आदि कैलाश यात्रा शुरू की गई थी। रहस्य-रोमांच और भोले बाबा की भक्ति में डूबने के लिहाज से आदि कैलाश यात्रा मानसरोवर यात्रा के समान ही महत्व रखती है। कैलाश शिव का धाम है तो आदि कैलाश भी शिव का छोटा घर ही है। इसलिए इसे छोटा कैलाश यात्रा भी कहते हैं। यहां शिव के शब्द प्रतीक 'ऊंकार' को प्राकृत रूप में देखना अद्भुत अनुभव है। आदि कैलाश यात्रा के लिए मानसरोवर की तहत विदेश मंत्रालय से अनुमति नहीं लेनी पड़ती, वीजा की जरूरत नहीं पड़ती व चीन में होने वाली दिक्कतों का सामना भी नहीं करना पड़ता। साथ ही खर्च भी कम आता है। नाभीढांग तक मानसरोवर व आदि कैलाश दोनों यात्राओं का मार्ग एक ही रहता है। नाभीढांग से ऊं पर्वत के दर्शन करते हुए यात्री गुंजी, कुट्टी व जौलिंगकांग होते हुए आदि कैलाश पहुंचते हैं। इधर बीते पांच वर्षो से निगम आदि कैलाश यात्रा की भी ऑनलाइन बुकिंग करता है। इस यात्रा के लिए हर बैच में औसतन 40 यात्री शामिल किये जाते हैं, जिनका चयन निगम द्वारा ही किया जाता है। इस यात्रा में कुमाऊं के विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर, पाताल भुवनेश्वर व बैजनाथ जैसे आस्था केंद्रों के दर्शन भी हो पाते हैं। इस वर्ष यह यात्रा करीब चार हजार रुपये प्रति यात्री महंगी होने जा रही है। अब तक इस यात्रा का किराया 17,600 रुपये था, जो इस वर्ष से 21 हजार रुपये प्रति यात्री होगा, साथ ही 2.58 फीसद सुविधा शुल्क भी अलग से वहन करना होगा। निगम के प्रबंध निदेशक चंद्रेश कुमार ने बताया कि इसके बावजूद पहले चार बैच पैक हो गये हैं और अन्य 12 बैचों के लिए भी 50 फीसद से अधिक बुकिंग हो चुकी है। यात्रा 29 मई से शुरू होगी। पहला दल 29 को दिल्ली से चलकर 30 की सुबह काठगोदाम और दिन के भोजन तक जागेश्वर पहुंच जाएगा।
मानसरोवर ट्रेक पर दिक्कत जल्द दूर कर लेने का भरोसा
नैनीताल। उल्लेखनीय है कि आदि कैलाश के ठीक बाद एक जून से कैलाश मानसरोवर यात्रा प्रारंभ हो रही है। इस रूट पर 1 दिन पूर्व कुटी में भारी बारिश के कारण निगम के कैंप को क्षति पहुंची थी, जबकि तीन दिन पूर्व आई बारिश ने गर्बाधार के पास ट्रेक को क्षतिग्रस्त कर दिया था। केएमवीएन के प्रबंध निदेशक चंद्रेश कुमार ने भरोसा जताया कि कुटी के कैंप को 2 मई और गर्बाधार के खतरनाक हो चुके ट्रेक को 25 मई तक दुरुस्त करने को कहा गया है। बताया कि सोमवार शाम तक दिल्ली से मानसरोवर यात्रियों को लाने वाली 'टू-बाई-टू' एसी बसों और काठगोदाम से आगे जाने वाली लग्जरी बसों की निविदा प्रक्रिया शाम तक पूरी की जा रही है। तैयारियों को अंतिम स्वरूप दिया जा रहा है।


रविवार, 8 मई 2011

'छोटी विलायत' को मिलेगा यूरोपियन लुक


21 करोड़ से निखरेगी नैनीताल की खूबसूरती, बनेंगे पार्क 

कोश्यारी होंगे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष


खंडूड़ी बनेंगे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, विधानसभा चुनाव निशंक के नेतृत्व में ही
पिछले चुनाव में भी कोश्यारी ने अपने दम पर पार्टी को सत्ता दिलाई थी पर पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया 
मुख्यमंत्री निशंक और पूर्व सीएम कोश्यारी व खंडूड़ी को पार्टी ने आपसी तालमेल के लिए दिल्ली बुलाया
रोशन/एनएनबी नई दिल्ली। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारी के मद्देनजर भाजपा में सांगठनिक फेरबदल किया जा रहा है। राज्यसभा सदस्य व पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया जा रहा है। बावजदू इसके विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में तो विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश के लिए कोर कमेटी, चुनाव प्रचार अभियान समिति का गठन कर दिया गया है। इस लिहाज से चुनाव तैयारियों में उत्तराखंड पीछे है। भाजपा सूत्रों के अनुसार सीएम निशंक, पूर्व मुख्यमंत्रियों कोश्यारी व खंडूड़ी तीनों को दिल्ली बुलाया जाएगा और उनसे विचार-विमर्श किया जाएगा। पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती इन तीनों नेताओं को एकजुट करने की है। तीनों की एकता बनाए रखने के लिए पार्टी ने तीनों को एक साथ बिठाने का फैसला किया है। बताया जाता है कि तीनों नेताओं को दिल्ली बुलाने के पीछे शीर्ष नेताओं का यह मकसद है कि समय रहते मनभेद व मतभेद भुलाकर एक दिशा में ताकत लगाई जाए। पार्टी भविष्य में उत्तराखंड में संगठन की कमान कोश्यारी को सौंपकर नई ऊर्जा का संचरण करना चाहती है। कोश्यारी की संगठन पर जबरदस्त पकड़ है। पिछले चुनाव में भी भाजपा को सत्ता में लाने में कोश्यारी का अहम रोल रहा है , लेकिन पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया था। खंडूड़ी के कुशल प्रशासकीय प्रबंधन का फायदा उठाने के लिए उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की डोर सौंपी जाएगी। संगठन में फेरबदल व खंडूड़ी को राष्ट्रीय राजनीति में लिए जाने के बाद भी पार्टी ने तय किया है कि राज्य में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री डा. निशंक के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे।

ऑनलाइन होगी कुमाऊं की प्राचीनतम लाइब्रेरी


अधिकतर अभिलेख ऑनलाइन करने के लिए तैयार किए गए
1933 में हुई थी लाइब्रेरी की स्थापना
नैनीताल (एसएनबी)। कुमाऊं मंडल के प्राचीनतम पुस्तकालयों में गिने जाने वाले मुख्यालय के दुर्गा लाल साह नगर पालिका पुस्तकालय तक शीघ्र आपकी घर बैठे पहुंच होगी। करीब चार वर्ष के अनवरत कार्यों के बाद यह पुस्तकालय शीघ्र इंटरनेट पर उपलब्ध होने जा रहा है। इसके जीर्णोद्धार का 80 लाख रुपये का एक अन्य प्रस्ताव भी शासन से स्वीकृति की स्थिति में पहुंच गया है। 
वर्ष 1933 में नगर के मोहन लाल साह द्वारा पांच हजार रुपये के आर्थिक सहयोग से अपने पिता दुर्गा लाल साह के नाम पर 'मिड माल' में स्थापित नगरपालिका संचालित यह पुस्तकालय हिंदू धर्म ग्रंथों, वेद-पुराणों, नैनीताल-कुमाऊं के 1940 के दशक से इतिहास व गजेटियर सहित सैकड़ों बहु उपयोगी प्राचीन एवं दुर्लभ पुस्तकों, पांडुलिपियों, जर्नल व मैगजीन आदि का अनूठा संग्रहालय है। वर्ष 2007 से भारत सरकार के सूचना तकनीकी मंत्रालय की डिजिटल लाइब्रेरी मेगा सेंटर योजना के तहत सेंटर फार डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटरिंग (सीडीएसी) द्वारा यहां उपलब्ध कॉपीराइट की बाधा रहित ज्ञान कोश को 'स्कैन' कर 'डिजिटलाइज' करने का कार्य किया जा रहा है, जो अब करीब 80 फीसद तक पूर्ण बताया जा रहा है। इसे 'डिजिटल लाइब्रेरी मेगा सेंटर' में लॉग ऑन करके ऑन लाइन देखा जा सकेगा। इधर नगर पालिका ने इसके जीर्णोद्धार का 80 लाख रुपये का प्रस्ताव राज्य योजना के तहत शासन को भेजा था, बताया जा रहा है कि इसमें से करीब 50 लाख का प्रस्ताव शासन में स्वीकृत होने की स्थिति में है। पालिकाध्यक्ष मुकेश जोशी ने बताया कि योजना के तहत पुस्तकालय में साइबर कैफे भी स्थापित किया जाएगा, ताकि लोग वहां बैठकर भी यहां मौजूद पुस्तकों को डिजिटल स्वरूप में पढ़कर सुविधानुसार ज्ञानवर्धन कर सकेंगे।

शुक्रवार, 6 मई 2011

कुमाऊं विवि में सैकड़ों 'मुन्नाभाई' दे रहे परीक्षा

150 परीक्षार्थियों को भेजा गया नोटिस
नवीन जोशी नैनीताल। कुमाऊं विविद्यालय के अधीन मंडल के महाविद्यालयों व परिसरों में सैकड़ों 'मुन्नाभाई' परीक्षा दे रहे हैं। करीब ढाई सौ परीक्षार्थियों के इंटरमीडिएट के अंकपत्र और प्रमाणपत्र फर्जी होने की पुष्टि हो गई है। इनमें से 150 को नोटिस भेजे गए हैं। ऐसे कई परीक्षार्थी परीक्षा देने से रोक दिये गए हैं, जबकि अनेक अब भी परीक्षा दे रहे हैं। 
कुमाऊं विवि इन दिनों चल रही वाषिर्क परीक्षाओं के कारण हर ओर से हमले झेल रहा है, लेकिन समस्या की असल वजह क्या है, इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। 'राष्ट्रीय सहारा'  ने जब वजह जानने की कोशिश की तो पता चला कि विवि के परीक्षा विभाग और बड़ी संख्या में कर्मियों की ऊर्जा पहले वर्ष की परीक्षा दे रहे 'मुन्नाभाइयों' की पहचान करने में नष्ट हो रही है। डेढ़ सौ से अधिक मुन्ना भाई बीए प्रथम वर्ष में बताए गए हैं। बीकाम प्रथम वर्ष में तीन दर्जन से अधिक ऐसे परीक्षार्थी पकड़ में आए हैं, जिनके इंटरमीडिएट के अंकपत्र और प्रमाणपत्र फर्जी हैं। अधिकांश फर्जी प्रमाणपत्र दिल्ली हायर सेकेंडरी बोर्ड एवं वृंदावन ओपन बोर्ड से निर्गत हैं। कुमाऊं विवि के परीक्षा नियंत्रक डा. जीएल साह ने स्वीकार किया कि करीब ढाई सौ परीक्षार्थियों के इंटर के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए हैं। इनमें से करीब 150 को नोटिस भेजा जा चुका है। 
अग्रसारण शुल्क के कारण भरवा दिए अधिक फार्म
पंतनगर निवासी मीरा कुमारी नाम की एक छात्रा का शिक्षाशास्त्र विषय से व्यक्तिगत परीक्षा फार्म भरा। इसे रुद्रपुर महाविद्यालय में जमा कराया गया था। इधर 11 मई से उसकी परीक्षा शुरू होनी हैं, लेकिन प्रवेशपत्र नहीं मिला। रुद्रपुर महाविद्यालय ने अपने यहां शिक्षाशास्त्र विषय न होने के कारण उसकी परीक्षा कराने से असमर्थता जाहिर की, और हल्द्वानी भिजवा दिया। इसके बाद वह हल्द्वानी-रुद्रपुर के चक्कर काटती हुई विवि प्रशासनिक भवन पहुंची और आखिर यहां भी प्रवेशपत्र न मिलने से शुल्क वापस लेकर परीक्षा छोड़ने को मजबूर हुई। जानकार बता रहे हैं कि महाविद्यालयों को प्रति स्नातक फार्म 40 व प्रति स्नातकोत्तर छात्र 60 रुपये परीक्षा फार्मो को जांच कर भेजने के लिए अग्रसारण शुल्क के रूप में मिलते हैं। अकेले रुद्रपुर महाविद्यालय को अग्रसारण शुल्क से दो लाख रुपये से अधिक प्राप्त हो रहे हैं। अधिक धन की चाह में महाविद्यालयों ने क्षमता से अधिक व गलत फार्म ले लिए हैं और उन्हें जांच किये बिना कुविवि को भेज दिया।

सोमवार, 2 मई 2011

दुनिया की धरोहर है हिमालय : प्राइस

विकास के लिए संसाधनों का करना होगा सुनियोजित उपयोग
नवीन जोशी नैनीताल। वर्ष 2007 में अमेरिकी उप राष्ट्रपति अल गोर और भारतीय वैज्ञानिक डा. आरके पचौरी के साथ संयुक्त रूप से नोबल पुरस्कार प्राप्त करने वाले वैज्ञानिक प्रो. मार्टिन प्राइस ने कहा कि हिमालय भारत और दक्षिण एशिया ही नहीं वरन पूरी दुनिया का धरोहर है। यहां संसाधनों के अपार भंडार हैं मगर इनका लाभ दूसरे लोग उठा रहे हैं। यहां रह रहे लोग इसके लाभों से अछूते हैं। लिहाजा हिमालयी क्षेत्रों के संसाधनों के मूल्यांकन एवं उनके सुनियोजित उपयोग करने की आवश्यकता है, ताकि यहां से हो रहे प्रतिभा पलायन को रोका जा सके और लोग यहां अपनी प्रतिभा का उपयोग करने के लिए आएं। नैनीताल क्लब में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान 'राष्ट्रीय सहारा' से प्रो. प्राइस ने हिमालयी क्षेत्र के लोगों को अपने संसाधन और सेवाओं के समुचित मूल्यांकन करने की सीख दी। उनका कहना था कि हिमालयी क्षेत्रों में दुनिया की अनूठी व अचूक औषधियां हैं। केवल इनसे यह क्षेत्र दुनिया का सबसे धनी क्षेत्र बन सकता है। उन्होंने यहां पनबिजली की सर्वाधिक संभावनाएं बताते हुए छोटे बांध ही बनाए जाने की राय दी। उन्होंने कहा हिमालय में छोटे बांध उपयोगी होंगे। उन्होंने कहा कि हिमालय पूरी दुनिया को सर्वाधिक प्रभावित करने वाला पर्वत है। इससे केवल दक्षिण एशिया में ही 1.3 बिलियन लोग प्रभावित होते हैं। प्रतिभा की दिशा पहाड़ की ओर करने के लिए उन्होंने मंत्र सुझाया कि बाहर से आने वाले लोगों को पहाड़ों तक संचार की मोबाइल, सेटेलाइट फोन व यातायात व आवासीय सुविधा देनी होगी। ऐसा होने पर यहां शोध के लिए ही बड़ी संख्या में देशी-विदेशी लोग पहुंचेंगे।

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

नैनीताल में 52 निर्माण कार्य रोकने का आदेश


पहली से नगर में शुरू होगा अतिक्रमण हटाने व झील से मलबा निकालने का अभियान
नैनीताल (एसएनबी)। जिला अधिकारी ने सरोवरनगरी में हो रहे 52 निर्माणों को तत्काल रोकने तथा इनकी जांच कराने के निर्देश दिए हैं। नगर में आगामी एक मई से अतिक्रमणों को हटाने तथा नैनी झील से मलबा निकालने का अभियान शुरू होगा। बरसात से पूर्व नालों से मलवा हटा लिया जाएगा। नगर के ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में भूमि व भवनों की रजिस्ट्री रोकने के लिए कानूनी राय ली जाएगी। नैनी झील व नगर के बाबत विभिन्न विभागों के समन्वयक की भूमिका झील विकास प्राधिकरण निभाएगा। नगर के गणमान्य लोगों की एक निगरानी समिति बनाई जाएगी, जो हर माह बैठकें कर अवैध निर्माणों पर नजर रखेगी। 
शुक्रवार को आयुक्त सभागार में आयोजित बैठक के बाद डीएम शैलेश बगौली ने यह निर्णय सुनाए। यह बैठक करीब 300 लोगों के हस्ताक्षरों युक्त एक शिकायत पर बुलाई गई थी, जिसमें अवैध निर्माणों का आरोप लगाया था, लेकिन शिकायत करने वालों से इतर बड़ी संख्या में नगरवासी बैठक में शामिल हुए। इस हंगामी बैठक में नगरवासियों ने एक-दूसरे की बातों में टोका- टोकी करते हुए अपनी बातें रखीं। कई लोग इस बहाने अपने निजी व राजनीतिक हित साधते भी नजर आये। अधिकांश लोगों ने स्वीकार किया कि नगर के उत्थान में सभी की भागेदारी होनी जरूरी है। ग्वल सेना के संयोजक पूरन मेहरा ने घोड़ा स्टैंड व कूड़ा खड्ड पर गंदगी की समस्या उठाई। मनोज जोशी ने पर्यावरणविदों पर स्वयं नियमों का उल्लंघन कर दूसरों के मामलों में टांग अड़ाने का आरोप लगाया। पान सिंह रौतेला ने झील विकास प्राधिकरण पर आरोप लगाया कि झील के संरक्षण के बजाय निर्माण उसकी प्राथमिकता में है। उन्होंने शेर का डांडा की ग्रीन बेल्ट व सर्वाधिक असुरक्षित क्षेत्र में सर्वाधिक निर्माण जारी होने की बात कही। प्रवीण शर्मा ने खुलासा किया कि 1984 से प्राधिकरण ने 1320 अवैध निर्माण चिह्नित किये हैं। खास बात यह थी कि इस सूची में शामिल कई लोग भी बैठक में अवैध निर्माणों की दुहाई दे रहे थे। डीएन भट्ट, कुंदन नेगी आदि ने फड़वालों पर गंदगी फैलाने का आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग की। प्रो. अजय रावत ने नगर में अवैध निर्माणों पर रोक लगाने की पुरजोर मांग की। किशन लाल साह 'कोनी' ने कहा कि केवल माल रोड पर सफाई करने से काम नहीं चलेगा। उन्होंने प्राधिकरण से अवैध निर्माणों पर लगाई सील हटने का प्रश्न भी उठाया। इस मौके पर एडीएम ललित मोहन रयाल, प्राधिकरण सचिव एचसी सेमवाल, सीओ अरुणा भारती, पूर्व पालिकाध्यक्ष सरिता आर्य, मारुति साह, गिरिजा शरण सिंह खाती, राजा साह, भूपाल भाकुनी व महेश भट्ट सहित तमाम गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

वादियों की खूबसूरती पर फिदा रहे महामहिम



जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के बहुचर्चित गोवा प्रवास के बाद अचानक आम लोगों की दिलचस्पी महामहिमों के पर्यटन स्थलों पर होने वाले सरकारी /गैरसरकारी दौरे पर केंद्रित हुई है। ऐसे में यह बताना समीचीन होगा कि राज्य की वादियों पर भी अधिकांश महामहिम फिदा हो चुके हैं। कुमाऊं व गढ़वाल की खूबसूरत वादियों को नजदीक से निहारने का मोह आम लोगों की तरह ही राष्ट्रपतियों में भी दिख चुका है। आजादी के बाद से लेकर अब तक देश के 12 राष्ट्रपतियों में से दस ने यहां की सैर की है। भले ही बहाना सरकारी दौरे का रहा हो लेकिन यहां की हरी-भरी पर्वतीय श्रृंखलाओं को अपलक निहारने और मदमस्त कर देने वाली शीतल हवा लेने में महामहिम आम पर्यटक की तरह ही अभीभूत-रोमांचित होते रहे हैं। यह खुलासा खुद राष्ट्रपति सचिवालय ने किया है। हल्द्वानी निवासी डॉ. प्रमोद अग्रवाल गोल्डी द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम में मांगी गई सूचना में राष्ट्रपति सचिवालय के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी जेजी सुब्रमणियन ने अवगत कराया है कि देश के द्वितीय राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ.राधाकृष्णन, चतुर्थ राष्ट्रपति वीवी गिरि, पंचम राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद, छठें राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी, सप्तम राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, नौवें राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा, दसवें राष्ट्रपति केआर नारायण, 11वें राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एवं वर्तमान राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने देहरादून की अधिकारिक यात्रा की है। इसके अलावा प्रभारी राष्ट्रपति/ उपराष्ट्रपति एम.हिदायतुल्लाह ने भी देहरादून की यात्रा की। जबकि वीवी गिरि, नीलम संजीव रेड्डी व ज्ञानी जैल सिंह ने नैनीताल की भी अधिकारिक यात्रा की।

नैनीताल उच्च न्यायालय में हिंदी के प्रयोग का प्रस्ताव

नैनीताल (एसएनबी)। राज्य गठन के दस साल बाद उत्तराखंड हाईकोर्ट में राष्ट्रभाषा हिंदी में कार्यवाही की अनुमति के लिए राज्य विधिज्ञ परिषद ने पहली बार प्रस्ताव पारित किया है। परिषद ने यह प्रस्ताव शासन के साथ ही मुख्यमंत्री को भेजा है। अब राज्य के "साहित्यकार" मुख्यमंत्री और उनकी सरकार पर निर्भर करेगा कि वह इस प्रस्ताव पर नोटिफिकेशन जारी करने में कितना समय लगाते हैं। 
बुधवार को उत्तराखंड राज्य विधिज्ञ परिषद के अध्यक्ष डा. महेंद्र पाल ने पत्रकारों को बताया कि परिषद की गत सात अप्रैल को हरिद्वार में आयोजित कार्यकारिणी समिति की बैठक में इस बावत प्रस्ताव पारित हुआ। लिहाजा उत्तराखंड सरकार विज्ञप्ति जारी करे कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद की भांति उच्च न्यायालय नैनीताल में विधिक कार्यवाहियां अंग्रेजी के साथ हिंदी में भी हो सके।  डा. पाल ने कहा कि उच्च न्यायालय में हिंदी भाषा का प्रयोग होने से अधिवक्ताओं के साथ ही वादकारियों को भी लाभ होगा। अन्य हिंदी भाषी राज्यों बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान व उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालयों में ऐसी व्यवस्था है। पूर्ववर्ती यूपी में यह व्यवस्था थी, इसलिए उत्तराखंड में स्वत: ही यह व्यवस्था लागू होनी चाहिए थी। साथ ही मुंसिफ न्यायालयों में अनुभवी अधिवक्ताओं को विशेष न्यायाधीश तथा परिवार न्यायालयों में अधिवक्ताओं की न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी की जाए। इस मौके पर परिषद के सचिव विजय सिंह, हिमांशु सिन्हा व एनएस कन्याल आदि सदस्य भी मौजूद रहे।

सोमवार, 25 अप्रैल 2011

भूमिया, ऐड़ी, गोलज्यू, कोटगाड़ी ने भी किया पलायन


विडम्बना तराई और भाबर में स्थापित हो गए पहाड़ के देवी-देवता
गणेश पाठक/एसएनबी, हल्द्वानी। अरबों खरबों खर्च करने के बाद भी पहाड़ से पलायन की रफ्तार थम नहीं पा रही है। इस पलायन में केवल मनुष्य की शामिल नहीं है, बल्कि देवी-देवता भी पहाड़ छोड़कर तराई में बस गये हैं। पहाड़ों के तमाम छोटे-बड़े मंदिर और मकान खंडहरों में तब्दील हो गये हैं, जबकि तराई और भाबर में भूमिया, ऐड़ी, गोलज्यू, कोटगाड़ी समेत कई देवताओं के मंदिर बन गये हैं। पलायन करके तराई में आए लोग पहले देवी देवताओं की पूजा अर्चना करने के लिए साल भर में एक बार घर जाते थे, लेकिन अब इस पर भी विराम लग गया है। राज्य गठन के बाद पलायन की रफ्तार तेज हुई है। पिथौरागढ़ से लेकर चंपावत तक नेपाल-तिब्बत (चीन) से जुड़ी सरहद मानव विहीन होने की स्थिति में पहुंच गई है और यह इलाका एक बार फिर इतिहास दोहराने की स्थिति में आ गया है। कई सौ साल पहले मुगल और दूसरे राजाओं के उत्पीड़न से नेपाल समेत भारत के विभिन्न हिस्सों से लोगों ने कुमाऊं और गढ़वाल की शांत वादियों में बसेरा बनाया था। धीरे-धीरे कुमाऊं और गढ़वाल में हिमालय की तलहटी तक के इलाके आवाद हो गये थे, लेकिन आजादी के बाद सरकारें इन गांवों तक बुनियादी सुविधाएं देने में नाकाम रहीं और पलायन ने गति पकड़ी। इससे पहाड़ खाली हो गये। सरकारी रिकाडरे में खाली हो चुके गांवों की संख्या महज 1065 है, जबकि वास्तविकता यह है कि अकेले कुमाऊं में पांच हजार से अधिक गांव वीरान हो गये हैं। खासतौर पर नेपाल और तिब्बत सीमा से लगे गांवों से अधिक पलायन हुआ है। लगातार पलायन से पहाड़ों की हजारों एकड़ भूमि बंजर हो गई है। पलायन की इस रफ्तार से देवी-देवताओं पर भी असर पड़ा है। शुरूआत में लोग साल दो साल या कुछ समय बाद घर जाते और देवी देवताओं की पूजा करते थे। इससे नई पीढ़ी का पहाड़ के प्रति भावनात्मक लगाव बना रहता था, लेकिन अब यह लगाव भी टूटने लगा है। इसकी वजह से हजारों की संख्या में देवी देवताओं का पहाड़ से पलायन हो गया है। अकेले तराई और भावर में तीन से चार हजार तक विभिन्न नामों के देवी देवताओं के मंदिर बन गये हैं। किसी दौर में पहाड़ों में ये मंदिर तीन-चार पत्थरों से बने होते थे, लेकिन अब तराई और भावर में इनका आकार बदल गया है। यहां स्थापित किये गए देवी देवताओं में भूमिया, छुरमल, ऐड़ी, अजिटियां, नारायण, गोलज्यू के साथ ही न्याय की देवी के रूप में विख्यात कोटगाड़ी देवी के नाम शामिल हैं। इन देवी-देवताओं के पलायन का कारण लोगों को साल दो साल में अपने मूल गांव जाने में होने वाली कंिठनाई है। दरअसल राज्य गठन के बाद पलायन को रोकने के लिए खास नीति न बनने से पिछले दस साल में पलायन का स्तर काफी बढ़ गया है। हल्द्वानी में कपकोट के मल्ला दानपुर क्षेत्र से लेकर पिथौरागढ़ के कुटी, गुंजी जैसे सरहदी गांवों के लोगों ने अपने गांव छोड़ दिये हैं। पहाड़ छोड़कर तराई एवं भावर या दूसरे इलाकों में बसने वाले लोगों में फौजी, शिक्षक, व्यापारी, वकील, बैंककर्मी, आईएएस समेत विभिन्न कैडरों के लोग शामिल हैं। पलायन के कारण खाली हुए गांवों में हजारों एकड़ कृषि भूमि बंजर पड़ गई है। इसी तरह से विकास के नाम पर खर्च हुए अरबों रुपये का यहां कोई नामोनिशान नहीं है। नहरें बंद हैं। पेयजल लाइनों के पाइप उखड़ चुके हैं और सड़कों की स्थिति भी बदहाल है। किसी गांव में दो-चार परिवार हैं तो किसी में कोई नहीं रहता। किसी दौर में इन गांवों में हजारों लोग रहा करते थे। स्कूल और कालेजों की स्थिति भी दयनीय बन गई है। कई प्राथमिक स्कूलों में एक बच्चा भी नहीं है तो किसी इंटर कालेज में दस छात्र भी नहीं पढ़ रहे हैं।

शनिवार, 23 अप्रैल 2011

सरोवरनगरी में अवैध तरीके से हो रहा नौकायन


नैनीताल (एसएनबी)। नैनी सरोवर में नौकायन के लिये सूर्योदय से सूर्यास्त का ही नियम है, किंतु तस्वीर गवाह है कि झील में देर रात्रि तक नौकायन कराया जा रहा है। ऐसी स्थिति में कभी भी किसी हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसी स्थिति झील के बाबत किसी एक संस्था की सीधी जिम्मेदारी तय न होने के कारण भी है। लिहाजा, झील विकास प्राधिकरण, नगर पालिका, पुलिस व अन्य विभाग एक-दूसरे पर दायित्व टालते हुऐ भी जिम्मेदारी से बच निकलते हैं। उल्लेखनीय है कि बीते दो दिनों से नगर में सैलानियों की अत्यधिक भीड़-भाड़ है। नगर में आकर हर सैलानी एक बार नौकायन करना चाहता है, लिहाजा नैनी झील में नौकायन का अपना अलग चाव है। इधर झील में सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही नौकायन करना स्वीकृत है। लेकिन तस्वीरें गवाह हैं कि झील में देर रात्रि करीब आठ बजे तक भी बिना किसी डर या अतिरिक्त सुरक्षा प्रबंधों के नौकायन किया जा रहा है। इस बावत पूछे जाने पर नगर पालिका एवं पुलिस के अधिकारियों ने पूरी तरह अनभिज्ञता जाहिर की। अलबत्ता नगर पालिका अध्यक्ष मुकेश जोशी ने आगे से पुलिस के अलावा पालिका कर्मियों को भी इस कार्य में लगाने तथा जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मोहन सिंह बनंग्याल ने थाना व कोतवाली पुलिस को सचेत करने की बात कही।


खेल मैदान में गाड़ियां, अब कहां जाएं खेलने?
नैनीताल (एसएनबी)। सरोवर नगरी में सीजन से पहले ही वाहनों का रैला उमड़ पड़ा है। हालात यह हो गऐ हैं कि नगर का एक मात्र खेल का मैदान 'फ्लैट्स' सैलानियों के वाहनों से पट गया है। साथ ही माल रोड वाहनों पर वाहन रेंगने को मजबूर हैं, जबकि राजभवन रोड, चिड़ियाघर रोड व बिड़ला रोड जैसी संकरी सड़कों पर वाहन आगे-पीछे खिसक रहे हैं। उल्लेखनीय है कि फ्लैट मैदान में वाहन खड़े करने के बाबत बीते सप्ताह ही आईजी पुलिस द्वारा ली गई बैठक में तय हुआ था कि नगर की सूखाताल सहित अन्य सभी पार्किग भरने के बाद ही एसडीएम व सीओ स्तर के अधिकारी यहां वाहन खड़े करना आदेशित करेंगे, जबकि शनिवार को सूखाताल की पार्किग तो नहीं भरी अलबत्ता पार्किग के बाहर और फ्लैट मैदान में वाहन की कतारें लग गई हैं। यह स्थिति तब भी सुखद कही जा सकती है, क्योंकि यदि यह वाहन सड़कों पर आ जाऐं तो सड़कों पर पैदल चलना भी दूभर हो जाए।

गुरुवार, 21 अप्रैल 2011

शासनादेश ताक पर रख कर बूढ़े-बीमार डॉक्टरों की भरती

गावों में रखने थे, शहरों में भर दिए, अकेले देहरादून मैं ही ११३ में से ३० डॉक्टर तैनात, कई खुद बीमार हैं डॉक्टर 

सोमवार, 18 अप्रैल 2011

सैलानियों के लिए बनेगा कंट्रोल रूम


पर्यटन सीजन में यातायात, पार्किग और बिजली-पानी की समस्याओं पर विचार
नैनीताल (एसएनबी)। आगामी पर्यटन सीजन में सरोवरनगरी में आने वाले सैलानियों के लिए खुशखबरी है। सैलानियों को अब अपनी समस्याओं के लिए अलग-अलग गुहार लगाने की जहमत नहीं उठानी पड़ेगी। पुलिस उनके लिए कंट्रोल रूम स्थापित करेगी। कंट्रोल रूम से सैलानियों को विभिन्न विभागों से संबंधित मदद उपलब्ध कराई जाएगी। प्रशिक्षित पुलिसकर्मी सैलानियों से शालीनता से व्यवहार करेंगे, ताकि सैलानी नगर की बेहतर छवि लेकर वापस जाएं। 
सोमवार को नैनीताल क्लब में कुमाऊं परिक्षेत्र के आईजी राम सिंह मीणा की अध्यक्षता में आयोजित पर्यटन संबंधी बैठक में तय किया गया कि पुलिस पर्यटकों के लिए कंट्रोल रूम स्थापित करेगी, जहां विभिन्न विभागों के अधिकारियों के फोन नंबर सहित अन्य जानकारियां उपलब्ध होंगी। सीओ एवं एसडीएम की टीम फ्लैट स्थित कार पार्किंग, मेट्रोपोल और सूखाताल पार्किग के भर जाने के उपरांत ही खेल मैदान को पार्किग के लिए खोलेगी। यह भी तय हुआ कि सीजन से पहले लोनिवि नैनी झील में गिरने वाले सभी नालों की सफाई करेगा तथा मलबा सोमवार शाम तक वन विभाग द्वारा तय न किये जाने की स्थिति में मंगोली के पास फेंका जाएगा। वर्ष भर शाम छह से आठ बजे तक बंद रहने वाली अपर माल रोड सीजन के दौरान यानी 15 मई से 15 जुलाई तक शाम साढ़े छह से साढ़े नौ बजे तक बंद रहेगी। इस दौरान बच्चे माल रोड पर स्केटिंग भी नहीं कर सकेंगे।स्कूल- कालेजों को अपने यहां छुट्टी जैसे मौकों पर संभावित भीड़-भाड़ की सूचना 48 घंटे पहले देनी होगी। बाहर से आने वाले वाहनों को सूखाताल, हनुमानगढ़ी व कैलाखान में रोककर वहां से शटल टैक्सियां चलाने पर भी चर्चा हुई। श्री मीणा ने पुलिस की ओर से सीजन से पहले हर व्यवस्था चाक- चौबंद करने के साथ ही सभी खराब पड़े सीसी कैमरों को ठीक करा लेने को कहा। डीएम शैलेश बगौली ने जिला प्रशासन द्वारा जेएनएनयूआरएम के तहत नई पार्किग विकसित करने सहित अन्य कायरे की जानकारी दी। डीएसए के महासचिव गंगा प्रसाद साह ने सीजन के लिए दीर्घकालीन नीतियां बनाने के लिए पालिका की अगुवाई में स्थाई सर्वाधिकार प्राप्त उच्च स्तरीय समिति बनाने का विचार रखा। होटलियर प्रवीण शर्मा ने नगर में अवैधानिक तौर पर चल रहे होटलों को भारत सरकार के ब्रेड एंड ब्रेकफास्ट लाइसेंस दिये जाने का विचार रखा।
(फोटो को डबल क्लिक कर बढ़ा देखा जा सकता है।)

गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

नैनीताल में भारी बारिश,ओले गिरे


नैनीताल (एसएनबी)। सरोवरनगरी में बीते तीन दिनों से मौसम की आंख-मिचौली के क्रम में बृहस्पतिवार को मूसलाधार बारिश हुई, इससे नगर में अपराह्न में जनजीवन बुरी तरह अस्त व्यस्त हो गया। बरसात के दिनों के बाद से पहली बार नाले उफना आये। माल रोड पर सीवर लाइन भी उफनने लगी, जिससे टनों सीवर की गंदगी और नालों के माध्यम से मलवा झील में पहुंच गया। बारिश के साथ ओलावृष्टि भी हुई। बेमौसम आई बारिश व ओलावृष्टि से नगर में पारा भी लुड़क गया। नगर में बृहस्पतिवार को हालांकि सुबह की शुरूआत अच्छी धूप से हुई, लेकिन दिन चढ़ने के साथ बादलों ने आसमान में डेरा डाल दिया। अपराह्न ढाई बजे के करीब से पहले हल्की बूंदा शुरू हुई और फिर बारिश तेज होती चली गई। देर शाम तक मूसलाधार बारिश हुई, इससे कई घंटों नगर की बिजली भी गुल रही 

शनिवार, 9 अप्रैल 2011

नैनीताल में सैलानी हो गए सीएम डा. निशंक



देर रात्रि माल रोड पर टहलने निकले निशंक, नैनी झील के घटते जल स्तर पर जताई चिंता, स्थानीय लोगों से पूछीं समस्याएं
नैनीताल (एसएनबी)। मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने शुक्रवार को नैनीताल में रात्रि विश्राम का उपयोग सैलानी के रूप में किया। देर रात वह कुछ पार्टी नेताओं और प्रशासनिक अफसरों के साथ माल रोड की सैर पर निकल पड़े। इस दौरान उन्होंने नगरवासियों, दुकानदारों, होटल-रेस्टोरेंट स्वामियों के साथ सैलानियों से बात कर नगर में पर्यटन की वर्तमान स्थिति और संभावनाओं पर 'फीड बैक' ली। अंधेरा होने के बावजूद सीएम की नजरों में नैनी झील का घटता जलस्तर आ गया, उन्होंने डीएम से इस हेतु कार्ययोजना बनाने को कहा। डा. निशंक तल्लीताल नाव घाट पर झील के करीब आए और घटते जलस्तर पर चिंता जताई। डीएम शैलेश बगौली ने बताया कि गत वर्ष से झील का जलस्तर करीब दो फीट गिरा है। जलस्तर गिरने की यह दर दर गत दो-तीन वर्षो जैसी ही है। नैनी झील में प्रमुख जल संग्रहण क्षेत्र सूखाताल को दीर्घकालीन लाभ के लिए वषर्भर भरी रहने वाली झील में तब्दील करने के प्रयास चल रहे हैं, वहीं झील को जलस्तर और गिरने पर झील से हो रही वाल्व आदि से किसी भी प्रकार की लीकेज को रोकने के कार्य किए जाएंगे। सीएम का कहना था कि नैनी झील के संरक्षण के लिए सरकार पूरी मदद करेगी, डीएम कार्ययोजना बनाएं। इस दौरान अधिकांश सैलानियों ने नगर को अन्य पर्यटन स्थलों के मुकाबले अधिक साफ- स्वच्छ बताया, जिस पर सीएम ने संतोष जताया। सीएम के दौरे को लेकर लोगों में काफी उत्साह था। लोगों को उम्मीद थी कि डा. निशंक सरोवरनगरी की समस्याओं के समाधान के लिए घोषणाएं अवश्य करेंगे। विकास यात्रा और आसन्न चुनावों के मद्देनजर लोगों की आशाएं ठीक ही थीं। लेकिन मुख्यमंत्री ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की, और सैर-सपाटा ही किया।  सीएम के नगर भ्रमण में भाजपा जिलाध्यक्ष भुवन हरबोला, रईस अहमद, कुंदन बिष्ट, संतोष साह सहित कई भाजपा नेता एवं मल्लीताल कोतवाल भूपेंद्र सिंह धौनी आदि लोग शामिल थे।

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

52 करोड़ से स्थापित होगा भीमताल कैम्पस


कुमाऊं विवि ने शासन को भेजा प्रस्ताव पांच किमी दायरे में स्थापित होगा नया परिसर कई रोजगारपरक संकायों के अलावा स्टेडियम और आडिटोरियम बनाने का प्रस्ताव शामिल

नवीन जोशी, नैनीताल। गत वर्ष की गई मुख्यमंत्री की घोषणा पर कुमाऊं विवि का भीमताल में तीसरा परिसर 52.1 करोड़ रुपये से स्थापित होगा। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा के पत्र के प्रत्युत्तर में कुमाऊं विवि ने शुक्रवार को शासन को इस हेतु अपना प्रस्ताव भेज दिया है। नया परिसर भीमताल के औद्योगिक क्षेत्र, सौनगांव व आड़ूगांव में पांच किमी के दायरे में स्थापित होगा। कुमाऊं विवि की मंशा भीमताल के प्रस्तावित परिसर को रोजगारपरक पाठय़क्रमों का हब बनाने की। यहां ला फैकल्टी, जियो इंफाम्रेटिक्स, पर्यटन व पत्रकारिता जैसे नए पाठय़क्रम शुरू किए जाएंगे, जबकि एमबीए व बायोटैक्नालॉजी जैसे विभाग पहले ही यहां चल रहे हैं। यहां स्टेडियम, ऑडिटोरियम और जिम्नेजियम बनाने के प्रस्ताव भी किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक ने गत वर्ष आठ जनवरी 2010 को भीमताल में कुमाऊं विवि के बायोटैक्नोलाजी विभाग के शुभारंभ पर भीमताल में नया परिसर स्थापित करने की घोषणा की थी। इसकी फाइल अब चल पड़ी है, और चुनावी वर्ष होने के कारण परिसर के अतिशीघ्र स्थापित होने की उम्मीद लगाई जा रही है। इसका अंदाजा इससे भी लगता है कि प्रमुख सचिव ने कुविवि को तीन दिन के भीतर नए परिसर का औचित्यपूर्ण प्रस्ताव अपनी संस्तुति के साथ भेजने को कहा था, जिस पर विवि के कुलपति प्रो.वीपीएस अरोड़ा ने अपनी प्रबल संस्तुति सहित प्रस्ताव शुक्रवार को शासन को भेज दिया है। प्रस्ताव में भीमताल औद्योगिक क्षेत्र में बंद पड़ी फैक्ट्रियों की अधिकाधिक भूमि अधिग्रहण करने को कहा है। इस हेतु 20 करोड़ रुपये मांगे गये हैं। इसके अतिरिक्त 27.1 करोड़ रुपये नए परिसर हेतु भूमि, भवन, आडिटोरियम, प्रशासनिक भवन, जिम्नेजियम, फर्नीचर, साज-सज्जा, पुस्तक व जर्नल क्रय, मिनी स्वास्थ्य केंद्र निर्माण आदि के लिए तथा 29 नियमित एवं 10 संविदा पर चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के वेतन पर पांच वर्ष के खच्रे हेतु चार करोड़ रुपए व आकस्मिक व्यय हेतु एक करोड़ रुपये की आवश्यकता जताई गई है। कुलपति प्रो. अरोड़ा ने बताया कि हल्द्वानी महाविद्यालय व नैनीताल परिसर में क्षमता पूरी तरह भर जाने व आगे प्रसार की संभावनाओं को देखते हुऐ नए परिसर की मांग की गई थी, जो अब पूरी होने को है। उन्होंने कहा कि नये परिसर को रोजगारपरक पाठय़क्रमों का केंद्र बनाने की योजना है। भीमताल परिसर सुविधायुक्त होगा।
औद्योगिक क्षेत्र मिलने पर संशय
नैनीताल। कुमाऊं विवि ने हालांकि विवि में नए परिसर के लिए भीमताल के औद्योगिक क्षेत्र में बंद पड़ी इकाइयों को अधिग्रहित कर दिए जाने की मांग की है, लेकिन ऐसा जल्द संभव प्रतीत नहीं होता। कारण यह कि औद्योगिक क्षेत्र अभी भी पूर्ववर्ती उत्तर प्रदेश के यूपीएसआईडीसी से राज्य की सुपुर्दगी में ही नहीं आया है। दूसरे बाद में औद्योगिक भूमि का 'लैंड यूज' बदलने में भी समस्याएं आ सकती हैं।

बुधवार, 6 अप्रैल 2011

कड़ी परीक्षा लेगा कैलाश मानसरोवर का सफर



यात्रा मार्ग की लम्बाई 36 किलोमीटर बढ़ी एक अतिरिक्त यात्रा पड़ाव और यात्रावधि में दो दिन का इजाफा, कुमंविनि भी बढ़ा चुका है किराया
नवीन जोशी, नैनीताल।लगता है कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं की भोले बाबा इस बार कड़ी परीक्षा ले रहे हैं। यात्रा में पैदल दूरी के 36 किमी बढ़ जाने और एक अतिरिक्त यात्रा पड़ाव और यात्रा अवधि दो दिन बढ़ने के बाद गत दिनों यात्रा के भारतीय क्षेत्र में आयोजक संस्था कुमाऊं मंडल विकास निगत द्वारा प्रति व्यक्ति यात्रा किराया 24,500 से बढ़ाकर 27 हजार रुपये कर दिया गया है। अब चीन सरकार ने किराया बढ़ाकर यात्रियों के लिए और संकट पैदा कर दिया है। 
उल्लेखनीय है कि मांगती से गाला के बीच के मार्ग पर निर्माण के कारण केएमवीएन को इस बार यात्रा मार्ग बदलना पड़ा है। इस कारण यात्रा अपने प्राचीन मार्ग पर लौटी है, लेकिन साथ ही नया यात्रा पड़ाव सिरखा बनने से पैदल यात्रा 36 किमी लंबी हो गई है। यात्रा की अवधि भी दो दिन बढ़ गई है। चीन व भारत के यात्रा किराया बढ़ाने से व्यय भार बढ़ गया है। बीते वर्ष में डालर की भारतीय मुद्रा के मुकाबले कीमत बढ़ने का असर भी यात्रा के खच्रे पर पड़ना तय है। बीते एक वर्ष में डालर की कीमत सात से आठ रुपये तक बढ़ी है, इस प्रकार किराये में निगम द्वारा की गई ढाई हजार रुपये की वृद्धि तथा चीन सरकार द्वारा की गई 50 डालर की वृद्धि से भारतीय यात्रियों की जेब पर करीब 10 हजार रुपये का अतिरिक्त भार पड़ने जा रहा है। 

चीन ने बढ़ाया कैलाश मानसरोवर यात्रा का किराया
नैनीताल (एसएनबी)। कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों को इस बार अधिक रकम चुकानी होगी। कुमाऊं मंडल विकास निगम के बाद चीन सरकार ने भी यात्रा का किराया प्रति यात्री 50 डालर बढ़ा दिया है। इस प्रकार यात्रियों को चीन सरकार को 700 डालर की बजाय 750 डालर चुकाने होंगे। चीन सरकार की मंशा किराया 850 डालर करने की थी। गत दिवस भारत एवं चीन के प्रतिनिधिमंडल की दिल्ली में हुई वार्ता एवं भारत द्वारा यात्रा के दौरान चीन में भारतीयों को खान- पान और शौचालय संबंधी समस्याओं की पैरवी करने के बाद चीन को 750 डालर प्रति यात्री किराया रखने पर सहमत होना पड़ा। केएमवीएन के मंडलीय प्रबंधक-पर्यटन डीके शर्मा ने बताया कि चीन के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने यात्रा के दौरान भारतीय यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने का भी वादा किया है।

यात्रा के लिए चुने गए 960 लोग
नैनीताल। महंगाई, किराया, पैदल यात्रा की दूरी और यात्रा अवधि बढ़ने के बावजूद भोले के धाम के लिए श्रद्धालुओं का उत्साह बढ़ता ही जा रहा है। इस वर्ष यात्रा के लिए करीब 2300 लोगों ने आवेदन किया था। छंटनी में इनमें से 1778 आवेदन सही पाए गए। बुधवार को नई दिल्ली में विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने इनमें से 960 आवेदनों को 'रेंडम' तरीके से चुनकर उन भाग्यशालियों की सूची में शामिल कर लिया है, जिन्हें इस वर्ष यात्रा पर जाने का मौका मिलेगा। केएमवीएन के मंडलीय प्रबंधक-पर्यटन डीके शर्मा ने बुधवार को 'राष्ट्रीय सहारा' को बताया कि आज ही दिल्ली में साउथ ब्लॉक स्थित विदेश विभाग के कार्यालय में विदेश मंत्री श्री कृष्णा ने कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले 960 भाग्यशाली श्रद्धालुओं का चयन किया। यात्री एक जून से प्रारंभ हो रही यात्रा के 16 दलों में शामिल होंगे। इनके अतिरिक्त प्रति दल 45 श्रद्धालुओं को प्रतीक्षा सूची में रखा गया है। साथ ही तय हो गया है कि यात्रा के प्रत्येक दल में 60 यात्री शामिल होंगे। पहला दल एक जून को अल्मोड़ा पहुंच जाएगा। अगले दिन यह दल धारचूला होते हुए पांगू में रात्रि विश्राम करेगा। आगे 13 किमी की पैदल यात्रा कर अगले दिन नारायण आश्रम होते हुए सिरखा, सिरखा से 14 किमी पैदल चलकर गाला, गाला से 21 किमी चल कर बूंदी, बूंदी से नौ किमी चलकर कालापानी, पुन: अगले दिन नौ किमी चलकर नाभीढांग, फिर नौ किमी चलकर लिपुपास तथा अगले दिन तीन किमी चलकर चीन सीमा में प्रवेश करेगा। निगम के प्रबंध निदेशक चंद्रेश कुमार एवं अध्यक्ष सुरेंद्र जीना ने निगम को यात्रा के लिए पूरी तरह तैयार व यात्रियों को बेहतरीन सुविधाएं देने के लिए संकल्पबद्ध बताया है। बताया कि नए शिविर सिरखा में युद्धस्तर से तैयारियां की जा रही हैं।

मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

जलजलों से सुरक्षित नहीं पहाड़


वैज्ञानिकों ने कहा कि फिलहाल भूकंप से डरने की जरूरत नहीं मगर रहें सावधान
नवीन जोशी नैनीताल। भारत-नेपाल सीमा पर काली नदी के पार आए भूकंप के झटके से कई आशंकाओं को बल मिला है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रदेशवासियों को भूकंप के ताजा झटकों के मद्देनजर फिलहाल डरने की  जरूरत नहीं है, मगर उत्तराखंड में इस भूगर्भीय खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता। प्रदेश से गुजरने वाले दो प्रमुख भ्रंशों 'मेन सेंट्रल थ्रस्ट' व 'नार्थ अल्मोड़ा थ्रस्ट' की भूगर्भीय हलचल खतरे की ओर इशारा कर रही है। 
हिमालय उत्तरी सिरे पर एशियाई और तिब्बती भूगर्भीय के प्लेटों के बीच टकराव हो रहा है। एशियाई प्लेट प्रतिवर्ष 30 से 40 मिमी की दर से तिब्बती प्लेट में समा रही है। इससे भारी ऊर्जा एकत्र हो रही है। उत्तराखंड में तीन बड़े भूगर्भीय भ्रंश थ्रस्ट मेन सेंट्रल थ्रस्ट यानी एमसीटी, नार्थ अल्मोड़ा थ्रस्ट यानी एनएटी और मेन बाउंड्री थ्रस्ट यानी एमबीटी मौजूद हैं। इनमें पृथ्वी के भीतर उत्पन्न ऊर्जा के कारण हलचल होती है। एमसीटी अरुणांचल और नेपाल से होता हुआ प्रदेश के धारचूला और मुनस्यारी से कपकोट और गढ़वाल में चमोली-उत्तरकाशी तक जाता है। एनएटी पिथौरागढ़ के rameshwar घाट से सेराघाट होता हुआ अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट से निकलता है जबकि एमबीटी चंपावत के चल्थी से नैनीताल, रामनगर होता हुआ हरिद्वार, देहरादून के उत्तर से होता हुआ पंजाब की ओर निकल जाता है। काफी समय से एमसीटी व एनएटी में हलचल जारी है, जबकि एमबीटी कुछ हद तक शांत है। इसी आधार पर उत्तराखंड के हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जिलों को भूकंप के दृष्टिकोण से संवेदनशील जोन चार में तथा शेष जिलों को अति संवेदनशील जोन पांच में रखा गया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि छोटे बड़े भूकंपों से पुन: जल्द बड़े भूकंपों के आने की संभावना कम तो होती है, पर खत्म नहीं होती।


भूकंपमापी केंद्र अगले महीने तक
नैनीताल। मालूम हो कि कुमाऊं मंडल के विभिन्न केंद्रों से जुड़ा मुख्यालय स्थित भूकंप मापी केंद्र करीब डेढ़ वर्ष पूर्व बिजली गिरने से खराब हो गया था। इसके स्थान पर अब भारत सरकार का पृथ्वी विज्ञान विभाग एक करोड़ रुपये लागत का नया भूकंप मापी केंद्र लगने जा रहा है। प्रस्तावित केंद्र के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर प्रो. चारु चंद्र पंत ने बताया कि इसके उपकरण दिल्ली पहुंच चुके हैं। अगले माह तक इसके नगर में स्थापित होने की उम्मीद है।

रविवार, 3 अप्रैल 2011

अधिक बारिश के बावजूद घट रहा झील का जलस्तर


विभाग के अनुसार बीते वर्षों जैसा ही है जलस्तर घटने का 'ट्रेंड'
नवीन जोशी, नैनीताल। सरोवरनगरी का हृदय कही जाने वाली नैनी झील में जल का स्तर गत वर्षों के मुकाबले इस वर्ष अधिक बारिश होने के बावजूद लगातार घटता जा रहा है, फलस्वरूप अप्रैल माह के शुरू में ही झील के किनारे कई स्थानों पर डेल्टा बनने की शुरूआत होने लगी है। 
आंकड़ों से ही सीधे बात शुरू करें तो आज की तिथि यानी दो अप्रैल तक नगर में जनवरी माह से 140.71 मिमी वष्रा हुई, और झील का जलस्तर 3.15 फीट है जबकि दो अप्रैल 10 तक बारिश 53.34 मिमी ही होने के बावजूद जलस्तर 4.75 फीट था। इसी तरह वर्ष 09 में बारिश 46.23 मिमी होने के बावजूद जलस्तर 5.44 फिट और 08 में मात्र 31.75 मिमी बारिश के बावजूद झील 6.4 फिट तक भरी थी लेकिन इससे इतर बीते तीन वर्षों में इस अवधि के एक सप्ताह के आंकड़ों के आधार पर ही लोनिवि के अभियंता डीसी बिष्ट का कहना है कि बीते वर्षों की तरह ही इस वर्ष भी प्रतिदिन 0.5 इंच की गति से झील का जलस्तर लगातार गिर रहा है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1977 में अप्रैल में झील का जलस्तर 3.3 फीट, 78 में 2.95 फीट, 80 में मात्र 1.5 फिट, 85 में 2.5 फिट जितना कम रहा है, जबकि अगले दशक के 1990 में 9.48 फिट, 91 में 9.05 फिट भी रहा है। इधर वर्ष 2003 में भी झील का जलस्तर 8.7 फिट था। झील के घटते जलस्तर को उस वर्ष हुई बर्फबारी से भी जोड़ा जाता है, लंबी अवधि में झील के जलस्तर के घटने-बढ़ने को कुछ लोग सामान्य प्रक्रिया भी मानते हैं, हालांकि इस बात पर सभी एकमत हैं कि नगर में साल दर साल पानी का बढ़ता खर्च झील के जलस्तर को घटाने में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। खासकर इस वर्ष बरसात के बाद से बलियानाले में लगातार हो रहे पानी के रिसाव को इस वर्ष जलस्तर घटने का प्रमुख कारण माना जा रहा है।
इसे यहाँ और यहाँ  पेज 10 पर भी देख सकते हैं।