गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

वादियों की खूबसूरती पर फिदा रहे महामहिम



जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के बहुचर्चित गोवा प्रवास के बाद अचानक आम लोगों की दिलचस्पी महामहिमों के पर्यटन स्थलों पर होने वाले सरकारी /गैरसरकारी दौरे पर केंद्रित हुई है। ऐसे में यह बताना समीचीन होगा कि राज्य की वादियों पर भी अधिकांश महामहिम फिदा हो चुके हैं। कुमाऊं व गढ़वाल की खूबसूरत वादियों को नजदीक से निहारने का मोह आम लोगों की तरह ही राष्ट्रपतियों में भी दिख चुका है। आजादी के बाद से लेकर अब तक देश के 12 राष्ट्रपतियों में से दस ने यहां की सैर की है। भले ही बहाना सरकारी दौरे का रहा हो लेकिन यहां की हरी-भरी पर्वतीय श्रृंखलाओं को अपलक निहारने और मदमस्त कर देने वाली शीतल हवा लेने में महामहिम आम पर्यटक की तरह ही अभीभूत-रोमांचित होते रहे हैं। यह खुलासा खुद राष्ट्रपति सचिवालय ने किया है। हल्द्वानी निवासी डॉ. प्रमोद अग्रवाल गोल्डी द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम में मांगी गई सूचना में राष्ट्रपति सचिवालय के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी जेजी सुब्रमणियन ने अवगत कराया है कि देश के द्वितीय राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ.राधाकृष्णन, चतुर्थ राष्ट्रपति वीवी गिरि, पंचम राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद, छठें राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी, सप्तम राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, नौवें राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा, दसवें राष्ट्रपति केआर नारायण, 11वें राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एवं वर्तमान राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने देहरादून की अधिकारिक यात्रा की है। इसके अलावा प्रभारी राष्ट्रपति/ उपराष्ट्रपति एम.हिदायतुल्लाह ने भी देहरादून की यात्रा की। जबकि वीवी गिरि, नीलम संजीव रेड्डी व ज्ञानी जैल सिंह ने नैनीताल की भी अधिकारिक यात्रा की।

2 टिप्‍पणियां:

VICHAAR SHOONYA ने कहा…

जोशी जी मैं तो आपके ब्लॉग में दिख रहे हरे भरे पहाड़ी गाँव की तस्वीर देख कर ही मुग्ध हो जाता हूँ. जरा बताएं ये कौन सा ग्राम है.

डॉ. नवीन जोशी ने कहा…

इस गाँव का नाम मुझे नहीं पता, पर अल्मोड़ा जिले में पनुवानौला से आगे वृद्ध जागेश्वर जाने वाली रोड के करीब स्थित यह गाँव मुझे पूरे पहाड़ का प्रतिनिधित्व करता हुआ लगा. यहाँ कुछ हरीतिमा लिए तो कुछ बंजर छोटे-छोटे सीढीनुमा खेत हैं. ऊपर वाले घरों की बाखलियाँ ठेठ पुरानी पहाड़ी हैं, नीचे उसी पुराने स्टाइल में बनी नई बाखली भी है, वहीँ सबसे नीचे गृहस्वामी के प्रवासी हो जाने के फलस्वरूप हुआ खंडहर और उसके बगल में नए जमाने का लिंटर वाला मकान भी है, इस प्रकार यह चित्र आज के पहाड़ के पूरे हालात बयान करता है.