शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

नैनीताल में 52 निर्माण कार्य रोकने का आदेश


पहली से नगर में शुरू होगा अतिक्रमण हटाने व झील से मलबा निकालने का अभियान
नैनीताल (एसएनबी)। जिला अधिकारी ने सरोवरनगरी में हो रहे 52 निर्माणों को तत्काल रोकने तथा इनकी जांच कराने के निर्देश दिए हैं। नगर में आगामी एक मई से अतिक्रमणों को हटाने तथा नैनी झील से मलबा निकालने का अभियान शुरू होगा। बरसात से पूर्व नालों से मलवा हटा लिया जाएगा। नगर के ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में भूमि व भवनों की रजिस्ट्री रोकने के लिए कानूनी राय ली जाएगी। नैनी झील व नगर के बाबत विभिन्न विभागों के समन्वयक की भूमिका झील विकास प्राधिकरण निभाएगा। नगर के गणमान्य लोगों की एक निगरानी समिति बनाई जाएगी, जो हर माह बैठकें कर अवैध निर्माणों पर नजर रखेगी। 
शुक्रवार को आयुक्त सभागार में आयोजित बैठक के बाद डीएम शैलेश बगौली ने यह निर्णय सुनाए। यह बैठक करीब 300 लोगों के हस्ताक्षरों युक्त एक शिकायत पर बुलाई गई थी, जिसमें अवैध निर्माणों का आरोप लगाया था, लेकिन शिकायत करने वालों से इतर बड़ी संख्या में नगरवासी बैठक में शामिल हुए। इस हंगामी बैठक में नगरवासियों ने एक-दूसरे की बातों में टोका- टोकी करते हुए अपनी बातें रखीं। कई लोग इस बहाने अपने निजी व राजनीतिक हित साधते भी नजर आये। अधिकांश लोगों ने स्वीकार किया कि नगर के उत्थान में सभी की भागेदारी होनी जरूरी है। ग्वल सेना के संयोजक पूरन मेहरा ने घोड़ा स्टैंड व कूड़ा खड्ड पर गंदगी की समस्या उठाई। मनोज जोशी ने पर्यावरणविदों पर स्वयं नियमों का उल्लंघन कर दूसरों के मामलों में टांग अड़ाने का आरोप लगाया। पान सिंह रौतेला ने झील विकास प्राधिकरण पर आरोप लगाया कि झील के संरक्षण के बजाय निर्माण उसकी प्राथमिकता में है। उन्होंने शेर का डांडा की ग्रीन बेल्ट व सर्वाधिक असुरक्षित क्षेत्र में सर्वाधिक निर्माण जारी होने की बात कही। प्रवीण शर्मा ने खुलासा किया कि 1984 से प्राधिकरण ने 1320 अवैध निर्माण चिह्नित किये हैं। खास बात यह थी कि इस सूची में शामिल कई लोग भी बैठक में अवैध निर्माणों की दुहाई दे रहे थे। डीएन भट्ट, कुंदन नेगी आदि ने फड़वालों पर गंदगी फैलाने का आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग की। प्रो. अजय रावत ने नगर में अवैध निर्माणों पर रोक लगाने की पुरजोर मांग की। किशन लाल साह 'कोनी' ने कहा कि केवल माल रोड पर सफाई करने से काम नहीं चलेगा। उन्होंने प्राधिकरण से अवैध निर्माणों पर लगाई सील हटने का प्रश्न भी उठाया। इस मौके पर एडीएम ललित मोहन रयाल, प्राधिकरण सचिव एचसी सेमवाल, सीओ अरुणा भारती, पूर्व पालिकाध्यक्ष सरिता आर्य, मारुति साह, गिरिजा शरण सिंह खाती, राजा साह, भूपाल भाकुनी व महेश भट्ट सहित तमाम गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

वादियों की खूबसूरती पर फिदा रहे महामहिम



जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के बहुचर्चित गोवा प्रवास के बाद अचानक आम लोगों की दिलचस्पी महामहिमों के पर्यटन स्थलों पर होने वाले सरकारी /गैरसरकारी दौरे पर केंद्रित हुई है। ऐसे में यह बताना समीचीन होगा कि राज्य की वादियों पर भी अधिकांश महामहिम फिदा हो चुके हैं। कुमाऊं व गढ़वाल की खूबसूरत वादियों को नजदीक से निहारने का मोह आम लोगों की तरह ही राष्ट्रपतियों में भी दिख चुका है। आजादी के बाद से लेकर अब तक देश के 12 राष्ट्रपतियों में से दस ने यहां की सैर की है। भले ही बहाना सरकारी दौरे का रहा हो लेकिन यहां की हरी-भरी पर्वतीय श्रृंखलाओं को अपलक निहारने और मदमस्त कर देने वाली शीतल हवा लेने में महामहिम आम पर्यटक की तरह ही अभीभूत-रोमांचित होते रहे हैं। यह खुलासा खुद राष्ट्रपति सचिवालय ने किया है। हल्द्वानी निवासी डॉ. प्रमोद अग्रवाल गोल्डी द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम में मांगी गई सूचना में राष्ट्रपति सचिवालय के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी जेजी सुब्रमणियन ने अवगत कराया है कि देश के द्वितीय राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ.राधाकृष्णन, चतुर्थ राष्ट्रपति वीवी गिरि, पंचम राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद, छठें राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी, सप्तम राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, नौवें राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा, दसवें राष्ट्रपति केआर नारायण, 11वें राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एवं वर्तमान राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने देहरादून की अधिकारिक यात्रा की है। इसके अलावा प्रभारी राष्ट्रपति/ उपराष्ट्रपति एम.हिदायतुल्लाह ने भी देहरादून की यात्रा की। जबकि वीवी गिरि, नीलम संजीव रेड्डी व ज्ञानी जैल सिंह ने नैनीताल की भी अधिकारिक यात्रा की।

नैनीताल उच्च न्यायालय में हिंदी के प्रयोग का प्रस्ताव

नैनीताल (एसएनबी)। राज्य गठन के दस साल बाद उत्तराखंड हाईकोर्ट में राष्ट्रभाषा हिंदी में कार्यवाही की अनुमति के लिए राज्य विधिज्ञ परिषद ने पहली बार प्रस्ताव पारित किया है। परिषद ने यह प्रस्ताव शासन के साथ ही मुख्यमंत्री को भेजा है। अब राज्य के "साहित्यकार" मुख्यमंत्री और उनकी सरकार पर निर्भर करेगा कि वह इस प्रस्ताव पर नोटिफिकेशन जारी करने में कितना समय लगाते हैं। 
बुधवार को उत्तराखंड राज्य विधिज्ञ परिषद के अध्यक्ष डा. महेंद्र पाल ने पत्रकारों को बताया कि परिषद की गत सात अप्रैल को हरिद्वार में आयोजित कार्यकारिणी समिति की बैठक में इस बावत प्रस्ताव पारित हुआ। लिहाजा उत्तराखंड सरकार विज्ञप्ति जारी करे कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद की भांति उच्च न्यायालय नैनीताल में विधिक कार्यवाहियां अंग्रेजी के साथ हिंदी में भी हो सके।  डा. पाल ने कहा कि उच्च न्यायालय में हिंदी भाषा का प्रयोग होने से अधिवक्ताओं के साथ ही वादकारियों को भी लाभ होगा। अन्य हिंदी भाषी राज्यों बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान व उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालयों में ऐसी व्यवस्था है। पूर्ववर्ती यूपी में यह व्यवस्था थी, इसलिए उत्तराखंड में स्वत: ही यह व्यवस्था लागू होनी चाहिए थी। साथ ही मुंसिफ न्यायालयों में अनुभवी अधिवक्ताओं को विशेष न्यायाधीश तथा परिवार न्यायालयों में अधिवक्ताओं की न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी की जाए। इस मौके पर परिषद के सचिव विजय सिंह, हिमांशु सिन्हा व एनएस कन्याल आदि सदस्य भी मौजूद रहे।

सोमवार, 25 अप्रैल 2011

भूमिया, ऐड़ी, गोलज्यू, कोटगाड़ी ने भी किया पलायन


विडम्बना तराई और भाबर में स्थापित हो गए पहाड़ के देवी-देवता
गणेश पाठक/एसएनबी, हल्द्वानी। अरबों खरबों खर्च करने के बाद भी पहाड़ से पलायन की रफ्तार थम नहीं पा रही है। इस पलायन में केवल मनुष्य की शामिल नहीं है, बल्कि देवी-देवता भी पहाड़ छोड़कर तराई में बस गये हैं। पहाड़ों के तमाम छोटे-बड़े मंदिर और मकान खंडहरों में तब्दील हो गये हैं, जबकि तराई और भाबर में भूमिया, ऐड़ी, गोलज्यू, कोटगाड़ी समेत कई देवताओं के मंदिर बन गये हैं। पलायन करके तराई में आए लोग पहले देवी देवताओं की पूजा अर्चना करने के लिए साल भर में एक बार घर जाते थे, लेकिन अब इस पर भी विराम लग गया है। राज्य गठन के बाद पलायन की रफ्तार तेज हुई है। पिथौरागढ़ से लेकर चंपावत तक नेपाल-तिब्बत (चीन) से जुड़ी सरहद मानव विहीन होने की स्थिति में पहुंच गई है और यह इलाका एक बार फिर इतिहास दोहराने की स्थिति में आ गया है। कई सौ साल पहले मुगल और दूसरे राजाओं के उत्पीड़न से नेपाल समेत भारत के विभिन्न हिस्सों से लोगों ने कुमाऊं और गढ़वाल की शांत वादियों में बसेरा बनाया था। धीरे-धीरे कुमाऊं और गढ़वाल में हिमालय की तलहटी तक के इलाके आवाद हो गये थे, लेकिन आजादी के बाद सरकारें इन गांवों तक बुनियादी सुविधाएं देने में नाकाम रहीं और पलायन ने गति पकड़ी। इससे पहाड़ खाली हो गये। सरकारी रिकाडरे में खाली हो चुके गांवों की संख्या महज 1065 है, जबकि वास्तविकता यह है कि अकेले कुमाऊं में पांच हजार से अधिक गांव वीरान हो गये हैं। खासतौर पर नेपाल और तिब्बत सीमा से लगे गांवों से अधिक पलायन हुआ है। लगातार पलायन से पहाड़ों की हजारों एकड़ भूमि बंजर हो गई है। पलायन की इस रफ्तार से देवी-देवताओं पर भी असर पड़ा है। शुरूआत में लोग साल दो साल या कुछ समय बाद घर जाते और देवी देवताओं की पूजा करते थे। इससे नई पीढ़ी का पहाड़ के प्रति भावनात्मक लगाव बना रहता था, लेकिन अब यह लगाव भी टूटने लगा है। इसकी वजह से हजारों की संख्या में देवी देवताओं का पहाड़ से पलायन हो गया है। अकेले तराई और भावर में तीन से चार हजार तक विभिन्न नामों के देवी देवताओं के मंदिर बन गये हैं। किसी दौर में पहाड़ों में ये मंदिर तीन-चार पत्थरों से बने होते थे, लेकिन अब तराई और भावर में इनका आकार बदल गया है। यहां स्थापित किये गए देवी देवताओं में भूमिया, छुरमल, ऐड़ी, अजिटियां, नारायण, गोलज्यू के साथ ही न्याय की देवी के रूप में विख्यात कोटगाड़ी देवी के नाम शामिल हैं। इन देवी-देवताओं के पलायन का कारण लोगों को साल दो साल में अपने मूल गांव जाने में होने वाली कंिठनाई है। दरअसल राज्य गठन के बाद पलायन को रोकने के लिए खास नीति न बनने से पिछले दस साल में पलायन का स्तर काफी बढ़ गया है। हल्द्वानी में कपकोट के मल्ला दानपुर क्षेत्र से लेकर पिथौरागढ़ के कुटी, गुंजी जैसे सरहदी गांवों के लोगों ने अपने गांव छोड़ दिये हैं। पहाड़ छोड़कर तराई एवं भावर या दूसरे इलाकों में बसने वाले लोगों में फौजी, शिक्षक, व्यापारी, वकील, बैंककर्मी, आईएएस समेत विभिन्न कैडरों के लोग शामिल हैं। पलायन के कारण खाली हुए गांवों में हजारों एकड़ कृषि भूमि बंजर पड़ गई है। इसी तरह से विकास के नाम पर खर्च हुए अरबों रुपये का यहां कोई नामोनिशान नहीं है। नहरें बंद हैं। पेयजल लाइनों के पाइप उखड़ चुके हैं और सड़कों की स्थिति भी बदहाल है। किसी गांव में दो-चार परिवार हैं तो किसी में कोई नहीं रहता। किसी दौर में इन गांवों में हजारों लोग रहा करते थे। स्कूल और कालेजों की स्थिति भी दयनीय बन गई है। कई प्राथमिक स्कूलों में एक बच्चा भी नहीं है तो किसी इंटर कालेज में दस छात्र भी नहीं पढ़ रहे हैं।

शनिवार, 23 अप्रैल 2011

सरोवरनगरी में अवैध तरीके से हो रहा नौकायन


नैनीताल (एसएनबी)। नैनी सरोवर में नौकायन के लिये सूर्योदय से सूर्यास्त का ही नियम है, किंतु तस्वीर गवाह है कि झील में देर रात्रि तक नौकायन कराया जा रहा है। ऐसी स्थिति में कभी भी किसी हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसी स्थिति झील के बाबत किसी एक संस्था की सीधी जिम्मेदारी तय न होने के कारण भी है। लिहाजा, झील विकास प्राधिकरण, नगर पालिका, पुलिस व अन्य विभाग एक-दूसरे पर दायित्व टालते हुऐ भी जिम्मेदारी से बच निकलते हैं। उल्लेखनीय है कि बीते दो दिनों से नगर में सैलानियों की अत्यधिक भीड़-भाड़ है। नगर में आकर हर सैलानी एक बार नौकायन करना चाहता है, लिहाजा नैनी झील में नौकायन का अपना अलग चाव है। इधर झील में सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही नौकायन करना स्वीकृत है। लेकिन तस्वीरें गवाह हैं कि झील में देर रात्रि करीब आठ बजे तक भी बिना किसी डर या अतिरिक्त सुरक्षा प्रबंधों के नौकायन किया जा रहा है। इस बावत पूछे जाने पर नगर पालिका एवं पुलिस के अधिकारियों ने पूरी तरह अनभिज्ञता जाहिर की। अलबत्ता नगर पालिका अध्यक्ष मुकेश जोशी ने आगे से पुलिस के अलावा पालिका कर्मियों को भी इस कार्य में लगाने तथा जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मोहन सिंह बनंग्याल ने थाना व कोतवाली पुलिस को सचेत करने की बात कही।


खेल मैदान में गाड़ियां, अब कहां जाएं खेलने?
नैनीताल (एसएनबी)। सरोवर नगरी में सीजन से पहले ही वाहनों का रैला उमड़ पड़ा है। हालात यह हो गऐ हैं कि नगर का एक मात्र खेल का मैदान 'फ्लैट्स' सैलानियों के वाहनों से पट गया है। साथ ही माल रोड वाहनों पर वाहन रेंगने को मजबूर हैं, जबकि राजभवन रोड, चिड़ियाघर रोड व बिड़ला रोड जैसी संकरी सड़कों पर वाहन आगे-पीछे खिसक रहे हैं। उल्लेखनीय है कि फ्लैट मैदान में वाहन खड़े करने के बाबत बीते सप्ताह ही आईजी पुलिस द्वारा ली गई बैठक में तय हुआ था कि नगर की सूखाताल सहित अन्य सभी पार्किग भरने के बाद ही एसडीएम व सीओ स्तर के अधिकारी यहां वाहन खड़े करना आदेशित करेंगे, जबकि शनिवार को सूखाताल की पार्किग तो नहीं भरी अलबत्ता पार्किग के बाहर और फ्लैट मैदान में वाहन की कतारें लग गई हैं। यह स्थिति तब भी सुखद कही जा सकती है, क्योंकि यदि यह वाहन सड़कों पर आ जाऐं तो सड़कों पर पैदल चलना भी दूभर हो जाए।

गुरुवार, 21 अप्रैल 2011

शासनादेश ताक पर रख कर बूढ़े-बीमार डॉक्टरों की भरती

गावों में रखने थे, शहरों में भर दिए, अकेले देहरादून मैं ही ११३ में से ३० डॉक्टर तैनात, कई खुद बीमार हैं डॉक्टर 

सोमवार, 18 अप्रैल 2011

सैलानियों के लिए बनेगा कंट्रोल रूम


पर्यटन सीजन में यातायात, पार्किग और बिजली-पानी की समस्याओं पर विचार
नैनीताल (एसएनबी)। आगामी पर्यटन सीजन में सरोवरनगरी में आने वाले सैलानियों के लिए खुशखबरी है। सैलानियों को अब अपनी समस्याओं के लिए अलग-अलग गुहार लगाने की जहमत नहीं उठानी पड़ेगी। पुलिस उनके लिए कंट्रोल रूम स्थापित करेगी। कंट्रोल रूम से सैलानियों को विभिन्न विभागों से संबंधित मदद उपलब्ध कराई जाएगी। प्रशिक्षित पुलिसकर्मी सैलानियों से शालीनता से व्यवहार करेंगे, ताकि सैलानी नगर की बेहतर छवि लेकर वापस जाएं। 
सोमवार को नैनीताल क्लब में कुमाऊं परिक्षेत्र के आईजी राम सिंह मीणा की अध्यक्षता में आयोजित पर्यटन संबंधी बैठक में तय किया गया कि पुलिस पर्यटकों के लिए कंट्रोल रूम स्थापित करेगी, जहां विभिन्न विभागों के अधिकारियों के फोन नंबर सहित अन्य जानकारियां उपलब्ध होंगी। सीओ एवं एसडीएम की टीम फ्लैट स्थित कार पार्किंग, मेट्रोपोल और सूखाताल पार्किग के भर जाने के उपरांत ही खेल मैदान को पार्किग के लिए खोलेगी। यह भी तय हुआ कि सीजन से पहले लोनिवि नैनी झील में गिरने वाले सभी नालों की सफाई करेगा तथा मलबा सोमवार शाम तक वन विभाग द्वारा तय न किये जाने की स्थिति में मंगोली के पास फेंका जाएगा। वर्ष भर शाम छह से आठ बजे तक बंद रहने वाली अपर माल रोड सीजन के दौरान यानी 15 मई से 15 जुलाई तक शाम साढ़े छह से साढ़े नौ बजे तक बंद रहेगी। इस दौरान बच्चे माल रोड पर स्केटिंग भी नहीं कर सकेंगे।स्कूल- कालेजों को अपने यहां छुट्टी जैसे मौकों पर संभावित भीड़-भाड़ की सूचना 48 घंटे पहले देनी होगी। बाहर से आने वाले वाहनों को सूखाताल, हनुमानगढ़ी व कैलाखान में रोककर वहां से शटल टैक्सियां चलाने पर भी चर्चा हुई। श्री मीणा ने पुलिस की ओर से सीजन से पहले हर व्यवस्था चाक- चौबंद करने के साथ ही सभी खराब पड़े सीसी कैमरों को ठीक करा लेने को कहा। डीएम शैलेश बगौली ने जिला प्रशासन द्वारा जेएनएनयूआरएम के तहत नई पार्किग विकसित करने सहित अन्य कायरे की जानकारी दी। डीएसए के महासचिव गंगा प्रसाद साह ने सीजन के लिए दीर्घकालीन नीतियां बनाने के लिए पालिका की अगुवाई में स्थाई सर्वाधिकार प्राप्त उच्च स्तरीय समिति बनाने का विचार रखा। होटलियर प्रवीण शर्मा ने नगर में अवैधानिक तौर पर चल रहे होटलों को भारत सरकार के ब्रेड एंड ब्रेकफास्ट लाइसेंस दिये जाने का विचार रखा।
(फोटो को डबल क्लिक कर बढ़ा देखा जा सकता है।)