नवीन जोशी, नैनीताल। प्रदेश में भले अपनी दुदबोलियों कुमाऊंनी, गढ़वाली व जौनसारी आदि के स्वर धीमे हों, पर इंटरनेट की दुनिया में इन भाषाओं को लेकर चर्चाएं खासी गर्म हैं। इंटरनेट पर बकायदा दर्जनों वेबसाइटों के माध्यम से इन भाषाओं के संवर्धन के लिए कार्य हो रहा है। वहीं शीघ्र शुरू होने जा रही भारत की जनगणना 2011 में प्रदेशवासियों से भाषा के खाने में अपनी इन भाषाओं का उल्लेख किये जाने की अपील की जा रही है, ताकि यह देश के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हो सकें। कुमाउनीं व गढ़वाली को प्रदेश की आधिकारिक भाषा घोषित किए जाने की मांग भी इंटरनेट पर मुखर हो रही है।
प्रदेश में इंटरनेट की दुनिया अभी अपने शैशव काल में ही है, लेकिन जो पढ़े-लिखे लोग यहां तक पहुंचे हैं, उनमें अपनी जड़ों से जुड़ने की खासी छटपटाहट नजर आ रही है। बावजूद एक अनाधिकृत सव्रेक्षण के नतीजों के आधार पर यह रोचक तथ्य सामने आया है कि इंटरनेट पर आज फेसबुक, ट्विटर व आकरुट जैसी सोशियल नेटवर्किग साइटों पर देशी-विदेशी, प्रवासियों सहित प्रदेश के 25 लाख से अधिक लोग जुड़े हुए हैं और तीस लाख से अधिक लोग इंटरनेट का प्रयोग कर रहे हैं। इधर ई-दुनिया में गूगल के ट्रांसलेटर व यूनीकोड के आने के बाद पहाड़वासी कुमाऊंनी-गढ़वाली भाषा में अपने विचारों के आदान-प्रदान में भी पीछे नहीं हैं। नेट पर बकायदा ‘पहाड़ी क्लास’ भी चल रही है और पहाड़ी मस्ट बि आफिसियल लैंग्वेज इन इंडिया, डिक्लेयर कुमाऊंनी-गढ़वाली, जौनसारी, द आफिसियल लैंग्वेज ऑफ उत्तराखंड नाम से फेसबुक व वेबसाइट्स प्रदेश की मातृ-भाषाओं को देश की भाषाओं की आठवीं अनुसूची और प्रदेश की आधिकारिक भाषा बनाने की मुहिम चला रही है। लोगों से अपील की जा रही है कि शीघ्र होने जा रही भारत की जनगणना 2011 में प्रदेशवासी अपनी मातृ-भाषाओं का उल्लेख करें।
मेरा पहाड़ फोरम, पहाड़ी फोरम, ई- उत्तरांचल, धाद, म्यर पहाड़, कौथिक 2011, उत्तराखंड विचार, रंगीलो छबीलो मेरु उत्तराखंड, उत्तराखंडी फ्रेंड्स, मन कही, उत्तराखंड समाचार, हिलवाणी आदि दर्जनों साइटों पर भी ऐसी अपील की जा रही है। जनगणना में इन भाषाओं के बोलने वालों की बढ़ी संख्या दिखाई देने पर जनतांत्रिक आधार पर केंद्र सरकार इन भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल करने को बाध्य हो जाएगी। जिलाधिकारी शैलेश बगौली ने कहा कि पांच फरवरी से शुरू हो रही जनगणना में जनगणना कर्मियों को खास हिदायत दी जाएगी कि वह लोगों से उनकी भाषा अवश्य पूछें।
मेरा पहाड़ फोरम, पहाड़ी फोरम, ई- उत्तरांचल, धाद, म्यर पहाड़, कौथिक 2011, उत्तराखंड विचार, रंगीलो छबीलो मेरु उत्तराखंड, उत्तराखंडी फ्रेंड्स, मन कही, उत्तराखंड समाचार, हिलवाणी आदि दर्जनों साइटों पर भी ऐसी अपील की जा रही है। जनगणना में इन भाषाओं के बोलने वालों की बढ़ी संख्या दिखाई देने पर जनतांत्रिक आधार पर केंद्र सरकार इन भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल करने को बाध्य हो जाएगी। जिलाधिकारी शैलेश बगौली ने कहा कि पांच फरवरी से शुरू हो रही जनगणना में जनगणना कर्मियों को खास हिदायत दी जाएगी कि वह लोगों से उनकी भाषा अवश्य पूछें।
(फोटो पर डबल क्लिक करके समाचार पत्र के स्वरुप में अन्यथा अनुवाद कर दुनियां की अन्य भाषाओं में भी पढ़ सकते हैं।)
4 टिप्पणियां:
महत्वपूर्ण जानकारी के लिए शुक्रिया !
Nainital ek baar teacher training mein gayee thi aaj aapka blog dekhkar yaaden taaji ho chali..
Joshi ji aapke baare mein aur blog padhkar bahut achha laga..... ham apne uttrakhand ke kuch kaam aa saken yahi ham desh-duniya mein base sabhu uttrakhandi bhai bahno ke dhey ho, yahi sabse pahle sochna hai....
..bahut sundar sarthak prastuti hetu aabhar!
kabhi fursat mein mere blog par aayen to mujhe bahut khushi hogi... Shahar ki daud-dhoop ke beech apne logon se yun milkar atirikit khushi ka ahsas hota hai..
sadar
आभार...धन्यवाद मीनाक्षी जी एवं कविता जी .
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