रविवार, 1 जनवरी 2012

क्या 'दशरथ' से मिला बनवास 21 वर्ष बाद तोड़ पायेगी कांग्रेस

1986 के बाद से एक अदद जीत को तरसता रहा है 'हांथ'
संभवतया यही कारण यशपाल को रोकता हो नैनीताल से चुनाव लड़ने से  पार्टी के बुजुर्ग कार्यकर्ता मानते हैं यशपाल ही तोड़ सकते हैं यह क्रम 
नवीन जोशी, नैनीताल। राजा दशरथ ने राम को  १२ वर्ष के बनवास पर भेजा था, लेकिन यहाँ नैनीताल में एक दशरथ ने कांग्रेस पार्टी को बनवास पर भेजा था, जिस से वह 21  वर्ष बाद भी वापस नहीं लौट पा रही है 1991 की राम लहर में रामलीला में 'दशरथ' का चरित्र निभाने वाले भाजपा के बंशीधर भगत ने कांग्रेस को जिस बनवास पर भेजा था, कांग्रेस के लिए उस से अभी भी वापस लौटना आसान नहीं लगता। शायद यही कारण हो कि अपनी परंपरागत सीट मुक्तेश्वर का काफी हिस्सा होने के बावजूद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य यहाँ से चुनाव लड़ने के अधिक इच्छुक नहीं दिख रहे, जबकि पार्टी के बुजुर्ग कार्यकर्ताओं का मानना है कि कांग्रेस की बनवास से वापसी इस बार कोई करा सकता है तो वह केवल यशपाल ही हो सकते हैं।
नैनीताल कुमाऊं मंडल की उन गिनी-चुनी सीटों में होगी, जिन्हें कांग्रेस पार्टी की परंपरागत सीट कहने से हर किसी को गुरेज होगा। अतीत से बात शुरू करें तो यूपी के दौर में लंबी-चौड़ी इस सीट पर वर्ष 1977 में राम दत्त जोशी जनता दल के टिकट पर विधायक रहे। अगले 82 के चुनावों में शिव नारायण नेगी ने यह सीट कांग्रेस की झोली में डालकर नफा-नुकसान बराबर करने की कोशिश की। 86 में साफ-स्वच्छ छवि के किशन सिंह तड़ागी ने कांग्रेस के लिये सीट बरकरार रखी, परंतु 91 की रामलर में भाजपा के ‘दशरथ’ बंशीधर गत ने कांग्रेस के शेर सिं नौलिया को पटखनी दी, और आगे अगले तीन चुनावों में वह यहाँ से जीत की हैट्रिक बनाते रहे। राज्य बनने के बाद वह इस सीट को छोड़कर हल्द्वानी चले गये, परिणामस्वरूप अपनी साफ-स्वच्छ छवि के बल पर डा. नारायण सिंह जंतवाल उक्रांद के टिकट पर भाजपा से यह सीट झटकने में सफल रहे, और कोंग्रेस का बनवास जारी रहा। गत 2007 के विस चुनावों में खड़क सिंह बोहरा ने पुनः यह सीट हांसिल कर भाजपा का एक बार पुनः नैनीताल से परचम फरा दिया। इसके साथ ही नैनीताल के लिये हांलिया वर्षों में यह माना जाने लगा है कि बुद्धिजीवियों के शहर के जाने वाले नैनीताल से चुनाव लड़ने के लिये पार्टी तथा प्रत्याशी दोनों की साफ-स्वच्छ छवि अधिक मायने रखती है। इस बात को भाजपा-कांग्रेस, उक्रांद सहित सभी पार्टियों के नेता भी स्वीकार करते हैं।  लेकिन जहाँ तक कांग्रेस के लिये 21 वर्ष के बनवास को तोड़ने का सवाल है, नगर के वरिष्ठतम कांग्रेसी किसन लाल साह ‘कोनी’, मोहन कांडपाल सहित अधिकांश कांग्रेसियों का भी मानना है कि यह मिथक तोड़ने में कांग्रेस केवल एक ही शर्त पर सफल हो सकती है, यदि यशपाल यहाँ से चुनाव लड़ें। अब पार्टी प्रदेश अध्यक्ष यशपाल पर है कि वह स्वयं फ्रंट पर आकर बल्लेबाजी कर अपनी टीम को लीड करते हैं या नहीं।

बुधवार, 21 दिसंबर 2011

ठण्ड में ग्लोबल वार्मिग: हिमालय पर पड़ा बर्फ का टोटा

20 दिसंबर 2011 को नैनीताल से लिया गया हिमालय का चित्र 
बढ़ती ठंड के बीच नगाधिराज बता रहा मौसम की हकीकत 
मीथेन की मात्रा अधिक होने से बर्फबारी प्रभावित
नवीन जोशी, नैनीताल। साल के अंतिम दिन हैं। समस्त उत्तर भारत कड़ाके की शीत लहर की चपेट में है, लेकिन देश की लाइफलाइन हिमालय में बर्फ का टोटा है। इन सर्दियों में हिमालय की चोटियों पर अभी तक भारी बर्फबारी नहीं हुई है। इन दिनों धवल बर्फ से लकदक रहने वाला हिमालय इस बार स्याह नजर आ रहा है। हिमालय की ऊंची चोटियों पर ही बर्फ नजर आ रही है, जबकि निचले हिस्से की रौनक बेहद फीकी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह ग्लोबल वार्मिग का नतीजा है। हवा में मीथेन गैस की मात्रा अधिक होने से पहाड़ों में बर्फबारी नहीं हो रही है। देश-प्रदेश सहित समूचे दक्षिणी गोलार्ध से आ रही कंपकंपाती ठंड की खबरों के बीच यह खबर हैरान करने वाली है। भारत ही नहीं एशिया के मौसम की असली तस्वीर बयां करने वाला नगाधिराज हिमालय मानो छटपटा रहा है। नैनीताल के निकट हिमालय दर्शन से हिमालय का नजारा ले रहे सैलानियों के साथ ही पुराने गाइड भी हिमालय को देखकर आहत हैं। 
इसी वर्ष 24 फरवरी को नैनीताल से ही लिया गया हिमालय का चित्र 
एरीज के मौसम वैज्ञानिक पीतांबर पंत के अनुसार ग्लोबल वार्मिग पहाड़ों और मैदानों के मौसम को सर्दियों व गर्मियों में दो तरह से प्रभावित कर रहा है। ग्लोबल वार्मिग व प्रदूषण के कारण धरती के वायुमंडल में मौजूद पोल्यूटेंट्स यानी प्रदूषण के कारक धूल, धुआं, ग्रीन हाउस गैसों के सूक्ष्म प्रदूषित कण (एरोसोल) तथा नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, कार्बन डाईऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड, जल वाष्प तथा ब्लेक कार्बन के कण धरती के ऊपर ढक्कन जैसा (कैपिंग इफेक्ट) प्रभाव उत्पन्न कर देते हैं। गर्मियों के दिनों में दिन के अधिक घंटे धूप पड़ने के कारण वायुमंडल में मौजूद गर्मी धरती से परावर्तित होकर इस ढक्कन से बाहर नहीं जा पाती, जिस कारण धरती की गर्मी बढ़ जाती है जबकि इसके उलट सर्दियों में यही ढक्कन सूर्य की रोशनी को धरती पर नहीं आने देता। परिणामस्वरूप मैदानों में कोहरा छा जाता है और पहाड़ आम तौर पर धूप से गुलजार रहते हैं। इसका ही परिणाम है कि पहाड़ों पर लगातार सर्दियों के दिनों में बर्फबारी में कमी देखने को मिल रही है। दूसरी ओर एरीज द्वारा ही किए गए एक अध्ययन में पहाड़ों पर मीथेन की मात्रा 2.5 पीपीएम (पार्ट पर मालीक्यूल) तक पाई गई है जबकि वायुमंडल में मीथेन की मात्रा का वि औसत 1.8 से 1.9 पीपीएम है। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि मीथेन की यह बढ़ी हुई मात्रा पहाड़ों पर गर्मी बढ़ाने का बड़ा कारण हो सकती है। इधर नैनीताल से हिमालय दर्शन से नेपाल की नेम्फा से लेकर प्रदेश के गढ़वाल के केदारनाथ तक की करीब 365 किमी. लंबी हिमालय की पर्वत श्रृंखला का अटूट नजारा बेहद खूबसूरती से नजर आता है लेकिन हिमालय दर्शन से सैलानियों को दूरबीन की मदद से दशकों से हिमालय नजदीक से दिखा रहे लोग हतप्रभ हैं कि बीते वर्षो में हिमालय की छटा लगातार फीकी पड़ रही है। केवल चोटियों पर ही बर्फ नजर आती है और शेष हिस्सा काला पड़ा नजर आता है।
आंकड़े न होने से परेशानी
नैनीताल। यूं तो हिमालय स्थित ग्लेशियरों के पिघलने के दावे भी पूर्व से ही किये जा रहे हैं परंतु सच्चाई है कि यह बातें आंकड़ों के बिना हो रही हैं। प्रदेश के मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक डा. आनंद शर्मा भी यह स्वीकारते हैं। उनके अनुसार वैज्ञानिक इस दिशा में गहन शोध और कम से कम आंकड़े एकत्र कर डाटा बेस तैयार करने की मौसम वैज्ञानिक आवश्यकता जताते रहे हैं। इधर कुमाऊं विवि द्वारा देश-प्रदेश का पहला सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज वचरुअल मोड में इसी वर्ष स्थापना कर चुका है जिससे आगे डाटा बेस तैयार करने की उम्मीद की जा रही है।
इस समाचार को मूलतः राष्ट्रीय सहारा के 21 दिसंबर 2011 के अंक में प्रथम पेज पर अथवा इस लिंक को क्लिक मूलतःदेख सकते हैं। 

गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

दुनिया की नजरें फिर महा प्रयोग पर


"Big Bang Theory" के इस महा प्रयोग में शामिल वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्हें हैग्ग्स पार्टिकल्स दिखे हैं, पर इस खबर की अभी भी पुष्टि होनी बाकी है...हैग्ग्स पार्टिकल्स को श्रृष्टि में जीवन के जनक या ईश्वर के कण तक कहा जा रहा है...वैसे इनका नाम हैग्ग्स-बोसोन कण है, जिसमें बोसोन भारतीय वैज्ञानिक एससी बोस के नाम पर है....यदि यह कण न दिखे तो विज्ञान की कई अवधारणाओं की सत्यता खतरे में पड़ जायेगी..... 

रविवार, 11 दिसंबर 2011

नैनीताल जनपद के विधानसभा क्षेत्रों की भौगौलिक स्थिति


Nainital district constituency map for 2012 Uttarakhand election

आगामी विधान सभा चुनाव अब बेहद निकट आ चुके हैं, लेकिन अभी भी खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों के मतदाताओं में असमंजस बरकरार है कि वह किस विधान सभा क्षेत्र के लिये अपने मताधिकार का प्रयोग कर लोकतंत्र की मजबूती में योगदान देंगे। चुनाव आयोग की वेबसाइट में भी वर्ष 2006 में हुऐ परिसीमन के बाद के विस क्षेत्रों की भौगोलिक जानकारी उपलब्धनहीं है। 
जिला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार केवल 61-रामनगर विधान सभा क्षेत्र है, जो ग़ढवाल लोक सभा क्षेत्र का हिस्सा है, और इसमें केवल और पूरी रामनगर तहसील शामिल है। जबकि 56-लालकुआं विधान सभा में लालकुआं तहसील के साथ हल्द्वानी तहसील के काठगोदाम कानूनगो सर्किल व लालकुआं के अर्जुनपुर पटवारी सर्किल शामिल हैं। 57-भीमताल विधान सभा में धारी तहसील तथा नैनीताल तहसील का रामगढ़ कानूनगो सर्किल, भीमताल के चांफी, पांडेगांव, पूर्व छःखाता, रौंसिल व पिनरौ पटवारी सर्किल व भीमताल नगर पालिका, 58- नैनीताल विधान सभा में बेतालघाट व कोश्यां कुटौली तहसील, नैनीताल व भवाली नगर पालिका तथा नैनीताल कैंट क्षेत्र के साथ भीमताल तहसील के भवाली, पश्चिम छः खाता, खुर्पाताल, मंगोली, बगढ़, स्यात, तल्लाकोट, सौढ व अमगढ़ी पटवारी सर्किल तथा वन क्षेत्र शामिल हैं। इसी तरह 59-हल्द्वानी विधान सभा सीट में हल्द्वानी तहसील का तत्कालीन हल्द्वानी-काठगोदाम पालिका एवं बाहरी विकसित क्षेत्र (वर्तमान हल्द्वानी नगर निगम) के वार्ड एक से 25, दमुवाढूँगा बंदोबस्ती, वार्ड 27, कोर्ता-चांदमारी मोहल्ला वार्ड 28, मल्ली बमोरी वार्ड 29, बमोरी तल्ली, शक्ति विहार, भट्ट कालोनी वार्ड 3 और बमोरी तल्ली खान का वार्ड 3 शामिल हैं। जबकि ६०-कालाढूँगी में कालाढूँगी तहसील के साथ नैनीताल तहसील की चोपड़ा पटवारी सर्किल, हल्द्वानी की हल्द्वानी खास, लामाचौड़, फतेहपुर, भगवानपुर, कमलुवागांजा, लोहरियासाल, देवलचौड़  व कुसुमखेड़ा पटवारी सर्किलें, लालकुआ की चांदनी चौक व आनंदपुर पटवारी सर्किलें तथा हल्द्वानी नगर निगम के मुखानी (रूपनगर, बसंत विहार कालोनी व जज फार्म) वार्ड 3, मानपुर उत्तर वार्ड 3, हरीपुर सखा, सुशीला तिवारी अस्पताल, वार्ड 34, तल्ली हल्द्वानी वार्ड 35, गौजाजाली उत्तर वार्ड 36, कुसुम खेड़ा वार्ड 37 व बिठौरिया नंबर 1 वार्ड 38 शामिल हैं। 

गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

रिपोर्ट कार्ड नैनीताल विधानसभा क्षेत्र खड़क सिंह बोहरा: वायदों पर अमल क्यों नहीं हुआ बोहरा साहब!


नवीन जोशी, नैनीताल। खड़क सिंह बोहरा 55- नैनीताल विधानसभा सीट से भाजपा विधायक है। नये परिसीमन के बाद इस सीट का नाम 58- नैनीताल हो गया है। साथ ही सीट का भौगोलिक स्वरूप बदल गया है। नई 58- नैनीताल विधानसभा सीट में 145 बूथ शामिल है। इनमें बेतालघाट तहसील के 24 बूथ, कोश्यां कुटौली के 34 तथा नैनीताल के 87 बूथ शामिल है। पिछली 55-नैनीताल विस सीट में नैनीताल तहसील के 94 तथा कालाढूंगी के 17 कुल 111 बूथ थे। नैनीताल सीट सामान्य की जगह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस कारण श्री बोहरा के लिए इस सीट से चुनाव लड़ने के दरवाजे बंद हो गए है। नये परिसीमन की स्थिति साफ होने पर उन्होंने नैनीताल विधानसभा सीट का हिस्सा रहे कालाढूंगी से संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी है। इस कारण वह नैनीताल क्षेत्र की उपेक्षा करते रहे। ऐसा न केवल उन पर विपक्ष का आरोप है वरन वह स्वयं भी इसे स्वीकार करने से गुरेज नहीं करते। 
गत दिनों एक पोस्टर में वह स्वयं को चुनाव पूर्व ही नैनीताल के बजाय पहली बार अस्तित्व में आ रही कालाढूंगी सीट से विधायक दर्शा चुके है। बोहरा मूलत: कांग्रेसी है। वर्ष 2007 के चुनाव में उन्हें पहली बार भाजपा से टिकट मिला और वह विधानसभा पहुंचने में सफल रहे। तब उन्होंने जनता से खासकर माल रोड पर ग्रांड होटल के पास सेनैनी झील में सीवर की गंदगी न जाने देने, बलिया नाले को नगर का आधार बताकर उसका ट्रीटमेंट करने के वायदे किये थे लेकिन वह पांच साल में इन कामों की शुरुआत भी नहीं करा पाए। वायदों पर क्यों अमल नहीं हुआ? इस सवाल पर बोहरा बेबाक टिप्पणी करते है-उनका कहना है कि नैनीताल के सुरक्षित सीट घोषित हो जाने से उनको दुख हुआ। अपनी ओर से कोशिश की। नैनी झील में सीवर को जाने से रोकने के लिए कुछ कर नहीं सके पर कालाढूंगी व भवाली के साथ नगर के कृष्णापुर-हरिनगर क्षेत्र को सीवर लाइन से जोड़ने की पहल की। बलियानाले में आईआईटी रुड़की की टीम से सव्रेक्षण शुरू करा रहे है। बोहरा दावा करते है-उन्होंने हर गांव तक सड़क व भवाली में विधि विवि स्वीकृत कराया है। वह मानते है कि वन भूमि हस्तांतरण में अड़चन से कई सड़कों का निर्माण शुरू नहीं हो सका है। भीमताल में कुमाऊं विवि के तीसरे परिसर की सीएम से घोषणा कराई है। भाबर (कालाढूंगी) क्षेत्र में पेयजल व सिंचाई की समस्या का समाधान कराया है। उनका दावा है कि विधायक निधि की 100 फीसद धनराशि उन्होंने खर्च कर डाली है। विधायक बनने से पूर्व श्री बोहरा परिचितों से कड़क आवाज के साथ गर्मजोशी से मिला करते थे लेकिन विधायक बनने के बाद वह काफी समय अस्वस्थ रहे और जनता तो दूर परिचितों और पार्टी कार्यकर्ताओं से भी दूर रहे। स्वास्थ्य लाभ के उपरांत भी वह इस दूरी को पाट नहीं पाये। प्रदेश के सभी 70 विधायकों में बोहरा उन विधायकों में है जिन्होंने अपने कार्यकाल के पांचों वष्रो में अपनी विधायक निधि का शत- प्रतिशत हिस्सा खर्च किया है। यह भी सच है कि नैनीताल क्षेत्र में शिलापट उनकी निधि से विकास कार्य होने की गवाही नहीं देते। विरोधियों का आरोप है कि उनका ध्यान अपनी नई सीट कालाढूंगी की ओर अधिक रहा। विधायक बोहरा गत दिनों कालाढूंगी कांड के दोषियों की बात सीएम खंडूड़ी द्वारा न सुने जाने को लेकर तीखे तेवर भी दिखा चुके है। पार्टी के भीतर उनके विरोधियों के अनुसार बोहरा मूलत: कांग्रेसी है और उनके कांग्रेसी तेवर गाहे-बगाहे सामने आ जाते है। उन पर अपने नजदीकियों को विकास कार्यो के ठेके देने का आरोप भी लगते रहे है। प्रदेश की राजनीतिक उठापटक के बावजूद वह किसी गुट विशेष से नहीं जुड़े। एक पूर्व सीएम से उनकी नजदीकी बताई जाती है। इसके बाद भी उनको तटस्थ नेता कहा जाता है वह सभी से दोस्ताना ताल्लुकात रखते है। बोहरा की प्रस्तावित विधानसभा सीट कालाढूंगी में परिसीमन के बाद उनका अधिक समय इसी क्षेत्र में रहा है। पिछले चुनावों में उन्हें इस क्षेत्र से अच्छा जन समर्थन मिला था। वह स्वयं को इस क्षेत्र का निवासी होने का दावा भी करते है। बावजूद कालाढूंगी सीट का बड़ा हिस्सा हल्द्वानी के ग्रामीण क्षेत्रों से होने के कारण बोहरा के लिए यह सीट आसान नहीं कही जा सकती है।

चार दर्जन सवाल उठ पाये पांच साल में
नैनीताल के विधायक खड़क सिंह बोहरा पिछले पांच साल के दौरान विधानसभा में मौजूद तो रहे लेकिन उनके द्वारा क्षेत्र के विभिन्न मुद्दों से संबंधित कुल चार दर्जन सवाल ही उठाये जा सके। इस तरह विधानसभा में उनका प्रदर्शन औसत रहा। हालांकि सदन में उनसे अपेक्षा की जाती थी कि धारदार तरीके से क्षेत्र के मुद्दों को उठायेंगे लेकिन सत्तारूढ़ दल से जुड़े होने के कारण वे अपने मुद्दों को धार नहीं दे पाये।
बोहरा नहीं करा पाये धन का सदुपयोग : जंतवाल
नैनीताल सीट पर पिछले चुनाव में बोहरा के निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहे उक्रांद के डा. नारायण सिंह जंतवाल का कहना है कि अफसरशाही पर उचित निगरानी न होने के कारण विधायक बोहरा विकास तथा दैवीय आपदा के कार्यो में मिले धन का सदुपयोग नहीं करा पाये। परिणामस्वरूप विस सीट में पूर्व के बड़े स्वीकृत कार्य भी नहीं हो पाये। पिछली सरकार के दौर में स्वीकृत नगर के रूसी गांव से बने और तल्लीताल में भवाली- हल्द्वानी रोड के बाईपास चालू नहीं हो पाये। नगर के सबसे पुराने सीआरएसटी स्कूल को पूर्व सरकार के दौर में मिले 90 लाख रुपये वापस चले गये। नगर में कोई नया बड़ा कार्य स्वीकृत नहीं हुआ।
विधायक बनने के बाद दुआ-सलाम भी नहीं
नगर के तल्लीताल चिड़ियाघर रोड निवासी रमेश तिवाड़ी के अनुसार विधायक बनने के बाद विधायक ने दुआ-सलाम भी कम कर दी, वहीं नगर के एक बुजुर्ग नागरिक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, विधायक ने उनके द्वारा बताया गया एक जनहित का कार्य तो बिना कोई प्रश्न किये तत्काल किया, लेकिन कुल मिलाकर उनका कार्यकाल निराशाजनक रहा। इतिहास में उनके कार्यकाल को किस कार्य के लिए याद किया जाएगा, ऐसा कोई कार्य याद नहीं आता।

मंगलवार, 22 नवंबर 2011

पोलियोग्रस्त बालक बना ’स्पाइडरमैन‘

कमजोरी को ही ताकत बनाना चाहता है मनीश 
नवीन जोशी, नैनीताल। मशहूर कवि दुश्यंत कुमार ने कहा, ‘कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो’ तथा किसी अनाम कवि ने कहा है ‘परिंदों की उड़ान हौसलों में होती है परों में नहीं’। न जाने कितने लोगों ने इन जोशीले सूत्रों को सुना होगा लेकिन सुनने के साथ ही गुनने की बात की जाए तो निश्चित ही ऐसे नाम खोजने पड़ेंगे लेकिन अल्मोड़ा नगर के मनीश ने न केवल इन सूत्रों को सुना व गुना है वरन अपने जीवन में अपनाया भी है। जन्म के एक वर्ष बाद ही लाइलाज कहे जाने वाले पोलियो से ग्रस्त इस बालक का हौंसला देखिये, आज वह अपने पैरों पर ठीक से खड़ा नहीं हो पाता लेकिन 40 फिट ऊंची खड़ी दीवार पर चढ़कर अपने साथियों के बीच ‘स्पाइडरमैन’ के नाम से जाना जाता है। 
जीआईसी अल्मोड़ा में 12वीं के छात्र 19 वर्षीय मनीश को बारापत्थर में 40 फीट ऊंची दीवार पर जिस कुशलता के साथ चढ़ते देखा, तो उसके हौसले को देख वहां मौजूद नगर पालिकाध्यक्ष मुकेश जोशी, विशेष कार्य अधिकारी-साहसिक पर्यटन जेसी बेरी व नैनीताल पर्वतारोहण क्लब के सचिव राजेश साह सहित प्रशिक्षक भी तालियां बजाए बिना न रह सके। किसी को विश्वास नहीं हुआ कि वह एक वर्ष की उम्र से ही पोलियो ग्रस्त हो चुका था और एक समय था जब वह सीधा बैठ भी नहीं पाता था। मनीश ने रहस्योद्घाटन किया कि वह वर्ष 2008 से साहसिक खेलों और खासकर पर्वतारोहण से जुड़ा है और अपने प्रशिक्षकों को कभी नहीं बताता कि उसे पोलियो है। इसलिये कि कहीं उसे प्रशिक्षण देने से या कैंप में आने से ही न रोक दें। पैर कमजोर हैं तो पैरों की अधिक शक्ति की जरूरत वाले क्षेत्र में ही क्यों कदम बढ़ाए, वह जवाब देता है, एक मिसाल कायम करना चाहता हूं। ऊंची पहाड़ियों, दीवारों पर इसलिये और इस तरह चढ़ता हूं कि दर्द चेहरे पर न उभरने पाये। ऐसा इसलिये कर रहा हूं कि जब पर्वतारोहण में एक मुकाम हासिल कर लूं तो अपने जैसे अन्य विकलांगों को प्रेरणा दे सकूं कि हौसले मजबूत हों तो कैसी भी विकलांगता कोई मायने नहीं रखती। मनीश की घरेलू परेशानियों की कहानी भी ऐसी है कि छोटे-मोटे कायरे के लिए हिम्मत से कदम न उठें। आबकारी विभाग में कार्यरत पिता देवी दत्त जोशी का 10 वर्ष पूर्व निधन हो गया। मां चंपा जोशी किसी तरह पति की जगह सेवा में लगकर चार बच्चों का भरण-पोषण कर रही हैं, जिनमें मनीश तीसरे नंबर का है। मनीश कहता है, साहसिक खेलों में उसकी गहरी रुचि है और वह तय कर चुका है कि इसी क्षेत्र में भविष्य बनाना है। वह अच्छा गायक होने के साथ ही डांस का भी शौक रखता है।

रविवार, 20 नवंबर 2011

नैनीताल जू से "उच्च स्थलीय" नाम छिनने का खतरा !

हिम तेंदुआ"रानी" के बाद  देश के एकमात्र साइबेरियन टाइगर "कुणाल " की मौत के बाद यहाँ नहीं रहा कोई "उच्च स्थलीय" क्षेत्रों का आकर्षण 
नैनीताल जू से "उच्च स्थलीय" नाम छिनने का खतरा !

ऑल इंडिया पुलिस ने जीता फेडरेशन कप


हरियाणा दूसरे व उत्तराखंड तीसरे स्थान पर रहा, चौथी एनसी शर्मा स्मृति फेडरेशन कप महिला बॉक्सिंग प्रतियोगिता समाप्त
नैनीताल (एसएनबी)। चौथी एनसी शर्मा स्मृति फेडरेशन कप महिला बाक्सिंग प्रतियोगिता की ट्राफी ऑल इंडिया पुलिस ने हासिल कर ली। उत्तराखंड के लिये संतोष की बात यह रही कि उसने भी प्रतियोगिता की चैंपियन ऑल इंडिया पुलिस व रनरअप रही हरियाणा के बराबर ही 17 अंक अर्जित किये और प्रतियोगिता में पहली बार तीसरे स्थान पर पहुंची। प्रतियोगिता के फाइनल मुकाबले में आज सुमन ही लाइट वेटर वेट वर्ग में स्वर्णिम मुक्का जड़ पाई। फाइनल में पहुंची अन्य खिलाड़ियों विनीता महर, मोनिका सौन, प्रियंका चौधरी व पूनम विश्नोई को रजत से ही संतोष करना पड़ा। काबीना मंत्री प्रकाश पंत ने पुरस्कार वितरित किये व राज्य सरकार द्वारा खेलों को प्रोत्साहन देने के लिए किये जा रहे उपायों की जानकारी दी। इससे पूर्व रविवार को हुए फाइनल मुकाबलों में एपी की सोनिया ने उत्तराखंड की विनीता मेहर को, उत्तराखंड की सुमन ने एआईपी की बसंती चानू को 26-6 से, हरियाणा की सुनीता रानी ने उत्तराखंड की प्रियंका को 8- 6, आंध्र की एन उषा ने एआईपी की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी प्रीति बेनीवाल को 13-13 के स्कोर पर सूक्ष्म अंकों के आधार पर, एआईपी की सुमन ने उत्तराखंड की मोनिका सौन को 7-6, हरियाणा की स्वीटी बूरा ने दिल्ली की सीमा को 11-6, दिल्ली की जागृति ने आसाम की अलारी बोरो को 18-10, एमपी की माया पौडिल ने हरियाणा की निर्मला को 24-15 तथा एआईपी की कविता चहल ने उत्तराखंड की पूनम विश्नोई को आरएससी के जरिये 26-0 से हराया। मणीपुर की ममता को आयोजक सचिव चारु शर्मा की ओर से सर्वश्रेष्ठ विजेता का 10 हजार व दिल्ली की गीता सोलंकी को 7.5 हजार का सर्वश्रेष्ठ लूजर का पुरस्कार मिला। दिल्ली की रेफरी रेखा स्वामी व राजस्थान की जज रजनी सोमलाल को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के पुरस्कार मिले। एआईपी दो स्वर्ण व चार रजत के साथ प्रथम तथा हरियाणा दो स्वर्ण व तीन रजत के साथ दूसरे व उत्तराखंड एक स्वर्ण, चार रजत व दो कांस्य पदक जीतकर तीसरे स्थान पर रहा। आयोजक महासचिव मुखर्जी निर्वाण सहित कई लोगों को सर्वश्रेष्ठ योगदान के लिये पुरस्कृत किया गया।

उत्तराखंड की प्रियंका, पूनम व सुमन का राष्ट्रीय शिविर के लिए चयन
नैनीताल (एसएनबी)। फेडरेशन कप में भले उत्तराखंड की एकमात्र अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी प्रियंका चौधरी तथा पूर्व से राष्ट्रीय शिविर में शामिल पूनम विश्नोई स्वर्ण से चूक गई हों, लेकिन उनका शिविर में स्थान बरकरार है। साथ ही प्रतियोगिता में उत्तराखंड के लिए एकमात्र स्वर्ण पदक हासिल करने वाली सुमन का भी राष्ट्रीय शिविर में चयन हो गया है। राष्ट्रीय शिविर के लिए प्रतियोगिता में मौजूद एक ऑब्जर्वर ने नाम न छापने की शर्त पर यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि औपचारिक घोषणा राष्ट्रीय एसोसिएशन ही करती है।