बुधवार, 12 फ़रवरी 2014

जिम कार्बेट के घर नैनीताल में फिर दिखाई दिया ‘रॉयल बंगाल टाइगर’

नवीन जोशी, नैनीताल। देश में बाघों की संख्या लगातार घटने से चिंतित पर्यावरण प्रेमियों और प्रकृति के स्वर्ग कही जाने वाली सरोवर नगरी प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है। बाघों का राजा ‘रॉयल बंगाल टाइगर' अंतर्राष्ट्रीय शिकारी जिम कार्बेट के शहर नैनीताल की खूबसूरती पर एक बार फिर फिदा हो गया लगता है। बीती 10-11 फरवरी की रात्रि नगर की करीब 2591 मीटर ( 8500 फिट) ऊंची कैमल्स बैक चोटी पर इसे देखा गया। आधिकारिक तौर पर कैमरों से इसकी तस्वीर भी रिकार्ड की गई है। इसे जिम कार्बेट के दौर के लम्बे अंतराल के बाद भी नैनीताल में समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र बरक़रार रहने के लिहाज से भी बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है। 
प्रदेश में गत 10 फरवरी से एक सप्ताह तक यानी 17 फरवरी तक के लिए बाघों की गणना के लिए अभियान चला रहा है। इस अभियान के तहत नैनीताल के निकटवर्ती वन क्षेत्रों में अनेक स्थानों पर रात्रि में भी देखने की क्षमता वाले कैमरे लगाए गए हैं। इन्हीं में से एक कैमरा नैना रेंज में समुद्री सतह से 2591 मीटर की ऊंचाई वाली चोटी कैमल्स हंप या कैमल्स बैक पर भी लगाया गया था। इस कैमरे से अभियान की पहली ही यानी 10 व 11 फरवरी की रात्रि एक बजकर 47 मिनट पर करीब सात-आठ वर्ष की उम्र के बंगाल टाइगर प्रजाति के कैमरे के चित्र लिये गए हैं। डीएफओ डा. तेजस्विनी पाटिल ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि कैमरे में देखा गया बाघ नर हो सकता है। जिस कैमरे पर यह रिकार्ड किया गया है, उसे कुमाऊं विवि के वानिकी विभाग के द्वितीय वर्ष के दो छात्रों मो. अकरम व लवप्रीत सिंह लाहौरी तथा एक स्थानीय युवक अमित वाल्मीकि द्वारा लगाया गया था। 
उल्लेखनीय है कि बाघ पारिस्थितिकी तंत्र की आहार श्रृंखला में सांपों में किंग कोबरा, पक्षियों में चील-गिद्ध आदि की तरह सबसे ऊपर होते हैं। किसी स्थान पर इनकी उपस्थिति होने का सीधा सा अर्थ होता है कि उस पारिस्थितिकी तंत्र की श्रृंखला के निचली श्रेणी तक के सभी अन्य जीव भी भरपूर मात्रा में उस स्थान पर उपलब्ध हैं। यह अपनी भोजन श्रृंखला के निचली श्रेणी के वन्य जीवों को खाते हुए पारिस्थितिकीय संतुलन बनाते हैं।

2010 में भूटान में 4100 मीटर ऊंचाई पर देखे जाने का है रिकार्ड

देश में सर्वाधिक ऊंचाई पर बाघ को देखे जाने के रिकार्ड उपलब्ध नहीं हैं, और अब पहली बार इसे नैनीताल में 2951 मीटर की ऊंचाई पर देखा गया है। बहरहाल बीबीसी के अनुसार बाघ को सर्वाधिक ऊंचाई पर देखे जाने का विश्व रिकार्ड सितम्बर 2010 में बना था, जब इसे भूटान में 4100 मीटर की ऊंचाई पर रिकार्ड किया गया था। गौरतलब है कि नैनीताल में पूर्व में कैंट के पास बाघ को देखे जाने की बात कही जाती थी, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पाई थी।

सोमवार, 3 फ़रवरी 2014

लो आ गया बसंत, खत्म हुई सर्दी

  • 3 फरवरी को था नैनीताल का तापमान 17.6 व 11.5 डिसे. 
  • फरवरी के मध्य तक हल्की बारिश की संभावना 
  • मार्च से भीषण गरमी की आशंका जताई


नवीन जोशी, नैनीताल। आज से ऋतुराज बसंत का आगमन हो रहा है। मौसम विज्ञानियों का भी मानना है कि सर्दियां समाप्त हो गई हैं। आगे छिटपुट बारिश हो सकती है। यूजीसी के वैज्ञानिक डा. बहादुर सिंह कोटलिया का कहना है कि अब पहाड़ों पर बर्फबारी की कोई संभावना नहीं है। फरवरी मध्य तक ही हल्की बारिश हो सकती है, और इसके बाद जबरदस्त गरमी पड़ने वाली है। मौसम विभाग अगले कुछ दिन आसमान में हल्के बादल छाये रहने और पांच तथा सात फरवरी को गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना जता रहा है। सरोवरनगरी में प्रकृति ऋ तुराज बसंत का स्वागत करती नजर आ रही है। यहां माल रोड पर स्टेट बैंक के पास खिले ब्रूम के पीले फूल मानो वासंती रंग में सरोबोर करने लगे हैं। कुमाऊं में अनेक स्थानों पर समय से पहले ही बताया जा रहा राज्य वृक्ष बुरांश खिल उठा है। वृद्ध जागेश्वर, गुरड़ाबांज से लेकर बिनसर व यहां रामगढ़, मुक्तेश्वर व धानाचूली के लाल रंग में रंगे जंगलों की खूबसूरती देखते ही बन रही है। कारण चाहे जो भी हों, लेकिन नगर के पुराने लोगों का कहना है कि यहां मार्च माह तक होली के बाद भी बर्फ पड़ना आम बात थी। नगर पालिका कर्मी महेश गुरुरानी बताते हैं 1962 तक उन्होंने मल्लीताल के बाजारों में दो से ढाई फीट तक बर्फवारी देखी है। अप्रैल माह में भी यहां कई बार बर्फबारी हुई है। कुमाऊं विवि के विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. सीसी पंत के अनुसार ग्लोबलवार्मिग इतर मौसमी चक्र के बुरी तरह प्रभावित होने से अत्यधिक होने को कारण मानते हैं। बर्फवारी के बाद यहां का तापमान बीते दो दिनों में दहाई में पहुंच गया है।

शुक्रवार, 24 जनवरी 2014

क्या गलत हैं न्यूटन के नियम !

नौवीं कक्षा के छात्र ने उठाये सवाल, आरोप लगाया कि पुस्तकों में गलत पढ़ाये जा रहे हैं न्यूटन के नियम 

नवीन जोशी नैनीताल। दुनिया को गुरुत्वाकर्षण का वैज्ञानिक सिद्धांत देने वाले सर आइजेक न्यूटन ने वास्तव में बल के कौन से तीन नियम दिये थे, इस पर विवाद हो सकता है। पर बच्चों को स्कूली पुस्तकों में जो पढ़ाया जा रहा है, उस पर नगर के नौवीं कक्षा के एक होनहार छात्र अभिषेक अलिग ने सवाल उठाये हैं। अभिषेक का कहना है कि न्यूटन के पहले यानी ‘जड़त्व के सिद्धांत’ के नियम में बल की दिशा का कोई जिक्र नहीं है, जबकि बल एक सदिश यानी वैक्टर राशि है। बल की दिशा का जिक्र किये बिना न्यूटन के सिद्धांत का प्रयोग किसी भी दशा में नहीं किया जा सकता, जबकि प्रयोग के बिना वैज्ञानिक सिद्धांत का कोई अर्थ ही नहीं है। वहीं तीसरा सिद्धांत निर्वात की स्थिति में लागू नहीं हो सकता है। 
अभिषेक नगर के सेंट जोसफ कालेज का छात्र है। रसायन, भौतिकी और गणित विषयों की उसमें विलक्षण तर्क की क्षमता नजर आती है। वह इन विषयों में हमेशा कक्षा में प्रथम भी रहता है और अपने से बड़ी कक्षाओं के छात्रों से भी तर्क करता है। विज्ञान को तकरे की कसौटी पर कसने की जैसे उसे धुन सवार है। इसके लिए वह विज्ञान की विदेशी भाषाओं की पुस्तकों और इंटरनेट पर भी खूब अध्ययन करता है। 
अपनी आईसीएसई बोर्ड की नौवीं कक्षा की पुस्तक में प्रकाशित न्यूटन के पहले नियम पर सवाल उठाते हुए उसका कहना है कि यह नियम कहता है कि किसी पिंड पर जब तक कोई बाहरी बल न लगाया जाये तब तक उसकी स्थिति में परिवर्तन नहीं आ सकता। यानी यदि पिंड कहीं पर स्थिर रखा है तो वह कोई बल लगाने तक गतिमान नहीं हो सकता, साथ ही यदि वह गतिमान है तो बल लगाये बिना रुक नहीं सकता। अभिषेक के अनुसार इस नियम में बल की दिशा का कोई उल्लेख नहीं है, साथ ही यह भी नहीं कहा गया है कि यह नियम हर दशा में प्रभावी रहता है या निर्वात में। क्योंकि बल बिना दिशा के लगाया ही नहीं जा सकता, क्योंकि बल एक सदिश राशि है। बिना दिशा के बल का कोई औचित्य नहीं है। न्यूटन विज्ञान के इस सामान्य से सिद्धांत से अनभिज्ञ थे अथवा पुस्तकों में गलत पढ़ाया जा रहा है। इंटरनेट पर न्यूटन के नियम में बल की जगह ‘नेट फोर्स’ यानी शुद्ध बल शब्द का प्रयोग किया गया है। यहां शुद्ध शब्द भी बड़ा अंतर पैदा करता है। शुद्ध बल में पिंड पर लगने वाले गुरुत्वाकर्षण, घर्षण एवं पिंड के स्वयं के भार से उत्पन्न स्थैतिक जैसे सभी बल भी शामिल होते हैं। इन बलों के कारण ही एक दशा तक किसी पिंड को एक कम क्षमता का बल लगाकर भी स्थिर से गतिमान या गतिमान से स्थिर नहीं किया जा सकता। अभिषेक खासकर इस बात पर भी सवाल उठाता है कि किसी स्थिर पिंड पर यदि ऊपर या नीचे की दिशा से बल लगाया जाये तो उसे गतिमान नहीं किया जा सकता है, तो ऐसे में न्यूटन का प्रथम सिद्धांत कैसे माना जा सकता है। वह इस बात से भी इत्तेफाक नहीं रखता कि बल के साथ दिशा का जिक्र ना करना एक सामान्य वैज्ञानिक तथ्य मानकर शामिल न किया जाता हो, क्योंकि न्यूटन के दूसरे सिद्धांत में बल की दिशा का साफ-साफ जिक्र किया जाता रहा है। अभिषेक यह भी मानता है कि न्यूटन ने संभवतया लैटिन भाषा में जो नियम प्रतिपादित किय, उनमें बल के साथ दिशा का भी जिक्र हो, किंतु स्कूली पुस्तकों में यह शब्द हटा दिये गये। यदि ऐसा है तो यह देश की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करने वाली बात है कि क्यों बच्चों को गलत पढ़ाया जा रहा है। विशेषज्ञ कुछ हद तक सहमत : अभिषेक के तर्क से कुमाऊं विवि के भौतिकी विभागाध्यक्ष प्रो. हरीश चंद्र चंदोला भी काफी हद तक सहमत नजर आते हैं। हालांकि उनका कहना है कि वास्तव में न्यूटन के नियम में बल के साथ दिशा का जिक्र रहा है। वह बताते हैं न्यूटन के नियम ऐसी आदर्श स्थिति के लिए हैं, जिसमें अन्य किसी प्रकार के बलों के न होने की कल्पना की गई है। ऐसा वास्तविक स्थितियों में संभव नहीं होता। उन्होंने माना कि बच्चों के पाठय़क्रम में उन परिस्थितियों का जिक्र किया जाना भी जरूरी है, जिनमें वह लागू होते हैं।
मूलतः यहाँ  देख सकते हैं :  http://rashtriyasahara.samaylive.com/epapermain.aspx?queryed=14&eddate=10/10/2012 

यह भी पढ़ें: 1. गलत हैं न्यूटन के नियम ! 

2. न्यूटन ने नहीं दिया था गति का दूसरा नियम!

रविवार, 19 जनवरी 2014

सरोवरनगरी में बिछी 'चांदी की चादर', सैलानियों का उमड़ा मेला

सरोवरनगरी में सैलानियों ने उठाया मौसम का लुत्फ
नैनीताल (एसएनबी)। पहाड़ों पर शनिवार को हुई बर्फवारी का असर रविवार को सरोवरनगरी में सैलानियों के मेले के रूप में देखने को मिला। नजदीकी यूपी एवं दिल्ली से आए सैलानियों से नगर में मेले जैसा माहौल दिखाई दिया। नगर में सुबह से ही अच्छी धूप खिली, जिससे मौसम खुशनुमा रहा। इसके साथ ही नगर में आम जनजीवन भी पटरी पर लौटने लगा। अधिकांश क्षेत्रों में बिजली और पानी की सेवाएं भी बहाल हो गई हैं। अलबत्ता, अपराह्न तक बादल वापस आसमान में घिर आए, और मौसम विभाग के अनुसार तापमान अधिकतम 3.4 एवं न्यूनतम 1.2 डिग्री सेल्सियस तक लुड़क गया। उल्लेखनीय है कि पहाड़ों पर शुक्रवार से बदले मौसम के तहत शनिवार को अच्छी खासी बर्फवारी हुई थी, और समूचे नगर में तीन इंच से लेकर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आधा फीट तक बर्फवारी हुई। 






शनिवार को शाम को ही बर्फवारी रुक गई थी,और इसके बाद आसमान धीरे-धीरे साफ होता चला गया। बर्फवारी होने की जानकारी मिलने पर नजदीकी मैदानी क्षेत्रों के सैलानी नैनीताल में उमड़ आए, और उन्हें बर्फ से खेलने के लिए ऊंचे क्षेत्रों में भी नहीं जाना पड़ा। माल रोड, पालिका गार्डन सहित अन्य पाकरे में भी सैलानी एक-दूसरे पर बर्फ के गोले दाग कर खूब आनंद लेते रहे। अलबत्ता, नगर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सीसी मागरे पर बर्फ की वजह से फिसलन होने की वजह से अनेक लोग कार्य पर नहीं आ पाए, और जनजीवन कुछ हद तक प्रभावित रहा। दिन भर छतों से बर्फ के धूप में पिघल कर गिरने से बाजारों में बारिश जैसा माहौल रहा। बारिश- बर्फवारी को फसलों और शाक-सब्जी व फलों के लिए लाभदायक माना जा रहा है।

मंगलवार, 14 जनवरी 2014

'शत्रु संपत्ति' मेट्रोपोल के हिस्से पर रातों-रात किये कब्जे

  • पांच लोगों के विरुद्ध प्रशासन ने दर्ज कराई एफआईआर 
  • जिला प्रशासन के नियंत्रण में होती हैं सभी शत्रु संपत्तियां

नैनीताल (एसएनबी)। नगर स्थित राजा महमूदाबाद अमीर मोहम्मद खान की प्रशासन के कब्जे वाली अरबों रुपये की शत्रु संपत्ति मेट्रोपोल होटल परिसर में बड़े पैमाने पर रातों-रात कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया। लोगों ने चीना बाबा मंदिर से नीचे की ओर बड़े नाले के किनारे करीब 50 मीटर लंबाई में अतिक्रमण कर टिनशेडों का निर्माण भी कर डाला। रातभर क्षेत्र में निर्माण होने से खूब हो-हल्ला रहा। अलबत्ता शत्रु संपत्ति के कस्टोडियन जिला प्रशासन को इसकी भनक भी नहीं लगी। दिन में सूचना मिलने पर प्रशासन ने निर्माण ढहाकर सामग्री जब्त कर ली है। साथ ही पांच लोगों के विरुद्ध मल्लीताल कोतवाली में एफआईआर दर्ज करा दी गई है। मंगलवार सुबह भाजपा नेता मनोज जोशी ने डीएम अरविंद सिंह ह्यांकी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को मेट्रोपोल परिसर में रात्रि में बड़े पैमाने पर कब्जे होने व टिनशेड लगाए जाने की सूचना दी। इस पर एसडीएम शिवचरण द्विवेदी ने राजस्व पुलिस, पुलिस व नगर पालिका की गैंग की मदद से क्षेत्र में कब्जा कर किये गए निर्माण को ध्वस्त करवा दिया और निर्माण सामग्री जब्त करवा दी। मामले में तहसीलदार बहादुर सिंह लटवाल की ओर से मल्लीताल कोतवाली में कब्जा कर रहे फारूख पुत्र मो. हनीफ, नजाकत पुत्र मो. हशमत, असलम पुत्र अमजद, जमील पुत्र अब्दुल गफ्फूर व यूसुफ पुत्र अहमद के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करा दी गई है। कब्जे हटाने की कार्रवाई में कार्रवाई में सीओ हरीश कुमार, नायब तहसीलदार नीलू चावला, कोतवाल हरक सिंह फिरमाल, तल्लीताल थाना प्रभारी उत्तम सिंह आदि लोग शामिल रहे।

अपने दौर का सबसे बड़ा होटल था मेट्रोपोल

नैनीताल। नगर के अपने दौर के सबसे बड़े 41 कमरे के मेट्रोपोल होटल का निर्माण मि. रेंडल नाम के अंग्रेज ने किया था। बाद में यह राजा महमूदाबाद की संपत्ति हो गई। देश की आजादी के बाद यह संपत्ति राजा के इकलौते चश्मो-चिराग राजा अमीर मोहम्मद खान के हिस्से आयी, लेकिन इस पर अनेक लोगों का कब्जा रहा। इनमें से एक प्रमुख श्री लूथरा 1995 तक इसे होटल के रूप में चलाते रहे। वर्ष 2005 में न्यायिक प्रक्रिया के बाद इसे प्रशासन द्वारा शत्रु संपत्ति घोषित कर तथा कब्जे छुड़वाकर राजा के हवाले कर दिया गया, लेकिन बाद में दो अगस्त 2010 को न्यायालय के आदेशों पर इसे वापस जिला प्रशासन ने बतौर कस्टोडियन कब्जे में ले लिया था।

लाखों की आय के बावजूद सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं

नैनीताल। अरबों रुपये की प्रशासन के कब्जे वाली शत्रु संपत्ति मेट्रोपोल होटल में गत 26 नवम्बर की रात्रि भीषण अग्निकांड हो गया था, जिसमें होटल के बॉइलर रूम व बैडमिंटन कोर्ट तथा 14 कमरों वाला हिस्सा कमोबेश खाक हो गया था। तब भी होटल में कोई सुरक्षा प्रबंध नहीं थे और इसके बाद भी प्रशासन ने इसकी सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं किये हैं। गौरतलब है कि इस संपत्ति के मैदान को प्रशासन ग्रीष्मकाल में पार्किग के रूप में प्रयोग करता है, जिससे लाखों रुपये की आय भी प्राप्त होती है। राजा महमूदाबाद के प्रतिनिधि अब्दुल सत्तार ने बताया कि पूर्व में प्रशासन की ओर से यहां पुलिस कर्मी गार्ड के रूप में तैनात रहता था, लेकिन पिछले विस चुनाव के दौरान फोर्स की कमी होने पर गार्ड हटा तो उसके बाद तैनात ही नहीं किया गया।

शनिवार, 11 जनवरी 2014

जलौनी लकड़ी लेने के लिए भी दिखाना होगा पैन कार्ड

कोयला-केरोसिन है नहीं अब लकड़ी को भी तरसे
प्रदेश में पड़ रही कड़ाके की सर्दी से लोग बेहाल
नैनीताल (एसएनबी)। प्रदेश में पड़ रही कड़ाके की सर्दी में प्रदेशवासियों के पास गर्मी लाने का कोई प्रबंध नहीं रह गया है। प्रदेश में राशन कार्ड पर सस्ती कुकाठ की जलौनी लकड़ी देने की व्यवस्था के तहत भी लकड़ी नहीं मिल पा रही है। अधिकारियों का कहना है कि लकड़ी उपलब्ध नहीं है। उल्लेखनीय है कि पूरे कुमाऊं मंडल में इस मौसम में कोयला उपलब्ध नहीं है। केरोसिन भी किसी दाम पर उपलब्ध नहीं है। उधर यदि कोई महंगी दरों पर बांज की जलौनी लकड़ी चाहता है तो उसे अपना पैन कार्ड दिखाना होगा। पैन कार्ड दिखाने पर उसे 2.64 फीसद का आयकर देना होगा, लेकिन यदि पैन कार्ड न हो तो 20 फीसद आयकर के रूप में अतिरिक्त चुकाना होगा। वन निगम के अनुसार बांज की जलौनी लकड़ी के मूल भाव 470 रुपये प्रति कुंतल के हैं। इस पर 2.5 फीसद मंडी शुल्क व पांच फीसद वैट के साथ ही पैन कार्ड दिखाने पर 2.64 फीसद और न दिखाने पर 20 फीसद आयकर देने का प्रावधान है। इस प्रकार पैन कार्ड दिखाने पर एक कुंतल बांज की लकड़ी 525 के भाव और पैनकार्ड न दिखाने पर 613 रुपये के भाव पर मिल रही है। वन निगम के उप लौगिंग अधिकारी आनंद कुमार ने बताया कि राशन कार्ड पर 300 रुपये प्रति कुंतल के भाव मिलने वाली कुकाठ की जलौनी लकड़ी पूरे प्रदेश में उपलब्ध नहीं है। केवल शवदाह के लिए ही उपलब्ध कराई जा रही है।

बर्फबारी ने सप्ताहांत पर किया सैलानियों का स्वागत


नगर क्षेत्र में हुई मौसम की पहली बर्फबारी, पारा 0.5 डिग्री तक गिरा
नैनीताल (एसएनबी)। शनिवार को सरोवरनगरी के निचले क्षेत्रों को भी बर्फबारी का तोहफा मिल गया। इस मौके पर नगर में मौजूद सैलानियों के लिए कुदरत की यह खूबसूरत नेमत मनमांगी मुराद की तरह रही। अनेक सैलानियों ने इसे ‘न्यू इयर व वीकेंड बोनान्जा’ कहकर पुकारा। मौसम विभाग के अनुसार शनिवार को नगर का न्यूनतम तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया और अधिकतम तापमान 13 डिग्री रहा। सरोवरनगरी में पहले 31 दिसम्बर को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हुई थी। शनिवार की सुबह तड़के नगर के तल्लीताल और माल रोड तक भी अच्छी बर्फबारी हुई। वहीं नगर के सूखाताल, कुमाऊं विवि, चार्टन लॉज, सात नम्बर, रैमजे, स्टोनले कंपाउंड आदि क्षेत्रों में बर्फबारी हुई। नगर में सैलानियों ने कालाढुंगी रोड पर धामपुर बैंड, लेक व्यू, हिमालय दर्शन व स्नोव्यू क्षेत्रों में जमकर बर्फबारी का आनंद लिया। स्नोव्यू क्षेत्र में बर्फबारी का आनंद लेने के लिए रोप-वे से जाने के लिए सैलानियों की कतारें लगा रहीं। वहीं शनिवार को बर्फबारी के बाद भी नगर में पूरे दिन आसमान में बादल छाये रहे और कई बार हवा के साथ हिमकणों की फुहारें गिरती रहीं लेकिन सूर्यास्त के दौरान धूप के दर्शन हुए। जिसे अगले दिन धूप खिलने का इशारा माना जाता है। मौसम विभाग ने रविवार को मौसम खुलने और अगले दो दिन बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई है।

इटालियन-चाइनीज व्यंजन भी परोसेगा केएमवीएन

सैलानियों को रिझाने में जुटा केएमवीएन
नवीन जोशी नैनीताल। कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटिड (केएमवीएन ) सैलानियों को रिझाने की कवायद में जुट गया है। सैलानियों को रिझाने के लिए निगम अपने रेस्ट हाउसों में कई सुविधाएं मुहैया करा रहा है। इनमें लजीज देसी-विदेशी व्यंजन के साथ ही सेवा कर में छूट भी शामिल है। निगम के इस प्रयासों के सकारात्मक परिणाम नजर आने लगे हैं।सैलानियों का रुझान नैनीताल और अन्य हिल स्टेशनों की ओर बढ़ा है। निगम को उम्मीद है कि इस वर्ष एडवेंचर टूरिज्म में भी बढ़ोतरी होगी। केएमवीएन के पूरे कुमाऊं भर में 40 टूरिस्ट रेस्ट हाउस (टीआरएच)हैं। इनकी बुकिंग आनलाइन होती है। हालांकि वर्ष 2012 के मुकाबले वर्ष 2013 में अक्टूबर से दिसम्बर तक निगम की आय कम रही है, इसके बावजूद दिसम्बर आखिरी और नये साल के पहले हफ्ते के परिणाम संतोषजनक रहे हैं। देश भर से सैकड़ों सैलानियों ने कुमाऊं के हिल स्टेशनों का रुख किया है। इस कारण निगम उत्साह में है। उसे उम्मीद है कि इस साल कुमाऊं में पर्यटन को अच्छा रिस्पांस मिलेगा। निगम सूत्रों के अनुसार सैलानियों को रिझाने के लिए टीआरएच में बुकिंग पर मार्च तक सेवा कर नहीं लिया जा रहा है। इसके अलावा सैलानियों की जरूरत के मुताबिक व्यंजन परोसने की व्यवस्था भी की गई है। सभी टीआरएच में स्थानीय लजीज व्यंजनों के साथ ही इटालियन और चाइनीज भी मिलेंगे।
टीआरएच में अक्सर बच्चे और युवा इटालियन व चाइनीज डिश न मिलने की शिकायत करते थे, इसलिए पिज्जा, बर्गर, पास्ता, पगेटी आदि इटालियन और मोमो, चाउमिन व थुप्पा आदि को मैन्यू में शामिल करने के निर्देश दिए गए हैं। निगम स्थानीय व्यंजनों को भी आगे बढ़ाएगा। कुमाउनी झुंगरे की खीर को सभी टीआरएच में मीठे (डेजर्ट) में शामिल किया जा रहा है। 
-निगम के एमडी दीपक रावत 

एडवेंचर टूरिज्म से भी उम्मीद 
केएमवीएन को इस वर्ष मई-जून में एंडवेंचर टूरिज्म के बढ़ने की भी उम्मीद है। निगम अफसरों का कहना है कि आपदा के कारण सैलानियों ने पिंडारी, मिलम व आदि कैलास से दूरी बना ली थी। इस कारण एडवेंचर टूरिज्म को पिछले साल बहुत धक्का लगा था, लेकिन अब आदि कैलास को छोड़कर सभी एडवेंचर रूट सही हैं। आदि कैलास का रूट भी जौलजीवी से आगे खराब है, इसे ठीक कर दिया जाएगा। इसके बाद एडवेंचर टूरिज्म बढ़ने की उम्मीद है।  
कुमाऊं में मौजूद हिमालयन ट्रैक: पिंडारी, छोटा कैलास, मिलम, कफनी, सुंदरडूंगा, पंचाचूली हिल स्टेशन नैनीताल, रानीखेत, मुनस्यारी, बिनसर, चौकोड़ी, अल्मोड़ा, मुक्तेश्वर केएमवीएन का टीआरएच। 

मंगलवार, 7 जनवरी 2014

दवाओं के लिए दो करोड़ होने के बावजूद मरने के लिए छोड़ दिए पशु


नौ माह बीते, निदेशालय नहीं कर सका फैसला, कहां से खरीदें दवाएं, दो करोड़ रुपये डम्प
नवीन जोशी नैनीताल। राज्य के सरकारी पशु चिकित्सालयों में दवाइयां नहीं हैं। पशुपालन विभाग ने पिछले नौ माह की अवधि में पशुओं के लिए एक रुपये की दवाइयों की खरीद नहीं की है। पशुओं की दवाई के लिए दो करोड़ रुपये की राशि निदेशालय में डम्प पड़ी है। पशुओं के लिए दवाइयों की खरीद न होने के पीछे निदेशालय स्तर पर हीलाहवाली होना है। निदेशालय पिछले नौ महीनों में यह तय ही नहीं कर सका है कि दवाएं खरीद कहां से की जाएं। निदेशालय की इस कोताही पर कुमाऊं के सभी छह जिलाधिकारियों ने मंडलायुक्त के समक्ष खुलकर नाराजगी व्यक्त की है। कुमाऊं मंडल में वर्तमान वित्त वर्ष में जून व सितम्बर माह में दो किस्तों में पशुओं की दवाइयों की खरीद के लिए नैनीताल जिले को 54.11 लाख, ऊधमसिंह नगर को 34.45 लाख, अल्मोड़ा को 34.61 लाख, बागेश्वर को 48.12 लाख, पिथौरागढ़ को 38.91 लाख व चंपावत को 14.69 लाख रपए मिलाकर कुल 224.89 लाख रपए स्वीकृत हुए थे। इसके बावजूद अपनी जरूरत के अनुसार खर्च कर जरूरी दवाइयां की खरीद नहीं कर पा रहे हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार इस धनराशि से दवाइयां किस कंपनी से खरीदी जाएं, इस पर निदेशक स्तर से निर्णय होना था। यह निर्णय अब तक नही हो सका है। इस कारण अब तक जिले दवाइयां खरीदने के लिए निदेशालय का मुंह ताक रहे हैं, जबकि इस दौरान मंडल में ही सैकड़ों घरेलू पशु आपदा के दौरान व बीमारियों से काल- कवलित हुए हैं। बमुश्किल बहुत जरूरी होने पर नैनीताल जिले ने पहल करते हुए डीएम से अनुमति लेकर 10.28 लाख, ऊधमसिंह नगर के 2.52 लाख, अल्मोड़ा ने 8.85 लाख, बागेश्वर ने 4.92 लाख, पिथौरागढ़ ने 7.05 लाख व चंपावत ने 58 हजार यानी कुल मिलाकर 33.3 लाख रुपयों से स्थानीय बाजार से दवाइयां खरीदीं, बावजूद विभाग के पास करीब दो करोड़ रपए की धनराशि डंप पड़ी है। कुमाऊं आयुक्त अवनेंद्र सिंह नयाल ने गत दिवस मंडलीय समीक्षा बैठक में मामला प्रमुखता से उठने के बाद पिछले यानी वर्ष 2012-13 की स्वीकृत दरों से इस वर्ष भी उपकरणों व दवाइयों की खरीद करने की संस्तुति की है। इस बाबत अपर निदेशक पशुपालन डा. बी चंद ने निदेशक को पत्र लिखकर इस बाबत अनुमति मांगी है।

आठ जून से ही होगी कैलास मानसरोवर यात्रा

आपदा से आई दिक्कतों के बावजूद यथावत है कार्यक्रम 
पांच मार्च तक इस लिंक को क्लिक कर के कर सकते हैं ऑनलाइन आवेदन 
10 मार्च तक जमा करने होंगे सभी प्रपत्र
नैनीताल (एसएनबी)। दो देशों की सीमाओं में होने वाली अनूठी धार्मिक यात्रा कैलास मानसरोवर यात्रा बीते वर्ष आई दिक्कतों के बावजूद इस वर्ष भी तय कार्यक्रम के अनुसार होने जा रही है। विदेश मंत्रालय ने यात्रा की तिथियों और पैटर्न में कोई बदलाव नहीं किया है, जबकि पिछले साल कई बदलाव किए गए थे। विदेश मंत्रालय ने यात्रा का कलेंडर व अन्य ब्यौरा वेबसाइट पर जारी कर दिए हैं। यात्रा आठ जून से नौ सितंबर होगी। आगामी पांच मार्च तक यात्रा के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है और 10 मार्च तक आवेदन संबंधी आवश्यक प्रपत्र जमा करने होंगे। उल्लेखनीय है कि 2012 तक कैलाश मानसरोवर यात्रा 26 दिनों की होती थी, एक जून से प्रारंभ होकर सितंबर आखिर तक चलती थी और 16 दल ही यात्रा में जाते थे। पहली बार 2013 में इसकी अवधि चार दिन घटाकर 22 दिन कर दी गई थी। पिछले वर्ष यात्रा आठ जून से नौ सितंबर तक के लिए तय की गई थी। हालांकि प्रदेश में आई आपदा के बाद केवल एक ग्रुप के यात्री ही यात्रा पूरी कर पाए थे। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार इस वर्ष की 22 दिनों की यात्रा आठ जून से नौ सितंबर तक होगी। यात्रा में 60-60 यात्रियों के 18 दल जाएंगे। शुल्क भी यथावत रखा गया है, यात्रा के लिए कुमाऊं मंडल विकास निगम को 32 हजार रपए और चीन सरकार को 901 डॉलर देने होंगे। केएमवीएन के एमडी दीपक रावत ने बताया कि यात्रा का कार्यक्रम कमोबेश पूरी तरह पिछले वर्ष का ही रखा गया है। वहीं निगम के मंडलीय प्रबंधक डीके शर्मा ने बताया कि यात्रा 12 जून को दिल्ली से चलकर अल्मोड़ा पहुंचेगी। यात्रा मार्ग में बदलाव नहीं किया गया है। पिछले वर्ष यात्रा पथ पर एक वर्ष पूर्व ही जुड़ा चौकोड़ी रात्रि पड़ाव हटा दिया गया था, वहीं चीन में बिताए जाने वाले तीन दिन भी कम कर दिए गए थे। पहले दल के यात्री अल्मोड़ा, धारचूला, सिरखा, गाला, बुदी, गुंजी (दो दिन-मेडिकल के लिए), नाभीढांग, तकलाकोट (दो दिन- चीन की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए), चीन में दारचेन, जुनजुई पू, कुगू (दो दिन), वापस तकलाकोट, गुंजी, बुदी, गाला, धारचूला व जागेश्वर में रात्रि पड़ावों के साथ तीन जुलाई को वापस दिल्ली लौट जाएंगे। 

शुक्रवार, 3 जनवरी 2014

नैना पीक तक पहुंची बिजली

मैदानों में कोहरा, पहाड़ों पर खिली धूप: शुक्रवार से जहां तराई-भाबर के मैदानी क्षेत्रों में पूरे दिन घना कोहरा छाने से कड़ाके की ठंड रही, इसके उलट सरोवरनगरी सहित पहाड़ों पर आसमान में बादलों का एक कतरा भी नहीं था, और यहां पूरे दिन चटख धूप खिली रही।
चित्र : नवीन जोशी

नैना पीक तक जाने वाला तीन किमी मार्ग भी स्ट्रीट लाइट से जगमगाएगा
नैना पीक स्थित वन विभाग का रिपीटर सेंटर 
नैनीताल (एसएनबी)। रात में नैना पीक जाकर सरोवरनगरी की खूबसूरती को निहारने के शौकीन पर्यटकों के लिए खुशखबरी है। नैना पीक तक बिजली पहुंच गई है। इससे वहां वन विभाग के रिपीटर सेंटर के कक्ष में बिजली के बल्ब जलने लगे हैं। जल्द ही रिपीटर सेंटर के वायरलैस व अन्य उपकरणों को बिजली से जोड़ने की तैयारी चल रही है तथा भविष्य में बिजली से किलबनी रोड स्थित नैना चुंगी से नैना पीक जाने वाले करीब तीन किमी मार्ग को स्ट्रीट लाइट से जगमगाने की योजना भी है। इससे रात में भी सैलानी सुरक्षित तरीके से नैना पीक तक आवाजाही कर सकेंगे। नैना पीक सरोवरनगरी का सर्वाधिक ऊंचाई वाला 2611 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से नैनीताल नगर के साथ ही तराई-भाबर के सैकड़ों किमी दूर के स्थानों और हिमालय पर्वत की 365 किमी से अधिक लंबाई में बदरीनाथ-केदारनाथ से लेकर नेपाल की एपी श्रृंखला की चोटियों के नजारे लिये जा सकते हैं। कई मौकों पर सैलानी व साहसिक पर्यटन के शौकीन रात्रि में बिजली की रोशनी से जगमगाते नैनीताल तथा दूर-दूर के पहाड़ों और मैदानों के नजारे लेने व फोटो खींचने के लिए यहां आते हैं। घना जंगल होने की वजह से यहां रात्रि में वन्य जीवों के हमले का खतरा रहता है। बिजली की रोशनी हो जाने से भविष्य में इस स्थान का आवागमन बेहद सुविधाजनक हो सकता है। इस स्थान पर वन विभाग का प्रदेश के गिने-चुने रिपीटर सेंटरों में से एक स्थित है, जिसकी मदद से पूरे कुमाऊं तथा आंशिक रूप से गढ़वाल में भी लीसे के इधर-उधर संचरण, वनाग्नि की घटनाओं आदि पर वायरलेस की मदद से नजर रखी जाती है। वन क्षेत्राधिकारी प्रकाश जोशी ने बताया कि इसी के लिए बिजली नैना पीक पर पहुंचाई गई है, जल्द ही कार्यदायी संस्था रिपीटर सेंटर के उपकरणों को विद्युत आपूर्ति से जोड़ने जा रही है। वहीं विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता शेखर त्रिपाठी ने बताया कि बिजली की लाइन नैना पीक जाने वाले पैदल मार्ग से ही होकर गुजारी गई है। शीघ्र ही इस पर स्ट्रीट लाइट लगाने की भी योजना है।