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मंगलवार, 2 सितंबर 2014

प्राकृत पर्वताकार रूप में प्रकटीं मां नंदा-सुनंदा


‘जै भगौति नंदा’ के जयकारों से गूंजी सरोवरनगरी सुबह से लेकर तीसरे प्रहर तक होता रहा भजन-कीर्तन एक लाख के करीब श्रद्धालुओं ने नवाए शीश
नैनीताल (एसएनबी)। ‘जै मां जै, जै भगौती नंदा, जै मां ऊंचा कैलाश की’ के जयकारों से सरोवरनगरी मंगलवार को पूरे दिन गुंजायमान रही। सरोवरनगरी नैनीताल एवं आसपास के गांवों के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मां नंदा-सुनंदा के दर्शन किये। लोगों में अटूट आस्था व श्रद्धा बरसाने वाली मां नंदा-सुनंदा पवित्र कदली वृक्षों से ‘प्राकृत पर्वताकार रूप में’ मंगलवार को सुबह ब्रह्म मूहूर्त में जैसे ही प्रकट हुईं, श्रद्धालुओं के जैकारे से आसमान गूंज गया। फिर तो पूरे दिन के लिए मां के सच्चे दरबार में जैसे भक्तों का रेला उमड़ आया, सुबह से लेकर तीसरे पहर तक भजन-कीर्तन होते रहे और जयकारे लगते रहे। 
मंगलवार सुबह तड़के ब्रrा मूहूर्त में साढ़े तीन बजे से मां नंदा व सुनंदा की कदली वृक्ष से बनाई गई मूर्तियों को मां नयना देवी मंदिर परिसर में बनाए गए पारंपरिक दरबार में रखा गया और प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया शुरू हुई। चंदवंशीय राजाओं की काशीपुर शाखा के राजपुरोहित पं. दामोदर जोशी एवं पं. जगदीश लोहनी ने आयोजक संस्था श्रीराम सेवक सभा के अध्यक्ष मुकेश जोशी के सपत्नीक यजमानत्व में यह विशेष पूजा-अर्चना आयोजित करवाई। इससे पूर्व रात्रि डेढ़-दो बजे से ही श्रद्धालु मंदिर में जम गए थे। आखिर लगभग दो घंटे के लंबे इंतजार के बाद मां के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले गये। कुमाऊं के दूर दराज अंचलों से आए छोलिया नर्तक और लोक कलाकार के नैनीताल को संस्कृति की नगरी बना रहे हैं। वहीं मल्लीताल फ्लैट मैदान हाट बाजार और मेले के रूप में नजर आ रहा है, यहां ऊंचे-ऊंचे झूले लगे हुए हैं और उल्लासपूर्ण माहौल बन गया है। हर ओर मां नंदा महोत्सव के साथ धर्म और संस्कृति का उल्लास छाया हुआ है। श्रद्धालुओं के हुजूम नजर आ रहे हैं। आज पहले दिन लगभग एक लाख श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया। बाहर नौकरी-व्यवसाय करने वाले अनेक लोग भी घर लौट आए हैं। मेला लोगों-महिलाओं को मिलने का मौका भी उपलब्ध करा रहा है।


बलि परम्परा को लेकर रहा तनाव

नैनीताल (एसएनबी)। नंदा देवी महोत्सव में बलि की परम्परा पर प्रशासन के रवैये से शहर में तनावपूर्ण स्थिति रही। पुलिस ने बकरों को शहर में ही प्रवेश नहीं करने दिया। इससे श्रद्धालुओं में प्रशासन के प्रति बेहद आक्रोश रहा। हिंदूवादी संगठनों में पुलिस के घेरे को तोड़कर प्रथा को जारी रखने की करीब चार बार कोशिश की। दो बार प्रशासन के रवैये के विरोध में नयना देवी मंदिर के गेट भी बंद कर दिए गए। हिंदूवादी संगठनों ने पहले तड़के तथा फिर नौ बजे मंदिर परिसर में बलि प्रथा का जारी रखने की कोशिश की। नौ बजे कार्यकर्ता मेला क्षेत्र के बीच से एक बकरे को दौड़ाकर मंदिर की ओर बढ़े। गुरुद्वारे के पास पुलिस ने उन्हें रोक दिया और विरोध करने पर मारपीट की गई। इससे आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने मंदिर का गेट बंद कर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। इस पर पुलिस कर्मियों व एसओजी के सादी वर्दी में तैनात पुलिस कर्मियों ने दो युवकों को कोतवाली पहुंचा दिया, हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।

रविवार, 31 अगस्त 2014

मां नयना की नगरी में कदली रूप में आई मां नंदा-सुनंदा

मूसलाधार बारिश के बीच सैकड़ों महिलाओं, छात्र- छात्राओं ने पारंपरिक वस्त्रों में सजकर कराया नगर भ्रमण
नैनीताल (एसएनबी)। एक वर्ष के लंबे अंतराल और एक-एक दिन गिनने के बाद आखिर वह दिव्य पल आ गए जब राज्य की कुलदेवी मां नंदा और सुनंदा पवित्र कदली (केला) वृक्षों के रूप में मां नयना की नगरी में लौट आईं। अब वह अगले छह दिनों तक एक बेटी के रूप में अपने मायके में रहेंगी। उनके आगमन पर आज नगर के सभी नर-नारी श्रद्धालु हर्षित हो उठे। उनके नगर भ्रमण में सैकड़ों लोगों, खासकर महिलाओं की भीड़ मूसलाधार बारिश के बावजूद पारम्परिक परिधानों में उमड़ी, जबकि बड़ी संख्या में नगरवासियों ने सड़क किनारे और घरों की बुजरें से भी उनके दर्शन करते हुए उनका स्वागत किया। 
रविवार को पवित्र कदली वृक्षों के रूप में मां नंदा-सुनंदा का मंगोली से आकर सबसे पहले सूखाताल में अवतरण हुआ। यहां आदर्श रामलीला कमेटी सूखाताल के सदस्यों, महिलाओं व अन्य श्रद्धालुओं में माता का स्वागत किया, यही सिलसिला कदली दलों के तल्लीताल स्थित मां वैष्णो देवी मंदिर में पहुंचने पर भी चला। दोनों स्थानों पर भंडारे व प्रसाद वितरण का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था। वैष्णव देवी मंदिर समिति के सदस्यों ने कदली वृक्षों की परम्परा के अनुसार पूजा- अर्चना की। यहां से शक्ति स्वरूपा मां नंदा-सुनंदा कदली वृक्षों के रूप में नगर भ्रमण पर निकलीं। तल्लीताल धर्मशाला और बाजार से पारम्परिक रंग्वाली लहंगे-पिछौड़े में सजी माउंट रोज महिला समिति सहित कई संगठनों की पूर्व सभासद मंजू रौतेला, मंजू पाठक, सरस्वती खेतवाल, जीवंती भट्ट, तारा राणा, दया बिष्ट व लीला साह आदि महिलाएं व छात्राएं कुमाऊं के परम्परागत घांघरा व रंग्वाली पिछौड़ा के वस्त्रों में सजकर और मां के रूप में आत्मसात होकर कलश यात्रा में भारी बारिश में तरबतर होते हुए भी भजन-कीर्तनों से साथ चल रही थीं। श्रद्धालु ‘जै मां नंदा सुनंदा तेरी जै जैकारा’ के गगनभेदी नारे लगा रहे थे। बैंड एवं कुमाऊं के पारम्परिक छोलिया नर्तक, ढोलद माऊ, मशकबीन व नगाड़े की थाप पर लोगों में जोश भर रहे थे। सबसे आगे शांति का प्रतीक धवल ेत तो सबसे पीछे विजय के लिए क्रांति का संदेश देता लाल ध्वज पारंपरिक रूप में चल रहा था। मां नगर भ्रमण करते हुए माल रोड से नैनी सरोवर का चक्कर लगा कर मल्लीताल बाजार पहुचीं, जहां आयोजक संस्था श्रीराम सेवक सभा में कुछ देर विश्राम एवं पूजा-अर्चना के पश्चात कदली वृक्षों को मां के आकर्षक मूर्ति रूप में परिवर्तित करने के लिए नयना देवी मंदिर के समीप रख दिया गया। शोभायात्रा में श्रीराम सेवक सभा के संरक्षक गंगा प्रसाद साह, अध्यक्ष मुकेश जोशी, महासचिव राजेंद्र लाल साह, मुकुल जोशी, कमलेश ढौंढियाल, अनूप शाही, विमल चौधरी, जगदीश बवाड़ी, अजय बिष्ट, देवेंद्र लाल साह व कैलाश जोशी, तल्लीताल व्यापार मंडल अध्यक्ष मारुति नंदन साह, विक्की राठौर व राजेंद्र मनराल सहित सभी सदस्य एवं नगर के बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। महिलाओं की संख्या सर्वाधिक रही। बच्चों को बारिश की वजह से रोक दिया गया।

बारिश संग मौसम ने कराए दिव्य अनुभव

नैनीताल। माता नंदा के कदली स्वरूप में नगर भ्रमण के अवसर पर मूसलाधार बारिश हुई। इससे पूर्व बीते कुछ दिनों से खिली धूप के बीच महोत्सव के दीप प्रज्वलन के बाद बारिश का सिलसिला चल पड़ा है। उल्लेखनीय है कि बारिश को धार्मिक आयोजनों के बीच बेहद शुभ माना जाता है। यह लगातार दूसरा वर्ष है जब शोभायात्रा के शुरू होते ही मूसलाधार बारिश हुई। इसे श्रद्धालु माता के मायके में पहुंचने के दिव्य अनुभवों से जोड़कर देख रहे हैं।

भावुक हुई महिलाएं

नैनीताल। कालाढूंगी मार्ग स्थित मंगोली के ग्रामीण आज स्वयं को धन्य मान रहे थे। कारण, उनके गांव को इस वर्ष के नंदा महोत्सव के लिए कदली वृक्ष लाने के लिए चयनित किया गया था। इस दौरान गांव में एक ओर जश्न जैसा माहौल था, जो कदली वृक्षों की नैनीताल को विदाई के दौरान बेहद भावुक पलों में बदल गया। कई महिलाएं झूम रही थीं। इससे पूर्व गत रात्रि गांव में चयनित कदली वृक्षों की विशेष पूजा हुई।

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::एक्सक्लूसिव::पिछले छह वर्षों की माता नंदा-सुनंदा की मूर्तियां देखिए